about earthquake in hindi essay

भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi

Essay on Earthquake

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।

अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।

तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।

भूकंप क्या है – What is the Earthquake

भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।

वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।

वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।

भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake

प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-

भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake

क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं

धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।

धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।

भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake

  • परमाणु परीक्षण।
  • नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
  • गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
  • विशाल बांध का निर्माण।

रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:

रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।

इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।

भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake

  • भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
  • भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
  • भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:

  • भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
  • ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
  • भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
  • घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
  • कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।

भूकंप से बचने के उपाय:

भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।

अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:

  • वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
  • दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
  • गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
  • हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।

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11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?

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भूकंप पर निबंध – 10 lines (Earthquake Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

about earthquake in hindi essay

Earthquake Essay in Hindi – भूकंप सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इसके स्रोत का पता पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में लगाया जा सकता है। यह जीवन और संपत्ति के बड़े नुकसान के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, यह मानव जाति के लिए एक बड़ी समस्या है। भूकंप शब्द ग्रीक शब्दों से बना है, ‘पृथ्वी’ का अर्थ है जमीन और ‘भूकंप’ का अर्थ है हिलना या कांपना। इसलिए, भूकंप पृथ्वी का हिलना या कांपना है।

भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेटों में गड़बड़ी के कारण होता है। भूकंप संक्षिप्त और हल्के या बड़े और विनाशकारी हो सकते हैं। हमारे ग्रह ने सदियों से कई गंभीर और हल्के भूकंपों का सामना किया है। भूकंप ज्यादातर संक्षिप्त होते हैं लेकिन सेकंड के भीतर बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बन सकते हैं। अतीत में भूकंपों के कारण दुनिया भर के लोगों को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा है।

बच्चों के लिए भूकंप पर 10 लाइनें (10 Lines On Earthquake For Kids in Hindi)

  • भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है।
  • वे तब होते हैं जब कुछ तरकीबें पृथ्वी की सतह के नीचे चलती हैं, जिससे कंपन या भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं।
  • इससे हम अपने पैरों के नीचे से पूरी जमीन हिलती हुई महसूस कर सकते हैं। इससे इमारतें, पेड़ और अन्य ऊंची संरचनाएं टूट कर गिर सकती हैं।
  • भूकंप की तीव्रता या तीव्रता को उसका परिमाण कहते हैं और इसे रिक्टर स्केल पर 1 से 10 तक मापा जाता है।
  • भूकंप को सिस्मोग्राफ से मापा जा सकता है।
  • 6 या 7 परिमाण के भूकंप बहुत शक्तिशाली होते हैं और इससे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है।
  • जिस स्थान पर भूकंप की उत्पत्ति होती है, उसे उसका अधिकेंद्र कहा जाता है। यह स्थान आपदा के अधिकतम प्रभाव का सामना करता है।
  • भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हमेशा खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और आपदा प्रबंधन रणनीति बनानी चाहिए क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
  • भूकंप के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका खुले मैदान में दौड़ना है।
  • यदि आस-पास कोई खुली जगह नहीं है, तो आप एक मजबूत और मजबूत टेबल के नीचे झुक सकते हैं।

भूकंप पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप दुनिया में कहीं भी आ सकते हैं, और हालांकि उनकी घटना का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, कुछ चीजें हैं जो आप अपने आप को और अधिक तैयार करने के लिए कर सकते हैं यदि कोई हमला करता है। इसमें जाने के लिए एक भूकंप किट तैयार होना, यह जानना कि कैसे गिरना, ढकना और रुकना है, और अपने क्षेत्र में किसी भी संभावित जोखिम के बारे में सूचित रहना शामिल है। सुनिश्चित करें कि आपके पास भोजन, पानी और अन्य आपूर्तियों के साथ एक आपातकालीन किट है, और जानें कि भूकंप आने पर क्या करना चाहिए। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि क्या करना है, तो खिड़कियों और अन्य वस्तुओं से दूर रहना सबसे अच्छा है जो आप पर गिर सकते हैं और सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं।

भूकंप पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो अपने साथ कई खतरे लेकर आती है। पृथ्वी के हिलने और हिलने से इमारतें गिर सकती हैं, जिससे लोग अंदर फंस सकते हैं। इस तरह के अचानक परिवर्तन के कारण होने वाला कंपन आमतौर पर बहुत मामूली होता है, लेकिन बड़े भूकंप कभी-कभी भूमि के बहुत बड़े झटकों का कारण बनते हैं। हिलती हुई लहरें उस स्थान से फैलती हैं जहां पहली बार चट्टान टूटना शुरू होती है; इस स्थान को भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर कहा जाता है।

अगर भूकंप शुरू होने पर आप अंदर हों, तो जमीन पर लेट जाएं और अपने सिर को ढक लें। भूकंप का परिमाण एक भूकंपीय घटना में जारी भूकंपीय ऊर्जा की मात्रा से संबंधित है।

विभिन्न प्रकार के भूकंप

भूकंप तीन प्रकार के होते हैं:

उथला | उथला भूकंप तब होता है जब भूकंप का फोकस पृथ्वी की सतह के करीब होता है। ये भूकंप आमतौर पर अन्य दो प्रकारों की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, लेकिन फिर भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मध्यम | मध्यवर्ती भूकंपों का एक फोकस होता है जो सतह और पृथ्वी के आवरण के बीच स्थित होता है, और आमतौर पर उथले भूकंपों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है।

दीप | गहरे भूकंपों का फोकस मेंटल में स्थित होता है, जो क्रस्ट के नीचे पृथ्वी की परत है। वे सबसे शक्तिशाली प्रकार के भूकंप हैं, और यहां तक ​​कि सतह पर नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

भूकंप पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप और ज्वालामुखी दो प्राकृतिक आपदाएं हैं जो पृथ्वी की सतह में परिवर्तन के कारण होती हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं को लाने में मनुष्य की बहुत कम या कोई भूमिका नहीं है। भूकंप और ज्वालामुखियों का परस्पर संबंध कहा जाता है। यह देखा गया है कि ज्वालामुखी क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जो अक्सर आसन्न ज्वालामुखी के चेतावनी संकेत के रूप में काम करते हैं।

भूकंप मूल रूप से पृथ्वी का हिलना है। भूकंप या तो पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण या ज्वालामुखियों में मैग्मा की गति के कारण आते हैं। ज्वालामुखीय विस्फोट मैग्मा आंदोलनों के कारण हो सकते हैं। भूकंप कमजोर होने के साथ-साथ हिंसक भी हो सकते हैं। जबकि कमजोर ज्वालामुखियों को शायद ही महसूस किया जाता है, हिंसक लोगों के परिणामस्वरूप बड़ी इमारतों की तबाही और जीवन की भारी हानि हो सकती है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई भूकंप आए हैं जिससे गंभीर विनाश हुआ है।

ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह से गर्म लावा का विस्फोट है। यह तब होता है जब पृथ्वी की पपड़ी फट जाती है। गर्म लावा, जहरीली गैसें और ज्वालामुखीय राख ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से निकलती हैं और विशाल विनाश का कारण बन सकती हैं। विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखियों में सुपर ज्वालामुखी, उप-हिमनद ज्वालामुखी, पानी के नीचे के ज्वालामुखी और मिट्टी के ज्वालामुखी शामिल हैं।

ज्वालामुखीय भूकंप क्या है?

ज्वालामुखीय भूकंप जिसे ज्वालामुखी टेक्टोनिक भूकंप भी कहा जाता है, मैग्मा की गति के कारण होता है। यह आंदोलन दबाव डालता है और मैग्मा के चारों ओर चट्टान में परिवर्तन का कारण बनता है और यह अंततः ज्वालामुखीय भूकंप का कारण बनता है। इन भूकंपों को बड़े विनाश का कारण माना जाता है जिसमें जमीन की विकृति, इमारतों का उखड़ना और जमीन की दरारें शामिल हो सकती हैं।

भूकंप और ज्वालामुखी दोनों से मानव जाति को भारी नुकसान हो सकता है। जबकि वैज्ञानिक इन दोनों की भविष्यवाणी करने की पूरी कोशिश करते हैं, वे इन प्राकृतिक आपदाओं के समय और तारीख का निर्धारण करने में सफल नहीं हुए हैं। भूकंप और ज्वालामुखी प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए और इनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और ऐसी समस्या होने पर शांति और समझदारी से काम लेना चाहिए।

भूकंप पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Earthquake in Hindi)

सीधे शब्दों में कहें तो भूकंप का अर्थ है पृथ्वी की सतह का हिलना। यह पृथ्वी की सतह का अचानक कांपना है। भूकंप निश्चित रूप से एक भयानक प्राकृतिक आपदा है। इसके अलावा, भूकंप जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ भूकंप प्रकृति में कमजोर होते हैं और संभवत: उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसके विपरीत, कुछ भूकंप बड़े और हिंसक होते हैं। प्रमुख भूकंप प्रकृति में लगभग हमेशा विनाशकारी होते हैं। सबसे उल्लेखनीय, भूकंप की घटना काफी अप्रत्याशित है। यही बात उन्हें इतना खतरनाक बनाती है।

भूकंप के प्रकार

टेक्टोनिक भूकंप : पृथ्वी की पपड़ी में असमान आकार की चट्टानों के स्लैब शामिल हैं। चट्टानों के ये स्लैब टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। इसके अलावा, यहां ऊर्जा संग्रहित है। यह ऊर्जा टेक्टोनिक प्लेटों को एक दूसरे से दूर या एक दूसरे की ओर धकेलने का कारण बनती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, ऊर्जा और गति दो प्लेटों के बीच दबाव बनाती है।

इसलिए, यह भारी दबाव फॉल्ट लाइन बनाने का कारण बनता है। साथ ही, इस गड़बड़ी का केंद्र बिंदु भूकंप का फोकस है। नतीजतन, ऊर्जा की तरंगें फोकस से सतह तक यात्रा करती हैं। इससे सतह का हिलना शुरू हो जाता है।

ज्वालामुखीय भूकंप : यह भूकंप ज्वालामुखी गतिविधि से संबंधित है। इन सबसे ऊपर, ऐसे भूकंपों की तीव्रता कमजोर होती है। ये भूकंप दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार ज्वालामुखी-विवर्तनिक भूकंप है। यहां इंजेक्शन लगाने या मैग्मा निकालने से झटके आते हैं। इसके विपरीत दूसरा प्रकार दीर्घकालीन भूकंप है। यहाँ भूकंप पृथ्वी की परतों के बीच दबाव परिवर्तन के कारण होता है।

पतन भूकंप: ये भूकंप गुफाओं और खानों में होते हैं। इसके अलावा, ये भूकंप कमजोर परिमाण के हैं। खदानों के ढहने का कारण संभवत: भूमिगत विस्फोट हैं। इन सबसे ऊपर, खदानों के ढहने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। नतीजतन, ये भूकंपीय तरंगें भूकंप का कारण बनती हैं।

विस्फोटक भूकंप: ये भूकंप लगभग हमेशा परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण आते हैं। जब कोई परमाणु हथियार फटता है तो बड़ा धमाका होता है। इसके परिणामस्वरूप भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह संभवतः भूकंप का परिणाम है।

भूकंप के प्रभाव

सबसे पहले, जमीन का हिलना भूकंप का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव है। इसके अलावा, कंपन के साथ-साथ जमीन का फटना भी होता है। इससे आधारभूत सुविधाओं को भारी नुकसान होता है। भूकंप की गंभीरता भूकंप के परिमाण और अधिकेंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। साथ ही, गंभीरता को निर्धारित करने में स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियां एक भूमिका निभाती हैं। भूभंग पृथ्वी की सतह के दृश्य विखंडन को संदर्भित करता है।

भूकंप का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव भूस्खलन है। ढलान की अस्थिरता के कारण भूस्खलन होता है। यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

भूकंप मिट्टी के द्रवीकरण का कारण बन सकता है। यह तब होता है जब जल-संतृप्त दानेदार सामग्री अपनी ताकत खो देती है। इसलिए, यह ठोस से तरल में बदल जाता है। नतीजतन, कठोर संरचनाएं तरलीकृत जमा में डूब जाती हैं।

भूकंप के परिणामस्वरूप आग लग सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भूकंप से बिजली और गैस की लाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। सबसे बढ़कर, आग लगने के बाद उसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

भूकंप कुख्यात सुनामी भी पैदा कर सकते हैं। सुनामी लंबी तरंगदैर्घ्य वाली समुद्री लहरें हैं। ये समुद्री लहरें बड़ी मात्रा में पानी की अचानक या अचानक गति के कारण होती हैं। यह समुद्र में भूकंप के कारण है। इन सबसे ऊपर, सुनामी 600-800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकती है। समुद्री तट से टकराने पर ये सूनामी भारी तबाही मचा सकती हैं।

अंत में, भूकंप पृथ्वी की एक महान और भयानक घटना है। यह प्रकृति के विरुद्ध मनुष्य की दुर्बलता को दर्शाता है। यह एक जबरदस्त घटना है जो निश्चित रूप से सभी को झकझोर कर रख देती है। इन सबसे ऊपर, भूकंप केवल कुछ सेकंड के लिए ही रहता है, लेकिन इससे अकल्पनीय क्षति हो सकती है।

भूकंप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 विस्फोटक भूकंप क्यों आता है.

A1 परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण एक विस्फोटक भूकंप आता है।

Q2 भूकंप के कारण भूस्खलन क्यों होते हैं?

A2 भूस्खलन ढलान की अस्थिरता के कारण होता है। सबसे उल्लेखनीय, यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

भूकंप पर निबंध Earthquake in Hindi

भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi

इस लेख में हमने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) आकर्षक रूप से लिखा है। इस लेख में भूकंप क्या है तथा भूकंप आने के कारण साथ ही भूकंप से बचाव के उपाय सरल रूप में दिया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi)

प्रकृति समय-समय पर स्वयं में परिवर्तन करती रहती है। जिसे हम भूकंप, बाढ़ तथा चक्रवात के रूप में देख सकते हैं। भूकंप आने के पीछे मनुष्य का पर्यावरण के तरफ उदासीन भाव भी होता है। आज मनुष्य स्वार्थवश प्रकृति का दोहन कर रहा है।

जब मनुष्य द्वारा या प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तब प्रकृति खुद को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए भूकंप का सहारा लेती है।

भूकंप के कारण सजीव और निर्जीव दोनों की हानि होती है लेकिन मानव जाति कुछ ही दिनों में प्रकृति का दोहन फिर से शुरू कर देती है।

आज पर्यावरण दोहन अपने चरम पर है। वैज्ञानिकों ने एक स्वर में कहा है की आज के जितना प्रकृति दोहन पहले कभी नहीं हुआ है। जिसके कारण आज तापमान तेजी से बढ़ रहा है। असमय वर्षा और मौसम का बदलाव तथा भूकंप से बड़ी मात्रा में विनाश हो रहा है।

अगर प्रकृति के दोहन को रोक कर फिर से उसे पहले जैसा नहीं किया गया तो वह समय दूर नहीं जब धरती पर जीवन का नामोनिशान नहीं बचेगा।

भूकंप क्या है? What is Earthquake in Hindi?

