ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi!

आधुनिक युग विज्ञान का युग है । मनुष्य विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर है उसने समय के साथ स्वयं के लिए सुख के सभी साधन एकत्र कर लिए हैं । इतना होने के बाद और अधिक पा लेने की अभिलाषा में कोई कमी नहीं आई है बल्कि पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है ।

समय के साथ उसकी असंतोष की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कल-कारखाने, मोटर-गाड़ियाँ, रेलगाड़ी, हवाई जहाज आदि सभी उसकी इसी प्रवृत्ति की देन हैं । उसके इस विस्तार से संसाधनों के समाप्त होने का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है ।

प्रकृति में संसाधन सीमित हैं । दूसरे शब्दों में, प्रकृति में उपलब्ध ऊर्जा भी सीमित है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ आवश्यकताएँ भी बढ़ती ही जा रही हैं । दिन-प्रतिदिन सड़कों पर मोटर-गाड़ियों की संख्या में अतुलनीय बुदधि हो रही है । रेलगाड़ी हो या हवाई जहाज सभी की संख्या में वृद्‌धि हो रही है । मनुष्य की मशीनों पर निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है ।

इन सभी मशीनों के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । परंतु जिस गति से ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है उसे देखते हुए ऊर्जा के समस्त संसाधनों के नष्ट होने की आशंका बढ़ने लगी है । विशेषकर ऊर्जा के उन सभी साधनों की जिन्हें पुन: निर्मित नहीं किया जा सकता है । उदाहरण के लिए पेट्रोल, डीजल, कोयला तथा भोजन पकाने की गैस आदि ।

पेट्रोल अथवा डीजल जैसे संसाधनों रहित विश्व की परिकल्पना भी दुष्कर प्रतीत होती है । परंतु वास्तविकता यही है कि जिस तेजी से हम इन संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब धरती से ऊर्जा के हमारे ये संसाधन विलुप्त हो जाएँगे ।

ADVERTISEMENTS:

अत: यह आवश्यक है कि हम ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दें अथवा इसके प्रतिस्थापन हेतु अन्य संसाधनों को विकसित करें क्योंकि यदि समय रहते हम अपने प्रयासों में सफल नहीं होते तो संपूर्ण मानव सभ्यता ही खतरे में पड़ सकती है।

हमारे देश में भी ऊर्जा की आवश्यकता दिन पर दिन विकास व जनसंख्या वृद्‌धि के साथ बढ़ती चली जा रही है । ऊर्जा की बढ़ती माँग आने वाले वर्षो में आज से तीन या चार गुणा अधिक होगी । इन परिस्थितियों में भारत सरकार की ओर से ठोस कदम उठाने की अवश्यकता है । इस दिशा में अनेक रूपों में कई प्रयास किए गए हैं जिनस कुछ हद तक सफलता भी अर्जित हुई है । ‘बायो-गैस’ तथा अधिक वृक्ष उत्पादन आदि इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं । पृथ्वी पर ऐसे ऊर्जा संसाधनों की कमी नहीं है जो प्रदूषण रहित हैं ।

विश्व भर में ऊर्जा संरक्षण व ऊर्जा के नवीन श्रोतों को विकसित करने के महत्व को समझा जा रहा है । सभी देश सौर-ऊर्जा को अधिक महत्व दे रहे हैं तथा इसे और अधिक उपयोगी बनाने व इसके विकास हेतु विश्व भर के वैज्ञानिकों द्‌वारा अनुसंधान जारी हैं । जहाँ तक भारत की स्थिति है, हमारे देश में पेट्रोलियम ऊर्जा का एक बड़ा भाग खाड़ी के तेल उत्पादक देशों में आयात किया जाता है ।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कभी-कभी कच्चा तेल इतना महँगा हो जाता है कि इसे खरीद पाना भारतीय तेल कंपनियों के वश में नहीं होता । तब सरकार या तो तेल मूल्यों में वृद्‌धि कर इस घाटे की भरपाई करती है अथवा तेल कंपनियों को सीमा-शुल्क आदि में छूट देकर स्वयं घाटा उठाती है । दोनों ही स्थितियों में बोझ देश के उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है ।

हमें आशा है कि वैज्ञानिक ऊर्जा के नए संसाधनों की खोज व इसके विकास में समय रहते सक्षम होंगे । इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि सभी नागरिक ऊर्जा के महत्व को समझें और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक बनें । यह निरंतर प्रयास करें कि ऊर्जा चाहे जिस रूप में हो उसे व्यर्थ न जाने दें ।

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energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

Table of Contents

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- What is conservation energy definition?

ऊर्जा संरक्षण आज समय की आवश्यकता है. ईंधन मानव को दिया गया प्रकृति का अनमोल उपहार है. ईंधन पर मानव सभ्यता की निर्भरता दिनों दिन बढ़ती जा रही है.

मनुष्य अपने उपयोग और आराम के लिए रोज नये आविष्कार कर रहा है जो मानव की ईंधन जरूरतों को बढ़ा रहा है.गर्मी से बचने के लिए जहां पहले पंखों का उपयोग होता था, वही अब एसी का उपयोग आम हो चला है.

इसी तरह सड़क पर वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. बिजली की उपलब्धता और उसकी मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है. ऐसे में हम ईंधन का उपयोग भी तेजी से कर रहे हैं.

Why is it so important to conserve energy?

हमें एक बात याद रखनी होगी कि जिस जैव ईंधन पर मानव संस्कृति फल-फूल रही है. वह सीमित है और उसके अंधाधुंध उपयोग से उसकी कमी होती जा रही है.कच्चे तेल के कुएं सूखते जा रहे हैं.

ऐसी स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का ईंधन समाप्त हो जाएगा और हमारे सभी संसाधन ठप्प हो जाएंगे. इस परेशानी से बचने का एक ही उपाय है कि हम जागरूक हो और ऊर्जा संरक्षण करें।

How to Conserve Energy कैसे कर सकते हैं ऊर्जा संरक्षण?

ऊर्जा संरक्षण आज की जरूरत है तभी कल सुनहरा होगा. कुछ सावधानियां बरतकर और अपने साधनों का विवेकशील प्रयोग करके हम आसानी से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं. इस काम को हम अपने घर, सड़क और अपने कार्यस्थल तीनों ही जगहों पर कर सकते हैं.

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घर पर कैसे करें ऊर्जा की बचत? types of energy conservation

घर पर हम सबसे ज्यादा ईंधन का उपयोग अपनी रसोई में खाना बनाने के दौरान एलपीजी गैस के उपयोग के दौरान करते हैं, यहां हम बिन्दुवार टिप्स से यह समझ सकते हैं कि खाना बनाते वक्त किस तरह ऊर्जा संरक्षण किया जा सकता है-

➤ खाना जल्दी बने और साथ ही साथ ईंधन भी बचे इसके लिए प्रेशर कुकर का उपयोग करें.

➤ स्टार लेवल युक्त अथवा आईएसआई मार्क वाले घरेलु एलपीजी चूल्हो का उपयोग करें.

➤ खाना पकाने की सभी जरूरी सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें ताकि चूल्हा जलाने के बाद उन्हें खोजने की प्रक्रिया में ईंधन न गंवाना पड़े.

➤ जल की उचित मात्रा का ही इस्तेमाल करें, जरूरत से अधिक पानी ईंधन का अपव्यय करता है.

➤ एक बार खाना उबलने लग जाए तो आंच धीमी कर दें.

➤ पकाने से पहले अनाज को पानी में भिगो दें, इससे खाना जल्दी पकेगा और ईंधन भी बचेगा.

