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आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in Hindi)

आतंकवाद

आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका है जो लोगों को डराने के लिये आतंकवादियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आज, आतंकवाद एक सामाजिक मुद्दा बन चुका है। इसका इस्तेमाल आम लोगों और सरकार को डराने-धमकाने के लिये हो रहा है। बहुत आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिज्ञ और व्यापारिक उद्योगों के द्वारा आतंकवाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों का समूह जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं उन्हें आतंकवादी कहते हैं।

आतंकवाद पर निबंध – Aatankwad par Nibandh (100 – 200 शब्द)

आतंकवाद आज के समय की एक गंभीर समस्या है। इसका उद्देश्य भय और आतंक फैलाना है। आतंकवादी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निर्दोष लोगों की जान लेते हैं और समाज में अस्थिरता पैदा करते हैं। यह मानवता के खिलाफ एक जघन्य अपराध है जो धर्म, जाति या राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे है। आतंकवाद के कई रूप होते हैं, जैसे आत्मघाती हमले, बम विस्फोट, और अपहरण। इसके कारण समाज में भय का माहौल बनता है और सामान्य जीवन बाधित होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक असमानता, धार्मिक कट्टरता, और आर्थिक समस्याएँ।

सरकार और सुरक्षा बल आतंकवाद से निपटने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं। कड़े कानून, गुप्तचर तंत्र की मजबूती, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग इसके खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आम नागरिकों का भी दायित्व है कि वे सतर्क रहें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना संबंधित अधिकारियों को तुरंत दें। आतंकवाद का समाधान केवल सुरक्षा उपायों से नहीं हो सकता। इसके लिए सामाजिक और आर्थिक विकास, शिक्षा का प्रचार, और लोगों में भाईचारे की भावना का विकास भी आवश्यक है। जब तक हम सभी मिलकर इसके खिलाफ कदम नहीं उठाएंगे, तब तक इस समस्या का पूर्ण समाधान संभव नहीं है। हमें एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा और अपने समाज को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाना होगा।

आतंकवाद पर निबंध – Essay on Terrorism in Hindi (250 शब्द)

आतंकवाद एक हिंसात्मक कुकृत्य है, जिसको अंजाम देने वाले समूह को आतंकवादी कहते हैं। वो बहुत साधारण लोग होते हैं और दूसरों के द्वारा उनके साथ घटित हुये कुछ गलत घटनाओं या कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण वो किसी तरह अपने दिमाग पर से नियंत्रण खो देते हैं जोउन्हें, उनकी इच्छाओं को पूरा करने में अक्षम बना देता है। धीरे-धीरे वो समाज के कुछ बुरे लोगों के प्रभाव में आ जाते हैं जो उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करने का वादाकरते है। वो सभी एक साथ मिलते हैं और एक आतंकवादी समूह बनाते हैं जो कि अपने ही राष्ट्र, समाज और समुदाय से लड़ता है।

आतंकवाद : एक वैश्विक समस्या

आतंकवाद, देश के सभी युवाओं के विकासको प्रभावित करता है। ये राष्ट्र को उचित विकास से कई वर्ष पीछे ढकेल देता है।आतंकवाद देश पर अंग्रेजों की तरह राज कर रहा है, जिससे हमें आजाद होने की जरुरत है। हालाँकि, ऐसा प्रतीत होता है कि आतंकवाद हमेशा अपने जड़ को गहराई से फैलाता रहेगा क्योंकि अपने अनैतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये राष्ट्र के कुछ अमीर लोग अभी-भी इसको समर्थन दे रहें हैं।

आतंकवाद का अंत कैसे हो

हमें आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के बारे में सोचना होगा। मानव मस्तिष्क से आतंक को हटाने के साथ ही इसके साम्राज्य को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने के लिये हमें एक मजबूतरणनीति बनानी चाहिये। आतंकवाद अपने मकसद को पाने के लिये हिसांत्मक तरीका अपनाता है।

आतंकवाद एक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा है जो मानव दिमाग का इस्तेमाल करके अपनी जड़े मजबूत कर रहा है। आतंकवाद लोगों को कमजोर बनाने के लिये उन्हें डराता रहा है जिससे वो दुबारा से राष्ट्र परकब्ज़ा कर सकें। सभी राष्ट्रों को आपस में मिलकर आतंकवाद का सामना करना होगा।

आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in Hindi (300 – 600 शब्द)

आतंकवाद आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह एक ऐसी गतिविधि है जो समाज और राष्ट्र की सुरक्षा, शांति और विकास के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य भय और आतंक फैलाना है, जिससे समाज में अस्थिरता और अनिश्चितता पैदा होती है।

आतंकवाद का अर्थ

निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा और धमकी का उपयोग करके राजनीतिक, धार्मिक या विचारधारात्मक उद्देश्यों को पूरा करना आतंकवाद कहलाता है। आतंकवादी संगठन अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए बम विस्फोट, हत्या, अपहरण और अन्य हिंसात्मक कार्यों का सहारा लेते हैं।

आतंकवाद के कारण

  • राजनीतिक अस्थिरता: जब किसी देश में राजनीतिक अस्थिरता होती है, तो आतंकवादी संगठन इसका लाभ उठाकर अपने उद्देश्यों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
  • धार्मिक कट्टरता: कुछ आतंकवादी संगठन धार्मिक मतभेदों को भड़काकर समाज में विभाजन पैदा करते हैं।
  • सामाजिक और आर्थिक असमानता: गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी भी आतंकवाद के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। जब लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते, तो वे आसानी से आतंकवाद की ओर आकर्षित हो जाते हैं।
  • वैश्विक तनाव: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते तनाव और विवाद भी आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

आतंकवाद के प्रकार

  • घरेलू आतंकवाद: यह वह आतंकवाद है जो किसी देश के भीतर ही संचालित होता है और उसके नागरिकों द्वारा ही अंजाम दिया जाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद: इसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन शामिल होते हैं, जो कई देशों में अपनी गतिविधियाँ संचालित करते हैं।
  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद: कुछ देश अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवादी संगठनों को समर्थन प्रदान करते हैं।

आतंकवाद के प्रभाव

आतंकवाद का प्रभाव बहुत ही व्यापक और विनाशकारी होता हैं। यह न केवल लोगों की जान लेता है, बल्कि समाज में डर और अविश्वास का माहौल भी पैदा करता है। आतंकवादी हमलों के कारण आर्थिक नुकसान, निवेश में कमी, और पर्यटन उद्योग में गिरावट होती है। इसके अलावा, आतंकवाद का प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, जिससे लोग तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष

  • कानूनी और प्रशासनिक उपाय: आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं और सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता को भी बढ़ाया गया है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद से निपटने के लिए विभिन्न देशों के बीच सहयोग और सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ाया गया है।
  • शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से आतंकवाद के प्रति लोगों को सचेत किया जा रहा है, ताकि वे इसके खिलाफ खड़े हो सकें।
  • आर्थिक विकास: आर्थिक विकास और सामाजिक सुधार के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को कम करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि लोग आतंकवाद की ओर आकर्षित न हों।

आंकड़े और वर्तमान परिदृश्य

हाल के वर्षों में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है, लेकिन यह समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है। 2023 में ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स के अनुसार, आतंकवादी हमलों की संख्या में 15% की कमी आई है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में आतंकवाद का खतरा अभी भी बहुत ज्यादा है, जैसे मिडिल ईस्ट और दक्षिण एशिया। आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे संगठन अभी भी सक्रिय हैं और नए तरीकों से अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।

भारत में आतंकवाद

कश्मीर में आतंकवाद: लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन की वजह से 1989 से कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ चलती रहती हैं। 1980 के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद, मध्य और पूर्वी भारत में माओवादी उग्रवाद,  मुंबई में 2008 में ताज होटल, रेलवे स्टेशन और अन्य स्थानों पर लश्कर-ए-तैयबा द्वारा मुंबई आतंकवादी हमले, पूर्वोत्तर भारत यानी नागालैंड, मणिपुर, और असम में उग्रवादी समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के द्वारा उग्रवाद इत्यादि कई घटनाएँ देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर चुनौतियाँ हैं।

सीरिया का आतंकवाद

सीरिया में आतंकवाद मुख्य रूप से 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध के दौरान उभरा जिसने देश को विनाश की कगार पर पहुंचा दिया है और इसका समाधान अभी भी स्पष्ट नहीं है। सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोह और सरकार की कठोर दमन नीति से गृह युद्ध भड़का था। फिर ISIS ने 2014 में सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया, जो अब आतंकवाद का केंद्र बन गया है।

आतंकवाद एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जिसे समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर काम करना होगा। केवल सुरक्षा उपायों से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के माध्यम से भी आतंकवाद की जड़ों को समाप्त करना होगा। शिक्षा, जागरूकता और व्यापक विकास के माध्यम से हम एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज की स्थापना कर सकते हैं।

Essay on Terrorism in Hindi

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आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W) लिखा हैं जिसमें  हमने प्रस्तावना, आतंकवाद क्या है, आतंकवाद का उद्देश्य, विश्व में प्रमुख आतंकवादी हमले, भारत मे आतंकवाद विकसित होने के कारण, आतंकवाद का समाधान, आतंकवाद पर 10 लाइन के बारे में लिखा हैै।

Table of Contents

प्रस्तावना (आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi)

आज यदि हम भारत के विभिन्न समस्याओं पर विचार करें, तो हमें लगता है कि हमारा देश अनेक प्रकार के समस्याओं के चक्रव्यू में गिरा हुआ है। एक और भुखमरी, दूसरी और बेरोजगारी, कहीं अकाल तो, कहीं बाढ़ का प्रकोप है।

आतंकवाद ही एक एसी समस्या है जो देश रूपी वटवृक्ष को दिमाग के समान  चट-चट कर खोखला कर रही है। कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।

आतंकवाद का क्या है What about Terrorism in Hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका भारत में हम कई दशकों से सामना कर रहे हैं। आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार है जो सम्मान या उसके बड़े भाग में राजनीतिक उद्देश्य से पैदा करने के इरादे से किया जा रहा है।

“अहिंसा परमो  धर्मा” तथा “वसुधैव कुटुंबकम” जैसे महा मानवता के सिद्धांत वाला हमारा देश भारत के पिछले अनेक वर्षों से संप्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद की विकराल समस्या बनी हुई है।

आतंकवाद का उद्देश्य Purpose of Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद का कोई नियम कानून नहीं होता वह केवल अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के ऊपर दबाव बनाने के साथ ही आतंक को हर जगह फैलाने के लिए निर्दोष लोगों के समूह या समाज पर हमला करते हैं।
  • यह सच है कि बेकारी तथा बेरोजगारी के कारण परेशान युवाओं को धन का लालच देकर तथा धर्म के नाम पर उकसाने तथा आतंकवाद बनाने का काम धार्मिक कट्टरपंथी संस्थाएं करती रहती है।
  • आतंकवादियों द्वारा सीरियल ब्लास्ट कथा साइकल बम ब्लास्ट जैसी घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है, इसीलिए आज आतंकवादियों के खिलाफ कठोरता से पेश आने की आवश्यकता है।

विश्व में प्रमुख आतंकवादी हमले Major Terrorism attacks in the world in Hindi

  • 1947 में भारत के आजादी के बाद से ही, भारत को विभिन्न देशों में विद्रोह और आतंकवादी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
  • 12 मार्च 1993 को भारत के आर्थिक राजधानी को बम विस्फोट की एक श्रृंखला से हिला दिया गया था।
  • 1998 में कोयंबटूर बमबारी।
  • 13 दिसंबर 2001 को देश की सबसे सुरक्षित इमारत संसद पर हमला।
  • 24 सितंबर 2002 को गांधीनगर, गुजरात में अक्षरधाम मंदिर परिसर आत्मघाती हमला।
  • 2005 में दिल्ली सीरियल बम विस्फोट।
  • 2006 में बॉम्बे ट्रेन विस्फोट।
  • 2007 में समझौता एक्सप्रेस बमबारी।
  • 26/11 2008 मुंबई में हुई सबसे बड़ी आतंकी हमला का भारत ने सामना किया।

भारत में आतंकवाद विकसित होने के कारण Due to the development of Terrorism in India in Hindi

जिनमें से प्रमुख गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, तथा धार्मिक उन्माद है। इनमें से धार्मिक कट्टरता आतंकवादी गतिविधियों को अधिक प्रोत्साहित कर रही है। लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे का गला काटने को तैयार हो जाते हैं।

धार्मिक उन्माद अपने विरोधी धर्मावलंबी को सहन नहीं कर पाता। परिणाम स्वरूप हिंदू मुस्लिम हिंदू सीख आदि धर्म के नाम पर अनेक दंगे भड़क उठते हैं।

आतंकवाद का समाधान Solution to Terrorism in Hindi

यह मुश्किल हो सकता है एक निश्चित व्यक्ति जिसने अपना मन बना लिया हो उसे रोकना जो आतंक का कार्य करना चाहता है लेकिन हमेशा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित कर सख्त कानून की जरूरत है सरकार को आतंकवादी विधि के प्रवाह को रोकने और कड़ाई से निगरानी करने के लिए कानून बनाना चाहिए और प्रभावी ढंग से और कार्य करना चाहिए।

आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए सरकार तथा जनता को मिलकर कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से सबसे पहले कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा।

जहां जहां पर अंतरराष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है उन समस्त क्षेत्रों की नाकाबंदी की जानी चाहिए जिसकी वजह से आतंकवादी सीमा पार से हथियार, गोली, बारूद और प्रशिक्षण प्राप्त करने में असफल हो जाए।

आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है उसे पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

आतंकवाद पर 10 लाइन 10 line on Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका भारत में जिसका भारत में हम गए दस्को से सामना कर रहे हैं।
  • आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार है जो सम्मान या उसके बड़े भाग में राजनीतिक उद्देश्य से पैदा करने के इरादे से किया जा रहा है।
  • महा मानवता के सिद्धांत वाला हमारा देश भारत के पिछले अनेक वर्षों से संप्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद की विकराल समस्या बनी हुई है।
  • आतंकवाद हि एक एसी समस्या है जो देश रूपी वटवृक्ष को दिमाग के समान चट- चट कर खोखला कर रही है। कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
  • कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
  • विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

निष्कर्ष Conclusion

 आतंकवाद जैसी मानसिकता का समाधान खोजने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा, और इसीलिए हर साल 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस मनाया जाता है।

इस समस्या से लड़ने के लिए एक अकेला देश कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि आतंकवाद विश्वव्यापी समस्या है जिसे जड़ से खत्म करना विश्व शांति के लिए आवश्यक है।

यदि आपको हमारा यह आतंकवाद पर निबंध अच्छा लगा हो तो हमारे साथ और भी इसी तरह की जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए।

 धन्यवाद

1 thought on “आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)”

सर जी आपका द्वारा लिखा गया ये निबंध बहुत ही अच्छे शब्दो मे है और आपने इसको बहुत सहजता से बहुत ही सरल भाषा में लिखा है मेरा एसएसबी हेड कांस्टेबल का एग्जाम है उसमे निबंध की महत्वपूर्ण भूमिका है आपका आशीर्वाद रहा तो जरूर सफलता मिलेगी सहृदय धन्यवाद्

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आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh) | Essay on Terrorism in Hindi

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education

आतंकवाद पर निबंध, Terrorism जो हमारे समाज और देश को हानि पहुंचाने वाली गंभीर समस्या है, इसके प्रभाव और निवारण के बारे में अधिक जानने की इच्छा है तो आप सही जगह पर हैं! हमारे इस निबंध में हम आपको आतंकवाद के परिभाषा, प्रकार, कारण, प्रभाव और निवारण के उपायों के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह निबंध आपको आतंकवाद के विषय में गहरी समझ और ज्ञान प्रदान करेगा। तो चलिए, आतंकवाद पर निबंध को पढ़ें और इस जटिल समस्या को समझने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करें।

Table of Contents

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh 10 Line)

  • आतंकवाद देश और समाज के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • यह हिंसा के माध्यम से दहशत फैलाता है।
  • आतंकवादी हमलों के कारण लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा होता है।
  • आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को हानि पहुंचाता है।
  • यह सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।
  • आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना आवश्यक है।
  • जनसंख्या को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करना आवश्यक है।
  • सामरिक सहयोग के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है।
  • शिक्षा को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ाने से भी आतंकवाद को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • हम सभी को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए और एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए।

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आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay on Terrorism in Hindi)

Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh)

हमारे समाज में आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है। यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इस निबंध में, हम आतंकवाद के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से देखेंगे और इसके प्रभाव और निवारण पर चर्चा करेंगे।

आतंकवाद का अर्थ

आतंकवाद एक बहुत व्यापक शब्द है जिसे विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है। इसका मतलब होता है एक संगठित तरीके से हिंसा का उपयोग करके नगरीय जीवन को हानि पहुंचाने का प्रयास करना। आतंकवादी संगठन विभिन्न माध्यमों के माध्यम से अपने धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद कई प्रकार का हो सकता है। इसमें धार्मिक आतंकवाद, राजनीतिक आतंकवाद और साइबर आतंकवाद शामिल होते हैं।

धार्मिक आतंकवाद: धार्मिक आतंकवाद जब किसी धर्म के नाम पर होता है, तो वह धार्मिक आतंकवाद कहलाता है। इसमें आतंकवादी समुदाय अपने धर्म के नाम पर हिंसा का उपयोग करता है और अपने मकसद को प्राप्त करने की कोशिश करता है।

राजनीतिक आतंकवाद: राजनीतिक आतंकवाद वह होता है जब किसी संगठन या व्यक्ति राजनीतिक मुद्दों के नाम पर हिंसा का प्रयोग करता है। यह मुद्दे राजनीतिक तकराव, असहयोग या न्यायाधीशों या राजनेताओं के खिलाफ विरोध के कारण हो सकते हैं।

साइबर आतंकवाद: साइबर आतंकवाद आधुनिक दुनिया में एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। यह आतंकवाद का एक नया रूप है जहां आतंकवादी संगठन इंटरनेट और साइबर स्थानों का उपयोग करके अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के कारण

आतंकवाद के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर चर्चा करेंगे:

सामाजिक आर्थिक असमानता: सामाजिक और आर्थिक असमानता आतंकवाद का मुख्य कारण हो सकती है। जब लोग अपने सामाजिक और आर्थिक हक्क के अभाव को महसूस करते हैं और उन्हें न्याय की अपेक्षा नहीं मिलती है, तब वे आतंकवाद के मार्ग का चुनाव कर सकते हैं।

राजनीतिक संकट: राजनीतिक संकट भी आतंकवाद का प्रमुख कारण हो सकता है। यहां राजनीतिक तकराव, आपसी नफरत और राजनीतिक आपातकाल जैसे मुद्दे आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव: धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव भी आतंकवाद के पीछे एक कारण हो सकते हैं। जब लोग अपने धर्म और संस्कृति के प्रति अपने विचारों को सुरक्षित नहीं महसूस करते हैं और उन्हें दूसरे समुदायों के साथ टकराव होता है, तब आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है।

शिक्षा के अभाव: शिक्षा की कमी भी आतंकवाद के प्रमुख कारणों में से एक है। जब लोगों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता है और उन्हें अवसरों की कमी का अहसास होता है, तब वे आतंकवाद की ओर आकृष्ट हो सकते हैं।

आतंकवाद के प्रभाव

आतंकवाद के प्रभाव व्यापक होते हैं और इसकी सीमा विस्तारित होती जा रही है। कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों को हम यहां देखेंगे:

मानसिक स्वास्थ्य: आतंकवाद का मुख्य प्रभाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर होता है। आतंकवादी हमलों और हिंसा की घटनाओं के कारण, लोगों में भय और चिंता का माहौल पैदा होता है। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और उन्हें स्थायी रूप से परेशान कर सकता है।

आर्थिक विकास: आतंकवाद का अन्यत्र प्रभाव आर्थिक विकास पर होता है। आतंकवाद के कारण व्यापार और पर्यटन को नुकसान पहुंचता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। यह विकास और प्रगति को रोकता है और गरीबी और असंगठितता को बढ़ावा देता है।

सामाजिक संगठन: आतंकवाद के प्रभाव के तहत सामाजिक संगठनों को भी प्रभावित किया जाता है। यह संगठनों की स्थिति और स्थायित्व पर असर डालता है और सामाजिक समरसता को हानि पहुंचाता है। आतंकवाद की वजह से विभाजन, असहयोग और विरोध की वातावरण उत्पन्न होती है, जो सामाजिक संगठनों को कमजोर करती हैं।

आतंकवाद के नियंत्रण

आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कठोर और सशक्त कार्रवाई की जरूरत होती है। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण नियंत्रण उपायों पर चर्चा करेंगे:

सुरक्षा बढ़ाना: आतंकवाद को नियंत्रित करने का पहला कदम है सुरक्षा को मजबूत बनाना। लोगों को सुरक्षित महसूस करना चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को सशक्त करना चाहिए।

जागरूकता फ़ैलाना: आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता फ़ैलाना महत्वपूर्ण है। लोगों को आतंकवाद के बारे में जागरूक करना चाहिए, उन्हें संक्रमित होने से बचाने के लिए उपाय बताने चाहिए और सामरिक सहयोग का आह्वान करना चाहिए।

शिक्षा और व्यापार को सुधारना: आतंकवाद को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है शिक्षा और व्यापार को सुधारना। शिक्षा के अधिकार को सभी तक पहुंचाना चाहिए और व्यापार में सुधार कर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहिए।

आतंकवाद एक गंभीर समस्या है और इसका साम्राज्यवादी विचारधारा, राजनीतिक संकट, धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव, और शिक्षा के अभाव जैसे कारण हो सकते हैं। इसके प्रभाव में मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक संगठन को प्रभावित किया जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बढ़ाना, जागरूकता फ़ैलाना, और शिक्षा और व्यापार को सुधारना जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh 10 Line)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q: आतंकवाद क्या है.

उत्तर: आतंकवाद एक हिंसात्मक कार्रवाई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को हानि पहुंचाती है। यह हिंसा के माध्यम से नरक फैलाता है और सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।

Q: क्या कारण हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं?

उत्तर: आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक या राजनीतिक टकराव, असहयोग, विरोध और शिक्षा के अभाव।

Q: आतंकवाद का निवारण कैसे संभव है?

उत्तर: आतंकवाद को निवारण करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, जनसंख्या को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करना, शिक्षा को सुधारना, और सामरिक सहयोग को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। साथ ही, एकता, सद्भाव, और सामरिकता के संकल्प का अवलंबन करना भी आवश्यक है।

Q: आतंकवाद के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: आतंकवाद के प्रभाव में सामाजिक और राजनीतिक संकट, आर्थिक विसंगति, सामाजिक टकराव, और सामाजिक संगठन में विघटन शामिल हो सकते हैं। यह समाज के मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक सुख को प्रभावित करता है।

Q: आतंकवाद से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर: आतंकवाद से बचने के लिए सुरक्षा बढ़ाने, जनसंख्या को जागरूक करने, शिक्षा को सुधारने, सामरिक सहयोग को बढ़ाने और व्यापार में सुधार कर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उपाय अपनाए जा सकते हैं।

इस लेख के माध्यम से हमने आतंकवाद के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है और आतंकवाद को रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है। हम सभी को मिलकर सामाजिक सुरक्षा, सौहार्द, और सद्भाव की दिशा में अग्रसर रहना चाहिए ताकि हम सभी एक बेहतर और शांतिपूर्ण दुनिया में रह सकें।

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आतंकवाद पर निबंध | Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi : आज आए दिन हम देखते सुनते है कि फला स्थान पर आतंकवादी हमला हुआ, शायद ही कोई दिन गया हो जब कहीं बेगुनाहों का खून न बहा हो.

पाकिस्तान के प्रश्रय से विश्व भर में वैश्विक आतंकवाद का आलम बेहद खतरनाक नजर आता हैं.  कक्षा 10 के बच्चों के लिए Terrorism Essay In Hindi यहाँ साझा कर रहे हैं.

आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi

भारत में आतंकवाद की समस्या पर निबंध Hindi Aatankwad Ki Samasya Essay : पुलावामा हमले के बाद आतंकवाद की समस्या का एक नया रूप भारत व दुनियां ने देखा हैं.

भीड़ वाले इलाकों में बम धमाके, लोगों को बंदी बनाना, निहत्थों पर वार कर उनकों मौत के घाट उतार देना आतंकवाद का स्वरूप हैं. Aatankwad Ki Samasya Essay में हम इस समस्या के बारे में विस्तार से जानेगे.

Cross Border Terrorism Essay In India In English

In this  Cross Border Terrorism Essay brief introduction terrorism problems in India in Hindi and English language. after the 2008 Mumbai Terror attack continuously, suffered it the whole world.

Cross-Border Terrorism becomes now a global problem and a big threat to human life. in this written ” best essays on terrorism”  in 200,250, 300 words. these valuable points include it What are the problem of terrorism, its adverse consequences, and preventive measures.

almost all over the world terrorist groups are arising like carrot grass. the number of terrorist groups in increasing. some of them are maos, bodos, jklf, nakasal Vadis, LTTE.

they are trying to destroy the peace of related states. they are organized to fulfill their political and religious desires to give an advantage to the particular race.

they are using the worst methods of destroying national and public property by a bomb blast and killing innocent people by using guns.

Cross-Border Terrorism has no religion. they only aim is to occupy the power of some state or nation. they fill the terror in the hearts of peace-loving people.

The only way to conquer this burning problem is to start talks with terrorists and prepare them to leave the way of killing innocent people.

Alas! our leaders have no courage to solve this Cross Border Terrorism problem. they always think of capturing the ruling seat. Parvez Musharraf said that if he left the Kashmir issue, he would leave Pakistan.

only talks will not solve this Cross Border Terrorism problem. terrorists should be killed firmly with iron hands. terrorists don’t deserve mercy.

the nation should not depend on America. which takes the side of Pakistan. our India can be saved from the poisoned fruits of Cross Border Terrorism by taking strict steps.

Cross Border Terrorism Essay In Hindi

विभिन्न तरीकों से डर अर्थात भय की स्थति उत्पन्न करना Terrorism आतंकवाद कहलाता है. इसके कई प्रकार है. मुख्य रूप से सीमा पार Terrorism के कारण न सिर्फ भारत बल्कि आज पूरा विश्व चिंतित है. यह किसी राज्य अथवा देश की समस्या न होकर विश्व की ज्वलंत समस्या बन चूका है.

किसी युद्ध अथवा झगड़े का कोई समाधान हो सकता है. मगर छुटपुट घुसपैठ से भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाकर निर्दोष नागरिकों की जान लेने का यह खुनी खेल आप अपने चरम पर पहुच चूका है. अमेरिका जैसा शक्तिशाली मुल्क भी इसके दुष्परिणाम भुगत चूका है.

अमेरिका को चन्द्रमा पर पहुचने के लिए जितनी मेहनत नही करनी पड़ी, उतनी खूखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को ढूढने में लगी. बहरहाल इसे विगत वर्षों में पाकिस्तान की सरभूमि पर मार गिराया था.

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है. Terrorism को जड़ से समाप्त करना किसी एक देश के लिए कितना मुशीबत भरा हो सकता है.

तक़रीबन 50-70 साल पूर्व आतंकवाद नाम की कोई चीज नही हुआ करती थी. भारत पाक विभाजन के चलते कुछ पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठनों ने जिहाद के नाम पर जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने के लिए इस तरह के Terrorism संगठन तैयार किये थे. अमेरिका तथा अन्य इस्लामिक देशों ने इसे आर्थिक व सैन्य सहायता के बन्दोबस्त किये थे.

पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम देशों में Terrorism attack को देखकर कहा जा सकता है, जिसनें विष को पाला अब वह उन्हें ही डस रहा है.

भारत में भी आए दिन घुसपैठिये अपनी नाकाम कोशिशे करते रहे है. मगर सीमा सुरक्षा बल की मुस्तैदी के चलते हर बार हमारी सेना ने आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम किया है.

आतंकवाद निबंध 1

धर्म के नाम पर इंसानियत का खून नये नये चेहरों पर जेहाद का जूनून क्या खूब स्वागत है इक्कीसवीं सदी का मौत की स्याही से लिखा जाता है सुकून

आतंकवाद से आज विश्व के अधिकाँश देश पीड़ित हैं. धर्म और जेहाद के नाम पर नित्य कहीं न कहीं निर्दोष लोगों की हत्याएँ हो रही हैं. हत्या, शोषण, मादक द्रव्यों और अवैध शस्त्रों के व्यापार में लिप्त अनेक आतंकी गिरोह शांति और सभ्यता के शत्रु बने हुए हैं.

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या – आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका हैं.  आज  ऐसे संगठन   और  गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं. भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा हैं. किन्तु जब 11 सितम्बर 2001 को अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर भस्मसात हुआ,

इंग्लैंड की ट्रेनों में धमाके हुएइंडोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई  सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं.

मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफियासंगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं. कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं.

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास – भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमांत से प्रारम्भ हुई. नागालैंड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय प्रभावी रहा.

इसके पश्चात पंजाब और जम्मू कश्मीर से आतंकवाद की क्रूरता को झेला. अब तो लगभग सारे देश में आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं.

गुजरात का अक्षरधाम, संसद भवन, दिल्ली का लाल किला, मुंबई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर सभी आतंकी प्रहार झेल चुके हैं.

भारत और पाकिस्तान के मध्य चलाई गई समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट, मुंबई के  ताज होटल  हमला तथा पठानकोट एअर बेस पर हमला आतंकवाद की भयानक घटनाएँ हैं. छोटी मोटी आंतकी घटनाएं आज भी जारी हैं.

आतंकवाद की नर्सरी – आज सारा संसार जान चुका है कि आतंकवाद की नर्सरी पाकिस्तान में हैं. वर्षों से इस देश में आतंक वादियों को प्रशिक्षण और शरण मिलती आ रही हैं.

समाप्ति के उपाय – आतंकवाद से टुकड़ो में नहीं निपटा जा सकता. अब तो संसार के सभी जिम्मेदार राष्ट्रों को संगठित होकर आतंकवाद के विनाश में सक्रिय भागीदारी करनी होगी.

पाकिस्तान को सही रास्ते पर आने को मजबूर करना होगा. भारतीय नेताओं को भी वोट बैंक, स्वार्थ और सत्ता लोलुपता त्यागकर देश की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाना होगा. जनता को भी केंद्रीय सत्ता में प्रचंड संकल्प वाले युवा लोगों को चुनकर भेजना होगा.

उपसंहार – आतंकवाद मानव सभ्यता पर कलंक हैं. उसे धर्म का अंग बताकर निर्दोषों का खून बहाने वाले मानव, मानव नहीं दानव हैं. उनका संहार करना हर सभ्य राष्ट्र का दायित्व हैं.

आतंकवाद निबंध 2

आज सम्पूर्ण मानवता आतंकवाद की समस्या से त्रस्त है. पिछड़े और विकासशील देश तो इसकी गिरफ्त में है, सम्रद्ध व शक्तिशाली देश भी इस खतरे से अछूते नही है.

विधि सम्मत सरकार के विरुद्ध हिंसात्मक कार्यवाही करना तथा जनता को भयभीत करना आतंकवाद है. हिंसा की धमकी, व्यक्तिगत हिंसात्मक कृत्य और लोगों को आतंकित करना आतंकवाद   है. भारत सहित दक्षिण एशियाई देश तो इस समस्या से जूझ ही रहे है, अमेरिका भी इसका अपवाद नही है.

जम्मू कश्मीर तथा देश के अन्य भागों में विघटनकारी घटनाओं को अंजाम देने का कार्य यही आतंकवादी कर रहे है. दिसम्बर 2001 में भारतीय संसद पर जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तोयबा के आतंकवादियों ने हमला कर दिया था.

विदेशी आतंकवादी संगठनों द्वारा प्रायोजित यह छाया युद्ध युद्ध भारत के लिए एक बड़ी समस्या है. आतंकवाद राज्य एवंम इसका राज्य प्रायोजित रूप अत्यंत भयावह है.

इसके अंतर्गत विश्व के कई राज्य अपने स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए खुलेआम आतंकवाद और आतंकवादी संगठनों को शह एवं प्रश्रय दे रहे है.

इन आतंकवादी संगठनों के पास अत्याधुनिक हथियार, विस्फोटक, वित्त व अन्य सभी संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

अनगिनत वार्ताओं व सम्मेलनों में चर्चा के बावजूद आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. इससे प्रभावित देश में शांति और परस्पर विश्वास तो खंडित हुआ ही है. आर्थिक संसाधनों की बर्बादी हुई है.

अच्छा हो, आने वाला समय आतंकवादी गतिविधियों से मुक्त हो तथा इस अथाह धनराशी का प्रयोग जनता के विकास की ओर उन्मुख करने का मार्ग प्रशस्त हो.

आतंकवाद की समस्या का विस्तार ( aatankwad ke karan )

आज दुनिया का लगभग हर देश आतंकवादी की समस्या को लेकर चिंतित है. यह सर्वविदित है, कि इस समस्या की जड़ पाकिस्तान से जुड़ी हुई है.

पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी isi को पालिसी हमेशा इन आतंकवादी संगठनो को प्रश्रय देने की रही है. कई टेरिरिस्ट ग्रुप्स और उनके लीडर जैसे हाफिज सईद पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में भारत की मांग पर कई देशों ने सहयोग किया.

पाकिस्तान व चीन आतंकवाद के मामले में भारत की राह का रोड़ा बनकर भविष्य में अपनी चुनौतियों को आमत्रित कर रहे है.

इसका नतीजा पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान सहित्र कई इस्लामिक मुल्क भी भुगत रहे है.ईरान, सीरिया, नाइजीरिया, अफगानिस्तान में आतंकवाद पाकिस्तान की दुचाल का ही कारण है.

आतंकवाद की समस्या के समाधान के उपाय (aatankwad ki samasya ka samadhan)

आतंकवाद को नियंत्रित करने के हर संभव प्रयास पिछले कुछ सालों से किये जा रहे है. लेकिन कुछ देशों में अभी भी गुप्त रूप से टेररिस्ट ट्रेनिंग के कैम्प खुलेआम चल रहे है. धार्मिक फंड के नाम पर कई बड़े देश इन्हें चोरी छिपे फंडिग कर रहे है. इससे आतंकवादियों के हौसलें बुलंद है.

यह कितने खतरनाक साबित हो सकते है. इस बात का अनुमान लगाने के लिए आप समझ सकते है, आज के परमाणु युग में जो तकनीक कई विकसित राष्ट्रों के पास नही है, वो आज इन आतंकवादी संगठनो के पास है.

धर्म के नाम पर चल रहा aatankwad का यह खुनी खेल दुनिया को तबाह कर रख देगा. यदि दुनिया के शक्तिशाली देश समय रहते इसके विरोध में नही आए तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते है.

आतंकवाद निबंध 3

बमों के धमाके, गोलियों की तड़तड़ाहट, असुरक्षित जन जीवन, असुरक्षित धर्म स्थान, निर्दोषों का बहता लहूँ, निराश्रितों के बढ़ते शरणस्थल, यह तस्वीर है हमारे आधुनिक जगत की. कोई भी कही भी सुरक्षित नही हैं. समाचार पत्र आतंकवादी कृत्यों के समाचारों से भरे रहते हैं.

आतंकवाद क्या हैं- आतंकवाद बल प्रयोग द्वारा तथा आतंक फैलाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का बर्बर तरीका हैं.