जब धरती की प्लेटें आपस में टकराती हैं तब उनमें कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। भूकंप को सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

भूकंप के वक़्त होने वाले कंपन्न से बड़ी मात्रा में धन तथा जान माल का नुकसान होता है जिसकी भरपाई करने में काफी समय गुजर जाता है।

इसकी अधिक तीव्रता के कारण जमीन फट सकती है तथा हिमपर्वत भी पिघल सकते हैं जिसके कारण बाढ़ या सुनामी जैसे हालात भी बन जाते हैं।

भूकंप के चार प्रकार होते हैं। विवर्तनिक, ज्वालामुखी, विस्फ़ोट तथा पतन। विवर्तनिक प्रकार के भूकंप को सामान्य भूकंप कहते हैं। जब भूकंप का कंपन्न अधिक होता है तब उसके कंपन्न से ज्वालामुखी की परते खुल जाती है और ज्वालामुखी जागृत हो जाता है। 

कई बार जब भूकंप आने के बाद धरती फट जाती है या किसी जगह से किन्ही गैस या तेल का प्रवाह निकलने लगता है, तो उसे विस्फ़ोटक प्रकार का भूकंप कहते हैं। 

जब भूकंप के कारण समुन्द्र अपने स्तर से ऊँचा उठ जाता है और बड़ी-बड़ी लहरे उत्पन्न करने लगता है और सुनामी की शकल में सब कुछ तहस नहस कर देता है तो उसे पतन प्रकार के भूकंप के नाम से जाना जाता है।

भूकंप आने कारण Reasons of Earthquake in Hindi

पृथ्वी के अंदर कई प्रकार के तरल तथा पत्थर की प्लेटें समाई हुई हैं। जब यह प्लेटें टूटती हैं या अपने स्थान से खिसकती हैं, तो अचानक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है और फलस्वरूप उन दो चट्टानों के टकराने से एक कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप के नाम से जाना जाता है।

पृथ्वी एक निश्चित गति से सूर्य का चक्कर लगा रही है, साथ ही अपनी धुरी पर भी घूम रही है। लेकिन किन्हीं कारणवश इसकी प्राकृतिक बनावट में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तो भूकंप आते हैं।

आज जिस प्रकार पेड़ों की कटाई हो रही है तथा प्रदूषण का स्तर बढ़ रहे हैं। यह सभी भी भूकंप के कारणों में शामिल हैं। पेड़ पौधे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखते हैं। पेड़ों की जड़ें जमीन में समाई होती हैं जिसके कारण जमीन एक दूसरे से जकड़ी होती हैं।

वृक्ष वर्षा चक्र को बनाए रखते हैं जिसके कारण धरती पर अनुकूल समय पर बरसात होती है तथा भूगर्भ की गर्मी कम होती है। इसके कारण इंसान को पीने का पानी धरती के ऊपरी स्तर पर ही मिल जाता है और उसे जमीन को गहरा खोदने की जरूरत नहीं पड़ती।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा तथा ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हो रही हैं। जिसके कारण पेड़ पौधों तथा जमीन को नुकसान हो रहा हैं। यह सभी कारण हैं जिससे भूकंप आते हैं।

भूकंप के प्रभाव Impact of Earthquake in Hindi

मानव जीवन के लिए भूकंप अथवा कोई भी प्राकृतिक आपदाएं हानिकारक ही साबित होती हैं। भूकंप के प्रभाव से पशु पक्षी तथा इंसान कोई भी नहीं बच पाता।

भूकंप को रिक्टर स्केल के मापक पर मापा जाता है और 4 से ज्यादा रिक्टर स्केल के भूकंप को बहुत ही ज्यादा हानिकारक माना जाता है।

भूकंप के प्रभाव से बड़े-बड़े पेड़ अपनी जड़े खो देते हैं, ज्वालामुखी सक्रिय हो जाते हैं और धन का एक बड़े भाग का यूं ही नाश हो जाता है, जिसमें बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, रेलवे ट्रैक, रोड तथा सांस्कृतिक विरासत भी शामिल हैं।

जापान में भूकंप की मात्रा बेहद अधिक होती हैं। जापान पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर एक भी प्राकृतिक नदियां नहीं है और जिसने भूकंप बाढ़ सुनामी से सबसे अधिक नुकसान झेला है। जापान में पांच रिक्टर स्केल के भूकंप को बेहद सामान्य माना जाता है।

इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप सन 1935 क्वेटा में आए भूकंप को माना जाता है। क्वेटा जैसे शहर की सुंदरता एक रात में नष्ट हो गई थी।

जिस स्थान को प्रवासियों के लिए स्वर्ग माना जाता था उस पर एक रात में कब्रिस्तान बनने का कलंक लग गया था। हजारों लाखों लोग नींद में ही काल के ग्रास बन गए थे और लाखों लोग घर से बेघर हो गए थे।

भूकंप से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Earthquake Prevention Measures in Hindi

आधुनिक विज्ञान ऐसी कोई मशीन नहीं बना पाया है जिससे आने वाले भूकंप की जानकारी पहले से हो सके। लेकिन ऐसे कई बचाव के उपाय पुरानी किताबों में पाए गए हैं जिनसे बचाव मुमकिन हो सकता है। भूकंप से बचाव के रूप में सबसे पहला कदम मनुष्य का पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना है।

आज हम प्रकृति के प्रति बिल्कुल भी सचेत नहीं है। इंसानी मस्तिष्क ने ऐसी मशीनें वह हथियार बनाए हैं जिससे प्रकृति का सीधे नाश होता है। अगर प्रकृति के प्रकोप से बचना है तो ऐसी मशीनों को नष्ट करना होगा।

उदाहरण के तौर पर एयर कंडीशनर में से निकलती गैस CFC क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस को लिया जा सकता है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस का एक अणु ओजोन स्तर के एक लाख परमाणुओं का नाश करता है।

भूकंप से बचाव के लिए हमें वन संरक्षण को बढ़ाना होगा तथा वृक्षारोपण में तेजी लानी होगी। युद्ध के स्थान पर बातचीत को तवज्जो देना होगा क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हथियारों के प्रयोग से होता है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में अपने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) बड़ा आशा ही आलेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में भूकंप पर निबंध के बारे में पड़ेंगे जो कि आपको क्लास 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे उच्चाधिकारी वाले एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। भूकंप पर निबंध (Earthquake essay in Hindi) के अंतर्गत हम भूकंप से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।  

प्रस्तावना (Introduction)

‘भूकंप’ बस नाम ही काफ़ी है। ‘भू का कंपन’ यह विचार मात्र मानव के मन और मस्तिष्क में कंपन ही उत्पन्न नहीं करता वरन् झकझोर कर रख देता है। जब-जब प्रकृति ने अपने इस रूप के दर्शन कराए हैं, मानव की लाचारी और बेबसी ने घुटने टेक दिए हैं। मनुष्य की सारी प्रगति प्रकृति के इस रूप के समक्ष बौनी दिखाई देती है। प्रकृति के महाविनाश का यह भयानक रूप है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करना चाहता। 

लेकिन मनुष्य के कल्पना करने या न करने से प्रकृति के कार्यक्रमों में कोई अन्तर नहीं आता। प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, वह आदिकाल से मनुष्य की सहचरी रही है किन्तु उसके अपने क्रियाकलाप भी हैं जिन्हें हम प्राकृतिक परिवर्तन के रूप में समझ सकते हैं। यदि मानव मस्तिष्क इसकी पूर्व जानकारी पा सकता है तो इतना भी मानव जाति के हित में होगा।

भूकंप क्या है? (Earthquake in Hindi)

जब पृथ्वी के भीतर का तरल पदार्थ अत्यधिक गर्म हो जाता है तो इसकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव से धरती की कई सतहों में परिवर्तन होता है, वे इधर-उधर खिसकती हैं, हिलती-डुलती हैं और धरती के गर्भ में उथल-पुथल मचाती हैं। इससे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को भी धक्का लगता है और हम इसे भूकंप कहते हैं।

भूकंप से बचाव

हमारे देश की प्रकृति ऐसी नहीं है जहाँ प्रायः भूकंप आते हों, जैसे जापान आदि देशों की है। ऐसे स्थानों पर लोग भूकंप बचाव की क्षमता वाली इमारतों का निर्माण करते हैं तथा लकड़ी आदि का प्रयोग करके छोटे-छोटे निवास स्थान बनाते हैं। वहाँ भूकंप से जान-माल की हानि से बचाव के उपाय किए जाते हैं।

इन्हें भी पढ़ें : सतर्क भारत समृद्ध भारत पर लेख हिंदी में

भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)

भूकंप का हल्का-सा झटका बहुत हानिकारक नहीं होता क्योंकि धरती के भीतर रासायनिक प्रक्रिया के कारण हर समय भूगर्भ में हल्के-हल्के झटके लगते रहते हैं जो धरती पर भौतिक रूप में अपने चिह्न प्रकट भी करते हैं। किन्तु जोर के शक्तिशाली झटके महाविनाशी होते हैं। जब पृथ्वी के नीचे स्थित प्लेटो में घर्षण होता है तो वहां दबाव पैदा होता है। जिससे तरल पदार्थ निकलता है जो बहुत ही गर्म होता है। जिसका वाष्प बाहर निकलने का प्रयास करता है।

यही भूकंप का वास्तविक और वैज्ञानिक कारण है। हमारे पुराणों में मान्यता रही है कि धरती शेषनाग के फन पर टिकी है। जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ जाता है, तब भगवान शेषनाग ही भूकंप के द्वारा अपना क्रोध प्रकट करते हैं।

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भूकंप का प्रभाव (Effect of Earthquake)

इस मान्यता का भी यदि यह अर्थ लिया जाए कि पृथ्वी पर प्रकृति के प्रकोपों को कम या शून्य करने के लिए शान्ति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। इसे हम स्वस्थ चिन्तन के साथ लें तो ही अच्छा होगा। भूकंप कुछ सेकंड या मिनट ही रहता है परन्तु इतने कम समय में ही भारी विनाश हो जाता है। 

भूकंप के भारी झटके से धरती पर दरारें पड़ जाती हैं और उनमें से गर्म लावा और विषैली वायु बाहर निकलती है। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो जाती हैं। कई बार बड़े-बड़े भवन धरती के गर्भ में फँस जाते हैं। हज़ारों लोग मलबे के नीचे दबकर मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं। लाखों लोग बेसहारा तथा बेघर हो जाते हैं। कभी-कभी हरे-भरे गाँव तथा सुन्दर नगर खण्डहरों में बदल जाते हैं।

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भूकंप के कारण भू-स्खलन भी होता है, जो नदी वाहिकाओं को अवरुद्ध कर जलाशयों में बदल देता है। कई बार नदियाँ अपना रास्ता बदल लेती हैं जिससे प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ और दूसरी आपदाएँ आ जाती हैं।

वर्ष 2001 में छब्बीस जनवरी प्रात:काल ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप गुजरात के भुज शहर में आया, जिसने कुछ ही मिनटों में पूरे शहर को एक मलबे के ढेर में बदल दिया। पूरा कच्छ प्रदेश भी काँप गया। सभी सहम गए, कोई कुछ न कर सका। 

वर्ष 1990 में उत्तरकाशी में भी ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप आया था। इस स्थिति में नदियों के प्रवाह, समुद्र और पर्वतों के स्थान भी बदल जाते हैं। कभी-कभी ज़मीन के नीचे दबे हुए प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता के अवशेष भूकंप के कारण बाहर निकल आते हैं। ऊपर की धरती नीचे तथा नीचे की धरती ऊपर आ जाती है।

भूकंप से बचाव के लिये उठाये गए कदम

कच्छ (गुजरात), लाटूर (महाराष्ट्र) में भयंकर भूकंप आए हैं। भूकम्प द्वारा हुई क्षति (हानि) को दृष्टि में रखते हुए अब हमारी सरकार ने इस दिशा में विशेष क़दम उठाए हैं तथा इस तरह के भवन निर्माण करने की योजना है जिससे भूकम्प आने पर कम से कम क्षति हो।

भूकंप के पश्चात् सरकारी और गैर-सरकारी लोगों तथा संस्थाओं द्वारा राहत कार्य शुरू होते हैं। भूकंप पीड़ितों को अन्न, वस्त्र, दवाइयों आदि की सहायता पहुँचाई जाती है। मलबा हटाया जाता है, खुदाई की जाती है। मलबे के नीचे दबे हुए लोगों में से कई जीवित भी पाए जाते हैं। इस समय इस राहत कार्य के साथ-साथ लोगों को सदमे की हालत से बाहर लाने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। 

मनुष्य की मानवता और सेवा भावना भी ऐसे ही समय प्रकट होती है। सरकार के लिए पूरे क्षेत्र की भंग हुई संचार, यातायात, पानी और बिजली की व्यवस्था आदि का कार्य विस्तृत रूप ले लेता है। ऐसे समय में सभी से यथासंभव सहायता और सहयोग की आशा की जाती है। यह संसार एक दूसरे के सहयोग से ही चलता है। 

भूकंप से होने वाले हानि को कम करने के उपाय 

दूसरी आपदाओं की तुलना में भूकंप अधिक विध्वंसकारी हैं। चूँकि यह परिवहन और संचार व्यवस्था भी नष्ट कर देते हैं इसलिए लोगों तक राहत पहुँचाना कठिन होता है। भूकंप को रोका नहीं जा सकता। अतः इसके लिए विकल्प यह है कि इस आपदा से निपटने की तैयारी रखी जाए और इससे होने वाले नुकसान को कम किया जाए। इसके निम्नलिखित तरीके हैं : 

(i) भूकंप नियंत्रण केंद्रों की स्थापना, जिससे भूकंप संभावित क्षेत्रों में लोगों को सूचना पहुँचाई जा सके। GPS (Geographical Positioning System) की मदद से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है। 

(ii) देश में भूकंप संभावित क्षेत्रों का सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना और संभावित जोखिम की सूचना लोगों तक पहुँचाना तथा उन्हें इसके प्रभाव को कम करने के बारे में शिक्षित करना।। 

(iii) भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिज़ाइन में सुधार लाना। ऐसे क्षेत्रों में ऊँची इमारतें, बड़े औद्योगिक संस्थान और शहरीकरण को बढ़ावा न देना। 

(iv) अंततः भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप प्रतिरोधी (resistant) इमारतें बनाना और सुभेद्य क्षेत्रों में हल्के निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करना।

भूकंप और मनोबल में संबंध

भूकंप की स्थिति में सबसे अधिक काम आता है व्यक्ति का स्वयं का मनोबल। हमें सुख की भाँति दु:ख लिए भी समान रूप से तैयार रहना चाहिए। सुख और आनन्द की भाँति आपदाएँ, विपदाएँ भी आएँगी परन्तु जो बहादुर हैं, उनका धैर्यपूर्वक मुक़ाबला करते हैं, जीवन का आनन्द बार-बार उनका स्वागत करता है। जो कमज़ोर हैं, धैर्य नहीं रखते हैं, भूकंप के एक-दो झटकों में ही उनकी हृदयगति रुक जाती है। 

जिससे आगे का दृश्य झेलने और देखने का न उनमें साहस होता है, न ही उन्हें अवसर मिलता है। कठिन समय में ही व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है। ऐसे समय का जो बहादुरी से सामना कर गए वे जी गए। जीवन जीने के लिए है और यह सिर्फ बहादुरों के लिए है।

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

उत्तर: L तिरंगे

उत्तर: सुनामी

उत्तर: भूकंप की तीव्रता

उत्तर: भूकंपीय तरंगों को

उत्तर: भूकंप

उत्तर: टेकटोनिज्म

उत्तर: सीस्मोलॉजी

उत्तर: जॉन मिल

उत्तर: 0 से 10

उत्तर: मरकैली मापनी (Mercalli Scale)

उत्तर: P (प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंग)

उपसंहार (Conclusion)

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi)  पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।

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भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi)

हमारी इस धरती पर कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिनके माध्यम से सामान्य जनजीवन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्राकृतिक आपदा से कई प्रकार की हानियां होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से भूकंप शामिल है। जो कहीं ना कहीं हमारे अंदर डर और घबराहट के भाव उत्पन्न करता है।

जब कभी खतरनाक भूकंप आता है, तो ऐसे में उनके कारणों को समझना आसान नहीं होता है। लेकिन भूकंप आने का एक विशेष कारण पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के बने टेक्निकल प्लेट में आने वाली गति है, जिसके अंतर्गत यह टेक्निकल प्लेट आपस में टकराने लगते हैं और एक अतिरिक्त उर्जा बाहर निकलती है। जिस वजह से भूकंप की तरंगे उत्पन्न होती हैं और भूकंप का रूप लेकर त्रासदी का कारण बन जाती हैं।

आज तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई प्रकार के घातक भूकंप आ चुके हैं, जिनके माध्यम से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। जिनमे से कुछ भूकंप के बारे में निचे दिया गया है। 

4) भारत के गुजरात में 2001 में आया भूकंप भी बहुत ही खतरनाक माना जाता है, जिसमे लगभग 200000 लोगों की मृत्यु हुई और कई हजारों लोग घर से बेघर हो गए थे।

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Essay on earthquake in hindi भूकंप पर निबंध.