➤ चौड़ी सतह वाले बर्तनों का उपयोग करें ताकि ऊर्जा का अधिकतम उपयोग हो सकें.

➤ खाना पकाने से पहले खुले बर्तन पर ढक्कन रख दें.

➤ गैस चुल्हे का छोटा बर्नर का ही ज्यादा इस्तेमाल करें इससे गैस कम खर्च होती है.

➤ उजली स्थिर लौ का अर्थ है कि खाना बनाने के लिए इतनी ही गैस पर्याप्त है.

➤ समय-समय पर चूल्हें के बर्नर को साफ करते रहे.

➤ फ्रिज से निकाली गई खाद्य सामग्री को पहले सामान्य तापमान में आ जाने दें, इसके बाद इसे पकाने में उपयोग करें.

➤ इन छोटी सावधानियों से आप न सिर्फ ईंधन की बचत करेंगे बल्कि आपके धन की भी बचत होगी.

कैसे करें ड्राइविंग के दौरान ऊर्जा संरक्षण?

हम अपनी गाड़ियों में बड़ी मात्रा में ईंधन का उपभोग करते हैं. हिन्दुस्तान में गाड़ियों में रोज इजाफा हो रहा है. मांग ज्यादा होने से पेट्रोल और डीजल के दाम भी बेतहाशा बढ़ रहे हैं. मांग कम करने और ईंधन संरक्षण के लिए ड्राइविंग के दौरान कुछ सावधानियां रखी जा सकती हैं-

➤ लाल बत्ती अधिक देर तक होने की स्थिति में अपने वाहन का इंजन बंद कर दें.

➤ कार्यस्थल पर आने जाने के लिए कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का यथासंभव उपयोग करें.

➤ वाहन मध्यम गति से चलाए, इससे ईंधन संरक्षण होगा और दुर्घटना की संभावना भी कम हो जाएगी.

➤ वाहन भार कम से कम रखें.

➤ अपनी यात्रा का रूटचार्ट पहले से निर्धारित करें.

➤ कम ईंधन खपत के लिए सही गियर में ही वाहन चलाएं.

➤ बेहतर माइलेज के लिए टाॅप गेयर का अधिक उपयोग करें.

➤ एअर कंडीशनर का उपयोग कम से कम करें.

➤ अपने वाहन की समय-समय पर सर्विस करवाएं.

➤ गाड़ी में टायर में एअर प्रेशर सही रखें.

➤ व्हील अलाइनमेंट की जांच करवाते रहें.

➤ छोटी दूरी के लिए साइकिल का उपयोग करें अथवा पैदल चलें. इससे ईंधन संरक्षण के साथ आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी.

कार्यस्थल पर कैसे करें ईंधन संरक्षण?

हम अपने दिन का बड़ा हिस्सा अपने कार्यस्थल पर बिताते हैं. इस दौरान हम ऐसे ढेरों संसाधनों का उपयोग करते हैं जो किसी न किसी तरह ईंधन का उपयोग करते हैं. कार्यस्थल पर छोटी-छोटी सावधानियों में बड़ी मात्रा में ईंधन संरक्षण किया जा सकता है.

➤ बिजली से चलने वाले उपकरणों को उपयोग के समय ही आॅन करें और उपयोग के तुरंत बाद आॅफ कर दें.

➤ आफिस में एअर कंडीशन का विवेकपूर्ण उपयोग करें.

➤ प्रिंटर का उपयोग कम से कम करें.

➤ आफिस छोड़ने से पहले सभी लाइट्स और उपकरण के स्विच आॅफ कर दें.

➤ कम्प्यूटर को स्लीप मोड पर छोड़ने की जगह उसे शट डाउन करें.

ईंधन के सम्बन्ध में कुछ रोचक तथ्य-Amazing Facts about Fuel

➤ पूरी दुनिया की ईंधन जरूरतों का 80 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन के माध्यम से ही पूरा होता है.

➤ प्राकृतिक गैस मीथेन का ही एक रूप होता है.

➤ जीवाश्म ईंधन का उपयोग सबसे पहले बिजली उत्पादन के लिए किया गया.

➤ जीवाश्म ईंधन को बनाने की कोई तकनीक आज तक विकसित नहीं की जा सकी है.

➤ दुनिया के कई देशों में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति गैस के कुंए से सीधे घरों को की जाती है.

➤ अमेरिका रोज 18 मिलियन बैरल तेल का उपयोग करता है.

➤ 1 लीटर गैस को बनाने के लिए 26 टन कच्चे उत्पाद को प्रसंस्कृत करना पड़ता है.

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It is not satisfied page for me…

good article to read

Satisfaction…

Thank u for this essay.is really nice essay to understand to topic

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energy conservation essay in hindi

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- Essay on Energy Conservation in Hindi

In this article, we are providing information about Energy Conservation in Hindi- Short Essay on Energy Conservation in Hindi Language. ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- Urja Sanrakshan Par Nibandh.

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- Essay on Energy Conservation in Hindi

प्रकृति ने हमें ऊर्जा के बहुत से स्त्रोत दिए हैं जो कि हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। ऊर्जा को स्त्रोत हमारी जिंदगी को सरल बना दिया है। हमारे पास ऊर्जा को बहुत से संसाधन है जैसे कि पैट्रोल, लकड़ी, कोयला आदि। यह स्त्रोत एक बार ही प्रयोग में लाए जा सकते हैं और इनकी मात्रा बहुत सीमित है।

ऊर्जा सरंक्षण- हमारे पास ऊर्जा के स्त्रोत सीमित मात्रा में होने के कारण और उनके भविष्य में प्रयोग के लिए हमें ऊर्जा को सरंक्षित करके रखना होगा। अगर आज हम ऊर्जा को बचाऐंगे और नष्ट नहीं करेंगे तो ऊर्जा के स्त्रोत भविष्य के लिए बच जाऐंगे।

ऊर्जा का प्रयोग- बढ़ते हुई तकनीक और जनसंख्या वृद्धि के कारण ऊर्जा की माँग में वृद्धि हुई है। हम हर रोज बहुत सारे कार्यों में ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। वाहन चलाने के लिए पैट्रोल की जरूरत होती है, बिजली भी कोयले से उत्पन्न होती है और हम सब बिजली का बहुत ज्यादा प्रयोग करते हैं। ऊर्जा के स्त्रोत हमारे लिए बहुत जरूरी है।

ऊर्जा सरंक्षण के उपाय- अगर हम चाहते है कि हम भविष्य में भी ऊर्जा प्राप्त कर सके और ऊर्जा के स्त्रतों का लाभ उठा सके तो हमें इनका सोच समझकर प्रयोग करना होगा और साथ ही ऊर्जा के ऐसे स्त्रोत ढूंढने होंगे जिनका हमारे पास भंडार हो और वह कभी न खत्म होने वाले हो। हमने ऊर्जा के नए स्त्रोत खोज लिए हैं जैसे कि सौर ऊर्जा जो कि सूर्य की गर्मी से प्राप्त होती है और यह कभी खत्म नहीं होने वाली है और वातावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है। पवन ऊर्जा जो कि तेज हवा से प्राप्त होती है। पैट्रोल, कोयले आदि जैसे ऊर्जा के स्त्रोतों को सरंक्षित करने के लिए हमें

निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-

1. हमें पंखे, लाईट आदि को बिना प्रयोग के खुला नहीं छोड़ना चाहिए। 2. हमें एलीडी बल्ब का प्रयोग करना चाहिए जिससे बिजली की खपत कम हो और कोयले को बचाया जा सके। 3. निजी वाहनों का प्रयोग छोड़कर सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें। 4. थोड़ी दूर जाने के लिए साईकिल का प्रयोग करें और हो सके तो थोड़ा पैदल चले।