आतंकवाद का विश्वव्यापी रूप – आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या हैं. ओसाबा बिन लादेन के नेतृत्व में अलकायदा अफगानिस्तान के तालिबान, पड़ोस में पल फूल रहे जेहादी तथा भारत एवं नेपाल में सक्रिय माओवादी और नक्सलवादी आतंकवाद के सहारे ही अपना अधिकार जमाना चाहते हैं.

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ एवं दुष्परिणाम- स्वतंत्र भारत में आतंकवाद का प्रारम्भ पूर्वी सीमान्त से हुआ. नागालैंड, त्रिपुरा, असम आदि प्रदेशों में विदेशी शक्तियों के षड्यंत्र से आतंकवादी गतिविधियाँ काफी समय से चलती हैं. 

भारत में स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या से लेकर, विमान अपहरण, निर्दोष लोगों की हत्याएं, जगह जगह धमाके, यहाँ तक कि घात लगाकर सेना पर हमला, अक्षरधाम और संसद भवन पर हमला आदि आतंकवाद के ही उदहारण हैं. जयपुर में बम ब्लास्ट तथा मुंबई में हुए हमले में सैकड़ो लोगो की जान चली गई. 

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की आतंकवादी हमले में हत्या कर दी गई. आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाला देश स्वयं आतंकवाद की चपेट में आ गया हैं. यह घटना संदेश देती हैं कि आतंकवाद बढ़ाकर किसी समस्या का समाधान नही हो सकता.

मुक्ति के उपाय- आतंकवाद के विरुद्ध संसार का हर सभ्य और समझदार देश आवाज उठा रहा हैं. किन्तु यह रोग बढ़ता ही जा रहा हैं. आतंकवादी गतिविधियों का कठोरता से सामना करके ही सफलता मिल सकती हैं.

उपसंहार- आज आतंकवाद को रोकने के लिए हमे अपनी सेना को नवीनतम सैन्य उपकरणों से सुसज्जित करना होगा और सारी गुप्तचर एजेंसियों को अधिक चुस्त और सावधान बनाना होगा. तभी हम आतंकवाद की इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या निबंध 4

आज के समय में विश्व की सबसे ज्वलंत समस्याओं पर नजर डाले तो जिनमे आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा हैं. न सिर्फ भारत बल्कि समूचा संसार इस जहरीले आतंक की आग की लपेट में जल रहा हैं.

1993 के मुंबई ब्लास्ट, 11 सितम्बर 2001 में अमेरिका के वाइट हाउस,इसी वर्ष भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला (Terrorist attack on Indian Parliament) और 26 नवम्बर 2008 के दिन मुंबई की ताज होटल पर हमला, 2017 में पेरिस और उरी में हुई आतंकवादी घटनाओं इस बात का गवाह हैं.

कि यह समस्या किसी एक देश की न होकर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद (International terrorism) का रूप ले चुकी हैं.

आतंकवाद की जड़ कहे जाने वाले अलकायदा के ओसामा बिन लादेन और बगदादी के पतन के बावजूद इस तरह की आतंकी घटनाएँ निरंतर बढ़ रही हैं. 

आतंकवाद मुख्य रूप से हिंसा के द्वारा आम जन में भय का माहौल बनाकर अपने राजनीतिक (Political) ,आर्थिक (Economic) , धार्मिक (Religious) और सामाजिक उद्देश्यों (Social objectives) को पूरा करना ही हैं.

आज विश्व में आतंकवाद के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं. जिनमे कही राजनितिक आतंकवाद,कही धार्मिक आतंकवाद तो कही सामाजिक आतंकवाद के उदहारण आए दिन देखने को मिलते हैं.

भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों मूख्य रूप से जम्मू कश्मीर और असम में हिंसक गठबन्धनों द्वारा किये गये कार्य राजनीतिक आतंकवाद (Political terrorism) के उदहारण हैं.

आतंकवाद के उद्देश्य (Objectives of terrorism)

हमारे देश और पड़ोसी मुल्को में तालिबान,अलकायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहमद जैसे कई कट्टर धार्मिक आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. जो अपनी कट्टरपंथी विचारधारा (Radical ideology) के प्रयास के लिए हिंसा और अपराध को जन्म देते है.

इसके अतिरिक्त समाज में व्याप्त क्रांतिकारी विद्रोह (Revolutionary revolt) को भी आतंकवाद की श्रेणी में शामिल किया जाता हैं. अकसर भारत में नक्सलवाद और गैर राजनितिक आतंकवाद के उदहारण देखने को मिलते हैं.

आतंकवादी हमेशा नए-नए तरीकों की तलाश करते हैं, जिनके कारण अधिक से अधिक मात्रा में लोग मारे जाए, और उसमे भय उत्पन्न किया जा सके. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्लेन हाईजेक करना, रेववे स्टेशन या ट्रेन में बम डालना, रेल की पटरियों को उखाड़ लेना.

आम नागरिकों या विद्यार्थियों को बंदी बना लेना, भीडभाड वाले स्थान को घेर लेना या उनमे घुसकर गोलीबारी करना आतंकवादियों के मुख्य हथियार (Main weapon of terrorists) होते हैं.

भारत में आतंकवाद और आतंकवादी घटनाएं (Terrorism and terrorist incidents in India)

यु तो हर दिन विश्व के किसी न किसी देश में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाएँ घटित होती रहती हैं. मगर इनमे भारत आतंकवाद की समस्या से सबसे अधिक त्रस्त राष्ट्र हैं.

पिछले कुछ ही वर्षो से देश के जम्मू कश्मीर और अन्य हिस्सों में आतंकवादी घटनाएँ निरंतर बढ़ी हैं. 80 के दशक में भारत में आतंकवाद की शुरुआत पंजाब में खालिस्तान की मांग से शुरू हुई थी,

भारत में आतंकवाद के इतिहास में सबसे बड़ा एंटी टेरिरिज्म ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) था. 1984 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने पंजाब के प्रसिद्ध स्वर्ण मन्दिर पर सैनिको को गोलियाँ बरसाने का आदेश दिया था.

इसके ठीक १० साल बाद 12 मार्च 1993 में मुंबई में हुई सिलसिले वार बम धमाकों में 250 से अधिक आम नागरिक मारे गये थे.

इसके पश्चात 13 दिसम्बर 2001 को भारत के लोकतंत्र पर आतंवादियों द्वारा सीधा हमला किया गया. संसद पर हुए इस हमले में ९ सुरक्षाकर्मियो सहित कुछ निर्वाचित सदस्य भी मारे गये थे.

इसके पश्चात वाराणसी , मुंबई और भारत पाक के बिच चलने वाली रेल में भयंकर आतंकी हमले हुए, जिनमे सैकड़ो लोगो ने अपनी जान गवाई थी.

भारत में आतंकवादी हमले (Terrorist attacks in India)

विगत महीनों में हुआ उरी आतंकी हमला जिनमे कई सुरक्षा सैनिक मारे गये थे, इसके अलावा जम्मू कश्मीर और एलओसी पर आए दिन चिट-पिट आतंकी घटनाएं और घुसपेट की घटनाए आए दिन सुनने को मिलती हैं.

वैसे तो हमेशा से आतंकवादियो ने जम्मू कश्मीर को अपना निशाना बनाया है, भारत के इस राज्य में आतंकवाद की शुरुआत (The beginning of terrorism) 1947 से ही हो गई थी. जो आज तक जारी हैं.

इस आतंकवाद को हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हमेशा से आश्रय देता आया हैं. 1990 आते-आते आतंकवाद न सिर्फ भारत की बल्कि समूचे विश्व की समस्या के रूप में सामने आया. मुख्य रूप से इस्लाम कट्टरपंथी पाकिस्तान समर्पित आतंकवाद ही इस सम्पूर्ण समस्या की जड़ हैं.

आज के समय में छतीसगढ़ सहित पश्चिम बंगाल में नक्सलवाद पूर्ण रूप से आतंकवाद का स्वरूप ले चूका हैं. आरम्भ में नक्सलवाद ने अपने हक़ और अधिकारों के लिए एक विद्रोह शुरू किया था.

जो कालांतर में एक हिंसक विद्रोह का रूप ले चूका हैं. साथ ही इन संगठनो द्वारा हिंसा का रास्ता चुन लिए जाने के कारण नक्सलवाद का स्वरूप आतंकवाद के समरूप हो चूका हैं.

पश्चिम बंगाल से शुरू हुई नक्सलवाद की समस्या आज उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश सहित देश के अन्य भागों में फ़ैल चुकी हैं.

आतंकवाद के कारण और प्रभाव (Due to terrorism and influence)

आरम्भिक वर्षो में आतंकवाद ने राजनितिक स्वार्थ के लिए धर्म को आधार बनाकर सता प्राप्ति का रास्ता चुना था. दूसरी तरफ नक्सलवाद की उत्पति/इसके जन्म का कारण मुख्य रूप से सामाजिक हैं. जिनमे अत्यंत गरीबी और अशिक्षा इसके मूल कारण हैं.

यही वजह हैं कि कम शिक्षित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनो द्वारा लोगों को धर्म के झासे में फसाकर इस प्रकार के संगठनो से जोड़ दिया जाता हैं. थोड़े से लाभ के लिए ये लोग आतंकवाद के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करते हैं.

यदि हम वैश्विक या भारतीय परिप्रेक्ष्य (Indian perspective) में पिछले 10 वर्षो में लोगों की मृत्यु की घटनाओं (Incidence of death) को देखे तो किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक लोग आतंकवाद के शिकार हुए हैं.

इनके कुकृत्यो से मारे जा चुके हैं. बहुत सारे ऐसे परिवार हैं, जो आतंकवाद के कारण अपना पूरा परिवार या परिवार के किसी सदस्य को खो चुके हैं.

दूसरी तरफ लाखों की संख्या में ऐसे दिव्यांग (Divyang) मिल जाएगे, जिन्होंने आतंकवाद घटनाओं में अपने अंगो को खो दिया हैंजिनका दंश वो आज भी भोग रहे हैं.

यदि हम आतंकवाद की रोकथाम (Terrorism Prevention) इस समस्या के समाधान के पहलुओ को जानना चाहे तो मुख्य रूप से शिक्षा और रोजगार का बड़ा मसला हैं.

पिछड़े इलाकों में नवयुवक शिक्षा की कमी और रोजगार की अनुपलब्धता के कारण धार्मिक कट्टरपंथी (Religious fanatics) लोगों के लालच या बहकावे में आकर आतंकवाद का दामन थाम लेते हैं.

दूसरी तरफ नक्सलवाद (racism) भी किसी तरह आतंकवाद से कम नही हैं, सरकार को चाहिए कि वह उन लोगों की मागों को पूरा करे, जिसके लिए उन्होंने हथियार उठाएँ हैं.

समाधान (Solution)

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का सबसे खतरनाक रूप देखने को मिलता हैं. जिसकी मुख्य वजह पाकिस्तानी घुसपैठ भी हैं.

हाल ही के वर्षो में भारत सरकार ने एलओसी को पूर्ण रूप से अभेद्द बनाए जाने के प्रयासों को ओर तेज कर राज्य की आंतरिक प्रशासन व्यवस्था को सुधारे जाने की सख्त आवश्यकता हैं. जो बेहद निम्न स्तर की रही हैं.

यह भी हो सकता हैं, कि पाकिस्तान भले ही हमारा दुश्मन मुल्क हैं. आतंकवाद को प्रश्रय देने का कार्य भी मूल रूप से पाकिस्तान का भी, इसका खामियाजा उन्हें भी हर रोज भुगतना पड़ता हैं. अत: इस विषय पर दोनों देशों के राजनयिकों (Diplomats) को बैठकर कोई बिच का रास्ता निकालना चाहिए.

चूँकि आतंकवाद एक अंतराष्ट्रीय समस्या हैं. इसलिए इसका समाधान प्रभावित देशों के सदस्यों के साथ बैठकर भी कोई हल निकाला जा सकता हैं. जिनमे सयुक्त राष्ट्र संघ, अंतराष्ट्रीय न्यायालय जैसे सगठन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.

आतंकवाद पर निबंध 5

आतंकवाद एक ऐसी समस्या हैं जिसका भारत में हम कई दशकों से सामना कर रहे हैं. आज आतंकवाद एक ऐसी समस्या माना जाता हैं. जो न केवल राष्ट्रिय बल्कि अंतराष्ट्रीय राजनीती को भी अस्थिर कर सकती हैं.

जिन कारको ने आतंकवाद को कट्टरपंथीयों द्वारा अवांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसे महत्वपूर्ण हथियार बनाया. वे हैं.

उद्देश्य में दृढ विशवास, कट्टरता, अपने सरगनाओं के प्रति निष्ठा, हिंसात्मक आदर्शवाद आदर्शवाद आत्म बलिदान की इच्छा तथा विदेशो से मिलती वित्तीय सहायता आदि.

आतंकवाद क्या हैं ?- आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार हैं जो समाज या उसके बड़े भाग में राजनितिक उद्देश्यों से भय पैदा करने के उद्देश्य से किया जाता हैं. यह राज्य या समाज के विरुद्ध होता हैं.

यह अवैध और गैर क़ानूनी होता हैं. यह न केवल निशाना बनाया जाने वाले व्यक्ति आपितु सामान्य व्यक्तियों को डराने और बेबसी व लाचारी की भावना पैदा करता हैं.

आतंकवाद के उद्देश्य- आतंकवादियो का मुख्य उद्देश्य अपनी विचारधारा का प्रचार करना हैं. इस प्रक्रिया में यह विचार जन-समर्थन प्राप्त करना चाहता हैं. वह शासन की सैन्य शक्ति व मनो वैज्ञानिक शक्ति को विघटित करना चाहता हैं.

आतंकवाद किसी भी देश/क्षेत्र की आंतरिक स्थिरता तोड़ना और उसके सतत विकास को रोकना चाहता हैं. वह अपने विचार रूपी आन्दोलन को बढ़ाना चाहता हैं.

इस आन्दोलन की रूकावट चाहे वो व्यक्ति हो या सस्था उसे हटाने की कोशिश करता हैं. यह शासन को प्रतिक्रिया दिखाने के लिए उकसाता हैं.

भारत में आतंकवाद समस्या & हमले

” अहिंसा परमोधर्म: तथा “वसुधैव कुटुम्बकम” जैसे महामानवता वादी सिद्दांत वाले हमारे देश भारत में पिछले अनेक वर्षो से साम्प्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद विकराल समस्या बनी हुई हैं. बंगाल में नक्सलियों द्वारा की गईं हिंसा आगे जाकर पंजाब में खालिस्तान बनाने की मांग के चलते असंख्य बेगुनाहों का रक्तपात हुआ.

आज देश में जम्मू कश्मीर, असम, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा तथा उत्तर भारत के अनेक शहर आतंकवादियो के निशाने पर रहते हैं. बीते वर्षो में हमारी संसद पर किया गया आतंकवाद हमला एक प्रकार से हमारे सविधान तथा हमारे स्वाभिमान पर किया गया हमला था.

यदि समय रहते हमारे जवानों ने उन आतंकवादियों को काबू में न किया होता तो हम कल्पना कर सकते हैं, उसके कितने भयानक दुष्परिणाम हो सकते थे.

आतंकवाद का कारण

यह सच हैं कि बेकारी तथा बेरोजगारी के कारण परेशान युवाओं को धन का लालच देकर तथा धर्म के नाम पर उकसाने तथा आतंकवादी बनने का काम धार्मिक कट्टरपंथी संस्थाएँ करती रहती हैं.

ये संस्थाए अपने द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों के माध्यम से देश में अस्थिरता का वातावरण बनाते रहते हैं. मुंबई, दिल्ली, जयपुर तथा अहमदाबाद में आतंकवादियो द्वारा “सीरियल ब्लास्ट” तथा “साइकिल बम ब्लास्ट” जैसी घटनाओं ने देश को झंकझोर कर रख दिया. इसलिए आज आतंकवाद के खिलाफ कठोरता से पेश आने की आवश्यकता हैं.

आतंकवाद को नियंत्रित करने के उपाय-

राष्ट्रीय समस्याओं पर आम सहमती तैयार की जानी चाहिए. न्याय व्यवस्था से सम्बन्धित सुधार करना, शासक और जनता में संवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए,

पुलिस तथा सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाना चाहिए तथा शिक्षा एवं रोजगार की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.

आतंकवादी जब अपने आत्मघाती हथियारों तथा बमों से लोगों के घर उजाड़ते हैं तब यही कहने को मन करता हैं कि,

‘लोग सारी उम्र लगा देते हैं एक घर बनाने में | उनको शर्म नही आती बस्तियाँ जलाने में || “

आतंकवाद के कारण और निवारण निबंध 6

What is Terrorism Problem, Causes, Type and solution in Hindi 

आतंक का शाब्दिक अर्थ होता है- भय,त्रास या अनिष्ट की पीड़ा. षडयंत्रपूर्वक क्रूरता  से नागरिकों को मारना, हमले करना, भय का वातावरण बनाना आतंकवाद कहलाता है.

आतंकवादी अमानवीय प्रवृति के कारण अतीव क्रूर एवं स्वार्थी होते है. इनमे असहनशीलता एवं उग्रता चरम मात्रा में भरी रहती है. इसी स्वभाव के कारण आतंकवादियों को उग्रवादी भी कहा जाता है.

हमारे देश भारत में यह आतंकवाद और उग्रवाद पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा तथा कुछ विदेशी इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा छद्म रूप में चलाया जा रहा है.

भारत में आतंकवाद (Terrorism in India)

भारत में यदपि पूर्वोतर सीमांत क्षेत्र पहले ही अलगाववादी प्रवृति से ग्रस्त रहा है, परन्तु कश्मीर को लेकर आतंकवाद का प्रारम्भ 1989 को हुआ. उस समय जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट  के संगठन ने सशस्त्र अलगाववादी आंदोलन की शुरुआत की.

इससे कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठन उभरे, जिन्होंने जेहाद के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया ये सभी संगठन पाकिस्तान के समर्थक और और उसके सहयोग निर्देश पर काम करते है. पाकिस्तान में ही उन आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर है.

और वही से उन्हें आर्थिक सहायता तथा विस्फोटक सामग्री उपलब्ध होती है पकिस्तान ये सारे काम पर्दे के पीछे करता है और विश्व मंच पर हो हल्ला करता है. कि मुस्लिम बहुल कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाए तथा कश्मीर में आतंकवादी तो वास्तव में जेहादी लोग है.

इस प्रकार पिछले दो दशकों से भारत को इन आतंकवादियों का सामना करना पड़ रहा है.

पाकिस्तान समर्थित आतकंवादी समय समय पर भारत में नरसंहार करते रहे है. दिल्ली के लाल किले पर, फिर कश्मीर विधानसभा भवन पर, फिर 13 दिसम्बर 2001 को संसद भवन पर हमला,, बाद में गांधीनगर के अक्षरधाम पर, 2008 में मुंबई की ताज होटल, 2017 में उरी और पठानकोट पर जो आतकवादियों ने किया है.

वह राष्ट्र की आत्मा के लिए एक चुनौती है. कश्मीर में प्रतिदिन कही न कही पर सैनिकों के साथ आतंकवादियों की झड़पें होती रहती है. और अब तक भाड़े के हजारों आतंकवादी मारे जा चुके है.

पाकिस्तान एक प्रकार से आतंकवादी देश है जो सदा ही आतंकवादियों को तैयार करता रहा है. कश्मीर को हथियानें के लिए वह अनेक कुचालें चल रहा है.

जिनमे आतंकवादियों को हर जगह की सहायता में विशेष रूचि दिखाता है. उसके द्वारा भेजे गये भाड़े के आतंकवादी मानवता की चिंता न कर निरपराध जनता को मार डालते है.

इससे जम्मू कश्मीर से अल्पसंख्यकों का पलायन हो चूका है. और कई वर्षों से लोग जम्मू तथा दिल्ली में शरण लेकर रहने को मजबूर है.

आतंकवाद का दुष्परिणाम (Causes and solution of Terrorism Problem in Hindi)

आतंकवाद वस्तुतः अब कुटनीतिक इशारों पर छदम युद्ध का रूप धारण करने लगा है. जिसका दुष्परिणाम यह है कि भारत को अपनी सम्पूर्ण पश्चिमी सीमा पर सेना तैनात करनी पड़ रही है.

हमारा भारत देश अभी तक विश्व समुदाय का ध्यान रख रहा है, लेकिन जब से भारतीय संसद तथा कश्मीर विधानसभा पर आतंकवादियों ने जो आत्मघाती हमला किया है.

तब से उसकी दुससाहसी प्रवृति भारत की प्रभुसता के लिए एक खतरा बन गई हाई. इस चुनौती के कारण भारत की सीमाओं पर सैन्य बन तैनात है तथा प्रतिदिन आतंकवादियों से डटकर सामना कर रहे है, जिससे आतंकवादी उग्रवादी मारे एवं पकड़े जा रहे है.

इस तरह हमारे देश में बढ़ रहे आतंकवाद का नामोनिशान मिटाने की जरुरत है. भारत सरकार इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही . तथा हमारी सेनाएँ प्रत्येक चुनोती का उचित जवाब दे रही है.

परन्तु जम्मू कश्मीर के निवासियों की तथा देश की काफी आर्थिक हानि हो रही है. अतएवं आतंकवाद के विषदंत को जड़ से उखाड़कर इसके प्रायोजक पाकिस्तान को दंड देने से इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है.

7# आतंकवाद पर निबंध | Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद का अर्थ क्या है इतिहास, वैश्विक परिदृश्य, प्रकृति व भारत पर प्रभाव | What Is Terrorism In Hindi

एक हम एक बेहद खतरनाक समस्या से गुजर रहे हैं वह है  आतंकवाद – Terrorism  यह किसी एक देश की समस्या न होकर सम्पूर्ण वैश्विक समाज के लिए संकट बनकर उभर रहा हैं. विश्व समुदाय अभी तक आतंकवाद की परिभाषा व उसका अर्थ भी समझ नहीं पाया हैं.

आतंकवाद मूलतः एक विखंडनकारी प्रवृति है जिसका अन्य विखंडनकारी प्रवृत्तियों के साथ गहरा संबंध हैं. यह कोई राजनीतिक अवधारणा नहीं है,

किसी न किसी रूप में यह प्राचीन काल से लेकर अब तक सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में विद्यमान रही हैं. आतंकवाद, साम्प्रदायिकतावाद और पृथकवाद एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं.

आतंकवाद ने विश्व शांति को सर्वाधिक नुक्सान पहुचाया हैं. भारत आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक हैं. आतंकवाद को परिभाषित करना अत्यंत दुष्कर कार्य हैं.

एक दृष्टिकोण की मान्यता है कि किसी एक के विचार में जो आतंकवादी है वह दूसरे के विचार में स्वतंत्रता सेनानी भी हो सकता हैं.

वर्तमान विश्व में आतंकवाद धार्मिक व जातीय आधार पर ही जिन्दा हैं. विश्व में इस्लामिक आतंकवाद आज सबसे गंभीर समस्या हैं.

आतंकवाद का अर्थ क्या है (What Is Terrorism In Hindi)

terror का लेटिन भाषा में अर्थ है to make tremble किसी को भय से कंपकपाने को मजबूर करना. ओ दिमेरस ने लिखा है कि आतंकवाद एक विभ्रम हैं.

यह मनोवैज्ञानिक हमला हैं. इसका लक्ष्य मनौवैज्ञानिक परिणाम प्राप्त करना होता हैं. हिंसा की नाटकीय प्रस्तुती और उन्नति व प्रसिद्ध आतंकवाद की मुख्य प्रकृति हैं.

सामान्य अर्थ में किसी भी तरह से भय उत्पन्न करने की विधि को आतंकवाद की संज्ञा दी जा सकती हैं. जब एक व्यक्ति या समूह उचित मांगों की पूर्ति के लिए शान्तिपूर्वक, अहिंसात्मक ढंग से सकारात्मक प्रयास करता है तो उसे आंदोलन कहा जाता हैं.

आंदोलन लोकतंत्रात्मक व्यवस्था की अपरिहार्य प्रक्रिया कही जा सकती हैं. इसके विपरीत व्यक्ति या व्यक्ति समूह जब अपनी अनुचित मांगों की पूर्ति के लिए व्यापक स्तर पर हिंसा व अशांति पर आधारित नकारात्मक प्रयत्न करता है तो उसे आतंकवाद कहा जाता हैं.

आतंकवाद को आमतौर पर धार्मिक, जातीय, क्षेत्रीय, नस्लीय आधार पर समर्थन मिलता हैं. किन्तु यह अलोकतांत्रिक होने के कारण व्यापक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में समर्थन प्राप्त करने में असफल रहता हैं. आतंक के प्रयोग से तात्पर्य है- भय पैदा करना.

सभी निरंकुश समाजों की स्थापना भय पर आधारित थी. आधुनिक युग में तथाकथित अधिनायकवादी शासन का मूल आधार भय ही हैं. शांतिकाल में युद्ध जैसी हिंसा के घोषित रूप में आतंक की तलवार सदैव उन पर मंडराती रहती हैं. जो विद्रोह करने की सोचते हैं.

आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान पर विधिसंगत शासन को अपदस्थ कर सत्ता हथियाना होता हैं. आतंकवाद विश्व की सबसे खतरनाक हिंसक मनोवैज्ञानिक युद्ध प्रणाली हैं.

आतंकवाद एक तरह से संक्रामक बिमारी हैं. आतंकवाद के वास्तविक भौतिक प्रभाव से कहीं अधिक इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव हैं.

शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात विश्व के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बन गया हैं. आतंकवाद उन नवीन संस्कारों में शामिल हैं. जिससे आण्विक, जैविक व रासायनिक हथियारों के प्रयोग व सामूहिक विनाश की आशंका बनी हुई हैं.

व्यवहार में आतंकवाद कई बार गरीब का शक्तिशाली के विरुद्ध हथियार बन जाता हैं तो कभी धर्म की सत्ता व धर्म की रक्षा का हथियार.

आतंकवाद का इतिहास (History Of Terrorism In Hindi)

सम्पूर्ण इतिहास में शक्ति को प्राप्त करने के लिए आतंक का बार बार प्रयोग हुआ हैं. सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए बल के सामने झुकना और स्थापित व्यवस्था को मजबूरन स्वीकारना हर युग में आम बात थी.

आतंक का प्रयोग सबसे पहले संभवतः उस समय हुआ होगा, जब शासन के लिए आदिम अवस्था में सजा देकर किसी को विशेष गतिविधि करने से रोका गया था.

प्रथम मेसोपोटामिया का साम्राज्य अक्कड़ के सारगोन पूर्णतया डरा धमकाकर ही स्थापित किया गया था. प्रथम सैनिक साम्राज्य अनसिरियाई ने अपने विरोधियों की इच्छा शक्ति और साहस को तोड़ने के लिए क्रूर, भयानक तरीको का प्रयोग किया गया था.

सम्पूर्ण इतिहास में निरंकुश समाजों में आतंक का प्रयोग लोगों को मजबूरन दासत्व व अधीनता स्वीकार करवाने के लिए हथियार के रूप में होता रहा हैं.

सदियों से आतंक का साया मानवता पर मंडराता रहा हैं. राज्य का आतंक चाहे गुप्त रूप से अथवा खुले रूप से हो हमेशा सामूहिक हत्या के लिए प्रयोग किया गया था.

मंगोलों और तैमूर लंग ने केवल आतंक या भय का प्रयोग कर बड़े बड़े शहरों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था.

यह सदैव अलग अलग स्वरूप में विद्यमान रहा था. समय काल और स्थान के अनुसार इसके तरीकों और प्रकृति में जरुर अंतर रहा होगा, लेकिन आतंक सर्वत्र व्याप्त था.

प्रथम शताब्दी के यहूदी उग्रपंथियों से लेकर 11 वीं से 13 वीं शताब्दियों के इस्माइली एसेसिन हत्यारों को इस श्रेणी में गिना जा सकता हैं.

आतंकवाद की धर्म से सम्बद्धता हर कालखंड रही में रही हैं. वर्तमान समय में आतंकवाद का धार्मिक आयाम इसे जरुर विशिष्ट बनाता हैं. वास्तव में धार्मिक आतंकवाद भी नया नहीं हैं. आधुनिक युग में आतंकवाद ने गुरिल्ला युद्ध को भी पीछे छोड़ दिया हैं.

आतंकवाद का वैश्विक परिदृश्य (World Prespective Of Terrorism Hindi)

9/11 की घटना में अचानक आतंकवाद को पुनः महत्वपूर्ण बना दिया. वस्तुतः तालिबानी स्वरूप पिछली शताब्दी के अंतिम दो दशकों में सक्रिय था,

किन्तु अमेरिका ने उन्हें महिमामंडित किया और योद्धा और जन मुक्ति दाता कहा, उल्लेखनीय है कि यही रवैया पाकिस्तान का कश्मीर के आतंकवादियों के प्रति रहा हैं.

वे उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की संज्ञा देकर अपने राजनीतिक मंसूबों को साधना चाहता हैं. धार्मिक आधार पर सहानुभूति प्रदर्शित कर वह राजनीतिक रोटियाँ सेक रहा है.

आतंकवाद प्रतिक्रियावादी व आत्मघाती दोनों प्रभाव रखता हैं. आज पाकिस्तान जो आतंकवाद का मुख्य पोषक देश है स्वयं आतंकवाद से जूझ रहा हैं.

एक देश ने अपने विरोधी देश के खिलाफ रणनीति के बतौर आतंकवाद का खूब सहारा लिया हैं. अमेरिका ने तालिबान रुपी दैत्य को पूर्व सोवियत संघ के विरोध में उत्पन्न किया. किन्तु दो दशक बाद वह दैत्य उसके विरुद्ध हो गया. ईराक को पनपाना तालिबान को पनपाना, अमेरिकी राज्य रणनीति का हिस्सा था.

स्वयं अमेरिका ने 9/11 के बाद युद्ध को नया नाम आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही देकर ईराक और अफगानिस्तान की संप्रभुता पर हमला किया.

अमेरिका और उसके सहयोगिनी का मानना है कि किसी भी किस्म के विध्वंसक हथियार रखना और उसके जरिये हिंसक कार्यवाही करना आतंकवाद हैं. इसी नजरिये से आतंकी संगठनों और उनके पनाह देने वाले राष्ट्रों को चिन्हित किया जा रहा हैं.

वास्तव में आतंकवाद केवल हिंसा की तकनीक नहीं हैं. यह सिर्फ जान से मार देने की या आतंकित कर देने की कला नहीं हैं. अपितु विचारधारा हैं.

इसका शीतयुद्धकालीन अमेरिकी विदेश नीति से गहरा संबंध हैं. शीतयुद्ध वस्तुतः रक्तबीज हैं. इसे जितना मारोगे यह उतना ही विकराल रूप धारण करता जाएगा.

उपरी तौर पर शीतयुद्ध समाप्त हो गया परन्तु विचारधारा के तौर पर यह आज भी जिन्दा हैं. मौजूदा ISIS तालिबान और आतंकवाद का विश्वव्यापी स्वरूप उसका हिस्सा हैं.

इस स्वरूप का अपना तंत्र है और अपनी विचारधारा हैं. इसकी प्राणवायु बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हैं. आतंकवाद अब कोई स्थानीय ढांचागत नही रहा हैं.

इसके प्रभाव को सीमा में नहीं बाँधा जा सकता हैं. इसका मौजूदा वैविध्य पूर्ण रूप इसे पूरी तरह विश्वव्यापी ढांचागत संरचना बनाता हैं. आतंकवाद अत्याधुनिक हथियारों और विदेशी धन के सहारे फलफूल रहा हैं.

तालिबान, अलकायदा, लिट्टे, खालिस्तान, कमांडो फोर्स आद्रेन, रोबर्ती द आब्यूस्सोन, फलांगा आदि दर्जनों आतंकी संगठनों के बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से संबंध रहे हैं.

यह कम्पनियां दो प्रकार की है नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाली व दूसरी हथियारों का निर्माण करने वाली. आतंकवाद की यह रणनीति रही है कि हिंसा के माध्यम से सुनियोजित ढंग से आम जनता में दहशत पैदा की जाए. सत्ता की प्रतिक्रियाओं में लाभ उठाया जाए और अपनी मांगों को उभारा जाए.

बी क्रोजियर में ए थ्योरी ऑफ़ कान्फ्लिक्ट में रेखांकित किया गया है कि आतंक और हिंसा कमजोरों का अस्त्र है. ये लोग संख्या में कम होते है और सत्ताहीन होते है, ये ऐसे लोग है जो परम्परागत ढंग से सत्ता प्राप्ति करने में असमर्थ होते हैं.

धर्मान्धता और आतंकवाद (Fanaticism & Terrorism Problem)

आतंकवाद को धर्म से सम्बद्ध मानने की प्रवृत्ति काफी दिनों से विवाद का विषय रही हैं. यह एक गंभीर प्रश्न है कि आतंकवाद को किसी धर्म विशेष से जोड़ा जाए या नहीं. यह मानना है कि धर्म के अनुयायी आतंकवाद को प्रश्रय देते है. यह बिलकुल असत्य और निराधार हैं.

पश्चिमी देशों के आतंकवाद के विश्लेषकों ने माना कि कुछ देशों में धर्म विशेष का हिंसक उत्परिवर्तन काफी गम्भीर विषय हैं. जो विगत 25-30 वर्षों में एक शक्तिशाली प्रवृति व घटना के रूप में उभरा हैं.

आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव न होकर एक समुदाय विशेष के प्रति समर्पण भाव रखना एक नकारात्मक प्रवृति हैं.

जो एक स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज के लिए हितकारी नहीं होता हैं. आत्म बलिदान और असीमित बर्बरता, ब्लैकमेल, जबरन धन वसूली और निर्मम न्रशंस हत्याएं करना ऐसे आतंकवाद की विशेषता बन गई हैं. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया पृथकतावादी श्रेणी में आता हैं.

पाकिस्तान में वर्ष 2014 में स्कूल में घुसकर मासूम बच्चों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 132 बच्चों की हत्या आतंकवाद का वास्तविक भयानक चेहरा प्रस्तुत करता हैं.

खून से भीगे बस्ते, पानी की बोतले, जूते, खाने के टिफिन बताते है कि आतंकवाद मूलतः मानवता के विरुद्ध अपराध हैं.

आतंकवाद की प्रकृति (Nature Of Terrorism)

इसमें मुख्य रूप से तीन पात्र होते हैं.

  • आतंकवादी गुट

आम जनता अन्य देशों की सरकार व आतंकवादी गुट इसके दर्शक होते हैं.

भारत में आतंकवाद (Terrorism Problem In India)

आतंकवाद कोई नई प्रवृत्ति नहीं हैं. जिसका रातोरात आधुनिक युग में अवतरण हुआ हो. भारत के सम्पूर्ण इतिहास में शक्ति को प्राप्त करने के लिए आंतक का बार बार प्रयोग हुआ हैं.

भारत में पिछली सदी के दो दशकों के पंजाब के आतंकवाद, जम्मू और कश्मीर के आतंकवाद व वर्तमान में विभिन्न भारतीय राज्यों में सक्रिय नक्सलवाद और उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों के उग्रवाद को आतंकवाद की परिभाषा में सम्मिलित किया जा सकता हैं.

भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में कई स्थानीय आतंकी संगठनों के अतिरिक्त अन्य विदेशी आतंकी संगठन भी सक्रिय हैं. भारत में वर्ष 2016 तक कुल 38 आतंकवादी संगठनों को अनाधिकृत गतिविधि अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया जा चुका हैं.

भारत में आतंकवाद का स्वरूप (Nature Of Terrorism In India)

भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों की प्रकृति एक जैसी नहीं हैं. यदपि सभी आतंकवादी संगठन हिंसा व भय पैदा करने के विभिन्न तरीको को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयोग जरुर करते हैं.