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Essay on Earthquake in Hindi

hindiinhindi Essay on Earthquake in Hindi

प्रकृति का स्वभाव बड़ा विचित्र है – कभी कल्याणकारी तो कभी विनाशकारी। प्रकृति कब, कैसे और क्या रूप धारण कर लेगी, इसे समझ पाना अभी तक मनुष्य के बस की बात नहीं है। ज्ञान-विज्ञान की उन्नति के कारण यह कहा जाता है कि आज मनुष्य ने प्रकृति के सभी रहस्यों को जान लिया है और सुलझा लिया है, किन्तु यह बात सच नहीं जान पड़ती। मौसम-विज्ञानी घोषणा करते हैं कि अगले चौबीस घंटों में तेज वर्षा होगी या कड़ाके की ठंड पड़ेगी, किन्तु होता कुछ और ही है। वर्षा और ठंड के स्थान पर चिलचिलाती धूप खिल उठती है। विज्ञान और वैज्ञानिकों की जानकारियों और सफलताओं का सारा दंभ धरा का धरा रह जाता है। सच तो यह है कि प्रकृति अनंत है और उसका स्वभाव अबूझ। बाढ़, सूखा, अकाल, भूकंप प्रकृति के विनाशकारी रूप के ही पर्याय हैं जो असमय मानव जीवन में हाहाकार मचा देते है।

प्राकृतिक आपदाओं में भूकम्प ही सबसे अधिक विनाशकारी होता है। सचमुच भूकंप विनाश का दूसरा नाम है। इसके कारण जहां लाखों मकान धराशायी हो जाते हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग असमय ही मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। कितने अपाहिज और लूले-लँगड़े होकर जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। कभी-कभी तो पूरा शहर ही धरती के गर्भ में समा जाता है और नदियाँ अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती हैं। भूतल पर नए भू-आकार जन्म ले लेते हैं, जैसे कि द्वीप, झील, पठार आदि। कभी-कभी जलाच्छादित भूमि समुद्र से बाहर निकल आती है। भूतल पर आए परिवर्तन मनुष्य के जीवन को भी प्रभावित करते हैं।

भूकंप शब्द का अर्थ होता है – पृथ्वी का हिलना। पृथ्वी के गर्भ में किसी प्रकार की हलचल के कारण जब धरती का कोई भाग हिलने लगता है, कंपित होने लगता है तो उसे भूकंप की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर कंपन हल्के होते हैं और उनका पता नहीं चलता, न ही उनका हमारे जीवन पर कोई बुरा प्रभाव पड़ता है। मुख्य रूप से हम पृथ्वी के उन झटकों को ही भूकंप कहते हैं, जिनका हम अनुभव करते हैं। भूकंप के मुख्य कारणों में पृथ्वी के भीतर की चट्टानों का हिलना, ज्वालामुखी का फटना आदि हैं। इनके अतिरिक्त भू-स्खलन, बम फटने तथा भारी वाहनों या रेलगाड़ियों की तीव्र गति से भी कंपन पैदा होते हैं।

देश के इतिहास में सबसे भयानक भूकंप 11 अक्तूबर 1737 में बंगाल में आया था जिसमें लगभग तीन लाख लोग काल के गाल में समा गए थे। महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिलों में आए विनाशकारी भूकंप ने करीब 40 गाँवों में भयानक तबाही मचाई। इसी कड़ी में 26 जनवरी, 2001 का दिन भारतीय गणतंत्र में काला दिन बन गया। उस दिन सुबह जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस मना रहा था, प्रकृति के प्रलयंकारी तांडव ने भूकम्प का रूप लेकर गुजरात को धर दबोचा। देखते ही देखते भुज, अंजार और भचाऊ क्षेत्र कब्रिस्तान में बदल गए। गुजरात का वैभव कुछ ही क्षणों में खंडहरों में परिवर्तित हो गया। बहुमंजिली इमारतें देखते ही देखते मलबे के ढेर में बदल गईं। चारों ओर चीख-पुकार, बदहवासी और लाचारी का आलम था। अचानक हुई इस विनाशलीला ने लोगों के कंठ से वाणी और आँख से आंसू ही छीन लिए।

रैक्टर पैमाने पर गुजरात के इस भूकंप की तीव्रता 6.9 थी। इसका केन्द्र भुज से 20 कि-मी उत्तर-पूर्व में था। इस त्रासदी में हजारों की संख्या में लोग काल कवलित हो गए और कई हजार घायल हो गए, और लगभग एक लाख लोग बेघर हो गए। सारा देश इस त्रासदी में गुजरात के साथ था। सर्वप्रथम क्षेत्रीय लोग और स्वयं सेवी संस्थाओं ने राहत और बचाव कार्य आरम्भ किया। मीडिया की अहम भूमिका ने त्रासदी की गंभीरता का सही-सही प्रसारण कर भारत सरकार को झकझोरा और भारत सहित समूचे विश्व को सहायता के लिए उद्वेलित कर दिया। सारा जनमानस सहायता के लिए उमड़ पड़ा। भारत के कोने-कोने तथा विश्व के अनेक देशों से सहायता सामग्री का अंबार लग गया। सहायता के लिए धन-राशि के साथ-साथ अन्य आवश्यक सामग्री भी पहुंचने लगी। देश की तीनों सेनाओं के सैनिक तथा कई समाज सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता भी सहायता-कार्य में जुट गए। इस त्रासदी में करोड़ों रुपए की निजी तथा सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान होने का अनुमान आंका गया।

क्या मनुष्य सदैव इस विनाशलीला का मूकदर्शक बना रहेगा, इस त्रासदी को भोगता रहेगा ? यद्यपि विज्ञान ने भूकंप की पूर्व सूचना देने के सम्बन्ध में उल्लेखनीय प्रगति की है, उपग्रह भी इस दिशा में काफ़ी सहायक सिद्ध हो रहे हैं। तथापि इन भूकंपों को कैसे रोका जा सकता है इस दिशा में अभी तक कोई निर्णायक सफलता प्राप्त नहीं हुई है। आज तो स्थिति यह है कि विज्ञान जब तक कोई और नया चमत्कार न दिखला दे, तब तक मनुष्य को भूकंप की त्रासदी को किसी न किसी रूप में भोगना ही पड़ेगा। आशा है कि निकट भविष्य में विज्ञान कोई ऐसा चमत्कार दिखाएगा, जिससे मानव जाति इस त्रासदी से मुक्त हो सकेगी।

महाराष्ट्र का विनाशकारी भूकंप

30 सितम्बर, 1993 को रात करीब तीन बजकर छप्पन मिनट पर महाराष्ट्र की भूमि की कोख में भयंकर हलचल शुरू हुई। भूकंप का एक अति तीव्र झटका आया। धरती कांपने लगी। प्रकृति की विनाश लीला आरंभ हो चुकी थी। आप ने किताबों अखबारों या अन्य माध्यमों से इस भयंकर भूकंप के बारे में अवश्य सुना होगा। आपके माता-पिता को तत्कालीन राष्ट्रपति डा। शंकरदयाल शर्मा की वह भावुकता से सराबोर आह्वान अवश्य याद होगा, जिसे उन्होंने जनता के नाम संप्रेषित किया था। उन्होंने नम आँखों से सारे देश के नागरिकों से इस राष्ट्रीय आपदा को सहन करने में सहयोग देने की नैतिक अपील की थी और उसका व्यापक प्रभाव भी देखने को मिला था। लोगों ने भूकपपीड़ितों की तन-मन-धन से सहयता की थी। डॉक्टरों, सेवादारों और बचाव कर्मियों की टोलियां तुरन्त ही महाराष्ट्र के लिए पूरे देश भर से निकलने लगी थीं। सरकारी तौर पर भी इस आपदा से मुक्ति का प्रयास व्यापक पैमाने पर किया जा रहा था।

रात्रि के समय आने वाला यह भूकंप अति विनाशकारी सिद्ध हुआ। उसने निद्रा में डूबे हुए लोगों को सदा-सदा के लिए चिरनिद्रा में सुला दिया। लोग जिस स्थान पर सो रहे थे, इस विनाशकारी भूकंप ने उन्हें उनके स्थान पर दफन कर दिया। जो कभी उनका शयन कक्ष हुआ करता था, वही क्षणभर में उनकी कब्र बन गया। इस भूकंप का प्रभाव अत्यंत व्यापक था। देश-विदेश तक में इस की खबरें आयी और इसे सदी का भयानक भूकंप बताया गया। रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 बताई गयी। जिस गहन रात्रि में यह भूकंप आया था वह रात्रि एक प्रकार से काल की क्रूरता का एक खेल सी बन गयी थी। इस भूकंप का पहला झटका 3.56 मिनट तक महसूस किया गया और दूसरा 4.42 मिनट तक इस विनाशलीला की गति यहीं पर नहीं रुकी। कुछ समय बाद एक तीसरा झटका भी आया, जो करीब 6.40 मिनट तक महसूस किया गया।

एक पाश्चात्य भू-वैज्ञानिक का स्पष्ट मानना था कि इस तीव्रता एवं क्षमता वाला भूकंप एक वृहद क्षेत्र को अतिशीघ्र ध्वस्त कर देने की प्रबल क्षमता रखता है। हुआ भी वही, महाराष्ट्र का एक बड़ा क्षेत्र इसकी चपेट में आया और बुरी तरह से ध्वस्त हो गया। महाराष्ट्र के लातूर से लेकर कर्नाटक के गुलबर्गा तक इसका प्रभाव देखा गया। किन्तु इस भूकंप ने जिस क्षेत्र को भयावह रूप से बर्बाद किया, वह था महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिले के उभरेगा और किल्लारी तालुका नामक कस्बे। इन क्षेत्रों में इस रात्रि को मृत्यु का नंगा नाच होता रहा। मानो पृथ्वी अपना स्वाभाविक धर्म छोड़कर मनुष्य का शत्रु हो गयी हो और उसे अपना ग्रास बनाने की भावना से आप्लावित हो रही हो। मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी, वृक्ष आदि सभी इस विनाशलीला का शिकार हुए। तड़पते हुए मानव, असहाय होकर मृत्यु को अपनी आंखों के सामने खड़ा देख रहे थे। मानों समस्त प्रकृति ही नहीं अपितु ब्रम्हा भी अपनी मानव-संतान से मोह तोड़ चुके हों। बारिस के कहर ने इस विनाशलीला को और भी भयानक बना दिया। तेज बारिस शुरू हो गयी और इसके कारण बचाव कार्य शिथिल होता रहा। जिस शीघ्रता और अनुपात में भूकंप पीड़ितों को सहायता चाहिए थी वह उन्हें सरकार चाहकर भी नहीं दे सकी। किन्तु यह स्थिति बहुत देर तक बनी नहीं रह सकी। भारतीयों की यही विशेषता है कि समय पड़ने पर वह फिर किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता को आड़े नहीं आने देते, अपितु ऐसी प्रतिकूलताएं उन्हें अपने कार्य के प्रति और भी जुझारू बना देती हैं।

सरकार ने भी अपने मानवीय सरोकारों को इस मौकेपर भूलाया नहीं। जिस भांति भी संभव हुआ, प्रभावित क्षेत्र को आवश्यक सहायता प्रदान की जाती रही। सहायता राशि के रूप में केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपए प्रदान किए। राज्य सरकारों ने भी अपने निवासियों के दुःख दर्द को पूरी तरह समझा और उनके पुनर्वास के लिए हर संभव सरकारी सहायता प्रदान की। किन्तु जैसे कहा भी जाता है कि भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है, करीब 2 लाख लोग इससे प्रभावित हुए, जिसमें मरने वालों की संख्या हजारों में थी।

सरकार को इस प्रकार की आपदाओं से देशवासियों को बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाने चाहिए और नयी तकनीक ग्रहण करनी चाहिए ताकि ऐसे प्रकोप के प्रभाव को सीमित किया जा सके।

सन् 1991 का विनाशकारी भूकम्प

20 अक्टूबर सन् 1991 की वह गहरी रात्रि हम भारतीयों के लिए सचमुच एक प्रलयकारी रात्रि सिद्ध हुई। उस दिन करीब 45 सेकन्ड तक की समय अवधि का एक भकंप आया था जिसकी तीव्रता विशेषज्ञों ने रिएक्टर पैमाने के अनुसार 6।1 बतलायी। इसे करीब 330 किलो टन परमाणु विस्फोट के बराबर कहा जा सकता है। इस भूकंप की जो रिर्पोटिंग बी।बी।सी लंदन ने की थी, उसे देखकर ही हम इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र में हुए धन-बल और जन-बल के भयानक विनाश की सहज ही कल्पना कर सकते हैं। उसके अनुसार “भूकंप में मरने वालों की संख्या तीन हजार से उपर पहुँच चुकी है और लगभग दस हजार लोग घायल हुए हैं।” इस भयंकर भूकंप से 175 करोड़ रूपये की धनराशि का नुकसान हुआ।

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है और यह अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में ज्यादा घातक और विनाशकारी प्राकृतिक आपदा होती है। इसका कारण यह भी है कि इसके कारण मानव-समाज कतिपय अन्य अपदाओं और समस्याओं से घिर जाता है। भौगोलिक-विशिष्टता भी इस भूकंप रूपी प्राकृतिक आपदा की मार को और ज्यादा मारक बना देती है। जैसे 1991 में आया यह भूकंप गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल को बना दिया। यह भू-क्षेत्र भौगोलिक रूप से एक पर्वतीय क्षेत्र है। इस भू-क्षेत्र में अनेक बड़े-बड़े पर्वतों के साथ साथ अनेक गहरी घाटियां भी विद्यमान हैं। साथ ही इनके मध्य में अपने पूरे वेग से प्रवाहित होने वाली अनेक गहरी नदियां भी अवस्थित हैं। यह सब मिलकर इस भू-क्षेत्र को सामान्य रूप से एक अत्यंत विषम स्थल का रूप दे देते हैं। सन् 1991 में जो विनाशकारी भूकंप इस क्षेत्र में आया, उसकी विनाशलीला को और अधिक बढ़ाने में इस भू-क्षेत्र की भौगोलिक-विशिष्टता ने भी अपना पूरा योग दिया।

सन् 1991 का यह विनाशकारी-भूकंप जिस समय आया था वह समय गहन रात्रि का समय था। सारे लोग दिन भर के परिश्रमपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके थकान मिटा रहे थे और अगले दिन के लिए पूर्णत: तैयार होने के लिए आरामदायक मीठी नींद ले रहे थे। कहा भी जाता है कि सोया हुआ आदमी मरे हुए आदमी के सादृश ही होता है। उसे अपने आस-पास के वातावरण का किंचित मात्र भी ज्ञान या बोध नहीं रहता। वह पूर्णत: एक गहरी नींद में डूबा होता है। 20 अकूबर का यह रात्रि भी इसी प्रकार की स्थिति में थी। इस भू-क्षेत्र का प्रत्येक मनुष्य गहरी नींद में डूबा हुआ था। और तभी दुर्भाग्य ने अपना प्रलयंकारी खेल खेलना आरम्भ कर दिया। हजारों की संख्या में लोग इस प्रलयंकारी भूकंप की चपेट में आ गये। वो जहां सो रहे थे वहीं दफन हो गये। उनके कठिन परिश्रम से बनाए गये मकान उन्हीं का मृत्यु का सामान बन गये। वो मकान उन्ही के उपर भरभरा कर आ गिरे और लोग अपने ही घरों के मलवे में दफन होने लगें।