निष्कर्ष- बिजली और वाहन आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। हमें ऊर्जा के स्त्रोत बचाकर सौर ऊर्जा जैसे स्त्रोत प्रयोग में लाने चाहिए। लोगों ने ऊर्जा के महत्व को समझा है और उसे बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं। बच्चों को भी ऊर्जा को बचाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

#Energy Conservation Essay in Hindi

सौर ऊर्जा पर निबंध- Essay on Solar Energy in Hindi

पर्यावरण पर निबंध- Essay on Environment in Hindi

बिजली बचाओ पर निबंध- Save Electricity Essay in Hindi

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2 thoughts on “ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- Essay on Energy Conservation in Hindi”

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Shot niband hai thoda aur pada hona chahiye tha jankari thoda aur chahiye so me apse request karti hu ki please niband ko thoda laba banaye niband ka topk sab acha tha

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My name is arsh malik me aapka bahut bda aabhari hu Thanks you yar jaan

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ऊर्जा संरक्षण क्या है? | What is Energy Conservation

  • Post author: Information
  • Reading time: 8 mins read
  • Post category: Education
  • Post published: February 16, 2024
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Energy conservation : आज के समय में तेजी से बढ़ती हुई जनसँख्या और ऊर्जा की खपत को देखते हुए ऊर्जा संरक्षण एक प्रमुख मुद्दा बन जाता है। क्योंकि friend’s ऊर्जा हमारे लिए प्रकृति का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है सच कहूं तो इसके बिना जीवन का कोई महत्व ही नहीं है।

हम लगातार नए-नए अविष्कार कर ऊर्जा का भरपूर उपयोग कर रहे हैं और अपने आने वाली जिंदगी को सुख सुविधाओं से भर रहे हैं – नहीं यह कोई गलत बात नहीं है परन्तु जब इस ऊर्जा का उपयोग या ये कहूं दुरूपयोग व्यर्थ चीजों में किया जाए तो यह पूरी तरह से गलत बात है क्योंकि ऐसा करके हम अपना ही नुकशान कर रहे हैं।

कृपया कर यह लेख पूरा पढ़ें क्योंकि अगर आप को पढ़ते हैं और इससे ऊर्जा संरक्षण के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमारा लिखना सफल हो जाता है।

ऊर्जा क्या है – what is energy

ऊर्जा के बारे में लगभग सबको पता ही होगा क्योंकि यह सभी के अंदर विद्यमान होता है, हाँ ये बात अलग है कि आप इस ऊर्जा का उपयोग किस तरह करते हैं।

हमारे अंदर कार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं, ऊर्जा को कई रूपों में स्थान्तरित किया जा सकता है। आपने गिरते हुए पानी को देखा होगा उसमे इतनी ऊर्जा होती है कि वह जमीन पर एक छेद बना सकता है।

साधारणतः ऊर्जा दो प्रकार का होता है –

  • नवीकरणीय ऊर्जा

नवीकरणीय ऊर्जा क्या है – what is renewable energy

नवीकरणीय ऊर्जा प्रदूषण रहित और कभी ख़त्म ना होने वाली ऊर्जा है इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है उदाहरण के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वार भाटा ऊर्जा इत्यादि नवीकरणीय ऊर्जा में आते हैं।

अनवीकरणीय ऊर्जा क्या है – what is non-renewable energy

इसके अंतर्गत वे ऊर्जा आते हैं जो एक बार ख़त्म होने के बाद दोबारा प्राप्त नहीं किये जा सकते इन्हे बनने में करोङो साल लग सकते हैं इसके उदाहारण है कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।

ऊर्जा के स्त्रोत – source of energy

ऊर्जा के अनेक स्त्रोत हैं जिनमे से कइयों का उपयोग करके ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) किया जा सकता है। खासकर ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत जिन्हे दोबारा conservation किया, इन्हे विस्तार से जानते हैं –

ऊर्जा के पारम्परिक स्त्रोत – traditional sources of energy

  • पेट्रोलियम/ खनिज तेल
  • प्राकृतिक गैस, इत्यादि।

कोयला (coal) : यह भारत में ऊर्जा उत्पादन का सबसे बड़ा स्त्रोत है, कोयला देश के व्यावसायिक ऊर्जा की मांग का लगभग 67% प्रतिशत पूरा करता है, भारत के कई राज्यों में कोयले का भंडार है जैसे – झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु इत्यादि।

बायोमास या सूखे कार्बनिक पदार्थ (biomass or dry carbonic material) : इसके तहत पेड़ों की सुखी टहनियां, लकड़ी, गोबर, तथा जिव प्राणियों से प्राप्त तेल इत्यादि आते हैं। यह भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो विश्व के ऊर्जा का लगभग 14 प्रतिशत को पूरा करता है,

विकासशील देशों में इसकी मात्रा 43 प्रतिशत तक है इसलिए वनों की लगातर कटाई हो रही है, वह दिन दूर नहीं जब हम पर्यावरण को पूरी तरह नष्ट कर देंगें और खुद को भी।

तेल (oil) : पेट्रोलियम व तेल उत्पाद में कोयले की अपेक्षा अत्यधिक ऊर्जा होती है। असुद्ध पेट्रोलियम (crude oil) से बहुत से कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ प्राप्त होते हैं।

तेल के भण्डार ज्यादातर छिद्रयुक्त चट्टानों से मिलते हैं और दुनिया के ऊर्जा का 40% तेल ऊर्जा से ही प्राप्त किया जाता है। और उसमे से भी 55% केवल मध्य एशियाई देशों से।

प्राकृतिक गैस (natural gas) : प्रकृतिक गैस भी मुख्यतः तेल के भंडारों के पास ही मिलता है इसमें कुछ मात्रा में कार्बन डाई आक्साइड एवं अन्य ज्वलनशील गैस एथेन एवं प्रीपेन भी रहता है।

परमाणु ऊर्जा (nuclear energy) : इसके उत्पादन के लिए 92U235 का उपयोग किया जाता है, यूरेनियम 235 के विघटन से ऊर्जा प्राप्त किया जाता है। इसका विघटन न्यूक्लियर रिएक्टर में कराया जाता है।

जल-विद्युत ऊर्जा (hydro electric energy) : यह ऊर्जा सस्ता और बार-बार उपयोग किया जाने वाला ऊर्जा है, पृथ्वी हर साल सूर्य से ऊर्जा ग्रहण करती है. इसे ऊर्जा द्वारा अवशोषित किया जाता है जो वाष्प बनता है फिर वर्षा के माध्यम से यह ऊर्जा हमें दोबारा प्राप्त होता है।

गैर परम्परागत स्त्रोत – non-traditional sources

सौर ऊर्जा – solar energy in hindi.