भारत में उत्तर पूर्वी राज्यों, विशेषतया सीमावर्ती राज्यों, जम्मू कश्मीर, असम, पंजाब, आंध्रप्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, बंगाल व महाराष्ट्र आदि में आतंकवादी गुट सक्रिय हैं.

कश्मीर में आतंकवादी गुटों को धार्मिक कारणों से अधिक जनाधार प्राप्त हैं. उन्हें विदेशी पाकिस्तानी समर्थन भी भरपूर मात्रा में प्राप्त हैं. धन, हथियार, प्रशिक्षण, दुष्प्रचार व युवाओं में धार्मिक वैचारिक विकार पैदा करने में पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई हैं.

मनोवैज्ञानिक रूप से विभिन्न हथकंडों का प्रयोग करते हुए कश्मीर के युवाओं में धर्मान्धता व कट्टरपन की भावना पैदा कर उन्हें मुख्य राष्ट्रीय धारा से विमुख करने में विदेशी समर्थन का बहुत बड़ा योगदान हैं. जिसने भारत के भौगोलिक, राजनीतिक एवं सामरिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला हैं.

यदपि पिछली शताब्दी में सक्रिय पंजाब के आतंकवादियों का केन्द्रीय लक्ष्य पृथक राष्ट्र की मांग एक जैसी ही हैं. पंजाब, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया पृथकतावादी श्रेणी में आता हैं.

सभी आंतकी सगठनों की एक जैसी राजनीतिक सोच संभव नहीं हैं. पंजाब व जम्मू कश्मीर दोनों जगह आतंकवाद ने धार्मिक कट्टरवाद का सहारा लिया हैं.

पंजाब में आतंकवादियों ने हत्या के लिए निर्दोष नागरिकों को अपना निशाना बनाया वहीँ कश्मीर में आतंकवादियों ने सेना व अन्य सुरक्षा बलों को नुकसान पहुचाना अपना लक्ष्य बनाया हुआ हैं.

पंजाब में आतंकवाद के उस चरण में आतंकवादियों ने राज्य मशीनरी को निशाना बनाने की बजाय निर्दोष लोगों की हत्या की.

राज्य पुलिस बल उनका दूसरा लक्ष्य था. असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड में आतंकवादी गुटों का मुख्य निशाना समुदाय विशेष के लोग हैं. कभी कभी राज्य मशीनरी पर भी हमला बोला जाता हैं.

किन्तु आम तौर पर किसी समुदाय विशेष के लोगों पर ही हमलें होते रहे हैं. अतः इन राज्यों के आतंकवाद में समूह या जनजातीय ग्रुपों के बीच में हिंसक मुठभेडे या हमलें होते रहते हैं.

राज्य मशीनरी पर हमला करने का राजनीतिक तौर पर प्रत्यक्ष संबंध नहीं है किन्तु प्रछन्न पृथकतावादी गिरोहों से संबंध जरुर दिखाई देता हैं. मसलन पंजाब में खालिस्तानियों और नक्सली गुटों और आंध्रप्रदेश में पीपुल्सवार ग्रुप का लिट्टे से रिश्ता था.

इसी तरह प्रत्येक प्रान्त में ऐसे आतंकवादी गिरोह सक्रिय हैं जो प्रत्यक्ष विदेशी इशारों पर आतंकवाद की कार्यवाहियों में सक्रिय रहते हैं.

तात्पर्य यह है कि आतंकवादी गिरोहों का परिपेक्ष्य एक सा नहीं हैं. भारत में प्रमुख आतंकवादी घटना 12 मार्च 1993 को बम्बई में हुई जिसमें बम विस्फोटों में 317 निर्दोष लोगों की म्रत्यु हुई.

इस विध्वस्कारी घटना में अपराधी और तस्कर गिरोह कट्टरपंथियों और विदेशी एजेंसियों की भूमिका थी. मूलतः यह एक आतंकवादी कार्यवाही थी.

साम्प्रदायिकता, पृथक्तावाद और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इन तीनों में अन्तःक्रियाएं चलती रहती हैं. तात्पर्य यह है कि साम्प्रदायिकता के पृथकतावादी या आतंकवादी प्रवृति में रूपांतरण की संभावना हैं उसी तरह से पृथकतावाद से साम्प्रदायिकता और आतंकवाद में बदल जाने की संभावना बनी हैं.

इसी प्रकार आतंकवाद के साम्प्रदायिकता एवं पृथकतावादी रूप लेने की भी संभावना हैं. झारखंड, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश व छतीसगढ़ में नक्सली आतंकी गिरोहों की आतंकवादी कार्यवाहियों से भिन्न होता हैं.

नक्सलवादी गिरोहों का पृथकतवाद केन्द्रीय लक्ष्य नहीं हैं. 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला हाल ही के वर्षों में भारत में होने वाला सबसे बड़ा आतंकी हमला है जिसमें 44 CRPF के जवान शहीद हुए थे.

भारत के आतंकवाद प्रभावित राज्य (Terrorism Affected States Of India)

  • जम्मू कश्मीर
  • उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत
  • पूर्वोत्तर भारत- असम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड
  • दक्षिण भारत- अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक

आतंकवादियों की सामाजिक पृष्टभूमि (Social Background Of Terrorism)

भारत में आतंकवादी कार्यवाहियों में शामिल व्यक्ति की सामाजिक पृष्टभूमि अलग अलग रही हैं.

  • मध्य वर्ग और उच्च मध्य वर्ग के युवा
  • पंजाब, कश्मीर बंगाल के नक्सली, उत्तर पूर्वी राज्यों के आतंकी मोटे तौर पर इन्ही वर्गों से आते हैं.
  • धर्मांध गरीब तबके के विभ्रमित युवा.

आतंकवादी कार्यवाही के लक्ष्य (Objectives Of Terrorist Activities)

  • सुनिश्चित ढंग से कुछ प्रमुख केन्द्रों या संस्थानों पर हमला करना
  • आतंक और हिंसा की कार्यवाहियों की बढ़ चढ़कर जिम्मेवारी लेना
  • सत्ता से लाभ प्राप्त करना

पहला लक्ष्य कार्यनीतिक है दूसरा रणनीतिक है और तीसरा मील अभिसिप्त लक्ष्य हैं. कार्यनीतिक स्तर पर लोगों को डराना, धमकाना, आतंकित करना और हमला करना होता हैं. रणनीतिक चरण के अंतर्गत अतिनाटकीय ढंग से आतंक एवं हिंसा की कार्यवाही को सम्पन्न करना.

परिणामतः ज्यादा से ज्यादा माध्यमों का ध्यान खीचने में सफलता प्राप्त करना उनका लक्ष्य होता हैं. आतंकवादियों की कार्यनीति, रणनीति और लक्ष्य ये तीनों एक दूसरे से अंतरग्रंथित हैं.

आतंकवाद के मनोवैज्ञानिक तत्व (Psychological elements of terrorism)

आतंकवाद अपरिहार्य रूप से एक ऐसी रणनीति है जो मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर आधारित होती हैं. इस रणनीति के तहत आतंकवादी दर्शकों को प्रभावित करते हैं. यहाँ दर्शक वे लोग है जो आतंकवादी कार्यवाही से भयग्रस्त हो जाते हैं.

  • कर्म द्वारा प्रचार
  • अस्त व्यस्तता व अराजकता उथल पुथल

आतंकवाद और मीडिया कवरेज (Terrorism and Media Coverage)

आतंकवाद और मीडिया कवरेज- तकनीकी के प्रयोग के कारण आतंक और हिंसा की कार्यवाही और भी आकर्षक दिखती हैं.

भारत में पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद की प्रस्तुतियों में स्टीरियों टाइप छवि का प्रभुत्व रहा हैं. परिणामतः आतंकवादियों के प्रति तकनीकी माध्यमों के द्वारा घ्रणा के बजाय सहिष्णु भाव पैदा हुआ हैं.

इस तरह के मिडिया के कवरेज का समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता हैं. पहला आतंक हिंसा की गतिविधियों की रिपोर्टिंग को मिलने वाले महत्व अन्य को वैसी ही कार्यवाही को प्रेरित करती हैं. दूसरा कम या ज्यादा माध्यम कवरेज से यह संभव हैं. कि राज्य उत्पीड़न की कार्यवाहियां बढ़े.

यही स्थिति आतंकवाद पैदा करना चाहती हैं. इससे उन्हें अपने लक्ष्य के विस्तार में मदद मिलती हैं. तीसरा मीडिया कवरेज के द्वारा आम जनता के अंदर भावशून्य स्थिति पैदा हो जाती हैं. चौथा आतंकवादियों द्वारा अपह्रत या बंदी व्यक्ति के लिए मिडिया कवरेज से जान का खतरा पैदा हो सकता हैं.

आतंकवाद कुछ विशेष शैली प्रतीकों और बिम्बों का प्रयोग करते हैं. पंजाब के आतंकवादी दौर में मोटर साइकिल, मारुति वैन और ए के 47 आतंकवादियों का प्रतीक मानी जाती थी. डर का माहौल पैदा करना उनका मकसद होता हैं. इससे प्रशासनिक मशीनरी पंगु बन जाती हैं.

सेना व सुरक्षा बल लगातार काम करते हैं. जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती हैं. राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक कारणों से समाज की आतंकवाद के प्रति सहिष्णुता पैदा करना अत्यंत घातक हो जाती हैं.

आम जनता में भाव शून्यता से सहन करने की क्षमता बढ़ जाती हैं. वह आतंकी हिंसा को जीवन की सच्चाई के रूप में देखने लगती हैं.

सामान्य तौर पर आतंकवादी गिरोहों की कार्यवाही के दो मकसद होते हैं.

  • हिंसा के माध्यम से जनमाध्यमों का ध्यान आकर्षित करना.
  • भय और आतंक का माहौल पैदा करना.

इन दोनों तरीकों के जरिये आतंकवादी गिरोह अपनी मांगों को लोकप्रिय बनाने और राष्ट्रीय एजेंडे पर लाने में सफल हो जाते हैं. अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए दवाब डालते हैं. अत्यधिक मीडिया कवरेज से आतंकवाद फलता फूलता हैं. आतंकवाद और जन माध्यमों का जटिल संबंध हैं.

और सशलिष्ट प्रक्रिया से यह सम्बन्ध विकसित होता हैं. अब यह सामान्य धारणा बन चुकी हैं कि किसी आतंकवादी घटना को मीडिया द्वारा अधिक कवरेज देने से इसका दुष्प्रचार होता हैं. जो राज्य के हितो का विरोधी हैं.

आतंकवादी घटना के अत्यधिक मिडिया कवरेज का दुष्प्रभाव (Repurcussions Of Over Reporting Of Terrorist Activity By Media)

  • यह विभिन्न आतंकवादी गुटों का निर्माण के लिए उत्प्रेरित करता हैं.
  • धार्मिक व साम्प्रदायिक कारणों से आतंकवादियों को सस्ती लोकप्रियता हासिल होने की संभावना निहित हैं.
  • विभिन्न गुटों में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होने पर बढत व पहलकदमी हासिल करने की होड़ उत्पन्न करना.
  • आतंकवादी गिरोहों द्वारा मिडिया कवरेज करने वाले चैनल्स पर नियंत्रण स्थापित करने की आशंका बनना.
  • प्रशासनिक मशीनरी की कार्य कुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना.

यह माना जाता है कि आतंकवाद एक तरह से संक्रामक बिमारी हैं. जाने अनजाने माध्यमों से आतंक एवं हिंसा को प्रोत्साहित किया जाता हैं. घटनाओं की एक जैसी पुनरावृत्ति और बार बार कवरेज पुनः हिंसा और आतंक को जन्म देता हैं. आतंकवादी गिरोहों का सहज रूप से अपनी राजनीतिक मांगों के लिए मंच मिल जाता हैं. परिणामतः इससे आतंकवाद बढ़ता हैं.

आतंकवाद की सफलता- आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान या विधिसंगत शासन को अपदस्थ कर सत्ता हथियाना होता हैं. यह रणनीति मुख्यतः विद्रोही व बलवाई आतंकवादियों द्वारा अपनाई जाती हैं.

यदि हमें आतंकवादियों के सफलता के परिणामों को देख पाते है कि केवल उपनिवेशवादी विरोधी गुटों को पूरी तरह सफलता प्राप्त हो सकी उनमें मुख्य हैं.

20 वीं व 21 वीं शताब्दी के अधिकांश आतंकवादी गुट अपने मंसूबों को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रहे हैं. भारत में पंजाब के आतंकी पूरी तरह असफल हुए.

LTTE जैसा दुर्दांत आतंकवादी संगठन श्रीलंका में अन्तः असफल ही हुआ. आईएसआई एस ISIS वोकोहरम, तालिबान, जैश ए मोहम्मद व अन्य मुस्लिम आतंकवादी संगठन अभी तक राजनीतिक रूप से असफल ही रहे हैं.

पूर्व सोवियत संघ के विद्वान् यूरी त्रिफोनाव ने लिखा है कि आतंकवाद का विश्व स्तर पर पतन हुआ हैं. रंगमंच खून से तर बतर और चरित्र म्रत्यु हैं. डेविड फ्रामकिन ने लिखा है कि हिंसा आतंकवाद का प्रारम्भ है इसका परिणाम है इसका अंत.

ब्रेनाजिन किंस ने लिखा है कि आतंकवादी चाहते है कि बहुत सारे लोग देखे और सारे लोग सुने न कि बहुत सारे लोग मरे.

आज भी आतंकवाद विश्व शांति और सुरक्षा के लिए गम्भीर चुनौती बना हुआ हैं. विश्व के समस्त देश जब तक एकजुट होकर इस दैत्य का मुकाबला नहीं करते तब तक यह समस्या समाप्त नहीं होगी.

भारत में भी आतंकवाद आधे से अधिक राज्यों को प्रभावित कर रहा हैं. शासन को आने वाले समय में आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.

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Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on terrorism in hindi), आतंकवाद : एक विश्वव्यापी समस्या (अथवा) मानव सभ्यता का संकट : आतंकवाद – (terrorism: a worldwide problem or crisis of human civilization: terrorism).

  • प्रस्तावना,
  • आतंकवाद क्या है?
  • आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या,
  • भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास,
  • आतंकवादी समस्या का समाधान,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना नहीं सुरक्षित मन्दिर, मस्जिद, गिरजे या गुरुद्वारे। निर्दोषों के खून बहाते घूम रहे हत्यारे। पता नहीं कब कहाँ मौत का अग्नि पुंज फट जाए? चिथड़े-चिथड़े लाशों से निर्दोष धरा पट जाए।

आतंकवाद ने आज मानव-जीवन को कितना दयनीय और असुरक्षित बना दिया है! विश्व का कोई कोना आज मौत के इन सौदागरों से सुरक्षित नहीं है।

Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद क्या है? What is the Terrorism

उपनिवेशवादी शासकों के विरुद्ध वहाँ की जनता ने कभी हथियार उठाये थे वह एक क्रान्तिकारी अभियान था। उसके पीछे स्वतन्त्रता और न्याय का आधार था। किन्तु आज तो कुकुरमुत्तों की भाँति ढेरों संगठित गिरोह संसार में फैले हुए हैं, जिनके उद्देश्य बड़े सीमित और स्वार्थपूर्ण हैं।

धन ऐंठना, निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों तक की हत्या करना तथा मादक पदार्थों एवं शस्त्रों के अवैध व्यापार आदि आज के इन तथाकथित मुक्तिमोर्चों के कुकृत्य हैं।

Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या- आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका है। आज ऐसे अनेक छद्म संगठन और गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है किन्तु जब अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर भस्मसात् हुआ और इंग्लैण्ड की ट्रेनों में धमाके हुए, इण्डोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई तो सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी।

आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं। मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफिया संगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं। कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं। ‘आई.एस.’ तो एक सुसंगठित खूख्वार और घृणित आतंकी संगठन है।

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास- भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमान्त से प्रारम्भ हुईं। नागालैण्ड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय तक प्रभावी रहा। इसके पश्चात् पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने आतंकवाद की क्रूरता को झेला।

गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर, संसद भवन, मुम्बई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर, समझौता एक्सप्रेस, आतंकवाद का निशाना बन चुके हैं। इसके अतिरिक्त छोटी-मोटी आतंकी घटनाएँ तो आए दिन होती रहती हैं।

26/11 के मुम्बई में हुए आतंकवादी प्रहार ने विश्व को झकझोरा था। कुछ ही समय पूर्व नापाक पड़ोसी द्वारा ‘उड़ी’ ऐयर-बेस में खून का खेल खेला जा चुका है।

आतंकवादी समस्या का समाधान- आतंकवाद का कुफल अब विश्व के विकसित देश भी भोग रहे हैं। अतः इस विकट समस्या के समाधान के प्रति हर सभ्य देश चिन्तित है। आतंकवाद से छुटकारा तभी हो सकता है जब विश्व के सभी देश इसकी समाप्ति में सक्रिय सहयोग दें। इसका प्रमाण ‘आई.एस’ के विनाश में जुटे विश्व के सभी प्रमुख देशों की भूमिका से मिल रहा है।

‘आई.एस.’ का सर्वनाश अब अधिक दूर नहीं लगता । अतः जनता की जागरूकता, सुरक्षा बलों को समर्थन और दलीय राजनीति से ऊपर उठकर प्रबल इच्छा-शक्ति से ही आतंकवाद का सामना किया जा सकता है।

आतंकवाद को उसी की भाषा में जबाव देकर ही उसे समाप्त किया जा सकता है। भारत द्वारा ‘सर्जीकल अटैक’ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

उपसंहार- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, धर्मान्धता और माफिया गिरोहों से ही आतंकवाद दाना-पानी और संरक्षण पा रहा है, किन्तु अब आतंकवाद का निर्यात करने वालों के घर भी जलने लगे हैं। अतः रोग लाइलाज हो जाय उससे पहले ही उसको समाप्त कर देना बुद्धिमानी है। इसके लिए सभी देशों का सहयोग आवश्यक है।

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Terrorism essay in hindi language (aatankwad) आतंकवाद पर निबंध.

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Essay on Terrorism in Hindi 300 Words

विनाशकारी शक्तियो द्वारा विभिन तरीके से जान-माल का नुक्सान पहुँचाना या भय की स्थिति पैदा करने को आतंकवाद कहते है। विश्व के बहुत सारे देश पहले ही कठिन परिस्तिथियों और चुनौतियों जैसे कि गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, निरक्षरता, असमानता आदि का सामना कर रहे है, किन्तु इन सब से खतरनाक है – आतंकवाद। आतंकवाद का कोई क्षेत्र न होने के कारन यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। आतंकवाद पूरी मानव जाति को मानसिक तोर से प्रभावित कर रहा है। विकसित हो चुके देशो यूएसए, रुस आदि और विकसित हो रहे देशो, दोनों के लिए आतंकवाद बहुत बड़ी चुनौती है। कुछ चंद लोग अपने राजनीतिक लाभ, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्य पाने के लिए भी आतंकवाद का सहारा लेते है, जो दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।

आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होती, वह अपनी माँगों को मनवाने के लिए गलत तरीके से सरकार के ऊपर दबाव बनाते है, जिसके लिए वह मासूम लोगो पर हमला कर देते है जिनका कोई कसूर नहीं होता। आतंकवादी विमानों का अपहरण करते हैं, लोगों पर गोलियाँ चलाते हैं, बम विस्फोट द्वारा और दूसरी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। ऐसी ज्यादातर घटनाये सिनेमाघरों, रेलगाड़ियों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में होती है ताकि ज्यादा नुक्सान और दहशत पैदा की जा सके।

आतंकवादी लक्ष्य के साथ वारदात को अंजाम देते है। भारत में पहले ऐसा माना जाता था कि आतंकवादी गतिविधियाँ केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित है, पर आज आतंकवाद अपनी जड़े दूसरे क्षेत्रों में भी फैला रहा है। अपने कार्य के अनुसार राजनीतिक और आपराधिक आतंकवाद के दो मुख्य प्रकार हैं। आतंकवाद के जरिये देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति पैदा हो जाति है, जो सभी देशो के नागरिको के लिए बहुत खतरनाक है। आतंकवाद बहुत बुरी बीमारी है जो दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, अब समय आ गया है कि सरकार इसके लिये कठोर कदम उठाये।

Essay on Terrorism in Hindi 700 Words

समग्र विश्व आज बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है; और यह बारूद है आतंकवाद की राज से पीडित विश्व मानव-समाज आज अपनी परछाई से भी डरने लगा है, अपने ही कदमों की आहट से चौंकने लगा है। हालांकि इस सब का समाधान वैश्विक स्तर पर एक मुद्दा बना हुआ है, लेकिन आतंकवाद से पूर्णत: निजात पाकर कब चैन की सांस ले पायेंगे, उस दिन का इंतजार हम सबको है। वैसे इस संदर्भ में हम अपने देश भारत को ही देखें तो ऐसा लगता है कि वाकई यहाँ से आतंकवाद का खात्मा बहुत जल्द ही होने वाला है। भले ही आतंकवादियों की हमलावर, अत्याचारी और साजिशों भरा कदम अभी तक नहीं थका है, लेकिन उनको शायद यह पता नहीं यह कदम उनके अंत की ओर ही जा रहा हैं।

भारत में बरसों पहले, सन् 1989 में कश्मीर में आतंकवाद ने अपनी दूसरी दस्तक दी थी। तब से आतंकवाद का जेहादी संस्करण तकरीबन एक लाख इंसानों की कुर्बानियां ले चुका है। कश्मीर से बाहर आकर संसद से सड़क तक, पुलों से लेकर रेलों तक, सब स्थानों पर उसने अपने विध्वंसकारी मंसूबों को अंजाम दिया है। कश्मीर में आतंकवाद का आगाज जे। के। एल। एफ। (Janimu Kashmir Liberation front) के माध्यम से हुआ है, जो कश्मीर की मुकम्मल आजादी को अपना लक्ष्य बनाकर मैदान में आया था। लेकिन जे। के। एल। एफ। के स्थान पर पाक इंटेलीजेंस आई एस आई ने हिजबुल मुजाहिदीन को महत्व दिया, जो कि कश्मीर के पाक में विलय का हिमायती है। अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के विरूद्ध इस्लामिक जेहादियों के मोर्चा खोलने के लिए आई एस आई ने अलकायदा को पाला-पोसा था और अलकायदा के अफगान मुजाहिदों को आई एस आई ने कश्मीर में विद्रोहियों को आतंकवाद की ट्रेनिंग के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया। इस तरह सन् 1990 से ही कश्मीर के कथित जेहाद में अलकायदा की बाकायदा उपस्थिति दर्ज की गई है। हिजबुल मुजाहिदीन संगठन में कश्मीरी नौजवानों की क्षमता कायम रही और इसका कमांडर भी एक कश्मीरी रहा है।

अब, जबकि अमेरिका के कूटनीतिक दबाव के कारण आई एस आई को जेहादी आतंकवादियों की सीधी सरपरस्ती से पीछे हटना पड़ रहा है, अलकायदा ने संपूर्ण आतंकवादी नेटवर्क पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया है। लम्बे वक्त से अलकायदा और ओसामा बिन लादेन एक दूसरे के पूरक रहे हैं। न्यूयार्क ट्रेड सेंटर से लेकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक अलकायदा के जेहादियों ने अमेरिका को अपनी विध्वसंक साजिश निशाना बनाया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कबाइली इलाकों में भी छुपकर अलकायदा और लादेन सारी दुनिया में अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं।

इधर बंग्लादेश भी इस आतंकवाद का एक बहुत बड़ा अड्डा बनता जा रहा है। भारत में जेहादी आतंकवादियों की घुसपैठ इसी अलकायदा के अड्डों से हो रही है। अलकायदा का वास्तविक मकसद मजहब के नाम पर दुनिया के मुसलमानों को एकजुट करके एक ‘इस्लामिक दुनिया’ बनाना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के खातिर अलकायदा ने हिन्दु धर्मस्थलों को अपना पहला निशाना बनाया ताकि धार्मिक वैमनस्य फैलाकर भारत को हिन्दू मुसलमानों के मध्य विभाजित किया जाए। लेकिन अलकायदा की ये कोशिश काश्मीर से ही नाकामयाब हो गयी और वह भी पिछले पन्द्रह सालों की कोशिशों के बावजूद। यह इसलिए संभव हो पाया है कि कश्मीरी नागरिक अपनी परपरांगत कश्मीरियत पर कायम हैं।

सूफीवाद के दर्शन से ओतप्रोत कश्मीरियों ने हमेशा इन्सानी भाईचारे को साकार किया है। पंजाब के उदाहरण से यह बात और भी साफ हो सकती है कि धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति से संकीर्ण मजहबी आतंकवाद को बखूबी परास्त किया जा सकता है। इसलिए अलकायदा के जेहादियों से संघर्ष करते हुए भारत को अपनी धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति पर अडिग रहना होगा। कश्मीर में जेहादियों ऐसी जबरदस्त नाकमी इस बात को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि भारत अलकायदा की साजिशों से निपट सकता है। यह स्थिति एक और तथ्य से भी स्वयं सिद्ध हो जाती है कि विगत पांच वर्षों के दौरान जो सक्रिय आतंकवादी गिरफ्तार किए गए हैं, उनकी संख्या तकरीबन 15 हजार रही और इनमें से तकरीबन 11 हजार जेहादी आतंकवादी, पाकिस्तान एवं अन्य देशों के रहे हैं। तो पन्द्रह वर्षों की तमाम कोशिशों के बाद भी जहाँ जेहादी, कश्मीर में निरंतर छापामार युद्ध करने की स्थिति तक पहुंच नहीं पाया वहां अपने आतंकवाद का कहर बरसाकर पूरे भारत से कैसे निबट पाएगा? ऐसे में कहा जा सकता है आतंकवाद की आतंकी साजिशों को अब उल्टे कदम थामना पड़ेगा, पिछे की तरफ वापस लौटना ही पड़ेगा।

Essay on Terrorism in Hindi 750 Words

आतंकवाद और अमेरिका

9/11 की घटना से हम सब परिचित ही हैं। इस दिन को विश्व के काल दिना का श्रेणी में रखा जाता है। यह घटना विश्व की भयावह घटनाओं में से एक सर्वाधिक भयावह घटना थी। इस दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर और वाशिंगटन स्थित प्रशासनिक मुख्यालय पेंटागन को कतिपय आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा हवाई जहाज के माध्यम से निशाना बनाया गया और उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। इस घटना से पूरे अमेरिका में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में कोहराम मच गया। सारा विश्व इसके बाद स्तब्ध सा रह गया। आतंकवाद की यह सर्वाधिक प्रबल अभिव्यक्ति थी जिसे अमेरिका जनता को भुगतना पड़ा था।

वस्तुत: आतंकवाद आज विश्व की सर्वाधिक विकराल समस्याओं में से है। इसके दुष्प्रभाव आज सम्पूर्ण विश्व को अपने स्तर पर झेलने पड़ रहे हैं। विश्व का शायद ही कोई देश ऐसा हो, जिसे आतंकवाद की काली छाया का सामना कभी न कभी, किसी न किसी रूप में न करना पड़ा हो। वस्तुत: लोकतांत्रिक राजनीति और व्यापक रूप से आयोजित किये गए औद्योगिक विकास ने सांमती-सोच वाले लोगों को सामाजिक-आर्थिक रूप से परिवर्तित होने पर बाध्य किया। किन्तु इससे उनके स्वार्थों का हनन होता था। इसी कारण आतंकवादी संगठन अपने स्वार्थवश आधुनिकता का विरोध कर, सामंती जीवन पद्धति पर बल देते हैं। इसके लिए पूर्णत: हिंसात्मक क्रियाकलापों को ही ग्रहण करते हैं और मासूम लोगों की हत्याओं से पूरे समाज में भय का संचार करते हैं, ताकि कोई भी उनका विरोध करने का साहस न कर सके। आतंकवाद भय के व्यापार पर ही चलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद एक प्रकार से भय का व्यापार है।

9/11 के बाद अमेरिकी समाज और वहां के सरकारी-तंत्र ने प्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद के घिनौने रूप का अनुभव किया। इसके बाद समग्र रूप से आतंकवाद को विश्व-मानवता के लिए घातक माना गया और वैश्विक स्तर पर इसके विरूद्ध संगठित होने की अनिवार्यता को महसुस किया गया। किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अमेरिका किसी प्रकार की विश्व-शांति का चहेता देश है। उसके अपने आर्थिक और राजनीतिक स्वार्थ हैं जिन्हें पूरा करने के लिए वह नित नयी राजनीतियां निर्मित और कार्यान्वित करता रहता है। आजकल अमेरिकी प्रशासन इसी प्रकार की एक दषित रणनीति को वैश्विक स्तर पर कार्यान्वित कर रहा है। वह सायास रूप से यह झूठा प्रचार कर रहा है कि आतंकवाद मुस्लिम देशों की उपज है। इसके माध्यम से वह मुस्लिम देशों को अपने आर्थिक-स्वार्थों की पूर्ति का साधन बनाना चाहता है। हम आतंकवाद के निकृष्ट प्रत्यय का पूर्णत: विरोध करते हैं किन्तु जो देश अपने आर्थिक स्वार्थों की पति के लिए इस आतंकवाद को निशाना बनाते हैं उनका भी समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।

9/11 के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया। इस हमले का नुकसान आतंकवादी संगठनों को नहीं भुगतना पड़ा, बल्कि इस विनाश का शिकार अधिकतर वहां की मासूम जनता बनी। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने वाले देशों को इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि आतंकवादी संगठन किसी धर्म, जाति अथवा किसी अन्य सामाजिक पहचान से जुड़े हुए नहीं होते हैं। उनका कोई धर्म और कोई मजहब नहीं होता। अत: हमें भी आतंकवादियों को धर्म आदि से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसे किसी धर्म विशेष से संबंधित समूचे समाज को ही आतंकवादी परिभाषित कर देते हैं। अमेरिका मुस्लिम-समाज के साथ आज ऐसा ही कर रहा है।

जिन लोगों ने अमेरिका में आतंकवादी घटनाएँ की उनका न तो कोई धर्म था और न ही कोई जाति। वे हत्यारों के अलावा और कुछ नहीं हो सकते । किन्तु हमें इस बात का पूरा ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि अपने निहित-स्वार्थों से गतिशील आतंकवादी आम लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति तथा गरीबी का फायदा न उठा सकें । अमेरिका पर आतंकवाद की दस्तक कहीं न कहीं उसकी दूषित आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है। उसे इस पर विचार करना चाहिए।

आतंकवाद जैसी विकराल समस्या के सामाधान के लिए बहुत ही कठोर नीति अवलम्बन करनी चाहिए और हमें व्यापक रूप से ऐसी नीतियों का ग्रहण करना चाहिए, जिससे हम विश्व से आतंकवादी-मनोवृति का सफाया कर सकें और समूचे विश्व में शांति की स्थापना कर सकें।

Essay on Terrorism in Hindi 800 Words

‘राजधानी में बम विस्फोट : पांच व्यक्ति मरे बीस घायल’, ‘सीमा पार से तीन आतंकवादी देश की सीमा में घुसे’ ; पोस्ट ऑफ़िस में एंथ्रेक्स का संदेश’ जैसे अनेक समाचार आए दिन समाचारपत्रों, दूरदर्शन और रेडियो की सुर्खियाँ बने नज़र आते हैं। जहाँ देखो आतंकवाद का बोलबाला है। आतंकवाद की यह समस्या केवल भारत की ही नहीं, सारे विश्व की समस्या है। अल्बू निदाल, ओसामा बिन लादेन जैसे अंतर्राष्ट्रीय शस्त्र-तस्कर और आतंकवादियों ने विश्व के लगभग सभी देशों को आतंकवाद का लक्ष्य बनाया है। आतंकवाद एक भयंकर चुनौती के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरा है। यह विश्व क्षितिज पर प्रलयंकारी बादलों की भाँति छाया हुआ है और प्रति क्षण मानव जाति के लिए संकट का वाहक बना हुआ है। कोई नहीं जानता कब किसके ऊपर उसकी गाज गिरे और विनाशलीला प्रकट हो जाए। हाल ही में अमरीका व भारत में कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

आतंक का अर्थ है ‘भय’। आतंकवादी ऐसे किसी भी संगठन के सदस्य हो सकते हैं जो अपने किसी राजनैतिक, सामाजिक, अथवा धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति विनाशकारी उपायों से करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक अथवा धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति विनाशकारी उपायों से करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक स्थलों पर बम विस्फोट करके, सरकारी सम्पत्ति को हानि पहुंचाकर समाज में आतंकवाद फैलाते हैं। इस कारण मनुष्य हर क्षण संत्रस्त तथा डरा हुआ बना रहता है।

आतंकवाद वस्तुत: अतिवाद का दुष्परिणाम है। आज के भौतिकवादी युग में अतिवाद की काली छाया इतनी बढ़ गई है कि चारों ओर असंतोष की स्थिति तेजी से बढ़ रही है। असंतोष की अभिव्यक्ति अनेक माध्यमों से होती है। आतंकवाद आज राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए एक अस्त्र बन गया है। अपनी बात मनवाने के लिए आतंक उत्पन्न करने की पद्धति एक सामान्य नियम बन गई है। आज यदि शक्तिशाली देश निर्बल देशों के प्रति उपेक्षा का व्यवहार करता है तो उसके प्रतिकार के लिए आतंकवाद का सहारा लिया जाता है। उपेक्षित वर्ग भी अपना अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए आतंकवाद का मार्ग अपनाता है।

स्वार्थबद्ध संकुचित दृष्टि ही आतंकवाद की जननी है। क्षेत्रवाद, धर्माधता, भौगोलिक एवं ऐतिहासिक कारण, सांस्कृतिक टकराव, भाषाई मतभेद, आर्थिक विषमता, प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता और नैतिक ह्रास अंतत: आतंकवाद के पोषण एवं प्रसार में सहायक बनते हैं।

भारत को जिस प्रकार के आतंकवाद से जूझना पड़ रहा है, यह भयावह और चिंतनीय इसलिए है क्योंकि उसके मूल में अलगाववादी और विघटनकारी तत्त्व काम कर रहे हैं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के तत्काल पश्चात् से ही देश के विभिन्न भागों में विदेशी शह पाकर आतंकवादी सक्रिय हो उठे थे। इसका दुष्पारेणाम यह है कि आज कश्मीर का एक बहुत बड़ा भाग पाकिस्तानी कबाइलियों और उनके देश में आए पाक सैनिकों के हाथ पहुंच गया है। आज तो कश्मीर में आतंकवाद का प्रभाव इस सीमा तक बढ़ चुका है कि वहाँ के मूल निवासी शरणार्थी बनकर मारे-मारे भटक रहे हैं।

केवल कश्मीर ही नहीं अपितु नागा पहाड़ी क्षेत्र, मिजोरम, सिक्किम, पंजाब आदि आतंकवाद का शिकार बन रहे हैं। उत्तर-पूर्व राज्यों में भी आतंकवाद रह-रहकर उभरता रहता है। देश के कुछ भागों में नक्सली आतंकवादी आज भी सक्रिय हैं। फलस्वरूप हमेशा भय, आतंक और तनाव का वातावरण बना रहता है। इसका अंत कब, कहाँ और किस प्रकार होगा ? सरकार भी इस संबंध में कुछ निश्चित कह पाने में असमर्थ है। शासन व्यवस्था बेकार सी होकर रह गई है।

