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पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi

In this article, we are providing Essay on Importance of Tourism in Hindi. ( Paryatan Ka Mahatva )पर्यटन का महत्त्व निबंध,  पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग।

पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। देश-विदेश की यात्रा की ललक के पीछे भी मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही काम करती आई है। यदि मनुष्य चाहता तो वह घर बैठे ही पुस्तकों द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर लेता। किंतु पुस्तकों से प्राप्त जानकारी का आनंद कछ ऐसा ही है जैसे किसी चित्र को देखकर हिमालय के सघन देवदार के वनों और हिमाच्छादित शिखरों के सौंदर्य, रूप गंध का अनुभव करना। महापंडित राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में, ‘‘घुमक्कड़ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति है इसलिए कि उसी ने आज की दुनिया को बनाया है। अगर घुमक्कड़ों के काफिले न आते-जाते तो सुस्त मानव-जातियाँ सो जातीं और पशु स्तर से ऊपर नहीं उठ पातीं।”

आज पर्यटन के पीछे भी मनुष्य की उसी पुरानी घुमक्कड़ प्रवृत्ति का प्रभाव है। आदिम घुमक्कड़ और आज के पर्यटक में इतना अंतर अवश्य है कि आज पर्यटन उतना कष्ट साध्य नहीं है, जितनी प्राचीन काल की घुमक्कड़ी थी। ज्ञान-विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषणों की जादुई शक्ति के प्रभाव से सुलभ साधनों के कारण पर्यटन अत्यंत सुलभ बन गया है। आज पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। इस उद्योग के प्रसार के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं। विश्वभर में पर्यटकों की सुविधा के लिए बड़े-बड़े पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार के आयोजन भी किए जाते हैं; जैसे- विदेशों में किसी देश के स्थान विशेष की कलाएँ, कलात्मक दृश्य, सांस्कतिक संस्थाओं की प्रदर्शनियाँ आदि। आनंद की प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय; इनके अतिरिक्त पर्यटन के और भी कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ हैं।

पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीयता की समझ जन्म लेती है: विकसित होती है। प्रेम और मानवीय भाईचारा बढ़ता है। सभ्यता-संस्कृतियों का परिचय मिलता है। पर्यटन से व्यक्ति अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है। पर्यटन उस एकरसता से उत्पन्न ऊब का भी परिहार करता है जो एक ही स्थान पर एक जैसे ही वातावरण में लगातार रहने से उत्पन्न हो जाती है। इसलिए पर्यटन की प्यास रखनेवालों को महापंडित राहुल सांकृत्यायन की तरह महाकवि इकबाल के इस । ‘शेर’ को अपना पथ प्रदर्शक बनाना चाहिए, इकबाल लिखते हैं –

‘सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ,

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ।’

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3 thoughts on “पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi”

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World Tourism Day in Hindi | जानिए विश्व पर्यटन दिवस का महत्व और “पर्यटन और हरित निवेश” क्यों है खास 

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 7, 2023

विश्व पर्यटन दिवस

World Tourism Day in Hindi: सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहां, जिंदगानी फिर रही तो, नौजवानी फिर कहां। ख्वाजा मीर दर्द की ये शायरी आज के समय में घूमने-फिरने वालों की जुबां पर रहती है। पर्यटन सिर्फ घूमने वालों को ही सुकून नहीं देता, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देता है। लोगों के बीच पर्यटन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और यह देश या किसी क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में कैसे मदद करता है, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 27 सितंबर के दिन विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यटन दिवस सांस्कृतिक, आर्थिक विकास और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए पर्यटन के महत्व पर प्रकाश डालता है। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानिए World Tourism Day in Hindi से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। 

This Blog Includes:

विश्व पर्यटन दिवस क्या है, पिछले कई वर्षों में ये रही विश्व पर्यटन दिवस की थीम , कम पैसों में करें इन देशों की सैर, विश्व पर्यटन दिवस का इतिहास, विश्व पर्यटन दिवस का महत्व, विश्व पर्यटन दिवस क्यों मनाया जाता है, विश्व पर्यटन दिवस कब शुरू हुआ, world tourism day quotes in hindi.

विश्व पर्यटन दिवस world tourism day in Hindi का उद्देश्य विश्व भर में लोगों में पर्यटन के लिए जागरूकता पैदा करना और इसके लिए प्रेरित करना है। पर्यटन ही वो माध्यम है जिससे अलग- अलग कल्चर से लोगों को जुड़ने और जानने का मौका मिलता है। 2019 में दिल्ली में विश्व पर्यटन दिवस का समारोह आयोजित हुआ था। इस दौरान भारत ने अपनी भौगोलिक विशेषताओं के कारण पहली बार विश्व पर्यटन दिवस की मेजबानी की थी। भारत में घूमने के लिए कई जगह प्रसिद्ध मानी जाती हैं और उसमें से ताजमहल को दुनिया का सातवां अजूबा कहा जाता है, इसलिए यह देश पर्यटकों को विभिन्न व्यंजनों, साहसिक स्थानों, इतिहास, भाषाओं आदि की पेशकश कर सकता है। 

विश्व पर्यटन दिवस 2023 की थीम क्या है?

हर साल विश्व पर्यटन दिवस world tourism day in Hindi मनाने के लिए यूएनडब्ल्यूटीओ द्वारा एक थीम तय की जाती है। 2022 में जहां इसकी थीम ‘पर्यटन पर पुनर्विचार।’ थी। वहीं 2023 में इसकी थीम‘ पर्यटन और हरित निवेश‘ (Tourism and Green Investments) है। इसका मेजबान देश रियाद, सऊदी अरब है। वहीं 2021 में इस दिवस की थीम समावेशी विकास के लिए पर्यटन” (Tourism for Inclusive Growth) और 2020 में इसकी थीम Tourism and Rural Development” (पर्यटन और ग्रामीण विकास”) था।

  • 2023 में “पर्यटन और हरित निवेश” 
  • 2022 में “पर्यटन पर पुनर्विचार”
  • 2021 में “समावेशी विकास के लिए पर्यटन”
  • 2020 में “पर्यटन और ग्रामीण विकास”
  • 2019 में “’टूरिज्म एंड जॉब, अ बेटर फ्यूचर फॉर ऑल’ 
  • 2018 में “पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण”
  • 2017 में  “सतत पर्यटन – विकास का एक उपकरण”

इस दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां के नजारे देखते ही दिन बन जाता है। बहुत सी चीजों का अनुभव होता है। घूमने-फिरने का शौक रखने वाले ज्यादातर भारतीय लोगों को विदेश की यात्रा करना पसंद होता है। लेकिन विदेश में जाने के लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय होता है, वीजा और अन्य कई डॉक्युमेंट्स जिसकी वजह से हम वहां जाने के सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं। लेकिन बहुत सी ऐसी जगह हैं, जहां हम सफर कर उनका लुत्फ उठा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, इन बेहतर विकल्प के बारे में।

नेपाल नेपाल यह काम बजट में बेहद शानदार यात्रा का एक विकल्प हो सकता है। यहां की मुद्रा भारतीय रुपए से कम होती है। इसके अतिरिक्त नेपाल के लिए वीजा की जरुरत भी नहीं होती। प्राकृतिक, पर्वत, तीर्थ स्थल के सौन्दर्य के लिए यहां जगह बेहद प्रसिद्ध है।

श्रीलंका श्रीलंका यहां पर्यटक बिना किसी परेशानी के घूमने जा सकते हैं और ये जगह भारतीय पर्यटकों के लिए सस्ता विकल्प हो सकता है, जहां ऐतिहासिक स्थल और स्वादिस्ट खाना उपलब्ध है। यह भारत के पास देशों में शामिल है।

वियतनाम वियतनाम भी भारतीय यात्रियों के लिए सस्ती यात्रा के लिए बेहद अच्छा ऑप्शन हो सकता है, और यहां घूमने के लिए ऐतिहासिक स्थल और गर्मी में आनंद लेने के लिए परफेक्ट जगह हो सकती है।

इंडोनेशिया इंडोनेशिया के द्वीप राज्य बाली और लोम्बोक को भी भारतीय पर्यटक कम पैसों में घूम सकते हैं। इंडोनेशिया के समुद्र, सुंदर पर्वत और प्राकृतिकसौन्दर्य भारतीय यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

सन् 1970 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (United Nations World Tourism Organization-UNWTO) ने स्पेन में अपने तीसरे सत्र में इसे एक दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। यूएनडब्ल्यूटीओ ने सितंबर 1979 के अंत में विश्व पर्यटन दिवस world tourism day in Hindi शुरू करने का निर्णय लिया था। प्रथम बार इसे 27 सितंबर, 1980 को मनाया गया था। तभी से प्रतिवर्ष 27 सितंबर को इस दिन को हम मनाते हैं। UNWTO के अनुसार, यह हर साल एक अलग थीम के साथ इस दिन को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। 

विश्व पर्यटन दिवस world tourism day in Hindi का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन की भावना को जगाना है। यह दिवस के द्वारा दुनिया भर के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना है। यूएनडब्ल्यूटीओ (UNWTO) पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ताकि यह सदस्य राष्ट्र को उसके आर्थिक विकास में मदद कर सके।

और यही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की भूमिका पर्यटन में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना भी है। विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) के अनुसार, डिजिटल प्रगति और नवाचार ज्यादा टिकाऊ और जिम्मेदार पर्यटन स्थान के साथ लगातार विकास को पूरा करने की चुनौती के समाधान का एक हिस्सा हैं।

UNWTO संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है जो सुलभ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कार्य करती है। यह एजेंसी प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यटन दिवस के माध्यम से पर्यटन के प्रति जागरूकता पैदा करने का काम करती है। इसके साथ ही ग्रामीण एवं बड़े शहरों में खासकर महिलाओं और युवाओं के लिये रोजगार के अवसर प्रदान करने में पर्यटन क्षेत्र के महत्व के बारे में बताती हैं।

पहली बार 1980 में विश्व पर्यटन दिवस संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन (United Nations World Tourism Organization-UNWTO) द्वारा शुरू किया गया था। इसकी तिथि को 27 सितंबर के रूप में चुना गया था क्योंकि 1970 में इसी दिन United Nations World Tourism Organization को मान्यता दी गई थी। इसमें 157 सदस्य देश, 6 सहयोगी सदस्य और 480 संबद्ध सदस्य हैं जो निजी क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों, पर्यटन संघों और स्थानीय पर्यटन प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

विश्व पर्यटन दिवस पर “इक दुनिया है मेरे अंदर, उस में ही मैं घूम रहा हूं “- बशीर महताब के इस कोट्स की तरह और कोट्स को पढ़ने के लिए नीचे एक नजर डालें –

“यूं तो घर ही में सिमट आई है दुनिया सारी, हो मयस्सर तो कभी घूम के दुनिया देखो।” – जमील मलिक

World Tourism Day in Hindi

“दुनिया देखो। यह फ़ैक्टरियों में बनाए गए या चुकाए गए किसी भी सपने से भी अधिक शानदार है। कोई गारंटी न माँगें, कोई सुरक्षा न माँगें।” – रे ब्रैडबरी
“सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है, अब आसमान तलक रास्ता बनाना है।”  – शहबाज़ ख़्वाजा
“सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहां, ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां।” – ख़्वाजा मीर दर्द
“रह-ए-तलब में किसे आरज़ू-ए-मंज़िल है, शुऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है।” – ग़ुलाम रब्बानी ताबां
“यात्रा व्यक्ति को विनम्र बनाती है। आप देखते हैं कि दुनिया में आपका कितना छोटा स्थान है।”  – गुस्ताव फ्लेबर्ट

World Tourism Day in Hindi

1980 से हर वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

दुनिया के कई जगहों पर पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हर साल इसे मनाया जाता है। 

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 2023 की थीम “ग्रामीण और सामुदायिक केंद्रित पर्यटन” है।

“पर्यटन और हरित निवेश “

उम्मीद है कि World Tourism Day in Hindi ब्लॉग में आपको विश्व पर्यटन दिवस के बारे में जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019 – निबंध

Essay in hindi.

