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मुनिया की पाठशाला Motivational story on Girl child education

मुनिया की पाठशाला Motivational story on Girl child education

Manjari Shukla May 12, 2016 Stories in Hindi 9,960 Views

मुनिया की आखों में आँसूं आ गए। माँ की डाँट से ज्यादा दुःख उसे अपने छोटे भाई राजू के साथ स्कूल जाने का नहीं था।

वो कुछ कहती, इससे पहले ही मालती फिर बोली – “जल्दी से जूते पॉलिश कर दे वरना मेरे लाडले बेटे को स्कूल के लिए देर हो जाएगी।”

मुनिया दौड़ती हुई गई और खटिया के नीचे से राजू के काले जूते ले आई।

पालिश की डिबिया खोलते हुए वो मान से बोली – “मान, क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती।”

मालती ने मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से उसे देखते हुए बोला-” क्यों नहीं करती, तू तो मेरी लाडो रानी है।”

मुनिया माँ के प्यार भरे बोल सुनकर खुश हो गई और दुगनी मेहनत से जूते चमकाते हुए बोली – “तो माँ, मेरा भी मन पढाई करने को करता है, मुझे भी भेज दो ना स्कूल।”

ये सुनते ही मानो मालती को करंट लग गया।

उसने लपक कर राजू के जूते मुनिया के हाथ से लिए और उसे पहनाने लगी।

मुनिया की आँखों मे आँसूं आ गए।

तभी राजू बोला – “माँ, भेज दो ना दीदी को भी स्कूल… बेचारी रोज रोती है मेरे स्कूल जाते समय।”

राजू को मुनिया का साथ देते देख मालती चीख पड़ी और बोली – “मैंने आज तक कभी पाठशाला का मुँह देखा क्या, तुम्हारी नानी- दादी गई कभी पढ़ने… और तो और पूरे गाँव में कोई भी औरत ने आज तक सकूल के अंदर पैर तक नहीं धरा।”

“सकूल नहीं माँ, स्कूल…” राजू धीरे से बोला।

“हाँ हाँ वही – अब ज्यादा देर मत करो चुपचाप सकूल जाओ।”

मुनिया राजू का हाथ मत छोड़ना और उसे सकूल के अंदर तक छोड़ के आना।

माँ के सकूल बोलने पर राजू हँस दिया तो मुनिया भी अपने सामने के २ टूटे दाँतों को दिखाते हुए मुस्कुरा उठी।

रास्ते भर राजू मुनिया को अपनी किताबों, दोस्तों और स्कूल के बारे में बताता रहा और बातों ही बातों मे कब स्कूल आ गया वे जान ही नहीं पाए।

सभी बच्चे बस्ता टांगे स्कूल के गेट के अंदर जा रहे थे जिन्हें देखकर मुनिया का मन हुआ कि वो भी दौड़ती हुई अंदर चली जाए और फटाफट सब कुछ याद करके मास्टर साहब को सुना दे पर वो उदास नज़रों से अंदर जाते बच्चों को ही देखती रही।

राजू मुनिया का दुःख समझ गया इसलिए तुरंत बोला -” दीदी, तुम घर जाओ अब मैं चला जाऊँगा।”

“ठीक है…” मुनिया धीरे से बोली और स्कूल की तरफ़ देखते हुए सड़क पर पड़े कंकरों को पैरों से उछालती हुई घर की तरफ़ चल दी घर पहुँचने के बाद वो अपने आस पड़ोस की सहेलियों के साथ खेलने में व्यस्त हो गई।

दोपहर मे जब राजू ने स्कूल से लौटने के बाद खाना खाया और अपनी किताबे लेकर बैठा तो हमेशा की तरह मुनिया भी उसके पास जाकर बैठ गई।

रंग बिरंगे चित्रों से सजी किताबों के देखकर मुनिया राजू से बोली – “मेरा बहुत मन करता है पढ़ाई करने का…”।

राजू ने मुनिया की तरफ प्यार से देखा और बोला – “जब मैं बड़ा हो जाऊँगा तो तुम्हें स्कूल भेजूँगा।”

उसकी बात सुनकर मुनिया जोरो से हँस पड़ी।

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One comment

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Yes sir, Education bahut jaruri hai har kisi ke liye – chahe vo girl ho ya phir boy, shikshit desh tab hoga jab shikshit samaj hoga. Thank you sir.

HiHindi.Com

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शिक्षा के बारे में कहानी Story On Education In Hindi

Story On Education In Hindi शिक्षा के बारे में कहानी : संसार में धन दौलत आदि बेहद जल्द समाप्त होने वाले धन  हैं. Education (शिक्षा) अर्थात ज्ञान धन कभी खत्म न होकर जीवन भर बढ़ता ही जाता हैं.

इसे जितना व्यय किया जाए उतनी ही बढ़ोतरी होती जाती हैं. इसे न कोई चोर चुरा सकता है न समाप्त करने की धमकी दे सकता हैं.

हमारे जीवन में शिक्षा का  महत्व हैं. आज एक short educational stories in hindi के माध्यम से हम समझने की कोशिश करेगे.

शिक्षा के बारे में कहानी Story On Education In Hindi

करीम पन्द्रह साल का एक चरवाहा है उसने स्कूल जाना छोड़ दिया है. रानी दीदी गाँव की सामाजिक कार्यकर्ता है, जो लोगों से मिलकर उनकी परेशानियां जानने की और मदद करने की कोशिश करती है.

करीम एक पेड़ की छाया में लेटा हुआ हैं उसकी बकरियां उसके आस पास ही चर रही हैं. रानी दीदी बच्चों के लिए पुस्तकें लेने शहर जा रही हैं. करीम को देखकर वह रूक जाती हैं.

क्यों करीम स्कूल नहीं गये.

नहीं दीदी, करीब दुखी मन से जवाब देता हैं. मैंने स्कूल जाना बंद कर दिया हैं. अब्बा बहुत बीमार रहने लगे, और कोई है नहीं तो मुझी को इन बकरियों को चराने लाने पड़ते हैं.

अरे पर क्या तुम आगे पढ़ना नहीं चाहते करीम?

पढ़ना तो चाहता हूँ दीदी, मैं तो बड़ा होकर टीचर बनना चाहता हूँ.

पर अब दसवीं कक्षा में अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगे तो टीचर नहीं बन पाओगे. क्या तुम बी अपने बेचारे अब्बा की तरह जीवन भर बकरियां चराना चाहते हो?

नहीं दीदी पर कोई उपाय नहीं सूझता.

अरे उपाय तो सोचना ही पड़ेगा, हर समस्या का कोई न कोई हल निकल ही आता हैं. दोनों घास पर बैठकर सोचने लगते हैं.

क्या कोई और नहीं है जो बकरियों को चराने लाये जिससे तुम स्कूल जा सको? मेरा मतलब, अगर कोई व्यक्ति मिल जाए जिसे काम की जरूरत हो तो हम उसे मेहनताना यानी पैसे दे दें?

पैसे कहाँ से आएगे दीदी, हमारे तो खुद के लाले पड़े हैं.

अरे करीम मुझे पता है, यह आसान नहीं हैं, पर इतना मुश्किल भी नहीं, सपने देख सकते हो तो उनको पूरा करने की हिम्मत रखों, क्या तुम्हे लगता है यह बकरी गाय बनने का या चिड़िया बनकर उड़ने बनकर उड़ने का सपना देखती हैं?

दोनों हंस पड़ते है.

करीम फिरोज याद है”

वह आवारा भिखारी?

हाँ वह आवारा भिखारी तो है, पर क्या तुमने उसके बारे में सोचा हैं? शायद उसने भी कभी सपने देखे हो जो पुरे नहीं हो पाए? मुझे लगता है कि फिरोज कोएक मौका देना चाहिए शायद उसकी जिन्दगी हमेशा के लिए बदल जाए.

“पर उसे देने के लिए पैसे कहाँ से आएगे दीदी”

“वो पैसे तुम कमाओगे करीम”

“क्या? मैं पैसे कैसे कमाउगा दीदी?”

“अच्छा बताओ, तुम किस काम में माहिर हो?”

“बकरी चराने में, करीम उदास होकर बोला “और”

“कुछ नहीं, पढ़ाई में भी अच्छा था”

“अच्छे ही नहीं तुम सबसे होनहार छात्र थे क्या तुम दूसरे बच्चों को पढ़ा नहीं सकते? ज्यादा तो नहीं पर इतना तो कमा ही लोगो कि तुम्हारी अम्मी एक और आदमी का खाना पका सके. हम फिरोज को मेहनताने में दो वक्त का खाना देगे”

क्या यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा” रानी दीदी क्या अब्बा मानेंगे?, फिरोज के भरोसे बकरियां छोड़ने देगे.

“अरे करीम यूँ डरना छोड़ो, जब जो परेशानी आएगी उसका समाधान करेगे”

सारी योजना ठीक बैठी, फिरोज जो आवारा घूमता था और भूख लगने पर किसी से भी भीख मागकर अपना पेट भरता था, करीम का काम करने के लिए तैयार हो गया. पर वह झटपट तैयार नहीं हुआ काफी नखरे दिखाए और करीम से काफी मिन्नते करवाई.

करीम फिर स्कूल जाने लगा. टीचर बनने का उसका सपना पूरा होता नजर आने लगा था. तो बच्चों कहानी यहाँ खत्म हुई. बताइए आपने इस कहानी से क्या सीखा?

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Short hindi stories with moral values

151 Hindi short stories with moral for kids बच्चों के लिए प्रेरणादायक लघु कहानियां

Today we are writing Hindi short stories with moral values for kids . These stories are only for kids and also written in that lucid language. These Hindi stories with morals may also be useful for teachers.

We are writing 101 Hindi short stories with moral values for kids here.

Table of Contents

151 Short Hindi stories with moral values – शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ

नीचे लिखी गयी सभी कहानियां शिक्षाप्रद होने के साथ पढ़ने में भी मजेदार है। हर एक कहानी आपको जीवन को सही तरीके से बीतने की शिक्षा देते हैं।

1. दयालु चींटी और नासमझ टिड्डा

एक समय की बात है, एक हरे-भरे घास के मैदान में, अंजलि नाम की एक चींटी और वैभव नाम का एक टिड्डा रहता था । अंजलि एक मेहनती चींटी थी जो सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने में अपना दिन बिताती थी। और वही दूसरी ओर, वैभव ने अपना समय खेलने और गाने में बिताया, और इतनी मेहनत करने के लिए अंजलि का मज़ाक उड़ाया। “तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो, अंजलि? आओ और आनंद लो!” वैभव ने कहा.

अंजलि ने उत्तर दिया, “सर्दी आ रही है, गैरी। तैयार रहना महत्वपूर्ण है।”

महीने बीत गए और सर्दी आ गई। घास का मैदान बर्फ से ढक गया, और भोजन दुर्लभ हो गया। टिड्डा वैभव , जिसने सर्दियों के लिए तैयारी नहीं की थी, ठंडा और भूखा था। वह अंजलि के घर गया और खाना मांगा. दयालु होने के कारण अंजलि ने अपना भोजन वैभव के साथ साझा किया। वैभव ने एक मूल्यवान सबक सीखा और तब से कड़ी मेहनत करने और भविष्य के लिए तैयारी करने का फैसला किया।

इस कहानी से हमे क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?

उत्तर: तैयार रहना और कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है, लेकिन दयालु होना और जरूरतमंदों की मदद करना भी महत्वपूर्ण है।

2. शेर का आसन

( hindi short stories with moral for kids ).

शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘

नैतिक शिक्षा –

जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

Moral of this short hindi story –

Never leave your own personality. And also not try to copy anyone’s identity.

jangal ka raja sher ki kahani

3. रेलगाड़ी

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी।  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ  – रेलगाड़ी दिल्ली गई  ,  मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

Moral of this short Hindi story – Boost the confidence of children because they are the future.

Hindi stories for class 8

Hindi stories for class 9

rel gadi short story

4. शरारती चूहा

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है।  अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ  शरबत से गीली हो जाती है  उसे चाट-चाट कर  चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

Moral of this short hindi story – Hard work with smartness is the key to success. Always focus on smart work.

विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानियां Motivational Story For Students

बुद्धिमान राजकुमार की कहानी Rajkumar ki kahani

5. बिल्ली बच गई

ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर  ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा –  दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

Moral of this short hindi story – Always try to help others. It will give real pleasure.

6. रितेश के तीन खरगोश राजा

रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था।  उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे। रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था। स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक  दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

नैतिक शिक्षा –   जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

Moral of this short hindi story – Understand the agony of others. You will never feel any sorrow.

9 Motivational story in Hindi for students

3 Best Story In Hindi For kids With Moral Values

7. दोस्त का महत्व

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है, वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर वेद को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

नैतिक शिक्षा –  दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

Moral of this story

Always love your best friend. And take the time to choose your friends or company of friends. Because this company with friends will decide your behavior towards the situation in life.

8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

5 मछली की कहानी नैतिक शिक्षा के साथ

Short hindi stories with moral values

9. रानी की शक्ति

रानी एक चींटी का नाम है जो अपने दल से भटक चुकी है। घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण , वह काफी देर से परेशान हो रही थी। रानी के घर वाले एक सीध में जा रहे थे। तभी जोर की हवा चली, सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई। वह अपने घर का रास्ता ढूंढने में परेशान थी।

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

रानी जोर से रोती हुई जा रही थी।

रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए।  उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।

रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।

टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई-बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

फिर क्या था ?

सभी की पार्टी शुरू हो गई।

मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

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10. मोती का मित्र

मोती तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जाते समय अपने साथ दो रोटी लेकर जाता था। रास्ते में मंदिर के बाहर एक छोटी सी गाय रहती थी। वह दोनों रोटी उस गाय को खिलाया करता था।

मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।

स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।

वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।

एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।

गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।

मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

मोरल –

  • गहरी मित्रता सदैव सुखदाई होती है।
  • निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।

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11. बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।

विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।

अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।

आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।

विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया।  कम से कम कवच से जान तो बचती है।

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

12. राजू की समझदारी – Laghu kahani

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।

राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।

फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

मोरल – स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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13. चुनमुन के बच्चे

बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया । यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।

चुनमुन के बच्चों ने उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया।

चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर ची ची ची ची  करके चुनमुन को परेशान करते।

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

जब बच्चे गिरने लगते चुनमुन उन्हें अपने पीठ पर बैठा लेती।  फिर उड़ने के लिए कहती।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

चुनमुन ने सभी को घर चलने के लिए कहा।

सब मां के पीछे-पीछे घर लौट आए।

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

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14. कालिया को मिली सजा

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।

एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

शेरू जोर-जोर से रोने लगा।

राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।

उन्हें काफी गुस्सा आया।

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।

बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

15. सच्ची मित्रता

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।

सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता।

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।

वह बेहोश की हालत में हो गया।

अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया।

सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए।

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी

मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

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16. बिच्छू और संत

बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।

बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।

अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला।

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।

ऐसा दो-तीन बार और हुआ।

पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !

मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।

17. महात्मा बना विषधर

गांव के बाहर पीपल बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे। वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

लोगों ने उस विषधर का इलाज करने को कहा।

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और विषधर को अपने साथ ले गए।

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

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18. चिंटू पिंटू की शरारत

चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे, दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।

एक दिन की बात है, दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।

उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

19. साहस का परिचय

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।

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20. मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए

मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।

पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे, जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन की बात है प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सभी विद्यार्थियों को सहयोग करने के लिए कह रहे थे। मुकेश को आइडिया आया उसने कूड़ेदान के पास जाकर खूब सारी पेंटिंग दीवार पर बना दी। वह पेंटिंग इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी व्यक्ति वहां से गुजरते हुए। उस पेंटिंग की सराहना करते जाता था।

धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया, और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।

21. करुणा का प्रहार

अब्दुल के पास एक बकरी थी , उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।

दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।

अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।

अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।

एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।

उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।

सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।

बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था।  मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।

बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया।  वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।

अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।

अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।

अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी।  क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे थे।

  • मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है।
  • बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।

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22. और बन गई क्रिकेट टीम

राजू पार्क में उदास बैठा था , आज उसके दोस्त खेलने नहीं आए थे। राजू के पास एक गेंद थी , किंतु बैट और मित्र नहीं थे। वह अकेले ही गेंद के साथ मायूसी से खेल रहा था। पार्क में अन्य बालक भी क्रिकेट खेल रहे थे , किंतु राजू उन्हें जानता नहीं था। इसलिए वह अकेला ही कभी गेंद से खेलता और कभी बैठ कर उन बालकों को खेलता हुआ देखता रहता।

कुछ देर बाद सामने खेल रहे बालकों की गेंद पड़ोस के एक बंद घर में जा गिरी।

वहां से गेंद के लौट का आना असंभव था , और कोई बालक उसे लेने के लिए भीतर भी नहीं जा सकता था। अब उन बालकों का भी खेलना बंद हो गया। वह सभी उदास हो गए , क्योंकि अब वह भी क्रिकेट नहीं खेल सकते थे।

उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी।

फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।

इस प्रकार राजू की एक नई क्रिकेट टीम तैयार हो गई।

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23. स्वयं का नुकसान

शहर में एक छोटी सी दुकान , जिसमें कुछ चिप्स , पापड़ , टॉफी , बिस्किट आदि की बिक्री होती थी। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। इनकी हालात सभी लोगों को मालूम थी , इसलिए ना चाहते हुए भी आस पड़ोस के लोग कुछ ऐसा सामान ले लिया करते थे। जिससे अब्दुल मियां की कुछ कमाई हो जाए।

दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।

इन चूहों ने टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाना चालू कर दिया था।

अब्दुल काफी परेशान हो गया था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस शरारत से कैसे बचे।

एक दिन की बात है, अब्दुल बैठा हुआ था तीन – चार चूहे आपस में लड़ रहे थे।

अब्दुल को गुस्सा आया उसने एक डंडा उन चूहों की ओर जोर से चलाया।

चूहे उछल कर भाग गए, किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।

ऐसा करने से और भी बड़ा नुकसान हो गया।

निष्कर्ष – क्रोध में किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए , यह स्वयं के लिए नुकसानदेह होता है।

24. अपने गलती का पछतावा

गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था। उनके लिए दूर-दूर से हरी – हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय , भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी।

सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।

पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा।

अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था , क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।

कुछ दिनों से गोपाल परेशान होने लगा , क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी। गोपाल जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता। बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती। गोपाल ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया , किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती।

एक  दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।

जूट की बोरी का जाल बिछाया गया , जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।

अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची।

बिल्ली इतना जोर – जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।

किंतु आज सबक सिखाना था , गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।

देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा , बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।

बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।

पूरे गांव से आग लगी……………….. आग लगी  , बुझाओ …….बुझाओ

इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।

गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।

आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है , साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं।

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25. दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई

दद्दू और मोहित दोनों भाई थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे , मोहित दद्दू से 2 साल बड़ा था। दोनों एक साथ स्कूल जाते , लौटते समय भी दोनों साथ ही आते थे।

एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।

दद्दू को चोट लग गई , उसका घुटना छिल गया………….