जहाँ-जहाँ आतंकवादियों का बोलबाला है, वहाँ-वहाँ की आम जनता का जीवन प्रायः ठप्प है। वहाँ अगर हलचल और सक्रियता दिखाई देती है तो बस आतंकवादियों के उग्र-घातक कार्यों में या फिर उन्हें दबाने और निष्क्रिय करने के कार्य में लगे सुरक्षा बलों और सेना की गतिविधियों में। आतंकवाद पशुता है एवं दानवता है। हर आतंकवादी संगठन मानवता का शत्रु है चाहे वह उल्फा हो, लिट्टे हो, अथवा कश्मीरी उग्रवादी संगठन या तालिबान हो या अल-कायदा।

मानवीय मूल्यों से रहित आतंकवादी विचारधारा को समाप्त करने के लिए जहाँ एक ओर तो आज संसार के सारे देशों का कटिबद्ध होकर शक्ति प्रयोग द्वारा इसका अंत करना होगा, वहीं दूसरी ओर इस असंतोष के कारणों तथा आम लोगों के नैतिक मूल्यों का विकास तथा राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग तथा ‘जय जगत’ की कल्पना को विकसित करना होगा। सौहार्द एवं मैत्री की अवधारणा को जन-मानस तक पहुंचाना होगा और इन सबसे ऊपर हमें जनता में इतना आत्मबल विकसित करना होगा कि वह असहाय, मूक और निरीह दर्शक बने रहने के बजाय स्वयं आगे आकर आतंकवाद से टकरा सके।

Terrorism in India essay in Hindi 1000 Words

आतंकवाद किसी एक व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इसका विष इतनी तीव्रता से फैल रहा है कि यदि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है।

शाब्दिक अर्थों में आतंकवाद का अर्थ भय अथवा डर के सिद्धान्त को मानने से है। दूसरे शब्दों में, भययुक्त वातावरण को अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु तैयार करने का सिद्धान्त आतंकवाद कहलाता है। विश्व के समस्त राष्ट्र प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं। रावण के सिर की तरह एक स्थान पर इसे खत्म किया जाता है तो दूसरी ओर एक नए सिर की भांति उभर आता है। यदि हम अपने देश का ही उदाहरण लें तो हम देखते हैं कि अथक प्रयासों के बाद हम पंजाब से आतंकवाद को समाप्त करने में सफल होते हैं तो यह जम्मू-कश्मीर, आसाम वं अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में प्रारम्भ हो जाता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को समर्थन देने की प्रथा तो निरन्तर पचास वर्षों से चली आ रही है।

हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां पर अनेक धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्रह्म समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मों के अनुयाइयों को यहां समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। वास्तविक रूप में धर्मों का मूल एक है। सभी ईश्वर पर आस्था रखते हैं तथा मानव कल्याण को प्रधानता देते हैं। सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव और मानवता का संदेश देते हैं परन्तु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते हैं। धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित कर देते हैं कि उनमें किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशित हो जाता है। उनमें ईष्र्या, बैर व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे एक दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूकते हैं।

देश में आतंकवाद के चलते पिछले पांच दशकों में 50,000 से भी अधिक परिवार प्रभावित हो चुके हैं। कितनी ही महिलाओं का सुहाग उजड़ गया है। कितने ही माता-पिता बेऔलाद हो चुके हैं तथा कितने ही भाइयों से उनकी बहनें व कितनी ही बहनें अपनी भाइयों से बिछुड़ चुकी हैं। पिछले दशक के हिंदू-सिख दंगों में कितने ही लोग जिन्दा जला दिए गए। इसी आतंकवाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी। हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व० राजीव गाँधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने। अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके। पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है। वहाँ के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है।

धरती को स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून की नदियाँ बहना आम बात हो गई है। प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय और आतंक का पर्याय बन रहा है। खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पांच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है। आतंकवाद के कारण यहाँ का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हजारों की संख्या में लोग यहाँ से पलायन कर चुके हैं। विगत वर्षों में इस आतंकवाद ने कितनी जाने ली हैं कितने सैनिक शहीद हुए हैं, इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। चूंकि यह आतंकवाद एक सुनियोजित अभियान के तहत चलाया जा रहा है, इसलिए इसकी समाप्ति इतनी सरल नहीं है।

भारत में दंगों का एक लम्बा इतिहास रहा है। हर दंगे अपने पीछे घृणा और आपसी वैमनस्य के बीज छींट कर फिर से कई नए दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। गुजरात के दंगे अब तक के भीषणतम दंगे कहे जा सकते हैं। निर्दोष कार सेवकों को जलाने की घटना से शुरू हुए ये दंगे हजारों के लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं थे मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राजनीतिक दलों और मीडिया ने इस घटना में आग में घी डालने जैसी हरकतें कीं। यह पहली घटना नहीं है कि जब भी दो समुदायों के बीच झड़पें, विवाद और दंगे होते हैं, सत्ताधारी व विपक्ष इससे अपने-अपने लाभ की बात सोचते हैं जिसे भारतीय राजनीति का एक विकृत स्वरूप कहा जा सकता है।

कुछ राजनीतिक दलों की मान्यता है कि यदि अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा का भय बना रहे तो उनकी सुरक्षा की दुहाई देकर उनके वोट हासिल किए जा सकते हैं। ये दल जब सत्ता में आते हैं तब अल्पसंख्यकों के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाकर अपना हितसाधन करते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुसलमानों में गरीबी और अशिक्षा अधिक मात्रा में व्याप्त है जिसकी तरफ किसी नेता का ध्यान नहीं जाता। अशिक्षा भी आतंकवाद का एक मुख्य कारण है।

आतंकवाद के चलते खलनायकों को नायक के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल निरीह लोग ही इसकी गिरफ्त में आते हैं। आतंकवाद ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी नहीं बख्शा जिसके फलस्वरूप हजारों लोग मौत के मुँह में समा गए तथा उसे अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है। उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

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hindi essay on terrorism

आतंकवाद पर निबंध | Essay on Terrorism in Hindi

by Meenu Saini | Nov 25, 2023 | Hindi | 0 comments

आतंकवाद पर निबंध

Hindi Essay and Paragraph Writing – Terrorism  (आतंकवाद) for classes 1 to 12

आतंकवाद पर निबंध – इस लेख में हम आतंकवाद क्या है, आतंकवाद का मतलब क्या होता है, आतंकवाद के प्रभाव क्या हैं? के बारे में जानेंगे। आतंकवाद एक वैश्विक घटना है जिसके कारण दुनिया भर के देश प्रभावित होते हैं। आतंकवाद की जटिलता के कारण इसमें धार्मिक अतिवाद, राजनीतिक उत्पीड़न और आर्थिक असमानता शामिल हो सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में आतंकवाद पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में आतंकवाद पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • जल संरक्षण पर 10 लाइन  10 lines
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

आतंकवाद पर 10 लाइन 10 lines on Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका या भयावह रूप है।
  • लोगों का समूह या संगठन जो आतंकवाद का समर्थन करते है उन्हें आतंकवादी कहा जाता है।
  • अपने उद्देश्य के पूर्ति हेतु आतंकवादी हिंसा का सहारा लेते हैं।
  • आतंकवादी बमबारी, गोलीबारी और अपहरण जैसे विभिन्न माध्यमों से हिंसा का प्रदर्शन करते हैं।
  • आतंकवादी कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी विरुद्ध हमले कर देते हैं।
  • आतंकवादी अपना डर फैलाने के लिए हमेशा निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते है।
  • आतंकवादी अपने विचार और लक्ष्य के बारे में लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लेते है।
  • आतंकवादी हमले का असर देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ता है।
  • आतंकवाद के कुछ उदाहरणों में अमेरिका का 9/11 और भारत का 26/11 हमला है।
  • आतंकवाद एक देश की समस्या नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।

  Top  

Short Essay on Terrorism in Hindi आतंकवाद पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

आतंकवाद पर निबंध – आतंकवाद अपनी जटिल और बहुआयामी प्रकृति के कारण वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है। आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य एक देश की सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए बमबारी, अपहरण और गोलीबारी जैसे विभिन्न माध्यमों से निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा कर सबके मन में डर और भय पैदा करना है। 

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका है जिसमें व्यक्ति या समूह भय पैदा करने के लिए निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके हिंसा से देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि आतंकवादी राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं, लेकिन उनके कार्य हमेशा बहुत बुरे होते हैं। आतंकवादी बमबारी, अपहरण और गोलीबारी सहित विभिन्न माध्यमों से हिंसा का करते हैं, जिससे अक्सर निर्दोष लोगों की जान चली जाती है। इसलिए आतंकवाद से लड़ने और दुनिया में शांति, प्यार और अपनापन को बढ़ावा देने के लिए सरकार और व्यक्तियों को साथ मिलकर काम करना चाहिए।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

आतंकवाद हिंसा का एक गंभीर और भयावह रूप है जिसका उद्देश्य लोगों में डर और भय पैदा करना है। ये कृत्य आम तौर पर नागरिक आबादी को टारगेट करते हैं, जिनका उद्देश्य निर्दोष लोगों की जान लेना और समाज को अस्थिर करना है। आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तरीके बहुत भिन्न हो सकते हैं, जिनमें बमबारी, अपहरण और गोलीबारी से लेकर साइबर हमले तक शामिल हैं। वे अक्सर हवाई अड्डों, शॉपिंग मॉल या यहां तक ​​कि स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों को निशाना बनाते हैं, जहां वे हताहतों की संख्या और प्रभाव को अधिकतम दर पर फैला सके। उनका हिंसा इतना क्रूर होता है कि बच्चे, बूढ़े को भी मारने से बिल्कुल नहीं हिचकिचाते है। हिंसा के इस रूप का देश पर बहुत प्रभाव पड़ता है। लोग डर से घर से भी निकल नहीं पाते है, भय में जीते है। अत: आतंकवाद से निपटने के लिए सभी राष्ट्रों को आपस में मिलकर इसपर काम करना चाहिए।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा है जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। यह राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक उद्देश्यों के लिए भय पैदा करने और नागरिकों को डराने के इरादे से व्यक्तियों या संगठनों द्वारा किए गए हिंसक कृत्यों को संदर्भित करता है। इन कृत्यों में आम तौर पर जनता के बीच आतंक पैदा करने और व्यापक दहशत पैदा करने के उद्देश्य से बमबारी, गोलीबारी या अपहरण जैसी हिंसा का उपयोग शामिल होता है। आतंकवाद के पीछे के उद्देश्य अलग-अलग हो सकते हैं, जिनमें स्वतंत्रता या राजनीतिक परिवर्तन की मांग से लेकर धार्मिक अतिवाद तक शामिल हैं। हालाँकि, आतंकवाद किसी एक धर्म या देश से संबंधित नहीं है। यह एक जटिल समस्या है जो दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करती है। आतंकवाद के परिणाम विनाशकारी हैं, क्योंकि यह निर्दोष लोगों की जान लेता है, संपत्ति का विनाश करता है और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित करता है। इसके अतिरिक्त, आतंकवाद भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर सकता है, जिससे आर्थिक स्थिरता में कमी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्ते हो सकते हैं। अत: दुनिया भर में सरकारें और खुफिया एजेंसियां ​​संभावित खतरों की पहचान करने के लिए जानकारी इकट्ठा करके और उसका विश्लेषण करके ऐसे हमलों को रोकने के लिए अथक प्रयास करती हैं।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है जो दुनिया भर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। यह एक जटिल और बहुआयामी घटना है जो राष्ट्रीय सीमाओं, धार्मिक मान्यताओं और राजनीतिक विचारधाराओं से परे है। हालांकि एक व्यापक परिभाषा प्रदान करना चुनौतीपूर्ण है, आतंकवाद को मोटे तौर पर हिंसा के जानबूझकर उपयोग के रूप में समझा जा सकता है, जो अक्सर भय पैदा करने, राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने या व्यापक व्यवधान पैदा करने के उद्देश्य से नागरिकों को टारगेट करता है। आतंकवाद का सबसे दुखद पहलू इसकी अंधाधुंध प्रकृति है। इसके हमले कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी विरुद्ध हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका के 9/11 और भारत के 26/11 हमलों में आतंकवाद के विनाशकारी परिणाम देखे गए हैं।आतंकवाद के पीछे की प्रेरणाएँ विविध और जटिल हैं, और वे अक्सर एक समूह या व्यक्ति से दूसरे समूह में भिन्न होती हैं। कुछ आतंकवादियों का लक्ष्य सरकार को अस्थिर करने या मौजूदा शासन को उखाड़ फेंकने के लिए हिंसा और धमकी का उपयोग करके राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना है। अन्य लोग अपने कार्यों को उचित ठहराने के लिए धार्मिक विचारधाराओं का उपयोग करते हैं, धार्मिक सिद्धांत की अपनी व्याख्या थोपने या इस्लामी खिलाफत स्थापित करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारक भी आतंकवाद को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं, क्योंकि हाशिए पर रहने वाले और अशक्त व्यक्ति न्याय पाने या अपनी शिकायतों का समाधान करने के लिए उग्रवाद का सहारा लेते हैं। अंतः, आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके लिए वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करके, खुफिया जानकारी साझा करने में वृद्धि करके और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के माध्यम से आतंकवाद के कृत्यों को रोका जा सकता है, क्योंकि इस विश्वव्यापी खतरे के खिलाफ एकजुट होना और उन सिद्धांतों की रक्षा के लिए सतर्क रहना जरूरी है जिन्हें आतंकवादी कमजोर करना चाहते हैं।   Top  

Hindi Essay Writing Topic – आतंकवाद (Terrorism)

आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। आतंकवाद एक कैंसर की तरह है जिस देश में पैदा होता है, उसी देश के लिए खतरनाक होता है। यही कारण है कि आज पाकिस्तान में आधे से ज्यादा हमले आतंकी हमले होते हैं। 

आतंकवाद कोई आज की नई समस्या नहीं है, यह तो बहुत समय से इस दुनिया में उपस्थित रही है। 

इस लेख में हम आतंकवाद की समस्या, प्रभाव, कारण, प्रकार, आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम, आतंकवाद पर भारत का रुख और भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु प्रावधान की जानकारी प्राप्त करेंगे। 

आतंकवाद की परिभाषा और प्रकार

भारत में आतंकवाद के कारण, भारत में आतंकवाद के प्रभाव, आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम, आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा उठाए गए कदम, भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु प्रावधान.

भारत क्षेत्रफल में दुनिया का सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है

भारत में 2,000 से अधिक जातीय समूह रहते है, 22 मान्यता प्राप्त बोलियां हैं और नौ मान्यता प्राप्त धर्मों का पालन करती है।

इस प्रकार, यह विभाजनों के साथ व्यापक है और संघर्ष स्वाभाविक रूप से अनुसरण करता है। 

यह आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष दस में से एक है। सिडनी स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत आतंकवाद से सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश है।

यह न केवल धार्मिक उग्रवाद का सामना कर रहा है, बल्कि यह गरीबी, शहरी-ग्रामीण विभाजन, आदिवासी झगड़ों और जातीय राष्ट्रवाद से भी घिरा हुआ है, ये सभी राष्ट्र के भीतर आतंकवाद की समस्या को जन्म देते हैं। 

भारत बहुत समय से आतंकवाद के खात्मे की योजना कर रहा है, इसी कड़ी में भारत पहली बार अक्टूबर में दिल्ली और मुंबई में आतंकवाद पर एक विशेष बैठक के लिए चीन, रूस और अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सभी 15 देशों के राजनयिकों और अधिकारियों की मेजबानी करेगा।  

आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है। 

भारत वर्तमान में कई पश्चिमी देशों की तरह, 1988 में श्मिड और जोंगमैन द्वारा प्रस्तावित आतंकवाद की परिभाषा का उपयोग करता है।

 “ आतंकवाद बार-बार हिंसक कार्रवाई की एक चिंताजनक-प्रेरक विधि है, जिसे (अर्ध-) गुप्त व्यक्ति, समूह या राज्य के बड़े बड़े समूहों द्वारा मूर्खतापूर्ण, आपराधिक, राजनीतिक कारणों से नियोजित किया जाता है, हालांकि इसका प्रत्यक्ष लक्ष्य हिंसा नहीं होती है। कई बार यह बस डराने या धमकाने के लिए किया जाता है”। ~ श्मिड और जोंगमैन

आतंकवाद के प्रकार

द्वितीय प्रशासनिक सुधार की आठवीं रिपोर्ट के अनुसार आतंकवाद को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है: 

1. जातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद

इस प्रकार का आतंकवाद जातीय-राष्ट्रवादी और अलगाववादी लक्ष्यों से प्रेरित है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग के दौरान इसे वैश्विक प्रमुखता प्राप्त हुई जब तक कि धार्मिक आतंकवाद ने केंद्र स्तर प्राप्त नहीं किया।

इस तरह का आतंकवाद या तो एक अलग राज्य के निर्माण के लिए या एक जातीय समूह की स्थिति को दूसरों पर ऊंचा करने पर बहुत जोर देता है।

श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल ईलम और उत्तर पूर्व भारत में विद्रोही समूह इस प्रकार के आतंकवाद के कुछ उदाहरण हैं। 

2. धार्मिक आतंकवाद

वर्तमान में, अधिकांश आतंकवादी गतिविधियाँ धार्मिक विचारों से प्रेरित हैं। इस प्रकार के आतंकवाद के अभ्यासी हिंसा के कार्य को या तो दैवीय कर्तव्य या एक पवित्र कार्य मानते हैं। यह अक्सर हिंसा के चरम कृत्यों को गले लगाता है और उचित ठहराता है, जिससे यह प्रकृति में कहीं अधिक विनाशकारी हो जाता है।

इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) और अल-कायदा इस प्रकार के आतंकवाद के कुछ उदाहरण हैं। 

3. विचारधारा उन्मुख आतंकवाद

इस प्रकार का आतंकवाद हिंसा और आतंक के कृत्यों का समर्थन करने के लिए विचारधारा का उपयोग करता है।

इसे दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है;

  • वामपंथी आतंकवाद: इसमें वामपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने के लिए ज्यादातर किसान वर्ग द्वारा शासक अभिजात वर्ग के खिलाफ हिंसा शामिल है। ये विचारधाराएँ ज्यादातर मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, माओ त्से-तुंग, आदि जैसे विचारकों के विचारों पर आधारित हैं। वामपंथी विचारधाराओं का मानना ​​​​है कि पूंजीवादी समाज में सभी मौजूदा सामाजिक संबंध और राज्य संरचनाएं शोषक हैं और हिंसा के माध्यम से एक क्रांतिकारी परिवर्तन आवश्यक है। इस प्रकार के आतंकवाद के उदाहरणों में भारत और नेपाल में माओवादी समूह, इटली में रेड ब्रिगेड आदि शामिल हैं।
  • दक्षिणपंथी समूह: इसमें अक्सर यथास्थिति बनाए रखने या किसी पिछली स्थिति में लौटने का लक्ष्य रखते हैं जो उन्हें लगता है कि उन्हें संरक्षित करना चाहिए। कभी-कभी वे जातीय/जातिवादी/धार्मिक चरित्र का भी समर्थन करते हैं। वे सरकार को पड़ोसी देश में “उत्पीड़ित” अल्पसंख्यक के अधिकारों की रक्षा के लिए क्षेत्र का अधिग्रहण करने या हस्तक्षेप करने के लिए भी मजबूर कर सकते हैं। प्रवासियों के खिलाफ हिंसा भी इसी श्रेणी में आती है। इस प्रकार के उदाहरणों में नाज़ीवाद, फ़ासीवाद, अमेरिका में श्वेत वर्चस्व आंदोलन।   

4. राज्य द्वारा समर्थित आतंकवाद

इसको छद्म द्वारा युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, राज्य प्रायोजित आतंकवाद उतना ही पुराना है जितना कि सैन्य संघर्ष का इतिहास। पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद के कारण भारत आजादी के बाद से इसी तरह के आतंकवाद का सामना कर रहा है।

1960 और 1970 के बीच अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इसे प्रमुखता मिली है।

वर्तमान में, कुछ देशों ने आतंकवाद को विदेश नीति के एक जानबूझकर साधन के रूप में अपनाया है। एक अंतर जो इस प्रकार के आतंकवाद को दूसरों से अलग करता है वह यह है कि यह मीडिया का ध्यान खींचने या विशिष्ट दर्शकों को लक्षित करने के बजाय परिभाषित विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

5. नार्को-आतंकवाद

यह या तो “आतंकवाद के प्रकार” या “आतंकवाद के साधन” की श्रेणी में आ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे परिभाषित किया गया है।  हालांकि इस शब्द का इस्तेमाल शुरू में दक्षिण अमेरिका में मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित आतंकवाद का वर्णन करने के लिए किया गया था, अब यह दुनिया भर में आतंकवादी समूहों और गतिविधियों से जुड़ा हुआ है और मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी ऐसा ही है।

कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस इसे “नशीले पदार्थों के तस्करों द्वारा सरकार की नीतियों को व्यवस्थित धमकी या हिंसा के उपयोग से प्रभावित करने के प्रयास” के रूप में परिभाषित करती है।

हालाँकि, इसका उपयोग आतंकवाद के साधन के रूप में या किसी भी दर पर आतंकवाद के वित्तपोषण के साधन के रूप में वर्णित करने के लिए भी किया जा सकता है।

यह दो अवैध गतिविधियों – मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी को जोड़ती है।

यह मुख्य रूप से आर्थिक कारणों से प्रेरित है क्योंकि यह उन्हें अन्य आतंकवादी गतिविधियों को निधि देने में मदद करता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, मादक पदार्थों के तस्करों और आतंकवादी समूहों के बीच संबंध 38 में से 19 देशों में देखे गए। 

इन देशों में अल्जीरिया, कोलंबिया, कोमोरोस, इक्वाडोर, जर्मनी, ग्वेर्नसे, भारत, जापान, केन्या, किर्गिस्तान, लिथुआनिया, मॉरीशस, सऊदी अरब, तुर्की, यूके, यूएसए, उज्बेकिस्तान और यमन शामिल हैं।

इस गतिविधि में शामिल प्रमुख आतंकवादी समूहों में तुर्की में अल कायदा, पीकेके (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी), लेबनान में हिजबुल्लाह, भारत में इस्लामी आतंकवादी समूह आदि शामिल हैं। 

भारत में व्यापक रूप से फैले आतंकवाद के निम्न कारण हैं;

भारत एक धर्म भूमि है। देश में विभिन्न धर्मों के लोग बड़े पैमाने पर शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं, जबकि कई धार्मिक चरमपंथी संगठन हैं जो उनके बीच दरार पैदा करना चाहते हैं।  

ये समूह अपने धर्म की शिक्षाओं का झूठा दावा करते हैं और यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनका धर्म दूसरों के धर्म से श्रेष्ठ है। अतीत में इन समूहों द्वारा कई हिंसक आंदोलनों ने देश की शांति और सद्भाव को भंग कर दिया है और इस प्रकोप के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

2. जातीय-राष्ट्रवादी

इस प्रकार का आतंकवाद हमेशा चरमपंथी समूहों द्वारा भड़काया जाता है।  जब किसी राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खुद को अलग करने और अपना राज्य / देश बनाने की इच्छा व्यक्त करता है, तो यह आतंकवाद को बढ़ावा देता है। 

कश्मीर जैसा खूबसूरत भारतीय राज्य भी इस तरह के आतंकवाद से पीड़ित है क्योंकि कुछ कश्मीरी इस्लामिक समूह कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते हैं। इसी तरह, नागालैंड, त्रिपुरा, असम और तमिलनाडु भी इस प्रकार के आतंकवाद से पीड़ित हैं। 

सरकार और देश की राजनीतिक व्यवस्था से असंतुष्ट लोग एक आतंकवादी समूह का गठन करते हैं। भारत में वामपंथी चरमपंथियों को नक्सलवाद के नाम से जाना जाता है। 

अतीत में नक्सली देश की राजनीतिक व्यवस्था से निराश होकर कई आतंकी हमले कर चुके हैं। 

उन्होंने सशस्त्र विद्रोह से सरकार को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य रखा है, ताकि वे अपनी शक्ति का निर्माण कर सकें। 

4. सामाजिक-आर्थिक असमानता

भारत अपनी सामाजिक-आर्थिक असमानता के लिए जाना जाता है।  जहां अमीर और अमीर, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। इससे गरीब वर्ग में असमानता की भावना पैदा होती है।  जिसके कारण वे उच्च वर्ग के लोगों को तबाह करने के लिए आतंकवादी संगठनों में शामिल हो जाते हैं। वे ज्यादातर सत्ता के लोगों और उच्च वर्ग के क्षेत्रों को निशाना बनाकर आतंकवादी हमले करते हैं। 

आतंकवाद का देश पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। चलिए देखते हैं कि भारत में आतंकवाद का क्या प्रभाव पड़ा है। 

लोगों में दहशत

भारत में आतंकवाद ने आम जनता के बीच आतंक पैदा कर दिया है।  देश में हर समय कोई विस्फोट, फायरिंग या अन्य प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां होती रहती हैं।  इससे कई लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है और कई लोगों को अपना शेष जीवन विकलांगों के रूप में बिताना पड़ता है। 

इन हमलों के कारण आम जनता में तनाव और चिंता और भय का माहौल है और लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगते हैं। 

प्रभावित देश का पर्यटन विकास में बाधा आती है

लोग आतंकवादी हमलों की आशंका वाली जगहों पर जाने से डरते हैं।  बाहरी और आंतरिक आतंकवादी संगठनों की आतंकवादी गतिविधियों से भारत का पर्यटन उद्योग और शांति व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।  आतंकी गतिविधियों के कारण पर्यटन उद्योग कई महीनों से ठप है। 

विदेशी निवेश

विदेशी निवेशक भारत और अन्य आतंकवाद-प्रवण देशों में निवेश करने से पहले कई बार सोचते हैं, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोखिम अधिक होता है और वे सुरक्षित विकल्पों की तलाश में रहते हैं। 

जिससे भारतीय कारोबारियों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

अर्थव्यवस्था पर संकट

भारत की अर्थव्यवस्था पर आतंकवाद का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  कई भारतीय प्रमुख शहर आतंकवादी हमलों से प्रभावित हुए हैं, जिससे संपत्ति और व्यवसायों को नुकसान हुआ है, जबकि ऐसे मामलों में पुनरुत्थान की लागत बहुत अधिक है। 

देश की संपत्ति, जिसका उपयोग उत्पादक कार्यों में किया जा सकता है, को आतंकवादी हमलों से होने वाले नुकसान की भरपाई में निवेश किया जाता है। 

इसके अलावा, पर्यटन उद्योग में गिरावट, भारत में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों की कमी और भारत में आतंकवाद के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दरों में वृद्धि का देश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 

मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव

भारत में कई प्रतिभाशाली युवा देश की निम्न गुणवत्ता और आतंकवादी हमलों की अनिश्चितताओं के कारण देश में नहीं रहना चाहते हैं। 

वे संयुक्त राष्ट्र, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों में प्रवास करते हैं, जो आतंकवादी हमलों से कम प्रभावित होते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। 

इस कारण आतंकवादी गतिविधियों के कारण भारत के नवयुवाओ के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव में वृद्धि हुई है। 

आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक मंच ने निम्नलिखित कदम उठाएं हैं। 

संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति

यह चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है:

  • उन परिस्थितियों से निपटना जो आतंकवाद के प्रसार की ओर ले जाती हैं।
  • आतंकवाद को रोकने और उससे निपटने के लिए राज्यों की क्षमताओं में वृद्धि करना।
  • सभी के लिए मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना।
  • आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कानून के शासन की गारंटी।

ग्लोबल काउंटर टेररिज्म फोरम (जीसीटीएफ)

यह 29 देशों और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक, एक-राजनीतिक, बहुपक्षीय आतंकवाद (सीटी) मंच है, यह 2011 में शुरू किया गया था। 

वर्तमान में, इसकी सह-अध्यक्षता मोरक्को और नीदरलैंड द्वारा की जाती है। 

भारत जीसीटीएफ का संस्थापक सदस्य है। 

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी)

यह भारत द्वारा 1996 में प्रस्तावित किया गया था लेकिन अभी भी विश्व के देशों में विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और इस्लामी देशों के संगठन के बीच कोई आम सहमति नहीं है।

काउंटर-टेररिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स (CTITF)

काउंटर-टेररिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स का जनादेश आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों के समन्वय और सुसंगतता को बढ़ाना है।

आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के तहत UN काउंटर-टेररिज्म सेंटर (UNCCT), आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को लागू करने में सदस्य राज्यों का समर्थन करता है।

ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (टीपीबी) अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह अनुरोध पर सदस्य राज्यों की सहायता के लिए, अनुसमर्थन, विधायी समावेश और आतंकवाद के खिलाफ सार्वभौमिक कानूनी ढांचे के कार्यान्वयन के साथ काम करता है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जो एक वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण प्रहरी है, अंतरराष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है जिसका उद्देश्य इन अवैध गतिविधियों और समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है। 

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निम्नलिखित कदम उठाए हैं। 

  • भारत ने कई देशों के साथ मिलकर आतंकवाद/सुरक्षा मामलों पर संयुक्त कार्य समूहों (जेडब्ल्यूजी) की स्थापना के लिए कई कदम उठाए हैं। 
  • अन्य देशों के साथ आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता (एमएलएटी) पर द्विपक्षीय संधियों पर हस्ताक्षर किए गए हैं ताकि जांच, सबूतों का संग्रह, गवाहों का स्थानांतरण, स्थान और अपराध की आय के खिलाफ कार्रवाई आदि की सुविधा मिल सके। 
  • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली: यह अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद आदि जैसे सीमा पार अपराधों का पता लगाने और नियंत्रित करने में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की क्षमता में काफी सुधार करती है।  
  • आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति : भारत जीरो टॉलरेंस के खिलाफ आतंकवाद का आह्वान करता है और इसे रोकने के लिए एक साझा रणनीति विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी): 1984 में इसकी स्थापना हुई। बता दे कि इसकी स्थापना “ राज्यों की आंतरिक सुरक्षा के लिए आतंकवादी गतिविधियों से निपटने” के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड उन राज्यों में सक्रिय होते हैं जहां पर आतंकवादी गतिविधियों से निपटने हेतु वहां की पुलिस और सुरक्षा बल पर्याप्त नहीं होती है। 

भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु निम्न प्रावधान हैं। 

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2019

यह कानून 2019 में संसद में पारित किया गया था। 

संशोधित अधिनियम केंद्र को व्यक्तियों/संगठनों को आतंकवादी घोषित करने की शक्ति देता है यदि वह आतंकवाद करता/भागता है, तैयारी करता है, बढ़ावा देता है या इसमें शामिल है। 

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958

यह अधिनियम “कानून और व्यवस्था को बाधित करने के लिए कार्य करने वाले” व्यक्ति के खिलाफ आवश्यक किसी भी प्रकार के बल के उपयोग की अनुमति देता है। यह तभी लागू होता है जब सुरक्षा कर्मियों द्वारा चेतावनी दी जाती है।

आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम

आम तौर पर टाडा के रूप में जाना जाता है, आतंकवाद विरोधी कानून 1985 और 1995 के बीच पंजाब विद्रोह के रूप में प्रभावी था और पूरे भारत में लागू था। 

यह 23 मई 1985 को प्रभावी हुआ। 

1989, 1991 और 1993 में, उत्पीड़न के व्यापक आरोपों के बाद बढ़ती अलोकप्रियता के कारण 1995 में समाप्त होने की अनुमति देने से पहले इसे नवीनीकृत किया गया था। 

आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा)

आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा) आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुधार के लिए 2002 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम था। 

अधिनियम भारत में कई आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप विशेष रूप से संसद पर हमले के जवाब में अधिनियमित किया गया था। 2001 के आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (POTA) और आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम को अधिनियम द्वारा हटा दिया गया है। 

इस अधिनियम को सरकार द्वारा 2004 में निरस्त कर दिया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और अवैध गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 वर्तमान में भारत में आतंकवाद को विनियमित करने के लिए प्रभावी कानून हैं। 

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम एक सख्त कानून है जो महीनों तक निवारक निरोध प्रदान करता है यदि अधिकारियों को यह विश्वास हो जाता है कि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा है। 

आतंकवाद केवल एक हिंसक गतिविधि नहीं है बल्कि यह देश और समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और रक्षा ताने-बाने पर हमला करता है और देश के सतत विकास में बाधा डालता है। 

आतंकवाद किसी भी रूप में समाज और राष्ट्र के लिए घातक है, लेकिन गलत धार्मिक अवधारणाओं पर आधारित आतंकवाद पर विश्व सर्वसम्मति का अभाव आतंक के खिलाफ मार्ग में सबसे बड़ा अवरोधक है इसलिए, सभी देशों को सामाजिक आर्थिक अन्याय, शरणार्थी संकट, विश्व स्तर पर मानवाधिकारों के हनन जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहिए और इसे समाप्त करने के लिए सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ एकमत से खड़ा होना चाहिए। 

भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) को स्वीकार करना और उसकी पुष्टि करना अच्छा पहला कदम होगा।

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Nibandh

आतंकवाद पर निबंध

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रुपरेखा : आतंकवाद - राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या - आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य - भारत एक विकसित देश - भारत में आतंकवादी हमला - आतंकवाद एक बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा - आतंकवाद एक हिंसात्मक कुकृत्य - भारत में ढ़ेर सारी चुनौतियां - आतंकवाद का कोई नियम कानून नहीं - उपसंहार।

आतंकवाद हिंसा का एक ऐसा गैर कानूनी तरीका है जो लोगों को डराने के लिए आतंकवादियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आज, आतंकवाद एक सामाजिक मुद्दा बन चुका है। आज इसका इस्तेमाल आम लोगों और सरकार को डराने-धमकाने के लिए हो रहा है। बहुत आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तथा अपनी बात मनवाने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिज्ञ और व्यापारिक उद्योगों के द्वारा आतंकवाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों का समूह जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं उन्हें आतंकवादी कहते हैं। आतंकवाद को परिभाषित करना आसान नहीं है क्योंकि उन्होंने अपनी जड़ें बहुत गहराई तक जमायी हुई है। आतंकवादियों के पास कोई नियम और कानून नहीं होती है। यह लोग समाज और देश में आतंक के स्तर को बढ़ाने और उत्पन्न करने के लिए केवल हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते हैं।

भारत देश ही नहीं पूरे विश्व के लिए आतंकवाद एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुका है। ये एक वैश्विक समस्या है जिसने लगभग सभी राष्ट्रों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से प्रभावित किया हुआ है। हालाँकि बहुत से देशों द्वारा आतंकवाद का सामना करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कुछ लोगों के द्वारा इसे आज भी समर्थन दिया जा रहा है। आम लोगों को किसी भी समय ख़ौफनाक तरीके से डराने का एक हिंसात्मक कुकृत्य है ये आतंकवाद। आतंकवादियों के बहुत सारे उद्देश्य होते हैं जैसे कि समाज में हिंसा के डर को फैलाना, राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति, कोई शहर को तबाह करना, आदि। इनके निशाने पर हर वक्‍त देश का आम नागरिक, नेता, बड़े हस्तियां होते है।

अपनी देश की सरकार से अपनी माँगे को पूरा करवाना ही आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य होता है। लोगों और सरकार तक अपनी आवाज को पहुँचाने के लिए वो किसी को अगवाह कर लेना, ऑनलाइन सोशल मीडिया, समाचारपत्र या पत्रिकाओं से संपर्क करते हैं। कई बार आतंकवादी हमले अपने वैचारिक और धार्मिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भी की जाती है।