इस भूकंप की तीव्रता अत्यधिक थी। इसके कारण वह समूचा पर्वतीय क्षेत्र व्यापक रूप से आक्रांत हो उठा और पर्वतों में स्खलन उत्पन्न हो गया। भू-स्खलन के कारण यह विनाशलीला और भी बढ़ गयी। पर्वत टूट-टूटकर नीचे बह रही नदियों में आ गिरे जिसके फलस्वरूप नदियों का बहाव भी बाधित हो गया और उसका पानी आस-पास के क्षेत्रों में भर गया। एकदम सी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस प्रकार हम हर तरफ से देखें तो यही कहा जा सकता है कि गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल में आया यह भूकंप अनेक रूपों में दिखलायी पड़ा। यह अपने साथ अन्य अनेक दुश्कर आपदाएं लिए हुए आया था।

इस भूकंप का जो प्रभाव इस क्षेत्र के लोगों के जीवन पर पड़ा था वह अत्यंत व्यापक और विस्तृत था। इससे न केवल जन-हानि और धन हानि ही हुई थी अपितु वहाँ के विकास हेतु कियान्वित की गयी महत्वपूर्ण योजनाएं भी बाधित हो गयी थी। इन्हीं में से एक योजना थी ‘टिहरी बांध’ की महत्वाकांक्षी योजना। इस भूकंप ने इस महत्वपूर्ण योजना को लगभग बर्बाद ही कर दिया था। बाद में, इस योजना को पुन: गतिशील और सुचारू करने में सरकार को अतिरिक्त पर्याप्त धन का व्यय करना पड़ा।

भूकंप ने इस मार्ग के आवागमन के प्राय: हर मार्ग को बाधित कर दिया। अनेक पुलों का नाश हो गया। यह धर्म-भूमि माना जाने वाला क्षेत्र है। पूरे वर्ष इस क्षेत्र में विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। और जिस समय यह भूकंप आया उस समय भी इस क्षेत्र में अनेक विदेशी पर्यटक विद्यमान थे। उनके वहाँ फँस जाने से समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गयी थी।

उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इस आपदा से पूर्णत: निपटने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। नाना भांति की सहायता वहाँ तत्काल भेजी गयी। केन्द्र सरकार ने भी समस्या की विकरालता को देखते हुए पानी की तरह पैसा बहाया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी आपदा थी जिसने भारत को हिला कर रख दिया था।

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भूकंप पर निबंध – Essay on earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, में आज आपके लिए लेकर आया हूँ भूकंप पर निबंध(Short and long essay on earthquake in Hindi). मनुष्य पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. इनमें से भूकंप सबसे घातक है. घातक इसलिए क्योंकि भूकंप ने कई लोगों की जान ले ली है. भूकंप के दौरान मनुष्य अपना सब कुछ खो देता है. आज आप इस लेख में भूकंप का कारण, भूकंप से नुकसान और भी बहुत कुछ भूकंप के बारे में जानेंगे. तो चलिए हमारे मुख्य लेख के ओर बढ़ते हैं जो है भूकंप पर निबंध (Essay on earthquake in Hindi) .    

भूकंप पर निबंध – Short essay on earthquake in Hindi

प्रस्तावना     .

तूफान और बाढ़ जैसे भूकंप भी एक प्राकृतिक आपदा है. तूफान और बाढ़ से भूकंप ज्यादा खतरनाक होता है. उपग्रह या रडार द्वारा यह पहले से ही ज्ञात हो जाता है कि तूफान होने वाला है. लेकिन उपग्रहों और रडार द्वारा भूकंप होगा या नहीं पता नहीं चल पाता है. इसलिए भूकंप अचानक आता है. लेकिन क्योंकि लोग भूकंप के बारे में कुछ नहीं जान पाते हैं, इसलिए सुरक्षित क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं.

भूकंप का कारण    

पृथ्वी की सतह को कठिन मूर्तिकला और कठोर चट्टान की आवरण के साथ आवृत होकर रहा है. लेप का ऊपरी हिस्सा ठंडा होता है. लेकिन धरती के अंदर हमेशा आग लगी रहती है. परिणाम बहुत अधिक गैस या भाप सृष्टि हो रहा है और बहुत सी धातु पिघल रही है. यह सब जगह की कमी को देखते हुए, वे पृथ्वी पर आने के इरादे से पृथ्वी को अंदर से धकेल रहे हैं, नतीजतन भूकंप सृष्टि हो रहा है.

bhukamp par nibandh

भूकंप का भयानक रूप

भूकंप घरों को नष्ट कर देता है. जल स्तर बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, 6 जनवरी, 2001 की सुबह में, गुजरात के कुछ हिस्सों में भूकंप आया था. जिसमें 20,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस भूकंप ने बहुत सारे जिंदगियों को तबाह कर दिया था.

सरकार और विभिन्न स्वैच्छिक संगठन लोगों को बचाने के लिए काम करते हैं. सेना भी बचाव अभियान में शामिल होते हैं. राहत सहायता भूकंप से न प्रभावित क्षेत्र से आती है. भारत सरकार ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को सहायता के लिए करोड़ों रुपये प्रदान किए हैं.

दुनिया के किस हिस्से में भूकंप की संभावना है, यह जानने का एक तरीका है; लेकिन कब और कहां भूकंप आएगा यह पता नहीं चल पाता है. तो उस उस क्षेत्र में छोटे और मध्यम आकार के भूकंप से लोगों को बचाने के तरीकों के बारे में सोचना होगा. ऊंची इमारतों की नींव मजबूत रखने की जरूरत है और उस क्षेत्र में जापानी प्रणाली में घर बनाना बेहतर है. जिससे भूकंप से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी.

दूसरी ओर, भूकंप मनुष्य पर भगवान का सबसे बड़ा प्रकोप लगता है. क्योंकि इसको रोकने के लिए कोई पूर्व उपाय नहीं है. इसलिए भूकंप से बचने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना ही एकमात्र रास्ता है.

सृष्टि की शुरुआत से ही पृथ्वी पर होने वाली अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ अचानक और अप्रत्याशित. प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, आदि से पहले इन सब के संबंध में कुछ पूर्वानुमान लगाना संभव है. लेकिन भूकंप के मामले में, यह संभव नहीं है. इसलिए भूकंप सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अचानक और अप्रत्याशित हैं. बेशक, पृथ्वी की सतह के कुछ क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं. इसलिए उस इलाके के लोग भूकंप के डर से हमेशा सतर्क रहते हैं. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर, बिना किसी पूर्वानुमान के, बहुत अचानक और अप्रत्याशित भूकंप आता है. और परिणामस्वरूप, कई लोगों की जान चली जाती है.

भूकंप का कारण

आज से लाखों साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था. प्रारंभ में यह एक जलता हुआ और गर्म निर्जन ग्रह था. हालाँकि इसकी सतह समय के साथ ठंडी और सख्त हो गई है, फिर भी इसका आंतरिक भाग तरल और अर्ध-तरल है. सतह से पृथ्वी की सतह तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है. इसलिए, तापमान पृथ्वी की सतह के विभिन्न स्तरों पर भिन्न होता है. कभी-कभी तापमान में एक विशेष अंतर पृथ्वी की सतह के एक निश्चित स्तर पर होता है, जो बदले में पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी का कारण बनता है. गड़बड़ी जितनी तीव्र होगी, उसका सतह पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा और सतह कांप उठेगी. सतह का यह कंपन होता है भूकंप. इसके अलावा, सतह का संतुलन बदलना, पृथ्वी की सतह पर दरारें बनने के बाद और भू अभ्यंतर से गैस निकलने के बाद भूकंप आते हैं. कुछ मामलों में, भूकंप मानव गतिविधि के कारण भी होते हैं.

भूकंप से नुकसान

भूकंप के परिणामस्वरूप, जमीन पर गरज होने के साथ कंपन होने लगता है. सतह के ऐसे अशांत अवस्था के परिणामस्वरूप, घर, पेड़ और बिजली का खंभा आदि सभी नष्ट हो जाते हैं. एक पल में, सुंदर पृथ्वी एक खंडहर बन जाती है. भूकंप के कारण कई इंसान और जानवर मर जाते हैं. विनाशकारी भूकंप से बचे लोगों का पुनरुत्थान करना एक बड़ी समस्या के रूप में प्रकट होता है. सार्वजनिक आवास के अलावा, कई कार्यशालाएं, सरकारी भवन, शैक्षणिक संस्थान, मंदिर, चर्च, मस्जिद आदि भी भूकंप से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा, सड़कें, रेलमार्ग, पोल, बांध, आदि बिखर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, परिवहन, संचार, बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित होता है. बड़े भूकंप के कारण समुद्र के तटीय क्षेत्र में भी कुछ बदलाव होता है. कुछ तटीय क्षेत्र भी जलमग्न हो जाते हैं, या समुद्र का पानी सूखी भूमि बन जाता है.

दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्र

भूकंप पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत कमजोर क्षेत्रों में होते हैं. इस तथ्य के कारण है कि भूमिगत गड़बड़ी कमजोर क्षेत्र को जल्दी से प्रभावित कर सकती है. प्रशांत महासागर के व्यापक तटीय क्षेत्र, उत्तर और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों के उत्तर-पश्चिमी हिस्से और दक्षिणी यूरोप में अक्सर भूकंप आते हैं. भारत के हिमालय की तलहटी के तल पर और दक्षिण भारतीय  के कुछ हिस्सों को भूकंप संभावित क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप

सृष्टि की शुरुआत से कई बार भूकंप आए हैं जिसके वजह से जीवित दुनिया जबरदस्त रूप से पीड़ित हुआ है. अब भी हर दो साल के अंतराल पर विभिन्न स्थानों पर भूकंप आते हैं. 1988 से 2001 के बीच दुनिया में छह भूकंप आए हैं. 1950 और 1975 के बीच चार भूकंप आए हैं. भूकंप कहां आएगा, कब आएगा, कोई भी निश्चित रूप से बोल नहीं सकता. चूंकि यह एक प्राकृतिक आपदा है, यह पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करता है. मनुष्य के लिए इसे नियंत्रित करना असंभव है.

1908 में इटली में आए भयावह भूकंप में एक लाख बीस हजार लोग मारे गए थे. पेरू में 1960 में आए भूकंप में कम से कम 60,000 लोग मारे गए थे. चीन में 1958 में आए भूकंप ने भी हजारों लोगों की जान ले ली थी. 1934 में बिहार में आए भूकंप में 10,000 से अधिक लोग, 1993 में लातूर में आए भूकंप में 9,000 से अधिक लोग, 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 20,000 लोग और 2005 में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारत में 40,000 लोग मारे गए थे.

भूकंप की तीव्रता

बाढ़ के दौरान बाढ़ के पानी के बहाव के परिणाम, के साथ-साथ तूफानों के दौरान बहने वाली हवा की गति कम होती है, इसी तरह भूकंप की तीव्रता भिन्न भिन्न प्रकार की होती है. भूकंप की तीव्रता मापक यंत्र को रिक्टर स्केल कहा जाता है. कंपन की तीव्रता के अनुसार, रिक्टर स्केल बढ़ना शुरू हो जाता है. भूकंप की तीव्रता की  मात्रा जितनी अधिक होती है, क्षति की भयावहता भी उतनी ही अधिक होती है. इस पैमाने का नाम कैलिफोर्निया के एक प्रमुख वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर के नाम पर रखा गया है. भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में इस पैमाने का उपयोग करके भूकंप की तीव्रता निर्धारित की जाती है.

सहायता और बचाव कार्य 

भूकंप प्रभावित क्षेत्र में कई लोग मारे जाते हैं. यदि मृतकों की लाशों का समय पर दाह संस्कार किया नहीं जाता है, तो वे सड़ जाएंगे और पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा. और बाकी बचे लोगों के बीमार होने का खतरा रहता है. इसी तरह, घायलों को तत्काल उपचार के परिणामस्वरूप, वे ठीक हो जाते हैं. कुछ लोगों को बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है. इसलिए इन सभी क्षेत्रों में सेवा और बचाव कार्य आवश्यक है. घायलों और बचे लोगों को उनके जीवन आवश्यक भोजन, पानी, दवाई आदि उपलब्ध कराया जाता है. भूकंप प्रभावित क्षेत्र में, कई घर पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वस्त हो जाते हैं. इसलिए घरों का पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों को स्थानांतरित करना बहुत महत्वपूर्ण है. सरकारी अधिकारी और कई स्वयंसेवक और संगठन इस काम में शामिल होते हैं. भूकंप से प्रभावित क्षेत्र को आर्थिक सहायता भी दिया जाता है.

कैसे सावधान रहें

भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. फिर भी पृथ्वी पर सबसे अधिक भूकंप वाले क्षेत्रों के लोगों और संबंधित देशों की सरकारों को इस संबंध में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. पहले से ही सूखे खाद्य पदार्थ जैसे चूड़ा, चीनी, ब्रेड, बिस्कुट उपलब्ध होने चाहिए. आवास लकड़ी, बांस, पुआल, से बना होना चाहिए. भूकंप होने से हताहतों की संख्या होगा  और मौतों की संख्या भी कम होगा.

भूकंप को बर्दाश्त करना अत्यधिक दुर्भाग्य की पहचान है. वैज्ञानिकों ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके भूकंप की भविष्यवाणियों की गणना करने के लिए काम कर रहे हैं. भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है. इंसानों के लिए इससे पूरी तरह बच निकलना आसान नहीं है.

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ये था हमारा लेख भूकंप पर निबंध (short and long earthquake essay in Hindi). उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.

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भूकंप पर निबंध

Essay on Earthquake in Hindi: हम यहां पर भूकंप पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में भूकंप के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Essay-on-Earthquake-in-Hindi-

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भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप पर निबंध (250 words).