Tourism Development in India / भारत में पर्यटन विकास : उपलब्धियाँ और चुनौतियांँ – Full Essay 2019 in Hindi |  भारत में पर्यटन विकास पर निबंध |

आधार-बिंदु : 1. एक पर्यटन उद्योग के प्रति बढ़ती सजगता 2. विश्व पर्यटन और भारत 3. भारत में पर्यटन की अनुकूलताएँ 4. भारत में पर्यटन की समस्याएंँ 5. स्वतंत्रता के बाद पर्यटन 6. भारत की पर्यटन नीति 7. पर्यटन विकास के लिए आयाम 8. पर्यटन विकास के लिए जरूरी क़दम

पर्यटन उद्योग के प्रति बढ़ती सजगता :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

विश्व अब एक गांँव की तरह है । दुनिया के देशों के आपसी संबंध उनके बीच ज्ञान, संस्कृति एवं भौतिक वस्तुओं का आदान-प्रदान दो मोहल्लों के बीच के आदान-प्रदान की तरह हो गया है । परिवहन एवं दूरसंचार ने दुनिया के देशों को सचमुच निकट ला दिया है । फिर दुनिया में बढ़ती जा रही मनुष्य की आर्थिक सामर्थ्य और जिज्ञासा एक देश के लोगों को दूसरे देश के निकट लाती जा रही है, इसलिए संपूर्ण विश्व में पर्यटन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है । अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन न केवल आधुनिक युग की देन है बल्कि इसके प्रसार की गति भी आधुनिकता की रफ्तार से जुड़ी हुई है । बिना कुछ निर्यात किए पर्यटन से आमदनी तो प्राप्त होती ही है इससे रोजगार की वृद्धि, विदेशी मुद्रा की प्राप्ति तथा सांस्कृतिक संबंधों में प्रगाढ़ता भी मिलती है । इसलिए पर्यटन एक आर्थिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक उद्योग है । दुनिया के सभी देश पर्यटन को विकसित करने की ओर सजगता से उन्मुख है । विश्व पर्यटन और भारत :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, इटली इत्यादि सर्वाधिक पर्यटकों को आकृष्ट करने वाले देश है, किंतु भारत का स्थान काफी नीचे हैं । विश्व में पर्यटन से होने वाली आय 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर में भारत का हिस्सा मात्र 0.44 प्रतिशत है । भारत की भौगोलिक विविधता, सुदीर्ध एवं सांस्कृतिक परंपरा की समृद्धि तथा कम खर्च के बावजूद हम भारत को पर्यटकों के लिए अपेक्षाकृत आकर्षक नहीं बना सके है और संसार के कुल पर्यटकों में से मात्र 0.33 प्रतिशत पर्यटकों को ही भारत की ओर आकृष्ट कर पा रहे हैं ।  You Read This Full Essay 2019 on Lokhindi.com भारत में पर्यटन की अनुकूलताएँ :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

भारत पर्यटकों को स्वर्ग हो सकता है । हमारे यहांँ हिमालय, सागर, रेगिस्थान, पहाड़, जंगल, नदिया, झीले हैं । हजारों वर्षों की परंपरा लिए हुए गुफाएंँ, किले, महल, हवेलियांँ, बावड़ीयाँ, पनघट हैं । उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम तक सांस्कृतिक विभिनता लिए वेशभूषा, पूर्व-त्योहार, मेले-उत्सव, रीति-रिवाज है । देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए इतनी कौतुकभरी समृद्ध विविधता है कि भारत पर्यटक की दृष्टि से अग्रणी देश हो सकता है और भारत के अन्य उद्योगों को चमकाता हुआ पर्यटन उद्योग अपनी चमकदार छटा बिखेर सकता है । भारत में पर्यटन की समस्याएंँ :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

पर भारत के पर्यटन में कुछ गंभीर समस्याएं भी हैं । भारत में बढ़ रहा आंतकवाद आरामदेह और तीव्रगामी परिवहन साधनों की कमी, रेल तथा हवाई यात्रा की अनिश्चितता, वायु तथा रेल यातायात में समन्वय की कमी, प्रतिवर्ष यात्रा किराये में वृद्धि, सस्ते, आरामदेह, शांत, स्वच्छ एवं सुविधाजनक आवास की कमी, प्रशिक्षित एवं सुसभ्य गाइडों का अभाव, गंदगीयुक्त वातावरण का होना, विद्युत एवं संचार व्यवस्था में अव्यवस्था, पर्यटन संबंधी सूचनाओं के व्यापक प्रचार प्रसार की कमी, पर्यटन सूचना केंद्रों की कमी एवं उनमें व्याप्त अराजकता, पर्यटकों की इच्छा अनिच्छा की समझ का अभाव, राष्ट्र के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की सुरक्षा की अपर्याप्तता, पर्यटको की सुरक्षा की कमी तथा पर्यटकों के साथ शालीन एवं ईमानदार व्यवहार की कमी आदि कुछ ऐसी समस्याएँ है जिनके कारण भारतीय पर्यटन उद्योग तेजी से उन्नत नहीं हो पा रहा है । उक्त समस्याओं के कारण विशेषकर विदेशी पर्यटक भारत में आने से हिचकिचाता है । स्वतंत्रता के बाद पर्यटन :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने पर्यटन के विकास पर ध्यान देना प्रारंभ किया है । 1949 में परिवहन मंत्रालय में ही ‘पर्यटक आवागमन कमेटी’ का गठन किया गया । 1955-56 में उसका नया नाम पर्यटन विभाग रखा तथा 1965 में परिवहन एवं पर्यटन विभाग कर दिया गया । 1966 में पर्यटन विभाग को नागरिक उड्डयन विभाग से जोड़ दिया गया और इसी वर्ष ‘भारतीय पर्यटन विकास निगम’ की स्थापना की गई जिसने पर्यटन के क्षेत्र में आधारभूत कार्य किया । भारतीय पर्यटन विकास निगम सार्वजनिक क्षेत्र में एक अर्द्ध स्वायतशासी संस्था है जो पर्यटन विभाग से निकट संपर्क रखती हैं । यह संस्था देश में होटलों व यात्री-आवासों की एक श्रृंखला को चलाती एवं नियंत्रित करती है । पर्यटकों के लिए परिवहन सुविधाओं, प्रचार-प्रसार सामग्री, उनके मनोरंजन के साधन तथा हवाई-अड्डों पर शुल्क मुक्त दुकानों का संचालन करती है । इसके अलावा विभिन्न प्रदेशों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों में पर्यटन उद्योग को विकसित करने का कार्य भी इस ‘निगम’ द्वारा संपन्न होता रहा है ।

भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019  

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भारत की पर्यटन नीति :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

भारत के पर्यटन विकास में महत्वपूर्ण परिवर्तन छठी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत 8 नवंबर, 1982 को भारत के पर्यटन मंत्रालय द्वारा पर्यटन की प्रथम राष्ट्रीय नीति को संसद में प्रस्तुत करने में आया । नीति के जो मुख्य उद्देश्य रखे हुए हैं उनमें- आपसी भ्रमण के माध्यम में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ाना; पर्यटन के विकास के माध्यम से विश्व की विचारधारा, जीवन के तरीकों और विकास की तकनीकी का ज्ञान करना; पैतृक संपदा एवं संस्कृति को बनाए रखने, नष्ट होने से बचाने और समृद्ध बनाने के लिए प्रचार-प्रसार करना, पर्यटन के समुदाय के लिए आर्थिक एवं सामाजिक लाभ प्राप्त करना अर्थात रोजगार के अवसरों में वृद्धि, आय का सृजन, राजस्व की प्राप्ति, विदेशी विनियम का अर्जन और मानव व्यवहार में सुधार करना तथा पर्यटन के विकास से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय एकीकरण की विचारधारा को युवक-युवतियों में विकसित करना एवं मेलों-खेलों आदि के द्वारा राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना आदि सम्मिलित हैं । हाल ही में भारत सरकार पर्यटन को संविधान की समवर्ती सूची में सम्मिलित करना चाहती है ताकि केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों की भागीदारी बन सके । पर्यटन विकास के लिए आयाम :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

पर्यटन नीति से युवकों हेतु होस्टल और अन्य विकास पर बल दिया गया है, चयनात्मक यात्रा-भ्रमण-पद्धति को अपनाया गया है तथा पर्यटकों के लिए सुविधाओं की आधारभूत संरचनाओं में वृद्धि करने पर जोर दिया गया है । नीति के विपणन व्यूह रचना से यात्री सुविधा बढ़ाने पर बल दिया है, बौद्ध धर्म-स्थलों पर यात्री सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया गया है । पर्यटन को एक अंतर-अनुशासन का विषय बनाया गया है ताकि विभिन्न स्तर की सरकारें विभिन्न स्तर के व्यापारियों के साथ समन्वित रूप से कार्य कर सकें ।  You Read This Full Essay 2019 on Lokhindi.com सातवीं पंचवर्षीय योजना भारतीय पर्यटन उद्योग के विकास की दृष्टि से मील का पत्थर रही है । इस योजनावधि के दौरान पर्यटन को विदेशी मुद्रा अर्जित करने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की भावी संभावनाओं के रूप में स्वीकारा गया तथा इसे उद्योग का दर्जा भी दिया गया । 11वीं पंचवर्षीय योजना में अब राजस्थान सहित अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसे उद्योग घोषित कर दिया है तथा पर्यटन के कार्य-कलापों में निवेश के लिए निजी उद्यमियों को बहुत से प्रोत्साहन उपलब्ध कराए गए हैं । सन 1989 में ‘पर्यटन वित्त निगम’ की स्थापना की गई जो होटल, रेस्टोरेंट, मनोरंजन पार्क आदि पर्यटन सुविधाओं के लिए वित्त उपलब्ध कराता है । अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के विकास के लिए सहायता योजना के अंतर्गत भी अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई है । वर्ष 1991 को ‘भारतीय पैटर्न वर्ष’ घोषित कर के पर्यटकों को आकृष्ट करने के लिए विभिन्न गतिविधियों पर जोर दिया गया । आठवीं पंचवर्षीय योजना में पर्यटन सेवा हेतु निजीकरण को अपनाने पर विशेष बल दिया गया है । इस योजना में विदेशी पर्यटन के साथ-साथ देशी पर्यटन के विकास पर भी बल दिया गया । ‘विशेष पर्यटन क्षेत्र’ योजना के अंतर्गत पर्यटन की संभावनाओंवाले नए क्षेत्र स्थलों की तलाश कर विकास प्रारंभ किया । बिहार में भगवान बुध्द से संबंधित स्थानों और महाराष्ट्र में अजंता एलोरा के विकास हेतु परियोजनाएं विदेशी वित्तीय सहायता से आरंभ की गई है । ‘आगरा सांस्कृतिक विकसित परियोजना’ भी चल रही है । फिर भी भारत की कुल राष्ट्रीय आय का 2% पर्यटन से प्राप्त होता है जबकि हम पर्यटन विकास पर प्रतिवर्ष कुल सार्वजनिक व्यय का मात्र 0.2 प्रतिशत खर्च करते हैं । इस प्रकार निवेश की कमी भी पर्यटन के समुचित विकास में बाधक है । पर्यटन विकास के लिए ज़रूरी कदम :  भारत में पर्यटन विकास – Full Essay 2019

वर्तमान में भारतीय पर्यटन उद्योग को विकसित करने के लिए एक ओर देश में फैले पर्यटन केंद्रों को तीव्र एवं सुविधाजनक परिवहन साधनों से जोड़ना आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर देश के प्रमुख हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से जोड़ना जरूरी है । पर्यटन से जुड़े सभी संस्थानों में योग्य, अनुभवी एवं प्रशिक्षित अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए तथा विदेशी पर्यटकों के साथ धोखाधड़ी एवं दुर्व्यवहार करने वाले दोषी व्यक्तियों को कठोर करनेवाले करवाने में मदद करनी चाहिए । विश्राम गृहों एवं सूचना केंद्रों पर ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान रखनेवाले प्रशिक्षित गाइड नियुक्त करने चाहिए । देश में सुरक्षा एवं शांति का माहौल भी पर्यटन के लिए बहुत आवश्यक है । कई बार पर्यटकों के अपरहण हो जाने से भारतीय पर्यटन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है । पूर्व में भारत-पाक संबंधों के तनावपूर्ण रहने एवं आतंकवादी गतिविधियों ने भारतीय पर्यटन को दुष्प्रभावित किया है किंतु अब इस दिशा में हो रहे अनुकूल वातावरण से भारतीय पर्यटन में चमक आ रही है ।  You Read This Full Essay 2019 on Lokhindi.com भारत में पर्यटन देश की सांस्कृतिक पहचान एवं आर्थिक समृद्धि को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण एवं विकासशील उद्योग है ही साथ ही यह भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ संस्कृति का विश्व-संस्कृति के साथ आदान-प्रदान करने का भी महनीय कार्य है किंतु इसकी गति तीव्र करने के लिए सरकार के पर्यटन विभाग एवं पर्यटन निगम के अलावा स्वैच्छिक संस्थाओं, निजी उद्यमियों एवं आम जनता के सहयोग की आवश्यकता है । यदि हम हमारे मेहमानों के प्रति भारतीय परंपरा के अनुसार ‘अतिथि देवोभव’ के भाव में शालीन-सुसंस्कृत व्यवहार करेंगे तो हमें अर्थ को प्राप्त होगा ही साथ ही भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक परंपरा को विश्वभर में पहुंचा कर गौरवान्वित भी होंगे ।

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पर्यटन का महत्व पर निबंध – Essay on importance of tourism in Hindi

पर्यटन का महत्व पर निबंध: पर्यटन एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र है जो विभिन्न देशों और क्षेत्रों को एक साथ जोड़ता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका सांस्कृतिक आदान-प्रदान, अर्थव्यवस्था और मानवीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

पर्यटन का महत्व पर निबंध

प्रस्तावना – पर्यटन के लाभ – पर्यटन से ज्ञान – राष्ट्रीय एकता और पर्यटन – अर्थव्यवस्था और पर्यटन – भारत में पर्यटन – उपसंहार

एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करने और उस स्थान को जानने की जिज्ञासा मानव मन में पर्यटन की प्यास जगाती है। पर्यटन जीवन की नीरसता से अस्थायी राहत दिलाता है। ऐसा करने से वह सुकून के पल का भरपूर आनंद उठा सकता है।