सौर ऊर्जा का उपयोग अपरोक्ष व परोक्ष रूप में मानव कल्याण के लिए किया जाता है, सीधी सौर ऊर्जा विकिरण ऊर्जा होता है जबकि परोक्ष सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो तत्वों से मिलता है, जिसमे सौर ऊर्जा विकिरण पहले निहित होता है।

सौर ऊर्जा को सीधे ताप ऊर्जा के रूप में तथा इन ऊर्जा को बिजली के रूप में बदलकर उपयोग किया जाता है। फोटोवोल्ट बैक्ट्रियां सीधे सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करती हैं।

जब अनेक प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत में सौर ऊर्जा का उपयोग परोक्ष के रूप में किया जाता है तब जैवभार (biomass) ऊर्जा सबसे प्रमुख होता है। जैवभार यहाँ पर उन सभी पदार्थों के लिए उपयोग किया जाता है जो, प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा बने हैं।

इसमें जीवित पौधे तथा उनके सूखे अवशेष आते हैं जैसे – जलीय पौधे, मीठे जल तथा समुद्रीय शैवाल, कृषि अवशेष इत्यादि। इसके अंतर्गत एल्कोहल निर्माण से निकलने वाले अपशिस्ट भी आते हैं।

विश्व की आधी आबादी ऊर्जा के लिए जैवभार (biomass) का उपयोग करती है। भारत के गावों में काष्ट ईंधन के रूप में आज भी उपयोग किया जाता है।

ऊर्जा के अन्य नवीकरणीय स्त्रोत

ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्त्रोत को जानने का मतलब है हम किस तरह ऊर्जा का संरक्षण (energy conservation hindi) कर सकते हैं और दोबारा उपयोग में लाये जाने वाले ऊर्जा के साधनों का उपयोग करके energy conservation के साथ-साथ अपने वातावरण को भी स्वस्छ रख सकते हैं।

जल शक्ति के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण – Energy conservation through water power

जल में भारी मात्रा में स्थितिज ऊर्जा होता है जिसको गतिज ऊर्जा में परिवर्तन कर, टरबाइन द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है। दुनिया के कुल बिजली का एक-चौथाई भाग जलशक्ति से प्राप्त होता है, यह ऊर्जा ताप विद्युत संयत्र से प्राप्त ऊर्जा से सस्ता होता है।

पानी को रोकने के लिए बाँध बनाने में कई पर्यवरणीय समस्याएं उत्पन्न होती है जो इस तरह है –

  • भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा जल से भर जाता है जिसमे बहुत से छोटे जीव और उनके आवास नष्ट हो जाता है।
  • पोषक युक्त जमीन जिसमे पेंड पौधे उगते हैं नष्ट हो जाता है।
  • कृषि योग्य जमीन नष्ट हो जाती है।
  • समय के साथ-साथ जल के अंदर गाद और कीचड़ भर जाते हैं इससे बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त जल भरने की क्षमता नहीं रहती।

पवन ऊर्जा द्वारा ऊर्जा संरक्षण

पवन (हवा) का उपयोग करके पंखा घुमाया जाता है और बिजली उत्पादन की जाती है परन्तु इसमें भी एक समस्या है, हवा के द्वारा ऊर्जा हर क्षेत्र में प्राप्त नहीं किया जा सकता इसके लिए द्वीप, तटीय, और पर्वतीय क्षेत्र ही बेहतर होते हैं।

ज्वार ऊर्जा के द्वारा ऊर्जा संरक्षण

समुद्र में उठने वाले उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जाता है।

भूतापीय ऊर्जा से ऊर्जा संरक्षण

गर्म जल के रूप में बह रहे झरनों व सतही जल से टरबाइन को घुमाकर बिजली उत्पन्न किया जाता है।

समुद्रीय तरंग ऊर्जा

पवन (हवा) द्वारा उत्पन्न समुद्रीय तरंगों में भी टरबाइन चलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पादित किया जाता है।

अपशिष्ट पदार्थो के द्वारा ऊर्जा संरक्षण

अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा इतना ज्यादा बढ़ चूका है कि चारो तरह जहाँ देखो वहां कचरा ही कचरा दिखाई पड़ता है खासकर शहरों में। हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में घरों से इतना ज्यादा कचरा बाहर करते हैं अगर इनका सहीं से उपयोग किया जाये तो पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है साथ ही भारी मात्रा में Energy Conservation किया जा सकता है।

अपशिष्टों को हम अनेक भागों में बाट सकते हैं जैसे –

  • महानगरों से निकला अपशिष्ट
  • कृषि अपशिष्ट
  • अस्पताल से निकला अपशिष्ट
  • आद्योगिक क्षेत्र के अपशिष्ट
  • खनन द्वारा निकला अपशिष्ट इत्यादि।

इन सब अपशिष्टों का दोबारा उपयोग में लाया जाना हर तरह से फायदेमंद होगा और ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) भी बेहतर तरीके से होगा।

मानव द्वारा ऊर्जा संरक्षण के तरीके – Energy Conservation Methods

हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसी गलतियां करते रहते हैं जिससे लगातार ऊर्जा का नुकसान होता रहता है, जबकि छोटे-छोटे कदम उठाकर हम ऊर्जा का संरक्षण कर सकते है, उन तरीकों को जानते हैं जिससे ऊर्जा का संरक्षण (Energy conservation) किया जा सके –

  • बेफिजूल बिजली का उपयोग बंद करके, केवल आवश्यकता पड़ने पर ही बिजली का उपयोग करें।
  • कम वोल्ट का सी एफ एल बल्ब उपयोग करके ताकि ऊर्जा की खपत कम हो।
  • ऊर्जा के अनवीकरण साधनों के उअधिक पयोग के बजाय नवीकरणीय साधनों का इस्तेमाल करके।
  • साइकल से या पैदल चलने की आदत डालकर, अधिक दुरी के लिए मोटर साइकल का उपयोग समझ में आता है परन्तु आज के समय में हम जरा-जरा सी दुरी के लिए मोटर साइकल का उपयोग करते हैं जिससे अत्यधिक पेट्रोल खपत होता है, जरा सोचिये एक समय ऐसा आएगा जब पेट्रोलियम खत्म हो जायेगा तब क्या करेंगें ?
  • ऐसी, पंखा, लाइट इत्यादि का कम से कम उपयोग करके।
  • पंखो को लगातार सर्विसिंग करते रहें ताकि वे जाम ना हो और चलने में कम ऊर्जा का खपत करे।
  • मोटर वाहनों को भी समय-समय पर सर्विस कराते रहें ताकि जितना हो सके कम पेट्रोल का खपत हो।
  • खाना बनाने के लिए भी सोलर कुकर का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करे।
  • रेफ्रिजरेटरों के उपयोग में सावधानी बरते बार-बार उसका दरवाजा ना खोलें।
  • सिचाई के लिए भी ध्यान रखे कि पानी सीधे पौधों के जड़ों में जाये ना की व्यर्थ बहे।
  • सिचाई पाइप को सीधा रखे कहीं से मुड़ा हुआ ना हो इससे ऊर्जा खपत अधिक होती है।
  • और बहुत से तरीके हैं जिनसे आप ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं, उनका पालन करें।

ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत क्या है?

ऊर्जा (energy) ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही इसे नष्ट किया जा सकता है ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में स्थान्तरिक किया जा सकता है। ऊर्जा के कई भण्डार सिमित है इसलिए ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता है यही ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है।

ऊर्जा के संरक्षण के क्या कारण है?

क्योंकि ज्यादातर ऊर्जा (energy) के संसाधन सिमित है जिन्हे दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता ऊर्जा हमारे लिए अमूल्य है इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है इसलिए ऊर्जा के संरक्षण की आवश्यकता है या यही ऊर्जा संरक्षण का कारण है।

ऊर्जा का अर्थ क्या है?