जिससे दद्दू जोर जोर से रोने लगा।

पीछे मोहित आ रहा था दौड़ कर झट से अपने भाई को उठा लिया।

मोहित समझदार था दद्दू को काफी समझाया किंतु वह चुप नहीं हो रहा था।

मोहित ने झटपट एक उपाय सोचा और सड़क पर 4-5 लात जोर से मारी और दद्दू को कहा लो इसने तुम्हें चोट लगाया था मैंने इसे चोट लगा दिया।

दद्दू अब सोच में पड़ गया , उसने भी 8 -10 लात मारी।

उसके और दोस्त थे ,

वह भी सड़क पर उछलने लगे जिससे सड़क को और चोट लगे।

बस क्या था , अब यह मनोरंजन का साधन बन गया। कुछ देर बाद सभी वहां से जा चुके थे।

घर पहुंच कर मोहित ने दद्दू के चोट को दिखाया और डिटॉल तथा साफ पानी से घाव को साफ किया गया।

संदेश – समय पर लिया गया निर्णय सर्वदा ठीक होता है।

26 कुम्हार का वात्सल्य रूप

आज लकड़ी काटने के लिए मदन घूमता रहा, किंतु उसे कोई सूखा पेड़ नहीं मिला। वह प्रकृति से इतना जुड़ा हुआ था कि वह हरे-भरे वृक्षों को अपने कुल्हाड़ी के चोट से नहीं काटता। पेड़-पौधों को वह बेटे के समान मानता था और बेटे की हत्या मानव कभी कर ही नहीं सकता।

मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।

न जाने आज कैसा दिन था कि आज उसे कोई सुखी लकड़ी या सुखा पेड़ मिल ही नहीं रहा था। वह थक हार कर एक जगह बैठ गया वह आज बेहद दुखी था कि आज उसे घर ले जाने के लिए अन्य पानी का प्रबंध नहीं हो सका। वह सोचते सोचते बेसुध हो गया और वहीं लेट गया।

प्रकृति सदैव मानव की रक्षा करती है, मानव के जीवन का एक अभिन्न अंग होती है और मनुष्य को प्रकृति पुत्र के समान पालन करती है।

मदन की ऐसी हालत देख प्रकृति में भी उदासी का भाव था। तभी अचानक एक अनोखी घटना घटती है, पेड़ों से शीतल हवा बहने लगती है।

मदन कि अचानक नींद खुलती है तो वह अपने नजदीक एक कपड़े की पोटली पाता है। यह पोटली पेड़ों से चलने वाली हवाओं के साथ मदन के पास आया था।

इस पोटली का रहस्य यह था – कुछ दिन पूर्व एक भले आदमी को लूट कर जंगली डाकू भाग रहे थे, तभी अचानक उनका पैर फिसला और वह पहाड़ों की दुर्गम खाई में जा गिरे जिससे उनकी मृत्यु हो गई। यह पोटली गिरते समय डाकुओं के हाथ से छिटक कर पेड़ पर टंग गई थी। आज आवश्यकता की घड़ी में मदन को उन पैसों से सहायता हो सकी।

मोरल – जब आप किसी की सहायता करते हैं निर्दोष लोगों को परेशान नहीं करते तो प्रकृति भी आपकी सहायता करती है। जब आप प्रकृति का नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति भी आप को नुकसान पहुंचाती है, यह नुकसान दीर्घकालिक होता है।

27. बड़े भैया का रुमाल

राजू तीसरी कक्षा में पढ़ता है , उसका बड़ा भाई कार्तिक भी उसी विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढ़ता है। दोनों भाई एक साथ विद्यालय जाते-आते थे।  रास्ते में दोनों खूब मस्तियां किया करते थे। कार्तिक के पास एक रुमाल था , जिसे वह हमेशा डिटॉल से धोकर साफ-सुथरा रखता था। राजू अपने भैया को हमेशा देखता वह अपने पास सोचता भैया रूमाल को रखते है?

थोड़ी सी भी गंदगी होने पर उसे साफ करते और फिर उसे मोड़ कर अपनी जेब में रख लेते। रुमाल की गंदगी उन्हें पसंद नहीं थी। राजू को इन सब बातों की समझ नहीं थी , वह सोचता रहता था कि बड़े भैया ऐसा क्यों करते हैं , लेकिन कभी उसके समझ में नहीं आया।

एक दिन की बात है राजू झूला झूल रहा था तभी उसके हाथ से झूला छूट गया और वह जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरते ही राजू के घुटने में चोट आ गई जिसके कारण उसके घुटने से खून बहने लगा। कार्तिक ने अपने भाई को देखा तो वह जल्दी से दौड़ता हुआ आया और अपने जेब से रुमाल निकाल कर घाव पर बांध दिया। जिसके कारण खून बहना बंद हो गया। कार्तिक तुरंत अपने भाई को हॉस्पिटल ले गया जहां डॉक्टर ने मरहम-पट्टी कर राजू को बढ़िया कर दिया।

राजू ने देखा भैया जिस रुमाल को बड़े प्यार से साफ-सुथरा करके अपने पास हमेशा रखते थे। जिससे खूब प्यार करते थे , वह अब गंदी हो चुकी थी। बड़े भाई के प्यार के सामने वह रुमाल अधिक प्यारा नहीं था।

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28. मुर्गा की अकल ठिकाने

एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे  रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

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नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

Moral of this story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.

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सर आपकी कहानियां बहुत ही अच्छी होती हे मेने भी अपना एक ब्लॉग बनाया हे Motivation पर lekin रैंक नहीं हो रही कोई मदद करे

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यह सभी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी और इन सभी कहानियों ने मेरी बहुत मदद करी है मेरा प्रोजेक्ट पूरा करने में। आपकी वेबसाइट बहुत अच्छी है और मेरा आपको दिल से धन्यवाद।

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बहुत अच्छी कहानियां लिखी है सर आपने. मुझे पढ़कर बहुत अच्छा लगा और मैंने शेयर भी किया है.

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बहुत ही अच्छी कहानियाँ हैं। शेर जो हाथी पर बैठा था वो सबसे ज्यादा मस्त था। ऐसी ही अच्छी अच्छी कहानियाँ और लिखें।

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बहुत ही अच्छी कहानियां लिखी है आपने.. शानदार कहानियां.. बहुत बहुत धन्यवाद

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We are living in England and so do not have exposure to Hindi Literature. Because of this website, I was able to make my son read Hindi. Thank you very much. But it is very little. I wish there were many more stories like this. Please try to upload them. Thank you again.

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Nishikant Sir is the author of these stories and also the owner of this website

अच्छा लगा कहानी पढ़कर. आपकी सभी कहानी सच में बहुत अच्छी है. दिल को छू गई.

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सभी की सभी कहानियां बहुत अच्छे तरीके से लिखी गई हैं. इसे पढ़कर ना सिर्फ मजा आता है बल्कि प्रेरणा भी मिलती है. आपको खुद का स्टोरी बुक भी बना सकते हैं.

नमस्ते सर, आपने बहुत ही अच्छी-अच्छी शॉर्ट स्टोरीज लिखीं हैं। आगे भी ऐसे ही लिखते रहिएगा सर

आप बहुत अच्छी कहानियां लिखते हैं मैंने आपकी बहुत सारी कहानियों की पोस्ट पड़ी है आपकी वेबसाइट पर. यहां पर और कहानियां लिखकर बहुत अच्छा काम किया है मैं आपको इसके लिए धन्यवाद करना चाहूंगा. हिंदी कहानियां इतने अच्छे तरीके से बहुत कम लोग लिखते हैं इंटरनेट पर. आप उनमें से एक है और काफी सक्षम है.

Thank you Hindivibhag for the best Hindi short stories that are so beautiful. Please keep adding and writing more.

सभी की सभी कहानियां बहुत अच्छी है. दिखने में और पढ़ने में छोटी हैं परंतु उनके नैतिक शिक्षा बहुत ही अच्छे हैं और लाभदायक है हमारे समाज के लिए. इस लेख के पीछे जो भी लेखक हैं उनको हम धन्यवाद करना चाहते हैं.

मुझे सभी कहानियां बहुत अच्छी लगी है और मैं इन कहानियों को प्रिंट करके अपने पास रख लूंगा.

These Short Hindi stories with moral values are awesome but who is the writer of these stories? tell me, please

Amazing stories. I am a hindi learner and it helps me a lot. But I have some doubts like in this sentence मुर्गा की अकल ठिकाने. Why it is “ki” and not “ka”? Another one is कालिया को मिली सजा. Why it is “mili” and not “mila”?

आपके ब्लॉग पर हमेशा ही बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है ऐसे ही लिखते रहिये, भगवान का आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहे

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बहुत ही अच्छी कहानियाँ है. ऐसे ही और कहानियाँ लिखते रहे, धन्यवाद

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बहुत अच्छे हिंदी कहानियां है और नैतिक शिक्षा भी आपने बहुत अच्छे से लिखी है परंतु मेरे को एक बात बतानी है। आप सभी कहानियों में नैतिक शिक्षा क्यों नहीं लिखे, कृपा करके सभी कहानियों में नैतिक शिक्षा लिखिए

सभी कहानियां बहुत छोटी है परंतु नैतिक शिक्षा बहुत अच्छे से दी गई है और अच्छे से लिखी भी गई है परंतु हम चाहते हैं कि आप को बड़ी कहानियां भी डालें जिसे पढ़कर और मजा आए एवं ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर सकें

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बहुत अच्छी कहानियां है पढ़कर अच्छा लगा

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Dhanyavaad in kahaniyon ke liye. Saari kahaniya bohut hi sundar hai. Badi hi saral bhasha ka prayog hua hai in kahaniyon me. Bacchon aur badon ke liye seekhne wali kahaniyaan hain. Ati sundar.

aapki sabhi story prernadayak he apka dhnywad kyuki mere bache ye kahaniya adhte he thank you

Badi achhi stories likhin hain aapne , aise hi likhte rahiye aur aage badte rahiye

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बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा सहित 10 छोटी कहानियाँ | Top 10 short moral stories in Hindi for kids

Lalit Rohilla

Table of Contents

प्रिय पाठकों,

स्वागत है आपका हमारे कहानी ब्लॉग में! यहाँ हम आपके साथ एक सुंदर दुनिया के किस्से साझा करेंगे, जो न केवल मनोरंजन प्रदान करेंगे, बल्कि आपके जीवन में नए दृष्टिकोण और मूल्यों का परिप्रेक्ष्य भी देंगे। हमारे इस ब्लॉग का उद्देश्य आपके अधिकार में मनोबल बढ़ाना है और सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है।

यहाँ पर हम आपको विभिन्न प्रकार की कहानियों से मिलाएंगे – मोरल शिक्षा युक्त कहानियाँ, जीवन के उपयोगी सिख, साहित्यिक चुनौतियाँ, और अन्य रोचक विचारों से भरपूर कहानियाँ। हमारी कहानियों का लक्ष्य आपको ज्ञानवर्धन, आत्मा को समृद्धि और सकारात्मकता की दिशा में मार्गदर्शन करना है।

आपकी सहयोगी रहेगी हमारी यह कोशिश, और हम आपके प्यारे सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा करते हैं। इस यात्रा में हम साथ चलकर आपके दिलों को छूने वाली और आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली कहानियों को साझा करने का इंतजार कर रहे हैं।

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Story 1: दोस्ती की महत्व

किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे, राजू और मोहन। वे हमेशा एक साथ खेलते थे और एक दूसरे के साथ हर पल बिताते थे। एक दिन राजू अपने माता-पिता के साथ गाँव से बाहर जा रहा था। मोहन रोने लगा और राजू समझाने लगा, “तुझे मेरी आवश्यकता नहीं है, तू अपने दोस्तों के साथ खुश रहेगा।”

समय बितते-बितते, राजू ने नए दोस्त बनाए, लेकिन वे सब सिर्फ मजाक के लिए थे। उसकी खुशियाँ असली दोस्ती की यादों में खो गई। एक दिन राजू को समझ में आया कि असली दोस्ती का महत्व कुछ और होता है। उसने मोहन से मिलकर माफी मांगी और उनकी असली दोस्ती फिर से शुरू हुई।

मोरल: असली दोस्ती में selfishness की जगह नहीं होती, वो हमारे सबसे क़रीबी होते हैं और हमारे hard time में हमारे साथ होते हैं।

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Story 2: गरीब किसान की मेहनत

एक गांव में एक गरीब किसान रहता था। उसका पूरा दिन खेतों में मेहनत करने में गुजरता था। उसकी मेहनत का परिणाम उसके खेतों में दिखाई देता था, परंतु उसके पड़ोसी किसान सिर्फ आलस्य में ही रहते थे।

गरीब किसान का पैड़ोसी किसान के साथ तुलना करते हुए अच्छे दिन आने की उम्मीद से खेतों की मेहनत छोड़ दी। पूरे वर्ष बाद, हालात बिगड़ गए और खेतों में भारी बारिश हुई।

गरीब किसान के खेत फसल से भरे हुए थे और उसकी मेहनत ने उसे उन बुरे समय में भी सहायता प्रदान की। जबकि पड़ोसी किसान के खेतों में कोई फसल नहीं आई और उन्होंने बड़ी परेशानियों का सामना किया।

मोरल: मेहनत केवल अच्छे दिनों के लिए ही नहीं की जाती, बल्कि बुरे दिनों में भी उसका फल मिलता है।

Story 3: ईमानदार किसान की कहानी

एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था। उसकी मेहनत और ईमानदारी के बारे में सब जानते थे। एक बार, उसके खेत में खुदाई के दौरान सोना मिला। किसान ने अपने गांव के सरपंच को सूचित किया और सोने को सरपंच के पास ले गया।

सरपंच ने सोने को देखकर चिंतित होकर किसान से कहा, “तूने सोने को देखकर नहीं छिपाया? बहुत सारे लोग होते जो इसे छिपा लेते।” किसान ने उसका उत्तर दिया, “महाशय, मैं जानता हूँ कि सोने का मूल्य क्या है, लेकिन मेरी ईमानदारी सोने से भी महत्वपूर्ण है।”

सरपंच ने इसकी प्रशंसा की और उसके ईमानदारी की सराहना की।

मोरल: ईमानदारी और आत्मसमर्पण हमारी सच्ची पहचान होती है, और वे हमें सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं।

Story 4: खरगोश और कछुआ की मित्रता

एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। वे मित्रता से रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते रहते थे। एक बार खरगोश को पता चला कि उसका दोस्त, कछुआ उसके घर में आ रहा है।

खरगोश ने देखा कि कछुआ बहुत धीरे-धीरे चल रहा था और उसके पास कई सामान थे। खरगोश ने कछुआ से पूछा, “तुम इतने धीरे-धीरे क्यों चल रहे हो और इतना सामान क्यों ले रहे हो?”

कछुआ ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं तुम्हारे जितना तेज नहीं चल सकता हूं इसीलिए तुम कुछ सामान लेकर मेरी मदद करो। हम मिलकर साथ चलेंगे और सामान बांटेंगे, तो हम जल्दी से अपने मंजिल तक पहुँच सकते हैं।”

खरगोश ने कछुआ की सोच को समझा और उन्होंने साथ मिलकर सामान बांटने में मदद की। दोनों ने मिलकर मंजिल पर पहुँचने में सफलता पाई।

मोरल: आपसी सहायता से हम अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सकते हैं।

Story 5: आलस्य का परिणाम

एक बार की बात है, एक गांव में एक लड़का रहता था जो बहुत ही आलस्यी था। वह सबकी मदद करने की बजाय खुद के काम में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं लेता था। वह सिर्फ घूमने और खेलने में ही समय बिताता था।

एक दिन, उसके पिता ने उसे एक पेड़ की देखभाल के लिए कहा। लड़का ने आलस्य में आकर कुछ नहीं किया। समय बीतते-बीतते, पेड़ किसी बीमारी से मर गया। लड़के को अब खुद के काम से बहुत दुख हुआ और उसने समझा कि आलस्य का परिणाम बहुत बुरा होता है।

मोरल: कामकाज में आलस्य बर्बादी की ओर ले जाता है, जबकि मेहनत सफलता की कुंजी होती है।

Story 6: समझदार बच्चा

एक गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। वह बच्चा बहुत ही समझदार और चतुर था। एक दिन, उसके दोस्त उससे चिढ़ने लगे और कहने लगे कि वह किसी भी चीज़ को आंखे बंद करके पहचान सकता है।

राजू ने यह सुनकर सोचा कि वह यह सचमुच में कर सकता है या नहीं। उसने अपने दोस्तों को एक छोटी सी परीक्षा दी और उन्हें विभिन्न वस्त्र पहनाने की सलाह दी।

जब उन्होंने आंखें बंद की और वस्त्र पहने, तो उसने बिना देखे ही उनके वस्त्रों के रंग को सही तरीके से पहचान लिया। उसके दोस्तों ने उसकी समझदारी को स्वीकार किया और उससे माफी मांगी।

मोरल: समझदारी और ज्ञान हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करते हैं।

Story 7: सहायता की महत्वपूर्णता

एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था जिसका नाम रामू था। रामू का दिल बड़ा ही दयालु था और वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। एक बार, गांव में अचानक बाढ़ आ गई और लोगों को बड़ी परेशानी हो गई।

रामू ने अपनी कमजोरियों के बावजूद भी अपनी मेहनत से मदद करने का निश्चय किया। वह दूसरे लोगों के साथ मिलकर बचाने के लिए कई प्रयास किए और उन्होंने बड़े ही संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की।

उसकी मदद से बाढ़ से बचाये गए लोग उसकी सहायता का आभार जताते रहे और उसकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहे।

मोरल: दूसरों की मदद करना हमारे भीतर की मानवता की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और यह समाज को साथ लाने में मदद करता है।

Story 8: सत्य की महिमा

एक गाँव में एक बड़ा सांप बसा था। लोग उससे डरते थे, क्योंकि वो बड़ा ही खतरनाक था। एक दिन एक छोटे से गोलू नामक बच्चे ने उस सांप को पालक से देखा।

गोलू बच्चे ने देखा कि सांप के मुख से धुंध निकल रहा था। उसने सांप से पूछा, “आप इतने दुखी क्यों हो? क्या कुछ गलत हो गया है?”

सांप ने उसको सच्चाई बताई कि उसकी दंतों में एक दरार हो गई है, जिसकी वजह से वो खाना नहीं खा पा रहा था। गोलू ने आगे बढ़कर एक बड़े वैद्य को बताया और उसने सांप के दंतों की चिकित्सा की। सांप के दंत ठीक हो गए और वो फिर से खुशहाल हो गया।

मोरल: सत्य का पालन करने से हमें कभी भी परेशानी नहीं होती। चाहे जितनी भी मुश्किलें क्यों न हो, हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।

Story 9: सही दिशा में प्रयास

एक गाँव में एक गरीब लड़का रहता था, जिसका नाम मोहन था। वह गरीबी के बावजूद भी पढ़ाई में रूचि रखता था। एक दिन, उसने एक अमीर व्यापारी से मिलकर उसे अपने बचपन की कहानी सुनाई।

अमीर व्यापारी ने कहा, “जब मैं बचपन में था, मेरे पास भी कुछ नहीं था। लेकिन मैंने सोचा कि मैं एक दिन अमीर बनूंगा। मैंने मेहनत की और अपने काम में ध्यान दिया। आज, मेरी मेहनत और सही दिशा में प्रयास ने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है।”

मोहन ने इस कहानी से प्रेरणा ली और उसने भी अपने लक्ष्य की दिशा में प्रयास करना शुरू किया। वह मेहनत के साथ पढ़ाई करता रहा और सही दिशा में प्रयास करता रहा।

धीरे-धीरे, मोहन की मेहनत और उद्यमिता ने उसे सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उसने अपनी बचपन की इस कठिनाई को एक महत्वपूर्ण सीख माना कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

मोरल: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही दिशा में प्रयास करने से हम किसी भी स्थिति को पार कर सकते हैं। हालात चाहे जैसे भी हो, मेहनत, उम्मीद और सही दिशा में प्रयास से हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

Story 10: आपसी सहायता का महत्व

एक छोटे से गांव में तीन सखी रहती थीं, जिनके नाम रिया, सिया और मिया थे। वे तीनों बहुत ही खुशहाल और सजीव जीवन जीती थीं, लेकिन उनकी दिनचर्या में आपसी सहायता की आदत थी।

एक दिन, गांव में बड़ी भूखमरी आई और लोगों को भोजन की कमी हो गई। रिया, सिया और मिया ने मिलकर मानवता की सेवा करने का निश्चय किया। वे खुद खाना बांटने और गरीबों को भोजन प्रदान करने में लग गए।

उनकी सहायता से गांव के लोगों का पेट भर गया और उनकी सेवा के लिए सभी ने उन्हें प्रशंसा और आभार दिखाया।

आपसी सहायता ने उन तीनों को समृद्धि का अहसास दिलाया, क्योंकि वे ने अपने साथी और समाज की मदद करके सबका हित किया।

मोरल: आपसी सहायता से ही समृद्धि और समाज में उत्कृष्टि होती है, और हमें एक दूसरे की मदद करने में अपना सुख और सफलता प्राप्त होता है।

साथ ही, यदि आपके पास किसी विशेष विषय पर कहानी की आवश्यकता हो या आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो कृपया हमसे संपर्क करें।