पर्यटन विश्व के विभिन्न कोनों से लोगों को एक ही स्थान पर आने-जाने की सुविधा प्रदान करता है। यह विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बारे में जानने के लिए ज्ञान के सीमांकन में सहायक भूमिका निभाता है। जब कोई व्यक्ति पर्यटन के संपर्क में आता है तो वह जाति, धर्म, भाषा और वर्ण के भेदभाव के बिना विभिन्न देशों के विभिन्न लोगों से मिलता है। उस स्तर पर विभिन्न आकार, प्रकृति, विश्वास और प्रथाओं के विभिन्न आंदोलनों से जुड़े लोग पाए जा सकते हैं। पर्यटकों की भूमिका यहीं तक सीमित नहीं है। वह अलग-अलग स्वभाव, अलग-अलग शैली और अलग-अलग रीति-रिवाजों वाले लोगों से मिलते हैं। वह उनसे नए गुण और नए धर्म प्राप्त करना पसंद करता है। एक यात्री विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाकर स्वयं का विकास करता है।

paryatan ka mahatva par nibandh

पर्यटन के लाभ

पर्यटन हमें आनंद देता है। जब कोई व्यक्ति विभिन्न कार्यों में उलझ जाता है और बोझिल हो जाता है या बिना कुछ करने के लिए घर पर दिन बिताता है, तो वह बाहर जाकर कुछ देर आराम करना चाहता है। यात्रा हमारे मन की थकान को दूर करती है। यात्रा के दौरान लंबे समय से दूर रहने वाले अपने प्रियजनों और रिश्तेदारों से मिलना एक विशेष संबंध माना जाता है। ऐतिहासिक स्मारकों, सांस्कृतिक स्थलों, मठों, मंदिरों और प्रकृति की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद हम तब लेते हैं जब हम नए परिवेश में दूर-दूर तक यात्रा करते हैं, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह दुख से छुटकारा पाने के लिए एक अचूक दवा है।

पर्यटन से ज्ञान

पर्यटन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। यह हमारे ज्ञान की परिभाषा को बढ़ाता है। छात्र शहर या उप-शहरी क्षेत्रों में स्थित कला दीर्घाओं, कोयला खदानों, चिड़ियाघरों और विज्ञान पार्कों में जाकर बहुत कुछ सीखते हैं। इन सभी चीज़ों के बारे में, जो उन्हें स्कूल में किताबें पढ़कर नहीं मिल पातीं, यात्रा के दौरान वे अलग-अलग चीज़ें अपने दिमाग में रख सकते हैं। किताबें हमें कभी भी वह सारी ख़बरें नहीं दे सकतीं जो पर्यटन हमें प्रदान करता है। लेकिन जो आंखों से देखा जाता है, उसका प्रतिबिम्ब सदैव जीवित रहने वाले व्यक्ति के मन में बन जाता है। पर्यटन मानव अवलोकन और पर्यवेक्षण शक्तियों को बढ़ाता है। कम समय में कई स्थानों का भ्रमण करने के बाद मन और हृदय अत्यंत आनंद से उत्साहित हो जाता है। अप्रत्यक्ष रूप से यह हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। पर्यटन का स्वास्थ्य पर प्रभाव काफी पड़ता है।

पर्यटन मानव अवलोकन और पर्यवेक्षण शक्तियों को बढ़ाता है। कम समय में कई स्थानों का भ्रमण करने के बाद मन और हृदय अत्यंत आनंद से उत्साहित हो जाता है। अप्रत्यक्ष रूप से यह हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। पर्यटन का स्वास्थ्य पर प्रभाव काफी पड़ता है।

राष्ट्रीय एकता और पर्यटन

राष्ट्रीय एकता बनाये रखने में पर्यटन की भूमिका आवश्यक है। इस क्षेत्र में अलग-अलग लोग जाति, धर्म और जाति से ऊपर उठकर एक-दूसरे के प्रति मित्रता के सूत्र से बंधे होते हैं। ऐसा देखा गया है कि नए लोगों के संपर्क में आने से दूरदराज के इलाकों के लोगों को काफी फायदा होता है। यहां एक-दूसरे को भाईचारे के प्यार की डोर में बांधना आसान है।

अर्थव्यवस्था और पर्यटन

पर्यटन उद्योग का एक मजबूत स्तंभ। इसकी वृद्धि में होटल, परिवहन, फोटोग्राफी, हस्तशिल्प आदि व्यवसाय प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने की संभावना है। पर्यटन के कारण देश या राज्य की विभिन्न सेवाओं जैसे हवाई अड्डे, रेलवे, सड़क, बंदरगाह, बिजली, टेलीफोन, जल आपूर्ति आदि की मांग लगातार बढ़ रही है। यदि ये सभी बुनियादी ढाँचे विकसित नहीं किए गए तो पर्यटकों को यहाँ आने के लिए आकर्षित करना आसान नहीं है। पर्यटन के कारण कई क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या कुछ हद तक कम हो गई है। देश में जितने अधिक पर्यटक विदेशों से आएंगे, हमारी विदेशी मुद्रा आय उतनी अधिक होगी। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के सामान, मशीनरी या किसी अन्य निर्यात में कोई कठिनाई नहीं होगी।

भारत में पर्यटन

भारत में तीर्थयात्रा और पारिवारिक यात्राएँ बहुत लोकप्रिय हैं। पर्यटन के इतिहास में हमारे भारत में फाहियान और ह्वेनसांग का नाम सोने में अंकित है। कोलंबस ने भारत का दौरा किया और एक पूरी नई दुनिया की खोज की। वास्कोडागामा भी इसी उद्देश्य से भारत आया था।

पर्यटन ने आज अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को पूरी दुनिया में फैला दिया है। विश्व शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नियमित सत्र में पूरे विश्व के नेता एक साथ आते हैं। वे विश्व सम्मेलनों में भी भाग लेते हैं। आर्थिक संबंध स्थापित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न देशों का दौरा करना उनके लिए एक सामान्य नियम बन गया है।

पर्यटन हमें दुनिया में सामाजिक इंसान के रूप में स्थापित करता है। ऐसा लगता है मानो यह इंसान इतनी बड़ी दुनिया में एक परिवार की सीमा पर केवल एक ग्रंथि से बंधा हुआ है।

आपके लिए: –

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तो दोस्तों ये पर्यटन का महत्व पर निबंध । हम सबको ये याद रखना होगा की पर्यटन एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है जो समृद्धि, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है। इसलिए, हमारे लिए इसे समझना और समर्थन करना महत्वपूर्ण है ताकि हम एक सशक्त और समृद्ध समाज की ओर बढ़ सकें।

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Essay on importance of tourism in hindi.

Essay on tourism in Hindi for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Most students find difficulty in writing essay on new topics but you don’t need to worry now. Read and write this essay in your own words. Learn about an essay on Tourism in Hindi 1000 words. पर्यटन का महत्त्व पर निबंध।

hindiinhindi Importance of Tourism in Hindi

Essay on Tourism in Hindi 200 Words

पर्यटन का महत्त्व – विचार – बिंदु – • पर्यटन का आनंद • पर्यटन के लाभ • पर्यटन : एक उद्योग • पर्यटन के प्रकार।

पर्यटन का अर्थ है – घूमना। बस आनंद-प्राप्ति और जिज्ञासा-पूर्ति के लिए घूमना। ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है। ऐसा पर्यटक दैनंदिन जीवन की भारी-भरकम चिंताओं से दूर होता है। वह रसपिपासु होता है। पर्यटन से हमें देश विदेश के खान-पान, रहन-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है। इससे हमारे मन में बैठे हुए कुछ अंधविश्वास टूटते हैं, पर्वधारणाएँ समाप्त होती हैं। हमें यह विश्वास होता है – विश्व-भर का मानव मूल रूप से एक है। राष्ट्रीय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है।

वर्तमान समय में पर्यटन एक उद्योग का रूप धारण कर चुका है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर आदि पर्वतीय स्थलों की अर्थ-व्यवस्था पर्यटन पर आधारित है। आज पर्यटन करना सुविधापूर्ण हो गया है। प्रायः सभी प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर होटलों, भोजनालयों, विश्रामगृहों, मनोरंजन-स्थलों यातायात के साधनों की भरमार हो गई है। पर्यटन-स्थल अनेक प्रकार के हैं। कुछ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं। कुछ धार्मिक महत्त्व के हैं। कुछ पर्यटन-स्थल ऐतिहासिक महत्त्व के हैं। जैसे-लाल किला, ताजमहल आदि। कुछ पर्यटन-स्थल वैज्ञानिक, सांस्कृतिक अन्य महत्त्व रखते हैं।

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Essay on Tourism in Hindi 800 Words

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। वास्तव में मानव की प्रगति का इतिहास उसकी जिज्ञासु प्रवृत्ति का ही परिणाम है। अपनी जिज्ञासा के कारण ही वह प्रकृति के गूढ़ रहस्यों का पता लगा सका। देश-विदेश की यात्रा की ललक के पीछे भी मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही काम करती आई है। देश-देशांतर की संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक एवं भौगोलिक विशेषताओं के प्रत्यक्ष ज्ञान की जिज्ञासा ही उसे घर के ऐशो-आराम, सुख-सुविधा छोड़कर अनजान, दुर्गम और बीहड़ रास्तों पर घुमाती रही है।

यदि मनुष्य चाहता तो वह घर बैठे ही पुस्तकों द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर लेता, किंतु पुस्तकों से प्राप्त जानकारी का आनंद कुछ ऐसा ही होता है जैसे किसी चित्र को देखकर हिमालय के घने देवदार के वनों और हिमगिरि के उत्तुंग शिखर के सौंदर्य, रूप, गंध का अनुभव करना।

पर्यटन, घुमक्कड़ी का ही आधुनिक नाम है। आज के पर्यटन के पीछे भी मनुष्य की वही पुरानी घुमक्कड़ प्रवृत्ति का प्रभाव है। आज भी जब वह देश-विदेश के विभिन्न स्थानों की खूबियों के बारे में सुनता-पढ़ता है, तो उन्हें निकट से देखने, जानने के लिए उत्सुक हो उठता है और वह अपनी सुविधा और अवसर के अनुसार उस ओर निकल पड़ता है। आदिम घुमक्कड़ और आज के पर्यटक में इतना अंतर अवश्य है कि आज पर्यटन उतना कष्ट-साध्य नहीं जितनी घुमक्कड़ी थी। ज्ञान-विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषणों की जादुई शक्ति के प्रताप से सुलभ साधनों के कारण आज पर्यटन पर निकलने के लिए अधिक सोच-विचार की आवश्यकता नहीं होती। मात्र सुविधा और संसाधन चाहिए, किंतु इतना अवश्य मानना पड़ेगा कि पर्यटक बनने का जोखिम भरा आनंद तो उन पर्यटकों को ही आया होगा जिन्होंने अभावों और विषम परिस्थितियों से जूझते हुए देश-विदेश की यात्राएँ की थीं। फाह्यान, वेनसांग, अलबेरुनी, इब्नबतूता, मार्को पोलो आदि ऐसे ही यात्री रहे होंगे।

आज पर्यटन एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। इस उद्योग के प्रसार के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं।

सारे विश्व भर में पर्यटकों की सुवधा के लिए बड़े-बड़े पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। कई महत्त्वपूर्ण, पर अब तक उपेक्षित ऐतिहासिक स्थलों को सजाया-संवारा जा रहा है। हमारे देश का पर्यटन विभाग, पुरातत्त्व विभाग के साथ मिलकर इस दिशा में विशेष तौर पर क्रियाशील है। मनोरम पहाड़ी स्थलों पर पर्यटक आवास स्थापित किए जा रहे हैं। पर्यटकों के निवास और भोजन आदि की व्यवस्था के लिए नए-नए होटलों, लॉजों और पर्यटन-गृहों का निर्माण एवं विकास किया जा रहा है। यातायात के सभी प्रकार के सुलभ एवं आवश्यक साधनों की व्यवस्था की जा रही है।

विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सभी देश अपने दूतावासों के माध्यम से अपने-अपने देश की भव्यता, दर्शनीयता के बारे में विदेशों में व्यापक एवं सुनियोजित प्रचार करते हैं। इस प्रकार पर्यटन-संस्कृति का विकास हो रहा है। इतना ही नहीं, आज पर्यटन पर्याप्त लाभ देने वाला उद्योग बन चुका है। यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक बड़ा स्रोत बन गया है। जैसे उद्योगपति या व्यापारी अपनी वस्तु की बिक्री के लिए ईश्तहारबाजी करता है, उसी तरह पर्यटन को भी एक वस्तु बनाकर उसका प्रदर्शन और प्रचार किया जा रहा है। इसके लिए रंगीन पुस्तिकाएं, आकर्षक पोस्टर, रंगदार ब्रोशर, पर्यटन स्थलों के रंगीन चित्र, उपलब्ध सुविधाओं का विस्तृत ब्योरा आदि प्रचार सामग्री विमानपत्तनों, रेलवे स्टेशनों, बड़े-बड़े होटलों और देश-विदेश के सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर देखी जा सकती हैं। इसे नि:शुल्क वितरित एवं प्रदर्शित किया जाता है।

पर्यटन के प्रति रुचि जागृत करने के लिए कई बार वृत्तचित्र भी तैयार किए या करवाए जाते हैं। इसमें किसी एक विशिष्ट स्थल की झाँकी प्रस्तुत की जाती है। विशेष स्थलों या प्रदेशों में बने कथाचित्र भी प्रदर्शन के बाद लोगों के मन में प्रदर्शित स्थल को देखने की लालसा जगा देते हैं। कई बार देश-विदेश में भ्रमण करने वाली नृत्य-संगीत आदि की मंडलियाँ भी इस कार्य में सहायक होती हैं। इन सबके परिणामस्वरूप आज पर्यटन के प्रति निश्चय ही अभिरुचि की वृद्धि हो रही है।

आनंद प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय के अतिरिक्त पर्यटन के और भी कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ हैं। पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीयता की समझ जन्म लेती है और विकसित होती है। प्रेम और मानवीय भाईचारा बढ़ता है। सभ्यता और संस्कृतियों का परिचय मिलता और बढ़ता है। पर्यटन के माध्यम से किसी देश और उसकी संस्कृति के सम्बन्ध में फैली भ्रांतियों का भी निराकरण हो जाता है। आज हम अंतर्राष्ट्रीय युग में जी रहे हैं। आज जिस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है, पर्यटन उसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