ऊर्जा (energy) का अर्थ हमारे कार्य करने की क्षमता से है, ऊर्जा के बिना हम बिल्कुल शून्य है हममे हर कार्य को करने के लिए ताकत ही ऊर्जा है।

ऊर्जा संरक्षण क्या है? (What is Energy Conservation)

ऊर्जा के विभिन्न स्त्रोतों की जनकारी व ऊर्जा के फालतू खपत को रोकना तथा ऊर्जा का सही दिशा में खपत करना ऊर्जा संरक्षण कहलाता है।

ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) हमारे जीवन में ऊर्जा के महत्व और इसकी आवश्यकता को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) मनाया जाता है।

ऊर्जा का हमारे जीवन में महत्व को आप अच्छे से समझ चुके हैं साथ ही ये भी समझ चुके हैं कि ऊर्जा के सिमित भण्डारण अत्यधिक है जो कभी भी समाप्त हो सकते हैं इसलिए ऊर्जा के प्रति अपने दायित्व को समझे और ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) के दिशा में काम करें।

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So beautiful

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बहुत-बहुत धन्यवाद आपका दिव्यांशु जी

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

Urja Sanrakshan Par Nibandh: देश में ऊर्जा का संरक्षण करना बहुत ही जरूरी हो गया है। ऊर्जा का संरक्षण वर्तमान में करने से भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए कई प्रकार की समस्याएं कम हो जाएगी। यदि वर्तमान में उर्जा संरक्षण नहीं किया गया तो भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा।

Urja-Sanrakshan-Par-Nibandh

आज का हमारा यह आर्टिकल जिसमें हम ऊर्जा संरक्षण पर निबंध (Energy Conservation Essay in Hindi) के बारे में जानकारी आपके सामने पेश करने वाले हैं।

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Urja Sanrakshan Par Nibandh

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध (250 शब्द).

मनुष्य विकास के राह पर तेजी के साथ अग्रसर कर रहा है, उसने समय के साथ खुद के लिए जीवन में सुख के सभी साधन एकत्रित कर लिया हैं। इतना कुछ होने के बाद भी और अधिक सुख पाने के लिए मनुष्य अभी भी खोज किये जा रहा है। समय के साथ मनुष्य की असंतोष प्रवृत्ति बढ़ती ही चली जा रही है। कारखाने, रेलगाड़ी, मोटर-गाड़ियां, हवाई जहाज, कार, दो पहिया वाहन, जेसीबी आदि सभी की खोज वैज्ञानिकों के खोज के द्वारा ही सम्भव हुआ है।

प्रकृति में संसाधन सीमित मात्रा मे होते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रकृति में उपलब्ध ऊर्जा भी सीमित मात्रा मे होती है। विश्व में जितनी अधिक जनसंख्या बढ़ रही है, उसके साथ-साथ उन सब की आवश्यकताएँ भी बढ़ती ही जा रही हैं। इन सभी प्रकार की मशीनों के संचालन के लिए ऊर्जा की बहुत आवश्कता होती है परंतु जिस गति से ऊर्जा की जरूरत बढ़ रही है।

उसको देखते हुए ऊर्जा के सभी संसाधनों को नष्ट करने की आशंका बढ़ने लगी है। खासकर ऊर्जा के उन सभी साधनों को जिन्हें हम पुन: निर्मित नहीं कर सकते है, जैसे पेट्रोल, डीजल, कोयला और खाना पकाने की गैस आदि।

अत: यह जरूरत के अनुसार हम ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दे सकते है। क्योंकि यदि समय रहते हम अपने प्रयास करने में सफल नहीं हुए तो सम्पूर्ण विश्व के लोग खतरे में पड़ सकते है। ऊर्जा संरक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि गैर-नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करने से हमारे पर्यावरण पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

विशेष तौर पर कार्बन डाइऑक्साइड जैसे वायु और जल प्रदूषण के लिए जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति का उत्पादन किया जाता है और बिजली, स्टेशनों मे हीटिंग सिस्टम और कारों के इंजनों में तेल और कोयला, गैस का उपयोग बहुत अधिक मात्रा मे होने लगा है।

ऐसी स्थिति में यहाँ पर भारत को विकसित करने के लिए और ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी के कारण इससे निपटने की  बहुत कोशिश करता है। नवीन स्रोतों को विकसित करने के लिये इनके महत्व को समझाना जरूरी होता है। सभी देशों में सौर-ऊर्जा को अधिक महत्व दिया जा रहा हैं तथा इसको और अधिक मात्रा मे उपयोगी बनाने के लिये इसके विकास के लिये विश्व भर के सभी वैज्ञानिकों द्वारा इसकी खोज अभी भी जारी हैं। हमारे देश में पेट्रोलियम ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा खाड़ी के तेल उत्पादक देशों में आयात करने के लिये किया जाता है।

Urja Sanrakshan Ka Nibandh

दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण का महत्व पर निबंध (500 शब्द)

आज के समय में हर कार्य जिस में मुख्य रूप से विद्युत ऊर्जा का प्रयोग होता है। लेकिन दैनिक जीवन में ऊर्जा को संरक्षित करना यदि व्यक्ति शुरू कर दें तो भविष्य के लिए ऊर्जा के अभाव जैसी समस्या दूर हो सकती है। दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण के प्रयास यदि शुरू किया जाए तो हर जगह आप उर्जा को संरक्षित कर सकते हैं।

दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण

सामान्य मनुष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा की कमी नहीं है। लेकिन मनुष्य अपने लालच को पूरा करना चाहता है। इसलिए ऊर्जा की कमी देखने को मिलती है। लेकिन अपने लालच को पूरा करने की बजाय ऊर्जा संरक्षण पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है।

ऊर्जा एक प्रकार का प्राकृतिक संसाधन है, जो सीमित मात्रा में है। पूरी दुनिया में सिर्फ 1% भाग जहां से ऊर्जा उत्पादित होती है या ऐसा कह सकते हैं कि दुनिया के सिर्फ 1% भाग में ही ऊर्जा पाई जाती है। ऊर्जा संसाधनों को पुनः नवीनीकरण प्रक्रिया से नहीं गुजारा जा सकता। मतलब ऐसे कह सकते हैं कि ऊर्जा संसाधनों को पुनः उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि आने वाले 40 साल के पश्चात ऊर्जा के संसाधन पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।

दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण के तरीके

यदि व्यक्ति ऊर्जा संरक्षण के बारे में सोचना शुरू करें तो बहुत सारे तरीके हैं, जिसके माध्यम से उर्जा को बचाया जा सकता है।

घर में उर्जा सरक्षण

व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण के तरीकों में सबसे पहले घर से ऊर्जा संरक्षण करना सीखना होगा। घर में जब जरूरत नहीं है। तब लाइट का उपयोग बिल्कुल ना करें एवं घर मे पंखा बंद रखें।

  • जहां कम रोशनी की जरूरत है, वहां कम वोल्ट का बल्ब लगाएं।
  • ठंडी हवा के लिए एयर कंडीशनर का प्रयोग करने की बजाए अपने घर के आस-पास पेड़ पौधे लगाएं।
  • कपड़ा वाशिंग मशीन में धोने की वजह अपने हाथ से दाएं और धूप में सुखाएं।

आज के समय में आपने देखा होगा कि व्यक्ति पैदल चलने की बजाय हर जगह पर बाइक या कार का प्रयोग करता है। ऐसे में आपको साइकिल पर शेयर करना चाहिए या पैदल चलकर अपने छोटे बड़े काम पूरे करने चाहिए ताकि ऊर्जा सुरक्षित की जा सके।

कृषि कार्यों में ऊर्जा सरक्षण

इसके अलावा कृषि कार्यों में भी व्यक्ति ऊर्जा को संरक्षित कर सकता है। खेती-बाड़ी के काम काजो में भी ऊर्जा का दुरुपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है। जहां जरूरत है, वहां तो ऊर्जा का उपयोग होना ही चाहिए। लेकिन हद से ज्यादा दुरुपयोग करना भी भविष्य के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में जहां पर आवश्यकता नहीं है, वहां कृषि उपकरणों का ज्यादा प्रयोग ना करें।

दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण का महत्व

ऊर्जा संरक्षण का महत्व के बारे में यदि हम बात करें तो आज के समय में जितनी उर्जा बचाई जा सके कि वह भविष्य के लिए काम आएगी। भविष्य में ऊर्जा की कमी आने वाली है। कई वैज्ञानिक प्रयोगों में भी सिद्ध हुआ है कि आने वाले 40 साल पश्चात धरती पर ऊर्जा की कमी महसूस होने लगेगी। इसलिए यदि वर्तमान समय से ही दैनिक जीवन में व्यक्ति ऊर्जा को बचाना शुरू कर दें तो भविष्य के लिए काफी ज्यादा बेहतरीन रहेगा।

आज की टेक्नोलॉजी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के लिए ऊर्जा का प्रयोग भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लेकिन ऐसे में आपको ऊर्जा का प्रयोग कम करने का प्रयास करना होगा। तभी आने वाली पीढ़ी ऊर्जा की कमी जैसी समस्या से बच पाएगी।

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध (1200 शब्द)

प्रकृति से हमें ऊर्जा के बहुत से स्रोत प्राप्त होते है, हमारे दैनिक जीवन में ऊर्जा के स्रोतों का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। ऊर्जा के स्रोतों से हम सभी का जीवन सरल हो गया है। हम सभी के पास ऊर्जा स्रोत के बहुत से सांसधन मौजूद होते हैं जैसे लकड़ी, कोयला, पेट्रोल आदि इन सभी स्रोतों को एक ही बार उपयोग में लाया जा सकता है। पुनः इनका उपयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि इनकी प्रचूर मात्रा बहुत ही कम होती है।

आज के समय की सभी के जीवन मे ऊर्जा संरक्षण जरूरत बन गयी है। प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया गया ईधन एक अनमोल तोहफा है। ईधन पर मनुष्य हर तरह से निर्भर रहता है, इनकी मांगे दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मानव अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिये दिन-प्रतिदिन नये-नये उपकरणों की खोज करने में लगे होते हैं।

मनुष्य के जीवन में दिन-प्रतिदिन ईधन की जरूरतें कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही है। पहले गर्मियों के दिन मे पंखे का उपयोग होता था लेकिन समय के साथ जनसंख्या में जैसे-जैसे बढ़ोतरी हुई, वैसे-वैसे तापमान बढ़ने से अधिक गर्मी होने के वजह से अब लोग ज्यादातर एसी का उपयोग करने लगे है।

ऊर्जा संरक्षण का क्या है?

इसका अर्थ होता है कि ऊर्जा संरक्षण की बचत करना होता है। हमें ऊर्जा का उपयोग कम से कम करना चाहिए। किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये कम ऊर्जा का उपयोग कर सकते है। जैसे-अगर आप कार से कही आते-जाते है, उसके जगह पर साईकिल या स्कूटी से आ-जा सकते है और कार मे लगने वाले ईधन की बचत की जा सकती है।और उस ऊर्जा का उपयोग ना करके उसका संरक्षण करना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण के नियम

इस नियम के अनुसार ऊर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है। इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप मे बदला जा सकता है। इसे ही ऊर्जा संरक्षण का नियम कहा जाता है। अर्थात यदि किसी क्रिया को करने मे जितनी ऊर्जा लुप्त होती है, उतनी ही ऊर्जा दूसरे रूपों मे उत्पन्न हो जाती है। ऊर्जा को किसी भी रूप मे समाप्त नहीं किया जा सकता है।

1841 में जुलियस रोबर्ट मेयर ने ऊर्जा संरक्षण के नियम का प्रतिपादन किया था, इन्हें ऊर्जा संरक्षण के नियम का जनक भी कहा जाता है।

  • यदि मोटर के द्वारा किसी यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल जा सकता है।
  • जनरेटर के माध्यम से यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है।
  • हीटर के द्वारा हम यांत्रिक ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदला जा सकता है।

ऊर्जा संरक्षण कब मनाया जाता है?

देश भर में प्रतिवर्ष 14 दिसम्बर को ऊर्जा संरक्षण दिवस ऊर्जा के रूप में मनाया जाता है। ऊर्जा संरक्षण दिवस के दिन ऊर्जा के महत्व को समझने के लिये इसे उत्सवपूर्वक मनाया जाता है। जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे ऊर्जा की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। इसलिए हर वर्षा ऊर्जा संरक्षण दिवस पर लोगों को ऊर्जा के महत्व के बारे में सभी को जागरूक करने के लिये हर वर्षा ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाते है।

ऊर्जा संरक्षण का उपयोग लोगों को सोच समझ कर करना चाहिए, जहाँ तक संभव हो सके तो ज्यादातर प्राकृतिक ऊर्जा का ही उपयोग करके काम चलाये।

हम सभी के जीवन मे इस्तेमाल किये जाने वाले ऊर्जा के कुछ ऐसे स्रोत होते हैं, जिनका एक बार उपयोग करने पर उसको पुनः उपयोग मे नहीं लाया जा सकता है, जैसे पेट्रोल, कोयला, डीजल, लकड़ी आदि। ये सभी प्रकार के साधन 40-50 वर्षा तक रहते है। हम सभी के जीवन मे ऊर्जा संरक्षण का बहुत महत्व होता है, इसलिए हमें ऊर्जा संरक्षण का बचाव करना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण से बचाव

जब आप कमरे में होते है तभी बल्ब, लाइट और पंखा जलाये अगर बाहर जाये तो बंद करके जाये तभी ऊर्जा की बचत की जा सकती है। ट्यूब लाइट और बल्ब और अन्य प्रकार के उपकरणों को अच्छी तरह से साफ करते रहना चाहिये। ऊर्जा की बचत करने के लिये सीएफएल बल्ब का उपयोग करना चाहिए, फ्रीज़ का दरवाजा काम पड़ने पर ही ओपन करे बार-बार फ्रीज़ को खोलने बंद करने से बिजली की खपत बढ़ती है।

खाना पकाते समय कुकर की फटकी बंद करके ही खाना पकाएं। प्रेसर कुकर का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने से ऊर्जा की बचत की जा सकती है।

देश भर में पेट्रोल की क़ीमत बढ़ रही है, कई जगहों पर 1 लीटर पेट्रोल 100₹ में मिलता है। हम सभी को ज्यादातर सार्वजनिक वाहनों का उपयोग अधिक करना चाहिए। साथ ही कार को एक वर्ष के अंदर ही समय-समय पर सर्विस कराते रहना चाहिए, जिससे कार के इंजन दक्षता सही से काम करता है और कार अधिक मात्रा में पेट्रोल भी नहीं खाती है। क्योंकि ज्यादा दिन तक कार की सर्विस ना कराने के वजह से कार, बाइक अधिक मात्रा में पेट्रोल लगने लगता है क्योंकि उसकी खपत बढ़ने लगती है, जिसके कारण से पेट्रोल ज्यादा लगने लगता है।

हम ऊर्जा की बचत करना चाहते है तो बहुत आसान तरीके से बचत कर सकते है। घर पर कपड़ों पर रोज़ प्रेस करते है और हर रोज़ कपड़े प्रेस करने पर 1000 वाट ऊर्जा की खपत हो जाती है। रोज़-रोज़ कपड़ें में प्रेस करने के वजह एक हप्ते के कपड़ें इकट्ठा करके प्रेस कर लेने से ऊर्जा की बचत की जा सकती है।