प्रकृति आपदा भूकंप एक खतरनाक आपदा है । धरती के अचानक हिलने से एक कंपन उत्पन्न होती है, इस घटना को भूकंप कहा जाता है। जब हमारी पृथ्वी की आंतरिक सतह अधिक गर्म हो जाती है, तो एक हलचल सी उत्पन्न होती है। तब उस स्थिति में भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। भूकंप कभी – कभी बहुत ही धीमी गति से आता है, जिसका सिर्फ हमें आभास होता है कि भूकंप की कम्पन सी उत्पन होती है। कभी -कभी भूकंप अचानक बहुत तेजी से आता है, जिससे काफ़ी मात्रा में नुकसान होता है।

भूचालआने से हमारे जीवन मे बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है, भूकंप आने से हमारा जीवन अस्त – व्यस्त हो जाता है।अभी कुछ सालों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र मे भूकंप आने से लोगों के पर जीवन बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। भूकंप  के कम्पन उत्पन्न होने से लोगों के मकान गिर गये। पशु,पक्षी आदि भूकंप की चपेट में आकर दबकर लाखों जीव – जंतुओ की मौत हो गई और महाराष्ट्र में आये हुये भूकंप के कारण मकान और पेड़ -पौधों कंपन के कारण गिरते है और उसकी चपेट मे काफ़ी लोग दब कर घायल हो जाते है और कुछ लोगों की मौत हो जाती है और जो लोग घायल होकर ठीक होते वह पैर से, तो कही हाथ से लाचार हो जाते है।

भूकंप ऐसी प्रकृति आपदाएं होती हैं, जिन को रोकना बहुत ही मुश्किल होता है। भूकंप के आने से बहुत सी विकट समस्याएं उत्पन्न होती हैं। भूकंप को आने से रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन जिस कारण से भूकंप आता है। उन कारणों पर तो रोक लगा कर कुछ हद तक प्राकृतिक आपदा को कम किया जा सकता है।

भूकंप पर निबंध (800 Words)

दुनिया के शुरुआत में कई बार भूकंप आ चुका है, जिसके कारण से दुनिया भर में बहुत से लोग इसकी चपेट में आकर पीड़ित हुए हैं। सन 1988 से 2001 के बीच दुनिया भर मे 6 बार भूकंप आ चुका है। 1950 से 1975  के बीच में लगभग दुनिया भर के कई हिस्सों में 4 बार भूकंप आ चुके होते है। भूकंप किस जगह आएगा, कितने समय आएगा भूकंप का अनुमान लगाना किसी के बस की बात नहीं होती है, क्योंकि भूकंप एक प्राकृतिक आपदा होती है, जो प्रकृति पर निर्भर होती है, इसको नियंत्रित करना हमारे बस की बात नहीं होती है।

आज से लाखों वर्षों पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था। उस समय पृथ्वी एक जलता हुआ आग का पिंड या सबसे गर्म ग्रह होता था। समय के साथ पृथ्वी की सतह ठंडी हो गई और पृथ्वी का आंतरिक भाग तरल है, जिसके कारण पृथ्वी की आंतरिक सतह का तापमान बढ़ने लगता है। पृथ्वी की सतह का तापमान विभिन्न स्तरों में बदलता रहता है, पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी की वजह से ही पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है और भूकंप आने के खतरा महसूस होने लगता है।

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आया भूकंप

दुनिया के किन-किन हिस्सों में आया भूकंप आइए जानते हैं,

1908 मे इटली शहर में भूकंप आने से लाखों लोगों की मौत हुई, उनमें से कुछ लोग घायल हुए और लोगों के घर – बार उजाड़ कर नष्ट हो गया, लोगों का काफ़ी नुकसान हुआ।

पेरू में सन 1960 में भूकंप आने के कारण काफ़ी लोग घायल हुये और 60,000 लोग भूकंप की चपेट में आये और उनकी दर्दनाक मौत हो गई।

चीन में सन 1958 मे भूकंप के आने के कारण 1 लाख लोगों की मौत हो गई।

बिहार में सन 1934 मे भूकंप आने से 1 लाख से अधिक लोगों की जान गई।

लातूर में सन 1933 मे भूकंप के आने के कारण 1,50,000 लोग की मृत्यु हुई है।

गुजरात में सन 2001 मे भूकंप आने से 2लाख लोगों की मृत्यु हुई है।

भूकंप के आने से कई देशो में बहुत अधिक संख्या में लोगों की दर्दनाक मौते हुई है।

भूकंप आने के कारण

भूचाल कई कारणों से आता है, कि जैसे कि पृथ्वी में कई छोटे-बड़े टेक्निकल प्लेट्स होते हैं। जिनके कारण भूकंप विवर्तनिक प्लेट् से टकराकर ब्लेट में आ जाती है। ये प्लेट एक -दूसरे के दूर रहकर गति करती है, तो कभी एक – दूसरे के पास रहकर गति करती है। जिसके कारण यह आपस में टकराती है और झटके के साथ मुफ्त ऊर्जा के रूप में बाहर निकलती है और भूकंपी तरंगे उत्पन्न करती हैं। जिसको भूकंप कहा जाता है।

भूकंप आने का एक कारण ज्वालामुखी का विस्फोट भी होता है। ज्वालामुखी का जब किसी क्षेत्र में विस्फोट होता है, तो उसके प्रभाव कई क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव के कारण कुछ नजदीकी क्षेत्रों की भूमि में कंपन उत्पन्न होता है। जिसको भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट कहते है।

ज्वालामुखी विस्फोट का प्रभाव कुछ क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है और कुछ क्षेत्रों में इसका प्रभाव कम देखने को मिलता है, यह ज्वालामुखी विस्फोट पर ही निर्भर करता है।

भूकंप के आने से नुकसान

धरती में भूकंप आने से हमें बहुत नुकसान होता है। पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के हरे पेड़ -पौधों, जीव जंतुओं के होने से हमारी धरती बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है। लेकिन भूकंप के आने से पल भर में पेड़ -पौधे जीव – जंतु और ससब कुछ तहस – नहस हो जाते है। बड़ी -बड़ी बिल्डिंग, भवन, बिजली के खंभे, मंदिर, मस्जिद, चर्च, सरकारी पाठशालाएं, सरकारी कार्यस्थल आदि सभी भूकंप के कंपन आने से टूट- फूट कर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

भूकंप के आने से बहुत से क्षेत्र प्रभावित होते हैं। पृथ्वी के सबसे कमज़ोर सतह पर भूकंप आने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि कमजोर भूमिगत में भूकंप जल्दी आते है। वहां की भूमि कमज़ोर और दरार वाली होती है, जहां पर ज्वालामुखी के विस्फोट होने का खतरा अधिक रहता है। भूकंप के साथ कुछ प्राकृतिक आपदाएं भी होती हैं, जैसे -तेज तूफान चलना, बाढ़ का आना ये सभी प्राकृतिक आपदाएं है।

विद्युत लाइन टूट जाती है और आग भी लगने से काफ़ी नुकसान होता है, यदि आग एक बार लग गई तो उसको रोकना काफ़ी मुश्किल होता है और यदि ऐसे में जल का स्रोत विस्फोट हो जाये तो आग को फैलने से रोका जा सकता है और काफ़ी हद तक होने वाले नुकसान को भी रोका जा सकता है।

भूकंप से बचने के उपाय

भूकंप के आने से हमको ऐसा महसूस होता है, कि जैसे हम को कोई हिला रहा हो। अगर भूकंप कम तीव्रता से आता है, तो कुछ व्यक्तियों को पता भी नहीं चलता है और कभी -कभी बहुत तेज झटका देकर भूकंप आता है, जिससे पूरी धरती में कंपन उत्पन्न होने लगती है। जैसे ही भूकंप के झटके आने का खतरा महसूस होने लगे तो खुद के बचाव के लिए मजबूत टेबल, कुर्सी को पकड़कर बैठ जाये।

भूचाल के झटके आने पर हमें एक ही जगह पर रह कर स्वयं का बचाव करना चाहिये, और खिड़की और अलमारियों से दूर रहना चाहिए, ताकि वह हम पर झटके के कारण गिरे नहीं।

यदि आप ऊंची बिल्डिंग में रहते है और भूकंप के झटके आने लगते हैं, तो ऐसे में ऊंची बिल्डिंग का गिराना स्वाभाविक होता है, तो हमें नीचे उतर कर किसी सुरक्षित जगह पर बैठ जाना चाहिए, जब तक भूकंप के झटके आना खत्म नहीं हो जाते है।

अगर आप कही है और कार चलाते है, तो उस समय आपको भूकंप के झटके आने मासूस होने लगते है, तो ऐसे में हमको एक जगह गाड़ी खड़ी करके तुरंत किसी खुले मैदान में बैठे जाना चाहिये, तब तक भूकंप के झटके आना बंद नहीं हो जाते है। और ऐसे में हमें लिफ्ट से ऊपर बिल्डिंग में जाने नहीं सोचना चाहिये, क्योंकि ऐसे में आप को झटके से आपको चोट भी आ सकती है। अगर आप बाजार, स्कूल के बीच मे फंस गये है तो ऐसे में खुले स्थान पर बैठे और बिजली के तार से दूर हो कर बैठे जब तक भूकंप के झटके आने खत्म नहीं हो जाते।

भारत मे भूकंप के आने से  काफ़ी नुकसान हुआ है। सिर्फ भूकंप के कारण लोग लाखों की सम्पति और घर सब कुछ खो देते है। भूकंप के कारण ऊँची बिल्डिंग, कर्मचारी कार्यालय, भवन, जीव -जंतु  और कई व्यक्तियों को काफी नुकसान हुआ है।

भूकंप सभी के जीवन में बहुत बुरा प्रभाव डालता है। यह एक प्राकृतिक आपदा होती है। इस पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकता है। प्राकृतिक आपदा में कब क्या हो जाये इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता है।

हमने यहां पर “ भूकंप पर निबंध ( Essay on Earthquake in Hindi )   ” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Essay on Earthquake in Hindi : भूकंप आने का कारण और इस से बचाव के उपाय

  • By Aryavi Team
  • 11 Min Read

भूकंप पृथ्वी की सतह पर ज़मीन के हिलने, विस्थापन और व्यवधान पैदा करके प्रकट होते हैं। ऐसे मामलों में जहां एक बड़े भूकंप का केंद्र तट से दूर होता है, यह सुनामी को ट्रिगर करने के लिए समुद्र तल को पर्याप्त रूप से विस्थापित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, भूकंप में भूस्खलन को प्रेरित करने की क्षमता होती है जिससे उनका विनाशकारी प्रभाव बढ़ जाता है।

भूकंप मुख्य रूप से भूवैज्ञानिक दोष के टूटने (geological fault ruptures) का परिणाम होते हैं, लेकिन वे ज्वालामुखी गतिविधि, भूस्खलन, खनन विस्फोट और यहां तक कि परमाणु परीक्षणों से भी उत्पन्न हो सकते हैं। प्रारंभिक विच्छेदन के बिंदु को हाइपोसेंटर (hypocenter) या फोकस के रूप में जाना जाता है, जबकि अधिकेंद्र (epicenter) पृथ्वी की सतह पर सीधे हाइपोसेंटर के ऊपर का बिंदु है। अपने व्यापक अर्थ में, "भूकंप" शब्द किसी भी भूकंपीय घटना को शामिल करता है, चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव-प्रेरित, जो भूकंपीय तरंगें (seismic waves) उत्पन्न करती है, जो हमारे ग्रह पर इन शक्तिशाली भूवैज्ञानिक घटनाओं के गहरे और विविध प्रभावों को उजागर करती है।

भूकंप के प्रमुख उदाहरण (Major Examples of Earthquake)

चीन में 1556 का शानक्सी (Shaanxi) भूकंप इतिहास के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक है, जिसमें 830,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस विनाशकारी घटना ने मुख्य रूप से याओडोंग (yaodongs) के नाम से जाने वाले आवासों को प्रभावित किया, जो लोएस पहाड़ियों में थे, जिसके परिणामस्वरूप संरचनात्मक पतन के कारण कई मौतें हुईं। 20वीं सदी में, चीन में 1976 का तांगशान भूकंप सबसे घातक साबित हुआ, जिससे 240,000 से 655,000 लोगों की जान चली गई। रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा भूकंप, जिसकी तीव्रता 9.5 थी, 1960 में चिली (Chile) में आया था, जिससे अगले सबसे शक्तिशाली भूकंप की तुलना में दोगुनी ऊर्जा निकली। जबकि मेगाथ्रस्ट भूकंप तीव्रता के मामले में शीर्ष दस में हावी हैं, 2004 का हिंद महासागर भूकंप अद्वितीय है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर और सबसे घातक में से एक है, जो अक्सर आने वाली सुनामी के कारण होता है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आम तौर पर घनी आबादी वाले क्षेत्र या समुद्र तट शामिल होते हैं, जहां भूकंप और सुनामी महत्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं, जो अक्सर कमजोर, गरीब क्षेत्रों में भूकंपीय भवन कोड के खराब प्रवर्तन के कारण बढ़ जाते हैं।

भूकंप के कारण (Causes of Earthquake in Hindi)

भूकंप पृथ्वी की पपड़ी (Earth's crust) के भीतर अचानक टेक्टोनिक गतिविधि का परिणाम है, जो मुख्य रूप से टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों से प्रेरित होता है। पृथ्वी की पपड़ी इन विशाल प्लेटों में विभाजित है, जो धीरे-धीरे उनके नीचे अर्ध-तरल एस्थेनोस्फीयर (semi-fluid asthenosphere) के ऊपर सरकती हैं। जब ये प्लेटें परस्पर क्रिया करती हैं, अभिसरण (convergent), अपसारी (divergent) या परिवर्तित सीमाएँ (transform boundaries) बनाती हैं, तो भूकंपीय घटनाएँ घटित हो सकती हैं।

सबसे विनाशकारी भूकंप अक्सर अभिसरण सीमाओं पर होते हैं जहां प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं या फिसलती हैं। यह अंतःक्रिया प्लेट के किनारों पर अत्यधिक दबाव और घर्षण पैदा करती है। जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, इन सीमाओं पर चट्टानें अंततः टूट जाती हैं और खिसक जाती हैं, जिससे संग्रहित ऊर्जा अचानक बाहर निकल जाती है, जो भूकंपीय तरंगों के रूप में प्रकट होती है, जिससे भूकंप आता है।

टेक्टोनिक गतिविधियों के अलावा, अन्य भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ भी भूकंप को ट्रिगर कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, ज्वालामुखीय गतिविधि भूकंप को प्रेरित कर सकती है जब मैग्मा बढ़ने से चट्टानों के आसपास दरारें पड़ जाती हैं। इन विक्षोभों (disturbances) के परिणामस्वरूप कंपन उत्पन्न होता है जो सभी दिशाओं में फैलता है और जमीन को हिला देता है। भूकंपमापी इन भूकंपीय तरंगों का पता लगाते हैं।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि भूकंप मूल रूप से तनाव संचय (stress accumulation) और उसके बाद शॉकवेव्स के रूप में ऊर्जा के निकलने से उत्पन्न होते हैं। भूकंप की तीव्रता इस प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा से संबंधित होती है, जिससे यह उनके प्रभाव का आकलन करने में एक महत्वपूर्ण पैरामीटर बन जाता है।

भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake)

भूकंप के प्रभाव व्यापक और विनाशकारी हो सकते हैं, जिसमें प्राकृतिक और निर्मित पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ मानवीय प्रभाव भी शामिल हैं:

1. कंपन और ज़मीन का टूटना: भूकंप का प्राथमिक प्रभाव ज़मीन का हिलना होता है। इस झटके की गंभीरता भूकंप की तीव्रता, भूकंप के केंद्र से निकटता और स्थानीय भूवैज्ञानिक स्थितियों जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

2. मिट्टी का द्रवीकरण: भूकंप के दौरान, जल-संतृप्त दानेदार सामग्री (water-saturated granular material), जैसे रेत, अस्थायी रूप से अपनी ताकत खो सकती है और तरल में बदल सकती है। यह घटना, जिसे मृदा द्रवीकरण (soil liquefaction) के रूप में जाना जाता है, इमारतों और संरचनाओं के झुकने या द्रवीकृत जमाव में डूबने का कारण बन सकती है।

3. मानवीय प्रभाव: भूकंप से चोटें और जीवन की हानि हो सकती है, विशेषकर घनी आबादी वाले या खराब निर्माण वाले क्षेत्रों में। सड़कें, पुल, सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पानी और बिजली आपूर्ति प्रणालियाँ और संचार नेटवर्क सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे क्षतिग्रस्त या बाधित हो सकते हैं। अस्पताल, पुलिस और अग्निशमन सेवाएँ भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों में बाधा आ सकती है।

4. संपत्ति की क्षति: इमारतें और संरचनाएं ढह सकती हैं या अस्थिर हो सकती हैं, जिससे संपत्ति की क्षति हो सकती है। इस तरह की क्षति के आर्थिक परिणाम महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

5. भूस्खलन: भूकंप ढलान में अस्थिरता पैदा कर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है, जो अतिरिक्त खतरे पैदा करता है और बचाव और पुनर्प्राप्ति प्रयासों (recovery efforts) में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