पर्यटन से व्यक्ति अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है, उसे अपनी वास्तविकता का अहसास होता है। अपने पर्यावरण से बाहर कठिन परिस्थितियों में जीने का अभ्यास होता है। आत्म-साक्षात्कार का अवसर मिलता है। पर्यटन उस एकरसता से उत्पन्न ऊब का भी परिहार करता है जो एक ही स्थान पर, एक जैसे ही वातावरण में लगातार रहने से उत्पन्न हो जाती है। पर्यटन मनुष्य को उसकी कल्पना की दुनिया से निकालकर यथार्थ की भूमि से जोड़ता है।

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Essay on Tourism in Hindi 1000 Words

पर्यटन व्यवसाय

पर्यटन आदिकाल से ही मनुष्यों का स्वभाव रहा है। घूमना-फिरना भी मनुष्य के जीवन को आनन्द और मस्ती से भर देता है। इसका पता लोगों ने बहुत पहले ही लगा लिया था। पहले लोग पैदल चलकर या समुद्र मार्ग से लम्बी-लम्बी दूरियां तय कर अपने भ्रमण के शौक को पूरा करते थे। कुछ लोग ऊंटों, घोड़ों आदि पर चढ़कर समूह यात्रा करते थे, हालांकि ऐसी कई यात्राएं व्यापार के उद्देश्य से भी की जाती थीं। परन्तु ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी जो यात्रा तो व्यापार, शिक्षा प्राप्ति या राजा के दूत बनकर करते थे परन्तु उनकी यात्रा ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण बन जाती थी। ये लोग दूसरे देश की संस्कृति का अध्ययन कर अपने अनुभवों को ग्रंथ रूप में लिख देते थे।

जहाँ तक भारत के लोगों की बात है, हमारे यहां धार्मिक दृष्टि से की गई यात्राओं की बड़ी महत्ता रही है। यहां के लोग धर्म स्थानों की यात्रा को बहुत महत्त्व देते रहे हैं। आदि शंकराचार्य ने अल्प आयु में ही पूरे देश का भ्रमण कर देश के चारों कोनों में चार धर्मपीठों की स्थापना की। इन धर्मपीठों की व्यवस्था आज भी कायम है। सम्राट् अशोक ने बुद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपने विभिन्न दूत एशियाई देशों में भेजे। उनका यह धार्मिक अभियान इतिहास में काफी सफल माना गया। परन्तु मध्य युग में स्थिति में काफी बदलाव आ गया। भारतीय लोगों में यह भ्रांत धारणा उत्पन्न हो गई कि समुद्र लांघ कर की गई यात्रा से धर्म भ्रष्ट हो जाता है। अत: किसी भी भारतीय की समुद्रपारीय यात्रा का वर्णन नहीं मिलता।

आधुनिक युग में पर्यटन सम्बन्धी सभी भ्रांतियां समाप्त होने तथा आवागमन के साधनों के क्षेत्र में आए भारी बदलावों के कारण पर्यटन एक व्यवसाय के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। विभिन्न देशों के लोग दुनिया के अन्य देशों में जाकर वहां की सभ्यता और संस्कृति को निकट से देखने-समझने का प्रयास करते हैं। अनेक लोग देश के प्रमुख स्थलों की यात्रा कर देश के पर्यटन व्यवसाय को उन्नत करने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक युग में पर्यटन को एक व्यवसाय का रूप देने में लोगों की बढ़ती आर्थिक समृद्धि का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है। पर्यटन में अच्छा खासा धन व्यय होता है। अत: धनी और उच्च मध्यवर्गीय श्रेणी के लोग ही प्रमुख रूप से पर्यटन में दिलचस्पी दिखाते हैं। इन्हीं साधन-सम्पन्न लोगों की बदौलत दुनिया का पर्यटन व्यवसाय टिका हुआ है।

भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं परन्तु दुर्भाग्यवश इन संभावनाओ का भरपूर दोहन नहीं हो पाया है। हमारा देश बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक देश है। यहां पर पर्यटन स्थलों की भी भरमार है परन्तु दुनिया भर के पर्यटन व्यवसाय में से भारत का हिस्सा नगण्य ही कहा जा सकता है। थाईलैंड जैसा छोटा सा एशियाई देश हमारी तुलना में कई गुणा अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर पाने में सक्षम है। पर्यटन की दृष्टि से हमारे पिछड़ेपन के कई कारण हैं, जिसमें से प्रमुख कारण है – पर्यटकों को आकर्षित करने वाली सुविधाओं का अभाव।

पर्यटक स्थलों को साफ-सुथरा रखना, पर्यटन स्थलों तक पहुंच को आकर्षक बनाना, लोगों के निवास, भोजन आदि की उत्तम व्यवस्था करना, पर्यटन स्थलों को मनोरंजन से भरपूर बनाना, सड़क और संचार व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखना, लोगों को आकर्षित करने के लिए प्रचार करना आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें व्यावहारिक रूप देकर ही देश के पर्यटन उद्योग को विकसित किया जा सकता है।

हमारी खस्ताहालत सड़कें, ट्रेनों में शीघ्र आरक्षण न मिलना, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी आदि पर्यटन व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। दूसरी ओर कश्मीर, आसाम तथा अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में व्याप्त हिंमा देश के पर्यटन के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो रही है। देश में ऐतिहासिक स्थल बहुत है परन्तु आस-पास का क्षेत्र प्रदूषण और गंदगी की चपेट में है। देश की राजधानी दिल्ली को ही लें। लाल किले तथा जामा मस्जिद का क्षेत्र, बाजार और संकीर्ण गलियों के कारण आकर्षण से विहीन बना हुआ है जबकि इस क्षेत्र को दिल्ली का हृदयस्थल कहा जाता है। विश्व की आश्चर्यजनक एवं अलौकिक इमारत ताजमहल की भी घोर अपेक्षा की गई है। आगरा देश के सर्वाधिक गंदे शहरों में से एक है तो हम कैसे आशा कर सकते हैं कि देश का पर्यटन व्यवसाय दिन-दुगनी रात चौगुनी उन्नति करे। ये तो कुछेक प्रमाण भर हैं, पूरे देश में पर्यटन स्थलों की यही स्थिति है।

यदि देश के पर्यटन को सचमुच बढ़ावा देना है तो हमें इसके लिए ठोस उपाय करने होंगे। इस क्षेत्र में निजी सैक्टर को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है क्योंकि केवल सरकारी प्रयास कारगर नहीं हो सकते। सरकारी योजनाओं को बनाने तथा उसे क्रियान्वित करने में भ्रष्टाचार आदि कई कारणों से लम्बा समय लग जाता है। जो पर्यटन उद्योग की वृद्धि को रोक देता है। यह शुभ लक्ष्ण है कि अब सरकार वस्तु स्थिति को समझ कर हर क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। यदि सही दिश में प्रयास किए जाएं तो अगले पाँच वर्षों में ही भारत में पर्यटन व्यवसाय के विकसित होने से देश को बेशकीमती विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी तथा भुगतान संतुलन की स्थिति को सुधारने में बहुत मदद मिलेगी।

भारतीय पर्यटन उद्योग को विकसित करने में एक बड़ी बाधा को वर्तमान में दिखाई दे रही है – वह है आतंकवाद। आतंकवाद भारत के सभी प्रमुख स्थानों में अपनी जड़ें जमा चुका है। काश्मीर में पर्यटन उद्योग आतंक के साए में दम तोड़ चुका है। जबकि इस स्थान को धरती के स्वर्ग के नाम से संबोधित किया जाता रहा है।

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भारत में पर्यटन का महत्व। (Importance of Tourism in India in Hindi.)

राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, हमारा देश भारत सदियों से संस्कृतियों, परम्पराओं, कला, त्यौहारों, रंगों और आस्थाओं का एक ऐसा अद्भुद संगम है, जो की पुरे विश्व में और कहीं नहीं है, जिसे भारत ने बहुत सिद्दत से संभाल कर अपने ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल करके रखा है, जहाँ हम भारत की उन मूर्त और अमूर्त सम्पतियों को देख सकतें हैं, जिससे भारत पुरे विश्व में विख्यात है। इसी विख्यातता के कारण “भारत में पर्यटन का महत्व (Bharat mein Paryatan ka Mahatva)” एक अहम् भूमिका निभाती है, जिसके बारे में आज हम चर्चा करेंगे।

Bharat mein Paryatan प्रणाली पुरे विश्व में सबसे अलग मानी जाती है क्यूंकि अतीत में भारत पर विभिन्न सभ्यताओं का वास था, अनेको शासकों द्वारा यहाँ अपना शासन किया गया और जहाँ विश्व के बड़े-बड़े शासक भारत को विजय करना चाहतें थें, भारत को अपना राज्य बनाना चाहतें थें क्यूंकि हमारा भारत सोने की चिड़ियाँ कहलाता था। इसलिए अतीत की सारे कारनामों की छवि आज भी भारत में जीवित है, जिसे पर्यटक दूर-दूर से देखने आतें हैं और साथ ही प्रकृति की सभी ऋतुएँ पुरे विश्व में केवल अपनी छठा भारत में बिखेरतीं हैं, जिसकी खूबसूरती का व्याख्यान मैं अपने शब्दों से नहीं कर सकता।

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भारत में पर्यटन का महत्व।

Bharat mein Paryatan का विस्तार हम आज के समय में बड़े स्तर पर देख सकतें हैं, पर्यटन भारत की अर्थव्यवस्था में अपनी बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, जिसके कारण पर्यटन भारत में एक बड़ा उद्योग बनकर खड़ा है। भारतीय पर्यटन अर्थव्यवस्था के राजस्व में वृद्धि करता है, देश की बुनियादी ढांचों को विकसित करता है, हज़ारों नौकरियों के अवसर प्रदान करता है, विदेशियों और नागरिकों के बिच संस्कृतियों एवं भाषाओं का आदान-प्रदान करता है और भारत की नई पीढ़ियों को अपने इतिहास के बारे में बतलाता है।

भारत पुरे विश्व में ऐसा छठा देश बन चूका है, जो की ‘ यूनेस्को की 40 विश्व धरोहर स्थलों ‘ की सूची में शामिल हो चूका है और पर्यटन को बढ़ावा देने में यूनेस्को द्वारा निर्धारित विश्व धरोहर भारत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्यूंकि विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र यह विश्व धरोहर ही होतें हैं। भारत में कुल 40 विश्व धरोहरों में जिसे यूनेस्को द्वारा निर्धारित किया जाता है, उसमे 32 सांस्कृतिक विरासत स्थल, 7 प्राकृतिक विरासत स्थल और 1 मिश्रित विरासत स्थल है।

पर्यटन किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि कई गुना बढ़ाने की क्षमता रखता है और यहाँ तक की कितने ऐसे देश हैं जिनका मुख्य आय का कारण ही पर्यटन उद्योग है। भारतीय पर्यटन उद्योग ने 2020 में देश के सकल घरेलु उत्पाद में 121.9 बिलियन डॉलर का योगदान दिया था और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की वर्ष 2028 तक पर्यटन उद्योग भारत के सकल घरेलु उत्पाद में 512 बिलियन डॉलर का योगदान देगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को पर्यटन के क्षेत्र से बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार से लाभ देखने को मिलता है, जैसे:- 

  • पर्यटन के क्षेत्र में विकास होने से देश में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखने को मिलती है जिसके कारण सरकार के राजस्व और विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होती है क्यूंकि भारत में सालाना 10 मिलियन से भी अधिक पर्यटक हमारे देश में विदेशों से आतें हैं, जिनके आने से वह अपने पैसों को हमारे देश में खर्च करतें हैं, जिसके कारण अप्रत्यक्ष रूप से भारत का विदेशी मुद्रा भण्डार में भी बढ़ोतरी होती है।
  • नौकरी के अवसर उत्पन्न होतें हैं और सेवा प्रदान करने वाले क्षेत्रों में भी तेजी देखने को मिलती है क्यूंकि पर्यटकों को गाइड की आवश्यकता होती है, रोजगार के बहुत से अवसर सामने निकल कर आतें हैं और सेवा क्षेत्र में होटल वालों, ट्रांसपोर्ट वालों और एयरलाइन्स की मांग बढ़ जाती है।
  • पर्यटक अपने साथ अपनी देश की संस्कृति साथ लेकर आतें हैं, इसलिए हमे भी उनकी संस्कृतियों को समझना पड़ता है, जिसके कारण विदेशी संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता है और साथ-ही-साथ वह भी हमारे देश में उत्साह के साथ हमारी भी संस्कृतियों को अपनाकर जातें हैं।
  • जब हमारे देश की धरोहरों, इमारतों, संस्कृतियों, कलाओं को वैश्विक स्तर पर महत्ता दी जाने लगती है तो सरकार को भी उन राष्ट्रिय धरोहरों, प्रकृति और पर्यावरण का विशेष स्तर पर संरक्षण करना पड़ता है, जिससे उसकी वैश्विक प्रसिद्धि कम ना हो जाए।
  • बुनयादी ढांचों का बड़े स्तर पर विकास किया जाता है, पर्यटन स्थलों को सरकार के द्वारा बढ़ावा दिया जाता है , उन स्थलों को आकर्षित बनाया जाता है और साथ ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि यात्रियों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े एवं अनेक पर्यटन स्थलों पर बहुउपयोगी अवसंरचना विकसित की जाती है, जिससे पर्यटन स्थलों को यात्री के सुगम बनाया जा सके।
  • पर्यटन विश्व स्तर पर सॉफ्ट पावर की भावना विकसित करता है क्यूंकि सॉफ्ट पावर के रूप में पर्यटन, सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में मदद करता है, आपस में लोगों का तालमेल बढ़ता है और इस तरह भारत और अन्य देशों के बीच सम्बन्ध और सहयोग और मजबूत हो जातें हैं।
  • कई ऑनलाइन रचनाकारों के लिए पर्यटन आय का स्रोत बन जाता क्यूंकि कई ऑनलाइन मीडिया के स्त्रोत (यु ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम) का उपयोग रचनाकारों के द्वारा ‘पर्यटक व्लॉगस’ (घुमन्तु) बनाकर किया जाता है, जिससे उनकी आमदनी भी होती है और दूसरे पर्यटकों को इससे मदद भी मिलती है।