ज़ब भी खाना पकाने के लिये रसोई घर में जाते है तो खाना बनाने से पहले सारी सामग्री इकठा करले फिर खाना बनाये ताकि समान ढूढ़ने में ऊर्जा को खपत होने से बचाया जा सके।

आज के आर्टिकल में हमने ऊर्जा संरक्षण पर निबंध (Urja Sanrakshan Par Nibandh) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है।

हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी उर्जा संरक्षण पर निबंध (Urja Sanrakshan Per Nibandh) आपको पसंद आई होगी। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • पर्यावरण संरक्षण पर निबंध
  • ईंधन संरक्षण पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • प्रकति संरक्षण पर निबंध
  • वाहन प्रदूषण पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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ऊर्जा संरक्षण दिवस पर निबंध, भाषण | Speech and Essay on National Energy Conservation Day in Hindi

ऊर्जा संरक्षण दिवस पर निबंध | Speech-Essay-on-Energy-Conversion-Day-in-hindi

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध कैसे लिखे, ऊर्जा संरक्षण दिवस पर निबंध लिखे, राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस क्यों मनाया जाता है?, ऊर्जा संरक्षण पर भाषण लिखे, ऊर्जा संरक्षण के सरल और बेहतर उपाय (Essay on National Energy Conservation Day in Hindi, Speech National Energy Conservation Day hindi)

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2023 – आधुनिक युग में विज्ञान और तकनीकी अपनी चरम सीमा पर हैं। बढ़ती तकनीक के साथ-साथ इंसानों ने भी अपनी सुख सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार के साधन जुटा लिए हैं। इन साधनों को इकट्ठा करने के बावजूद भी इंसान की इच्छाएं और जरूरतें थमने का नाम नहीं ले रहीं बल्कि बढ़ती ही जा रही हैं।

आज इंसान ने अपनी सुविधा के लिए कल-कारखाने, मोटर गाड़ियां, हवाई जहाज रेलगाड़ियां, जनरेटर, और विभिन्न प्रकार के मोटरों जैसी तमाम यांत्रिक मशीनें बना लिए हैं। इन मशीनों को चलाने के लिए भारी मात्रा में ईंधन और ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।

यही कारण है कि बढ़ती तकनीकी के साथ-साथ ऊर्जा की खपत में भी बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आज के दौर में सड़क पर मोटर गाड़ियों की संख्या और रेलगाड़ियों तथा हवाई जहाजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा मनुष्य अपने छोटे से छोटे काम के लिए भी मशीन पर निर्भर होते जा रहे हैं।

पेट्रोलियम तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और विद्युत आदि ऊर्जा के सीमित स्तोत्र हैं, जिनकी खपत बहुत तेजी से हो रही है और अब उसी का नतीजा है कि ऊर्जा के विभिन्न संसाधनों पर उनके समाप्त होने का खतरा भी मंडरा रहा है।

ऐसे में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए और उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए भारतीय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के आह्वान पर हर साल 14 दिसंबर के दिन भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) मनाया जाता है ताकि ऊर्जा के बढ़ते हुए खपत को नियंत्रित और भविष्य में ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर भारतीय ऊर्जा मंत्रालय , ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) , और ऊर्जा संरक्षण पर काम करने वाली विभिन्न संस्थाओं द्वारा ऊर्जा संरक्षण पर वाद विवाद, निबंध लेखन और भाषण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि इनके माध्यम से ऊर्जा संरक्षण की बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाई जा सकते हैं।

तो चलिए आज इस आर्टिकल के जरिए  ऊर्जा संरक्षण पर निबंध और भाषण कैसे लिखे (Essay and Speech On Energy Conservation Day In Hindi) के बारे में जानते हैं।

ऊर्जा संरक्षण दिवस पर निबंध | Speech-Essay-on-Energy-Conversion-Day-in-hindi

विषय–सूची

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2023 – ऊर्जा संरक्षण पर निबंध, (Energy Conservation Essay in Hindi)

संपूर्ण ब्रह्मांड और सृष्टि का संचालन ऊर्जा के माध्यम से ही होता है। काम छोटा से छोटा हो या फिर बहुत बड़ा हर काम को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। बिना ऊर्जा के कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता यही कारण है किकार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं।

बिना ऊर्जा के संसार और भविष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन आज के युग का मानव मशीनों पर पूरी तरह से आश्रित हो चुका है। आज के दौर में इंसान को छोटा से छोटा काम करने के लिए भी मशीनों का सहारा लेना पड़ता है। कोई भी काम करने के लिए मशीनों को ऊर्जा के विभिन्न संसाधनों की जरूरत पड़ती है जिन्हें हम ईंधन के रूप में भी जानते हैं।

लेकिन मशीनों के बढ़ते इस्तेमाल से ऊर्जा की खपत भी बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। मशीनों की आवश्यकता तथा इन पर निर्भरता के साथ-साथ भारत की बढ़ती जनसंख्या भी ऊर्जा के संसाधनों की तेज खपत का एक बड़ा कारण है। यही कारण है कि ऊर्जा की बढ़ती खपत के साथ-साथ इसके भंडारों के समाप्त होने की आशंका भी बढ़ती जा रही हैं।

अगर भारत की जनसंख्या और इंसानों की मशीनों पर निर्भरता ऐसे ही बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ी को ऊर्जा संसाधनों की किल्लत का सामना करना पड़ेगा। ऊर्जा के यह सभी संसाधन सीमित हैं जिनका भंडार बढ़ते उपयोग के साथ कम होता जा रहा है।

आने वाली पीढ़ी के दौर में ऊर्जा की मांग आज के मुकाबले 3 से 4 गुना ज्यादा होगी जबकि उर्जा के भंडारों की उपलब्धता आज के मुकाबले बेहद कम होगी। ऐसे में लोगों की जरूरत के अनुरूप ऊर्जा की आपूर्ति होना तो बिल्कुल असंभव है।

ऊर्जा संरक्षण को लेकर भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण कदम –

इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए और लोगों को इन समस्याओं के प्रति जागरूक करने के लिए भारत सरकार ने कई सारे ठोस कदम उठाए हैं जिसमें ऊर्जा संरक्षण अधिनियम भी एक है।

साल 2001 में भारत की ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम को स्थापित किया था। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो भारत की एक ऐसी संस्था है जो भारत सरकार के अधीन है और ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न मामलों में रणनीतियां बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इतना ही नहीं भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए हर साल राष्ट्रीय स्तर पर 14 दिसंबर के दिन राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने ठोस कदम भी उठाया है जिसके जरिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण के महत्व और उपायों का संदेश पहुंचाया जाता है।

आज दुनिया भर के विभिन्न देशों का संरक्षण के विभिन्न उपायों पर खोजा अनुसंधान में जुटे हुए हैं। ऊर्जा के स्रोत और संसाधनों में सौर ऊर्जा को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि इसे ऊर्जा का नवीन करणी स्रोत माना जाता है।

अगर बात करें भारत की तो भारत में ऊर्जा के खपत की आपूर्ति के लिए सबसे बड़ा साधन पेट्रोलियम ऊर्जा है। भारत में पेट्रोलियम का भंडार भी पर्याप्त नहीं है जिसके कारण भारत सरकार को ऊर्जा की आपूर्ति के लिए पेट्रोलियम तेल उत्पादक देशों से पेट्रोलियम का भारी मात्रा में आयात करना पड़ता है।

कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम तेल की कीमत कितनी बढ़ जाती है कि इसका आयात करना भारतीय तेल कंपनियों के लिए संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में ऊर्जा की खपत के लिए Petroleum आपूर्ति का सारा दारोमदार सरकार के कंधे पर आ जाता है जिसके कारण सरकार को तेल आयात करने वाली कंपनियों को सीमा कर जैसे सरकारी आय के स्रोतों में छूट देकर घाटा सहना पड़ता है।

एक नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने देश के भीतर मौजूद ऊर्जा संसाधनों की रक्षा करें और नए ऊर्जा संसाधनों की खोज करें। केवल नागरिक होने के नाते ही नहीं बल्कि हमें यह भी समझना होगा कि उर्जा की अनुपस्थिति में हमारा जीवन भी अंधकार में हो जाएगा। इसीलिए हमें एकजुट होकर ऊर्जा संरक्षण के बातों को समझना चाहिए तथा इसके विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए।

  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
  • मृदा बचाओ आंदोलन (Save Soil Movements) क्या है?