6. आग: विद्युत शक्ति और गैस लाइनों को नुकसान के परिणामस्वरूप आग लग सकती है जिसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे संभावित रूप से भूकंप से भी अधिक विनाश और जीवन की हानि हो सकती है।

7. सुनामी: पानी के नीचे के भूकंप सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं - बड़ी, विनाशकारी समुद्री लहरें जो तटीय क्षेत्रों में बाढ़ ला सकती हैं, जिससे व्यापक क्षति और जीवन की हानि हो सकती है। सुनामी खुले समुद्र में विशाल दूरी तक यात्रा कर सकती है।

8. बाढ़: यदि बांध क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या भूस्खलन से नदियाँ बाधित हो जाती हैं, तो भूकंप अप्रत्यक्ष रूप से बाढ़ का कारण बन सकता है, जिससे बांध विफल हो जाते हैं और बाद में बाढ़ आती है।

भूकंप प्रबंधन (Management of Earthquake)

भूकंप प्रबंधन में तीन प्रमुख पहलू शामिल हैं: भविष्यवाणी (prediction), पूर्वानुमान (forecasting) और तैयारी (preparedness), जिसका लक्ष्य समाज पर भूकंपीय घटनाओं के प्रभाव को कम करना है।

भविष्यवाणी, सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू, भविष्य में आने वाले भूकंपों का सटीक समय, स्थान और तीव्रता निर्दिष्ट करना चाहता है। भूकंप विज्ञान में व्यापक शोध के बावजूद, सटीक भविष्यवाणियाँ मायावी बनी हुई हैं। जबकि वैज्ञानिक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं, किसी विशिष्ट दिन या महीने में भूकंप की घटना को इंगित (pinpointing) करना वर्तमान क्षमताओं से परे है।

दूसरी ओर, पूर्वानुमान, सामान्य भूकंप के खतरों का संभावित रूप से आकलन करने पर केंद्रित है। इसमें किसी विशेष क्षेत्र में विस्तारित अवधि, जैसे कि वर्षों या दशकों में विनाशकारी भूकंपों की आवृत्ति और तीव्रता का अनुमान लगाना शामिल है। अच्छी तरह से समझी गई फॉल्ट लाइनों के लिए, निकट भविष्य में टूटने की संभावना का अनुमान लगाना संभव है।

भूकंप के खतरों को कम करने के लिए, जमीन हिलने से पहले क्षेत्रीय सूचनाएं प्रदान करने के लिए चेतावनी प्रणालियाँ विकसित की गई हैं। ये सिस्टम लोगों को आश्रय पाने के लिए एक संक्षिप्त विंडो (brief window) प्रदान करते हैं, जिससे चोटों और मृत्यु की संभावना कम हो जाती है।

भूकंपीय ताकतों का सामना करने के लिए संरचनाओं को डिजाइन करके भूकंप इंजीनियरिंग तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मौजूदा इमारतों में भूकंप प्रतिरोध में सुधार के लिए भूकंपीय रेट्रोफिटिंग (seismic retrofitting) की जा सकती है। 

आपातकालीन प्रबंधन रणनीतियाँ, चाहे वे सरकारों या संगठनों द्वारा लागू की गई हों का उद्देश्य जोखिमों को कम करना और परिणामों के लिए तैयार रहना है। इन रणनीतियों में आपदा प्रतिक्रिया योजना, निकासी मार्ग और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय (coordination) शामिल है।

भवन की कमजोरियों का आकलन करने और एहतियाती उपायों की योजना बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence) का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इगोर (Igor) जैसी प्रणालियाँ चिनाई वाली इमारतों के लिए भूकंपीय मूल्यांकन और रेट्रोफिटिंग योजना में सहायता करती हैं।

व्यक्तिगत स्तर पर, लोग भूकंप की तैयारी के लिए कदम उठा सकते हैं। इसमें भारी वस्तुओं को सुरक्षित करना, उपयोगिता शटऑफ का पता लगाना (locating utility shutoffs) और भूकंप के दौरान प्रतिक्रिया करने का तरीका जानना शामिल है। 

संक्षेप में, भूकंप प्रबंधन में भूकंपीय घटनाओं की भविष्यवाणी और पूर्वानुमान से लेकर इंजीनियरिंग संरचनाओं और तैयारी उपायों को लागू करने तक एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है। इन प्रयासों को एकीकृत करके, समुदाय भूकंप के प्रभाव को कम कर सकते हैं ।

सिस्मोग्राफ से क्या मापा जाता है (What is Measured by Seismograph)

भूकंप के दौरान, भूकंपीय तरंगें (seismic waves) पृथ्वी के माध्यम से फैलती हैं, और भूकंपमापी माप (seismographs) के लिए आवश्यक उपकरण के रूप में काम करते हैं। ये उपकरण सीस्मोग्राम (seismograms) उत्पन्न करते हैं, जो भूकंपीय तरंगों से प्रेरित जमीन की गति का डिजिटल ग्राफिकल प्रतिनिधित्व हैं। भूकंपमापी का एक वैश्विक नेटवर्क भूकंपीय घटनाओं के दौरान इन तरंगों की तीव्रता और अवधि का व्यवस्थित रूप से पता लगाता है और उनका आकलन करता है। परिणामी भूकंपीय डेटा वैज्ञानिकों को भूकंपों का विश्लेषण और लक्षण वर्णन करने में मदद करता है, उनके परिमाण और व्यवहार में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, अंततः पृथ्वी की गतिशील प्रक्रियाओं की हमारी समझ में योगदान देता है।

भूकम्प आने पर क्या करना चाहिए (What to do When an Earthquake Occurs)

भूकंप के समय आपकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है:

Indoor- अंदर ही रहें, मजबूत फर्नीचर जैसे मेज या टेबल के नीचे जाएं और इसे पकड़ कर रहें (ढ़क जाएं, और पकड़ लें !). खिड़कियों, भारी फर्नीचर या उपकरणों से दूर रहें। रसोई से बाहर निकलें, क्योंकि यह एक खतरनाक स्थान हो सकता है (चीजें आपके ऊपर गिर सकती हैं)। जब भी इमारत झूल रही है या जोखिम है कि आप गिर सकते हैं या गिरी हुई चीजों से चोट आ सकती है, तब भी भागने की कोशिश न करें।

Outdoor-  खुद को इमारतों, बिजली की तारों, चिमनीओं, और किसी और चीज से दूर खड़ा कर लें, जो आप पर गिर सकती है।

Car Driving- ध्यानपूर्वक रुक जाएं, लेकिन सावधानी से। अपनी कार को संभवत: सड़क के किनारे में खींचें, पुल या ओवरपास के नीचे या पेड़ों, बिजली की तारों, या साइनों के नीचे न रुकें। भूकम्प के थमने तक अपनी कार में ही बैठे रहें। जब शांति हो जाए, तो सावधानी से ड्राइव करने जारी रखें, सड़क पर टूटी हुई सड़क, गिरी हुई चट्टानों से दूर रहें।

 On Hills- गिरने वाले पत्थर, भूस्खलन, पेड़, और अन्य सामग्री से सावधान रहें, जो भूकम्प द्वारा ढलाने (slope) या ढलाने की संभावना हो सकती है, और सुरक्षा के उपायों का पालन करें।

भूकंप प्राकृतिक भूवैज्ञानिक घटनाएँ हैं जो पृथ्वी की पपड़ी के भीतर ऊर्जा की रिहाई (release) के परिणामस्वरूप होती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगों का प्रसार होता है। ये घटनाएँ परिमाण में बहुत भिन्न हो सकती हैं और विशेष रूप से घनी आबादी वाले या खराब तैयारी वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण तबाही, जीवन की हानि और आर्थिक क्षति का कारण बन सकती हैं। भूकंप, भूकंप विज्ञान का अध्ययन, उनके कारणों को समझने, उनकी घटना की भविष्यवाणी करने और शमन और तैयारियों के लिए रणनीति विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है। भूकंप की तैयारी के उपाय, जैसे भूकंप प्रतिरोधी संरचनाएं बनाना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लागू करना, इन शक्तिशाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने और मानव जीवन और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

1. भूकंप का कारण क्या है?

भूकंप मुख्य रूप से पृथ्वी की पपड़ी में ऊर्जा की अचानक रिहाई के कारण होते हैं, जो अक्सर दोषों के साथ टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है।

2. भूकंप कैसे मापे जाते हैं?

भूकंपों को सीस्मोमीटर नामक उपकरणों का उपयोग करके मापा जाता है, जो जमीन की गति को रिकॉर्ड करते हैं और एक सीस्मोग्राम उत्पन्न करते हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल या आघूर्ण परिमाण स्केल (मेगावाट) जैसे पैमानों का उपयोग करके निर्धारित की जाती है।

3. क्या भूकंप की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है?

वर्तमान में, भूकंप कब और कहाँ आएगा, इसकी सटीक और विशिष्ट भविष्यवाणी संभव नहीं है। वैज्ञानिक केवल ऐतिहासिक डेटा और भूवैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर कुछ क्षेत्रों में संभावनाओं का अनुमान लगा सकते हैं।

4. भूकंप रेट्रोफिटिंग (earthquake retrofitting) क्या है?

भूकंप रेट्रोफिटिंग में मौजूदा इमारतों और संरचनाओं को भूकंपीय ताकतों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाने के लिए संशोधित करना शामिल है, जिससे भूकंप के दौरान क्षति का जोखिम कम हो जाता है।

5. क्या भूकंप के परिणामस्वरूप हमेशा सुनामी आती है?

नहीं, सभी भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते। सुनामी आमतौर पर समुद्र के अंदर आने वाले भूकंपों या बड़ी मात्रा में पानी को विस्थापित करने वाले भूकंपों से जुड़ी होती है।

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An Essay on Earthquake : भूकंप पर हिन्दी निबन्ध

Meena Bisht

  • April 21, 2020
  • Hindi Essay

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर “ भूकंप / An Essay on Earthquake” पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

An Essay on Earthquake 

भूकंप पर हिन्दी निबन्ध.

प्रस्तावना (Introduction)

भूकंप क्या हैं (What is Earthquake)

  • भूकंप आने के कारण (Causes of Earthquake)
  • भूकंप की तीब्रता

भूकंप की तीव्रता नापने की इकाई 

  • भूकंप आने में सुरक्षा के उपाय 
  • भूकंप से तबाही 

भूकंप , बाढ़  प्रकृति के सबसे रौद्र रूप है। भूकंप का एक जोरदार झटका पलक झपकते ही महा विनाश का कारण बन जाता है। भूकंप की अवधि होती तो कुछ सेकेंड या मिनट की ही है। लेकिन इतने समय में ही पूरी पृथ्वी में हाहाकार मच जाता है। 

पृथ्वी जब अचानक ही डोलने या हिलने लगती है। उसे आम भाषा में भूकंप कहा जाता है।भूकंप की अवधि तो कुछ सेकेंड की ही होती है। पर इतने कम समय में ही मानो प्रलय आ जाता हैं। ये भूकंप भी अलग अलग तीव्रता वाले होते हैं।

हालाँकि कम तीव्रता वाले भूकंप ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप पल भर में वर्षों की अथाह मेहनत से बनायी हर चीज को पलभर में ही नेस्तनाबूद कर देती हैं। 

क्यों आते हैं भूकंप (An Essay on Earthquake)

भूकंप आने के दो कारण प्रमुख हैं। प्राकृतिक कारण और मानव निर्मित कारण। 

1 . प्राकृतिक कारण

वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी धरती चार परतों से बनी है। इनर कोर , आउटर कोर , मैन्टल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। लिथोस्फेयर करीब करीब 50 किलोमीटर की एक मोटी परत होती है।

लेकिन यह परत कई वर्गों में विभाजित रहती है।इन वर्गों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। वैसे ये प्लेटें धरती से करीबन 45 से 50 किलोमीटर नीचे स्थित होती हैं।

लेकिन ये प्लेट्स अपनी जगह पर स्थिर नहीं होती हैं। ये अक्सर क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों दिशाओं में खिसकती रहती हैं। इस वजह से इनमें से कुछ प्लेटों कभी एक दूसरे के करीब आ जाती है , तो कुछ एक दूसरे से दूर भी चली जाती हैं।

जब ये प्लेटों एक दूसरे के करीब आती हैं , तो कभी-कभी ये प्लेट्स आपस में टकरा भी जाती हैं। जिससे भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती हैं। भूकंप का केंद्र जितनी गहराई में होगा उसका प्रभाव पृथ्वी के ऊपर उतना कम होगा। 

जब भी भूकंप आता है। पृथ्वी के नीचे उसका एक निश्चित केंद्र होता है। लेकिन केंद्र से कई किलोमीटर दूर तक भूकंप के उस कंपन को महसूस किया जा सकता है। 

एक अन्य मत के अनुसार जब पृथ्वी के अन्दर तरल पदार्थ अधिक मात्रा में गर्म हो जाते हैं। उस वक्त तरल पदार्थों के गर्म होने से अत्यधिक भाप बन जाती हैं। जब पृथ्वी के अन्दर इस भाप का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। तो यही भाप अपनी पूरी शक्ति के साथ पृथ्वी की ऊपरी सतह को धक्का देती है। तब भूकंप आता है।और पृथ्वी हिलने लगती है। 

यह भी पढ़ें। …Essay on My Favorite Book in Hindi

2 . मानव निर्मित कारण

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण भी होते हैं। जैसे ज्वालामुखी के फटना या बड़ी मात्रा में भूस्खलन का होना , माइनिंग टेस्टिंग , विशाल बांधों का निर्माण , नाभिकीय खदानों में विस्फोट का होना और नाभिकीय परीक्षण करने से भी भूकंप आने की संभावनाएं रहती हैं। 

पौराणिक धर्मग्रंथों की मान्यता के अनुसार हमारी यह पृथ्वी सहस्त्र फन वाले भगवान शेषनाग के सिर पर टिकी हुई है। जब जब पृथ्वी में पाप में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।तब शेषनाग सिहिर उठते हैं। और उसका परिणाम भूकंप के रूप में आता है। 

भूकंप की तीब्रता 

वैसे तो पूरी दुनिया में हर साल हजारों भूकंप आते हैं। उनमें से कुछ ही ऐसे होते हैं जो ज्यादा नुकसान हो जाते हैं। क्योंकि भूकंप भी अलग-अलग तीव्रता वाले होते हैं। 

कम तीव्रता वाले भूकंप (जैसे 2 से 3 मेग्नीट्यूड ) को भूकंप के केंद्र के आसपास के क्षेत्र विशेष में ही महसूस किया जाता है। इससे अधिक नुकसान भी नहीं होता लेकिन अगर यही भूकंप ज्यादा तीव्रता वाला जैसे 5 मेग्नीट्यूड या उससे ज्यादा हो तो , भूकंप के केंद्र से कई हजार किलोमीटर दूर तक इसे महसूस किया जा सकता है। 

भूकंप की तीव्रता नापने के लिए सीसमोमीटर/ सीसमोग्राफ का प्रयोग किया जाता है।भूकंप की गणना रिएक्टर स्केल में होती है। रिएक्टर स्केल में 2 से 3 मेग्नीट्यूड तक की तीव्रता वाले भूकंप को सामान्य माना जाता है। 5 या उससे ज्यादा वाले को विनाशकारी माना जाता है। और इसी में सबसे ज्यादा नुकसान होता है।

भूकंप की तीव्रता मापने वाले रिएक्टर स्केल को अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिएक्टर ने 1935 में बनाया था।

भूकंप से होने वाली तबाही (An Essay on Earthquake)