भारत एक विकसित देश है जिसने पूर्व और वर्तमान में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है, आतंकवाद उनमें से एक बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। भारत ने भूखमरी से होने वाली मृत्यु, अशिक्षा, गरीबी, असमानता, जनसंख्या विस्फोट और आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना किया है जिसने इसकी विकास और वृद्धि को बुरी तरह प्रभावित किया है। आतंकवादियों का कोई धर्म, जाति नहीं होता, देश को तबाह करना ही उनका लक्ष्य होता है। धर्म, मातृभूमि और दूसरे गैर-तार्किक भावनाओं के उद्देश्यों के लिए आम लोगों और सरकार से लड़ रहा आतंकवाद एक बड़ा खतरा है। आतंकवादी अपने आप को एक बहादुर सैनिक बताते हैं हालाँकि, वो वास्तविक में सैनिक नहीं अपराधी होते हैं। सच्चे सैनिक कभी-भी आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और वो केवल दुश्मनों से अपने देश को बचाने के लिए ही लड़ते हैं। वास्तव में असली सैनिक वो होते हैं जो राष्ट्रहित के लिए लड़ते हैं।

एक राष्ट्र सैनिक अपनी सभी जिम्मेदारियों को समझता है जबकि एक आतंकवादी कभी-भी ऐसा नहीं करता। आतंकवादियों को उनका नाम आतंक शब्द से मिला है। वह जहाँ जाते अपने आतंक से पुरे शहर को तबाह कर देश की विकास को रोक देते है। पूर्व में, आतंकवाद केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था जैसे जम्मू- कश्मीर हालाँकि; आज के दिनों में, ये लगभग सभी क्षेत्रों में फेल चुका है खासतौर से भारत के उत्तरपूर्वी इलाकों में। हाल ही में, भारत में आतंकवादी हमला मुंबई के नरीमन हाउस और ताज होटल में हुआ था। जिसमे कई लोगों ने अपनी जान गवाई थी। यहाँ तक की भारत की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया था।

आतंकवाद एक बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है जो देश में आतंक मचाने के लिए मानव दिमाग का इस्तेमाल कर रहा है। लोगों को कमजोर बनाने के लिए उन्हें डरा रहा है जिससे वो राष्ट्र पर राज कर सकें। इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुलझाने की बहुत आवश्यक है। हमें इसे जड़ से खत्म करने के बारे में सोचना होगा तथा कड़ा कदम उठाना होगा। मानव मस्तिष्क से असाधारण आतंक को हटाने के साथ ही इसके साम्राज्य को पूरी तरह से ख़तम करने के लिए हमें एक मजबूत नीति बनानी चाहिये। आतंकवाद अपने सकारात्मक परिणामों को पाने के लिए हिसांत्मक तरीका अपनाता है जिससे राष्ट्र को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ता है। आतंकवाद एक हिंसात्मक कुकृत्य है जिसको अंजाम देने वाले समूह को आतंकवादी कहते हैं। वो बहुत साधारण लोग होते हैं और दूसरों के द्वारा उनके साथ घटित हुये कुछ गलत घटनाओं या कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण वो किसी तरह अपने दिमाग पर से अपना नियंत्रण खो देते हैं जो उनकी इच्छाओं को सामान्य या स्वीकृत तरीके से पूरा करने में अक्षम बना देता है। धीरे-धीरे वो समाज के कुछ बुरे लोगों के प्रभाव में आ जाते हैं जहाँ उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करने का वादा किया जाता है। वो सभी एक साथ मिलते हैं और एक आतंकवादी समूह बनाते हैं जो कि अपने ही राष्ट्र समाज और समुदाय से लड़ता है। आतंकवाद, देश के सभी युवाओं के विकास और वृद्धि को प्रभावित करता है। ये राष्ट्र को उचित विकास से कई वर्ष पीछे ढकेल देता है। आतंकवाद देश पर अंग्रेजों की तरह राज कर रहा है, जिससे हमें फिर से आजाद होने की जरुरत है। हालाँकि, ऐसा प्रतीत होता है कि आतंकवाद हमेशा अपने जड़ को गहराई से फैलाता रहेगा क्योंकि अपने अनैतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्र के कुछ अमीर तथा बड़े लोग अभी-भी इसको समर्थन दे रहें हैं।

भारत ढ़ेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा है जैसे गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, निरक्षरता, असमानता आदि। फिर भी आतंकवाद इन सबसे ज्यादा खतरनाक है जो पूरी मानव जाति को प्रभावित कर रहा है। ये बहुत ही डरावनी बीमारी है जो लोगों को मानसिक और बौद्धिक स्तर पर प्रभावित कर रही है। चाहे छोटा देश हो या बड़ा देश ये दोनों ही जगह चुनौती के रुप में तथा आतंक फैलाने के मकसत से तैयार बैठे है। अपने कुछ राजनीतिक, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आतंकवादी अर्थात्‌ परेशान लोगों के समूह के द्वारा हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग आतंकवाद है।

आतंकवाद का कोई नियम कानून नहीं होता वो केवल अपनी माँगों को पूरा करने के लिए सरकार के ऊपर दबाव बनाने के साथ ही आतंक को हर जगह फैलाने के लिए निर्दोष लोगों के समूह या समाज पर हमला करते हैं। ये मानव जाति के लिए एक बड़ा खतरा है। वो कभी-भी अपने दोस्त, परिवार, बच्चे, महिला या बूढ़े लोगों के लिए समझौता नहीं करते हैं। वो केवल लोगों को हानि पहुंचना चाहते हैं। उनका काम लोगों पर गोलियाँ चलना, विमानों का अपहरण करना, और दूसरी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना हैं।

कम से कम समय में अपने मुख्य क्षेत्रों या देशों में आतंक फैलाने के लिए आतंकवादी लक्ष्य बनाते हैं। पूर्व में, ऐसा माना जाता है कि आतंकवादी गतिविधियाँ केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित थी लेकिन अब ये अपनी जड़ें देश के दूसरे क्षेत्रों में भी फैला रहा है। आज देश में अलग-अलग नामों के साथ कई सारे आतंकवादी समूह सक्रिय हैं। अपने कार्य के अनुसार राजनीतिक और आपराधिक आतंकवाद के दो मुख्य प्रकार हैं। कुछ खास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित लोगों का समूह है ये आतंकवाद। विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक से ज्यादा आतंकी समूह प्रशिक्षित किये जाते हैं। ये एक बीमारी की तरह है जो नियमित तौर पर फैल रही है और इससे जल्द से जल्द रोकने की जरुरत हैं।

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आतंकवाद पर निबंध – Essay on terrorism in Hindi

आतंकवाद पर निबंध (Essay on terrorism in Hindi): आतंकवाद आज दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं में से एक है. यह मानव समाज के लिए एक भयानक चुनौती है. ज्यादातर लोग अपने दैनिक जीवन में विभिन्न मीडिया के माध्यम से आतंकवाद की भयावहता से लगातार अवगत होते हैं. इस अंतरराष्ट्रीय समस्या ने आज पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. तो चलिए बिना देरी किये हमारे मुख्य लिख ओर बढ़ते हैं जो है आतंकवाद पर निबंध (Terrorism essay in Hindi).

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, सामाजिक कानून की सीमाओं के भीतर मानव जीवन के रखरखाव सहित सभी कार्य, मनुष्य केवल एक समाज के लिए करता है. सामाजिक व्यवस्था के भीतर राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र के प्रति विशेष निष्ठा मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है. मानवीय मूल्यों को विकसित करना और राष्ट्रीय विकास पर ध्यान केंद्रित करना प्रत्येक देशभक्त व्यक्ति का कर्तव्य है. लेकिन ऐसे कुछ लोग है जो देश और राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं है, आम बर्बरता ने देश और राष्ट्र के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर दी हैं. ये सब वास्तव में महान दुश्मन होते हैं. और देश की शांति में खलल डालते हैं. वे जबरदस्ती अपनी राय दूसरों पर थोपते हैं. यदि लोग नहीं सुनते हैं, तो उन्हें गोलियों, बंदूक और अन्य प्रकार की यातनाओं से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त करते है. और इसे आतंकवाद कहा जाता है. आतंकवाद का उद्देश्य घबराहट भरे तरीके से अपने विचारों को व्यक्त करना है. इस कार्यक्रम में सक्रिय रहने वालों को आतंकवादी कहा जाता है.           

आतंकवाद क्या है?

किसी विशेष उद्देश्य के लिए किसी विशिष्ट नीति या खंड के आधार पर, यदि कोई समूह किसी विरोधी पर घातक हमला, हत्या, क्रूरता और अमानवीयता का प्रदर्शन  करता है, तो उसकी गतिविधि को आतंकवादी कहा जाता है, और उसकी गतिविधियों को आतंकवाद कहा जाता है. उन्हें लगता है कि उनकी गलती एक आदर्श है. वे उस आदर्श के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं. वे एक अलग अनुशासन द्वारा शासित होते हैं. उनके पास एक विशेष प्रणाली है, वे विपक्ष के शासन और सामाजिक व्यवस्था को स्वीकार नहीं करते हैं. मरना और मारना उन सबके लिए एक आम बात है.

aatankwad par nibandh

आतंकवाद का कारण

हर इंसान की एक जैसी राय नहीं होती है. कुछ लोग पूरे राष्ट्र के प्रति वफादार हैं, कुछ लोगों को राष्ट्र में कोई दिलचस्पी नहीं है, वे विशेष रूप से खुद के लिए चिंतित हैं. कुछ लोगों को मानवीय मूल्यों से गहरी नफरत है. कुछ में निराशा, अपमान और व्यक्तिगत संकीर्णता की भावनाएँ हैं. राजनीतिक क्षेत्र में कुछ स्थानों पर अस्थिरता लगा रहता है. कुछ सत्ता की उम्मीद में असफल हो जाते हैं. कुछ सामाजिक और आर्थिक स्थिति में असंतुलन के कारण असहिष्णु और हिंसक हो जाते हैं. कुछ हिंसक लोग अपनी विफलताओं को सफल बनाने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं. इसमें शामिल अपराधी वास्तव में आत्मघाती काम करते हैं. वे दूसरों के मन में भय, आशंका आदि पैदा करने के लिए निरंतर संघर्ष करते हैं. यह संघर्ष देश या राष्ट्र की भलाई के लिए नहीं है, बल्कि देश और राष्ट्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए है, ये सब वही लोग करते हैं जो हिंसा का सहारा लेते हैं.

दुनिया में आतंकवाद का प्रसार

आतंकवाद एक जहरीला पेड़ है. दुनिया के कई हिस्सों में, इस पेड़ के पौधे लगाए गए हैं, और इसके वजह से आतंकवाद विशाल पेड़ो में बदल गया है. धार्मिक कट्टरवाद अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का एक प्रमुख कारण है. भारत के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इजरायल, यूनाइटेड किंगडम, फिलीपींस, अफगानिस्तान, श्रीलंका, इथियोपिया, और अल्जीरिया सभी आतंकवाद के शिकार हैं. श्रीलंका का सामाजिक और राजनीतिक जीवन आज जर्जर स्थिति में है. आतंकवादियों द्वारा वाशिंगटन के पेंटागन की इमारत का विनाश और न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आक्रमण बहुत ही दुखद घटना है. आतंकवाद ने आज पूरी दुनिया को आतंकित कर दिया है. संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अमीर और शक्तिशाली देशों ने ओसामा बिन लादेन का पत्ता लगाने के लिए अनकही शक्ति का निवेश किया है.

आतंकवाद ने आज धरती पर तबाही मचाकर दुनिया को चौंका दिया है. मास्को से लेकर मुंबई तक या इंडोनेशिया के बाली से लेकर अफ्रीका के बोगोटा तक, हर जगह आतंकवाद की छाया फैल गयी है. सैकड़ों लोग आतंकवाद का शिकार हुए हैं, सैकड़ों घर ध्वस्त हुए हैं, सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हुई है.

भारत में आतंकवाद

आतंकवादियों के वजह से भारत ने सबसे अधिक नुकसान उठाया है. पिछली सदी के अस्सी के दशक में आतंकवादी गतिविधियों ने देश को अभिभूत कर दिया था. पंजाब के निर्दोष किसानों से लेकर छोटे विमानों में यात्रियों को आतंकवाद का शिकार हुए हैं. एक आंतरिक आतंकवाद है और दूसरा बाहरी आतंकवाद. बोडो, उल्फा, माओवादी और नक्सली जैसे आतंकवादी देश में आंतरिक आतंकवाद के निर्माण को संरक्षण देते रहे हैं. कहा जाता है कि पाकिस्तान ने बाहरी या सीमा पार आतंकवाद में अहम भूमिका निभाई है. यह कई मामलों में परीक्षण और सिद्ध हो चुका है. भारत में अस्थिरता, अराजकता और प्रशासनिक विशृंखलता पैदा करने के उद्देश्य से, पाकिस्तान ने आतंकवाद जैसे  कुरूप और अमानवीय कार्य को अपनाया है.

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. आतंकवाद के निर्माण, प्रबंधन और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. आई.एस.आई. माध्यम से विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवादियों को दैनिक भत्ते दिए जा रहे हैं और आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. कश्मीर के आतंकवादियों को अच्छे नियंत्रण में रखने में आई. एस. आई  का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. लगभग 11,500 पाकिस्तानी घुसपैठिए भारत में रह कर आतंकवादियों से जुड़े हुए हैं. प्रशिक्षित और आधुनिक सशस्त्र आतंकवादियों को आकर्षक वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है. इस्लामिक कट्टरवाद पाकिस्तान में आतंकवाद का स्रोत है. मदरसों से कट्टरपंथी संगठनों का निर्माण हुआ है, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद को पैदा करने में मदद कर रहे हैं.

आतंकवाद के परिणाम और प्रभाव      

आतंकवाद के परिणाम बहुत ही दुखद है. यह लोकतंत्र और मानवतावाद के लिए एक गंभीर झटका है. भारत ने हमेशा आतंकवाद विरोधी सभी गतिविधियों का विरोध किया है और इससे जो नुकसान हुआ है, वह दुनिया के इतिहास में दुर्लभ है. भारत कई वर्षों तक हत्याओं, लूटपाट और हमलों जैसे अत्याचारों का शिकार रहा है. भारत ने अनगिनत जानें गंवाई हैं. आतंकवादियों ने कई मुख्य लोगों को मार डाला है, जिनमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सेवानिवृत्त सेना प्रमुख ए.एस. वैद्य, न्यायमूर्ति एन.के गंजू और कई अन्य, जिनमें जननायक, नेता मनीषी, सरकारी अधिकारी और हजारों लोग शामिल हैं. कई देशों में, आतंकवाद के कारण हर दिन निर्दोष लोग मर रहे हैं.

 विशेष रूप से, 13 दिसंबर, 2001 को, भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले ने वैश्विक लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया था. जम्मू के प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर में दो आत्मघाती विस्फोटों में 14 की मौत, 45 घायल होना और गांधीनगर के अक्षरधाम में स्वामीनारायण मंदिर में 40 श्रद्धालुओं की हत्या, आतंकवाद के अमानवीय कृत्य का एक एक उदाहरण है. बस-अपहरण, ट्रेन-बस में बम विस्फोट, बैंक डकैती, गिरफ्तारी, सैन्य ठिकानों पर हमले आदि भारत में अपार क्षति पहुँचा रहे हैं. इन सबके बावजूद, भारत संयम और धैर्य से दूर नहीं गया है.

आतंकवाद के प्रभाव दूरगामी हैं. आतंकवाद की वजह से सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन क्षय की ओर जाता है. मानव विकास बाधित होता है. देश की प्रगति और समृद्धि में सुस्ती देखी जाती है. आतंकवाद  प्रतिरोध के अभाव से जनता की नैतिक ताकत में गिरावट आती है. समाज में कानून-व्यवस्था टूट जाती है.

आतंकवाद के खिलाफ भारत की भूमिका

भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी आवाज उठाने के साथ , देश के भीतर आतंकवाद को निपटाने के लिए कई कदम उठाए हैं. भारत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्रों में से एक है और मुक्त समाजशास्त्रीय ज्ञान का अधिकारी है. इस संबंध में, भारत आतंकवाद के उन्मूलन के लिए निष्पक्ष और जिम्मेदार दृष्टिकोण के आधार पर समान विचारधारा वाले देशों के साथ आतंकवाद विरोधी संघर्ष में शामिल हो गया है. इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी आतंकवाद को मिटाने के लिए समझौते किए हैं. यह आशा की जाती है कि आतंकवादियों को पकड़ने के क्षेत्र में पारस्परिक समझौता विशेष रूप से सहायक होगा. भारत ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, हरकत-उल-जिहाद आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है. पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के प्रयास चल रहे हैं.

अगस्त 2003 में भारतीय सांसदों और पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तान भेजने के अवसर पर, प्रधान मंत्री ने उन्हें अपना संदेश भेजा कि ‘दोनों के बीच की समस्या को केवल सहयोग के माध्यम से हल किया जा सकता है, टकराव के माध्यम से नहीं ’.

अगर सीमा पार आतंकवाद पर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता विफल रहती है, तो भारत को कठोर कदम उठाने चाहिए. इसके साथ कश्मीर के लोगों के मन में यह विश्वास भी पैदा करना चाहिए कि भारत सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखने वाली है और कश्मीर के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. कश्मीर के लोगों को भी आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है.

देशवासियों को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि आतंकवाद किसी भी चीज से पैदा नहीं होता है और न ही धर्म इसे जन्म देता है; यह परिस्थितियों से पैदा हुआ है. इसलिए सरकार और जनता को सावधान रहना चाहिए ताकि आतंकवाद स्थिति पैदा न हो. यदि निरंतर गरीबी, शोषण और क्षेत्रीय असमानता को समाप्त करके हम आम जनता को तरक्की की राह दिखाई जाये तो देश से आंतरिक आतंकवाद समाप्त हो जाएगी. सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत है. भारत की रक्षा और खुफिया सेवाओं को आतंकवाद का मुकाबला करने में अधिक सक्रिय और शक्तिशाली होने की आवश्यकता है. मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, आतंकवाद के खिलाफ सामाजिक जागरूकता पैदा करना ही कानूनी है. सांप्रदायिक नफरत को देश से मिटा देना चाहिए. आखिरकार, दुनिया की नजर में पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और इस पर अंकुश लगाने के लिए भारत की समयबद्ध विदेश नीति की आवश्यकता है.

मानवतावाद का प्रवक्ता भारत, हमेशा सत्य-शांति-अहिंसा का उपासक रहा है. महाबीर, गौतमबुद्ध और महात्मा गांधी ने अहिंसा का प्रचार-प्रसार करके भारत को दुनिया से परिचित कराया था. भारत में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है; लेकिन मौजूदा स्थिति में, भारत में आतंकवाद को समाप्त करने का समय आ गया है. आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत को विश्व समुदाय के साथ काम करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र इस संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. शांति और समृद्धि के लिए आतंकवाद का उन्मूलन जरूरी है.

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ये था आतंकवाद पर निबंध (Essay on terrorism in Hindi). उम्मीद है की आतंकवाद के ऊपर लिखा गया ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो इस लेख को साझा करना न भूलें. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद.

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आतंकवाद पर निबंध

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Terrorism in Hindi)

#1. [500-600 word] आतंकवाद पर निबंध-Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या जिसने न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को अपने लपेटे में ले रखा है जब हम बात अपने भारत की करते हैं तो हम पाते हैं कि आतंकवाद से हमारा देश बुरी तरह से प्रभावित है पिछले कई वर्षो में हुए भारत में आतंकवादी हमलों ने देश में रह रहे नागरिकों को झकझोर के रख दिया वह फिर चाहे 26/11 का आतंकवादी हमला हो या दिल्ली के बम धमाके हो या पुलवामा का आतंकवादी हमला, इन हम लोगों ने कयोंकि घर बर्बाद किए हैं किसी के हाथों की कलाई सुनी हो गई तो किसी के घर का चिराग बुझ गया, जब कभी भी मैं इन बेबस लोगों की कहानी सुनती हूं तो स्वयं पर इतना गुस्सा आता है कि हम क्या इन चंद लोगों के सामने इतना बेबस हो जाते हैं तब यही ख्याल आता है कि 70 वर्ष पूर्व की गई एक गलती का परिणाम हम सबको अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार ने इस तरफ बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया धारा 370 कश्मीर से हटाकर अब कश्मीर केंद्र शासित राज्य बन गया है शायद इससे आतंकवाद को काफी हद तक रोका जा सकेगा।

यदि हम आतंकवाद पर चर्चा करें तो इसे एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है जो मेरे हिसाब से बिल्कुल गलत है मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता गीता, कुरान शरीफ, बाइबल एवं गुरु ग्रंथ साहिब जैसे महान ग्रंथ है जो सिर्फ और सिर्फ प्रेम की ही शिक्षा देते हैं इसलिए यह कहना कि किसी धर्म विशेष में इसे सही माना गया है गलत है यह धर्म के कुछ ठेकेदार हैं जो गरीब और मासूम जनता को भड़का के आपस में लड़ा देते हैं और स्वयं उसका फायदा उठाते हैं यदि आप किसी भी व्यक्ति को यह बता दीजिए कि उसकी मृत्यु 4 दिन बाद हो जाएगी तो भय के कारण वह 4 दिन से पहले ही मर जाएगा परंतु इन आतंकियों को पता होता है कि यदि वह किसी मिशन पर जा रहे हैं तो बचके नहीं आ पाएंगे फिर भी पूरे जोश के साथ अपना मिशन पूरा करते हैं इसके पीछे बेहद प्रभावशाली विचार होते हैं जो उन्हें अपना कार्य पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं सबसे पहले ऐसे विचारों को खत्म करने की आवश्यकता है।

आज के समय में भारत जितनी बाहरी आतंकवाद से प्रभावित नहीं है उतना आंतरिक आतंकवाद से प्रभावित है आंतरिक आतंकवाद से मेरा मतलब हमारे बीच के ही चंद लोग जो अपने विचारों के माध्यम से कहीं ना कहीं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

खैर सरकार जो कर रही है आतंकवाद की समस्या से लड़ने के लिए वह अत्यंत ही सराहनीय है परंतु एक देश के नागरिक होने के नाते हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे जयचंदो को भारत से निकाल फेंकना होगा मैंने जयचंद का नाम इसलिए लिया कि यदि जयचंद ने गद्दारी नहीं की होती तो पृथ्वीराज चौहान जैसे पराक्रमी राजा को हराना आसान न था भारत का इतिहास हमेशा से इस बात का प्रमाण देता आया है कि जब जब भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा है तब तक उसका कारण हमारे स्वयं के देश के जयचंद ही रहे हैं।

मेरा ऐसा मानना है कि आतंकवाद एक नकारात्मक विचारधारा है जिसको खत्म करने के लिए विचारों का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है और सबसे बड़ी बात सही और गलत का बोध होना और यह कार्य करेगा कौन हम सब मिलकर इस समय मुझे विवेकानंद के वह वाक्य याद आते हैं कि उठो जागो और तब तक लड़ों जब तक सफलता ना मिल जाए आज यदि हम आतंकवाद को समाप्त करना चाहते हैं तो हर एक के अंदर एक नए स्वामी विवेकानंद या एक नई विचारधारा का उदय होना आवश्यक है तब शायद हम काफी हद तक आतंकवाद को खत्म कर सके।

जागृति अस्थाना लेखक

Essay on aatankwad in hindi

#2. [long Essay 1000+ words] आतंकवाद पर निबंध- Long Paragraph on aatankwad in hindi Essay

मानव-मन में विद्यमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है। इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था-विरोधी वर्ग अपने दूषित और नीच स्वार्थों की सिद्धि के लिए समाज में आतंक फैलाने का प्रयास करता है। स्वार्थसिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसापूर्ण साधनों का प्रयोग करने से भी नहीं चूकता है। इसी स्थिति में आतंकवाद का जन्म होता है।

आतंकवाद से तात्पर्य-आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल या अस्त्र-शस्त्र में विश्वास रखती है। अस्त्र-शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, दल, समुदाय या संप्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है। अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवादी गैर-कानूनी ढंग से या हिंसा से सरकार को गिराने तथा शासनतंत्र पर अपना अधिकार करने का प्रयास भी करते हैं।

विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद-आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है। सारे संसार में राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है। संसार के भौतिक दृष्टि से संपन्न देशों में आतंकवाद की यह प्रवृत्ति और ज्यादा पनप रही है। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉन.एफ. कैनेडी और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या, अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट, भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की हत्या, काश्मीर, असम और अन्य प्रांतों में भी सम्मानित व्यक्तियों का अपहरण तथा हत्या आदि की घटनाएँ ऐसे ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उदाहरण हैं।

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ-कुछ वर्ष पहले लालडेंगा ने स्वार्थसिद्धि के लिए सम.एन.एफ. की स्थापना की। यह दल विद्रोही बन गया और आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हो गया। इसने बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को अपना निशाना बनाया। इसने इतना आतंक  फैलाया कि बहुत से अधिकारियों ने सेवा से त्यागपत्र ही दे दिया। बंगाल के नक्सलवादियों ने अनेक प्रकार के हिंसात्मक कार्य किए और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया। भारत के भूतपूर्व न्यायाधीश श्री ए.एन.राय 10 मार्च सन् 1975 को बाल-बाल बचे। तत्कालीन रेलवे मंत्री श्री ललितनारायण मिश्र की भाषण देते समय हत्या कर दी गई। पं. दीनदयाल उपाध्याय को रेलयात्रा के बीच मार दिया गया।

पंजाब में पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर आए आतंकवादियों ने सुव्यस्थित रूप से अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। ये धार्मिक स्थलों को अपने अड्डे के रूप में प्रयोग करते रहे। आतंकवादियों ने अपनी एक पूरी सेना तैयार कर ली। इन्हीं आतंकवादियों ने श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री लोंगोवाल की हत्या की। इंडियन एयरलाइंस का एक जहाज गिरा दिया गया, जिसमें सभी 329 यात्री जीवन से हाथ धो बैठे। भूतपूर्व सेनाध्यक्ष श्रीधर वैद्य की 10 अगस्त 1986 को पूना में हत्या कर दी गई।

राजनीतिक हत्याओं के क्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं की हत्या तो एक सिलसिला बन चुका है। पंजाब केसरी के संपादक लाला जगतनारायण एवं श्री रमेशचंद्र की हत्या भी आतंकवादियों के स्वार्थी क्रोध का ही परिणाम है। पंजाब गत अनेक वर्षों से आतंकवाद की ज्वाला में धधकता रहा। बैंकों को लूटा जाता रहा, घरों में आग लगाई जाती रही, निर्दोष लोगों की हत्याएँ की गईं, कितने ही व्यक्ति अपने घर, खेत, कारखाने छोड़कर भाग खड़े हुए।

आतंकवाद की ज्वाला से पंजाब तो जल ही रहा था, आतंकवादियों ने इस जहर को अन्य प्रांतों में भी फैलाना शुरू कर दिया। राजधानी में भी उन्होंने अपनी स्थिति जताई और दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में आयोजित जन्मदिवस समारोह में 14 बेकसूर लोगों की हत्या कर दी। अनेक स्थलों पर बम विस्फोट हुए। खिलौनों, ट्रांजिस्टरों, ब्रीफकेसों तथा टार्च आदि के रूप में आतंकवादी विस्फोटक पदार्थ अनेक स्थानों पर छोड़ गए। पंजाब और दिल्ली के अतिरिक्त . यह आग उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्र में भी फैल गई। पीलीभीत और कोटद्वार के हत्याकांड इसके उदाहरण हैं। परिणामस्वरूप कितने ही अनजान लोगों की जानें चली गईं।

यह घृणित सिलसिला अब भी जारी है। इस बीच पाकिस्तान में प्रशिक्षित और पथभ्रष्ट कश्मीरी नवयुवकों ने कश्मीर की सुकोमल घाटी को अपनी आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बनाया हुआ है। 1990 के प्रारंभ में इन आतंकवादियों ने कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मुशीर-उल-हक और एच.एम.टी. के जनरल मैनेजर श्री एम.एल. खेड़ा का अपहरण करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया। भारत-विरोधी कतिपय देश इन आतंकवादी गतिविधियों में अनेक प्रकार की सहायता कर रहे हैं-धन से, हथियारों से तथा आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके निश्चय ही उनका उद्देश्य भारत को तोड़ना और उसकी उन्नति तथा प्रगति में बाधा उपस्थित करना है।

21 मई को तमिलनाडु ने श्रीपेरुंबुदूर में श्री राजीव गांधी की हत्या से यह सिद्ध हो गया है कि आतंकवादी गतिविधियाँ पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक संपूर्ण भारतवर्ष में फैल चुकी हैं। । आतंकवाद के विविध रूप-आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य है सर्वसाधारण में डर और आतंक फैलाना, ताकि कोई व्यक्ति आतंकवादियों के विरुद्ध गवाही न दे सके और वे निर्भीक भाव से अपनी घृणित गतिविधियाँ जारी रख सकें; अंत: आतंकवादी अनेक प्रकार से आतंक फैलाने का प्रयास करते हैं-राजनीतिज्ञों की हत्या, राजदूतों का अपहरण, निर्दोष लोगों को बंदी बनाकर सरकार के सामने अपनी उचित-अनुचित माँगें रखना, हवाई जहाजों का अपहरण, भीड़ भरे स्थानों पर बम विस्फोट, रेलवे लाइनों की फिश प्लेंटे हटना, ताकि बड़ी रेल दुर्घटनाएँ हो सकें, कुएँ आदि के पानी में विष का मिश्रण, बैंक डकैतियाँ आदि अनेक कार्य हैं, जो आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हैं।

आतंकवाद के उद्देश्य-उद्देश्य की दृष्टि से आतंकवादी गतिविधियों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

(क) धनात्मक, (ख) ऋणात्मक।

(क) धनात्मक आतंकवाद -धनात्मक आतंकवाद वह है, जिसके उद्देश्य अपवित्र नहीं हैं। विदेशी सत्ता से अपने देश को स्वतंत्र कराने के लिए की जाने वाली आतंकवादी गतिविधियाँ इसी प्रकार की हैं। भारत के क्रांतिकारी, उत्तर आयरलैंड, फिलिस्तीन, दक्षिण अफ्रीका आदि के आतंकवादी इसी श्रेणी में रखे जा सकते हैं। किंतु हम अच्छे उद्देश्य के लिए भी आतंकवादी उपायों को अपनाने का अनुमोदन नहीं करते। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि अच्छे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अच्छे ही साधन अपनाए जाने चाहिए। शांतिमय और अहिंसक साधन ही स्थायी उपलब्धियों की ओर ले जाते हैं।

(ख) ऋणात्मक आतंकवाद -ऋणात्मक आतंकवाद वह है, जिसमें किसी देश अथवा जाति का कोई असंतुष्ट गुट देश से अलग होने, अलग राज्य स्थापित करने की माँग मनवाने के लिए पूरे देश और समाज को आतंकित करता है। पंजाब का आतंकवाद इसी श्रेणी में आता है, जिसने देश के बाहर भी अपने पंजे फैलाए।

आतंकवाद का समाधान-आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो, उसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो, इसने जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव-जाति के लिए कलंक है, इसलिए इसको शक्ति के साथ दबा दिया जाना चाहिए।

भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से लिया है और इनको मिटाने के लिए दृढ़ कदम उठाए हैं। भारत की संसद ने आतंकवाद-विरोधी विधेयक पारित कर दिया है, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्तियों को कठोर-से-कठोर दंड देने का प्रावधान किया गया है।

हमारे राष्ट्रनेताओं का मत है कि हिंसा और आतंकवाद के द्वारा किसी समस्या को हल नहीं किया जा सकता। यदि कोई समस्या है भी तो उसे पारस्परिक विचार-विमर्श से हल करना चाहिए। इसके लिए निर्दोष लोगों की हत्या करने का कोई औचित्य नहीं है। आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक. दोनों स्तरों पर किया जाना चाहिए। जिन लोगों को पीडा हई, किसी भी कारण जिनके परिवार अथवा संपत्ति को नुकसान हुआ है, संबंधियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है, उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए, ताकि घाव हरे न रहें और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को न सह सकने के कारण आतंकवादी न बन जाएँ।

सरकार को सदैव हठ का रवैया नहीं अपनाना चाहिए। किसी वर्ग तथा समुदाय की उचित माँगों को अविलंब स्वीकार कर लेना चाहिए। किसी भी बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना शासन के लिए उचित नहीं हो सकता। कई बार शासन को कठोर कदम भी उठाने पड़ते हैं। आवश्यकता होने पर इस प्रकार के कदम उठाने से डरना उचित नहीं होता। इसके लिए गुप्तचर एजेंसियों को सशक्त करने की आवश्यकता है, ताकि आतंकवादी गतिविधियों के आरंभ होने से पहले ही उन्हें कुचल दिया जाए। कानून और व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

आतंकवादियों को पकड़ने तथा उनको दंडित करने के आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है, ताकि आतंकवाद से लड़ने में वह भय का अनुभव न करे। आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किया जाना चाहिए। अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की भर्त्सना की है। आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एक मत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय करें। विश्व की सभी सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध पारस्परिक सहयोग करना चाहिए ताकि कोई भी आतंकवादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके।

आज विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सजग हो उठे हैं, किंतु दुर्भाग्य से अब भी कई ऐसे देश हैं, जो आतंकवादियों की मुक्तस्थली बने हुए हैं। निश्चय ही इस प्रकार के देशों की निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद के विरुद्ध त्वरित तथा प्रभावी कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि जनसाधारण में व्याप्त भय और अनिश्चितता की भावना को समाप्त किया जा सके और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके।

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Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध हिंदी में

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Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध हिंदी में

Table of Contents

आतंकवाद पर निबंध | Aatankwad Par Nibandh

Essay on Terrorism in Hindi | Aatankwad Par Nibandh हिंदी में, आतंकवाद एक सोच है, जिसका उद्देश्य अवैध तरीकों से आम लोगों में भय पैदा करना है। यह मानवता के लिए खतरा है। इसमें हिंसा फैलाने वाले व्यक्ति या समूह, दंगे, चोरी, बलात्कार, अपहरण, लड़ाई, बम विस्फोट आदि शामिल हैं। आतंकवाद कायरता का कार्य है। साथ ही, आतंकवाद का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। Aatankwad Par Nibandh आतंकवादी केवल आतंकवादी होता है, हिंदू या मुसलमान नहीं।

आतंकवाद के प्रकार | Aatankwad Kya Hai

आतंकवाद पर निबंध हिंदी में, आतंकवाद दो तरह का होता है, Aatankwad Kya Hai

  • एक है राजनीतिक आतंकवाद जो बड़े पैमाने पर दहशत पैदा करता है
  • और दूसरा आपराधिक आतंकवाद जो फिरौती के पैसे लेने के लिए अपहरण का काम करता है।
  • राजनीतिक आतंकवाद आपराधिक आतंकवाद से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अच्छी तरह से प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए उन्हें समय पर गिरफ्तार करना मुश्किल हो जाता है।
  • Essay on Terrorism in Hindi राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फैल गया।
  • क्षेत्रीय आतंकवाद सबसे अधिक हिंसक है। क्योंकि आतंकवादी सोचते हैं कि एक आतंकवादी के रूप में मरना पवित्र है, और इस प्रकार वे कुछ भी करने को तैयार हैं।
  • ये सभी आतंकवादी समूह अलग-अलग उद्देश्यों से बनाए गए हैं।

Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध हिंदी में

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आतंकवाद के कारण | Causes of Terrorism