धन्यवाद, Team AaravHindi.Com

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short story on girl education in hindi

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बालिका शिक्षा पर निबंध, लेख, अनुच्छेद

short story on girl education in hindi

By विकास सिंह

Paragraph on girl education in hindi

शिक्षा सभी का अधिकार है और यह महिलाओं के लिए सशक्तिकरण के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। शिक्षित महिला समाज के विकास में बहुत योगदान देती है और वे जीवन के हर पड़ाव में पुरुषों की जिम्मेदारी को साझा कर सकती हैं। शिक्षा न केवल लोगों के मन को जागृत करती है, बल्कि यह उन्हें आत्म निर्भर बनाती है।

भारत में नारी शिक्षा अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में कम पसंदीदा विकल्प है। समय अब बदल गया है और जिन लड़कियों पर उनके माता-पिता और समाज को भरोसा है, वे हर क्षेत्र में चमत्कार कर रही हैं। इंदिरा गांधी, किरण बेदी, लता मंगेशकर आदि कुछ महान उदाहरण हैं।

बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (100 शब्द)

समाज को मजबूत करने और अपराध दर को कम करने के लिए लड़कियों की शिक्षा और लैंगिक समानता बहुत महत्वपूर्ण है; लेकिन आज लड़कियों की शिक्षा सिर्फ लड़कियों को स्कूल भेजने से ही नहीं है। यह स्कूल में रहने के दौरान लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में भी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश माता-पिता अब अपनी लड़की को स्कूल भेजने के लिए आश्वस्त हो रहे हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि लड़कियां शिक्षा के सभी आवश्यक स्तरों को पूरा करें, श्रम बाजार में समान स्तर की प्रतिस्पर्धा दिखाने के लिए अतिरिक्त कौशल और दक्षताएं सीखें।

शिक्षा लड़कियों की स्वतंत्र सोच को आकार देने में मदद करती है ताकि वे अपने जीवन के निर्णय अपने दम पर ले सकें और सही और गलत के बीच अंतर कर सकें ताकि वे सामाजिक विकास में योगदान कर सकें।

बालिका शिक्षा पर लेख, 150 शब्द:

लड़कियां निस्संदेह हमारे समाज का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लड़कियों की उपस्थिति के बिना कोई भी समाज या संस्कृति आगे नहीं बढ़ सकती। कुछ साल पहले तक, भारत और कई अन्य अविकसित और विकासशील देशों में लोग सोचते थे कि लड़कियों को घर पर रहना चाहिए, खाना बनाना चाहिए और बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करनी चाहिए।

लेकिन अब मानसिकता बदल दी गई है; भारत में लड़कियां अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं और वे शिक्षा, खेल, राजनीति आदि जैसे हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। यह केवल लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के माध्यम से संभव हो सकता है।

शिक्षा ही एकमात्र हथियार है जो लड़कियों को सशक्त बना सकता है और परिणामस्वरूप समाज को मजबूत कर सकता है। यह देखना अच्छा है कि आधुनिक युग लड़कियों के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल रहा है और उन्हें अपनी क्षमता साबित करने के लिए सभी का समर्थन दे रहा है। दृष्टिकोण के इस परिवर्तन में लैंगिक समानता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (200 शब्द)

भारत में बालिका शिक्षा काफी हद तक राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है क्योंकि लड़कियां लड़कों की तुलना में बेहतर काम कर सकती हैं। आजकल बालिका शिक्षा आवश्यक है और अनिवार्य भी है क्योंकि बालिकाएं देश का भविष्य हैं। भारत में, सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करने के लिए लड़की की शिक्षा आवश्यक है।

शिक्षित महिलाएँ व्यावसायिक क्षेत्रों जैसे – चिकित्सा, रक्षा सेवाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के माध्यम से भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वे अच्छा व्यवसाय करते हैं और अपने घर और कार्यालय को संभालने में भी पारंगत होते हैं। एक बेहतर अर्थव्यवस्था और समाज लड़की की शिक्षा का परिणाम है।

शिक्षित महिलाएं भी अशिक्षित महिलाओं की तुलना में सही या बाद की उम्र में शादी करके देश की आबादी को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। प्रारंभिक भारतीय समाज में महिला शिक्षा काफी अच्छी थी लेकिन मध्य युग में, यह महिलाओं के प्रति कई सीमाओं के कारण नहीं था।

हालाँकि, फिर से यह दिन-ब-दिन बेहतर और बेहतर होता जा रहा है क्योंकि भारत में लोगों ने इस तथ्य को समझा है कि महिलाओं के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। यह बहुत सही है कि दोनों लिंगों के समान विस्तार से देश के हर क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

बालिका शिक्षा पर लेख, 300 शब्द :

प्रस्तावना:

पिछले समय में बालिका शिक्षा को कभी आवश्यक नहीं माना गया था। लेकिन समय के साथ लोगों ने एक लड़की की शिक्षा के महत्व को महसूस किया है। यह अब आधुनिक युग में लड़कियों के जागरण के रूप में माना जाता है। महिलाएं अब जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

लेकिन फिर भी, ऐसे लोग हैं जो लड़की की शिक्षा का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि लड़की का क्षेत्र घर पर है और वे यह भी सोचते हैं कि लड़की की शिक्षा पर खर्च करना पैसे की बर्बादी है। यह विचार गलत है क्योंकि बालिका शिक्षा संस्कृति में एक विद्रोह ला सकती है।

बालिका शिक्षा का महत्व :

लड़कियों की शिक्षा में बहुत सारे फायदे शामिल हैं। एक पढ़ी-लिखी और बड़ी हो चुकी लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की पुरुषों के भार और बोझ को विभिन्न क्षेत्रों में साझा कर सकती है। एक कम पढ़ी-लिखी लड़की, जिसे कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है, वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में काम कर सकती है। वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।

आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में, एक मध्यमवर्गीय परिवार में दोनों सिरों का मिलना वाकई मुश्किल है। शादी के बाद, एक शिक्षित लड़की काम कर सकती है और परिवार के खर्चों को वहन करने में अपने पति की मदद कर सकती है। अगर पति की समय सीमा समाप्त हो जाती है और परिवार में कोई मदद नहीं करता है तो वह भी कमा सकती है।

शिक्षा महिलाओं के विचारों को भी व्यापक बनाती है, इस प्रकार यह उनके बच्चों की अच्छी परवरिश में मदद करता है। इससे उसे यह तय करने की स्वतंत्रता भी मिलती है कि उसके और परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है।

शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है जबकि वह अपने अधिकारों और महिला सशक्तीकरण को जानती है जो उसे लैंगिक असमानता की समस्या से लड़ने में मदद करती है।

निष्कर्ष :

एक राष्ट्र का सुधार लड़की के सीखने पर निर्भर करता है। इसलिए, लड़की की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (350 शब्द)

लड़कियों की शिक्षा हमेशा चर्चा का विषय रही है। प्राचीन समय से, लड़कियों को कमजोर माना जाता है और इस प्रकार उन्हें घर पर रहने और घरेलू मुद्दों का ध्यान रखने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है; लड़कियां आज अपने घरों की सीमाओं को पार कर रही हैं और चमत्कार कर रही हैं।

जिन लड़कियों को शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था, वे अब सेना, नौसेना, वायु सेना, कुश्ती, निशानेबाजी और हर दूसरे क्षेत्र में शामिल होनेको तत्पर हैं। लेकिन आज भी, भारत का एक बड़ा वर्ग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर माता-पिता अभी भी लड़कियों को स्कूलों में भेजने में संकोच करते हैं।

इसके पीछे कई कारण हैं और सदियों पुरानी मानसिकता सबसे बड़े कारणों में से एक है। भारत जैसे देश में जहां बहुसंख्यक लोग दुर्गा, काली, शक्ति, सरस्वती आदि देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, यह देखना वाकई अजीब है कि लड़कियों को अपने फैसले लेने की अनुमति नहीं है। शिक्षा की कमी बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अन्य कई अपराधों के रूप में कई कुप्रथाओं को जन्म देती है।

सरकार को बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए जैसे कि उन्हें प्रेरित करने के लिए लड़कियों को छात्रवृत्ति, वजीफा, प्रमाण पत्र, आदि प्रदान करना। स्कूल से दूरी कम करने से न केवल दूरदराज के क्षेत्रों में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि माता-पिता को भी अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

यह भी महत्वपूर्ण है कि युवा लड़के और पुरुष सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में चर्चा में शामिल हों; इस तरह की चर्चाएँ पुरुष की रूढ़िवादी मानसिकता को उनकी महिला समकक्षों के प्रति बदल सकती हैं। शिक्षा प्रणाली में लड़कियों और युवा महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए, प्राधिकरण को उनके लिए सुरक्षित और समावेशी सीखने का माहौल बनाना चाहिए।

लिंग-संवेदनशील पाठ्यक्रम उनके व्यावहारिक ज्ञान को भी बढ़ाएगा, जिससे उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा। स्कूलों में अधिक से अधिक महिला शिक्षकों को काम पर रखा जाना चाहिए; यह लड़कियों को कठिन अध्ययन करने और अपने शिक्षक के पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करेगा।

सरकार को जल्दी / बाल विवाह को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए; ये सभी और कई अन्य कदम निश्चित रूप से माता-पिता में भी जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाते हैं और लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने और एक स्वतंत्र व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करेंगे।

बालिका शिक्षा पर लेख, 400 शब्द :

देश के उपयुक्त सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महिला शिक्षा आवश्यक है। हर समाज में पुरुष और महिलाएं दो पहियों की तरह समानांतर चलते हैं। इसलिए, दोनों देश में विकास और विकास के महत्वपूर्ण घटक हैं। इस प्रकार, शिक्षा के लिए दोनों को समान अवसर की आवश्यकता होती है।

भारत में महिला शिक्षा के लाभ :

भारत में बालिका शिक्षा देश के भविष्य के लिए आवश्यक है क्योंकि महिलाएँ अपने बच्चों की प्राथमिक शिक्षक हैं जो राष्ट्र का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में गतिशील रूप से योगदान नहीं दे सकती हैं और बच्चों की उचित देखभाल कर सकती हैं और इस प्रकार भविष्य की कमजोर पीढ़ी पैदा होती है। बालिका शिक्षा के कई फायदे हैं। शीर्ष में से कुछ इस प्रकार हैं:

  • शिक्षित महिलाएं अपने भविष्य को प्रभावित करने में अधिक सक्षम होती हैं।
  • शिक्षित महिलाएँ आर्थिक रूप से मजबूत होकर और काम करके गरीबी को कम करने में सक्षम हैं।
  • शिक्षित महिलाओं में बाल मृत्यु दर कम होती है।
  • शिक्षित महिलाएं अपने बच्चे के टीकाकरण की संभावना 50% अधिक होती हैं।
  • शिक्षित महिलाओं को कम फायदा होने और एचआईवी / एड्स के संपर्क की संभावना कम होती है।
  • शिक्षित महिलाओं के घरेलू या यौन शोषण का शिकार बनने की संभावना कम होती है।
  • शिक्षित महिलाएँ भ्रष्टाचार को कम करती हैं और आतंकवाद को जन्म देने वाली परिस्थितियों को बदल देती हैं।
  • शिक्षित महिलाएं परिवार की कमाई में योगदान करने के लिए बेहतर परिचालन कर रही हैं।
  • शिक्षित महिलाएं स्वस्थ होती हैं और उनमें अधिक आत्मसम्मान और आत्मविश्वास होता है।
  • शिक्षित महिलाएं अपने समुदाय को योगदान देने और समृद्ध बनाने में मदद करती हैं।
  • शिक्षित होने वाली महिलाएं दूसरों में शिक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता देखती हैं।
  • शिक्षित महिलाएं, बिना किसी संदेह के अपने परिवार को अधिक कुशलता से संभाल सकती हैं।
  • वह बच्चों में अच्छे गुणों को लागू करके प्रत्येक परिवार के सहयोगी को जिम्मेदार बना सकती है।
  • वह सामाजिक कामकाज में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक आर्थिक स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक महान योगदान हो सकता है।

एक आदमी को शिक्षित करके, राष्ट्र के एक हिस्से को शिक्षित किया जाएगा, लेकिन एक महिला को शिक्षित करके, पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। महिला शिक्षा का अभाव समाज के शक्तिशाली हिस्से को कमजोर करता है। तो, महिलाओं को शिक्षा के लिए पूर्ण अधिकार होना चाहिए और पुरुषों के साथ हीन व्यवहार नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत अब महिला शिक्षा के आधार पर एक अग्रणी देश है। भारतीय इतिहास प्रतिभाशाली महिलाओं से रहित नहीं है। यह गार्गी, विश्वबारा और मैत्रेय जैसी महिला दार्शनिकों से भरा है। अन्य प्रसिद्ध महिलाओं में मीराबाई, दुर्गाबाती, अहल्याबी और लक्ष्मीबाई शामिल हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Women Education Essay in Hindi - महिला शिक्षा पर निबंध हिंदी में - Girl Education Essay in Hindi

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रूपरेखा : प्रस्तावना - लड़कियों की वर्तमान स्थिति - लड़कियों की शिक्षा का महत्व - सरकार द्वारा उठाए गए कदम - उपसंहार ।

हमारा समाज पुरुष-शासित है। यहाँ माना जाता है कि पुरुष बाहर जाएँ तथा अपने परिवारों के लिए कमाएँ। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे घर में रहें और परिवार की देखभाल करें। पहले इस व्यवस्था का समाज में सख्ती से पालन किया जाता था। आज भी थोड़ी-बहुत ऐसी मानसिकता देखी जा सकती है। जनसँख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है और भारत में लड़कियों की शिक्षा की दर बहुत कम है। इस कारण महिलाओं की शिक्षा को बहुत क्षति हुई । उन्हें अध्ययन के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। महिला की शिक्षा को अनुपयोगी समझा जाता था।

परंतु, अब समय बदल गया है। सामाजिक परिस्थितियाँ और आवश्यकताएँ बदल गई हैं। हमारा देश विकसित देश बनने की दौर में है। अब महिला-शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। हमारी लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए लड़कों के साथसाथ उनकी शिक्षा समान रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाती है। किसी महिला को शिक्षित करने के बहुत-से लाभ हैं। वह परिवार की देखभाल करती है। यदि वह शिक्षित है, तो वह घर पर वित्त की व्यवस्था कर सकती है, अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती है। वह अपने बच्चों को पढ़ा सकती है। मुद्रा-स्फीति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आजकल सिर्फ एक व्यक्ति की आय से ही घर को चलाना अत्यंत कठिन है। अतएव, वह इस ओर भी योगदान कर सकती है।

देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलायें अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं जो देश का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकती और बच्चों की उचित देखभाल करने में नाकाम रहती हैं। इस प्रकार भविष्य की पीढ़ी कमजोर हो सकती है। लड़कियों की शिक्षा में कई फायदे हैं। एक सुशिक्षित और सुशोभित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है। एक शिक्षित लड़की की अगर कम उम्र में शादी नहीं की गई तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा कर सकती हैं। इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है।

शिक्षित लड़कियाँ बच्चों में अच्छे गुण प्रदान करके परिवार के प्रत्येक मेंबर को उत्तरदायी बना सकती हैं। शिक्षित महिला सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक-आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक बड़ा योगदान हो सकता है। एक आदमी को शिक्षित करके केवल राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा की कमी ने समाज के शक्तिशाली भाग को कमजोर कर दिया है। इसलिए महिलाओं को शिक्षा का पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से कमजोर नहीं मानना चाहिए।

आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में एक मध्यवर्गीय परिवार की जरूरतों को पूरा करना वास्तव में कठिन है। शादी के बाद अगर एक शिक्षित लड़की काम करती है तो वह अपने पति के साथ परिवार के खर्चों को पूरा करने में मदद कर सकती है। अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह काम करके पैसा कमा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, चाहे वह लड़का हो या लड़की सभी के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। लेकिन हमारे समाज में अभी भी शिक्षा को लेकर लैंगिक भेदभाव किया जाता है जहां लड़कों की शिक्षा को तवज्जो दी जाती है वहीं लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है।

शिक्षा महिलाओं के सोच के दायरे को भी बढ़ाती है जिससे वह अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है। इससे वह यह भी तय कर सकती है कि उसके और उसके परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है। शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले।

सरकार ने महिला-शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बहुत-से उपाय किए हैं। बच्चों को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए । 'सर्वशिक्षा अभियान' आरंभ किया गया है। बहुत-से महिला विद्यालय खोले गए हैं। छात्राओं को विद्यालय-पोशाक और साइकिलें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है। बहुत-से संगठन भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।

लड़कों की तरह लड़कियों को भी विभिन्न प्रकार की शिक्षा देना जरूरी है। उनकी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सके। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि महिला की शिक्षा को अब अनुपयोगी नहीं समझा जा सकता। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी कन्याएँ भी अनिवार्य रूप से विद्यालय जाएँ। वे न सिर्फ उन्हें उनकी गृहस्थी चलाने में, बल्कि राष्ट्र को भी मजबूत बनाने में मदद करेंगी।

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बालिका शिक्षा पर निबंध

Essay on Girl Education in Hindi: नमस्कार दोस्तों, शिक्षा हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। शिक्षा लड़का हो या लड़की सबके लिए अनिवार्य होती है। हमारी यह पोस्ट बालिका शिक्षा पर निबंध लेखन (Essay on Girl Education in Hindi ) को लेकर है।

Essay on Girl Education in Hindi

यह हिंदी निबंध कक्षा 1 से 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए उपयोगी साबित होगा ही साथ में यह Hindi Nibandh उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा। अतः आप इस लड़कियों की शिक्षा पर निबंध (Girl Education Essay in Hindi) को अंतिम तक जरूर करें।

बालिका शिक्षा पर निबंध – Essay on Girl Education in Hindi

बालिका शिक्षा पर निबंध – 300 word.