  • भूकंप इतना शक्तिशाली होता है कि हमारी धरती का सीना ही फाड़ देता है।प्रकृति का यह तांडव बसे बसाये नगरों को खंडहर में बदल देता है।
  • नदियों के प्रवाह को उलट देता है। कहीं पर्वत की ऊंचाई को सागर की गहराई में छुपा देता है।तो कहीं सबसे गहरे समुद्र को समतल भूमि में बदल देता है।
  • भूकंप के कारण ही बेजान मरुस्थल भी सुन्दर रमणीय स्थल में बदल जाते हैं।तो कही स्वर्ग से सुन्दर जगह सुनसान वीरानों में बदल जाती हैं।
  • कहीं-कहीं पर भूकंप से धरती में दरारें पड़ जाती हैं। सीमेंट , ईट , लोहे की मजबूत बुनियादों से बनी हुई इमारतों भी पल भर में चकनाचूर हो जाती हैं। छोटे और कच्चे मकान ताश के पत्तों की तरह ढह जाते हैं। 
  • भूकंप के रूप में पृथ्वी में होने वाली जरा सी हलचल भी हजारों मनुष्यों , जीजन्तुओं की जान की दुश्मन बन जाती है। कहीं हजारों परिवार एक क्षण में खत्म हो जाते हैं। तो कहीं हजारों लोग पलक झपकते ही बेघर हो जाते हैं। भूकंप की चपेट में आकर पूरे गांव के गांव या शहर के शहर देखते खंडहर में बदल जाते हैं। 
  • भूकंप आने से मजबूत सड़कों टूट जाती हैं। उद्योग धंधे , कल कारखाने , जनजीवन सब अस्त व्यस्त व नष्ट हो जाता है। देखते ही देखते लाखों की संपत्ति मिट्टी में मिल जाती हैं।
  • भूकंप के आने से बड़े बड़े पुल , बांध आदि क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
  • भूकंप के कारण कई पहाड़ों में भूस्खलन और हिमस्खलन भी होता है।
  • भूकंप मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पर्वतीय क्षेत्रों में यह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है
  • भूकंप समुद्र के अंदर हो तो सुनामी भी आ सकती है।

कई प्राचीन संस्कृतियों खत्म , नई संस्कृतियों का जन्म

भूकंप के कारण कई समृद्ध व शक्तिशाली प्राचीन संस्कृतियों मिट्टी में मिल गई। इतिहास इस बात का साक्षी हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे उन्नत व समृद्ध प्राचीन संस्कृति किसी भारी भूकंप का शिकार होने के कारण ही भूगर्भ में समा गई थी। लेकिन इन्हीं विनाशकारी भूकंपों ने इस धरती पर कई नई संस्कृति और सभ्यता व नये खूबसूरत स्थानों को भी जन्म दिया है।

यह भी पढ़ें … Essay on Forest Conservation in Hindi

विज्ञान के पास नहीं कोई विकल्प (An Essay on Earthquake)

 हालांकि आज विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है। कुछ क्षेत्रों में जैसे मौसम , तूफान या वर्षा या   बर्फवारी से संबंधित सटीक भविष्यवाणियां के लिए यंत्रों का आविष्कार कर लिया गया है। जिसके द्वारा आने वाले संकट का पहले ही पता चल जाता है।

ले किन विज्ञान की इतनी तरक्की के बाबजूद आज भी भूकंप के आने से संबंधित जानकारी के लिए कोई पुख्ता उपकरण तैयार नहीं हो पाया है।यानि भूकंप से संबंधित ऐसा कोई भी उपकरण या यंत्र अभी तक विकसित नहीं हुआ है जिससे भूकंप आने से पहले ही पता चल सके कि किन-किन क्षेत्रों में भूकंप आ सकता है।

वैज्ञानिकों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। अगर ऐसा कोई उपकरण बना लिया जाता , जिससे भूकंप आने से पहले ही उसका पता चल पाता , तो हजारों जानों को समय रहते बचाया जा सकता हैं।लेकिन इस क्षेत्र में अभी विज्ञान के हाथ खाली के खाली ही हैं। 

 लेकिन भूकंप आने के बाद तो रिक्टर स्केल पर सिर्फ भूकंप की तीव्रता को नापा जाता है।लेकिन तब तक वह तबाही मचा चुका होता है। 

  भूकंप आने में सुरक्षा के उपाय (An Essay on Earthquake)

भूकंप कब आ जाए , किसी को इसका पता नहीं होता है।ऐसे में जब भूकंप आ जाए। तो अपनी सुरक्षा के लिए कुछ बातों में ध्यान देना आवश्यक हैं। 

  • हालांकि भूकंप को रोकना इंसानों की बस की बात नहीं है। लेकिन समय के साथ-साथ अब ऐसी आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर भवन या इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। जो भूकंप रोधी हो या अधिक तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को सहन कर सके। सबसे पहले भूकंप रोधी मकानों का निर्माण होना चाहिए किया जाना अति आवश्यक है। और यह समय की मांग भी है। 
  • भूकंप का पता चलते ही घरों से बाहर निकलकर तुरंत खुले मैदानों या सड़कों में आ जाना चाहिए। 
  • भूकंप आने पर किसी ऊंची इमारत या बिजली के खम्भों के आसपास न खड़े हों।
  • काँच से बनी वस्तुओं , खिड़कियों , कमजोर दीवारों से दूर रहें।
  • किसी मजबूत फर्नीचर से नीचे बैठ जाएँ।  
  • भूकंप के समय लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • बिजली आदि से संबंधित किसी भी उपकरण का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।बिजली का मैन स्विच बन्द कर देना चाहिए।
  • घर के गैस सिलेंडर को बंद कर देना चाहिए।
  • भूकंप आने वक्त वाहन ना चलाएं। अगर वाहन चला भी रहे हो तो , तुरंत वाहन बंद कर वाहन से बाहर निकल आए। 
  • किसी भी कच्चे मकान , पहाड़ी , नदी , तालाब , समुद्र के आसपास खड़े ना होए। 

भारत में भूकंप की स्थिति  

भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। जो दुनिया के किसी भी हिस्से में कभी भी आ सकती हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत को भूकंप की संवेदनशीलता के लिहाज से चार जोन में बांटा गया है। जोन-2 में दक्षिण भारतीय क्षेत्र को रखा गया है , जो भूकंप के लिहाज से सबसे कम संवेदनशील है। 

उसके बाद जोन – 3 में मध्य भारत को रखा गया है। जोन – 4 में दिल्ली व एनसीआर के इलाकोे और उत्तर भारत के कुछ मैदानी क्षेत्रों को रखा गया है। और जोन- 5 में हिमालई क्षेत्र व पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को शामिल किया गया है।यही इलाका भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरनाक व संवेदनशील माना गया है।

भारत की यह भूमि भी कई दिल दहला देने वाले भूकंपों को झेल चुकी है।कोलकाता , असम , बिहार अंजार , अंडमान निकोबार , हिमाचल प्रदेश में आये भूकंप तो भुलाए नहीं भूलते।

26 जनवरी 2001 में भूकंप ने पूरे गुजरात में कहर ढाया था , जिसमें भारी जानमाल का नुकसान हुआ था। कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पहाड़ी इलाके उत्तरकाशी को भूकंप ने दहला कर रख दिया था।  जिसमें हजारों लोग असमय ही मृत्यु के मुंह में समा गए। 

सैकड़ों लोग घायल हुए और कुछ लोग मलबे के नीचे कई दिनों तक दबे रहे।चल अचल संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। 

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Some More Information About  Earthquake

  • दुनिया के कुछ हिस्सों में भूकंप अक्सर आते रहते हैं।अलास्का उन्हीं में से एक है।अलास्का एक ऐसा राज्य है जहां पर सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं। इसको भूकंप के लिहाज से “सिस्मीकली एक्टिव क्षेत्र” भी माना जाता है। इस क्षेत्र में 5 से 7 मेग्नीट्यूड के भूकंप आना आम बात है। और हर 12 से 14 साल में करीब एक बार 8 मेग्नीट्यूड या उससे ज्यादा का भूकंप भी आता है। 
  • इसके अलावा जापान में भी बहुत अधिक भूकंप आते हैं। लेकिन यहाँ ज्यादातर भूकंप ज्वालामुखी के फटने से आते हैं। इसीलिए वहां पर अधिकतर भूकंप रोधी या लकड़ियों के घरों का निर्माण किया जाता है। 
  • वैसे हमेशा भूकंप कुछ सेकंड के लिए आता है। लेकिन 2004 में हिंद महासागर में भूकंप की अवधि लगभग 10 मिनट रही।
  • भूकंप के आने से पहले पानी के स्रोतों जैसे नहरों , नालों , तालाबों और नदियों आदि में से एक विचित्र किस्म की खुशबू आने लगती है। इसका कारण पृथ्वी के अन्दर की गैस का बाहर आना बताया जाता है। और जमीन के नीचे स्थित पानी के स्रोतों का तापमान भी अचानक से बढ़ जाता है। 
  • वैज्ञानिकों के अनुसार हर साल लाखों भूकंप आते हैं।लेकिन इन सब की तीव्रता बहुत कम होती है। जिस वजह से लोगों को इसका पता ही नहीं चलता।
  • एक सर्वे के अनुसार नेशनल अर्थक्वेक इनफॉरमेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 से ज्यादा भूकंप की रिकॉर्डिंग करता है। लेकिन इनमें से लगभग 100 के करीब ही ऐसे भूकंप होते हैं जिनसे कम या ज्यादा नुकसान होता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप आने से जो ऊर्जा निकलती है , वह 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में डाले गए परमाणु बम से निकली उर्जा से करीब 100 गुना ज्यादा होती है। 

भूकंप पीड़ितों की सहायता पुण्य कार्य 

भूकंप के विनाश के बाद राहत कार्य शुरू हो जाते हैं। कुछ सामाजिक स्वयंसेवी संस्थाएं और कुछ परोपकारी लोग अपनी जान की बाजी लगाकर दूसरों की सहायता करने को दौड़ पड़ते हैं। अनेक तरीकों से भूकंप पीड़ितों को मदद पहुंचाई जाती है।

सरकार भी इस भीषण दुर्घटना के बाद हर संभव सहायता में जुटी रहती हैं। लेकिन यही वह समय होता हैं जब इंसान को हाथ खोलकर अन्न , वस्त्र , औषधि आदि से पीड़ितों की सहायता करनी चाहिए।

  उपसंहार (An Essay on Earthquake)

भूकंप जैसी महा विपत्ति के समय मनुष्य की मानवता की परीक्षा भी होती है।ज्यादा तीब्रता वाले भूकंप सब कुछ पल भर में विनाश कर देते हैं। लेकिन यह मानव स्वभाव है कि वह अंत के बाद भी आरंभ की तरफ चल पड़ता है। और जीवन की नई शुरुवात करने लगता हैं।

लोग उसी विनाश में बचे हुए चीजों को फिर से समेट कर अपना नया जीवन आरंभ करना शुरू कर देते हैं। यह जीवन सदा चलायमान है।यह कथन उस वक्त सत्य होता हुआ दिखता है। हम भूकंप पीड़ितों की सहायता करें और मानवता का परिचय दें। बस हम इतना ही कर सकते हैं।  

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Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

In this article, we are providing Essay on Earthquake in Hindi. भूकंप   पर निबंध- भूकंप का अर्थ, भूकंप से ग्रस्त क्षेत्र, भूकंप का तांडव नाच.

Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

मानव आदि युग से प्रकृति के साहचर्य में रहता आया है। प्रकृति के प्रांगण में मानव को कभी माँ की गोद का सुख मिलता। है तो कभी वही प्रकृति उसके जीवन में संकट बनकर भी आती है। बसंत की सुहावनी हवा के स्पर्श से जहाँ मानव पुलकित हो उठता है तो वहीं उसे ग्रीष्म ऋतु की जला देने वाली गर्म हवाओं का सामना भी उसे करना पड़ता है। इसी प्रकार मनुष्य को तेज । ऑधियों, अतिवृष्टि, बाढ़, भूकंप आदि प्राकतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ता है।

“भूकंप’ का अर्थ है भू का काँप उठना अर्थात पृथ्वी का डाँवाडोल होकर अपनी धुरी से हिलकर और फटकर अपने ऊपर । विद्यमान जड़ और चेतन प्रत्येक प्राणी और पदार्थ को विनाश की चपेट में ले लेना तथा सर्वनाश का दृश्य उपस्थित कर देना। जापान में तो  अकसर भकंप आते रहते हैं जिनसे विनाश के दृश्य उपस्थित होते हैं। यही कारण है कि वहाँ लकड़ी के घर बनाए जाते हैं। भारतवर्ष में भी भूकंप के कारण अनेक बार विनाश के दृश्य उपस्थित हुए हैं। पूर्वजों की जबानी सना है कि भारत के कोटा नागत (पश्चिम सीमा प्रांत, अब पाकिस्तान में स्थित एक नगर) स्थान पर विनाशकारी भूकंप आया। यह भकंप इतनी तीव्र गति से आया। कि नगर तथा आस-पास के क्षेत्रों के हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहा था।

विगत वर्षों में गढ़वाल, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में विनाशकारी भूकंप आया था जिससे वहाँ जन-जीवन तहस-नहस हो गया था। पहले गढ़वाल के क्षेत्र में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। वह एक पहाडी क्षेत्र है, जहाँ भूकंप के अटकों के कारण पहाड़ियाँ खिसक गई थीं, उन पर बने मकान भी नष्ट हो गए थे। हजारों लोगों की जानें गई थीं। वहाँ की विनाशलीला से विश्व भर के लोगों के दिल दहल उठे थे। उस विनाशलीला को देखकर मन में विचार उठते हैं कि प्रकृति की लीला भी कितनी अजीब है। वह मनुष्य को बच्चों की भॉति अपनी गोद में खिलाती हुई एकाएक पतना का रूप धारण कर लेती है। वह मनुष्य के घरों को बच्चों के द्वारा कच्ची मिट्टी के बनाए गए घरौदों की भाँति तोडकर बिखरा देती है और मनुष्यों को मिट्टी के खिलौनों की भॉति कुचल डालती है। गढ़वाल के क्षेत्र में भूकंप के कारण वहाँ का जन-जीवन बिखर गया था। कुछ समय के लिए तो वहां का क्षेत्र भारतवर्ष के अन्य क्षेत्रों से कट-सा गया था।

इसी प्रकार महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में आए भूकप के समाचार मिले। यह भकप इतना भयंकर और विशाल था कि धरती। में जगह-जगह दरारें पड़ गई। हजारों लोगों की जानें चली गई। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। सरकार की ओर से पहुँचाई जाने । वाली सहायता के अतिरिक्त अनेक सामाजिक संस्थाओं और विश्व के अनेक देशों ने भी संकट की इस घड़ी में वहाँ के लोगों की हर प्रकार से सहायता की, किंतु उनके अपनों के जाने के दुःख को कम न कर सके। धीरे-धीरे समय बीतता गया और समय ने वहाँ के लोगों के घाव भर दिए। वहाँ का जीवन सामान्य हुआ ही था कि 26 जनवरी, 2008 को प्रातः आठ बजे गुजरात में विनाशकारी भूकंप ने फिर विनाश का तांडव नृत्य कर डाला। वहाँ रहने वाले लाखों लोग भवनों के मलबे के नीचे दब गए थे। मकानों के मलबे के नीचे दबे हुए लोगों को निकालने का काम कई दिनों तक चलता रहा। कई लोग तो 36 घंटों के बाद भी जीवित निकाले गए थे। वहाँ भूकंप के झटके कई दिनों तक अनुभव किए गए थे। इस प्राकृतिक प्रकोप की घटना से विश्वभर के लोगों के दिल दहल उठे थे। कई दिनों तक चारों ओर रुदन की आवाजें सुनाई देती रहीं। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य अपने साधनों के अनुरूप समान रूप से सहानुभूति और सहृदयता दिखा रहे थे तथा पीड़ितों को राहत पहुँचा रहे थे। यह भूकंप कितना भयानक था इसका अनुमान वहाँ पर हुए विनाश से लगाया जा सकता है। वहाँ के लोगों ने बहुत हिम्मत से काम लिया और अपना कारोबार फिर जमाने में जुट गए। लोग अभी प्रकृति की भयंकर आपदा से उभर ही रहे थे कि 8 अक्तूबर, 2005 को कश्मीर और उससे लगते पाकिस्तान के क्षेत्र में भयंकर भूकंप आया। संपूर्ण क्षेत्र की धरती काँप उठी थी। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण पहाड़ों पर बसे हुए गाँव-के-गाँव तहस-नहस हो गए। साथ ही ठंड सर्दी के प्रकोप ने वहाँ के लोगों को और भी मुसीबत में डाल दिया। कड़कती सदी में वहाँ के लोगों को खुले मैदानों में रहना पड़ा। सरकार ने हैलीकाप्टरों व अन्य साधनों से वहाँ के लोगों की सहायता के लिए सामान पहुँचाया। भारतीय क्षेत्र की अपेक्षा पाकिस्तान क्षेत्र में अत्यधिक हानि हुई। लाखों लोगों को जान से हाथ धोने पड़े। प्राणियों को जन्म देने वाली और उनकी सुरक्षा करने वाली प्रकृति माँ ही उनकी जान की दुश्मन बन गई थी।