Terrorism In Hindi के विकास में बड़ी मात्रा में मशीन-गनों, परमाणु बमों, हाइड्रोजन बमों, परमाणु हथियारों, मिसाइलों आदि के उत्पादन इसके कुछ मुख्य कारण हैं। तीव्र जनसंख्या वृद्धि, राजनीति, सामाजिक, आर्थिक समस्याएं, देश की व्यवस्था के प्रति लोगों का असंतोष, अभाव शिक्षा, भ्रष्टाचार, जातिवाद, आर्थिक असमानता, भाषाई अंतर, ये सभी आतंकवाद के प्रमुख तत्व हैं, और उनके बाद आतंकवाद पनपता है। Terrorism In Hindi लोग अपनी बात को साबित करने और उसे सही ठहराने के लिए आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दंगे सबसे प्रसिद्ध हैं लेकिन जाति और आतंकवाद में अंतर है। Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद के प्रभाव | The Effects Of Terrorism

EFFECTS OF TERRORISM IN HINDI- आतंकवाद लोगों में भय फैलाता है, देश में रहने वाले लोग आतंकवाद के कारण असुरक्षित महसूस करते हैं। आतंकवादी हमलों से लाखों का माल नष्ट हो जाता है, हजारों बेगुनाहों की जान चली जाती है, जानवर भी मारे जाते हैं। एक आतंकवादी गतिविधि को देखकर इंसानियत में अविश्वास पैदा हो जाता है, यह एक और आतंकवादी को जन्म देता है। देश और विदेश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह के आतंकवाद मौजूद हैं। Conclusion Of Terrorism

Essay on Terrorism in Hindi आज आतंकवाद केवल भारत की ही समस्या नहीं है, बल्कि हमारे पड़ोसी देश में भी है और इससे निपटने के लिए दुनिया भर की सरकारें बहुत प्रयास कर रही हैं। 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले को दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है । ओसामा बिन लादेन ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की सबसे ऊंची इमारत पर हमला किया, जिसमें लाखों लोग मारे गए और हजारों लोग मारे गए।

भारत में आतंकवादी हमले | Terrorist Attacks in India

TERROSRIST ATTACKS IN HINDI – भारत ने कई आतंकवादी हमलों का सामना किया है जिससे जनता में भय पैदा हुआ और भारी विनाश हुआ। पिछले कुछ वर्षों में भारत में हुए कुछ प्रमुख आतंकवादी हमले यहां दिए गए हैं: Essay on Terrorism in Hindi

  • 1991 – पंजाब हत्याएं,
  • 1993 – बॉम्बे बम विस्फोट,चेन्नई में आरएसएस बमबारी,
  • 2000 – चर्च बमबारी, लाल किला आतंकवादी हमला,
  • 2001- भारतीय संसद हमला,
  • 2002 – मुंबई बस बम विस्फोट,अक्षरधाम मंदिर पर हमला,
  • 2003 – मुंबई बमबारी,
  • 2004 – असम में धेमाजी स्कूल बमबारी,
  • 2005 – दिल्ली बम विस्फोट, भारतीय विज्ञान शूटिंग संस्थान,
  • 2006 – वाराणसी बम विस्फोट, मुंबई ट्रेन बम विस्फोट, मालेगांव बम विस्फोट,
  • 2007 – समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट, मक्का मस्जिद बमबारी, हैदराबाद बमबारी, अजमेर दरगाह बमबारी,
  • 2008 – जयपुर बम विस्फोट, बैंगलोर सीरियल विस्फोट, अहमदाबाद बम विस्फोट, दिल्ली बम विस्फोट, मुंबई हमले,
  • 2010 – पुणे बमबारी, वाराणसी बमबारी।

हाल के atankavadi hamlon में

  • 2011 शामिल हैं – मुंबई बमबारी, दिल्ली बमबारी,
  • 2012 – पुणे बमबारी,
  • 2013 – हैदराबाद विस्फोट, श्रीनगर हमला, बोधगया बम विस्फोट, पटना बम विस्फोट,
  • 2014 – छत्तीसगढ़ हमला, झारखंड विस्फोट, चेन्नई ट्रेन बमबारी, असम हिंसा, चर्च स्ट्रीट बम विस्फोट, बैंगलोर,
  • 2015 – जम्मू हमला, गुरदासपुर हमला, पठानकोट हमला,
  • 2016 – उरी हमला, बारामूला हमला,
  • 2017 – भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन बम विस्फोट, अमरनाथ यात्रा हमला,
  • 2018 सुकमा हमला,
  • 2019- पुलवामा हमला।

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भारत में आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियां | Agencies fighting Terrorism in India

Anti terrorism agencies in hindi – भारत में कई पुलिस, खुफिया और सैन्य संगठनों ने देश में आतंकवाद से लड़ने के लिए विशेष एजेंसियों का गठन किया है। भारत में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाली प्रमुख एजेंसियां ​​​​आतंकवाद विरोधी दस्ते Essay on Terrorism in Hindi

  • (ATS), Anti Terrorism Squad
  • अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW),
  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

आतंकवाद एक वैश्विक खतरा बन गया है जिसे प्रारंभिक स्तर से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। आतंकवाद को केवल कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। आतंकवाद के इस बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए दुनिया के लोगों को भी एक होना होगा।

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आतंकवाद पर निबंध | Terrorism Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Terrorism in Hindi

By: savita mittal

आतंकवाद का बदलता और बढ़ता स्वरूप | Terrorism Essay in Hindi

विभिन्न आतंकी गुट, वैश्विक स्तर पर आतंकवाद, भारत में आतंकी गतिविधियाँ, आतंकवाद के दुष्परिणाम, समाधान के प्रयास, आतंकवाद पर निबंध/10 lines on terrorism in hindi/essay on terrorism/terrorism essay/anti terrorism video.

आतंकबाद एक ऐसा विचार है, जो सामान्य जनमानस में भय की भावना का संचार कर देता है। भय मृत्यु का या आर्थिक, सामाजिक किसी भी श्रेणी का हो सकता है। आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसकी आग में पूरा विश्व जल रहा है। आज कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता की उसकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं है और वह आतंकबाद से पूरी तरह से मुक्त है। आतंकबाद लैटिन भाषा के ‘टेस’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है समाज में हिंसक कार्यों और गतिविधियों से जनमानस में भय की मन:स्थिति की स्थापना कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करना।

इस प्रकार से आलंकबाद समाज के मानव समुदाय द्वारा संचालित ऐसी मानव विरोधी गतिविधियाँ हैं जो कि उसी समाज के मानव समुदाय के बिरुद्ध लूट, अपहरण, बम बिस्फोट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों का कारण बनती हैं।

आतंकवाद का उद्देश्य राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नहीं, सामाजिक या अन्य किसी प्रकार का भी हो सकता हैं। वैसे तो आतंकवाद के कई प्रकार है, किन्तु इनमें से तीन ऐसे हैं जिनसे पूरी दुनिया अस्त है- राजनीतिक आतंकबाद, धार्मिक कट्टरता एवं गैर-राजनीतिक या सामाजिक आतंकबाद। श्रीलंका में लिट्टे समर्थकों एवं अफग़ानिस्तान में तालिबानी संगठनों की गतिविधियाँ राजनीतिक आतंकबाद के उदाहरण हैं।

कश्मीर, लद्दाख एवं असम में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकबाद के ही उदाहरण है। अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से आपराधिक कृत्यों को अंजाम देते हैं। अत: ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न सामाजिक क्रान्तिकारी विद्रोह को गैर-राजनीतिक आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है। 

भारत में नक्सलबाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण है। इस प्रकार, आतंकी गुट विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति विभिन्न रूपों में करते हैं। आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों, रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों, बस इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेल पटरियों का उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बन्दी बना लेना, बैंक डकैतियाँ इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं, जिनसे पूरा विश्व विगत कुछ दशकों से त्रस्त है।

Terrorism Essay in Hindi

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विश्व स्तर पर आतंकबाद के फैलते साम्राज्य का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि अभी तक आतंकवाद पर नियन्त्रण के सारे प्रयास निष्फल साबित हुए हैं। परिणामस्वरूप ‘विश्व शान्ति’ की कल्पना एक स्वप्न बनकर रह गई है। 

आतंकवाद एक ऐसी भयावह समस्या है, जिससे दुनिया में मानव अस्तित्व का समूल नाश सम्भव है फिर भी दुनिया के लगभग प्रत्येक देश में आतंकवाद है, कहीं धार्मिक संगठनों की हिंसक गतिविधियों के रूप में तो कहीं राजनीतिक विचारधाराओं के मध्य विध्वंसात्मक संघर्ष के रूप में। तो कहीं क्षेत्र, भाषा या फिर जाति जैसे मुद्दों पर निर्मित संगठनों के हथियार बन्द संघर्ष के रूप में आतंकवाद व्याप्त है। 

दुनिया में आतंकबाद की समस्या की भयावहता का मूल कारण यह है कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण आतंकवादियों के लिए जहाँ रासायनिक, नाभिकीय, जैविक मानव बम जैसे अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग उपलब्ध है.तो यहाँ इण्टरनेट की उपलब्धता से उनके लिए सरकारी आंकड़ों की गोपनीयता तक पहुँचना भी सम्भव हो गया है। इन परिस्थितियों में दुनिया में आतंकवाद का प्रसार बढ़ रहा है।

आज विश्व स्तर पर आतंकवाद की अमरबेल मानव समाज की सुख-समृद्धि और शान्ति के प्रयासों को निष्फल कर रही है। पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हुई है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के स्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। 

दिसम्बर, 2014 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के एक कैम्पस में ग्राहकों को बन्दी बनाना, पाकिस्तान के पेशावर जिले में स्थित एक आमने स्कूल में लगभग 180 मासूम बच्चों को निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतारना, जनवरी, 2015 में फ्रांस में ‘शाकों आब्दी के कार्यालय पर हमला कर पत्रकारों की हत्या। इसके अतिरिक्त वर्ष 2017 में क्रमश: काबुल (मार्च में), बलख (अप्रैल में), लन्दन में (मार्च में), सीरिया च मिस्र (नवम्बर में) आदि ऐसी मयावह वारदाते हैं, जो आतंकवाद के घिनौने रूप की प्रकट करती हैं।

वस्तुतः आतंकबाद एक वैश्विक समस्या है, किन्तु भारत इस समस्या से सर्वाधिक त्रस्त है। इसका प्रमुख कारण भारत के पड़ोसी देश विशेष रूप से पाकिस्तान है। भारत और पाकिस्तान में आरम्भ से ही जम्मू-कश्मीर राज्य (अब कश्मीर और लद्दाख केन्द्रशासित प्रदेश) विवाद का मुद्दा रहा है और दोनों देश इस पर अपना अधिकार करना चाहते हैं। पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयत्न कई बार कर चुका है। यह आए दिन सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है, लेकिन उसे अभी तक असफलता ही हाथ लगी है। अत: पाकिस्तान ने भारत को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

12 मार्च, 1993 को मुम्बई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोट, 13 दिसम्बर, 2001 को संसद भवन पर हमला, 7 मार्च, -2006 को बाराणसी बम विस्फोट, 26 जुलाई, 2008 का अहमदाबाद बम बिस्फोट, 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई के ताज होटल पर हमला, वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला, वर्ष 2017 में अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमला, 14 फरवरी 2019 का पुलवामा हमला इत्यादि कुछ ऐसी घटनाएँ हैं, जो भारत को आतंकवाद पीड़ित देश घोषित करती है। इन बड़ी घटनाओं के अतिरिक्त आतंकवादी भारत में अनेक छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। नक्सलवाद भी एक प्रकार से देश में आतंकबाद का स्वरूप ग्रहण का चुका है।

प्रारम्भ में यह विद्रोह प. बंगाल तक सीमित था, किन्तु अब यह धीरे-धीरे ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भी फैल गया है। चीन द्वारा भी भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी एवं नक्सलवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। चीन भारत में सक्रिय अलगाववादी गुटों को पैसा, हथियार एवं संरक्षण मुहैया कराकर भारत में अराजकता की स्थिति बनाने पर लगा है। चीन, भारत को प्रत्येक स्तर पर अपना विरोधी मानते हुए कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष माध्यम से भारत के विकास में रोड़ा अटकाता रहता है। इसके अलावा वह सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने का भी जिम्मेदार है।

आतंकवाद के दुष्परिणामस्वरूप अब तक दुनिया के कई राजनयिकों सहित मासूमों एवं निर्दोष लोगों की जाने जा चुकी हैं तथा लाखो लोग विकलांग एवं अनाथ हो चुके है।। आतंकवाद के सन्दर्भ में सबसे बुरी बात यह है कि कोई नहीं। जानता कि आतंकबाद और आतंकवादियों का अगला निशाना कौन होगा? इसलिए आतंकवाद ने आज लोगों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है। यह मानव जाति के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।

वैश्विक समस्या के चलते आतंकवाद के वैश्विक समाधान की दिशा में सतत प्रयास जारी हैं। विभिन्न देशों के साथ ही कई अन्य संगठन भी इस दिशा में प्रयासरत है। जैसे-ब्राजील में 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (2019) में आतंकबाद का मुद्दा महत्वपूर्ण रहा। 

14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, 2019 (थाईलैण्ड), ताशकन्द में हुए 18वें शंघाई सहयोगसंगठन शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर गहन विमर्श किया गया। नवम्बर, 2019 में पेरिस मै जारी ग्लोबल टेररिज्म इण्डेक्स-2018 ज्यादा फैल गया है, लेकिन वर्ष 2014 में यह बात सामने आई है कि आतंकियों का दुनिया भर में जाल पहले से कहीं में 33,565 की तुलना में वर्ष 2018 में 15,952 का आंकड़ा आतंकी हत्या के गिरते ग्राफ का संकेत है। 

यह गिरावट एक या दो प्रतिशत की नहीं 15.2% की है। निश्चय ही इसके पीछे अमेरिका, भारत और यूरोपियन देशों के आतंकवाद विरोधी अभियान की बड़ी भूमिका है।

भारत में भी आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार ने समय-समय पर अनेक कानूनों का सहारा लिया है, जैसे- वर्ष 1950 में निवारक निरोध अधिनियम, वर्ष 1970 में मीसा, वर्ष 1980 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1987 में टाडा (TADA), वर्ष 2002 में पोता (POTA), वर्ष 2008 में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेन्सी (एनआईए), 2019 में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक-2019 (यूएपीए) को मंजूरी आदि। 

इसके अतिरिक्त रोशनी जैसे कार्यक्रम भी चलाए गए हैं तथा ऐसी गतिविधियों में संलग्न लोगों के लिए स्वरोजगार सम्बन्धी उपाय मी जा रहे हैं। जिससे देश के कुछ राज्यों में इससे नक्सलवादी लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर (अब कश्मीर एवं लद्दाख) में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए भारत को कड़े कदम उठाने होंगे एवं पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकते हुए इस राज्य पर अपनी प्रशासनिक पकड़ मजबूत बनानी होगी।

दुनिया के देशों को आतंकवाद पर नियन्त्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोपरि भूमिका को स्वीकार करते हुए उसके निर्णय को बाध्यकारी बनाए जाने की जरूरत है। इसके अतरिक्त विभिन्न देशों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के लिए ठोस निर्णय लेना होगा। दुनिया के ऐसे देश जिनके द्वारा आतंकवाद को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय सहायता से पूर्णतः अलग-थलग कर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के प्रयास किए जाने चाहिए। 

दुनिया में जीवन के अस्तित्व और सुरक्षा के लिए आतंकवाद पर नियन्त्रण जरूरी है। दुनिया में आतंक का खौफ मानवता के लिए एक ऐसा अभिशाप साबित हो रहा है। जिसने विश्व शान्ति की परिकल्पना के क्रियान्वयन पर विराम लगा दिया है। दुनिया को आतंकवाद से मुक्त किए बिना जीवन में सुख-समृद्धि, शान्ति और विकास की बात सम्भव नहीं है। इस दृष्टि से विश्व के प्रत्येक देश और समाज में प्रत्येक नागरिक को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा अन्यथा आतंकवाद के भयानक विस्फोट में मानव अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

reference Terrorism Essay in Hindi

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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आतंकवाद पर अनुच्छेद | Paragraph on Terrorism in Hindi

hindi essay on terrorism

आतंकवाद विश्व के लिए एक गम्भीर समस्या है । इस समस्या का वास्तविक व अंतिम समाधान अहिंसा द्वारा ही संभव है । देश के अंदर आतंकवाद असंतोष से उपजता है ।

यदि असंतोष का समाधान नहीं किया जाए तो वह विरफोटक होकर अनेक रूपों में फट जाता है और निरपारिधयों के प्राणों से उनकी प्यास नहीं बुझती । असहिष्णुता, अवांछित अनियंत्रित लिप्सा, अत्याधुनिक शस्त्रों की सुलभता आतंकवाद को जीवित रखे हुए है । पूर्वांचल का आतंकवाद व कश्मीर का आतंकवाद धर्मों के नाम पर विदेशों से धन व शस्त्र पाकर पुष्ट होता है ।

आतंकवाद से अभिप्राय अपने प्रभुत्व व शक्ति से जनता में भय की भावना का निर्माण करना तथा अपना उद्देश्य सिद्ध करने की नीति को ही आतंकवाद की संज्ञा दी जाती है । हमारा देश भारत सबसे अधिक आतंकवाद की चपेट में है । पिछले दस-बारह वर्षो मे हजारों निर्दोष लोग इसके शिकार हो बुइके हैं । अब तो जनता के साथ-साथ सरकार को भी आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है ।

ADVERTISEMENTS:

भारत में आतंकवाद की शुरूआत बंगाल के उतरी छोर पर नक्सलवादियों ने की थी । 1967 में शुरू हुआ यह आतंकवाद तेलंगाना, श्रीकाकूलम मे नक्सलियों ने तेजी से फैलाया । 1975 में लगे आपातकाल के बाद नक्सलवाद खत्म हो गया ।

आतंकवाद के मन में सामान्यत: असंतोष एवं विद्रोह की भावनायें केन्द्रित रहती हैं । धीरे-धीरे अपनी बात मनवाने के लिए आतंकवाद का प्रयोग एक हथियार के रूप में किया जाता है । तोड-फोड़, अपहरण, लूट-खसोट, बलात्कार, हत्या आदि करके अपनी बात मनवाना इसी में शामिल है ।

आज देश के कुछ स्वार्थी तत्वों ने क्षेत्रवाद को बढ़ावा देना आरम्भ कर दिया है इससे सांस्कृतिक टकराव, आर्थिक, विषमता, भ्रष्टाचार तथा भाषायी मतभेद का बढावा मिल रहा है । ये सभी तत्व आतंकवाद को पोषण करते है । पंजाब में खालिस्तान की मांग ने विकराल रूप धारण कर लिया । वहां पर 1980 में राजनीतिक सरगर्मियां इस मांग को लेकर तेज हो गयी थीं ।

आपातकाल के बाद पुन: पूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भिण्डरवाला को शह दी । इस पर भिण्डरवाला ने वहां पर तानाशाही रवैया अपनाते हुए जिसने भी उसके खिलाफ आवाज उठायी उसे कुचल दिया । अनेक पत्रकार, पुलिस अफसर व सेना अधिकारी उसकी इस तानाशाही के शिकार हुए । वहां स्थिति बेकाबू हो गयी थी । अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर आतंकवादियों का गढ़ बन गया था । उस पर विजय पाने के लिए सैनिक बल का प्रयोग किया गया । बाद में भिण्डरवाला की तानाशाही का अन्त हो गया ।

वर्तमान में कश्मीर समस्या आतंकवाद का कारण बनी हुई है । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर आतंकवादियों से सेना की मुठभेड़ आम बात हो गयी थी । अंतत: यह समस्या कारगिल युद्ध के रूप में सामने आई । आज वर्तमान में भी पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां जारी है ।

कथित पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों मे बम विरफोटों की घटनायें देखने को मिल रही हैं । भारतीय संसद पर हमला, गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर पर हमला, कश्मीर के रघुनाथ मन्दिर पर हमले की कार्यवाही आतंकवाद का जवलंत उदाहरण है ।

हमारा देश ही नहीं आतंकवाद से और भी कई राष्ट्र पीड़ित है । सन् 2001 में 11 सितम्बर लगभग 11 बजे विश्व के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिल लादेन ने विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर को धराशायी कर दिया ।

इसके अलावा विश्व की सबसे सुरक्षित इमारत समझी जाने वाले पेन्टागन पर भी अपहृत विमान को गिरा दिया । घटना में हजारों लोग मारे गये । घटना के बाद कई माह तक अमेरिका ओसामा बिन लादेन को ढूंढता रहा लेकिन वह कामयाब न हो सका । यह अब तक की विश्व इतिहास में आतंकवाद की सबसे बडि घटना थी ।

इसी तरह 13 दिसम्बर, 2001 को 11 बजकर 40 मिनट पर भारत के संसद भवन पर भी आतंकवादियों ने हमला किया । इसमें हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पायी और संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई मुठभेड़ में हमले को अंजाम देने आये आतंकवादियों को मार गिराया गया ।

आतंकवादी ए.के. 47 राइफलों और ग्रेनेडों से लैस थे । ये उग्रवादी एक सफेद एम्बेसडर कार से संसद परिसर में घुसे थे । कार में भारी मात्रा में आर.डी.एक्स. था । संसद भवन में घुसते समय इन्होंने उपराष्ट्रपति के काफिले में शामिल एक कार को टक्कर मारी थी ।

सुरक्षाकर्मियों तथा आतंकवादियों के बीच करीब आधे घंटे तक गोलीबारी जारी रही । इस दौरान संसद भवन परिसर में दहशत और आतंक का माहौल था । यदि आतंकवादी अपने मकसद में सफल हो जाते तो कई केन्द्रीय मंत्रियो सहित सैकडों सांसदों को जान से हाथ धोना पड़ता ।

इस घटना की विश्व के अधिकांश देशों ने निन्दा की और आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया । अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर व पेन्टागन पर हुए आतंकवादी हमले ने आतंकवाद को अतराष्ट्रीय रूप दे दिया ।

आतंकवाद के नाम पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण करना आम बात हो गयी है । इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक, सामाजिक आदि सभी स्तरों से प्रयास किये जाएँ ।

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hindi essay on terrorism

आतंकवाद पर निबंध – Essay on Terrorism in Hindi

Essay on Terrorism in Hindi

आज आतंकवाद जिस तरह से पूरे विश्व में अपनी जड़े फैला रहा है, और लोगों के अंदर भय पैदा कर रहा है, यह वाकई चिंतनीय है। आतंकवाद का मुद्दा आज पूरे दुनिया में एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है, वहीं अगर जल्द ही आतंकवाद के प्रति लोगों के अंदर जागरुकता नहीं फैलाई गई और इसे काबू पाने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में इसका काफी बुरा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

आतंकवाद जैसे अतिसंवेदनहीन मुद्दों के प्रति बच्चों की समझ विकसित करने के उद्देश्य से आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में अलग-अलग शब्द सीमा पर आतंकवाद पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Essay on Terrorism

आतंकवाद की समस्या अब वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है, जिससे चलते कई गैरकानूनी अमानवीय और हिंसक कृत्य जन्म ले रहे हैं, जिससे आमजन के मन में डर बैठ रहा है, तो वहीं इस पर काबू पाने की बजाय कई राजनेता, अपने वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और जाति, धर्म और संप्रदायिकता के मुद्दों को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं बढ़ती जंनसंख्या और बेरोजगारी की वजह से भी आतंकवाद की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं।

आतंकवाद का अर्थ – Terrorism Meaning

हिंसात्म कुकृत्यों द्धारा आम लोगों के अंदर भय पैदा करना ही आतंकवाद कहलाता है। गैरकानूनी तरीके से सरकार से अपनी अनुचित बात मनवाना, सामाजिक हिंसा को बढ़ावा देना अथवा राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार और आम-जनता में भय पैदा करना ही आंतकवाद का मुख्य मकसद होता है।

या फिर दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद एक तरह का माहौल है जिसके तहत लोग अपनी धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक ज़रूरत की पूर्ति के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।

वहीं आतंकवादी वो होते हैं, जो अमानवीय, हिंसात्मक गतिविधियों का समर्थन करते हैं और अपने कृत्यों से लोगों को भयभीत करते हैं।

आपको बता दें कि आतंकवादियों की न कोई जाति होती है, न कोई धर्म होता है और न हीं उनका कोई देश होता है।

आतंकवादी, सिर्फ हिंसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, मासूम बच्चों, निर्दोष महिलाएं, बेकसूर बूढ़े और जवानों की निर्मम तरीके से जान ले लेते हैं, और देश में आराजकता का माहौल पैदा करते हैं।

वहीं आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की जो भी अधिकारी हिमाकत करता है, आतंकवादी उसे हिंसक तरीके से अपने रास्ते से हटा देते हैं अथवा उनकी जान ले लेते हैं। ताकि, उनके डरकर कोई भी अपनी आवाज न उठा सके और चुपचाप आतंकवादियों के अत्याचारों को सहते रहें।

आतंकवादी संगठन गुप्त जगहों पर अपना ठिकाना बनाते हैं, ताकि कोई परिंदा भी उनके ठिकानों पर अपना पर नहीं मार सके और वे गुपचुप तरीके से अपने अमानवीय कृत्यों को अंजाम देने की तैयारी कर सकें।

आतंकवाद का खात्मा करने के लिए हमारी सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं। इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बाबजूद भी आतंकवाद, एक संक्रामक बीमारी की तरह पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है।

यही नहीं, कई आतंकवादी संगठनों द्धारा आतंक का प्रभाव और तेज करने के लिए कई ऐसे बेकसूर और सामान्य लोगों को आतंकवादी बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है, साथ ही हिंसक कृत्यों को करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

वहीं अगर इस तरह आतंकवाद बढ़ता रहा तो आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है, इसलिए हम सभी लोगों को एकजुट होकर इसके खिलाफ कदम उठाने चाहिए और अपनी लालची प्रवृत्ति को छोड़ना चाहिए, अर्थात ऐसे लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए जो लालच देकर दंगे – फसाद समेत कई हिंसात्मक गतिविधियों करने के लिए विवश करते हैं, तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकेगा।

आतंकवाद पर निबंध नंबर 2 – Aatankwad Par Nibandh

आतंकवाद का मुद्दा आज का सबसे गंभीर मुद्दा बन चुका है, इसकी वजह से देश-दुनिया के विकास की गति धीमी हो गई है। मनुष्य के दिल – दिमाग में इसका गलत असर पड़ रहा है और यह सम्पूर्ण दुनिया में भय का माहौल पैदा कर रहा है।

आतंकवादी विनाशकारी हथियारों के बल पर न सिर्फ कई बेकसूर लोगों और मासूमों की जान ले रहे हैं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों को तबाह कर रहे हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में भारत में आतंकवाद तेजी से पनपा है।

आतंकवाद के कई रुप –

आतंकवाद कई रुपों में आज पूरी दुनिया में फैल रहा है, जैसे कि – अपराधिक आतंकवाद, सांप्रदायिक आतंकवाद और राजनीतिक आतंकवाद आदि।

सांप्रदायिक आतंकवाद को कट्टर धार्मिक, संकीर्ण और छोटी मानसिकता वाले लोग जन्म देते हैं,ऐसी विचारधारा वाले लोग अक्सर किसी दूसरे धर्मों के प्रति असहज महसूस करते हैं और उनके धर्म नहीं मानने वाले लोगों को बर्दाश्त करना पसंद नहीं करते हैं।

यही नहीं धर्म के नाम पर अलग-अलग राज्य बनाने की कोशिश करते हैं और अन्य धर्मों के प्रति नफरत फैलाते हैं। उस धर्म का गलत तरीके से प्रचार-प्रसार करते हैं या फिर अन्य धर्म के लोगों से उनके धर्म को अपनाने के लिए विवश करते हैं।

इस तरह धार्मिक सांप्रदायिकता की भावना बड़े स्तर पर आतंकवाद को जन्म देती है।

वहीं अपराधिक आतंकवाद के अंदर, कई लालची प्रवृत्ती के लोग गैर कानूनी तरीके से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपहरण, चोरी, डकैती आदि कर पैसों की मांग करते हैं।

जबकि राजनीतिक आतंकवाद के तहत, कुछ लोग जनता का वोट अपनी झोली में करने के लिए, और अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए जाति-धर्म आदि की राजनीति करते हैं और जनता में डर का माहौल पैदा करते हैं। इसके साथ ही कुछ लालची लोगों को पैसों का लालच देकर दंगा-फसाद करवाते हैं, जिससे देश की एकता तो कमजोर होती है और इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है और आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।

भारत में आतंकवाद की समस्या

भारत में आतंकवाद जिस तरह तेजी से बढ़ रहा है, वह न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहा है बल्कि देश के विकास को भी रोक रहा है। धर्म, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हुए राष्ट्रों के विभाजन ने लोगों के अंदर हिंसा, नफरत, अलगाववादी, आतंकवाद आदि की भावना पैदा कर दी थी, जिसके चलते आजादी के इतने सालों बाद भी लोगों की नफरतें खत्म नहीं हुई और आतंकवाद ने एक बड़ा रुप ले लिया।

ब्रिटिश शासकों की फूट डालो, शासन करो की नीति के बाद भी भारत में आतंकवाद का स्तर बढ़ा है। इसके अलावा नागालैंड समेत बांग्लादेश औऱ पाकिस्तान के भारत से विभाजन के बाद आतंकवाद की शुरुआत हुई और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए भी कई नए आंतकवादियों ने जन्म लिया, जो कई अमानवीय कुकृत्यों द्धारा भारत में आतंक को बढ़ा रहे हैं और लोगों के मन में खौफ पैदा कर रहे हैं।

भारत को नुकसान पहुंचाने और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों पर कब्जा करने समेत भारतीय जनता में भय का माहौल पैदा करने के उद्देश्य से कई बार ऐसे आतंकवादी हमले करवाए जाते हैं, जिससे देश के कई बेकसूर और बेगुनाह लोग मारे जाते हैं।

साथ ही भारत की सुरक्षा पर सेंध लगाने के उद्देश्य से भारतीय सुरक्षा बलों समेत भारतीय सैनिकों पर भी हमले किए जाते हैं, जिससे लड़ाई करते हुए कई सीमा पर तैनात भारतीय जवान शहीद हो जाते है।

इसके अलावा आतंकवादियों द्धारा भारत के कई सार्वजनिक स्थलों पर भी बम-बिस्फोट समेत कई हिंसात्मक और अमानवीय गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।

वहीं भारत में आतंकवाद की मूल वजह बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, अशिक्षा भुखमरी असमानता और बेरोजगारी है।

वहीं भारत में कई बडे़ आतंकी संगठनजैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा, उल्फा, तालिबान, ISIS आदि सक्रिय हैं, और यह संगठन भारत के बेरोजगारों और गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं, जिससे भारत में आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है।

वहीं भारत में आतंकवाद तो पहले सिर्फ कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था जैसे कि जम्मू कश्मीर। लेकिन पिछले कुछ सालों में आतंकवाद, भारत में काफी फैल चुका है। इसके बड़े उदाहरण 26/11 मुंबई आतंकी हमला , जयपुर विस्फोट, मुंबई ट्रेन धमाका, दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट, 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट, कोयंबटूर धमाका, भारतीय संसद पर हमला आदि हैं।

आतंकवाद जिस तरह से पूरे संसार में अपनी जड़े फैला रहा है, यह गंभीर चिंता का विषय है। अगर इस पर जल्द काबू नहीं किया गया तो, आने वाली पीढ़ी के लिए यह बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

इसलिए, आतंकवाद की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है।

अगले पेज आतंकवाद पर और भी निबंध……

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Terrorism Essay for Students and Teacher

500+ words essay on terrorism essay.

Terrorism is an act, which aims to create fear among ordinary people by illegal means. It is a threat to humanity. It includes person or group spreading violence, riots, burglaries, rapes, kidnappings, fighting, bombings, etc. Terrorism is an act of cowardice. Also, terrorism has nothing to do with religion. A terrorist is only a terrorist, not a Hindu or a Muslim.

terrorism essay

Types of Terrorism

Terrorism is of two kinds, one is political terrorism which creates panic on a large scale and another one is criminal terrorism which deals in kidnapping to take ransom money. Political terrorism is much more crucial than criminal terrorism because it is done by well-trained persons. It thus becomes difficult for law enforcing agencies to arrest them in time.

Terrorism spread at the national level as well as at international level.  Regional terrorism is the most violent among all. Because the terrorists think that dying as a terrorist is sacred and holy, and thus they are willing to do anything. All these terrorist groups are made with different purposes.

Causes of Terrorism

There are some main causes of terrorism development  or production of large quantities of machine guns, atomic bombs, hydrogen bombs, nuclear weapons, missiles, etc. rapid population growth,  Politics, Social, Economic  problems, dissatisfaction of people with the country’s system, lack of education, corruption, racism, economic inequality, linguistic differences, all these are the major  elements of terrorism, and terrorism flourishes after them. People use terrorism as a weapon to prove and justify their point of view.  The riots among Hindus and Muslims are the most famous but there is a difference between caste and terrorism.

The Effects Of Terrorism

Terrorism spreads fear in people, people living in the country feel insecure because of terrorism. Due to terrorist attacks, millions of goods are destroyed, the lives of thousands of innocent people are lost, animals are also killed. Disbelief in humanity raises after seeing a terrorist activity, this gives birth to another terrorist. There exist different types of terrorism in different parts of the country and abroad.

Today, terrorism is not only the problem of India, but in our neighboring country also, and governments across the world are making a lot of effort to deal with it. Attack on world trade center on September 11, 2001, is considered the largest terrorist attack in the world. Osama bin Laden attacked the tallest building in the world’s most powerful country, causing millions of casualties and death of thousands of people.

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Terrorist Attacks in India

India has suffered several terrorist attacks which created fear among the public and caused huge destruction. Here are some of the major terrorist attacks that hit India in the last few years: 1991 – Punjab Killings, 1993 – Bombay Bomb Blasts, RSS Bombing in Chennai, 2000 – Church Bombing, Red Fort Terrorist Attack,2001- Indian Parliament Attack, 2002 – Mumbai Bus Bombing, Attack on Akshardham Temple, 2003 – Mumbai Bombing, 2004 – Dhemaji School Bombing in Assam,2005 – Delhi Bombings, Indian Institute of Science Shooting, 2006 – Varanasi Bombings, Mumbai Train Bombings, Malegaon Bombings, 2007 – Samjhauta Express Bombings, Mecca Masjid Bombing, Hyderabad Bombing, Ajmer Dargah Bombing, 2008 – Jaipur Bombings, Bangalore Serial Blasts, Ahmedabad Bombings, Delhi Bombings, Mumbai Attacks, 2010 – Pune Bombing, Varanasi Bombing.

The recent ones include 2011 – Mumbai Bombing, Delhi Bombing, 2012 – Pune Bombing, 2013 – Hyderabad Blasts, Srinagar Attack, Bodh Gaya Bombings, Patna Bombings, 2014 – Chhattisgarh Attack, Jharkhand Blast, Chennai Train Bombing, Assam Violence, Church Street Bomb Blast, Bangalore, 2015 –  Jammu Attack, Gurdaspur Attack, Pathankot Attack, 2016 – Uri Attack, Baramulla Attack, 2017 – Bhopal Ujjain Passenger Train Bombing, Amarnath Yatra Attack, 2018 Sukma Attack, 2019- Pulwama attack.

Agencies fighting Terrorism in India

Many police, intelligence and military organizations in India have formed special agencies to fight terrorism in the country. Major agencies which fight against terrorism in India are Anti-Terrorism Squad (ATS), Research and Analysis Wing (RAW), National Investigation Agency (NIA).