देश मे शिक्षा को बढ़ावा देने व खासकर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएँ चलाई जा रही है। भारत के संविधान मे इसके लिए एक अधिकार भी जोड़ा गया है जो कि शिक्षा के अधिकार के नाम से जाता है, जिसमे गांव व कस्बो के साथ बड़े शहरो मे भी शिक्षा व इससे से जुड़े कार्यो को बढ़ावा दिया जा रहा है।

बालिका शिक्षा का महत्व

Balika Shiksha ka Mahatva: आज के समय मे देखा जाये तो लड़किया भी लड़को की तरह हर क्षेत्र मे अपना नाम कमा रही है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने वाली सावित्री बाई फुले से प्रेरणा लेकर हम बालिका शिक्षा महत्व दे सकते है। आज कई शिक्षित लड़किया देश मे Doctor, आई.ए.एस, इंजीनियर कई महत्वपूर्ण पदो पर अपनी सेवा दे रही है।

महिलाओं को अगर बेहतर शिक्षा दी जाती है तो महिलाएं देश के विकास मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगी। किसी भी देश के विकास मे महिलाओं और पुरूषों को शिक्षा के अवसर समान रूप से मिलना चाहिए।

बालिका शिक्षा के लाभ

देश के एक बेहतर भविष्य के लिए बालिका शिक्षा काफी महत्वपूर्ण है। बालिका शिक्षा के कुछ लाभ निम्नानुसार है। 

  • महिलाए देश के बेहतर भविष्य की एक महत्वपूर्ण नींव है। 
  • शिक्षित महिलाओं की वजह से देश में कन्या भ्रुण हत्या व बालिका अपराध जैसी घटनाओ मे कमी आ रही है। 
  • शिक्षित बालिकाओं की वजह से महिलाओं मे एच.आई.वी / एड्स जैसी बिमारियो मे कमी आ रही है। 
  • शिक्षित महिलाएँ घर के आय-व्यय को एक बेतहर ढ़ग से सम्भाल रही है। 

शिक्षित व अशिक्षित बालिकाओ मे अन्तर

  • शिक्षित और अशिक्षित महिलाओं के मध्य पहला अन्तर रहता है सोच का, शिक्षित महिलाएं की सोच ज्यादा प्रेक्ट्रिकल होती है। 
  • शिक्षित और अशिक्षित महिलाओं के मध्य व्यवहार का अन्तर।
  • शिक्षित और अशिक्षित महिलाओं मे फैसले लेने की सोच का अन्तर।

किसी भी देश के सुधार के लिए शिक्षित लड़कियों को योगदान काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए लड़कियों को शिक्षा हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए, इसके लिए सरकार भी कई अलग अलग प्रोग्राम चला रही है ताकि बालिका शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके।

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बालिका शिक्षा पर निबंध – 400 word

शिक्षा सबके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है फिर चाहे वो महिला हो या पुरूष बिना शिक्षा के किसी का भी विकास सम्भव नही है। शिक्षा रंग भेद, जाति भेद, इत्यादी भेदभावो को राकने मे शिक्षा का काफी योगदान रहता है। शिक्षा बालिकाओं को अपने लिए एक बेहतर भविष्य चुनने मे मदद करती है।

एक शिक्षित महिला मे आत्मविश्वास , कौशल, सूचना, प्रतिभा इत्यादी की कोई कमी नही रहती। महिला और पुरूष एक सिक्के के दो पहलू है जो देश के विकास मे काफी मददगार रहते है, तो उन्हें विकास के अवसर भी समान रूप से दिये जाने चाहिए जिसमे शिक्षा एक महत्वपूर्ण है।

लड़कियों की शिक्षा का महत्व (Importance of Girl Education)

देश मे शिक्षित लड़कियों का काफी महत्व है। एक शिक्षित लड़की देश के विकास मे अपना काफी महत्वपूर्ण योगदान निभाती है। एक शिक्षित महिला पुरुषों के घरेलू भार को कम करती हैं। एक शिक्षित महिला आज देश मे विभिन्न क्षेत्रों के जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, IAS, IPS में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा रही हैं। आज के आर्थिक संकट में शिक्षा लड़कियों के लिए एक वरदान साबित हो रही हैं। शिक्षा लड़कियों को आर्थिक रूप से स्वंत्र बनाती हैं।

आज के युग मे लड़कियों को दी जाने वाली शिक्षा का काफी महत्व हैं और इसके काफी सारे लाभ भी है जो निम्न हैं:

  • शिक्षित महिलाएं अपने बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकती हैं।
  • एक शिक्षित महिला आर्थिक रूप से मजबूत बन कर देश मे गरीबी को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  • शिक्षित महिला अपने बच्चो के टीकाकरण की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती हैं, जिससे बच्चो में होने वाली बीमारियों से बच्चो को बचाया जा सकता हैं।
  • शिक्षित महिला अपनी नॉलेज से अपने घर की कमाई में योगदान दे सकती हैं।

एक पुरूष को शिक्षित कर के देश के एक हिस्से को बेसक मजबूत किया जा सकता हैं परंतु एक महिला को शिक्षित कर के पूरे देश को एक मजबूत स्तिथि में लाया जा सकता हैं।

अशिक्षित बनाम शिक्षित महिला

एक शिक्षित महिला और एक अशिक्षित महिला में काफ़ी अंतर रहता हैं जो देश और समाज को बनने व बिगाड़ने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।

  • एक अशिक्षित महिला अपने घर के कार्यो मे उलझी रहती है, वही एक शिक्षित महिला एथलीट, रिपोर्टर, अधिकारी इत्यादी के रूप मे कार्य करती है। 
  • एक शिक्षित महिला अपने बच्चो के लिए बेहतर भविष्य के लिए उन्हे शिक्षित कर सकती है, वही अशिक्षित महिलाओं के लिए यह कम देखा जाता है। 
  • एक शिक्षित महिला व एक अशिक्षित महिला के मध्य सोच का काफी अन्तर रहता है।

नारी की महिमा

सभी रस भावों का संस्कार है नारी, दया, ममता, करुणा का भंडार है नारी काव्य रस का सार है नारी जीवन का आधार है नारी।

सरस्वती तो कभी लक्ष्मी अन्नपूर्णा तो कभी तुलसी के रूप में हर घर की अभिलाषा हो तुम करुणा, धर्य, शौर्य की परिभाषा हो तुम।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई बनकर तुमने युद्ध की सेना में वीर रस का संचार किया भक्ति रस में डूबी मीराबाई ने निश्चल प्रेम भक्ति का प्रचार किया।

अंबे काली बनकर तुमने रौद्र रूप में दुष्टों का संहार किया यशोदा माता बनकर तुमने वात्सल्य रस का श्रृंगार किया।

तुम साधना तुम वंदना नित हो रहा नारी महिमा का बखान वेद पुराण भी करते हैं तुम्हारे शक्ति, ज्ञान,साहस का गुणगान।

नारी में ही समाई सृष्टि सारी ना कहिए नारी को बेचारी शत् शत् नमन तुमको करते सब वंदना तुम्हारे जय हो नारी – जय हो नारी।

सरकार भारत मे महिला शिक्षा को बढावा देने के लिए काफी महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। हमारे समाज मे महिलाओं के योगदान को नजर अंदाज नही किया जा सकता है। इसलिए महिला शिक्षा को बढावा दिया जाना चाहिए और देश की हर बालिका को पढ़ने का समान अवसर दिया जाना चाहिए।

बालिका शिक्षा पर निबंध – 500 word

महिलाओ की शिक्षा के बिना किसी भी देश के विकास की कल्पना करना नामुमकिन है। देश के विकास मे महिलाओं का काफी योगदान है। एक पुरूष को शिक्षित करने के से घर का सिर्फ एक सदस्य शिक्षित होता है परन्तु एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होता है। किसी भी देश के विकास मे महिलाओं और पुरूषों को शिक्षा के अवसर समान रूप से मिलना चाहिए।

नारी शिक्षा का महत्व

एक सभ्य समाज का विकास उस देश की नारियों से ही सम्भव है। परिवार की छोटी छोटी ईकाई मिलकर एक परिवार का निर्माण करती है और उस परिवार का मुख्य बिन्दू महिला होती है। महिला और पुरूष एक सिक्के के दो पहलू है जो देश के विकास मे काफी मददगार रहते है, तो उन्हे विकास के अवसर भी समान रूप से दिये जाने चाहिए जिसमे शिक्षा एक महत्वपूर्ण है।

महिलाओं को अगर बेहतर शिक्षा दी जाती है तो महिलाएं देश के विकास मे अपना महत्वपूण योगदान दे सकेगी। किसी भी देश के विकास मे महिलाओं और पुरूषों को शिक्षा के अवसर समान रूप से मिलना चाहिए। आज हमारे देश मे करीबन 64.6 प्रतिशत शिक्षित नारीयां है। पूर्व मे नारियों की शिक्षा मे कमी का मुख्य कारण है उनकी गुलामी, जो लड़कियों को अंग्रेजी के भय के कारण घरा से बाहर तक नही निकलने देते थे। 

शिक्षित नारी बनाम अशिक्षित नारी

आज के समय मे हमारे समाज मे कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है कि हमे शिक्षित नारियां एवं अशिक्षित नारियो के बारे जानने की आवश्यकता पड़ जाती है। वेसे तो शिक्षित नारियां एवं अशिक्षित नारियों मे कोई अंतर नही है परन्तु फिर भी अगर शिक्षा की दृष्टि से देखा जाये तो इन दोनो मे काफी अंतर है जो की निम्न है। 

  • शिक्षित व अशिक्षित नारियों के मध्य सबसे पहला अंतर है सोच का, किसी भी मदभेद के मामले मे एक शिक्षित महिला ज्यादा प्रेट्रिकली सोच पायेगी और मसले को हल करने की भी कोशिश करेगी वही एक अशिक्षित नारी हो सकते है वा अपने जजबातो से कोई फैसला ले। 
  • दूसरा अंतर है आत्मनिर्भर बनने का: एक शिक्षित नारी अपने बेहतर भविष्य के लिए कुछ भी काम कर सकती है फिर चाहे वो किसी प्राईवेट क्षेत्र मे कोई काई हो किसी सरकारी क्षेत्र में। 
  • एक शिक्षित नारी अपने परिवार की जिम्मेदारी एक बेहतर ढ़ग से कर सकती है। 

महिला शिक्षा हेतु महत्वर्पूण सरकारी योजनाएँ

महिलाओं को एक बेहतर ढ़ग से शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाई जा रही है, जो निम्न है।

  • इंदिरा महिला योजना
  • सर्व शिक्षा अभियान
  • बालिका समृद्वि योजना।
  • राष्ट्रीय महिला कोष
  • महिला समृधि योजना
  • रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र
  • महिलाओं तथा लड़कियों की प्रगति के लिए विभिन्न कार्यक्रम

महिला शिक्षा के लाभ

वैसे तो एक शिक्षित महिला के लाभ कई है परन्तु उनमे से कुछ लाभो के बारे मे हम आपको बता रहे है। 

  • महिलाएं देश के बेहतर भविष्य की एक महत्वपूर्ण नींव है। 
  • शिक्षित महिलाओं की वजह से देश में कन्या भ्रुण हत्या व बालिका अपराध जैसी घटनाओं मे कमी आ रही है। 
  • शिक्षित महिलाएँ घर के आय – व्यय को एक बेतहर ढ़ग से सम्भाल रही है। 

शहरी तथा ग्रामीण ईलाको मे शिक्षा का स्तर इस समय मे काफी बदला है।  सरकार भारत मे महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काफी महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। हमारे समाज मे महिलाओ के योगदान को नजर अंदाज नही किया जा सकता है। इसलिए महिला शिक्षा को बढावा दिया जाना चाहिए और देश की हर बालिका को पढ़ने का समान अवसर दिया जाना चाहिए।

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बालिका शिक्षा पर निबंध – 600 word

 प्रस्तावना.

”अथ शिक्षा प्रवश्यम:मातृमान पित्रमानाचार्यवान पुरुषो वेद:” अर्थात् जब् तीन उत्तम शिक्षक एक माता, दुसरा पिता, और तीसरा आचार्य हो तो तभी मनुष्य ज्ञानवान होगा। परन्तु आज के समय मे नारी शिक्षा के क्षेत्र मे काफी आगे निकल चुकी है। आज की नारी लगभग क्षेत्र मे अपनी एक अलग पहचान बना रही है फिर चाहे वो खेल और या व्यवसाय। एक नारी नेता होती, एक शिक्षक होती, एक डोक्टर होती है, एक इंजीनियर, एक वकीलए एक निदेशक इत्यादी होती है। 

बालिका शिक्षा की आवश्यकता

भारत के विकास के लिए बालिका शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि लड़कों से बेहतर काम लड़कियां भी कर सकती हैं। आज के समय में नारी शिक्षा देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और अनिवार्य है, इन्हीं से देश का भविष्य बेहतर बन सकता है। भारत को आर्थिक व सामाजिक रूप से विकसित होने के लिए बालिका शिक्षा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

एक बालिका शिक्षित होगी तो उससे दो परिवारों का उत्थान होना निश्चित है। इन्हें शिक्षित करना समाज का दायित्व है। इन्हें बिना किसी भेदभाव से शिक्षित कर भारत के भविष्य को बेहतर बनाने में समाज को मदद चाहिए।

प्राचीन समय मे नारी का महत्व

प्राचीन काल मे नारियों को महत्व काफी था, महिलाएं पुरूषों संग यज्ञो मे भाग लेती थी, युधो मे जाती थी। प्राचीन समय के बाद धीर धीरे महिलाओं का स्थान पुरूषोे के बाद मे गिना जाने लगा। परन्तु आज के समय मे नारी शिक्षा को एक महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता जरूरी है। नारियो को निःशुल्क शिक्षा दी जाने लगी। 

नारी शिक्षा के उद्देश्य

एक देश के विकास के लिए नारी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना बेहद जरूरी होता है। आज के समय मे लगभग बड़े पदों पर नारियां अपनी सेवाएँ दे रही है। नारी शिक्षा के उद्देश्य मे कछ मुख्य बिन्दु निम्नानुसार है।

  • बालिकाओ को जीवन मे बेहतर ढ़ग के लिए मजबूत करना।
  • महिलाओं के कार्यक्षेत्र को बढ़ाना। 
  • महिलाओं की साक्षरता दर को बढ़ाना।
  • नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।

नारी शिक्षा के लाभ

एक नारी से पुरा परिवार शिक्षित होता है। वैसे तो नारी शिक्षा के कई लाभ है परन्तु उनमे से कुछ लड़कियों की शिक्षा के महत्वपूर्ण लाभो से हम आपको रूबरू करवाते है। 

  • जितनी महिलाएं शिक्षित होगी उतनी ही बाल मृत्यु दर कम होगी। 
  • अगर महिला शिक्षित होगी तो उस महिला के घरेलु व यौन शौषन की शिकार होने की सम्भावना कम होगी। 
  • शिक्षित महिला भष्ट्राचार को कम करती है। 
  • शिक्षित महिलाएं घर मे योगदान दे सकती है। 
  • शिक्षित महिलाएं स्वास्थ ज्यादा होती है और उनमे आत्मविश्वास ज्यादा होता है। 
  • एक महिला अगर खुद शिक्षित होती है व दूसरो को शिक्षित होने हेतु प्रेरित करती है। 
  • एक शिक्षित महिला सामाजिक कार्यो मे भाग ले सकती है और समाज को एक नई शिक्षा मे ले जाने के लिए प्रेरित करती है। 
  • शिक्षा एक महिला को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने मे मदद करती है। 
  • एक शिक्षित महिला समाज की बुराईया से लडने मे सक्षम होती है।

शिक्षित बनाम अशिक्षित महिलाएँ

आज के समय मे हमारे समाज मे कई बार ऐसी स्थिति या बन जाती है कि हमे शिक्षित नारियां एवं अशिक्षित नारियों के बारे जानने की आवश्यका पड़ जाती है। वेसे तो शिक्षित नारियां एवं अशिक्षित नारियों मे कोई अंतर नही है परन्तु फिर भी अगर शिक्षा की दृष्टि से देखा जाये तो इन दोनो मे काफी अंतर है जो की निम्न है। 

  • शिक्षित व अशिक्षित नारियों के मध्य सबसे पहला अंतर है सोचका, किसी भी मदभेद के मामले मे एक शिक्षित महिला ज्यादा प्रेट्रिकली सोच पायेगी और मसले को हल करने की भी कोशिश करेगी वही एक अशिक्षित नारी हो सकते है वा अपने जजबातो से कोई फैसला ले। 
  • दूसरा अंतर है आत्मनिर्भर बनने का। एक शिक्षित नारी अपने बेहतर भविष्य के लिए कुछ भी काम कर सकती है फिर चाहे वो किसी प्राईवेट क्षेत्र मे कोई काई हो किसी सरकारी क्षेत्र में। 
  • एक शिक्षित महिला सामाजिक व घरेरू शौषण से खुद को बचा सकती है वही एक अशिक्षित महिला शायद इसका शिकार हो जाये।

बालिका शिक्षा हमारे समाज के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बिना नारी शिक्षा किसी भी समाज सम्भव नही है। इस निबंध मे हमने महिला शिक्षा एवं साक्षरता के बारे मे जरूरी जानकारी बताने का पूर्ण प्रयास किया है।

Essay on Girl Education in Hindi Video

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Rahul Singh Tanwar

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महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi)

भारत में महिला शिक्षा

किसी भी देश को पूर्ण रूप से विकसित होने के लिए वहां की महिलाओं का शिक्षित होना जरुरी है। यह एक तरह से उस दवाई की भांति है जो मरीज़ को ठीक होने में मदद करती है और उसे फिर से सेहतमंद बनने में मदद करती है। महिला शिक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है भारत को आर्थिक रूप से तथा सामाजिक रूप से विकसित बनाने में। शिक्षित महिला उस तरह का औज़ार है जो भारतीय समाज पर और अपने परिवार पर अपने हुनर तथा ज्ञान से सकारात्मक प्रभाव डालती है।

भारत में महिला शिक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Women Education in India in Hindi, Bharat me Mahila Shiksha par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द).

प्रस्तावना:

भारतीय समाज के सही आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नारी शिक्षा बेहद ज़रूरी है। महिला एवं पुरुष दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं।

जिस तरह से साइकिल का संतुलन दोनों पहियों पर निर्भर होता है उसी तरीके से समाज का विकास भी पुरुष और महिला के कन्धों पर आश्रित है। दोनों ही देश को नई ऊँचाईयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं इसलिए दोनों को ही बराबर की शिक्षा का हक़ मिलना जरुरी है। अगर इन दोनों में से किसी भी एक की शिक्षा का स्तर गिरा तो समाज की प्रगति होना नामुमकिन है।

भारत में महिला सुरक्षा के लाभ:

भारत की उन्नति के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरुरी है क्योंकि अपने बच्चों की पहली शिक्षक माँ ही होती है जो उन्हें जीवन की अच्छाईयों और बुराइयों से अवगत कराती है। अगर नारी शिक्षा को नजरंदाज़ किया गया तो देश के भविष्य के लिए यह किसी खतरे से कम नहीं होगा। एक अनपढ़ महिला में वो काबिलियत नहीं होती जिससे वह अपने परिवार, बच्चों का सही ख्याल रख सके।

इस कारण आने वाली पीढ़ी कमज़ोर हो जाएगी। हम महिला साक्षरता के सारे लाभ की गिनती तो नहीं कर सकते पर इतना जरुर कह सकते है की एक शिक्षित महिला अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकती है, उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान दे सकती है, सामाजिक तथा आर्थिक कार्य करके देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकती है।

एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति तक शिक्षा पहुँचा पाएंगे पर एक महिला को शिक्षित करके हम पूरे देश तक शिक्षा को पहुँचा पाएंगे। महिला साक्षरता की कमी देश को कमज़ोर बनाती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि महिलाओं को उनकी शिक्षा का हक़ दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह से पुरुषों से कम न समझा जाए।

आज के समय में भारत महिला साक्षरता के मामले में लगातार प्रगति कर रहा है। हिंदुस्तान के इतिहास में भी बहादुर महिलाओं जिक्र किया गया है। मीराबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई, लक्ष्मीबाई जैसी कुछ मशहूर महिलाओं के साथ-साथ वेदों के समय की महिला दर्शनशास्त्री गार्गी, विस्वबरा, मैत्रयी आदि का भी उदाहरण इतिहास का पन्नो में दर्ज है। ये सब महिलाएं प्रेरणा का स्रोत थी। समाज और देश के लिए दिए गये उनके योगदान को हम कभी नहीं भूल सकते।

निबंध 2 (300 शब्द)

भारत में महिला साक्षरता नए ज़माने की अहम जरुरत है। महिलाओं के शिक्षित हुए बिना हम देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते। परिवार, समाज और देश की उन्नति में महिलाओं की भूमिका  बहुत महत्वपूर्ण है। भारत के लोकतंत्र को सफल बनाने का एकमात्र रास्ता यहीं है की महिलाओं तथा पुरुषों को शिक्षा हासिल करने के लिए बराबरी का हक़ दिया जाए। शिक्षित महिलाएं ही देश, समाज और परिवार में खुशहाली ला सकती है। यह कथन बिलकुल सत्य है की एक आदमी सिर्फ एक व्यक्ति को ही शिक्षित कर सकता पर एक महिला पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है जिससे पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है।

आज महिला शिक्षा के महत्व को पहचानना बहुत आवश्यक है क्योंकि वे अपने बच्चो की पहली शिक्षक है जो आगे जाकर देश के निर्माण को एक नई पहचान देंगे। किसी भी बच्चे का भविष्य उसकी माँ द्वारा दिए प्यार और परवरिश पर निर्भर करता है जो एक महिला ही कर सकती है। हर बच्चा अपनी ज़िन्दगी की पहली सीख अपनी माँ से ही हासिल करता है। इसलिए माँ का शिक्षित होना बेहद जरुरी है जिससे वह अपने बच्चे में वे गुण डाल सके जो उसके जीवन को सही दिशा दे सके। शिक्षित महिलाएं सिर्फ अपने बच्चे ही नहीं बल्कि उनके आसपास और कई लोगों की जिंदगी को बदल सकती है जो देश को विकसित करने में महत्वपूर्ण किरदार अदा कर सकते है।