प्राकृतिक प्रकोप के कारण पीड़ित मानवता के प्रति हमें सच्ची सहानुभूति रखनी चाहिए और सच्चे मन से हमें उनकी सहायता करनी चाहिए। जिनके प्रियजन चले गए, हमें उनके प्रति सद्व्यवहार एवं सहानुभूति दिखाते हुए उनके दुःख को कम करना चाहिए। उनके साथ खड़े होकर उन्हें धेयं बधाना चाहिए। यही उनके लिए सबसे बड़ी सहायता होगी। ।

कितनी अजीब है यह प्रकृति और कसे अनोखे हैं उसके नियम, यह समझ पाना बहुत कठिन कार्य है। भूकंप । देखकर आज भी एक सनसनी-सी उत्पन्न हो जाती है। किन्तु प्रकृति की अज़ीव-अजीव गतिविधियों के साथ-साथ मानव की हिम्मत और साहस की भी प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जा सकता कि वह प्रत्येक प्राकृतिक आपदा का सदा ही साहसपर्वक मुकाबला करता आया है।

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Hindi Essay on “Earthquake”, “भूकंप”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

निबंध नंबर :- 01

धरती के अंदर अनेकानेक क्रियाकलाप चलते रहते हैं, जिनका पता भी हमें नहीं चलता। धरती की कई सतह नीचे लावा की गरमी है जो धरती की ऊपरी सतहों में हलचल पैदा करती है। जब यह हलचल कंपन के रूप में धरती की सबसे ऊपरी सतह को हिलाती है तो उसे भूकंप कहते हैं।

भूकंप के झटके प्रायः तीन से पाँच सैकंड तक महसूस होते हैं और इनके कंपन को रिक्टर स्केल पर एक से नौ तक नापा जा सकता है। सामान्यत:। पाँच से अधिक माप पर आनेवाला भूकंप प्रलयकारी होता है।

ऐसे भूकंप में बड़ी-बड़ी इमारतें ढह जाती हैं और धरती फटने लगती है। पैट्रोल पंप आदि ज्वलनशील जगहों पर आग लग जाती है। जान-माल का बहुत नुकसान होता है और मलबे के ढेर में लाखों लोग दब जाते हैं।

भूकंप का कारण मुख्यत: पहाड़ों से रास्ता बनाते हुए की गई बमबारी, बाँध बनाने के लिए गहरी खुदाई इत्यादि होते हैं।

भूकंप के बाद सबसे कठिन कार्य होता है मलबे में दबे जीवित लोगों को बिना हानि के निकालना। भूकंप पीड़ितों के लिए दिल खोलकर राहत में सहायता करनी चाहिए। ऐसे बेघर लोगों को कपड़े, दवाइयाँ, भोजन सभी की आवश्यकता होती है।

निबंध नंबर :- 02

भूकम्प का दृश्य

Bhukamp ka Drishya 

भूकम्प का इतिहास उनता ही पुराना है, जितनी पुरानी यह पृथ्वी। बैगनर ने कहा है कि करोड़ों वर्ष पहले सभी महाद्वीप आपस में जुड़ेहुए थे और वे विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ते गए। कहीं-कहीं घटते भी गए। इस प्रक्रिया के टकराव के कारण पृथ्वी के अन्दर की चट्टानों में दरारें पड़ने लगी और वे खिसने लगीं। इसी से भूकम्प आए। कुछ वर्ष हुए उत्तर प्रदेश के टिहरी गढ़वाल इलाके में भीषम भूकम्प आया। बड़ी गड़गड़ाहट हुई। पक्के मकान भी धराशाई हो गए। सूखी धरती पर पानी की धाराएं बहने लगी। पहाड़ों में दरारें आ गई। लोग बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगे। कई दिनों तक भूकम्प ग्रस्त क्षेत्रों में जाना भी दूभर हो गया। सड़कें टूट चुकी थी। बाहनों का आना-जाना बन्द हो गया। घायलों की मरहम पट्टी करने वाला कोई न था। भूखों का अन्न और नग्नों को वस्त्र देने वाला कोई न था। चारों ओर हाहाकार मची थी। सर्दी के कारण बचाव करना कठिन हो रहा था। हवाई जहाजों से खाने के पैकेट फेंके जा रहे थे। मृत्यु का ऐसा क्रूर तांडव कभी न देखा था। उस दृश्य को देखकर आज भी मेरे रौंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसाबुरा दिन किसी पर भी न आए।

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भूचाल पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi

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भूचाल पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi!

27 फरवरी 2002 की बात है, जब हमारे नगर में भूकंप जैसी आपदा का आगमन हुआ । मेरी जैसी छोटी उम्र के बालक के लिये ये भूचाल किसी प्रलय से कम नहीं था । ऐसा विचित्र अनुभव जीवन में पहली बार ही हुआ । 2 बजे के आस-पास जब रात मैं अपने कमरे में गहरी नींद में सो रहा था ।

पास वाले दूसरे कमरे में मेरे मम्मी-पापा तथा मेरी छोटी बहन सो रही थी । रात का सन्नाटा चारों ओर छाया हुआ था, क्योंकि ये सर्दियों की रात थी । कड़ाके की ठण्ड के कारण लोग जल्दी ही घरों को चले गये थे, किन्तु अचानक ही दरवाजे पर खिड़कियों के बजने का स्पष्ट स्वर सुनाई देने लगे । भयंकर गड़गड़ाहट हुई । चारों ओर चीत्कार मच गई । यह शायद भूचाल था । हम उठ खड़े हुए धरती काँप रही थी । बाहर कोलाहल था ।

मेरे पापा ने मुझे पुकारा और कमरे से बाहर निकलने के लिए कहा । हम मकान के बाहर निकल आए । दूसरे लोग भी घरों से बाहर आ गए थे, चारों ओर शोर मच रहा था । लोग एक-दूसरे को घरों से बाहर निकाल रहे थे । कुछ लोग तो घरों से अपना सामान भी निकाल रहे थे । भूचाल का कंपन तो कुछ मिनट ही चला, किन्तु लोग बुरी तरह आतंकित हो गए थे ।

वे एक दूसरे को बता रहे थे कि भूचाल के आने पर उन्होंने कैसा महसूस किया । कुछ लोग तो डर से सहमे हुए थे, किन्तु कुछ लोगों को इस घटना के अनुभव बता रहे थे । लोग अपने घरों के अंदर नहीं घुस रहे थे । बाहर सरकारी गाड़ी घूम रही थी और यह घोषणा कर रही थी, कि लोग घरों में नहीं घुसे भूचाल के पुन: आने की सम्भावना है ।

ADVERTISEMENTS:

लोग दुविधा में थे कि वे घरों में घुसे अथवा नहीं । अब उन्हें स्पष्ट निर्देश मिल गए थे । देखते ही देखते लोगों ने घरों से बाहर चारपाईयाँ निकाल लीं । गली में एक दरी बिछ गई । कुछ लोग सामूहिक रूप से वहाँ बैठ गए और ईश्वर का भजन करने लगे । कुछ लोग गलियों में खेलने लगे थे । कुछ लोग शहर की खबर लेने निकल गए थे । वे शीघ्र ही वापस आए ।

उन्होंने बताया कि भूचाल का छोटा-सा झटका यों ही समाप्त नहीं हो गया था , वहुत – सी बर्बादी करके गया है । उन्होंने बताया कि, शहर के कई पुराने, कच्चे तथा अधकच्चे मकान गिर गए हैं । कई लोग नीचे दब गए हैं । बिजली और टेलीफोन के खम्बे टेढ़े हो गए है । भूकम्पमापी यंत्र (रियक्टर स्केल) पर भूकम्प की तीव्रता 8 मापी गयी जो इस बात को दर्शाती है कि भूकम्प भयंकर था । हम सब उठ खड़े हुए और शहर में हुई विनाशलीला को देखने के लिए चल पड़े ।

साथ वाले मुहल्ले में ही पहुंचे तो देखा कि वहां भारी भीड़ इकट्ठी हुई है । पुलिस तथा फायर ब्रिगेड की गाडियां वहाँ खड़ी थीं । एक बहुत बड़ी पुरानी बिल्डिंग गिर गई थी और बहुत से लोग उसमें दब गए थे । हम एक वेह बाद एक स्थान पर गये और प्रकृति के प्रकोप को अपनी आँखों से देखा । चहुँओर लाशों के ढेर लगे हुए थे ।

यहाँ तक महामारी का खतरा उत्पन्न हो गया । आठ-दस व्यक्ति बच गए थे । वे पास खड़े थे और अपने प्रियजनों के दबने से दु:खी थे । उनमें से तीन चार महिलाएँ रो रही थीं । एक महिला तो अपनी छाती पीट-पीटकर रो रही थी । सरकारी और समाजसेवी संस्थाओं के लोग तेजी से मलबा हटा रहे थे । बड़ा दर्दनाक दृश्य था ।

उस समय लोग बहुत खुश हुए जब देखते ही देखते दो व्यक्ति मलबे के नीचे से जीवित निकाले गए । शहर के दूसरे हिस्सों में भी कई लोग भवनों के नीचे दबकर मर गए थे । सरकारी सम्पत्ति को भी क्षति पहुंची थी । सत्य है ईश्वरीय आपदाओं के समक्ष मानव बेबस है ।

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Earthquake Essay for Students and Children

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500+ Words Essay on Earthquake

Simply speaking, Earthquake means the shaking of the Earth’s surface. It is a sudden trembling of the surface of the Earth. Earthquakes certainly are a terrible natural disaster. Furthermore, Earthquakes can cause huge damage to life and property. Some Earthquakes are weak in nature and probably go unnoticed. In contrast, some Earthquakes are major and violent. The major Earthquakes are almost always devastating in nature. Most noteworthy, the occurrence of an Earthquake is quite unpredictable. This is what makes them so dangerous.

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Types of Earthquake

Tectonic Earthquake: The Earth’s crust comprises of the slab of rocks of uneven shapes. These slab of rocks are tectonic plates. Furthermore, there is energy stored here. This energy causes tectonic plates to push away from each other or towards each other. As time passes, the energy and movement build up pressure between two plates.

Therefore, this enormous pressure causes the fault line to form. Also, the center point of this disturbance is the focus of the Earthquake. Consequently, waves of energy travel from focus to the surface. This results in shaking of the surface.

Volcanic Earthquake: This Earthquake is related to volcanic activity. Above all, the magnitude of such Earthquakes is weak. These Earthquakes are of two types. The first type is Volcano-tectonic earthquake. Here tremors occur due to injection or withdrawal of Magma. In contrast, the second type is Long-period earthquake. Here Earthquake occurs due to the pressure changes among the Earth’s layers.

Collapse Earthquake: These Earthquakes occur in the caverns and mines. Furthermore, these Earthquakes are of weak magnitude. Undergrounds blasts are probably the cause of collapsing of mines. Above all, this collapsing of mines causes seismic waves. Consequently, these seismic waves cause an Earthquake.

Explosive Earthquake: These Earthquakes almost always occur due to the testing of nuclear weapons. When a nuclear weapon detonates, a big blast occurs. This results in the release of a huge amount of energy. This probably results in Earthquakes.

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Effects of Earthquakes

First of all, the shaking of the ground is the most notable effect of the Earthquake. Furthermore, ground rupture also occurs along with shaking. This results in severe damage to infrastructure facilities. The severity of the Earthquake depends upon the magnitude and distance from the epicenter. Also, the local geographical conditions play a role in determining the severity. Ground rupture refers to the visible breaking of the Earth’s surface.

Another significant effect of Earthquake is landslides. Landslides occur due to slope instability. This slope instability happens because of Earthquake.

Earthquakes can cause soil liquefaction. This happens when water-saturated granular material loses its strength. Therefore, it transforms from solid to a liquid. Consequently, rigid structures sink into the liquefied deposits.

Earthquakes can result in fires. This happens because Earthquake damages the electric power and gas lines. Above all, it becomes extremely difficult to stop a fire once it begins.

Earthquakes can also create the infamous Tsunamis. Tsunamis are long-wavelength sea waves. These sea waves are caused by the sudden or abrupt movement of large volumes of water. This is because of an Earthquake in the ocean. Above all, Tsunamis can travel at a speed of 600-800 kilometers per hour. These tsunamis can cause massive destruction when they hit the sea coast.

In conclusion, an Earthquake is a great and terrifying phenomenon of Earth. It shows the frailty of humans against nature. It is a tremendous occurrence that certainly shocks everyone. Above all, Earthquake lasts only for a few seconds but can cause unimaginable damage.

FAQs on Earthquake

Q1 Why does an explosive Earthquake occurs?

A1 An explosive Earthquake occurs due to the testing of nuclear weapons.

Q2 Why do landslides occur because of Earthquake?

A2 Landslides happen due to slope instability. Most noteworthy, this slope instability is caused by an Earthquake.

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  16. An Essay on Earthquake : भूकंप पर हिन्दी निबन्ध

    An Essay on Earthquake , भूकंप पर हिन्दी निबन्ध: भूकंप , बाढ़ प्रकृति के सबसे रौद्र रूप है। भूकंप का एक जोरदार झटका पलक झपकते ही महा विनाश का कारण बन जाता है

  17. Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध- Essay on Earthquake in Hindi, मानव आदि युग से प्रकृति के साहचर्य में रहता आया है। प्रकृति के प्रांगण में मानव को कभी माँ की गोद का सुख मिलता। है तो कभी वही ...

  18. Hindi Essay on "Earthquake", "भूकंप", Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7

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  19. भूकंप पर अनुच्छेद

    भूकंप पर अनुच्छेद | Paragraph on Earthquake in Hindi! धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलती है । जब पृथवि के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है तो भूकंप की ...

  20. भूचाल पर निबन्ध

    भूचाल पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi! 27 फरवरी 2002 की बात है, जब हमारे नगर में भूकं

  21. भूकंप और ज्वालामुखी क्या है

    भूकंप और ज्वालामुखी (Earthquakes and Volcanoes in Hindi) दो प्राकृतिक घटनाएँ हैं जिनका पृथ्वी की सतह और इसके निवासियों पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। ज्वालामुखी (Earthquakes in Hindi ...

  22. भूकंप पर निबंध

    Essay On Earthquake In Hindi : भूकंप पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने का परिणाम है। जब वे किसी प्रकार की हलचल करते हैं |

  23. Earthquake Essay for Students and Children

    500+ Words Essay on Earthquake. Simply speaking, Earthquake means the shaking of the Earth's surface. It is a sudden trembling of the surface of the Earth. Earthquakes certainly are a terrible natural disaster. Furthermore, Earthquakes can cause huge damage to life and property.