भारत पर्यटन के मामले में ‘वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक’ के अनुसार, 2021 में कुल 117 देशों में से भारत का 54वां स्थान है, जो 2019 से नीचे है, जहां भारत का 46वां स्थान था और गिरावट के पीछे का कारण कोविद -19 महामारी का प्रभाव था, लेकिन दक्षिण एशिया में भारत अभी भी शीर्ष पर है। वैश्विक स्तर पर पर्यटन के महत्व और हमारे समाज पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल ’27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में उल्लिखित वैश्विक चुनौतियों के बारे में जागरूकता फैलाने और पर्यटन उद्योग द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को रेखांकित करने के लिए भी मनाया जाता है।

और पढ़ें:- भारत में बाल यौन शोषण।

भारत में पर्यटन के विभिन्न प्रकार।

पर्यटन का तात्पर्य केवल घूमने से नहीं होता है बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में ऐसे बहुत से कारण भी होतें हैं जिसके लिए किसी व्यक्ति को एक पर्यटक बनकर घूमना पड़ता है, जैसे:-

  • बेहतर स्वास्थ्य जांच के लिए पर्यटन-> ऐसे लोग, जो की अपने बेहतर स्वास्थ्य के जांच के लिए एक स्थान से दूसरी स्थान पर यात्रा करतें हैं। भारत में भी दक्षिण एशिया और भी कई देशों से लोग अपने लिए अच्छी स्वास्थ्य सेवा पाने के उदेश्य से आतें हैं। 
  • अध्ययन के उद्देश्य के लिए पर्यटन-> ऐतिहासिक समय में भारत से कई ऐसे दिग्गज अपनी अध्यन पूरी करने के लिए यहाँ आया करते थें और यह चलन आज भी कायम है क्यूंकि कई ऐसे छात्र अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत आतें हैं और कई ऐसे छात्र भारत से दूसरे देशों में भी जातें हैं, जिसे पर्यटन के क्षेत्र में शामिल किया जाता है। 
  • व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पर्यटन-> कई ऐसे लोग हैं, जो की अच्छी तनख्वाह, अच्छी नौकरी, अच्छा जीवन स्तर और व्यवसाय में अच्छी लाभ प्राप्त करने के लिए एक स्थान से दूसरी स्थान पर यात्रा करतें हैं। 

और पढ़ें:- भारत में जीवन शैली रोग का प्रचलन।

भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजना।

भारत अपने पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ऐसी बहुत सी गतिविधियों और कार्यक्रमों पर काम कर रहा है जिससे पर्यटकों को सहूलियत मिल सके। पर्यटन उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके कारण सरकार भारत में पर्यटन व्यवस्था प्रणाली को प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए विभिन्न प्रकार के योजनाएँ लेकर आ रही है, जैसे:-

  • 13 सर्किट्स हैं: भारत का नार्थ-ईस्ट सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, हिमालयन सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, ट्राइबल सर्किट, इको सर्किट, वाइल्डलाइफ सर्किट, रूरल सर्किट, स्पिरिचुअल सर्किट, रामायण सर्किट, हेरिटेज सर्किट।
  • तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन (प्रसाद) स्कीम-> यह योजना भी भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी है, जिसका उद्देश्य संपूर्ण धार्मिक पर्यटन में अनुभव प्रदान करने के लिए तीर्थ स्थलों के एकीकृत विकास को प्राथमिकता, नियोजित और टिकाऊ तरीके से विकास करना है।
  • ‘देखो अपना देश’-> यह कार्यक्रम भारत सरकार के द्वारा 2019 में ‘पर्यटन पर्व’ के अन्तर्निहित लांच की गयी थी, जिसका मुख्य उदेश्य पर्यटन के लाभ पर लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्हें विभिन्न पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करना, इसका उदेश्य ‘सभी के लिए पर्यटन’ को फैलाना था।
  • अतुल्य भारत वेबसाइट-> यह वेबसाइट का मुख्य उदेश्य भारत के पर्यटन को बढ़ावा देना और साथ ही पर्यटकों को देश के विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करना, जिससे उनकी रूचि भारत के पर्यटन क्षेत्र में बढे।
  • भारत के द्वारा पर्यटकों को इ-वीजा लांच करना-> गृह मंत्रालय के द्वारा विदेशी पर्यटकों की यात्रा को भारत में आसान बनाने के लिए ‘इ-वीजा’ का अनावरण किया गया, जहाँ पर्यटक को भारत में किसी भी प्रकार के पर्यटन में कोई दिक्कत नहीं आएगी और ऐसा करने से Bharat mein Paryatan क्षेत्र को बड़ी मात्रा में बढ़ावा मिलेगा।    

विभिन्न अभिनेताओं और प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा केंद्र और राज्य सरकारें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापन का सहारा लेतें हैं, जिसका प्रभाव पर्यटन क्षेत्र में बखूबी देखा जा सकता है।

और पढ़ें:- बाल भिक्षावृति की भारतीय परिदृश्य।

भारत में पर्यटन के क्षेत्र में सरकार के सामने चुनौतियां।

Bharat mein Paryatan को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं लेकिन कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जिसपर सरकारों को ध्यान देना होगा, जिसपर काम करके सरकार भारत में पर्यटकों की संख्या को और बढ़ा सकती हैं और साथ ही वैश्विक यात्रा और पर्यटन सूचकांक में अपनी स्थान को बेहतर कर सकती है, जैसे:-

  • सरकार को पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए क्यूंकि आज भी भारत में कई जगह विदेशी पर्यटकों के साथ बदसलूकी की जाती है, विदेशी लड़कियों के साथ छेड़खानी के मामले सामने आतें हैं, उनकी सामान चोरी कर ली जाती है, इन सबसे भी भारत की छवि दूसरे देशों में ख़राब होती है। 
  • बहुत से पर्यटकों को भारत में वस्तुएँ खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्यूंकि भारत में र्अंतरराष्ट्रीय कार्ड की स्वीकृति नहीं है, जिसके कारण विदेशी पर्यटक मुक्त रूप से खर्च नहीं कर पातें हैं क्यूंकि भारतीय बाजार उनके लिए सुगम नहीं है।
  • भारत सरकार पर्यटकों के साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए भारतीय निवासियों को प्रेरित करें, जागरूकता फैलाए की हमारे देश में बाहर से आया हुआ कोई भी पर्यटक हमारे लिए अतिथि समान है। 
  • सरकार को पर्यटकों के लिए अनुकूल बुनियादी ढांचे का विकास करना चाहिए क्यूंकि भारत में पर्यटकों को अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे अपर्याप्त सड़कें, पानी, सीवर, होटल और दूरसंचार साथ ही पर्यटन स्थलों पर पेयजल, सुव्यवस्थित शौचालय, प्राथमिक उपचार, कैफेटेरिया आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
  • सरकार अपने देश में अन्य प्रकार के पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा देना चाहिए जैसे; चिकित्सा पर्यटन, साहसिक पर्यटन, अध्यन पर्यटन और व्यवसाय पर्यटन।

भारत और भारतीय हमेशा से ‘अतिथि देवो भवः’ के इस सुन्दर से संस्कृति को मानते आएं हैं, जिसके कारण हमारे भारतीय संस्कृति की अतिथि सत्कार विष्वविख्यात है और भारत में आया हुआ हर पर्यटक देश के लिए अतिथि समान ही है इसलिए दुनिया का हर नागरिक एक बार भारत में पर्यटक बनकर जरूर आना चाहता है, भारतीय संस्कृति की पर्यटन स्थल पर्यटकों को एक अलग ही एहसाँस का अनुभव करवाती है।

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पर्यटन का महत्व पर निबंध | Essay on Importance Of Tourism In Hindi

पर्यटन का महत्व पर निबंध essay on importance tourism in hindi.

पर्यटन का महत्व पर निबंध Essay on Importance Of Tourism In Hindi

भारत में पर्यटन पर निबंध हिंदी में चिड़ियाघर की सैर पर निबंध सर्दियों की छुट्टी पर निबंध अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध

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पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi

Essay O n Paryatan Parv In Hindi  दोस्तों आज के आर्टिकल में आपका हार्दिक स्वागत है आज हम पर्यटन पर्व का एक निबंध बता रहे हैं.

जीवन में पर्यटन का महत्व आदि पर आधारित यहाँ पर्यटन पर्व निबंध दिया गया हैं.

पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi

हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी मनुष्य की उन्नति, सुख सम्रद्धि तथा शान्ति व संतुष्टि के लिए पर्यटन को महत्वपूर्ण माना गया हैं, भारतीय ऋषि मनीषियों ने भी इसके महत्व को उद्घाटित करते हुए कहा था कि पर्यटन के बिना मनुष्य अंधकार का प्रेमी ही बनकर रह जाएगा.

व्यक्ति पर्यटन के माध्यम से अपने जीवन को सरल सहज एवं साधन सम्पन्न बनाते हैं. अन्धकारे भरे जीवन में मानव प्रकाश की भांति ज्ञान की तलाश के लिए पर्यटन करता हैं.

आज आर्थिक रूप से इसके महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता, अधिक तर देशों की अर्थव्यवस्था में टूरिस्म का बड़ा योगदान हैं. पर्यटन के इसी महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यटन संघ की स्थापना की हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 27 सितंबर 1980 को पर्यटन दिवस मनाने का निर्णय किया गया. हर वर्ष 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन पर्व मनाया जाता हैं. प्रत्येक देश अपने यहाँ पर्यटकों के अवसर पैदा करने के यत्न में लगे हुए हैं.

घरेलू पर्यटन , इनबॉउंड पर्यटन , आउटबाउंड पर्यटन ये तीन प्रकार के पर्यटन होते हैं इनके सम्बन्ध में आगंतुकों की जानकारी व मुख्य टूरिस्ट प्लेस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी UNO का पर्यटन संगठन जारी करता हैं.

Paryatan Parv Essay In Hindi

हमारे देश मे प्रत्येक राज्य में पर्यटन पर्व को धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है और इस दिन विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है ताकि इंडिया में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

पर्यटन पर्व के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत डांस और सिंगिंग का प्रोग्राम रखा जाता है साथ ही विभिन्न प्रकार की झांकियां भी लगाई जाती हैं जिसे देखने के लिए लोग इकट्ठा होते हैं।

भारत के राजस्थान राज्य में इस दिन राजस्थान गवर्नमेंट के द्वारा पर्यटन स्थल को वैश्विक मंच पर रखा जाता है ताकि राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बारे में भारत के लोगों के साथ साथ समस्त विश्व को भी जानकारी हो।

परिणामस्वरूप अधिक से अधिक देशी और विदेशी सैलानी राजस्थान के पर्यटन स्थल को घूमने के लिए आएं ताकि राजस्थान के इतिहास के बारे में लोगों को पता चले साथ ही लोकल लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो।

पर्यटन पर्व को मनाने का उद्देश्य यह है कि इंडिया में जो प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, उन पर दुनिया की नजर पड़े और दुनिया के सैलानी उन पर्यटन स्थल को घूमने आए जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले और भारत की जीडीपी में भी बढ़ोतरी हो।

हमारे इंडिया में पर्यटन स्थल की कोई भी कमी नहीं है। इंडिया में विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थल है जैसे कि वैष्णो देवी,अमरनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी,मेहंदीपुर बालाजी, शिरडी साई संस्थान, उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर, कामाख्या मंदिर, मां पीतांबरा शक्ति पीठ। 

भारत के इन धार्मिक पर्यटन स्थल पर हर रोज हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए और घूमने आते हैं और जीवन का आनंद उठाते हैं।

इसके अलावा भारत के बर्फीले इलाके में भी घूमने के लिए विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थल मौजूद है जहां पर गर्मियों के मौसम में भारी मात्रा में सैलानी आते हैं।

इंसान को अपनी जिंदगी में खुशियां भरने के लिए और अकेलेपन को खत्म करने के लिए साल में एक या फिर 2 बार किसी ना किसी पर्यटन स्थल पर घूमने अवश्य जाना चाहिए। ऐसा करने से दिमाग भी फ्रेश होता है और हमें खुशी भी प्राप्त होती है।

इंसान के काम करने की एक लिमिट होती है और जब वह उस लिमिट को क्रॉस कर जाता है तो उसे बोरियत महसूस होने लगती है। 

ऐसे में वह अपने आप को फ्रेश करने के लिए और अपने मन को बहलाने के लिए घूमने जाने का विचार बनाता है जिसमें कभी-कभी वह अकेले तो कभी-कभी अपने परिवार के साथ देश/विदेश में स्थित पर्यटन स्थल को घूमने के लिए जाता है। 

जिससे उन्हें कुछ पल जिंदगी के खुल कर के जीने का मौका मिलता है साथ ही उन्हें विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थलों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है।

पर्यटन के महत्व पर निबंध essay on importance of tourism in hindi

अनंत काल से मानव पर्यटन प्रिय रहा हैं. उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना व घूमना पसंद रहा हैं. खाली समय के सदुपयोग व जीवन में आनन्द के पलों की अनुभूति के लिए करोड़ों लोग हर वर्ष देश विदेश की यात्रा करते हैं. पुरा काल में लोग पैदल चलकर अथवा समुद्री यात्राओं के माध्यम से समुद्र पार देशों की यात्राएं थे.