एक महिला अपने जीवन में माँ, बेटी, बहन, पत्नी जैसे कई रिश्तों को निभाती है। किसी भी रिश्ते में बंधने से पहले वह महिला देश की आजाद नागरिक है तथा वह उन सब अधिकारों की हक़दार है जो पुरुषों को मिले हुए हैं। उन्हें अपनी इच्छा अनुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक़ है जिससे वे अपने मनपसंद क्षेत्र में कार्य कर सके। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने तथा आत्मनिर्भर बनाने में शिक्षा सहायता करती है। शिक्षा न सिर्फ महिलाओं का समाज में स्तर ऊँचा करती है बल्कि महिलाओं के प्रति समाज की उस संकीर्ण सोच, जिसमे उन्हें माँ-बाप पर बोझ की तरह देखा जाता था, को भी खत्म करती है।

शिक्षा महिलाओं को पुरुषों की भांति समाज और देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के कर्तव्य से भी अवगत कराती है।

Women Education in India Essay

निबंध 3 (400 शब्द)

पौराणिक युग से लेकर आजादी के बाद के समय तक महिला साक्षरता को लेकर किये गये प्रयासों में बहुत प्रगति हुई है। हालाँकि अभी यह कार्य संतुष्टि के स्तर तक नहीं पहुँचा है। अभी भी इस दिशा में काफी काम करना बाकी है। भारत के विश्व में बाकी देशों से पिछड़ने के पीछे महिला साक्षरता की कमी का ही होना है। भारत में महिला साक्षरता को लेकर गंभीरता इसलिए कम है क्योंकि बहुत पहले समाज में महिलाओं पर तरह-तरह की पाबंदियां थोप दी गई थी। इन पाबंदियों का जल्द ही हटाना बेहद जरुरी है। इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए हमें महिला शिक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलानी होगी और महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति प्रेरित करना होगा जिससे वे आगे आकर समाज और देश को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके।

महिला शिक्षा की बेहतरी के लिए निम्नलिखित योजनायें भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है:

  • सर्व शिक्षा अभियान
  • इंदिरा महिला योजना
  • बालिका समृधि योजना
  • राष्ट्रीय महिला कोष
  • महिला समृधि योजना
  • रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र
  • महिलाओं तथा लड़कियों की प्रगति के लिए विभिन्न कार्यक्रम

भारत में महिला शिक्षा को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारण है:

  • कुपोषण तथा भरपेट खाना न मिलना
  • नाबालिग उम्र में यौन उत्पीड़न
  • माता–पिता की ख़राब आर्थिक स्थिति
  • कई तरह की सामाजिक पाबंदी
  • घर में माता-पिता या सास-ससुर का कहना मानने का दबाव
  • ऊँची शिक्षा हासिल करने की अनुमति ना होना
  • बचपन में संक्रमण रोग से लड़ने की प्रयाप्त शक्ति की कमी

सर्व शिक्षा अभियान क्या है

सर्व शिक्षा अभियान एक राष्ट्रीय योजना है जिसे भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य 8 साल तक 6 से 14 वर्ष के बच्चों को उत्तम शिक्षा देने का है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गयी इस योजना का मुख्य लक्ष्य है:

  • 2002 तक देश के सभी जिलो में शिक्षा को पहुँचाना।
  • 2003 तक सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाना।
  • 2007 तक सभी बच्चों की न्यूनतम 5 साल की शिक्षा अनिवार्य करना।
  • 2010 तक सभी बच्चें अपनी 8 साल की शिक्षा पूरी कर चुके हो इसको सुनिश्चित करना।

शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में महिला शिक्षा का स्तर काफी बढ़ा है। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अलग से विशेष योजनायें चलाई गयी है। गावों में महिलाओं को शिक्षित करने के साथ–साथ उनके लिए रोज़गार संबंधी अवसर भी बढ़ाये जाने चाहिए जिससे वे अच्छी आमदनी अर्जित कर अपने परिवार का सही गुज़ारा कर सके।

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Story on importance of education in hindi.

दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल शिक्षा का महत्व पर कहानी आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है. दोस्तों हम सभी को समझना चाहिए कि शिक्षा हमारी मूलभूत आवश्यकता है शिक्षा के बगैर एक व्यक्ति पशु के समान होता है शिक्षा से ही इंसान को ज्ञान प्राप्त होता है और उसको सही और गलत समझने की क्षमता आती है इसलिए हर एक इंसान को शिक्षा का महत्व समझकर उचित शिक्षा प्राप्त करना चाहिए तो चलिए पढ़ते हैं शिक्षा के महत्व पर लिखी हमारी आज की इस कहानी को

Story on importance of education in hindi

कुछ समय पहले दो भाई एक गांव में रहते थे एक का नाम राधेश्याम और दूसरे का नाम सीताराम था उन दोनों के मां-बाप ने उन्हें नजदीक के ही स्कूल में दाखिला दिलवाया.सीताराम बहुत ही समझदार था वह अपने मां बाप के कहने पर रोजाना स्कूल जाता, अच्छी तरह पढ़ाई करता लेकिन राधेश्याम पढ़ाई करना बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था वह सिर्फ दिन भर खेलता ही रहता था सीताराम बहुत ही अच्छी तरह से पढ़ाई करता था जिससे स्कूल के सभी अध्यापक उसकी तारीफ किया करते थे.

राधेश्याम चौथी क्लास तक पास हुआ और पांचवी क्लास में फेल हो गया था क्योंकि उसको कुछ भी नहीं आता था उसको हिंदी भी पढ़ना बिल्कुल भी नहीं आता था क्योंकि पढ़ाई में उसका बिल्कुल भी ध्यान नहीं था. मां बाप राधेश्याम को खूब डांट फटकार लगाते थे लेकिन राधेश्याम जो था वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था वह पढ़ाई के बहाने गांव के बच्चों के साथ दिन भर खेलता रहता था आगे चलकर जब वह पांचवी क्लास में फेल हुआ तो उसके मां-बाप ने स्कूल से उसका नाम हटवा दिया और मजबूरी वस उसे एक होटल पर काम करने के लिए लगवा दिया.

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सीताराम अपने स्कूल में बहुत ही अच्छी तरह से पढ़ाई करता था धीरे-धीरे वह हर क्लास में पास होता चला गया हर कोई उसकी तारीफ करता.इधर सीताराम ने 12वीं क्लास पास कर लिया था उसने और भी आगे तक पढ़ाई की और एक बड़ा इंजीनियर बन गया.इधर उसका भाई राधेश्याम हिंदी भी नहीं पढ़ पाता था जिस वजह से वह कोई ढंग का काम भी नहीं कर पाता था उसे कोई दुकान वाला भी अपने यहां पर नहीं रखता था वह चौराहे पर खड़ा हो जाता और मजदूरी की तलाश करता.

वह अपने जीवन में बहुत ही दुखी था उसको पढ़ाई ना करने का बेहद अफसोस था लेकिन अब उम्र भी उसकी बहुत हो चुकी थी अब बेचारा पढ़ाई करता भी कैसे लेकिन उसे पढ़ाई का महत्व समझ में आ गया था. 25 साल का होने के बावजूद भी उसने हिंदी पढ़ना सीखा उसने अपने यहां पर एक अध्यापक रखा क्योंकि वह पढ़ाई का महत्व समझ चुका था.

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  • शिक्षा का महत्व पर निबंध Importance of education essay in hindi

दोस्तों वाकई में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत ही महत्व है अगर आपको हमारा आर्टिकल Story on importance of education in hindi पसंद आए तो इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पेज लाइक करना ना भूलें और हमें कमेंटस के जरिए बताएं कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा ।

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दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी

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गुसाईं का मन चिलम में भी नहीं लगा। मिहल की छाँह से उठकर वह फिर एक बार घट (पनचक्की) के अंदर आया। अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूँ शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाड़कर एक ढेर

इन्दुमती अपने बूढ़े पिता के साथ विंध्याचल के घने जंगल में रहती थी। जबसे उसके पिता वहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगे, तब से वह बराबर उन्हीं के साथ रही; न जंगल के बाहर निकली, न किसी दूसरे का मुँह देख सकी। उसकी अवस्था चार-पाँच वर्ष की थी जबकि उसकी माता का परलोकवास

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(एक) कोई बारह बज चुके थे। दुनिया के पर्दे से स्वप्न की रानी झाँक रही थी—विजेता की भाँति, उसके नूपुर के मिलन-गीत से पृथ्वी मूर्छित-सी होती जाती थी। वकील केशव के उस बड़े मकान के सभी कमरों की बत्तियाँ बुझ चुकी थीं, केवल सहाना का कमरा तब भी बिजली-शिखा

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(एक) जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोर-गुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराची एक्सप्रेस जिस प्लेटफ़ार्म पर खड़ी थी, वहाँ

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चेरी के पेड़

फाटक पार करते ही जिस ओर सबसे पहले हमारा ध्यान गया, वे थे पेड़ों पर लटकते हुए अलूचों से मिलते-जुलते किसी फल के गुच्छे। मकान के भीतर घुसने के बदले हम उस ओर दौड़े। कई पेड़ थे जिन पर वे लटक रहे थे। परंतु उछल-उछल कर कूदने पर भी किसी के हाथ में एक भी दाना

रमणी का रहस्य

लड़कपन में वणिक्-पुत्र सुना करता कि सात समुद्र, नव द्वीप के पार एक स्फटिकमय भूमि है। वहाँ एक तपस्वी क्या जाने कब से अविराम तप कर रहा है और उसकी पवित्रता के कारण सूर्यनारायण निरंतर उसकी परिक्रमा किया करते हैं और उसके तेज़ से वहाँ कभी अंधकार नहीं होता। उस

राय कृष्णदास

पंडित और पंडितानी.

पंडित जी की अवस्था क़रीब पैंतालीस वर्ष की है और उनकी पत्नी की बीस वर्ष की। पंडित जी अंग्रेज़ी और संस्कृत दोनों में विद्वान हैं और कई पुस्तकें लिख चुके हैं। सप्ताह में दो-एक दिन उन्होंने समाचार पत्र और मासिक पुस्तकों के लिए लेख लिखने को नियत कर लिया है,

गिरिजादत्त बाजपेयी

काली इटैलियन का बारीक लाल गोटेवाला चूड़ीदार पायजामा और हरे फूलोंवाला गुलाबी लंबा कुर्ता वह पहने हुई थी। गोटलगी कुसुंभी (लाल) रंग की ओढ़नी के दोनों छोर बड़ी लापरवाही से कंधे के पीछे पड़े थे, जिससे कुर्ते के ढीलेपन में उसकी चौड़ी छाती और उभरे हुए उरोजों

चंद्रकिरण सौनरेक्सा

चीनी के खिलौने, पैसे में दो; खेल लो, खिला लो, टूट जाए तो खा लो—पैसे में दो। सुरीली आवाज़ में यह कहता हुआ खिलौनेवाला एक छोटी-सी घंटी बजा रहा था। उसको आवाज़ सुनते ही त्रिवेणी बोल, उठी—माँ, पैसा दो, खिलौना लूँगी। आज पैसा नहीं है, बेटी। एक पैसा

विनोदशंकर व्यास

सुखदेव ने ज़ोर से चिल्ला कर पूछा—“मेरा साबुन कहाँ है?” श्यामा दूसरे कमरे में थी। साबुनदानी हाथ में लिए लपकी आई, और देवर के पास खड़ी हो कर हौले से बोली—“यह लो।” सुखदेव ने एक बार अँगुली से साबुन को छू कर देखा, और भँवें चढ़ा कर पूछा—“तुमने लगाया था,

द्विजेंद्रनाथ मिश्र 'निर्गुण'

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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40 Motivational Movies For Students in Hindi

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Cinema while providing the much-needed entertainment to movie buffs can also become a source of inspiration.

All those movie lovers who are looking for some inspiration coming from the central characters of various movies can check out this long list of 40 movies made in Hindi.

Check out these 40 Bollywood movies that can help students tread the path of righteousness alongside prompting them to follow their dreams.

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1. Jo Jeeta Wohi Sikandar

The protagonist of this 1992 Hindi movie is a poor and happy-go-lucky guy. After a number of twists and turns, the hero begins to understand the very purpose of his life. That is when he trains hard to partake in a prestigious cycle race braving many physical and emotional odds. This movie highlights the power of hard work along with a sense of dedication that can become the pillars of success..

2. Rang De Basanti

The story revolves around a group of 6 Indian friends who team up with an American lady to film a documentary on freedom fighters of India who were driven by strong extremist principles. They begin to unveil the irregularities in the then government and voice their opinion through public demonstrations. Students brimming with a sense of patriotism will find this 2006 Bollywood movie a perfect inspiration.

Tagged as a sports-drama, this 2001 Hindi movie showcases the plight of poor villagers who are forced to pay heavy taxes in the British India. In order to save themselves from taxes, the villagers team up against the British for a cricket match.. The outcome shall decide if their fate.

4. Swades: We, the People

Swades, a 2004 flick is one such movie that revolves around the life of a successful Indian scientist. .

The movie is his journey back to the village in which he was brought. It showcases his battle against social irregularities as he tries to power the lives of villagers with basic necessities – food, education and most importantly, Bijli (electricity). Young minds watching this movie will surely be inspired by the noble thoughts of the lead.

5. Mother India

Made in 1957, this is an Indian epic drama of a poor Indian woman who fights all odds to bring up her two sons. The entire movie mirrors the hardships she faces and the exemplary strength she shows.. Students can emulate the emotional tenacity shown by the mother to bring up her children.

6. Airlift (2016)

The 130-minute long movie dramatizes the 1990 historical event of an invasion of Kuwait by Iraq.

The film which has a rating of 8/10 on IMDb was directed by Raja Krishna Menon and features Akshay Kumar and Nimrat Kaur in lead roles. Akshay Kumar acts as Ranjit Katyal, a businessman based in Kuwait, who helps in the evacuation of 170,000 stranded Indians in the Kingdom of Kuwait during the war.

Ranjit, a successful Indian businessman, enjoys good connections with the officials in Baghdad and Kuwait and makes derogatory remarks about Indians.

However, the events that take place following the invasion changes his feelings towards his fellow countrymen.

Instead of leaving Kuwait with his wife and daughter, he stays back and helps other Indians leave the country. The movie helps students develop deep love and regard for their motherland.

7. Chak De! India

The movie takes us on a life journey of a hockey coach who is considered a failure owing to a loss in an important tournament. The movie is about how he builds a women team capable of competing at the international level and cleans his tainted reputation. A lesson about tolerance and team spirit can attract the attention of students.

8. Mary Kom

This biopic released in 2014 with her name, India recognized the talent and commitment of Mary Kom. She became an overnight sensation and inspiration to both girls and boys to practice boxing when she bagged the world championship for boxing. Students will be inspired to learn from her unfaltering sense of commitment and never-say-die attitude.

9. Taare Zameen Par The movie showcases a rollercoaster of a life of a dyslexic student named Ishaan. He is bashed left, right and center for his inability to cope up with basic education until there comes a benefactor who understands his struggles and helps him overcome them. Students who watch this movie will learn to empathize and help others with special abilities.

10. Brothers (2015)

Brothers, which can be classified as a sports drama movie, was produced by Dharma Productions and directed by Karan Malhotra.

The film, a remake of Warrior, an American movie made in 2011, showcases Mixed Martial Arts (MMA).

The lead roles are handled by Sidharth Malhotra and Akshay Kumar. They are ably supported by Jackie Shroff, Jacqueline Fernandez, and Shefali Shah.

David (Akshay Kumar) and Monty (Sidharth Malhotra) are half-brothers and the former holds Mony and his father responsible for his mother’s death.

David works as a physics teacher but involves in street fights to earn money for his daughter’s kidney ailment. David loses his job and becomes a full-time fighter.

Meanwhile, Monty also takes up street fighting as a profession. Both enroll themselves for a tournament and reach the finals. Monty loses and is injured. David feels sorry and starts taking care of his brother. The film teaches children to love their siblings

11. 3 Idiots

Don’t aim for success, instead chase excellence. This is a special message from this 2009 Hindi movie revolving around the life of engineering students. Learning with a sense of purpose and not just to ace in examinations is a key takeaway for students. This worldly wisdom coupled with comedy makes 3 Idiots a learning-entertainer for students.

Partially portraying the life of Dhirubhai Ambani the famous businessman who typified the ‘rags to riches’ tag, Guru is a 2007 biographical movie. The movie portrays  an ambitious small-town guy who dreams of making it big in trade, by hook or crook.. Guru is a big lesson to students who can learn the traits of leadership. It also impresses upon them that they should not fall prey to unlawful means.

13. Ferrari Ki Sawaari (2012)

Ferrari Ki Sawaari (A drive on a Ferrari) is a sports drama film starring Sharman Joshi, Ritvik Sahore, and Boman Irani in lead roles.

While Kayo (Ritvik Sahore) is always thinking about playing cricket, Rusy (Sharman Joshi), his father, thinks only about him.

Kayo’s school plans to send students to London for a cricket camp at Lord’s Cricket Ground. This excites him because he would get a chance to meet Sachin Tendulkar, his idol. However, the problem is the paucity of funds.

So, the upright and honest employee steals Sachin’s red Ferrari to help his son achieve his dream. He is faced with several stumbling blocks along the way. The film impresses upon the students that it is not a crime to dream big and if the goal is clear God will carve a path.

15. I Am Kalam (2011)

The movie has an IMDb rating of 8.0 and it tells the story of a poor boy who is inspired by Dr. A P J Abdul Kalam, the former President of India.

The protagonist Chotu (Harsh Mayar) changes his name as Kalam and dreams of meeting the visionary one day. The movie, which was screened at the Cannes Film Festival and in many other film festivals, has bagged many honours and awards.

It is a must-watch film as far as students are concerned because it teaches them that they need to be inspired by visionaries in order to succeed in life.

16. Rocket Singh – Salesman of the Year

17. English Vinglish

English Vinglish is a beautiful take on the numerous ways in which people of all ages can better their lives. Released in 2012, this Bollywood film unveils a number of life’s lessons that are relevant to the present times and everyone as well. The self-confident female lead impresses upon everyone to start loving themselves to transform all the mundane things of life into fresh and beautiful experiences. Students who watch this flick will learn an important lesson that it is never too late to start something afresh. It also inspires them to move out of their comfort zone to experience life and success.

18. Nayak – The Real Hero

Tagged as a political thriller that drew a number of cine-goers to theaters, Nayak is a 2001 Hindi film that vividly mirrors the flaws of modern democracy. The hero of the movie is a commoner who eventually takes on the role of a Chief Minister for just one day. Given the 24 hour deadline before which he is ordained to fix all the problems faced by the people of his state, this movie can inspire students. They can be motivated to become instruments of change. Students can take the cue that it is only through diligent acts that societal vices can be eradicated.

19. My Name Is Khan (2010)

Hindi-language drama movie My Name Is Khan stars Kajol and Shah Rukh Khan in lead roles.

Rizwan (Shahrukh Khan), brother Zakir (Arnav Chhapwale), and their mother (Zarina Wahab) live in Borivali, Mumbai.

Though Rizwan suffers from Asperger’s syndrome, he has a special ability in repairing things. Zakir who migrates to the United States requests Rizwan to come to San Francisco and live with after their mother’s death.

Rizwan meets Mandira (Kajol) who has a son from her previous marriage.

They marry against the resentment of their brother and settle down in Banville. September 11 twin tower attacks disrupt their life in a big way.

Sameer dies following a racially motivated schoolyard. Mandira thinks that Sameer died because he had Khan in his name and tells Rizwan that she cannot live with him any longer.

Rizwan travels from one state to another to change the perception of people about his community. The moral of the story is that it is not right to perceive all Muslims as terrorists.

20. Wake Up Sid

This 2009 comedy drama can surely be an eye-opener to the entire student fraternity which at times gets caught in laziness and indecisiveness.

The hero who is a happy-go-lucky guy is aimless with a strong passion for photography. It is only when he meets a girl that he starts to think about his life and his aspirations.

He becomes a noted magazine photographer while experiencing the true joy of standing on his own feet without any financial support coming from his wealthy father.

This movie is indeed a wakeup call for all the students to pursue their dreams, overcoming all the obstacles that come their way.