Terrorism has become a global threat which needs to be controlled from the initial level. Terrorism cannot be controlled by the law enforcing agencies alone. The people in the world will also have to unite in order to face this growing threat of terrorism.

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हिंदी कोना

आतंकवाद पर निबंध। terrorism essay in hindi

Terrorism Essay in Hindi

terrorism जिसे हम हिंदी में आतंकवाद के नाम से जानते है। मानव विकास और सामाजिक सौहार्द के बीच सबसे बड़ी बाधा आतंकवाद है । आज पूरा विश्व आतंकवाद की पीड़ा को झेल रहा है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में terrorism essay in hindi ले कर आये है । इस आतंकवाद पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on terrorism in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

टेररिज्म जिसे हम हिंदी में आतंकवाद कहते है।आतंकवाद आतंक शब्द से उभरा हुआ शब्द है। कई लोग आतंकवाद को बहुत छोटी चीज़ समझते है। लेकिन जहां ये सुचारु रूप से चलन में है, वहां के लोग इसे बखूबी समझते है। दुनिया के हर कोने में बेशक ये ना हो लेकिन से दुनिया के कुछ खास देश व प्रदेशों में है।ईरान, अफगानिस्तान नाइजीरिया, सीरिया और पाकिस्तान सबसे ज़्यादा इन गतिविधियों का हिस्सा होते है। आई.ई.पी के ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में इसका खुलासा हुआ । जो लोग इसे महज कोई मामूली झगड़े के समान समझते है वे इसके दुष्प्रभाव के बारे में जानने से वे फिलहाल वंचित है। एक गुत्थि सुलझने के प्रयास में ना जाने हम कितने उलझ से जाते है। जी हां मेरा मकसद सबसे पहले ये बताने का था कि आतंकवाद कोई मामूली चीज नही है। लोग इसे हल्के में ना ले। अब हम आसान भाषा मे आतंकवाद व आतंकवादी जैसे शब्दों का अर्थ समझेंगे। आतंकवाद को सीधे तौर पर देखा जाए तो वह गद्दारी और हिंसा होती है। और जो इसे करता है उसे हम आतंकवादी कहते हैं। जो जी पूर्णताः गद्दार के समान होता है। कई बार वे आपने ही राष्ट्र के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है। हिंसात्मक होता है।

प्रस्तावना-  आतंकवाद का कोई धर्म, कोई राष्ट्र, कोई भाषा, कोई घर, कोई परिवार नही होता। उनका एक ही मकसद होता है ” विरोध”। अगर और स्पष्ट रूप से समझा जाये की आतंकवादी कौन है, तो ये एक समूह है जिसमे हर व्यक्ति का सामान उद्देश्य होता है। वह उद्देश्य ही आतंकवाद को जन्म देता है। और आतंकवादी उद्देश्य की पूर्ति करते है। वे देश को या देश के नागरिकों को जान-मान तक कि हानि पहुचाते है।आतंकवादी आतंकवाद फैलाने के लिए जगह जगह दंगे करवाते है। वे अलग अलग टुकड़ी में विभाजित होकर दुनिया के अलग अलग कोने की शांति भंग करते हैं। कई बार अपने मकसद में कामयाब होने की जद्दोजहद में वे बारूद के बम को ब्लास्ट करवाते है। वे ऐसी जगहों पर बम को लगाते है जहां बड़ी संख्या में लोग आते जाते रहते हो। जैसे कोई मॉल, बाजार, थिएटर इत्यादि। वे विभिन्न प्रकार के हानिकरक बम का इस्तेमाल करते है। आतंकवाद जब एक दो जगह से बढ़ते बढ़ते बहुत सारी जगह होने लगे तब ये काफी चिंता का विषय होता हैं। आज भी ये चिंता का विषय है।

आतंकवादियों का मकसद एवं उद्देश्य- बिना उद्देश्य व बिना किसी मकसद के तो कहा जाता है कि पत्ता भी नही हिलता फिर ये तो गोलियों की आवाजों, दंगों, व बम विस्फोट की बात है। आतंकवादियों का मकसद भी इसी प्रकार अलग अलग है। किसी के अंदर बदले की भावना होती है तो वह आम लोग को नुकसान पहुंचाते हैं। इसमे विचारों का अहम हिस्सा है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्य को सिद्ध करने या करवाने के लिए हिंसात्मक होने का विचार बनाता है वहां से ही आतंकवाद की शुरुवात हो जाती है। हिंसा का रास्ता अपनाने की शुरुवात विचारों से ही होती है। आतंकवादियों का मकसद हर बार अलग अलग होता है। कुछ अपने संगठन के लोगों को सरकार से छुड़वाने के लिए आतंकवाद के प्रसार का  रास्ते अपनाते है। जिससे सरकार उनके संगठन के लोगो को छोड़ दे। वे देश के मासूम लोगो को अपना निशाना बनाते है। कुछ लोग के विचार वर्तमान सरकार से अलग होते है वे चाहते है कि सिर्फ दुनिया मे हमारी ही चले। कुछ पैसों के लिए आतंवादी बनते है। कुछ लोग किसी की हत्या को रोकने के लिए पैसे की मांग करते है जिससे उन्हें पैसा मिले पैसा मिलते ही वह अमुख व्यक्ति को छोड़ देते है। आतंकवादियों के अलग अलग संघठन होते है। अलग अलग मकसद से होते है।अलग अलग जगहों पर होते है। माना जाता है कि आतंकवाद घरेलू स्तर याने की एक गांव में , राष्ट्रीय स्तर याने कुछ अमुख मुल्कों में एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर अर्थात हर जगह फैलाया जाता है। अपने मन मर्ज़ी के लक्ष्यों को पूर्ति करने के लिए लोग हिंसा का सहारा अपनाते है। उनके बेशक उद्देश्य अलग अलग होते है। जैसे राष्ट्र की शांति भंग करना, बदला लेना, पैसे हड़पना, राष्ट्र की बदनामी करना,दंगे भड़काना इत्यादि।परंतु मकसद एक ही होता है ” हिंसात्मक रूप से अपने कार्य को, अपने लक्ष्य को पूरा करवाना” । जब आतंकवादी हिंसा को अपना कर अपने कार्य पूर्ण करवाते है उसी को हम आतंकवाद कहते है। जैसे जैसे लोगो में अलग व गलत कार्य सिद्ध करवाने की आशा बढ़ती है, वैसे वैसे आतंकवाद में भी तेजी से बढ़ोतरी होती है।

आतंकवादी बनने की वजह- आतंकवादी कोई दूसरे ग्रह से आये एलियन नही है। वे भी हमारी ही तरह इंसान है। जिस तरह से देश की रक्षा करने का जस्बा या साहस हमारी बॉर्डर के लोगों में होता है। ठीक वैसे ही आतंकवादियों में आतंक फैलाने का कीड़ा होता है। लेकिन हमारी सीमा पर जो सैनिक तैनात है उन्हें कही न कही से वहां डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। तो हम ये क्यों नही समझते कि आतंवादियों को भी आतंकवाद करने और उसमें डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। जब हम अच्छी प्रेरणा को बढ़ावा देते है तो बुरी प्रेरणा को कम क्यों नही करते है? 

आपके हृदय में इस क्षण जो भाव आया वही भाव देश के नागरिकों को आना चाहिए। 

एक व्यक्ति आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान होता है। ताज्जुब की बात ये है कि लोग आतंकवादी को इस प्रकार देखते है कि जैसे उसने जन्म ही आतंकवादी के रूप में लिया हो। उनके जीवन मे क्या मुश्किलें रही जिसके कारण उन्हें आतंकवादी बनना पड़ा ये 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग समझने का कभी प्रयास नही करते। तरह तरह के कारण की वजह से लोग आतंकवाद का रास्ता अपनाते है। अधिक लोग इसमे मजबूरी के कारण जाते है। कोई पारिवारिक समस्या होती है या फिर उनके माहौल में असंतुलन। बचपन से किसी बच्चे को हर छोटी चीज़ के लिए डांटा जाए मारा जाए ये बेहद खराब स्थिति देख बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है। हो सकता है अपना जीवन जीने वो अपने रास्ते पर निकले और उसे गलत संगति मिल जाये। वह व्यक्ति पहले से ही आहत है। वो आसानी से लोगो की बातों में आकर गलत रास्ते पर जा सकता है। इसी प्रकार के कई कारण होते है। जिससे बच्चे के मस्तिष्क पर असर पड़ता है। वह क्रोध करता है। हिंसा का मार्ग अपनाता है। लेकिन इस सूची में आने वाले महज 5 प्रतिशत लोग ही आतंकवाद का सहारा लेते है। बाकी के बचे लोग की आतंकवाद को अपनाने की अलग वजह होती है। और उन सब मे से सबसे बड़ी 2 वजह है “शिक्षा एवं बेरोज़गारी का अभाव”। 

जिस भी क्षेत्र में ज्ञान की कमी है, वहां आतंकवादी आम जन ही है। 

जब व्यक्ति शिक्षित हो जाता है पर उसे रोज़गार मुहैया नही कराया जाता, वह व्यक्ति अपने आप को दुनिया का बदनसीब इंसान समझता है। जब लंबे समय तब समान स्थिति बनी रहे तो इसके बाद उनके पास आतंकवाद के रास्ते खुलते है। देश ये युवाओं को आतंकवादी संगठन ढूंढते है उन्हें प्रेरित करते है कि हमारे साथ जुडो। जिन लोगो के पास नौकरी नही होती ऐसे लोग बड़ी आसानी से जाल में यह सोच कर फस जाते है कि कमसे कम हमे पैसा तो मिलेगा, भूखे तो नही रहेंगे। कुछ लोग इसी प्रेरणा से और कुछ मजबूरी से आतंकवादी बन जाते है।

आतंकवाद को कम करने का उपाय- आतंकवाद को कम करने के लिए हमे दीर्घदृष्टि की आवश्यकता है। सबसे पहले हमें उन्हें समझते हुए उनका दिमाग पढ़ना होगा और ये समझना होगा कि वे किस वजह से आतंकवाद में आये। अलग अलग टुकड़ी का उद्देश्य इसी प्रकार समझना होगा। आतंकवाद कम करने के लिए आतंकवादी कम करने पड़ेंगे। और आतंकवादी कम करने के लिए शिक्षा का संचार करना होगा। जिससे इन व्यक्ति के बाद में आतंकवादी बनने वाले व्यक्ति की संभावना इस रास्ते पर आने को लेकर है वह शून्य हो जाएं। शिक्षा के माध्यम से अच्छा और बुरा पहचानने में लोगो को मदद मिलेगीं। साथ ही उन लोगो को हृदय से समझने की आवश्यकता हैं। जिससे आतंकवाद की संभावना जड़ से खत्म हो पाए।जिनके पास शिक्षा नही है उन्हें शिक्षित करे। जिनके पास रोज़गार नही है उन्हें रोज़गार मुहैया कराए।जो तनाव ग्रसित है उनसे उनकी समस्या पूछी जाए। जो अलग विचार रखते है उनसे स्पष्ट बात की जाए। जो नामुनकिन है उसे मुमकिन किया जाए। फिर जब आतंकवादी ही नही बचेंगे तो आतंकवाद कहाँ से  होगा। खाली दिमाग मे जो अंकुरित करते है, परिणाम स्वरूप वही सामने आता है। इसीलिए सरकार को शिक्षा, रोज़गार दोनो मुहैया करने की आवश्यकता है। 

उपसंहार- अगर आम लोग की बात है तो हमे भी आतंकवाद कम करने में योगदान देना चाहिए। अपने आस पास के लोगो की मदद करे। कोई अनपढ़ है तो आप उसे पढ़ाई में मदद करिए। कोई परेशान है तो उसके जीवन मे सुधार का हिस्सा बनिये। जो व्यक्ति आतंकवादी बनता है वह हमारे बीच का ही कोई व्यक्ति होता है। वह आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान की ज़िंदगी जी रहा होता है। ध्यान रखिये की आपके बीच का व्यक्ति कभी आतंकवाद का रास्ता न अपनाए। इसकी जिम्मेदारी अगर हर व्यक्ति लेगा तो आतंकवाद जड़ से नष्ट हो जाएगा।

उनकी पीड़ा को न समझ कर देशद्रोही का खिताब देने की बजाए पीड़ा को समझे और जिस प्रेरणा से वह आतंकवादी बन सकते है उस प्रेरणा को मिटाए। 

समझदार है तो ज़िम्मेदारी लीजिये, वरना विनाश के ज़िम्मेदार भी खुद को ठहराइये। 

हमें आशा है आपको terrorism essay पसंद आया होगा। आप इस निबंध को global terrorism essay या फिर international terrorism essay के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। इस निबंध को paragraph on terrorism के लिए भी प्रयोग कर सकते है ।

आतंकवाद पर निबंध (विश्वव्यापी समस्या, घटनाओं की सूची सहित) Essay on Terrorism in Hindi

आज इस लेख में आप आतंकवाद पर निबंध (विश्वव्यापी समस्या, घटनाओं की सूची) Essay on Terrorism in Hindi पढ़ेंगे। दुनिया मे आतंकवाद एक बहुत बड़ी मुश्किल बन चुका है जिसे अब जड़ से हटाना होगा।

आईए शुरू करते हैं – आतंकवाद एक विश्व व्यापी समस्या पर निबंध

Table of Content

आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद अब विश्वभर में फैला चुका है। अभी कुछ दशकों में, उसने नए आयाम हासिल किए हैं और इसका कोई अंत नहीं है। जिस तरीके से यह पिछले कुछ सालों मे बढ़ रहा है, यह सीमाओं से परे है, हम सभी के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय है।

हालांकि यह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नेताओं द्वारा निंदित किया गया है, पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। यह कई गुना बढ़ रहा है और इसके सबूत भी सभी जगह हमने देखे है। आतंकवादियों और उग्रवादियों ने अपने शत्रुओं को आतंकित करने के लिए सभी तरह के हथियारों और रणनीतियों का उपयोग किया है।

विश्व भर में आतंकवाद Worldwide Terrorism

फलस्वरूप, आज विश्व दिन-प्रतिदिन असुरक्षित, खतरनाक और भयभीत जगह बनती जा रही है। इस क्रूर श्रृंखला के कार्य और भयावह हिंसा से भरी प्रतिक्रिया बहुत ही खतरनाक है जिसे नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है। आतंकवाद, हिंसा, रक्तपात और हत्याएं आदि आज दिन का एक क्रम बन गए हैं।

वे बहुत शक्तिशाली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निहित हितों द्वारा प्रशिक्षित, प्रेरित और वित्तपोषित हैं, वे इन शक्तियों से घातक हथियार और गोला-बारूद प्राप्त करते हैं और लोगों में कहर पैदा करते हैं। इस बदसूरत और खतरनाक, सामाजिक और राजनैतिक घटना को आतंकवाद कहा जाता है।

वे अपने संकीर्ण, सांप्रदायिक और अपवित्र उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हर तरह की असामाजिक और गैर-सरकारी गतिविधियों में शामिल होते हैं। कभी-कभी, आतंकवादियों के पास बहुत अच्छे उद्देश्य हो सकते हैं लेकिन फिर वे हिंसा का सहारा लेते हैं क्योंकि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने में असमर्थ होते हैं क्योंकि उसमें उनकी विभिन्न कमजोरियां निहित होती है।

भारत में आतंकवाद Terrorism in India

आज़ादी के बाद और विभाजन के बाद हिंसा और आतंकवाद अभूतपूर्व था। धर्म, विश्वास और समुदाय के आधार पर विभाजन ने नफरत, हिंसा, आतंकवाद, अलगाववादी और सांप्रदायिक विभाजन का बीज बोया और लंबे समय तक यह फलते-फूलते रहे है।

हमारे उत्तर-पूर्वी राज्यों में आतंकवाद के उभरने से हमारे राजनीतिक नेताओं और सरकार ने आदिवासियों के इन बड़े समूहों को राष्ट्रीय मुख्यधारा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लाने की इच्छा और उचित प्रयासों को प्रदर्शित किया है।

सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं के अलावा, समस्या में मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और धार्मिक पहलुओं को भी शामिल किया गया है। ये सभी मजबूत भावनाओं और उग्रवाद पैदा करते हैं हाल के दिनों में पंजाब में आतंकवाद के अभूतपूर्व बंटवारे को इस पृष्ठभूमि में सराहा जा सकता है।

समाज के इन विमुख वर्गों द्वारा अलग खलिस्तान की मांग मजबूत और ताकतवर थी। लेकिन आखिरकार सरकार और लोगों दोनों पर ही अच्छी भावनाएं प्रबल हुईं, और चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें लोगों ने पूरे दिल से भाग लिया।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल लोगों की भागीदारी, सुरक्षा बलों द्वारा अपनाए गए ठोस कदमों के साथ, हमें पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ एक सफल लड़ाई लड़ने में मदद मिली।

आतंकवाद, पंजाब में सामाजिक-राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के साधन के रूप में हथियार और गोला-बारूद, प्रशिक्षण और वित्त की आपूर्ति के जरिए पाकिस्तान से बहुत समर्थन मिला। पाकिस्तान की सत्ता में रहने वाले लोग हमेशा से भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रहे हैं क्योंकि उनकी अपनी राजनीतिक मजबूरी है।

वे भारत में समाज को स्थिर और परेशान करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते रहे हैं। वे आतंकवादियों को तैयार करके और हथियारों के साथ हमारे देश में भेजते हैं और फिर उनसे देश में तस्करी कराते हैं जिससे गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी आदि लोगों इसका शिकार होते है। विभिन्न राजनीतिक, सांप्रदायिक और आर्थिक दबावों के तहत, वे प्रलोभन के शिकार हो जाते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को त्याग देते हैं।

जम्म और कश्मीर में आतंकवाद Terrorism in Jammu & Kashmir

पाकिस्तान में योजना बनाई गई थी जिसमें मुंबई और भारत के अन्य शहरों में श्रृंखला में बम विस्फोट किये गए और उनकी वित्तीय नुकसान के साथ लोग भी मारे गए। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के कारण पिछले 6-7 वर्षों के दौरान निर्दोष नागरिकों, रक्षा और सुरक्षा कर्मियों सहित हजारों लोगों की मौत हो गई।

इसके कारण राज्य में कई करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। पाकिस्तानी सरकार द्वारा आतंकवाद और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों में आतंकवाद के उग्रवाद की आवाज के बावजूद आतंकवादियों, कट्टरपंथियों को आईएसआई और अन्य ऐसे समूहों और एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे गुप्त और सुस्थापित शिविरों में उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। इन चरमपंथियों को वहां एक बहुत सुरक्षित रहने की जगह मिली है।

मोहर, सुन्नियों, शिया और अन्य ऐसे समूहों में सांप्रदायिक, कट्टरपंथी और सांप्रदायिक संघर्ष, हिंसा और आतंकवाद अब बहुत आम है। पाकिस्तान में संगठित और बड़े पैमाने पर आतंकवाद और हिंसा की जड़े काफी गहरी और व्यापक हैं।

आतंकवाद जैसे वैश्विक समस्या का समाधान Solution of Terrorism Problem in Hindi

विभिन्न देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग से वैश्विक खतरे को कम किया जा सकता है। जिन देशों से आतंकवादियों के स्प्रिंग्स को स्पष्ट रूप से पहचाना जाये उन्हें आतंकवादी राज्य घोषित किया जाना चाहिए।

यह संपूर्ण व्यर्थता है, आतंकवाद में विजय या पराजय नहीं होता, केवल जनता का नुकसान होता है अगर आतंकवाद जीवन का एक रास्ता बन जाता है तो हम विभिन्न देशों के राज्यों के प्रमुख नेताओं को दोषी कहते हैं। यह दुष कार्य का चक्र अपनी स्वयं की रचना है और हम केवल उनके संयुक्त और जमा किए गए गलत प्रयासों की जांच कर सकते हैं।

अंतिम विश्लेषण में, सभी आतंकवादी समूह आपराधिक हैं वे अच्छे और बुरे के बीच अंतर नहीं जानते; और न ही वे किसी को भी छोड़ते हैं, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं। उदाहरण के लिए, जैश-ए-मोहम्मद, जो कश्मीर में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है, वह सबसे क्रूर और लालची है।

यह 1980 के दशक की शुरुआत में अफगान मुजाहिद्दीन के लिए एक समर्थन संगठन के रूप में शुरू हुआ था। यह अब विभिन्न नामों के तहत दुनिया भर में काम कर रहा है। उनका प्रामाणिक उद्देश्य जिहाद के माध्यम से पूरे विश्व में इस्लाम धर्म स्थापित करना है। वे अपने कार्यकर्ताओं को बम, विस्फोटक बनाने, हथगोले फेंकने और हल्के और भारी हथियारों का इस्तेमाल करने में प्रशिक्षित करते हैं।

कश्मीर की घाटी में उनके विशाल ठिकाने हैं जिस आदमी ने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आक्रमण किया था, वह इसी समूह का था। इन आतंकवादी कृत्यों के माध्यम से वे पूरे विश्व में, भारत सहित आतंकवाद का खेल खेल रहे है।

भारत में आतंकवादी घटनाओं की सूची Major Terrorist Attacks in India

जून 8, 1980मंडई हत्याकांडत्रिपुरा500
15 जून 19911991 पंजाब हत्याएंपंजाब126200
17 अक्टूबर 19911991 रुद्रपुर बम विस्फोटउत्तराखंड41140
12 मार्च 19931993 बंबई बम विस्फोटमुंबई257700+
16 मार्च 1993बोबाजार बम विस्फोटकोलकाता (पूर्व में कलकत्ता), पश्चिम बंगाल69
14 फरवरी 1998कोयंबटूर बम विस्फोटतमिलनाडु58200+
20 मई 2000बागबेर नरसंहारत्रिपुरा25
10 सितंबर, 2002रफीगंज ट्रेन का मलबाबिहार200150+
25 अगस्त 200325 अगस्त 2003 मुंबई बम विस्फोटमुंबई52
29 अक्टूबर, 20052005 दिल्ली बम विस्फोट- नई दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर तीन शक्तिशाली सिलसिलेवार धमाकेदिल्ली70250
11 जुलाई 20062006 मुंबई ट्रेन बम विस्फोट: मुंबई में शाम की भीड़ के समय 7 ट्रेन बमबारी की श्रृंखलामुंबई209714
8 सितंबर, 20062006 मालेगांव बम विस्फोट- महाराष्ट्र के मालेगांवमें एक मस्जिद के आसपास कई बम धमाके हुएमहाराष्ट्र40125
18 फरवरी, 20072007 समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोटहरियाणा7050
25 अगस्त, 2007अगस्त 2007 हैदराबाद बम विस्फोट – हैदराबाद के लुम्बिनी पार्क और गोकुल चैट में दो धमाके।हैदराबाद4254
13 मई, 2008जयपुर बम विस्फोट- जयपुर में 6 इलाकों में 9 बम धमाकेजयपुर71200
26 जुलाई, 20082008 अहमदाबाद बम विस्फोट- अहमदाबाद में 17 सीरियल बम धमाकेगुजरात56200
30 अक्टूबर, 20082008 असम बम विस्फोटअसम81470
26 नवंबर, 20082008 मुंबई हमलेमुंबई171239
6 अप्रैल, 2010अप्रैल 2010 दंतेवाड़ा में माओवादी हमलाछत्तीसगढ़84 (8 आतंकवादियों सहित)8
17 मई 20102010 दंतेवाड़ा बस बम विस्फोटछत्तीसगढ़31-4415
28 मई 2010ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतरीपश्चिम बंगाल148200+
23 दिसंबर 2014दिसंबर 2014 असम हिंसाअसम85
14 फरवरी, 20192019 पुलवामा हमलाअवंतीपोरा, जम्मू-कश्मीर46

निष्कर्ष Conclusion

जैसे की आपने जाना आतंकवाद ने दुनिया के हर क्षेत्र मे दहशत और खून-खराबा फ़ाइल रखा है। साथ ही न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में कई देशों मे इसके प्रभाव को हम देख रहे हैं।

कुछ ऐसे देश हैं जो अब आतंकवाद का गढ़ बन चूकें हैं और विश्व के विनाश के लिए ही रात-भर सोच रहे हैं। ऐसे देशों का हुक्का पानी पूरा बंद कर दिया जाना चाहिए।

आतंकवाद के विषय मे आपकी क्या राय है कमेन्ट के माध्यम से हमें जरूर भेजें। इस आतंकवाद एक विश्व व्यापी समस्या पर निबंध को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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Terrorism Essay in Hindi | आतंकवाद पर निबंध और भाषण

aatankwaad par nibandh आतंकवाद पर निबंध

दोस्तों, आतंकवाद एक बेहद कायरतापूर्ण कार्य है. हम यहाँ पर आपके लिए Terrorism Essay in Hindi पेश कर रहे हैं जिन्हें आप आतंकवाद पर निबंध और आतंकवाद पर भाषण, दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.

भारत में आतंकवाद पर निबंध – Essay on Terrorism in Hindi

भारत में आतंकवाद के दुष्प्रभाव, १. जन-हानि और डर का माहौल, २. पर्यटन की कमी, ३. निवेश में कमी, ४. अर्थव्यवस्था में हानि, भारत में प्रमुख आतंकी हमले, १. मुंबई में 26/11 हमला, २. मुंबई ट्रेन विस्फोट, ३. संसद हमला, 4. उरी हमला, 5. पुलवामा आतंकी हमला, आतंकवाद पर निबंध – essay on terrorism in hindi -2, terrorism essay in hindi – terrorism speech in hindi, आतंकवाद के खिलाफ कार्य, यवाओं की भूमिका अहम.

भारत में आतंकवाद का एक लंबा इतिहास रहा है। यह उन आतंकवादी समूहों द्वारा कायरतापूर्ण कार्य है जो देश की शांति को भंग करना चाहते हैं। इसका उद्देश्य लोगों में दहशत की स्थिति पैदा करना है। वे देश को समृद्ध होने से रोकने के लिए लोगों को निरंतर भय की स्थिति में रखना चाहते हैं।

समय-समय पर, वे लोगों को उस भय की याद दिलाने के लिए आतंकवादी कार्य करते हैं। कई आतंकवादी सेल हैं जो भारत में चल रहे हैं। उन्होंने नागरिकों के बीच तनाव का माहौल सफलतापूर्वक बनाया है। आतंकवाद देश को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और इसके खतरनाक परिणाम हैं।

जैसा कि पहले बताया गया है, आतंकवाद का किसी भी देश पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। जब हम भारत जैसे विकासशील देश को देखते हैं, तो यह सब अधिक हानिकारक होता है।

बम विस्फोट या गोलीबारी से नागरिकों में दहशत की स्थिति पैदा हो जाती है। साथ ही, यह लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह विभिन्न नागरिकों की असामयिक मृत्यु का कारण बनता है। चिंता और भय उनके जीवन जीने के तरीके को काफी हद तक प्रतिबंधित कर देते हैं।

इसके अलावा, पर्यटन उद्योग पर आतंकवाद का बड़ा प्रभाव है। चूंकि पर्यटक उन स्थानों पर जाने से बचते हैं जो आतंकवादी हमलों की चपेट में हैं। भारत पर्यटन से अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा कमाता है। जब ये आतंकी हमले होते हैं, तो वे पर्यटकों के बीच डर पैदा करते हैं और पर्यटन उद्योग को झटका लगता है।

इसके अलावा, आतंकवादी हमले भारत के विदेशी निवेशकों में संदेह की भावना पैदा करते हैं। आखिर, कौन देश आतंकवाद से पीड़ित देश में निवेश करना चाहेगा? वे जोखिम से बचते हैं और इसके बजाय सुरक्षित विकल्प चुनते हैं। इसलिए, इन आतंकी हमलों ने भारत के व्यापार को भारी झटका दिया।

आतंकवाद अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है। आतंकवादी हमलों से जान-माल का नुकसान होता है। पुनःपूर्ति में बहुत अधिक पूंजी लगती है। इसके परिणामस्वरूप लोगों को सुरक्षित वातावरण के लिए विदेश जाने के लिए देश छोड़ना पड़ता है। यह स्थिति भारत को कई संभावित डॉक्टरों, इंजीनियरों, कलाकारों और बहुत कुछ खो देती है।

भारत ने समय के साथ कई आतंकी हमलों का सामना किया है। उनमें से सबसे खराब निश्चित रूप से मुंबई में 26/11 का आतंकवादी हमला है। आतंकवादियों ने नरीमन हाउस, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट और होटल ताज जैसी प्रसिद्ध जगहों पर कब्जा कर लिया। आतंकवादियों ने लगभग 170 लोगों को मार डाला और लगभग 300 लोगों को घायल कर दिया। आतंकी हमलों के शिकार ये सभी लोग पुलिस अधिकारी, सुरक्षाकर्मी या पर्यटक थे।

मुंबई ट्रेन विस्फोट भी बहुत घातक थे। वे मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए और 7 रेलवे स्टेशनों पर हुए। इन हमलों में 210 लोगों की जान गई और 715 लोग घायल हुए।

भारतीय संसद हमला भी बहुत आश्चर्यजनक था। चूंकि संसद सबसे सुरक्षित जगहों में से एक है। आतंकवादी तीन संसद स्टाफ सदस्यों और छह पुलिस अधिकारियों को मारने में कामयाब रहा। यह आश्चर्यचकित करने वाला है क्योंकि एक चमत्कार यह बताता है कि इतनी सुरक्षित जगह कैसे हमला कर सकती है।

जम्मू और कश्मीर राज्य के उरी शहर के पास 18 सितंबर 2016 को चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने हमला किया था। आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद हमले की योजना और निष्पादन में शामिल था, जिसमें 18 भारतीय सैनिक मारे गए थे।

कश्मीर के उग्रवाद के सबसे घातक आतंकी हमले में कम से कम 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अर्धसैनिक बल के जवान मारे गए। जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए आश्चर्यजनक हमले ने देश को सदमे और गुस्से में छोड़ दिया, जबकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों को समान बल के साथ वापस हमला करने के लिए मुक्त कर दिया।

सभी आतंकी हमलों की सूची के लिए यहाँ जाएँ .

संक्षेप में, भारत में आतंकवाद से देश की सुरक्षा और उसे समृद्ध बनाने में मदद करने की आवश्यकता है।

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आतंकवाद एक ऐसा कार्य है जिसका उद्देश्य अवैध तरीकों से आम लोगों में भय पैदा करना है। यह मानवता के लिए खतरा है। इसमें हिंसा फैलाने वाले व्यक्ति या समूह, दंगे, चोरी, बलात्कार, अपहरण, लड़ाई, बमबारी आदि शामिल हैं। आतंकवाद कायरता का एक कार्य है।

आतंकवाद एक राष्ट्रीय समस्या नहीं है, बल्कि एक वैश्विक खतरा है जिसे प्रारंभिक स्तर से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। इसे केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। आतंकवाद के इस बढ़ते खतरे के खिलाफ दुनिया के लोगों को भी एकजुट होना होगा।

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आतंकवाद और हिंसा को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए। अगर समझदारी से व्यवहार न किया जाए, तो यह तीसरे विश्व युद्ध का कारण बन सकता है, जो शायद ग्रह के विनाश से पहले अंतिम युद्ध हो सकता है।

निस्संदेह, आतंकवाद का खतरा सबसे बड़ा है जो किसी भी अन्य खतरे की तुलना में मानव जाति पर गहरा प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ लड़ती हुई दिखाई देती है। हाल के दिनों में भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी आतंकवादी हमले हुए हैं।

दुनिया के सभी हिस्सों में आतंकवादियों को मारा जा रहा है। आतंकवाद का समर्थन करने वाले लोगों को या तो न्याय के लिए लाया गया है या उनका पीछा किया जा रहा है और उन्हें न्याय दिलाने के लिए जमकर शिकार किया जा रहा है।

आतंकी संगठनों के सभी कुख्यात प्रमुखों को या तो समाप्त कर दिया गया है या उन्हें आतंकवाद-रोधी अभियानों में गिरफ्तार या मार दिया गया है। सभी उन्नत देश आतंक के खिलाफ भीषण युद्ध कर रहे हैं। सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS इराक और सीरिया में सफलतापूर्वक लड़ा जा रहा है।

भारत में भी, आतंकवाद की घटनाओं को कुचलने के लिए सुरक्षा बल अपने उच्चतम अलर्ट पर हैं।

आतंकवाद के खतरे से लड़ने में युवा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आतंकवादी संगठन धार्मिक भोग द्वारा युवाओं को निशाना बनाते हैं। वे उनका ब्रेनवॉश करने की कोशिश करते हैं और मानव जाति के खिलाफ जघन्य आतंकवादी कृत्य करते हैं।

यह देखा गया है कि अधिकांश आतंकवादी युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। युवा इन हमलों को दिमाग लगाने और असंयमित होने से मना कर सकते हैं। युवा जीवन पर एक विस्मयकारी दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं और पूरी मानव जाति को सिर्फ एक बड़ा परिवार मानते हुए आतंकवादियों के खिलाफ हाथ मिला सकते हैं।

युवाओं को आतंकवादी समूहों के जघन्य प्रभावों से सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। युवाओं को भी दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ धर्मयुद्ध में शामिल होना होगा। पूरी मानव जाति को इस बुराई के खिलाफ एक ठोस अभियान शुरू करना चाहिए।

निष्कर्ष रूप में, यह कहा जा सकता है कि आतंकवाद और हिंसा से भी दूर रहना चाहिए। आतंकवाद का कारण समझदारी और धैर्य से हल होना चाहिए। दुनिया के सभी लोगों को दुनिया के सभी हिस्सों में शांति लाने के प्रयास करने चाहिए।

दोस्तों, उम्मीद है ये सभी आतंकवाद पर निबंध, आतंकवाद पर भाषण, terrorism essay in hindi, terrorism speech in hindi, aatankwad par nibandh आपकी जरुरत के हिसाब से ही होंगे. धन्यवाद.

  • Tags: Essay on Terrorism in Hindi , terrorism essay in hindi , terrorism speech in hindi , आतंकवाद पर निबंध

Editorial Team

Editorial Team

One response.