उस समय की यात्राएं साहसिक हुआ करती थी, न तो अधिक आवागमन के अधिक साधन थे और ना ही सुरक्षा के कोई ख़ास प्रबंध हुआ करते थे. लोग ऊंट, हाथी, घोड़ों आदि की मदद से अपनी यात्राओं को सुगम बनाया करते थे.

प्राचीन समय की इन यात्राओं के दो मुख्य उद्देश्य हुआ करते थे पहला शिक्षा अथवा व्यापार, दूसरा शासन सम्बन्धी जिसमें एक राजा दूसरे राज्य के साथ अपने सम्बन्ध स्थापित करने के लिए दूत भेजा करते थे.

आज के समय में हमारे प्राचीन इतिहास को समझने में विदेशी पर्यटकों ने बड़ी मदद की हैं, जिन्होंने अपने यात्रा वृतांत में उस समय की राजनैतिक, सामाजिक आर्थिक स्थिति के बारे में अपनी पुस्तकों में विस्तृत वर्णन दिया हैं.

मौर्यकालीन भारत के इतिहास को जानने में मेगस्थनीज की इंडिका तथा ह्वेंसग आदि की रचनाओं का अहम योगदान रहा हैं.

हवेनसांग, क्रिस्टोफर कोलंबस इत्यादि विदेशी पर्यटकों की रचनाएं काफी विख्यात रही हैं. भारत के लोग भी एक स्थान से दूसरे स्थान धार्मिक यात्राएं किया करते थे.

प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा भी पर्यटन का एक अहम स्तम्भ रहा हैं. आदि शंकराचार्य ने इसी तरह भारत की यात्रा कर चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी.

प्राचीन समय के पर्यटन में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका थी. हिन्दू संतों ने देश के आंतरिक भागों में भ्रमण किया तथा जन जन तक धर्म का सही ज्ञान पहुंचाया,

वही अशोक आदि शासकों ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई देशों में अपने दूत भेजे, ईसाई व मुस्लिम मजहब के धर्मगुरुओं ने भी भिन्न भिन्न स्थलों की यात्रा कर अपने मत मजहब का प्रचार प्रसार किया.

भारत में एक ऐसा दौर भी आया जब समुद्र पार की यात्राओं को धर्म विरुद्ध माना जाता था. कहते है कि उस समय समाज में यह धारणा व्याप्त थी कि समुद्री यात्राओं से धर्म भ्रष्ट हो जाता हैं.

शायद यही वजह रही है जिसके चलते हम भारतीय यात्रियों के विदेशी यात्रा वृतांत नहीं मिलते हैं. धीरे धीरे समाज में इस तरह की भ्रांतियां खत्म हो गई आवागमन के साधनों के विकास के साथ ही भारतीयों ने भी बढ़ चढ़कर पर्यटन में भागीदार बने.

पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi – paryatan parv par nibandh

आज व्यक्ति को कहीं भी सुख चैन नसीब नहीं हो रहा हैं हर कोई अपनी अपनी समस्याओं का रौना रोता नजर आता हैं ऐसे तनाव भरे दैनिक माहौल में हर कोई चाहता है थोडा वक्त वह अपनी खुशियों को भी जगाने में लगाए एक दूसरे अच्छे स्थलों का भ्रमण करे.

वैश्विक स्तर पर 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन पर्व अथवा दिवस मनाने का उद्देश्य भी यही है कि लोग बाग़ अपने घरों से निकले पर्यटन के लिए जाए.

पर्यटन के अपने व्यक्तिगत फायदे तो है ही मगर यह देशों के आर्थिक सामजिक व धार्मिक कल्चर को भी सम्रद्ध बनता हैं. आर्थिक दृष्टि से आज हर राष्ट्र सशक्त होना चाहता है ऐसे में पर्यटन का क्षेत्र राष्ट्र व समाज की तरक्की में अहम योगदान दे सकता हैं.

कई देश ऐसे है जिनकी अर्थव्यवस्था का मूल आधार पर्यटन ही हैं. हमारे भारत देश की इकोनोमी में भी टूरिज्म का अहम योगदान हैं. बदलते वैश्विक परिदृश्य में हमें अपने पर्यटन स्थलों को और अधिक आकर्षक बनाने पर ध्यान देना होगा, साथ ही साथी देशों के नागरिकों को भी यहाँ आने के लिए आमंत्रित करने की आवश्यकता हैं.

50 के दशक के बाद पर्यटन ने एक बड़े उद्योग के रूप में अपना स्थान बनाया हैं इसके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1980 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाने का निश्चय किया था तथा इसके लिए 27 सितम्बर का दिन चुना गया था,

इस दिन को चुनने का कारण यह था कि वर्ष 1970 में इसी दिन विश्व समुदाय ने विश्व पर्यटन संगठन के संविधान को अंगीकार किया था.

विश्व समुदाय के एक बड़े समूह के लिए पर्यटन आकर्षण का विषय रहा हैं. धार्मिक स्थल, मनोरम प्राकृतिक दृश्य, विश्व अचरज तथा ऐतिहासिक स्थलों की तरफ लोगों का अधिक रुझान देखा गया हैं.

जल तथा जलीय स्रोतों यथा नदियों, तालाबो, झीलों, सागरों के किनारे अच्छे दर्शनीय स्थलों का निर्माण अधिक हुआ हैं भारत में ही ऐसे दर्जनों स्थल है चाहे ताजमहल का नाम ले ले या अमरनाथ जी या कुम्भ इन सभी मे समानताएं हैं.

विश्व पर्यटन पर्व को मनाने का उद्देश्य यह है कि विश्व समुदाय को पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों से अवगत कराया जाए.

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भारत में पर्यटन क्षेत्र का भविष्य

  • 29 Sep 2022
  • 12 min read
  • सामान्य अध्ययन-I
  • भारतीय वास्तुकला
  • मंदिर वास्तुकला
  • गुफा वास्तुकला
  • रॉक कट वास्तुकला

यह एडिटोरियल 27/09/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Pitching India as a signature destination” लेख पर आधारित है। इसमें हाल में जारी ‘धर्मशाला घोषणा-पत्र’ और भारत में पर्यटन क्षेत्र के भविष्य के बारे में चर्चा की गई है।

पर्यटन का आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में उभार हुआ है। यह सबसे तेज़ी से आगे बढ़ते आर्थिक क्षेत्रों में से एक है और इसका व्यापार, रोज़गार सृजन, निवेश, अवसंरचना विकास एवं सामाजिक समावेशन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

  • पर्यटन कोविड-19 महामारी से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र रहा है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UN World Tourism Organisation- UNWTO) के अनुसार वर्ष 1950 में रिकॉर्ड रखे जाने के आरंभ बाद से यह अब तक का सबसे गंभीर संकट रहा है जिसका सामना अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को करना पड़ा है।
  • कोविड-19 से गुज़रने के बाद भारत में पर्यटन क्षेत्र के लिये सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखते हुए पहले की तरह की गतिविधियों को बहाल करना एक बड़ी चुनौती है। यह संकट ऐसे संकटों के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करने और पर्यटन भविष्य की पुनर्कल्पना करने के साथ ही सरकार के सभी स्तरों और निजी क्षेत्र में समन्वित कार्रवाई करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की स्थिति

  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (World Travel and Tourism Council) की वर्ष 2021 की रिपोर्ट में विश्व सकल घरेलू उत्पाद में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 10वें स्थान पर रखा गया है।
  • वर्ष 2021 तक की स्थिति के अनुसार, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भारत के 40 स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) सूचीबद्ध हैं।
  • धोलावीरा और रामप्पा मंदिर इस सूची में शामिल नवीनतम स्थल/स्मारक हैं।
  • वित्त वर्ष 2020 में पर्यटन क्षेत्र में कुल 39 मिलियन रोज़गार अवसर सृजित हुए जो देश के 8% रोज़गार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्ष 2029 तक यह 53 मिलियन नौकरियों के लिये उत्तरदायी होगा।

भारत में पर्यटन से संबंधित हाल की प्रमुख पहलें

  • स्वदेश दर्शन योजना
  • राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022 का मसौदा
  • देखो अपना देश पहल
  • राष्ट्रीय हरित पर्यटन मिशन

भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

  • बहुभाषी प्रशिक्षित गाइडों की सीमित संख्या और स्थानीय लोगों में पर्यटन से जुड़े लाभों एवं ज़िम्मेदारियों की अपर्याप्त समझ के कारण इस क्षेत्र का विकास बाधित रहा है।
  • उदाहरण के लिये पूर्वोत्तर भारत की आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद देश के बाकी हिस्सों के साथ कनेक्टिविटी की कमी के साथ ही बुनियादी ढाँचे और आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण यह देश में घरेलू या अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के यात्रा कार्यक्रमों में जगह पाने से प्रायः वंचित रह जाता है।
  • असंवहनीय पर्यटन स्थानीय भूमि उपयोग को भी प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा के कटाव, प्रदूषण में वृद्धि और लुप्तप्राय प्रजातियों के प्राकृतिक पर्यावासों की क्षति जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
  • विदेशी पर्यटकों, विशेषकर महिला पर्यटकों पर हमलों जैसी घटनाओं से सुरक्षा संबंधी चिंता बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि विश्व आर्थिक मंच सूचकांक (WEF Index 2017) में सुरक्षा के मामले में भारत को 114वें स्थान पर रखा गया। 
  • भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए व्यंजन पर्यटन (Cuisine Tourism) की एक बेजोड़ विविधता भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाने और विदेशी राजस्व को आकर्षित करने का एक माध्यम बन सकती है।
  • हाल में जारी धर्मशाला घोषणा-पत्र (Dharamshala Declaration) सही दिशा में बढ़ाया गया कदम है, जिसका उद्देश्य वैश्विक पर्यटन को समर्थन देने और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने में भारत की क्षमता को साकार करना है।
  • उत्तरदायी, समावेशी, हरित और आतिथेय पर्यटन (Responsible, Inclusive, Green and Hospitable Tourism- RIGHT): बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पर्यटन प्रबंधन से संलग्न सभी हितधारकों के लिये विनियमनों का एक समग्र और साझा ढाँचा होना चाहिये।
  • दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित समाज के हाशिए पर स्थित वर्गों के लिये अवसर पैदा कर पर्यटन के समावेशी विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • इसके साथ ही, गौतम से लेकर गांधी तक, हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के साथ और अपने साधनों के दायरे में सामंजस्य बिठाने के महत्त्व पर बल दिया है।
  • प्राकृतिक पारितंत्र में न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ हरित पर्यटन (Green Tourism) को बढ़ावा देना और संवहनीय अवसंरचना को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है ताकि आत्मीय आतिथ्य को संपोषण मिल सके।
  • इसके बाद फिर इन स्थानों का मानचित्रण करने और सोशल मीडिया के माध्यम से उनका प्रचार करने के लिये एक डिजिटल एकीकृत प्रणाली का विकास किया जा सकता है जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मूल तत्व का संवर्द्धन करेगा।
  • इसके साथ ही, वर्तमान और भविष्य के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए आगंतुकों, उद्योग, पर्यावरण और मेजबान समुदायों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये पर्यटन नियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाना चाहिये।
  • एक राज्य एक पर्यटन शुभंकर (One State One Tourism Mascot): राज्य के पशुओं को, विशेष रूप से बच्चों के बीच पर्यटन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये, एक अभिनव उपकरण के रूप में विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभागों हेतु एक विज्ञापन शुभंकर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • भारत के पास विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत करते हुए ‘अतिथि देवो भव’ के अपने सदियों पुराने आदर्श को प्रकटतः प्रदर्शित कर सकने का अवसर मौजूद होगा।

अभ्यास प्रश्न: कोविड संकट भारत में पर्यटन के भविष्य की पुनर्कल्पना करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है। चर्चा कीजिये।

Q.1 विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है?  (वर्ष 2019)

Q.2 जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य पर्यटन के कारण अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमा तक पहुँच रहे हैं। समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये।  (वर्ष 2015)

essay in hindi paryatan

पर्यटन के महत्व पर निबंध

जिंदगी का असली मजा तो घूमने फिरने में है, अपने आसपास और हर उस प्रसिद्ध जगह का कोना कोना देखना कई लोगों का सपना होता है। यही कारण है कि हर एक व्यक्ति के अंदर पर्यटन अथवा यात्रा करने की धुन सवार रहती है। लेकिन पर्यटन अथवा यात्रा का महत्व क्या है?

आज हम आपके लेख के माध्यम से आपको पर्यटन के महत्व विषय पर निबंध प्रस्तुत करने वाले हैं। इस लेख के माध्यम से आपको पता चलेगा कि पर्यटन का क्या महत्व होता है।

आइए जानते हैं, पर्यटन के महत्व विषय पर निबंध…..