A yet-another woman-centric movie that shows the present generation to stand for themselves is Queen, a 2014 Bollywood film. Through this movie, the female lead showcases the power of humor in one’s life. It teaches everyone to wear a smile on their faces despite what life throws at them. It can also teach students to lead a confident life while making room for some adventure to explore life’s gifts to their fullest. Students who will thoroughly enjoy this movie will learn how to develop a positive frame of mind so as to lead a carefree and happy life.

Students who are passionate about serving the country can derive a lot of inspiration from this Bollywood war movie aptly titled Border. Released in 1997, this movie to this very day, portrays the ill-effects of wars which result in colossal human casualties and economic disruption. Students will learn that wars can never pave the way for peace between the countries using military and ammunition power. This movie sets the stage to stop glorifying wars and harps on the importance of maintaining healthy relations with our geographical neighbors. Students can learn the art of compassion and universal brotherhood from this movie.

23. Gour Hari Dastaan: The Freedom File (2015)

The IMDb 7.5 rated biographical film portrays the struggles of Gour Hari Das, a freedom fighter who hails from Odisha.

The star cast includes Vinay Pathak, Ranvir Shorey, Konkona Sen Sharma, and Tannishtha Chatterjee. Gour Hari Das had to literally fight a 32-year long battle against the government in order to prove his patriotism.

He fought for getting a certificate that recognized his work as that of a freedom fighter.

He received the certificate at the age of 84. His fight teaches children that in life they should never give up on their dreams and quit.

24. BhaagMilkhaBhaag

As a tribute to an exemplary national running champion Milkha Singh, this movie, released in 2013 won the hearts of all the cine-goers as a perfect inspiration to achievement. Students will be drawn to pursue their dreams. They will understand the importance of perseverance in reaching their goal to tread the path of success.

This movie is about a young and cheerful airhostess who sacrifices her life to save all the passengers onboard a hijacked flight.

She while showing utmost loyalty towards her profession, lives by the life’s principle of gender equality.

Students can emulate the strong sense of purpose the protagonist has towards her job. They can also learn compassion from her when she puts her life ahead of national or religious disparities.

Super 30 (2019) is a biographical drama about a mathematician who helps underprivileged students prepare for the entrance exam of India’s most prestigious engineering college. This movie inspires students to never give up on their dreams, no matter how challenging the circumstances may be.

Chhichhore is a comedy-drama about a group of college friends who reunite after many years to relive their memories and support a friend’s son who is struggling with academic pressure. It teaches students to enjoy college life, value friendships, and prioritize mental health.

Dangal is a 2016-movie about a father who trains his daughters to become world-class wrestlers and represent India at the Olympics. This movie inspires students to break gender stereotypes, pursue their passions, and work hard to achieve their goals.

Sultan is another sports drama about a wrestler who overcomes personal and professional challenges to win the championship and make a comeback. This movie motivates students to never give up on their dreams even when the odds are against them.

31. The Sky is Pink

Though not academically inspiring, The Sky is Pink is a biographical drama that gives you life lessons. The movie is about a family’s journey of coping with their daughter’s terminal illness. It teaches students the importance of family, love, and cherishing life’s moments.

Barfi! is a romantic comedy-drama about a deaf and mute man who falls in love with an autistic woman. The movie teaches students to look beyond disabilities and see the person for who they are.

33. Manjhi: The Mountain Man

Manjhi: The Mountain Man is a biographical drama about a man who carves a path through a mountain to connect his village to the nearest town. This movie motivates students to think outside the box, take initiative, and work towards the betterment of their community.

36. Stanley ka Dabba

Stanley Ka Dabba is a heart-warming movie that tells the daily struggles of a young boy named Stanley at school, where he is constantly bullied by his classmates for not bringing a lunch box and how his determination and creativity helped him overcome the difficulties he faced in school. It is a must-watch movie for students who need a dose of motivation and inspiration to stay focused on their goals.

37. Dear Zindagi

Dear Zindagi is a coming-of-age drama about a young woman who seeks the help of a therapist to overcome her personal and professional struggles. This movie teaches students the importance of mental health, self-reflection, and finding balance in life.

38. Chhapaak

Chhapaak is a biographical drama about a young woman who becomes an acid attack survivor and fights for justice and awareness. This movie motivates students to fight against injustice, support survivors and to stand up for their rights.

39. Lakshya (2004)

Lakshya is a coming-of-age drama about a lazy and aimless young man who joins the army and finds purpose in life. This movie motivates students to find their passion, work hard and take responsibility for their own lives.

40. Hawaa Hawaai

Hawaa Hawaai is a motivational movie that tells the story of a young boy named Arjun who aspires to become a roller skater. The film highlights the importance of hard work, determination and perseverance in achieving one’s dreams. It inspires students to chase their dreams and overcome their obstacles with the right mindset and attitude.

The above-mentioned motivational Hindi movies for students are a mix of genres that inspire, motivate, and educate them about life’s important lessons. These movies not only entertain but also leave a lasting impact on students’ minds and encourage them to be better versions of themselves. Whether its overcoming obstacles, following their dreams, or standing up for their beliefs, these movies have something for every student to relate to and learn from.

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30+ नैतिक कहानियाँ | Moral Stories In Hindi For Kids | शिक्षाप्रद कहानियाँ

Moral Stories in Hindi For Kids या नैतिक कहानियाँ ज़िंदगी में हौसला बनाए रखने में हम सब की मदद करतीं हैं। ये कहानियाँ हमें जीवन को संपूर्णता के अर्थ में समझने की सहुलियत प्रदान करती हैं। Short Moral Stories in Hindi हमें ये एहसास कराती हैं कि इस दुनिया में हम सभी को मिल जुल कर रहना चाहिए। क्योंकि हम सभी को कभी ना कभी तो जीवन में एक दूसरे की ज़रूरत पड़ती ही है। दूसरों के प्रति इंसान के मन में प्राकृतिक रूप से सहानुभूति विद्यमान रहती है लेकिन जब हम Hindi Kahaniya with Moral पढ़ते या सुनते हैं, तब हम अपने भीतर दया, करुणा और प्रेम जैसे गुणों को फलने फूलने का मौका देते हैं। सदाचार की कहानियाँ मात्र कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि ये प्रकृति में मौजूद किसी भी प्राणी - महापुरुष से लेकर नन्हीं चींटी - के गुणों का लेखा जोखा है। इन कहानियों के ज़रिए हम नेचर में मौजूद अनेक प्रजातियों से भिन्न भिन्न चीज़ें ग्रहण कर पाते हैं। अक्सर कहा जाता है कि इंसान को अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहना चाहिए। Hindi Moral Stories हमारी उन्हीं जड़ों के समान हैं। ये कहानियाँ हमें अपने गाँव, देश और अपनी संस्कृति, सभ्यता को आत्मसात करने की ओर प्रेरित करती हैं। Also Read - Top 10 Moral Stories in Hindi for Kids ज़िंदगी के सफर में, हमें रोज़ाना कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसमें हार और जीत, सुख और दुख, सफलता और असफलता सब कुछ शामिल हैं। इन मोड़ों पर हमारा हौसला टूट सकता है, लेकिन यदि हम अच्छी हिंदी मॉरल स्टोरीज़ सुनें और पढ़ें, तो वे हमें उत्साहित करके आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। हम ये कहानियाँ या Moral Stories For Kids अपने बच्चों को भी पढ़कर सुना सकते हैं और सीखा सकतें हैं कि जीवन में हर कदम पर हमें हौसला बनाए रखना चाहिए, चाहे हालात जैसे भी हों। छोटी-छोटी सीखें और अच्छी आदतें जीवन को सुखद बना सकती हैं। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारी मेहनत और संघर्ष का फल हमेशा मिलता है, बस हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। क्योंकि हर एक संघर्ष और चुनौती हमें एक बेहतर इंसान बनाने का अवसर प्रदान करता है। तो अगर आप भी ऐसी कहानियाँ पढ़ने में रुचि रखते हैं, तो नीचे पाएं ढेरो  Moral Stories in Hindi का बेहतरीन कलेक्शन और हर रोज़ पढ़ें और सीखें कुछ नया।

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पहला इम्प्रेशन

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दो दिल - कहानी संग्रह

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अच्छाई से जन्मी अच्छाई

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"मर्दानी दिशा"

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मैं फिर भी तुमको चाहूँगी

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चाय की टपरी

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चाहत की कमी

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आजाद परिंदा

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  • Sahitya (साहित्य) /

Motivational Stories in Hindi : यहाँ पढ़ें मोटिवेशन से भरपूर कहानियां हिंदी में

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 12, 2023

Motivational Stories in Hindi

हमारे जीवन में प्रेरणादायक कहानियों (Motivational Stories In Hindi) का एक अलग ही महत्व होता है। स्ट्रेस भरी इस फास्ट दुनिया में अक्सर ऐसे क्षण आते हैं, जब हम स्वयं को निराशा के भंवर में फंसा पाते हैं। ऐसे में लगभग हर किसी को मोटिवेशन की जरूरत पढ़ती ही है। चाहे वह किसी के बोले गए प्रेरक शब्द या कहीं लिखे प्रेरक वाक्य या फिर प्रेरणादायक कहानियाँ (Motivational Stories in Hindi) हमें निराशा के उस भंवर से बाहर निकालकर नए जोश का संचार करती हैं। आज के इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको कई सारे उदाहरण के साथ मोटिवेशनल कहानियां (प्रेरक कहानी हिंदी में) पढ़ने के लिए मिलेंगी।

Trust Quotes in Hindi

This Blog Includes:

Motivational story kya hoti hai (मोटिवेशनल स्टोरी क्या होती है), hindi motivational story, 16 सफल लोगों की सफलता की कहानी, इंदिरा नुई के बारे में, इंद्रा नूयी का अद्भुत करियर, उपलब्धियां और मान्यता , नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी हीरो, नेल्सन मंडेला से सीखने के लिए जीवन का सबक, प्रारंभिक जीवन, बॉलीवुड का पहला बिग-ब्रेक, उपलब्धियों की एक अंतहीन सूची, 4. आर्यन गुलाटी, 5. लाइट बैग ऐप के निर्माता 16 वर्षीय जिष्णु, 6. स्टीव जॉब्स, 7. जेके रॉउलिंग, 8. माइकल जॉर्डन, 9. वॉल्ट डिज्नी, 10. कर्नल सैंडर्स, 11. हेनरी फोर्ड, 12. स्टीफन किंग, 13. थॉमस एडीसन, 14. धीरू भाई अंबानी, 15. स्टीवन स्पीलबर्ग, रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी में खुलासा करने वाला दिन के उजाले में रात का सपना.

मोटिवेशनल स्टोरी यानी ऐसी कहानी, जिसे पढ़कर हमारे अंदर जागरूकता आ जाती है, हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है या मुश्किलों के सामने लड़ने की ताकत आती है। हर किसी के जीवन में मुश्किलें आती है, परंतु हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। इसी प्रकार इस ब्लॉग में हम छात्रों के लिए प्रेरक कहानी हिंदी में बताएंगे जिसे पढ़कर आपके अंदर एक अलग प्रकार की जागरूकता आ जाएगी।

नीचे दी गई ये कहानियाँ आपको सफल बना सकती है।

1. आखिरी प्रयास

एक समय की बात है। एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार में दिया। राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया।

महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं। सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना। इसके लिए तुम्हें 50 स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी।” 50 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए। अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा। किंतु पत्थर जस का तस रहा। मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये, किंतु पत्थर नहीं टूटा।

पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा। वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है। इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती। महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था। इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया। पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया। पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया। इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और 50 स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता।

मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं। कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं। कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं। जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता। यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती। क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये।

2. शिकंजी का स्वाद

एक प्रोफ़ेसर क्लास ले रहे थे। क्लास के सभी छात्र बड़ी ही रूचि से उनके लेक्चर को सुन रहे थे। उनके पूछे गये सवालों के जवाब दे रहे थे। लेकिन उन छात्रों के बीच कक्षा में एक छात्र ऐसा भी था, जो चुपचाप और गुमसुम बैठा हुआ था। प्रोफ़ेसर ने पहले ही दिन उस छात्र को नोटिस कर लिया, लेकिन कुछ नहीं बोले। लेकिन जब 4 – 5 दिन तक ऐसा ही चला, तो उन्होंने उस छात्र को क्लास के बाद अपने केबिन में बुलवाया और पूछा, “तुम हर समय उदास रहते हो। क्लास में अकेले और चुपचाप बैठे रहते हो। लेक्चर पर भी ध्यान नहीं देते। क्या बात है? कुछ परेशानी है क्या?”

“सर, वो…..” छात्र कुछ हिचकिचाते हुए बोला, “….मेरे अतीत में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से मैं परेशान रहता हूँ। समझ नहीं आता क्या करूं?” प्रोफ़ेसर भले व्यक्ति थे। उन्होंने उस छात्र को शाम को अपने घर पर बुलवाया। शाम को जब छात्र प्रोफ़ेसर के घर पहुँचा, तो प्रोफ़ेसर ने उसे अंदर बुलाकर बैठाया। फिर स्वयं किचन में चले गये और शिकंजी बनाने लगे। उन्होंने जानबूझकर शिकंजी में ज्यादा नमक डाल दिया।

फिर किचन से बाहर आकर शिकंजी का गिलास छात्र को देकर कहा, “ये लो, शिकंजी पियो। ”छात्र ने गिलास हाथ में लेकर जैसे ही एक घूंट लिया, अधिक नमक के स्वाद के कारण उसका मुँह अजीब सा बन गया। यह देख प्रोफ़ेसर ने पूछा, “क्या हुआ? शिकंजी पसंद नहीं आई?” “नहीं सर, ऐसी बात नहीं है। बस शिकंजी में नमक थोड़ा ज्यादा है। ” छात्र बोला। “अरे, अब तो ये बेकार हो गया। लाओ गिलास मुझे दो। मैं इसे फेंक देता हूँ। ” प्रोफ़ेसर ने छात्र से गिलास लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। लेकिन छात्र ने मना करते हुए कहा, “नहीं सर, बस नमक ही तो ज्यादा है। थोड़ी चीनी और मिलायेंगे, तो स्वाद ठीक हो जायेगा।” यह बात सुन प्रोफ़ेसर गंभीर हो गए और बोले, “सही कहा तुमने। अब इसे समझ भी जाओ। ये शिकंजी तुम्हारी जिंदगी है। इसमें घुला अधिक नमक तुम्हारे अतीत के बुरे अनुभव हैं। जैसे नमक को शिकंजी से बाहर नहीं निकाल सकते, वैसे ही उन बुरे अनुभवों को भी जीवन से अलग नहीं कर सकते। वे बुरे अनुभव भी जीवन का हिस्सा ही हैं. लेकिन जिस तरह हम चीनी घोलकर शिकंजी का स्वाद बदल सकते हैं, वैसे ही बुरे अनुभवों को भूलने के लिए जीवन में मिठास तो घोलनी पड़ेगी ना. इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अब अपने जीवन में मिठास घोलो।” प्रोफ़ेसर की बात छात्र समझ गया और उसने निश्चय किया कि अब वह बीती बातों से परेशान नहीं होगा।

जीवन में अक्सर हम अतीत की बुरी यादों और अनुभवों को याद कर दु:खी होते रहते हैं। इस तरह हम अपने वर्तमान पर ध्यान नहीं दे पाते और कहीं न कहीं अपना भविष्य बिगाड़ लेते हैं। जो हो चुका, उसे सुधारा नहीं जा सकता। लेकिन कम से कम उसे भुलाया तो जा सकता है और उन्हें भुलाने के लिए नई मीठी यादें हमें आज बनानी होंगी। जीवन में मीठे और ख़ुशनुमा लम्हों को लाइये, तभी तो जीवन में मिठास आयेगी. 

3. शार्क और चारा मछलियाँ

अपने शोध के दौरान एक समुद्री जीवविज्ञानी ने पानी से भरे एक बड़े टैंक में शार्क को डाला. कुछ देर बाद उसने उसमें कुछ चारा मछलियाँ डाल दी। चारा मछलियों को देखते ही शार्क (Shark) तुरंत तैरकर उनकी ओर गई और उन पर हमला कर उन्हें खा लिया। समुद्री जीवविज्ञानी ने कुछ और चारा मछलियाँ (Bait Fishes) टैंक में डालीं और वे भी तुरंत शार्क का आहार बन गईं। अब समुद्री जीवविज्ञानी ने एक कांच का मजबूत पारदर्शी टुकड़ा उस टैंक के बीचों-बीच डाल दिया। अब टैंक दो भागों में बंट चुका था। एक भाग में शार्क थी। दूसरे भाग में उसने कुछ चारा मछली डाल दीं। विभाजक पारदर्शी कांच से शार्क चारा मछलियों को देख सकती थी। चारा मछलियों के देख शार्क फिर से उन पर हमला करने के लिए उस ओर तैरी। लेकिन कांच के विभाजक टुकड़े से टकरा कर रह गई। उसने फिर से कोशिश की। लेकिन कांच के टुकड़े के कारण वह चारा मछलियों तक नहीं पहुँच सकी।

शार्क ने दर्जनों बार पूरी आक्रामकता के साथ चारा मछलियों पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन बीच में कांच का टुकड़ा आ जाने के कारण वह असफल रही. कई दिनों तक शार्क उन कांच के विभाजक के पार जाने का प्रयास करती रही. लेकिन सफल न हो सकी. अंततः थक-हारकर उसने एक दिन हमला करना छोड़ दिया और टैंक के अपने भाग में रहने लगी। कुछ दिनों बाद समुद्री जीवविज्ञानी ने टैंक से वह कांच का विभाजक हटा दिया. लेकिन शार्क ने कभी उन चारा मछलियों पर हमला नहीं किया क्योंकि एक काल्पनिक विभाजक उसके दिमाग में बस चुका था और उसने सोच लिया था कि वह उसे पार नहीं कर सकती।

जीवन में असफ़लता का सामना करते-करते कई बार हम अंदर से टूट जाते हैं और हार मान लेते हैं। हम सोच लेते हैं कि अब चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, सफ़लता हासिल करना नामुमकिन है और उसके बाद हम कभी कोशिश ही नहीं करते। जबकि सफ़लता प्राप्ति के लिए अनवरत प्रयास आवश्यक है। परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। इसलिये अतीत की असफ़लता को दिमाग पर हावी न होने दें और पूरी लगन से फिर मेहनत करें। सफलता आपके कदम चूमेगी।

Student Quotes in Hindi 

यहाँ पढ़ें कुछ सफल लोगों की सफलता की कहानी

1. इंदिरा नुई

Motivational Stories in Hindi

ऐसे समय में जहां भारतीय लड़कियों को केवल शादी करने के लिए पर्याप्त सिखाया जाता था, इंदिरा नुई सभी बाधाओं को तोड़ रही थीं और दुनिया को जीतने की तैयारी कर रहे थीं। नुई ने विज्ञान में स्नातक की डिग्री के साथ अपना करियर शुरू किया और दुनिया के सबसे बड़े निगमों में से एक, पेप्सिको की पहली महिला सीईओ बनीं। उन्होंने व्यवसाय और कॉर्पोरेट जगत में कई भारतीय महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया। आइए इंदिरा नूई और उनकी अविश्वसनीय सफलता की कहानी के बारे में अधिक पढ़ें!