दोस्त आपने शानदार तरीके से आतंकवाद पर अपने विचार रखें आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इसी तरह की बहुत सारी जानकारी आप शेयर करते रहिए

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आतंकवाद पर निबंध | Essay on Terrorism in Hindi

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Essay on Terrorism in Hindi : यहाँ इस लेख में आपको आतंकवाद पर निबंध उपलब्ध कराएँगे अक्सर जो बच्चे पढाई करते है उन्हें हिंदी के परीक्षा में आतंकवाद पर निबंध लिखने को मिलता है।

बहुत सारे छात्र इसे नजर अंदाज कर देते है लेकिन यह आपके परीक्षा में मिलने वाले मार्क्स में जुड़ने वाले नम्बर्स का मुख्य अंक हो सकता है।

इसलिए हमें Terrorism Essay in Hindi लिखना अच्छी तरह से सिख लेनी चाहिए इस पोस्ट में आपके लिए Essay on Terrorism in Hindi का कुछ सेम्पल उपलब्ध कराये है।

Table of Contents

आतंकवाद पर निबंध (200 शब्द)

आतंकवाद एक बुरी चीज होती है। आतंकवाद एक विकृत प्रकृति का अवतार है यह हमारे समाज, समृद्धि, स्वातंत्र्य, धर्म और पूजा के विरुद्ध होता है। आतंकवाद एक हत्यारी और अत्याचारपूर्ण तंगी की प्रकृति है यह बहुत से देशों और समाजों को तंग करता है। 

आतंकवाद का कोई राष्ट्र, कोई धर्म, कोई भाषा, कोई परिवार और कोई घर नहीं होता उनका एक ही सरकार होता है आतंक फैलाना आतंकवादी कोण है। अगर साधारण भाषा में समझा जाए तो यह एक समूह है।  

आतंकवाद आतंक शब्द से बना एक शब्द है कुछ लोग आतंकवाद को बहुत छोटी चीज समझते है लेकिन जहाँ यह सुचारु रूप से चल रही है वहाँ के लोग इसे बखूबी समझते है। 

वास्तव में आतंकवाद दुनिया के हर कोने में ही हो सकता है लेकिन यह दुनिया के कुछ देशों और क्षेत्रों में पनप रहा है पाकिस्तान ईरान सीरिया जैसे कोई क्षेत्र इन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है। 

आतंकवादी जगह – जगह दंगे और विस्फोट आतंक फैलाने के लिए करवाते है और लोगों में भय के माहोल उत्पन्न करते है अगर आतंकवाद को सीधे तौर पर देखा जाए तो यह विश्वासघात और हिंसा है कई बार देश के नागरिक खुद भी देश के खिलाफ आतंकवाद और हिंसा फैलते है। ऐसा करने वालों को हम आतंकवादी कहते है क्योंकि इस प्रकार के कार्य देशद्रोह के समान है। 

आतंकवाद पर निबंध (250 शब्द)

आतंकवाद लगभग सभी देशो में फैला हुआ है आतंकवाद बहुत ही ज्यादा खराब है और उनसे अपने मन मुताबिक काम कराया जाता है आतंकवाद सरकार की भी गिरने की काम करती है जिससे देश की शांति भंग होता है।

हमारे देश भारत मे भी आतंकवाद बहुत ही ज्यादा नुकसान कर रहा है आतंकवाद में बहुत सारे लोग होते है जो गलत रास्तो का इस्तेमाल करके अपने मन मुताबिक कार्यो को अंजाम देते है। हमारा हिंदुस्तान भी कई सालो से आतंकवाद से लड़ रहा है। आतंकवाद लोगों के द्वारा ही फैलाया जाता है जो लोग आतंकवाद का साथ देते है उन्हे आतंकवादी कहा जाता है। 

 हिंदुस्तान देश में सबसे ज्यादा आतंकवाद पाकिस्तान के सीमा रेखा से ही होता है आतंकवादियों ने कई बार हमारे देश में घूसने की कोशिश की हैं और ज्यादातर घुसपैठ की वजह से मारे गए है। आतंकवादी लोग बार बार कोशिश करते रहते है। जिससे यह कभी भी कामयाब हो जाते है जैसे की मुंबई में आतंकवादी घूस आए थे और उन्होंने बहुत सारे लोगों को मारा आतंकवादियो ने सबसे ज्यादा ताज होटल में लोगों को मारा यह मामला आज भी हर एक हिन्दुस्तानी को पता है। 

अगर हमें आतंकवाद को कम करना है इसके लिए हमे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है उन्हें सही और गलत का फर्क समझना है तो उन बच्चों का मन भारतीय आर्मी से जोड़ना होगा ताकि उन बच्चों को किसी चीज के लिये मजबूर न कर सके उन बच्चों को देश की सेवा के लिये भारतीय आर्मी में जोड़े यही बच्चे आगे चलकर भारतीय सेना से जुड़कर आतंकवाद के खिलाफ बहुत ही बड़ी लड़ाई लदेगे और देश से आतंकवाद खत्म करेंगे।  

आतंकवाद पर निबंध (300 शब्द)

आतंकवाद आज विश्व समस्या के रूप मे सामने या रहा है आओनी बात को जबरन व विध्वंसकारी भयंकर अमानवीय घटनाओ से आतंकित कर मांगों को पूरा करने के लिए विवश करना आतंकवाद है। यह गैर सरकारी संगठन है जिसका एकमात्र कार्य लूट हत्या राहजनी कत्लेआम करते हुए अपनी बात मनवाने का एक अवैध तरीका है जिसके अंतर्गत खून खराबा उनकी मानसिकता है।  

आतंकवाद का अर्थ

आतंकवाद दो शब्दों के मेल से बना है आतंक + बाद आतंक का अर्थ है भय तथा वाद का अर्थ है पध्दती या तरीका अर्थात भय कतिपय रूपों मे पैदा करके अपनी नाजायज मांगे मनवाने के लिए विवश करना.

आतंकवाद के कारण

आतंवड के अनेक कारण है जिसमे कुछ स्थानों पर धार्मिक कारण है जिनका उद्देश्य इस्लामिक कट्टरता की स्थापना करना है कुछ ऐसे भी संगठन है जो शासकों की राजनीतिक बुराई से खुलकर विरोध में आ जाते है। कुछ संगठन केवल अपना वर्चस्व स्वचलीत करने के लिए बन गये है जैसे कश्मीर भारत का अभाज्य अंग है परंतु पाकिस्तान उसे अपनी विरासत मानकर अनेक आतंकी संगठनों को धन – बल अस्त्र – शस्त्र प्रदान कर कूटनीतिक कार्य कर रहा है जिसे भारत एक लंबे समय से झेल रहा है। 

आतंवड को रोकनेउपाय

भय पूरी मानव आबादी आतंक से पीड़ित है इसलिए विश्व को प्राथमिकता से इसे रोकने या शमन करने का उपाय करना चाहिए जाती धर्म संप्रदान से ऊंचे उठकर विश्वस्तर पर इसका कठोरता से विरोध करना चाहिए।

अत: आतंकवाद आज विश्व की ज्वलंत समस्या है इससे पूरा विश्व जूझ रहा है कई देश ऐसे है जो इसके सामने घुटने टेक चुके है यह मानवता और मानव धर्म का साक्षात शत्रु है सभी देशों को मिलकर इसका सफाया करने करने का प्रयास करना चाहिए।

आतंकवाद पर निबंध (350 शब्द)

आतंकवाद एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है इसने पूरी दुनिया को भयाक्रांत कर दिया। है। लेकिन भारत इससे अधिक पीड़ित है। इसका कारण है कि भारत के लगभग सभी भाग में आतंकवादी सक्रिय हैं। दुश्मन राष्ट्र अमानवीय भूमिका अदा कर रही हैं और भारत में आतंकवादियों को सहायता पहुँचा रहे हैं वे उन्हें हथियार और पैसा मुहैया करा रहे। हैं। वे उन्हें मानसिक रूप से मूढ़ बनाते हैं, ताकि वे लोग उनके विध्वंसात्मक निर्देशों का पालन करें।

भारत में कश्मीर आतंकवादियों का केन्द्र-स्थल बन गया है लेकिन वास्तविकता यह है कि कश्मीर के साथ कोई वास्तविक समस्या है ही नहीं। वहाँ की समस्या उत्पन्न की गई है। वस्तुतः भारत एक तेजी से उभरता और विकास करता राष्ट्र है इसका तीव्र विकास दुश्मन राष्ट्रों को सहन नहीं हो रहा है इसलिए वे लोग समय-समय पर यहाँ की शांति एवं सद्भावना को नष्ट करने का प्रयास करते हैं मुम्बई का सीरियल बम ध माका और संसद् पर किये गये हमला इसके निकृष्टतम उदाहरण हैं।

आतंकवादी वे लोग हैं, जो हिंसक गतिविधियों में बुरी तरह व्यस्त हैं। वे लोग अपने उद्देश्यों को पूरा करने हेतु खतरनाक अस्त्रों का प्रयोग करते हैं निर्दोष लोग उनके निशाना बन रहे हैं पुरुष, स्त्री एवं बच्चों की हत्याएँ समान बात हो गई हैं आतंकवादी किसा खास जाति और समुदाय के नहीं होते। सच है कि वे लोग राक्षस हैं और मानवता के दुश्मन हैं।

भारत के प्रधानमंत्री जब भी अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने गये, इस समस्या को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने जोरदार तरीके से उठाया सभी विकसित एवं आक्रांत राष्ट्रों ने आतंकवादियों के अमानवीय कृत्यों को महसूस किया उनलोगों ने भारत को आश्वस्त किया है कि आतंकवाद के खात्मे के लिए आतंकवादियों के विरुद्ध की जानेवाली कार्रवाई में सहयोग करेंगे।

आतंकवाद से राष्ट्र को बचाने हेतु केन्द्र में एक मजबूत सरकार का गठन होना चाहिए आतंकवाद को कठोरतापूर्वक जड़ से उखाड़ देना चाहिए इस संदर्भ में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

आतंकवाद पर निबंध (1000 शब्द)

आए दिन हम भारत एवं विश्व के हिस्सों में राजनीतिक विचारधारा के विभिन्न रंगों के आतंकवादियों एवं उग्रवादियों द्वारा किये गये सदमा प्रदान करने वाले कार्यों के विषय में समाचार सुनते हैं हवाई जहाजों का अपहरण करना, उनको अपनी इच्छित स्थानों पर ले जाना और उनके द्वारा दिए गए समय में उनकी माँग को पूरा न किए जाने पर सवारियों के साथ जहाजों को उड़ाने की धमकी देना आदि सामान्य घटनाएँ हैं।

भीड़-भाड़ के स्थानों, राजनीतिज्ञों के घरों या उन स्थानों पर जहाँ राजनितिज्ञ मिलते हैं, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर विचार-विमर्श करते हैं, बम-विस्फोटों के बारे में भी समाचार सुने जाते हैं सबसे खराब किस्म जो आतंकवाद ने अख्तियार किया है, वह है निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्या करना।

11 सितम्बर, 2001 को अमेरिकी विश्व व्यापार केन्द्र और पेंटागन पर हुए आतंकवादी हमले ने अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद को नए आयाम प्रदान किए हैं इससे जान और माल का जबर्दस्त नुकसान हुआ उसने दुनिया को हिलाकर रख दिया लगभग इसी शैली में भारत में जम्मू-कश्मीर की विधान सभा पर आतंकी हमला हुआ, इसके बाद 13 दिसम्बर, 2001 को भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ।

मानो कि यह सब काफी नहीं था आतंकवादियों ने 22 जनवरी, 2002 को कोलकाता में अमेरिकी सेन्टर पर भी हमला कर दिया आतंकवादी इस प्रकार के असामाजिक व राष्ट्र-विरोधी कार्यकलापों में इसलिए लिप्त होते हैं, ताकि राष्ट्र और सरकार या विश्व समुदाय का ध्यान किसी समस्या पर केन्द्रित न हो सके और अपनी उचित या अनुचित माँगों को मनवा सके, किन्तु अमेरिका की शक्ति और भारतीय लोकंतत्र के प्राचीर पर नवीनतम हमलों ने यह सिद्ध कर दिया है कि आतंकवादी किसी बड़े उद्देश्य को लेकर ये हरकतें नहीं करते हैं।

इसलिए, अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर पूरी शक्ति के साथ प्रहार समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है आतंकवाद का कोई स्वरूप या इसके कार्यकलाप का कोई भी भौगोलिक क्षेत्र नहीं है यह निर्विवाद है कि आतंकवाद ने हमारे जीवन को असुरक्षित एवं अनिश्चित बना दिया है हम कल की या फिर अगले क्षण की ताजा हवा का सेवन कर पायेंगे या नहीं, यह अनिश्चित हो गया है। किस क्षण हम किस बम विस्फोट, रेल या वायुयान दुर्घटना का शिकार बन जाएँ, हम नहीं जानते।

उद्देश्यों की दृष्टि से आतंकवाद को दो श्रेणियों में रखा जा सकता है- (1) सकारात्मक एवं (2) नकारात्मक। सकारात्मक आतंकवाद वह है जिसके उद्देश्य अच्छे हैं उदाहरण के लिए कुछ देशभक्तों ने ब्रिटिश शासन में आतंक फैलाकर उसे भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए बाध्य करने हेतु आतंकवाद अपनाया हमें अच्छे उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अच्छे साधन एवं उपाय चाहिए शान्तिमय और अहिसक साधन ही स्थायी उपलब्धियों की ओर ले जाते हैं। इसलिए उद्देश्य कितने ही पवित्र क्यों न हो, आतंकवाद की संस्तुति कभी नहीं की जा सकती।

ऋणात्मक आतंकवाद वह है जिसमें किसी देश या जाति का कोई असंतुष्ट गुट अपनी गुट-सम्बन्धी या देश से अलग होने या अलग राज्य स्थापित करने की माँग को मनवाने के लिए सारे समुदाय से फिरौती माँगता है आतंकवाद, विशेषकर नकारात्मक आतंकवाद, मानवजाति के लिए कलंक है इसको सख्ती के साथ दबा दिया जाना चाहिए भारत की संसद ने आतंकवाद-विरोधी विधेयक पारित कर दिया है, जिसमें आतंकवाद के क्रियाकलापों में लिप्त होने वाले व्यक्तियों को सख्त, अति सख्त दण्ड देने का प्रावधान किया गया है।

आतंकवाद की भर्त्सना विश्व नेताओं द्वारा भी की गयी है और समस्या से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं गुप्तचर एजेंसियों को सशक्त किए जाने की आवश्यकता है कानून एवं व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए आतंकवादियों को पकड़ने और उनको प्रतिरोधात्मक दण्ड देने हेतु आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए आतंकवाद से लड़ने के साधनों और उपायों के विषय में जनता को शिक्षित किए जाने की आवश्यकता है।

विश्व की सभी सरकारों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए आपस में सहयोग करना चाहिए राष्ट्रीय सरकारों को हठ का रवैया छोड़ देना चाहिए और समुदाय के किसी वर्ग की उचित माँगों को अविलम्ब स्वीकार कर लेना चाहिए आतंकवाद को समाप्त करने के लिए त्वरित किन्तु प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिए जिससे लोगों के जीवन में सुरक्षा प्रदान की जा सके और सरकार के प्रभावीपन में उनकी आस्था को फिर से स्थापित किया जा सके।

सभी देश किसी भी प्रकार के आतंकवाद को समाप्त करने की आवश्यकता के प्रति जाग उठे हैं आतंकवाद पर सम्पूर्ण युद्ध छेड़ा जाना चाहिए। इस बुराई को शीघ्र समाप्त करने हेतु सभी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

समस्या बहुत विशाल है और इसके समाधान के लिए गैर-सामान्य उपायों के अमल लाए जाने की आवश्यकता है भारतीय सेना के तीनों अंगों को प्रयोग में लाया जाए थल, नभ और जल-सेना-तीनों की आवश्यकताएँ हैं भारतीय सेना के तीनों अंगों को प्रयोग में लाया जाय तथा और निगरानी रखे जाने की भी जरूरत है।

सेना और पुलिस दोनों को ही आधुनिक हथियारों से लैसकर बड़ी संख्या में पूरे क्षेत्र में फोर्स के कैम्प लगाए जाएँ वायु-सेना आतंकवादियों की प्रत्येक गतिविधि की आकाश से निगरानी करे, अच्छी तरह हथियारों से सुसज्जित दस्ते नावों के द्वारा नदियों और नहरों के रास्तों पर निगरानी रखे, जिससे कि आतंकवादी इन रास्तों से भी प्रवेश करने में सफल न हो।

एक मनोवैज्ञानिक युद्ध इस प्रकार चलाया जाए कि आतंकवादियों के दिलों में भय उत्पन्न हो जाए। उनके मनोबल तोड़ने के लिए प्रत्येक उपाय काम में लाया जाना चाहिए जो आतंकवादी पकड़े जाएँ, उनका ट्रायल बहुत द्रुतगति से होना चाहिए इस तरह की बराबर चेतावनी दी जानी चाहिए कि आतंकवादियों का हित आत्मसमर्पण करने में ही है जो आतंकवादी आत्मसमर्पण करें उनके पुनर्वास के शीघ्र प्रबन्ध किये जाने चाहिए।

सरकार को सख्त बनना है और आतंकवाद पर पूर्ण लड़ाई छेड़ देनी चाहिए और आवश्यक हो तो उनके प्रशिक्षण शिविरों को भी नष्ट कर देना चाहिए यदि हम उक्त प्रकार की रणनीति बना सकें तो आतंकवाद का सफाया निश्चित है जम्मू-कश्मीर से ही नहीं वरन् देश के अन्य भागों से भी आतंकवाद का सफाया हो सकता है।

आतंकवाद पर निबंध 10 लाइन 

  • आतंकवाद एक गंभीर समस्या है जिसका सामना सारा विश्व कई वर्षों से कर रहा है। 
  • आतंकवाद मानवजाति के लिए बहु बड़ा खतरा है। 
  • लोगों का समूह जो आतंकवाद का समर्थन करते है उन्हें आतंकवादी कहा जात है। 
  • आतंकवाद देश के सभी युवाओं के विकास और वृध्दि को प्रभावित करता है। 
  • यह राष्ट्र के उचित विकास को कई वर्ष पीछे धकेल देता है। 
  • आतंकवाद का कोई नियत कानून नहीं होता है। 
  • आतंकवाद के कारण हर साल कई लोग अपनी जन गंवा देत है। 
  • आतंकवाद के कुछ उदाहरणों में अमेरिका का 9/11 तथा भारत का 26/11 हमला है। 
  • बच्चों को शिक्षा देकर हम आटकवाद को खत्म कर सकते है। 
  • सारा विश्व एक जुट होकर आतंकवाद की समस्या से छुटकारा पा सकता है। 
  • आतंकवाद हिंसा का एक गैर कानून तरीका है। 
  • लोगों को दराने के लीये आतंकवादियों द्वारा हिंसा पैदा की जाती है। 

कुछ विशेष निबंध

  • निबंध लेखन, हिंदी निबन्ध
  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • मोबाइल फोन पर निबंध
  • हमारा प्रिय खेल क्रिकेट पर निबंध
  • भारतीय किसान पर निबंध
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  • हजाम पर निबंध
  • सरस्वती पूजा पर निबंध
  • मेरा विद्यालय पर निबंध

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मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै MCA का छात्र हूँ.

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आतंकवाद पर निबंध-Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद पर निबंध (essay on terrorism in hindi) :.

hindi essay on terrorism

भूमिका : विविधता में एकता भारत की प्रमुख विशेषता है। उक्त विविध जनों को हमारे संविधान ने अपने आप में समान रूप से समाहित किया है। लेकिन विवध संस्कृतियों के इस अद्भुत सामंजस्य को देखकर बहुत से देश निस्तबद्ध रह जाते हैं। वे इस देश के एकीकरण को तोडकर देश को बिखेरना चाहते हैं।

वे हमारे देश को मिलकर रहता हुआ नहीं देख सकते हैं। वे अपने दलालों को भेजकर हमें तोडना चाहते हैं। हमारे समाज में विविध प्रकार से विघटन करके जनसाधारण को अपने कुकृत्यों से आतंकित कर देते हैं जिसकी वजह से समाज में आतंकवाद छा जाता है। आतंकवाद आधुनिक युग की सबसे भयंकर समस्या है।

आतंकवाद की समस्या सिर्फ हमारे ही देश की नहीं सभी देशों की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आतंकवादी अपने-अपने गिरोह बनाकर रखते हैं वे किसी भी देश की कानूनी व्यवस्था को स्वीकार नही करते हैं। अपनी इच्छा से लोगों की हत्या करते हैं। आज के समय में जब हम विभिन्न समस्याओं के बारे में सोचते हैं तो हमें यह पता चलता है कि हमारा देश अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरा हुआ है।

एक तरफ भुखमरी, दूसरी तरफ बेरोजगारी, कहीं पर अकाल पड़ रहा है तो कहीं पर बाढ़ अपना प्रकोप दिखा रही है। इन समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है आतंकवाद की समस्या, जो देश रूपी वृक्ष को धीरे-धीरे खोखला करती जा रही है। भारत देश की कुछ अलगाववादी शक्तियाँ और पथ-भ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश के बहुत से क्षेत्रों में दंगा-फसाद कराकर अपनी स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।

आतंकवाद का अर्थ :  आतंकवाद दो शब्दों से मिलकर बना होता है – आतंक+वाद। आतंक का अर्थ होता है – भय या डर और वाद का अर्थ होता है – पद्धति। आतंकवाद शब्द आतंक से बनता है। समाज को अपने कुकृत्यों से भयभीत कर देना आतंकवाद कहलाता है। जो उन्हें भयभीत करते हैं वो आतंकवादी कहलाते हैं।

आतंकवादियों का केवल एक ही उद्देश्य होता है सरकार और देश के लोगों में भय उत्पन्न करके अपनी अनुचित बातों को मनवाना। आतंकवादियों का कोई देश, धर्म तथा जाति नहीं होते हैं। आतंकवादी भोले-भले बच्चों, स्त्रियों, बूढों और जवानों की बहुत ही बेरहमी से हत्या कर देते हैं। कानूनी व्यवस्था को ताक पर रखकर आतंकवादी देश में आराजकता फैलाते हैं।

इनके कार्यों का विरोध करने वाले व्यक्तियों या उनके विरुद्ध कार्यवाई करने वाले अधिकारियों को हताहत करके भगा देते हैं जिससे आगे आने वाले उनका विरोध न कर सकें। वे ऐसा करने के बाद किसी समुचित स्थान पर छिप जाते हैं। भारतवर्ष में इस तरह का आतंकवाद कई जगहों पर छाया हुआ है।

आतंकवाद दो प्रकार के होते हैं – राजनीतिक आतंकवाद और अपराधिक आतंकवाद। राजनीतिक आतंकवाद वह होता है जो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए जनता में डर फैलाता है और अपराधिक आतंकवाद वह होता है जो अपहरण करके पैसे की मांग करता है।

भारत में आतंकवाद की समस्या : भारत में आतंकवाद का मतलब है भारत में आतंक की स्थिति का उत्पन्न होना। भारत में आतंकवाद के लिए देश के कई क्षेत्रों में हिंसात्मक तरीके अपनाये जाते हैं जिससे सरकार देश के विकास के लिए कोई कार्य नहीं कर पाती है। जब भारत निरंतर विकास करने लगता है तो कुछ विदेशी शक्तियाँ भारत के विकास से जलने लगती हैं।

वे भारत के लालची लोगों को पैसा देकर उनसे दंगे-फसाद करवाती हैं जिसकी वजह से देश विकास न कर सके। अधिकतर आतंकवादी रेल पटरियों को उखाडकर, बस के यात्रयों को मारकर, बैंकों को लूटकर, सार्वजनिक स्थानों पर बम्ब फेंककर आदि इन कामों से आतंकवाद फैलाने में सफल हो जाते हैं।

छठे और सातवें दशक में बंगाल, उड़ीसा, आंद्रप्रदेश, बिहार में नक्सलवादी लोग जनता में आतंक फैलाने का काम करते थे, अब नक्सलवादियों का आतंक अन्य प्रांतों से हटकर आंध्र और मध्यप्रदेश में पहुंच गया है। इस समय में पंजाब और कश्मीर दो ऐसे स्थान है जहाँ पर अब आतंकवाद ज्यादा है।

जनता को आतंकवादियों से मुक्ति दिलाने के लिए हमारी सरकार प्रयत्नशील है। कुछ बड़ी शक्तियाँ और पड़ोसी देश हमारे देश में अव्यवस्था को फैलाना चाहते हैं। अगर हमारा देश दो भागों में विभक्त हो जाता है तो उन्हें बहुत प्रसन्नता होगी।

आतंकवादियों की गतिविधियाँ : सशक्त सैन्य शक्ति से सुदृढ सरकार का मुकाबला प्रत्यक्ष सामने आकर करना बिलकुल असंभव है। इसीलिए आतंकवादी किसी भी सरकार व जनता का सामना छिपकर, आतंक दिखाकर, आतंक फैलाकर करते हैं। हमारे यहाँ आतंकवादी किसी सार्वजनिक जगह पर अचानक पहुंचकर अँधा-धुंध गोली-बारी कर देते है।

पटरी पर सोये हुए मजदूर भी आतंकवादियों की गोली के शिकार होते हैं। प्रमुख राजनेताओं, अधिकारीयों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को वे अवसर पाकर गोली मारकर मौत के घाट उतार देते हैं। उनके विरोध करने वालों को वे कोई-न-कोई अवसर पाकर या कोई षड्यंत्र रचकर मृत्यु को प्राप्त करा देते हैं।

कई बार आतंकवादी चलती बस को रोककर उसमें बैठे हुए यात्रियों को चुन-चुनकर मार देते हैं जिसकी वजह से लोग बसों में यात्रा करने से घबराते हैं। विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर टाइम बम्ब आदि रखकर आतंक का वातावरण फैलाए रखते हैं।

आतंकवाद के मूल कारण : भारत में आतंकवाद के विकसित होने के अनेक कारण हैं। आतंकवाद की समस्या पिछले एक दशक से शुरू हुई है। आज से दस साल पहले छोटे-छोटे लूटपाट के मामले सामने आते थे लेकिन आज के समय में यह समस्या बहुत बढ़ गयी है आज यह छोटी लूटपाट से मारकाट पर उतर आये हैं।

आतंकवाद के उत्पन्न होने के मूल कारण हैं गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, और धार्मिक उन्माद। आतंकवाद की गतिविधियों को सबसे अधिक प्रोत्साहन धार्मिक कट्टरता से मिलता है। लोग धर्मों के नाम पर एक-दूसरे का गला काटने से भी पीछे नहीं हटते हैं। धर्म के विपक्षी लोग धर्म मानने वाले लोगो को सहन नहीं कर पाते हैं।

इसी के फल स्वरूप हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-सिक्ख, मुस्लिम, ईसाई आदि धर्मों के नाम पर बहुत से दंगे-फसाद भड़का दिए जाते हैं। बहुत से अलगाववादी धर्म के नाम पर अलग राष्ट्र की भी मांग करने लगते हैं। इसकी वजह से देश की एकता भी खतरे में पड़ जाती है। कुछ विदेशी ताकतें भारत को कमजोर बनाना चाहती हैं इसलिए वे भारत में अक्सर आतंकवाद को बढ़ावा देती रहती हैं।

आतंकवादियों को बाहर से हथियार भेजे जाते हैं। उनका प्रयोग करके आतंकवादी देश में आतंक का वातावरण पैदा करते हैं। लेकिन अगर अपनी नीति स्पष्ट हो, सुदृढ हो, राष्ट्रिय भावना बलवती हो तो बाहर की कोई शक्ति भारत में हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं कर सकती है इसलिए हमारे देश के नेताओं की ढुलमुल नीति ही हमें आतंकवाद का शिकार बना रही है।

आजकल हिंदू आतंकवाद भारत में एक नए सिरे से सिर उठा रहा है जिसे कुछ सिरफिरे नेता लोग हवा देकर भारत की एकता और अखण्डता को खतरा पैदा कर रहे है। कश्मीरी आतंकवादियों ने नेहरु जी की कमजोर एवं गलत नीति के कारण सहारा पाया, तो सिक्ख आंतकवादियों का जन्म भी इंदिरा जी की कुटिल नीति से हुआ। जो देशभक्त व निष्ठावान थे उन्हें आतंकवाद का शिकार होना पड़ता था। कुछ नेता और अधिकारी अंदर से आतंकवादियों से मिले रहते हैं और दिखावे के लिए उनका विरोध करते हैं।

आतंकवाद पर नियंत्रण : भारत सरकार को आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करने के लिए कठोर कदमों को उठाना चाहिए। ऐसा करने के लिए सबसे पहले कानून व्यवस्था को सुदृढ बनाना चाहिए। जहाँ-जहाँ पर अंतर्राष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है, उन समस्त क्षेत्रों की नाकाबंदी की जानी चाहिए जिसकी वजह से आतंकवादी सीमा पार से हथियार, गोला-बारूद और प्रशिक्षण प्राप्त करने में असफल हो जाएँ।

जो युवक और युवतियां अपने रास्ते से भटक चुके हैं उन्हें समुचित प्रशिक्षण देकर उनके लिए रोजगार के बहुत से पर्याप्त अवसर ढूंढने चाहियें। अगर युवा वर्ग को व्यस्त रखने तथा उनकों उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य दे दिए जाएँ तो वे कभी भी रास्ते से नहीं भटकेंगे। इसकी वजह से आतंकवादियों को अपने षड्यंत्रों को पूरा करने के लिए जन शक्ति नहीं मिल पायेगी और वे खुद ही समाप्त हो जायेंगे।

सांप्रदायिकता का जहर : सांप्रदायिकता आतंकवाद का एक प्रमुख कारण होता है। हमारे देश में कुछ ऐसे लोगों का वर्ग रहता है जो 61 साल की स्वतंत्रता के बाद भी संकीर्ण और कट्टर धार्मिक विचारधारा के शिकार बने हुए हैं। ऐसे लोग ही दूसरे धर्मों के प्रति असहज हो जाते हैं।

ये लोग पुन: धर्म और राजनीति को मिलाने की कोशिश करते हैं। ये सभी धर्म के नाम पर अलग राज्य बनाना चाहते हैं। जो लोग उनकी धार्मिक पद्धति में नहीं आते हैं उनके प्रति वे सभी नफरत की भावना को फैलाते हैं। इस तरह से सांप्रदायिकता की भावना ही आतंकवाद को जन्म देती है। जो लोग एक संप्रदाय के प्रति समर्पित होते हैं वे दूसरे संप्रदायों के लोगों से नफरत करते हैं।

जनता का सहयोग : जनता को भी सरकार को सहयोग देना चाहिए। कहीं-भी किसी भी संदिग्ध व्यक्ति अथवा वस्तु को देखते ही उसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। बस अथवा रेलगाड़ी में बैठते समय यह देख लेना चाहिए कि आस-पास कोई लावारिस वस्तु तो नहीं पड़ी है अथवा रखी है।

जिन व्यक्तियों को आप न जानते हों उनसे कभी भी कोई उपहार नहीं लेना चाहिए। सार्वजनिक स्थल पर भी संदिग्ध आचरण वाले व्यक्ति से हमेशा बचकर रहना चाहिए। हम सभी जागरूक रहकर भी आतंकवादियों को आतंक फैलाने से रोक सकते हैं।

दूषित राजनीति : आज के समय में देश की असंख्य समस्याओं के लिए हमारी दूषित राजनीति जिम्मेदार होती है। हमारे देश के राजनीतिज्ञ और राजनीति पार्टियाँ देश में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को भडकाते हैं और अपनी वोटों को पक्का कर लेते हैं। आज के समय में भी धर्म और जाति के नाम पर उम्मीदवारों को खड़ा किया जाता है।

कालांतर में जो लोग संकीर्ण और कट्टर बन जाते हैं वही लोग आतंकवादी बन जाते हैं। 11 सितम्बर, 2001 को आतंकवादियों ने न्यूयार्क में स्थित विश्व व्यापर संगठन कार्यालय के दो टावरों और अमेरिका में अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रमुख कार्यालय पेंटागन के कुछ क्षेत्रों को विमान द्वारा टक्कर मारकर ध्वस्त कर दिया था।

अमेरिका की यह सबसे बड़ी दुर्घटना मानी जाती है जिसमें हजारों बेगुनाह लोगों की हत्या हो गयी थी। अमेरिका सरकार इस दुर्घटना के लिए ओसामा बिन लादेन को दोषी मानती है। हमारे देश के 55 हजार लोग पिछले 20 सालों से आतंकवादियों के आतंकवाद के शिकार बन चुके हैं।

सरकार के कदम : कोई भी धर्म किसी की भी निर्मम हत्या की आज्ञा नहीं देता है। हर धर्म मानव से ही नहीं बल्कि प्राणी मात्र से भी प्यार करना सिखाता है। अत: जो लोग धर्मिक संकीर्णता से ग्रस्त होते हैं उन व्यक्तियों का समाज से बहिष्कार किया जाना चाहिए और धार्मिक स्थानों की पवित्रता को अपने स्वार्थ के लिए नष्ट करने वाले लोगों के विरुद्ध सभी धर्माविलंबियों को एक साथ मिलकर प्रयास करना चाहिए। इसकी वजह से धर्म की ओट में आतंकवाद फैलाने वाले लोगों पर अंकुश लग सकेगा। सरकार को भी धार्मिक स्थलों के राजनीतिक उपयोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

विषयों की गंभीरता : अगर आतंकवाद की समस्या को गंभीरता से समाप्त नहीं किया गया तो देश का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। इस प्रकार से लड़कर सभी समाप्त हो जायेंगे। जिस आजादी को प्राप्त करने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दिया था हम उस आजादी को आपसी वैर भाव की वजह से समाप्त करके अपने ही पैरों पर कुलाढ़ी मार लेंगे। देश फिर से परतंत्रता के बंधन में बंध जायेगा। आतंकवादी हिंसा के बल से हमारा मनोबल तोड़ रहे हैं।

युवकों में बेरोजगारी : जितने भी लोग आतंकवादी बनते हैं वे सभी या तो बेरोजगार होते हैं या फिर आधे पढ़े-लिखे होते हैं। जो लोग आतंकवाद की नीति चलाते हैं वे इन बेरोजगार युवकों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। जब भी कोई युवक अपराधी बन जाता है तो उसका आतंकवाद से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

युवकों का मन और मस्तिष्क अपरिपक्व होते हैं उन्हें किसी भी सांझे में ढाला जा सकता है। युवक जिस प्रकार के लोगों के पास रहते हैं वे खुद भी वैसे ही बन जाते है। पंजाब में जितने भी आतंकवादियों को पकड़ा गया था उन्होंने बेरोजगारी से परेशान होकर इस रास्ते को अपनाया था।

आतंकवाद रोकने के उपाय : आतंकवाद मानवता के नाम पर एक कलंक होता है। आतंकवाद किसी के लिए भी लाभकारी नहीं होता है खुद आतंकवादियों के लिए भी नहीं। आतंकवाद से मानवता को बहुत हानि हो चुकी है। आतंकवाद ने पता नहीं कितने बच्चों को अनाथ बना दिया, कितनी औरतों को विधवा कर दिया और कितने ही लोगों को बेसहारा बना दिया।

सबसे पहले सरकार को आतंकवादियों के साथ बहुत कठोरता से कार्यवाई करनी चाहिए। देश की सीमा पर बहुत ही कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। जों युवक आतंकवाद के जाल में फंस गये हैं उन्हें सही रास्ते पर लाकर किसी रोजगार में लगा देना चाहिए। इसी तरह से लोगों में देशभक्ति की भावना को उत्पन्न करना चाहिए।

स्कूलों और कॉलेजों में भी राष्ट्रिय एकता की भावना को उत्पन्न करने की शिक्षा दी जानी चाहिए। देश की बढती हुई आर्थिक विषमता को भी समाप्त करना चाहिए। देश में आतंकवादियों के अड्डे सफेदपोश धूर्त नेताओं के संरक्षण में सुरक्षित होते हैं उनको भी समाप्त किया जाना चाहिए। जब तक इन धूर्त सफेदपोशों का देश से नाश नहीं होता तब तक देशों की कोई भी समस्या नहीं सुलझ सकती। बिना उनके संरक्षण व संकेतों के कोई भी देश के अंदर गलत कदम नहीं बढ़ा सकता है।

उपसंहार : हमारा देश शांति और अहिंसा की जन्म भूमि है। इस देश में महात्मा गाँधी जी जैसे मानवता प्रेमियों का जन्म हुआ था। हमें महान संतों, ऋषियों, मुनियों, गुरुओं की वाणी का पूरे देश में प्रचार करना चाहिए। हमें संगठित होकर ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।

जिससे उनका मनोबल समाप्त हो जाए तथा वे जान सके कि उन्होंने अपना पैर गलत मार्ग पर रख दिया है। जब वे आत्मग्लानी से वशीभूत होकर अपने किए का पश्चाताप करेंगें तभी उन सभी को देश की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जा सकेगा। हमें आतंकवादी समस्या का समाधान जनता और सरकार दोनों के मिले-जुले प्रयासों से ही संभव हो सकता है।

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