पर्यटन का अर्थ होता है – घूमना। घूमना यानि ऐसा घूमना जिसमें आपको सुख की प्राप्ति हो। ऐसे स्थानों की सैर करना जहां से आपकी जिज्ञासा पूर्ति हो। इसके अलावा पर्यटन वह होता है जो आपकी दैनिक चिंताओं से दूर हो, जहां आप अपने अंतर्मन को पूर्ण रूप से आजाद तथा सुकून भरा पाते हैं। यही कारण है कि हर कोई अपना समय निकालकर पर्यटन के लिए निकल पड़ता है। काफी लोगों के जीवन में पर्यटन शौक की तरह होता है।

पर्यटन के लाभ

पर्यटन एक ऐसा माध्यम है, जिसके जरिए देश विदेश की जानकारी प्राप्त होती है। इससे हमारा ज्ञान समृद्ध होता है। हम जानते हैं कि पुस्तकीय ज्ञान उतना प्रभावी नहीं होता जितना कि प्रत्यक्ष ज्ञान। ऐसे में पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहान-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है। पर्यटन के जरिए पूरा देश और विश्व अपना-सा प्रतीत होता है। राष्ट्रिय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है। इतना ही नहीं किसी भी प्रकार की जिज्ञासा को शांत करने में पर्यटन लाभकारी है। यह हमारे मन को ही शांत नहीं करता बल्कि यह देश की आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक लाभ भी प्रदान करता है।

पर्यटन के प्रकार

पर्यटन-स्थल अनेक प्रकार के हैं। जिसके अन्तर्गत कुछ प्रकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं, जैसे-प्रसिद्ध पर्वत-चोटियाँ, समुद्र-तल, वन-उपवन। वहीं कुछ पर्यटन-स्थल धर्मित महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं, जैसे हरिद्वार, वैष्णो देवी, काबा, कर्बला आदि। इसके साथ ही कुछ पर्यटन-स्थल एतेहासिक महत्व के हैं, जैसे लाल किला, ताजमहल आदि। इसके साथ ही कुछ पर्यटन-स्थल वैज्ञानिक, सांस्कृतिक या अन्य महत्व रखते हैं। इनमें से प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक महत्व के पर्यटन-स्थलों पर सर्वाधिक भीड़ रहती है।

पर्यटन एक उद्योग

वर्तमान समय में पर्यटन एक प्रमुख उद्योग का रूप धारण कर चुका है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे आदि पर्वतीय स्थलों की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है। यह ऐसे स्थान है जहां दुनियाभर से पर्यटक आते हैं और अपनी कमाई खर्च करते हैं। जिसके चलते पर्यटक स्थलों को आर्थिक लाभ होता है। पर्यटन स्थलों में मौजूद लोगों की आजीविका का साधन मिलता है।

पर्यटन से राष्ट्रीयता की भावना मजबूत होती है। साथ ही पर्यटन से जीवन में उदारता व सहिष्णुता की भावना आती है। साधु-संत जो सामान्य मानव से ऊपर स्थान प्राप्त करते हैं, उसका मुख्य विशेष कारण उनकी घुमक्कड़ी ही है। जिसके चलते वह हर प्रकार का ज्ञान हासिल करने में सक्षम होते हैं, पर्यटन के विशिष्ट गुण को परिलक्षित करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में भी लिखा है मुद मंगल मय संत समाजू। जिमि जग जंगप तीरथ राजू।

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Hindi Essay on “Prayatan ka Mahatav ” , ” पर्यटन का महत्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

पर्यटन का महत्व

Paryatan ka Mahatva

निबंध नंबर : 01

 पर्यटन का आनंद –

सैर कर दुनिया की गाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहाँ ? जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ ?

     जीवन का असली आनंद घुमक्कड़ी में है ; मस्ती और मौज में है | प्रकृति के सौंदर्य का रसपान अपनी आँखों से उसके सामने उसकी गोद में बैठकर ही किया जा सकता है | उसके लिए आवश्यक है – पर्यटन |

     पर्यटन के लाभ – पर्यटन का अर्थ है – घूमना | बस घुमने के लिए घूमना | आनंद-प्राप्ति और जिज्ञासा-पूर्ति के लिए घूमना | ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है | ऐसा पर्यटन दैनंदिन जीवन की भारी-भरकम चिंताओं से दूर होता है | जो व्यक्ति इस दशा में जितनी देर रहता है, उतनी देर तक वह आनंदमय जीवा जीता है |

     पर्यटन का दूसरा लाभ है – देश विदेश की जानकारी | इससे हमारा ज्ञान समृद्ध होता है | पुस्तकीय ज्ञान उतना प्रभावी नहीं होता जितना कि प्रत्यक्ष ज्ञान | पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहान-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है | इससे हमारे मन में बैठ हुए कुछ अंधविश्वाश टूटते हैं | हमें यह विश्वास होता है – विश्व – भर का मानव मूल रूप से एक है | हमारी आपसी दूरियाँ कम होती हैं | मन उदार बनता है | पूरा देश और विश्व अपना-सा प्रतीत होता है | राष्ट्रिय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है |

     पर्यटन : एक उद्दोग – वर्तमान समय में पर्यटन एक उद्दोग का रूप धारण कर चूका है  | हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि पर्वतीय स्थलों की अर्थ-व्यवस्था पर्यटन पर आधारित है | वहाँ वर्षभर विश्व-भर से पर्यटक आते हैं और अपनी कमाई खर्च करते हैं | इससे ये पर्यटक-स्थल फलते-फूलते हैं | वहाँ के लोगों को आजीविका का साधन मिलता है |

     पर्यटन के प्रकार – पर्यटन-स्थल अनेक प्रकार के हैं | कुछ प्रकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं | जैसे-प्रसिद्ध पर्वत-चोटियाँ, समुद्र-तल, वन-उपवन | कुछ पर्यटन-स्थल धर्मित महत्व के हैं | जैसे हरिद्वार, वैष्णो देवी, काबा, कर्बला आदि | कुछ पर्यटन-स्थल एतेहासिक महत्व के हैं | जैसे लाल किला, ताजमहल आदि | कुछ पर्यटन-स्थल वज्ञानिक, सांस्कृतिक या अन्य महत्व रखते हैं | इनमें से प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक महत्व के पर्यटन-स्थलों पर सर्वाधिक भीड़ रहती है |

निबंध नंबर : 02

देशाटन या पर्यटन

Deshatan ya Paryatan

                देशाटन मानव की स्वाभाविक प्रवृति है। देश-विदेश भ्रमण की प्रवृति मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आधुनिक युग में देशाटन की उपयोगिता अन्य कई दृष्टियों से भी स्थापित हो चुकी है। देशाटन का उद्देश्य मात्र मन की शांति ही नहीं है बल्कि आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षिणक लाभ के उद्देश्य से भी लोग देश-देशान्तरों की यात्रा करते हैं। यही कारण है कि आधुनिक युग में व्यक्तिगत रूप के अतिरिक्त राजकीय अथवा राष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में भी यात्रा के अवसर प्राप्त होते हैं। व्यावसायिक-वाणिज्यिक सम्पर्क स्थापना के लिए भी यात्राएं की जाती हैं। राजनीतिक लाभ हेतु विभिन्न राजनीतिज्ञ अथवा राष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय यात्राएं की जाती हैं। विभिन्न राष्ट्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के उद्देश्य से भी यात्राएं आयोजित की जाती हैं। तात्पर्य यह है कि आधुनिग युग में देशाटन बहुउद्देशीय बन गया है। इसके अनेक प्रकार के नाम भी हैं।

                विज्ञान ने देशाटन के कार्य को और भी अधिक सुगम और आनन्दमयी बना दिया है। देशाटन के पूर्व यात्री को अनेक उपादानों, उपकरणों एवं साधनों की व्यवस्था करनी पड़ती है। जिस स्थान की यात्रा करनी होती है उसकी भौगोलिक स्थिति एवं प्रकृति की जानकारी के लिए सम्बन्धित मानचित्र, विवरण-पुस्तिका आदि लेनी पडती है। पर्यटक के लिए यह भी आवश्यक है कि वह अपने दैनिक अनुभव एंव जानकारियों को लिपिबद्ध करता रहे। अतः पर्यटक को एक डायरी भी रखनी पड़ती है। पर्यटन हमारे मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन है। मनुष्य एक स्थान पर रहते-रहते थकान का अनुभव करने लगता है। नए क्षेत्रों के भ्रमण से उसकी यह थकान और सुस्ती दूर हो सकती है। देशाटन से हम दुनिया के देशों की वास्तविक स्थिति का पता लगा पाते हैं। यह ज्ञान वृद्धि का एक सशक्त और जीवंत साधन है। स्वास्थय की दृष्टि से भी देशाटन का महत्व कम नहीं है। हजारों व्यक्ति भारत मंे ही प्रतिदिन नैनीताल, अल्मोड़ा, मसूरी, दार्जिलिंग, पचमढ़ी इत्यादि पर्वतीय क्षेत्रों में जाते-आते हैं। ऐसा करने से उन्हें स्वास्थय-लाभ भी होता है। देशाटन शांत एवं क्लांत शरीर तथा मन को पुनः ताजगी प्रदान करता है। व्यक्तित्व के विकास एवं चरित्र-निर्माण में भी देशाटन पर्याप्त सहायक सिद्ध हुआ है। राष्ट्रीय ऐक्य की दृढ़ता के लिए देशाटन या पर्यटन या भ्रमण एक अनिवार्य शर्त है। एक-से-एक विद्वान, गुणवान तथा अनुभवी व्यक्तियों के दर्शन और संपर्क से मनुष्य मिथ्या दम्भ जैसी दुर्भावनाओं से मुक्ति पाता है तथा उसके चरित्र में विनयशीलता का प्रवेश होता है। उसमें महत्वाकांक्षाएं जागती हैं और वह अधिकाधिक प्रगति की ओर प्ररित होता है। प्रकृति दर्शन से उसमें आध्यात्मिक भावनाएं विकसित होती हैं। ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा से उसके राष्ट्रीय गौरव की भावना बलवती होती है। सर्वांगीण व्यक्तित्व के विकास में देशाटन या पर्यटन की विशेष भूमिका है। कला-कौशल, ज्ञान-विज्ञान, उद्योग-व्यवसाय की पूर्णता अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों अर्थात देशाटन पर ही निर्भर करती है।

                भारत में देशाटन की परम्परा अति प्राचीन है। वैदिक ऋषि यद्यपि एकान्त चिंतन, एकान्तवास तथा जीवन को प्रमुखता देते थे तथापि देश भ्रमण की प्रथा उनमें व्याप्त थी। रामायण-महाभारत कालीन ऋषि देशाटन करते थे। नारद, अगस्त्य, विश्वामित्र, दुर्वासा, कण्व आदि के तीर्थाटन एवं देशाटन की चर्चा अनेक पुस्तकों में आई है। महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर, शंकराचार्य, कालिदास, भवभूति, बाणभट्ट, तुलसी, सूर आदि के तीर्थाटन-देशाटन की कथाएं ंसर्वविदित हैं। साधनों के अभाव में सामान्य गृहस्थ ने इस दिशा में कभी रूचि नहीं ली। आज भी जब सारे साधन उपलब्ध हैं भारत के करोड़ों नागरिक अर्थाभाववश देश भ्रमण का विचार भी नहीं करते। अशिक्षा, निर्धनता, रूढ़िवादिता ने देशवासियों को सदैव देशाटन से विमुख बनाए रखा। स्वतंत्र भारत में इस प्रवृति को प्रोत्साहन देने के लिए पर्यटन मंत्रालय को अस्तित्व में लाया गया। इतना ही नहीं सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे दिया है।

                राष्ट्रीयता की भावना को सुदृढ़ बनाने के लिए, अपने राष्ट्र के स्वरूप को पहचानने के लिए हमें आवश्यक कदम उठाने ही पड़ेगे। सरकार की ओर से इस कार्य में सूविधाएं दी जा रही हैं। लेकिन निर्धन नागरिकों को ये सुविधाएं प्रोत्साहित कर पाने मे ंआज भी सक्षम नहीं हो  पाई हैं।

                पर्यटन से राष्ट्रीयता की भावना मजबूत होती है। यात्रा में विभिन्न प्रकार की विपरीत परिस्थितियां आती हैं, जिन्हें अपने विवके से सुलझाना पड़ता है। इससे आत्मविश्वास जागता है। पर्यटन से जीवन में उदारता आती है। संकीर्ण मनोवृति को दूर करने में पर्यटन से बढ़कर दूसरा साधन हो ही नहीं सकता। साधु-संत जो सामान्य मानव से ऊपर होते हैं, उसका मुख्य कारण उनकी घुमक्कड़ी ही है। पर्यटन के इसी विशिष्ट गुण को देखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है-

                                                मुद मंगल मय संत समाजू।                                                 जिमि जग जंगप तीरथ राजू।।

                मनोरंजन और ज्ञानवर्द्धन की दृष्टि से देशाटन या पर्यटन हमारी एक मनोवैज्ञानिक मांग भी है।    

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commentscomments

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Paryatan ka Mahatav with 10 Paragraph

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parytan hai ghumna

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not bad.But it should be more lenthi.