इंद्रा नुई (पूर्व-विवाह: इंद्र कृष्णमूर्ति) का जन्म 28 अक्टूबर, 1955 को तमिलनाडु के मद्रास या चेन्नई शहर में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी हैं, जिन्होंने बहुराष्ट्रीय निगम पेप्सिको के पूर्व अध्यक्ष (2007- 19) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी या सीईओ (2006- 18) के रूप में कार्य किया है।

इंदिरा नुई ने कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था और उनमें जितना संभव हो उतना ज्ञान प्राप्त करने और जीवन को ऊंचा उठाने के लिए दृढ़ विश्वास था। इंदिरा नुई ने भारत में अपने करियर की शुरुआत जॉनसन एंड जॉनसन और मेट्टूर बेयर्डसेल के लिए एक उत्पाद प्रबंधक के रूप में की, जो एक कपड़ा कंपनी है। उन्होंने अमेरिका में येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में भाग लेने के दौरान Booz एलन हैमिल्टन के साथ एक ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप भी पूरी की। 1980 के बाद, नुई ने अगले छह वर्षों के लिए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के लिए एक रणनीति सलाहकार के रूप में कार्य किया। बाद में उन्होंने मोटोरोला इंक के लिए कॉर्पोरेट रणनीति और योजना के उपाध्यक्ष और निदेशक के रूप में काम किया। बाद में वह इंजीनियरिंग फर्म Asea Brown Boveri (अब ABB) के लिए काम करने लगी।

Motivational Poems in Hindi

इंदिरानुई 1994 में पेप्सिको में कॉर्पोरेट रणनीति और विकास के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। वह 2001 में कंपनी के अध्यक्ष और मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) बने। अक्टूबर 2006 में, उनकी कड़ी मेहनत, दूरदर्शिता, रणनीतिक संरेखण और व्यावसायिक अनुभव ने उन्हें जीत दिलाई। सीईओ का शीर्षक और अगले वर्ष, वह बोर्ड की अध्यक्ष भी बनीं। कंपनी के 42 साल के अस्तित्व में वह पेप्सिको की पांचवीं अध्यक्ष और सीईओ थीं। 

यह कहते हुए कि नुई सॉफ्ट-ड्रिंक और स्नैक-फूड समूह का नेतृत्व करने वाली पहली महिला थीं और फॉर्च्यून 500 में केवल 11 महिला सीईओ में से एक थीं। दुनिया भर के कई उल्लेखनीय हस्तियों, संपादकों, कंपनी हितधारकों और रणनीतिकारों ने प्रशंसा की। वे अपनी क्षमताओं, साथ ही नए दृष्टिकोण को लेकर पेप्सिको में आईं । पेप्सीको की अपने प्रमुख शीतल पेय की बिक्री पर कम निर्भरता के साथ एक अच्छी तरह से संतुलित उपभोक्ता-उत्पाद कंपनी होने की नीति नुई द्वारा जारी रखी गई थी। उन्होंने सख्ती के साथ विदेशी में भी कम्पनी का विस्तार भी किया। 

पेप्सीको का राजस्व 2006 में 35 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2017 में लगभग 63.5 बिलियन डॉलर हो गया और उसके कार्यकाल में सालाना शुद्ध लाभ 2.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 6.5 बिलियन डॉलर हो गया। यह सब उसके निरंतर और सुसंगत नेतृत्व के कारण संभव हो पाया। एक दशक से अधिक समय तक, नुई ने पेप्सीको की वैश्विक रणनीति और परिवर्तन का नेतृत्व किया, जिसमें 1997 के ट्रिकॉन को शामिल किया गया, जिसे अब यम कहा जाता है! ब्रांड, जिसमें पिज्जा हट, केएफसी और टैको बेल शामिल हैं। उन्होंने 1998 में ट्रॉपिकाना के अधिग्रहण का नेतृत्व किया और गेटोरेड के साथ 2001 में क्वेकर ओट्स कंपनी के साथ विलय कर दिया, जिससे पेप्सिको को प्रतिस्पर्धी लाभ प्राप्त करने की अनुमति मिली।

6 अगस्त, 2018 को, नुई ने सीईओ के रूप में कदम रखा, और 3 अक्टूबर को 22 साल के पेप्सिको के एक दिग्गज रेमन लागुर्ता, जो निदेशक मंडल में भी शामिल हुए, ने उनकी जगह ली। दूसरी ओर, नुई 2019 की शुरुआत तक कंपनी के अध्यक्ष बनी रहीं वह वर्तमान में अमेज़ॅन और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के निदेशक मंडल की भी सदस्य भी हैं।

Education Quotes in Hindi

इसमें कोई सवाल नहीं है कि इंद्र नुई एक जीवित प्रभावशील और एक प्रेरणादायक महिला हैं जिन्होंने भारत और इसकी प्रतिष्ठा को लगातार ऊंचा किया है। 

  • उन्हें नियमित रूप से दुनिया की शीर्ष 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में स्थान दिया गया है। 
  • 2014 में फोर्ब्स की विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में उन्हें 13 वां स्थान दिया गया था। 
  • 2009 और 2010 में, फॉर्च्यून ने उन्हें व्यवसाय में सबसे शक्तिशाली महिला का नाम दिया।
  • उन्हें 2015 और 2017 में दो बार सूची में दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला नामित किया गया था। 
  • उन्हें 2007 और 2008 में वॉल स्ट्रीट जर्नल की 50 महिलाओं की सूची में नामित किया गया था, साथ ही दुनिया में 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में भी। 
  • नुई को 2013 में NDTV के “25 ग्रेटेस्ट ग्लोबल लिविंग लीजेंड्स” में से एक नामित किया गया था।  
  • भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री अब्दुल कलाम ने 2007 में राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद्म भूषण के प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया था। 
  • CEOWORLD पत्रिका ने 2018 में नुई को “विश्व में सर्वश्रेष्ठ सीईओ” कहा है। 
  • इंदिरा नुई को 2019 में कनेक्टिकट डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड कम्युनिटी डेवलपमेंट के साथ सार्वजनिक-निजी सहयोग से कनेक्टिविटी इकोनॉमिक रिसोर्स सेंटर का सह-निदेशक नियुक्त किया गया था। 
  • कनेक्टिकट की महिला वोटरों की लीग ने फरवरी 2020 में नुई को आउटस्टैंडिंग वुमन इन बिजनेस अवार्ड से सम्मानित किया।

UPSC Motivational Quotes in Hindi

2. नेल्सन मंडेला

दुनिया की सबसे बड़ी हस्तियों में से एक और विस्मयकारी नेताओं, नेल्सन मंडेला ने क्रांति को एक नया अर्थ दिया। रंगभेद के साथ देश की लंबी लड़ाई के बाद दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने जाने के बाद, वह उन लोगों के लिए एक नई सुबह की शुरुआत थी, जिन्होंने इसकी सबसे खराब अभिव्यक्ति में दुर्भाग्य का सामना किया था। जीवन के लिए एक उत्साही और एक मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ, वह रंगभेद के खिलाफ अपनी लड़ाई में सामंजस्य बनाने के लिए एक ताकत बन गए थे। अमेरिका को आज भी भारी उथल-पुथल का सामना करना पड़ रहा है और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध कर रहा है, काले लोगों को अभी भी एक दुनिया में समान रूप से देखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जो त्वचा के रंग जैसे एक पैलेट्री मुद्दे पर भेदभाव करता है। इस ब्लॉग Motivational Stories in Hindi के माध्यम से, हम नेल्सन मंडेला की शिक्षा की यात्रा का पता लगाने का लक्ष्य रखते हैं, उन्होंने अपने देश के दमनकारी श्वेत शासन के खिलाफ क्रांति का नेतृत्व किया, और जो सबक हम उनसे सीख सकते हैं वह सभी के लिए एक बेहतर और समान दुनिया बनाने के लिए है!

“कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से उसकी त्वचा, या उसकी पृष्ठभूमि, या उसके धर्म के रंग के कारण घृणा पैदा नहीं करता है। लोगों को नफरत करना सीखना चाहिए, और अगर वे नफरत करना सीख सकते हैं, तो उन्हें प्यार करना सिखाया जा सकता है, क्योंकि प्यार इसके विपरीत मानव हृदय में स्वाभाविक रूप से अधिक आता है। ”

एक सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता, रंगभेद विरोधी नेता और परोपकारी, नेल्सन मंडेला ने उल्लेखनीय रूप से अपने देश के सफेद उत्पीड़न से मुक्ति पाने में लंबे समय तक योगदान दिया। लेकिन उस समय के अन्य क्रांतिकारियों से उन्हें अलग करने के लिए, दक्षिण अफ्रीका की सरकार और उनकी नस्लभेद नीति के खिलाफ उनकी अहिंसक और उद्दंड अभियान था। वर्तमान समय में भी, वह एक ऐसी दुनिया में एक प्रेरणा बनी हुई है जहाँ पश्चिमी देश अभी भी अश्वेत समुदाय के लिए समान अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

अपने देश की स्वतंत्रता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए और मानवाधिकार अधिवक्ता के रूप में उनके सराहनीय प्रयासों के लिए, नेल्सन मंडेला को 1993 में सम्मानित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और गांधी शांति पुरस्कार और लेनिन शांति पुरस्कार जैसी प्रशंसाओं के साथ उनकी प्रशंसा की गई। नेल्सन मंडेला ने अपने शुरुआती जीवन और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष के बारे में विस्तार से लिखा। उनकी आत्मकथा ‘ लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम ‘ उनके जीवन का एक कालक्रम है और उन्होंने जेल में बिताए वर्षों को आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़ा गया था।

“मैंने सीखा कि साहस डर की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि इस पर विजय है। बहादुर आदमी वह नहीं है जिसे डर नहीं लगता, बल्कि वह जो उस डर पर विजय प्राप्त करता है। ”

सोने का दिल और जीवन के आंकड़े से बड़ा, नेल्सन मंडेला आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करता है। ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली की परिधि में बिताए गए अपने औपचारिक शैक्षणिक वर्षों में आदिवासी परंपरा, संस्कृतियों और मान्यताओं में निहित नेल्सन मंडेला की औपचारिक शिक्षा के साथ, यह उनकी दृष्टि और मूल्य थे जिन्होंने उन्हें राष्ट्र के प्रयासों में योगदान करने का साहस दिया। सफेद जुल्म से आजादी। नीचे हमने नेल्सन मंडेला के जीवन की कहानी से महत्वपूर्ण जीवन सबक को सूचीबद्ध किया है:

  • एक आशावादी बनें : यहां तक ​​कि सबसे अंधेरे समय में, नेल्सन मंडेला ने आशा नहीं खोई और एक दिन आगे देखा कि उनका देश वास्तव में नस्लीय अलगाव से मुक्त होगा। आपको जीवन में हमेशा आशान्वित रहना चाहिए चाहे आप पर परिस्थितियां कुछ भी क्यों न हों और यह जान लें कि आप इसे आशा और आशावाद के साथ बनाएंगे। 
  • विश्व के लिए एक अंतर बनाना : नेल्सन मंडेला का जीवन उन रूढ़िवादी मान्यताओं को बदलने और बिखरने के प्रयास को समझने के लिए एक अग्रणी उदाहरण है जो अब समाज की सेवा नहीं करते हैं। श्वेत लोगों की दमनकारी दुनिया में क्रांति लाने और वंचित समुदायों की मौजूदगी के बारे में जानने के लिए आपको उनके अथक प्रयासों से सीखना चाहिए।
  • कुछ भी असंभव नहीं है : नेल्सन मंडेला ने हमेशा माना है कि जीवन चमत्कारों से भरा है और इन चमत्कारों को केवल एक व्यक्ति की कड़ी मेहनत के साथ असंभव में बदलने के लिए लाया जा सकता है।
  • पैशनेट रहें : लक्ष्य हासिल करने के लिए सपने देखना एकमात्र कदम नहीं है, इसके लिए कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत है। नेल्सन मंडेला का जीवन इस पाठ को दोहराने का कार्य करता है क्योंकि वह खुद को देश के स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित करने के लिए भावुक थे।
  • परम भूमिका शिक्षा : नेल्सन मंडेला की शिक्षा ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के तहत किया गया था, लेकिन वह धीरे-धीरे अफ्रीकी इतिहास की दिशा में अधिक भावुक हो गया। उनकी अंग्रेजी-भाषा की शिक्षा ने उनके समुदाय के इतिहास के संदर्भ में उनमें अपर्याप्तता की भावना को बढ़ावा दिया और वे कैसे सफेद शासन के तहत लगातार दमित थे। इसने उन्हें सामाजिक विद्रोह में भाग लेने के लिए बहुत प्रेरित किया और यहां तक ​​कि अपने जेल के वर्षों के दौरान, उन्होंने खुद को शिक्षित करना जारी रखा क्योंकि उन्होंने जेल की फंसी हुई दुनिया से भागने के रूप में सीखना देखा।

100 Motivational Quotes in Hindi

3. मनीष मल्होत्रा

सिर्फ 500 रुपये की कमाई से लेकर स्टाइलिंग वर्ल्ड स्टार्स तक, यहां की जर्नी है मनीष मल्होत्रा ​​की

“इस साल, मैं उद्योग में 30 साल पूरे करूँगा। लेकिन एक चीज़ जो नहीं बदली है, वह यह है कि इस समय के बाद भी, मैं अभी भी फैशन शो से पहले घबरा जाती हूँ! और मैं चाहता हूं कि वह वही रहे, क्योंकि वह मेरी पहचान है-यह मुझे याद दिलाता है कि मैं कौन हूं, मैं कहां से आया हूं और क्या करने वाला हूं। ” – मनीष मल्होत्रा, बॉम्बे के आधिकारिक मनुष्यों के साथ एक साक्षात्कार में

हम सभी एक दिन मनीष मल्होत्रा ​​द्वारा डिज़ाइन किए गए पोशाक पहनने का सपना देखते हैं और बॉलीवुड और फैशन उद्योग पर उनका प्रभाव वास्तव में प्रेरणादायक है। यहां तक ​​कि जो लोग मुश्किल से फैशन का पालन करते हैं, वे प्रसिद्ध बॉलीवुड डिजाइनर के रूप में उनका नाम जानते हैं। लेकिन हम में से कुछ ही इस सफलता की कहानी के पीछे के संघर्ष को जानते हैं। 53 वर्षीय फैशन डिजाइनर ने भारत में बॉलीवुड सितारों की चार पीढ़ियों को स्टाइल किया है। वह फैशन में अपनी अनूठी शैली और स्वाद के लिए जाने जाते हैं। लेकिन जब यह फैशन मोगुल अपने सपनों का पीछा करने के लिए मुंबई आया, तो उसने जो सबसे अच्छा काम किया, वह रु। 

Motivational Stories in Hindi

मनीष मल्होत्रा ​​का जन्म एक ठेठ पंजाबी परिवार में हुआ था, जो प्यार करने वाले माता-पिता थे जिन्होंने उनके सपनों में उनका साथ दिया। उन्होंने जीवन में बहुत पहले ही अपने करियर के बीज बोना शुरू कर दिया था। बॉम्बे के ऑफिशियल ह्यूमन्स के साथ एक साक्षात्कार में , मल्होत्रा ​​ने बचपन से लेकर आज तक के जीवन की कहानी साझा की।

मैं एक सामान्य पंजाबी घराने में पला-बढ़ा हूँ, जहाँ मेरी माँ ने मुझे हमेशा वह सब करने के लिए प्रोत्साहित किया जो मैं करना चाहता था। बड़े होकर, मैं हमेशा बॉलीवुड फिल्मों पर मोहित था और यह हर एक फिल्म को देखने का एक बिंदु बना। लेकिन मैं एक बहुत अच्छा छात्र नहीं था और शिक्षाविदों को उबाऊ पाया।

6 वीं कक्षा में, मुझे एक पेंटिंग क्लास में शामिल होना याद है-मुझे इसमें बहुत मजा आया! फिल्में देखने से लेकर पेंटिंग बनाने और मां के कपड़ों से घिरे रहने के कारण मेरा फैशन के प्रति प्यार बढ़ता गया। मैं अपनी माँ को अपनी साड़ियों पर फैशन की सलाह भी देती थी! जब मैं कॉलेज में आया, तो मैंने मॉडलिंग शुरू की, और एक बुटीक में काम करना शुरू किया। ”

मल्होत्रा ​​को याद है कि एक फैशन बुटीक में उनकी पहली सैलरी महज 500 रुपये प्रति माह थी और इस दौरान अधिक कमाई करने के लिए, वह अपने कॉलेज के वर्षों के समय में मॉडलिंग भी कर रहे थे। उन्होंने कभी भी फैशन डिज़ाइन में पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया क्योंकि वे वित्तीय स्थिति के कारण विदेश में अध्ययन नहीं कर सकते थे। उन्होंने अपने मॉडलिंग जिग्स और बुटीक में समय के माध्यम से सब कुछ सीखा और डिजाइनिंग को पूरा करने के लिए घंटों तक स्केच किया।

आखिरकार, 23 साल की उम्र में, उन्हें अभिनेत्री जूही चावला के साथ अपना बड़ा ब्रेक मिला और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद, उन्होंने रंगीला के लिए वेशभूषा तैयार की, जिसने उन्हें ‘बेस्ट कॉस्ट्यूम के लिए फिल्मफेयर अवार्ड’ दिलाया। अपने पहले के दिनों में, निर्माता अक्सर उन्हें फिल्म के विचार के बारे में बहुत अधिक परेशान करने के लिए उनसे चिढ़ जाते थे, जो वास्तव में डिजाइनिंग के लिए उनकी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। लेकिन नायिका को ‘ग्लैमरस’ बनाने के लिए उन्हें केवल एक ही जानकारी मिली। मल्होत्रा ​​अभी भी कॉस्ट्यूम डिज़ाइन के साथ आगे बढ़ने से पहले एक फिल्म के कथानक के बारे में जानने पर जोर देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें वही पुराने डिजाइनों से परे जाने में मदद मिलती है।

मनीष मल्होत्रा ​​ने 2005 में अपना खुद का लेबल लॉन्च किया और हाल ही में फैशन उद्योग में तीन दशक पूरे किए। उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर जैसे कि दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, सत्या, ओम शांति ओम, दोस्ताना, रॉकस्टार, 2 स्टेट्स के लिए कई राज्यों के लिए डिजाइन किए हैं। उन्होंने खुद माइकल जैक्सन के लिए भी कपड़े डिजाइन किए हैं। उनके ब्रांड ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केट मॉस, नाओमी कैंपबेल और काइली मिनोग जैसी हस्तियों को अपने आउटफिट पहनाया है। उन्होंने 2018 में माइलगैम के सहयोग से सौंदर्य प्रसाधनों का अपना संग्रह भी लॉन्च किया। वह सक्रिय रूप से चैरिटी, जागरूकता अभियानों और सेव द गर्ल चाइल्ड और CRY जैसे गैर सरकारी संगठनों के साथ काम कर रहे हैं।

अच्छे विद्यार्थी के 10 गुण

आर्यन गुलाटी, उन्होंने एक COVID-19 डिटेक्शन ऐप LugAI विकसित किया था

Motivational Stories in Hindi में अब जानिए आर्यन गुलाटी के बारे में। 2020 की सबसे आश्चर्यजनक और प्रेरणादायक बच्चों की कहानियों में से, आर्यन गुलाटी की मशीन लर्निंग (एमएल) प्रणाली का आविष्कार जिसे लुंगाई कहा जाता है, एक अभूतपूर्व है। दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम में पढ़ने वाले बारहवीं कक्षा के एक छात्र, गुलाटी ने न केवल सीओवीआईडी ​​-19 बल्कि अन्य व्यापक और सबसे हानिकारक फेफड़ों की विसंगतियों जैसे फेफड़ों के कैंसर, निमोनिया, तपेदिक, आदि की पहचान करने के लिए इस ऐप को बनाया है। सॉफ्टवेयर जो 2020 में बच्चों की प्रेरक कहानियों में से एक है। इस एप्लिकेशन के विकास के लिए, आर्यन ने भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित अटमा निर्भार भारत आइडेंटन जीता। उसने जो सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन बनाया है वह 90% से अधिक की सटीकता प्रदान करेगा और छाती के एक्स-रे या सीटी स्कैन के 3-5 सेकंड के भीतर पहचान करेगा।

इसके अलावा, इसमें डायग्नोसिस के साथ-साथ तस्वीर को अलग-अलग मेडिकल पेशेवरों को ऑनलाइन भेजने का विकल्प भी है, जो वेबसाइट के लिए निर्मित स्वचालित संदेश प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन है, यदि उपयोगकर्ता दूसरी राय प्राप्त करना चाहता है, साथ ही संपर्क करने की संभावना भी है। यदि वे COVID-19 परीक्षण सुविधाओं की खोज कर रहे हैं तो क्षेत्र के अस्पताल।

सरकारी जॉब और प्राइवेट जॉब, किसका है ज्यादा फायदा

2020 में बच्चों की प्रेरक कहानियों की हमारी सूची में एक और आवश्यक उल्लेख, जिष्णु बरुआ जो डिब्रूगढ़, असम से एक 16 वर्षीय किशोर है, ने एक लाइट बैग ऐप विकसित किया है जो बच्चों को उनके स्कूल बैग निकालने में मदद करता है। जब वह बालवाड़ी में गए, तो उन्होंने देखा कि बच्चे हर दिन स्कूल में भारी बैग लाने की कोशिश कर रहे हैं, और उन्हें उस समस्या को हल करने के लिए एक ऐप विकसित करने का विचार आया। 