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Yes you are right

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Yes it is right

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Sab hindi homeworks aur projects krne aate hai yaha😂😂 Mai bhi😂😂🙋‍♂️

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very lengthy

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Jeevan ka prayatan chiyea mujhe

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love My life line is my love

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Good yes came here to do project 😁 Hope u also came for same

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Came for niband

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उत्तराखंड में पर्यटन और उत्तराखंड की पर्यटन नीति 2018

Pramod Bhakuni

उत्तराखंड में पर्यटन – वैसे तो पूरा उत्तराखंड अपने आप में पर्यटन की जगह है यहा की हर एक चीज अपने आप मैं फेमस  है और उसका उसका अपना एक रहस्य है। यहा आपको हर एक जगह पहुच कर आनंद की अनुभूति प्राप्त होगी। 9 नवम्बर 2000 को भारत का 27वें तथा हिमायली क्षेत्रों का 11वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आ गया।

यह उत्तराखण्ड भारत का एक ऐसा प्रदेश है जो कि वैदिककाल से ही भारतीय जीवन में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है और आधुनिक काल में भी अपने गगनचुम्बी हिमशिखरों, वैविध्यपूर्ण अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य एवं पवित्र चारधामों, जनजातीय एवं जनजातीयेतर सांस्कृतिक विविधताओं के कारण भारतीय एवं भारतीयेतर जगत् का आकर्षण केन्द्र बना हुआ है। इसकी सदानीरा सरिताएँ, सघन चीड़, देवदारू, बांज (ओक) की घाटियां, रंग-बिरंगे (फलों से हरित भरित शाद्वल, बुग्याल, जीव एवं वनस्पति वैविध्य सभी कुछ अद्भुत, मोहक व आकर्षक रहा है।

उत्तराखंड में

उत्तराखंड में पर्यटन –

पर्यटन के लिए उत्तराखंड विशेष प्रसिद्ध है। या यूँ कह सकते हैं कि उत्तराखंड में पर्यटन ही यहाँ की मुख्य आर्थिकी है। प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न यह राज्य पर्यटन के क्षेत्र अग्रणीय है। यहाँ के प्राकृतिक रूप से समृद्ध पर्यटन स्थलों में नैनीताल ,मंसूरी , मुनस्यारी आदि प्रसिद्ध हैं।  इसके साथ -साथ उत्तराखंड का एक समृद्ध पौराणिक इतिहास रहा है। जिस कारण प्राकृतिक पर्यटन के साथ -साथ धार्मिक पर्यटन में भी अग्रणीय है। सनातन धर्म के चारों प्रसिद्ध धाम यहीं स्थित हैं। माँ भगवती के कई प्रसिद्ध शक्तिपीठ यहाँ स्थित हैं।

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तीर्थ नगरी ऋषिकेश का धार्मिक पर्यटन के साथ प्राकृतिक पर्यटन और साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणीय स्थान है। इसके अलावा उत्तराखंड का पहाड़ी भौगोलिकी प्रदेश होने के कारण यहाँ साहसिक पर्यटन की अनगिनत संभावनाएं बन जाती हैं। कार्बेट पार्क और अन्य पार्को और प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवों के मध्य जंगल सफारी का सफर अलग ही आनंद देता है। जो रोमांच और साहस से भरा होता है। उत्तराखंड में पर्यटन का एक अलग ही रोमांचक और यादगार अनुभव रहता है। प्रत्येक नागरिक को उत्तराखंड की यात्रा में आकर यहाँ के पर्यटन स्थलों का आनंद अवश्य लेना चाहिए।

उत्तराखंड में पर्यटन नीति 2018

प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों की द्रष्टि से उत्तराखंड एक संपन्न राज्य है। वर्तमान में पर्यटन उत्तराखंड की आर्थिकी के लिए प्रमुख साधन बनता जा रहा है। अतः इस क्षेत्र का तीव्र और बहुआयामी विकास के लिए राज्य सरकार ने सुनियोजित पर्यटन नीति बनाई है। जिसे समय समय पर समयानुसार बदलाव भी करती रहती है। उत्तराखंड में पर्यटन नीति का उद्देश्य उत्तराखण्ड को सुरक्षित, टिकाऊ और विश्वस्तरीय पर्यटन उत्पाद और सेवाओं से परिपूर्ण एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है।

एक सुरक्षित और पर्यटन अनुकूल गंतव्य के रूप में उत्तराखण्ड की छवि को विकसित और सुदृढ़ करना और नए पर्यटन स्थलों का निर्माण तथा अद्वितीय पर्यटन उत्पाद विकसित करना इस पर्यटन नीति- 2018 के मुख्य उद्देश्य हैं। सरकार ने राज्य के हर जिलों में से एक नया पर्यटन स्थल विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) प्रत्येक जिले में एक भूमि बैंक  स्थापित करेगा। पर्यटन विभाग सभी प्राकृतिक, सांस्कृतिक और धरोहर पर्यटन स्थलों का हर 2 वर्ष बाद विस्तृत संसाधन मानचित्रण करेगा। और जीआईएस आधारित प्लेटफार्मों पर जानकारी को अद्यतन करेगा।

राज्य के गंतव्यों को जिन प्रमुख थीम  में विभाजित किया जा सकता है वे हैं- एडवेंचर वाटर स्पोर्ट्स, क्रूज, याच आदि विरासत,रोपवे,तीर्थाटन,संस्कृति और त्यौहार;स्वास्थ्य,कायाकल्प और आध्यात्मिक एम०आई०सी०ई०  टूरिज्म, वन्यजीव, अभयारण्य  और पक्षी विहार,इको-टूरिज्म / ग्रामीण पर्यटन बौद्ध तथा प्रकृति और परिदृश्य। पर्यटन को उत्तराखंड राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार मानकर राज्य में पर्यटन में निवेशको आकर्षित करने के लिए सरकार ने इसे उद्योग का दर्जा दिया है।

इसे भी पढ़े –  जागेश्वर धाम उत्तराखंड के पांचवा धाम का इतिहास और पौराणिक कथा।

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Pramod Bhakuni

नौकुचियाताल | पुष्कर के सामान महत्व है कुमाऊँ के इस ताल का

नौ ढुंगा घर चम्पवात का अनोखा घर जिसके हर कोने से 9 ही पत्थर दिखाई देते हैं।, भीमताल में पैराग्लाइडिंग से अब 3500 फीट से उड़ान का रोमांच, leave a reply cancel reply.

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राजस्थान में पर्यटन पर निबंध Rajasthan me paryatan essay in hindi

Rajasthan me paryatan essay in hindi.

दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं राजस्थान में पर्यटन पर निबंध तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को

Rajasthan me paryatan essay in hindi

पर्यटन स्थल की यात्रा करना हर किसी को भाता है, हर किसी को अपनी छुट्टियों के समय में पर्यटन स्थल की यात्रा करने जरूर जाना चाहिए, इससे हमारा मन प्रसन्न होता है। पर्यटन स्थलों में राजस्थान में पर्यटन की यात्रा करना काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।

राजस्थान में पर्यटक स्थल

स्थलों का महत्व राजस्थान के पर्यटक स्थलों का काफी महत्व है। राजस्थान के कई दुर्ग महल एवं मंदिर काफी प्रसिद्ध है जिससे हमें प्रकृति के नजदीक भ्रमण करने का मौका मिलता है।

आज के समय में हम शहरीकरण में आधुनिकरण में अपने कार्यों में ऐसे व्यस्त होते जा रहे हैं कि हम प्रकृति की सुंदरता नहीं देख पाते इसलिए हमें राजस्थान जैसे पर्यटक स्थलों में भ्रमण करने के लिए जरूर जाना चाहिए।

राजस्थान के पर्यटक स्थल को देखकर हमें प्रकृति की सुंदरता देखने को मिलती है, हमें काफी अच्छा प्रतीत होता है और हमें वहां की सुंदरता, संस्कृती देखने को मिलती है जिससे मन काफी प्रसन्न होता है।

राजस्थान में कई पर्यटक स्थल हैं इनमें से एक है भरतपुर। भरतपुर का पक्षी विहार काफी प्रसिद्ध है यहां पर दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी देखने को मिलते हैं।

कहा जाता है कि लगभग 230 प्रजाति के पक्षियों ने यहां पर अपना बसेरा बनाया हुआ है, लोग इस स्थान का भ्रमण करने के लिए आते हैं, यहां पर एक मंदिर भी है यह स्थान राजस्थान में घूमने का एक बेहतरीन स्थानो में से एक है।

राजस्थान में पर्यटक स्थलों में जैसलमेर, जोधपुर और उदयपुर भी हैं, जहां पर प्रकृति के कई दृश्य हमें देखने को मिलते हैं। राजस्थान की इन जगहों पर कई दुर्ग एवं महल हैं जो वास्तव में एक बार जरूर देखना चाहिए। यह हमें अपनी ओर काफी आकर्षित करते हैं। जैसलमेर का किला काफी प्रसिद्ध है दूर-दूर से पर्यटक यहां पर भ्रमण करने के लिए आते हैं।

राजस्थान का यह जैसलमेर डाकुओं की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि कहा जाता है कि यहां के डाकुओं ने किसी भी गरीब या निर्धन को नहीं सताया था। राजस्थान के इस जैसलमेर में हमें रेगिस्तान भी देखने को मिलता है जहां ऊंचे ऊंचे ऊंट और उनकी सवारी करना हर किसी को काफी भाता है।

वास्तव में राजस्थान में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिनका भ्रमण करने के लिए हमें एक बार जरूर जाना चाहिए और राजस्थान में भ्रमण करने से हमें प्रकृति के दर्शन होते हैं।

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  5. पर्यटन के लाभ पर निबंध

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  6. जानिए विश्व पर्यटन दिवस का महत्व और इतिहास

    विश्व पर्यटन दिवस क्या है? विश्व पर्यटन दिवस world tourism day in Hindi का उद्देश्य विश्व भर में लोगों में पर्यटन के लिए जागरूकता पैदा करना और इसके लिए प्रेरित करना है ...

  7. भारत में पर्यटन विकास

    Tourism Development in India / भारत में पर्यटन विकास : उपलब्धियाँ और चुनौतियांँ - Full Essay 2019 in Hindi | भारत में पर्यटन विकास पर निबंध |. आधार-बिंदु : 1. एक पर्यटन ...

  8. पर्यटन का महत्व पर निबंध

    पर्यटन का महत्व पर निबंध - Essay on importance of tourism in Hindi. January 31, 2024 by admin. पर्यटन का महत्व पर निबंध: पर्यटन एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र है जो ...

  9. Essay on Tourism in Hindi Language पर्यटन का महत्त्व पर निबंध

    Essay on Tourism in Hindi 200 Words. पर्यटन का महत्त्व - विचार - बिंदु - • पर्यटन का आनंद • पर्यटन के लाभ • पर्यटन : एक उद्योग • पर्यटन के प्रकार।. पर्यटन का ...

  10. राजस्थान में पर्यटन पर निबंध

    Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से

  11. भारत में पर्यटन का महत्व

    Bharat mein Paryatan प्रणाली पुरे विश्व में सबसे अलग मानी जाती है क्यूंकि अतीत में भारत पर विभिन्न सभ्यताओं का वास था, अनेको शासकों द्वारा यहाँ ...

  12. पर्यटन का महत्व पर निबंध

    पर्यटन का महत्व पर निबंध Essay on Importance Of Tourism In Hindi- हमारे देश विदेश में अनेक ऐसे स्थल है, जो बहुत सुंदर है. पर्यटन हमारे जीवन में काफी म

  13. पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi

    Essay O n Paryatan Parv In Hindi दोस्तों आज के आर्टिकल में आपका हार्दिक स्वागत है आज हम पर्यटन पर्व का एक निबंध बता रहे हैं.. जीवन में पर्यटन का महत्व आदि पर आधारित यहाँ ...

  14. पर्यटन से लाभ हिंदी निबंध Paryatan se labh hindi essay

    Paryatan se labh hindi essay. पर्यटन से होने वाले लाभ के बारे में - पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जहां से देश को ही नहीं बल्कि देश में रहने वाले लोगों को काफी ...

  15. 50 भारत के पर्यटन स्थल जो आपको ऐतिहासिकता से जोड़ेंगे

    भारत के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक ताज महल और आगरा हैं। पवित्र शहर वाराणसी, हरमंदिर साहिब, स्वर्ण नगरी: जैसलमेर, लाल किला, नई ...

  16. Hindi Essay, Paragraph on "पर्यटन के लाभ", "Paryatan ke Labh" 400 words

    Hindi Essay, Paragraph on "पर्यटन के लाभ", "Paryatan ke Labh" 400 words Complete Essay for Students of Class 9, 10 and 12 Exam. About. Vision; Website Inauguration Function. Vocational Placement Cell Inauguration; Media Coverage. ... Hindi Essay, Paragraph on "मानव जीवन में धर्म ...

  17. भारत में पर्यटन क्षेत्र का भविष्य

    भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए व्यंजन पर्यटन (Cuisine Tourism) की एक बेजोड़ विविधता भारत के 'सॉफ्ट पावर' को बढ़ाने और ...

  18. पर्यटन के महत्व पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    पर्यटन के महत्व पर निबंध. जिंदगी का असली मजा तो घूमने फिरने में है, अपने आसपास और हर उस प्रसिद्ध जगह का कोना कोना देखना कई लोगों का ...

  19. Hindi Essay on "Prayatan ka Mahatav ...

    Hindi Essay on "Prayatan ka Mahatav " , " पर्यटन का महत्व" Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes. About. Vision; Website Inauguration Function. Vocational Placement Cell Inauguration; ... Deshatan ya Paryatan

  20. उत्तराखंड में पर्यटन और उत्तराखंड की पर्यटन नीति 2018

    उत्तराखंड में पर्यटन नीति 2018. प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों की द्रष्टि से उत्तराखंड एक संपन्न राज्य है। वर्तमान में पर्यटन ...

  21. राजस्थान में पर्यटन पर निबंध Rajasthan me paryatan essay in hindi

    Rajasthan me paryatan essay in hindi. प्रस्तावना. पर्यटन स्थल की यात्रा करना हर किसी को भाता है, हर किसी को अपनी छुट्टियों के समय में पर्यटन स्थल की यात्रा ...

  22. पर्यटन का महत्व पर निबंध

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  23. पर्यटन स्थल पर निबंध

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