व्हाइटहैट जूनियर के समर्थन के साथ, उन्होंने एक ऐप बनाया जो शिक्षकों को किताबों और नोटबुक के शीर्षकों को बदलने में मदद करता है जो छात्र को एक निश्चित दिन पर काम करने की आवश्यकता होती है। ऐप बैग में छात्र के वजन का अनुमान देता है, और बैग के वजन के आधार पर छात्र की निराशा को व्यक्त करने के लिए शिक्षकों के एनिमेशन को प्रदर्शित करता है। वजन माप के आधार पर, शिक्षकों को पुस्तकों की संख्या कम करनी चाहिए ताकि छात्र स्कूल में एक छोटा बैग ले जा सकें।

“आपकी सफलता और खुशी आप में है” – हेलेन केलर। यह उद्धरण हमारे जीवन जीने के तरीके के बारे में बहुत कुछ कहता है। कई सारी Inspiring Success Stories नीचे दी गई है जो प्रेरक सफलता की कहानियों की एक सूची तैयार की है और उनकी यात्रा में सफलता और असफलता दोनों को इसमें कवर किया है।  

Motivational Stories in Hindi में अब जानते हैं स्टीव जॉब्स के बारे में। स्टीव जॉब्स उद्यमी समुदाय में सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक है। उनकी कतीव हानी दुनिया की सबसे प्रेरक सफलता की कहानियों में से एक है। आज उनकी कंपनी Apple के बारे में सभी जानते हैं लेकिन वास्तव में किसी को विश्वास नहीं था कि उस समय ऐसी तकनीक बनाई जा सकती है। स्टीव जॉब्स एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्हें खुद पर विश्वास था और उन्होंने अपनी कंपनी बनाने की दिशा में सब कुछ देने का फैसला किया। उनके जन्म के समय उन्हें एक मजदूर वर्ग के जोड़े ने गोद लिया था। स्टीव, एक जन्मजात प्रतिभा होने के कारण, अपने जीवन में बहुत पहले ही मशीनों और कंप्यूटरों के लिए एक स्वाद विकसित कर लिया था। हालाँकि, अगर हम स्टीव जॉब्स की शिक्षा को देखें,औपचारिक शिक्षा ने जल्द ही उन्हें बोर करना शुरू कर दिया। हालाँकि, वह कॉलेज के लिए रवाना हो गया, लेकिन पहले सेमेस्टर के बाद ही छोड़ दिया। फिर उन्होंने अटारी में नौकरी की, जहाँ से उन्होंने कुछ पैसे बचाए और भारत की यात्रा की। वे आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए वहां रहे और बौद्ध के रूप में 7 महीने बाद घर लौटे और एक साधारण जीवन व्यतीत किया । हालाँकि, इसके तुरंत बाद, उन्होंने स्टीव वोज्नियाक के साथ एक कंप्यूटर प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया और उन्होंने एक गैरेज में अपना पहला सेब उत्पाद बनाया। इस तरह बनी थी दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनी। स्टीव जॉब्स ने आज एक विरासत बनाई है।

“रॉक बॉटम वह ठोस आधार बन गया जिस पर मैंने अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया।”

Motivational Stories in Hindi में अब हम जेके राउलिंग की ओर बढ़ते हैं जिनकी कहानी अब तक की सबसे उल्लेखनीय प्रेरक सफलता की कहानी है। वह व्यक्ति हैरी पॉटर के निर्माण के लिए जिम्मेदार है, जो अब तक का सबसे प्रतिष्ठित और प्रेरक काल्पनिक पात्र है। जेके राउलिंग हमारे समय के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं । हैरी पॉटर की शानदार दुनिया आज तो हर कोई जानता है लेकिन उस शख्स के बारे में हर कोई नहीं जानता जिसने उस दुनिया को जीवंत किया। अपनी माँ की मृत्यु के बाद, वह अंग्रेजी पढ़ाने के लिए पुर्तगाल चली गईं। उसने वहाँ एक आदमी से शादी की और उसके साथ एक बेटी थी। हालांकि, कुछ समय बाद दोनों ने अपनी राहें अलग कर लीं और तलाक के लिए अर्जी दी। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था अपने जीवन में जब वह अपनी बेटी और हैरी पॉटर के तीन अध्यायों के साथ एक अलग शहर में चली गई जो उसने पहले लिखी थी। जेके राउलिंग को इस दौरान डिप्रेशन, एंग्जायटी भी झेलनी पड़ी । लगभग दो वर्षों के बाद उसने अंततः हैरी पॉटर को पूरा किया जिसे 12 प्रकाशनों ने अस्वीकार कर दिया । इसके तुरंत बाद, पुस्तक को स्वीकार कर लिया गया और प्रकाशित किया गया और बाकी इतिहास है। उसकी कहानी उसे सिखाती है कि जीवन चाहे कुछ भी हम पर फेंके, समाधान हमेशा हमारे अंदर होता है। 

“यदि आप एक बार छोड़ देते हैं, तो यह आदत बन जाती है। कभी छोड़ना नहीं!”

बास्केटबॉल टीम के लिए खारिज किए जाने से लेकर बास्केटबॉल के दिग्गज बनने तक , एमजे ने हमारी प्रेरक सफलता की कहानियों की सूची में अपनी कहानी बनाते हुए देखा है। माइकल जॉर्डन को उनके हाई स्कूल में उनकी ऊंचाई के कारण बास्केटबॉल टीम से खारिज कर दिया गया था। हालाँकि, खेल के प्रति उनकी पसंद ने उन्हें खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए और भी दृढ़ बना दिया । वह किसी और से पहले जिम पहुंच जाते थे और शॉट्स की प्रैक्टिस करते थे। बास्केटबॉल टीम में एक स्थान के उद्घाटन के तुरंत बाद, उनका चयन किया गया । हालाँकि, उसके पास अभी भी कौशल की कमी थी लेकिन वह वैसे भी जारी रहा और पूर्णता की दिशा में हर रोज काम किया । उन्होंने बास्केटबॉल टीम के एक मूल्यवान खिलाड़ी के रूप में ख्याति प्राप्त की, जो अंततः उन्हें NBA में ले गईऔर बास्केटबॉल लेजेंड बनें जिसे हम जानते हैं कि वह है।

Motivational Stories in Hindi

“पहले सोचो। दूसरा, सपना। तीसरा, विश्वास करो। और अंत में, हिम्मत करो ”

सफलता की प्रेरक कहानियों (Motivational Stories in Hindi) की हमारी सूची में अगली कहानी वाल्टर एलियास डिज़्नी की कहानी है जिसे दुनिया के सबसे महान एनिमेटर के रूप में जाना जाता है, जो शुरू से ही इतना आसान नहीं था। वह अपने स्कूल के दिनों में एक दिवास्वप्न हुआ करता था और यादृच्छिक रेखाचित्र बनाता था । प्रथम विश्व युद्ध में रेड क्रॉस स्वयंसेवक के रूप में सेवा करने के बाद , उन्होंने कार्टून मोशन पिक्चर्स बनाने का फैसला किया और 19 साल की उम्र में एक कार्टून कंपनी शुरू की। वह बुरी तरह विफल रहे और 22 साल की उम्र में दिवालिया हो गए और उन्हें अपनी अखबार एजेंसी से भी निकाल दिया गया। कल्पना की कमी। उसके बाद वे कई बार दिवालिया हुए और 1928 में कंपनी पूरी तरह से बिखर गई । तभी उन्होंने अपना सबसे प्रसिद्ध कार्टून चरित्र मिकी माउस बनाया. आगे क्या हुआ सबको पता है।

Motivational Stories in Hindi

“किसी को यह याद रखना होगा कि हर असफलता कुछ बेहतर करने के लिए एक कदम हो सकती है।”

कर्नल हार्बर सैंडर्स को केंटकी फ्राइड चिकन टी ओडे के निर्माण के लिए प्रसिद्ध रूप से जाना जाता है, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि ऐसा करने के लिए और अपनी कहानी को दुनिया की सबसे प्रेरक सफलता की कहानियों में बदलने के लिए उन्होंने कितना संघर्ष किया। उन्हें अपने जीवन में लगातार अस्वीकृति का सामना करना पड़ा । जब वह सिर्फ 6 साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया, जिसने उन्हें अपने भाई-बहनों के लिए खाना बनाना छोड़ दिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और पूरे समय काम करना शुरू कर दिया। उम्र का झांसा देकर उन्हें सेना में नौकरी मिल गई, जहां से एक साल बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। उन्हें अपनी अगली नौकरी से भी निकाल दिया गया। बाद में, उन्होंने एक फेरी बोट कंपनी की स्थापना की और उसमें भी असफल रहे । उन्होंने 40 साल की उम्र में एक सर्विस स्टेशन पर अपना तला हुआ चिकन बेचना शुरू कर दिया था ।हालाँकि, जैसे-जैसे वह बढ़ने लगा, उसका अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ शूटआउट हो गया। उन्होंने चार साल बाद एक मोटल शुरू किया, जो विश्व युद्ध 2 के कारण फिर से बंद हो गया । उन्होंने उसके बाद अपने रेस्तरां को फ्रेंचाइजी देने की कोशिश की और केएफसी के उनके ‘गुप्त नुस्खा’ के चयन से पहले हजारों बार खारिज कर दिया गया। वर्षों की असफलताओं के बाद , कर्नल सैंडर्स ने केएफसी को इस तरह से विकसित किया कि उन्होंने इसे 2 मिलियन डॉलर में बेच दिया। अपने जीवन में इतने सारे रिजेक्शन का सामना करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और दुनिया उन्हें आज केएफसी के चेहरे के रूप में जानती है। 

Motivational Stories in Hindi

“गलती मत ढूंढो, उपाय ढूंढो। कोई भी शिकायत कर सकता है।”

हेनरी फोर्ड ऑटोमोबाइल उद्योग में सबसे प्रसिद्ध उद्यमी हैं। उन्होंने ऑटोमोबाइल उद्योग में पूरी तरह से क्रांति ला दी और सुनिश्चित किया कि उनकी कहानी दुनिया की सबसे प्रेरक सफलता की कहानियों में से एक है। अपनी कंपनी शुरू करने के बाद, वह एक व्यवसायी से वित्त पोषण के लिए गया, जिसने बाद में कंपनी को भंग कर दिया और उसके पास कुछ भी नहीं था। हालांकि, उन्होंने जो कुछ भी शुरू किया था और पूर्णता के लिए लक्ष्य निर्धारित किया था। वह फिर से उसी निवेशक के पास गया और उससे एक और मौका देने का अनुरोध किया लेकिन वह फिर से विफल हो गया। इन लगातार असफलताओं के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार 1904 में मॉडल ए को पेश किया और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

“क्या बहादुरी हमेशा खूबसूरत नहीं होती?”

स्टीफन किंग दुनिया के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं और उनकी अब तक की सबसे प्रेरक सफलता की कहानियों में से एक है। लेखक को विज्ञान कथा, डरावनी और रहस्य की शैली में लिखने के लिए जाना जाता है। स्टीफन को बचपन से ही लिखने की आदत थी और उन्हें अपनी स्कूल पत्रिका के लिए लेखों का योगदान करते देखा गया था । उन्होंने कला स्नातक की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और विभिन्न पत्रिकाओं को अपनी लघु कथाएँ बेचने के साथ-साथ एक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया । वह अपने उपन्यास ‘कैरी’ को पूरा करने पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्होंने अवसाद और चिंता के कारण इसे बीच में ही छोड़ दिया । हालांकि, उनकी पत्नी का प्रोत्साहनउनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसने उन्हें कई सफल किताबें दीं, जिनमें से कुछ फिल्मों में भी बदल गईं। वह अब तक की सबसे महान फिल्म ‘द शशांक रिडेम्पशन’ के लेखक हैं । अपनी असफलताओं और संघर्षों के बावजूद उन्होंने एक लेखक के रूप में अपने कौशल में विश्वास किया और महानता की ओर बढ़ते रहे।

Motivational Stories in Hindi

“जीवन की कई असफलताएं वे लोग हैं जिन्हें यह नहीं पता था कि वे सफलता के कितने करीब थे जब उन्होंने हार मान ली”

थॉमस एडिसन कौन हैं, इसका परिचय देने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह अपने समय के सबसे महान वैज्ञानिक और बल्ब के आविष्कारक भी थे। अगर हम थॉमस एल्वा एडिसन की शिक्षा को देखें ,वह मानसिक रूप से अस्थिर बच्चा था और इस वजह से उसे स्कूल से बाहर कर दिया गया था। हालांकि, वह एक मेहनती व्यक्ति था और उसने अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ा और यह सुनिश्चित किया कि उसकी कड़ी मेहनत ने उसकी कहानी को दुनिया की सबसे प्रेरक सफलता की कहानियों में से एक बना दिया। उनकी मां भी एक सच्ची योद्धा थीं, जिन्होंने थॉमस पर अपना पूरा भरोसा दिखाया और उन्हें कभी निराश नहीं किया। वह 12 साल की उम्र में फल और अखबार बेचते थे। उन्होंने अलग-अलग आविष्कारों पर काम करना जारी रखा और टेलीग्राफ का आविष्कार करने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क में एक प्रयोगशाला स्थापित की। बल्ब का आविष्कार करने से पहले, वह हजारों बार असफल रहा, लेकिन जारी रखा और अंत में बल्ब का आविष्कार किया।

Motivational Stories in Hindi

“यदि आप अपने सपने का निर्माण नहीं करते हैं, तो कोई और आपको उनके सपने को पूरा करने में मदद करने के लिए काम पर रखेगा।”

हमारी प्रेरक सफलता की कहानियों Motivational Stories in Hindi की सूची में अगला है धीरूभाई अंबानी। रिलायंस के संस्थापक धीरूभाई अंबानी की कहानी अमीरी की सच्ची कहानी है। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उन्होंने सीढ़ी पर चढ़ने का काम किया। वह 16 साल की उम्र में एक पेट्रोल पंप पर काम करने के लिए यमन चले गए थे । वह 1958 में भारत लौट आए और अपना कपड़ा व्यवसाय शुरू किया । इस व्यवसाय में काम करते हुए उन्हें मार्केटिंग का अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ। इस कपड़ा व्यवसाय को समाप्त करने के बाद उन्होंने 1996 में रिलायंस कॉर्पोरेशन लॉन्च किया, जिसे आज रिलायंस इंडस्ट्रीज के नाम से जाना जाता है । उनके नाम पर अब धीरूभाई अंबानी स्कॉलरशिप के नाम से एक स्कॉलरशिप भी है ।

“मैं रात में सपने नहीं देखता, मैं दिन में सपने देखता हूं। मैं सारा दिन सपने देखता हूं। मैं जीने का सपना देख रहा हूं।”

अंतिम लेकिन कम से कम हमारे पास प्रेरक सफलता की कहानियों Motivational Stories in Hindi की सूची में स्टीवन स्पीलबर्ग की कहानी है। वह एक फिल्म निर्माता थे , जिन्हें उनके स्कूल में खराब ग्रेड के कारण यूएससी स्कूल ऑफ थिएटर, फिल्म और टेलीविजन से तीन बार खारिज कर दिया गया था । हालांकि, इसने उन्हें फिल्म निर्माता बनने के अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोका । उन्होंने बेहतरीन फिल्में दीं और यहां तक ​​कि लगातार तीन बार ऑस्कर पुरस्कार भी जीते। जीवन में इतनी असफलताओं का सामना करने के बाद भी, उन्होंने फिल्म उद्योग में कुछ बेहतरीन फिल्में दीं। यूएससी से खारिज होने के बाद उन्हें जॉज़, जुरासिक पार्क, द कलर पर्पल आदि जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लिए जाना जाता है, आज वह स्कूल के निदेशक मंडल में से एक हैं। 

16. रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी

दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपने संघर्ष की मिसाल पेश की है। कई ऐसे साधारण लोग भारत देश में जन्मे हैं जिन्होंने बाधाओं और कठिनाइयों को पीछे छोड़ सफलता हासिल की है। कुछ लोगों की संघर्ष कहानियां इतनी प्रेरित करने वाली होती है कि उनकी कहानी सुनते ही हमारी आंखों में आंसू छलक उठते हैं। कुछ लोग ऐसा सोचते हैं की एक साधारण आदमी कुछ हासिल नहीं कर सकता परंतु यह कहने से पहले हम यह नहीं सोचते है कि सफलता की सीढ़ी पर बैठा हुआ आदमी भी किसी ना किसी प्रकार वहां पहुंचा होगा वह भी एक मनुष्य है यदि वह सफलता हासिल कर सकता है कोई साधारण आदमी ऐसा क्यों नहीं कर सकता। आए दिन रोज हम एक नया सपना देखते हैं कि हम यह करेंगे ऐसे करेंगे इत्यादि परंतु उनमें से कुछ लोग होते हैं जो उस सपने को पूरा करने के लिए उसमें अपनी जान डाल देते हैं। इसी पर एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा भी है कि-“सपने वो नहीं होते हैं जो नींद में देखे जाते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको नींद ही नहीं आने देते हैं । इसी तरह है रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी जिन्होंने एक साधारण आदमी से सफलता की ऊंचाइयों पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा दिया है।

आज रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी से रूबरू कराने हम यह ब्लॉग लेकर आए हैं।रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी उन कहानियों में से हैं जो हमें प्रेरित तो करती हैं परंतु कहीं ना कहीं हमें भावुक भी कर देती हैं। और जिंदगी में कुछ करने पर जोर देती हैं। रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी ऐसी कहानी है जिसे सुनते ही हमारे मन में रंजीत रामचंद्रन के प्रति आदर सम्मान और भी बढ़ जाता है।

रंजीत रामचंद्रन का प्रत्येक दिन अंतहीन संभावनाओं के साथ शुरू होता है।लेकिन रामचंद्रन की रातें महत्वाकांक्षाओं, आशाओं और विशाल सपनों से भरी थीं। अपने विनम्र घर से आकर, रामचंद्रन के पिता एक दर्जी थे और उनकी माँ एक MGNREGS कार्यकर्ता थीं।रामचंद्रन ने कासरगोड के पनाथुर में एक बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज में एक रात के चौकीदार के रूप में काम किया और एक जिला कॉलेज- सेंट पियस एक्स कॉलेज से अपनी अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की।

अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, रामचंद्रन IIT, मद्रास में चले गए। उसने अध्ययन करना मुश्किल पाया क्योंकि वह केवल मलयालम में धाराप्रवाह था। वह निराश हो गए और उन्होंने पीएचडी छोड़ने का फैसला किया। कार्यक्रम। उनके गुरु और मार्गदर्शक ने तब उन्हें आश्वस्त किया और अपने लक्ष्य के बारे में निर्धारित होने के लिए राजी किया ।उनके आकर्षक पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर रामचंद्रन ने कहा,

“मैंने कभी नहीं सोचा था कि पोस्ट वायरल होगी। मैंने अपनी जीवन कहानी पोस्ट की, उम्मीद है कि यह कुछ अन्य लोगों को प्रेरित करेगी। मैं चाहता हूं कि हर कोई अच्छे सपने देखे और अपने सपनों के लिए लड़े। मैं चाहता हूं कि अन्य लोग इससे प्रेरित हों और सफलता पाएं। ”

“मेरे मार्गदर्शक (डॉ। सुभाष) को यकीन था कि मेरा निर्णय गलत था, और मुझे असफल होने और पीछे हटने से पहले लड़ने के लिए कहा। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने हारना शुरू कर दिया है, मुझे उस दिन से जीतने की जिद थी। ”

आशा करते हैं कि आपको Motivational Stories In Hindi (मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी ) का ब्लॉग अच्छा लगा होगा।   इसी प्रकार के अन्य बब्लॉग्स पढ़ने के लिए  हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Very interesting and inspiring

इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता हैं बस जरूरत है खुद पर विश्वास करने की

Really inspirational thanks a lot for the article..

पूजा जी आपका आभार, ऐसे ही आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

Very motivational story. Thanks for sharing.

लेख सराहने के लिए आपका धन्यवाद।

Nice Stories.

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