ऊर्जा संरक्षण के सरल और बेहतर उपाय –

ऊर्जा संरक्षण करने के लिए इसके उपायों के बारे में समझना भी बेहद जरूरी है क्योंकि इसे समझने के बाद ही हम ऊर्जा संरक्षण के महत्व और इसके बचाव के तरीकों को समझ पाएंगे।

  • ऊर्जा संरक्षण करने के लिए हमें मशीनों पर अपनी निर्भरता कम कर देनी चाहिए। क्योंकि यंत्रों के संचालन में ऊर्जा की खपत बहुत ज्यादा होती है यही कारण है कि ऊर्जा के भंडार नष्ट होते जा रहे हैं।
  • ऐसी स्थिति में हमें अपना काम करने के लिए अपने शारीरिक बल का इस्तेमाल करना चाहिए और मशीनों पर अपनी निर्भरता कम कर देनी चाहिए। मशीनों का सहारा हमें केवल उन्हीं कार्यों को करने के लिए लेना चाहिए जिन्हें हम करने में समर्थन ना हो।
  • ऊर्जा संरक्षण करने के लिए हमें ऊर्जा की खपत को भी नियंत्रित करना होगा। ऐसा करने के लिए हमें विद्युत ऊर्जा, जल संसाधनों और पवन ऊर्जा के दुरुपयोग को बंद कर देना चाहिए और केवल जरूरत पड़ने पर ही ऊर्जा इन संसाधनों का उपयोग करना चाहिए।
  • ऊर्जा संरक्षण यह भी बेहद जरूरी है कि हमें ऊर्जा संरक्षण के नए उपायों की तलाश करते रहनी चाहिए और ऊर्जा के नए संसाधनों को विकसित करने पर जोर देना चाहिए।
  • हालांकि हमारे देश के वैज्ञानिक भी जी जान के साथ इस उद्देश्य में जुटे हुए हैं कि ऊर्जा संरक्षण के लिए ऊर्जा के नए संसाधनों को विकसित किया जा सके। इस क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिकों को बायोगैस जैसे बेहतर विकल्प भी मिले हैं हालांकि अभी और भी नए संसाधनों के विकास की आवश्यकता है।
  • हमें ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए तथा अपने आस-पड़ोस और दुनिया भर के लोगों को ऊर्जा संरक्षण के उपायों के बारे में बताना चाहिए तथा उन्हें ऊर्जा संरक्षण को लेकर जागरूक करना चाहिए।
  • ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है और हमें इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना चाहिए और ऐसे ही प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाते रहना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण पर भाषण (Energy Conservation Speech in Hind i )

जैसा कि हम सबको पता है आज के दौर में उर्जा के प्राकृतिक भंडारों की खपत कितनी तेज बढ़ गई है। बढ़ती जनसंख्या और ऊर्जा के संसाधनों का दुरुपयोग इन भंडारों के नष्ट होने का सबसे बड़ा कारण है।

हम सब जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल, कोयला और इलेक्ट्रिसिटी जैसे सभी ऊर्जा स्रोत सीमित हैं जिनका लगातार तेज़ी से उपयोग करने पर समाप्त होने की आशंकाएं भी बढ़ती जा रही हैं। अगर ऐसे के ऊर्जा भंडारों में दिन-ब-दिन कमी आती रही तो एक न एक दिन ऐसा जरूर आएगा कि पृथ्वी पर से उर्जा के सारे प्राकृतिक भंडार खत्म हो जाएंगे और पृथ्वी पर मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए मानवता के संरक्षण के लिहाज से ऊर्जा संरक्षण का मुद्दा बेहद जरूरी है। ऊर्जा संरक्षण का मतलब है, ऊर्जा का बचाव करना। आज मशीनों के युग में ऊर्जा का बहुत ज्यादा दुरूपयोग किया जा रहा है जिसके कारण ऊर्जा के भंडार खत्म होते जा रहे हैं। इसीलिए ऊर्जा संरक्षण यानी कि उर्जा का बचाव बेहद जरूरी है। ऊर्जा का बचाव करने के लिए हमें सबसे पहले ऊर्जा संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए।

ऊर्जा की परिभाषा कहती है कि कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। अगर इसे सरल शब्दों में कहें तो इसका मतलब यह है कि ब्रह्मांड में छोटे से छोटा काम करने के लिए भी कार्य करने की क्षमता यानी कि ऊर्जा की आवश्यकता होती है। बिना ऊर्जा के ब्रह्मांड का कोई भी कार्य संपन्न नहीं हो सकता। अब इसी बात से आप ऊर्जा के महत्व का अंदाजा लगा सकते हैं।

खैर अब ऊर्जा संरक्षण के लिए दूसरी सबसे जरूरी चीज है ऊर्जा संरक्षण के उपायों पर चर्चा करना। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज का मानव मशीनों पर पूरी तरह से आश्रित हो गया है जिसके कारण ऊर्जा की खपत बढ़ गई है। अगर हम मशीनों पर पूर्ण आश्रित होना छोड़ दें और छोटे-मोटे कामों को खुद से निपटाना शुरू कर दें तो हम ऊर्जा की भारी बचत कर सकते हैं।

इसके अलावा हमें विद्युत ऊर्जा और पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा संसाधनों का इस्तेमाल भी बेहद सावधानी के साथ करना चाहिए तथा इनका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

इन सभी बिंदुओं के साथ-साथ हमें ऊर्जा संरक्षण के नए उपायों की भी तलाश करनी चाहिए क्योंकि नए नए उपायों से ऊर्जा संरक्षण के मामले में और भी सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं। हालांकि आज दुनियाभर के वैज्ञानिक ऊर्जा संरक्षण के नए उपायों की खोज में लगे हुए हैं लेकिन हमारी भी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम ऊर्जा संरक्षण के नए उपायों की खोज करें और मौजूद उपायों को अपनाएं।

भारत सरकार ने भी ऊर्जा संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिनमें ऊर्जा संरक्षण अधिनियम और राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस दो महत्वपूर्ण कदम है।

ऊर्जा संरक्षण अधिनियम को साल 2001 में भारतीय ऊर्जा दक्षता चोरों ने स्थापित किया था जबकि हर साल 14 दिसंबर का दिन भारत में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार के इन दोनों कदमों को उठाने के पीछे का सबसे प्रमुख उद्देश्य है ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देना और ऊर्जा संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करना।

हमें भी अपने स्तर से अपने राष्ट्रहित में योगदान देना चाहिए जिसके लिए ऊर्जा संरक्षण के उपायों को अपनाना चाहिए और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना चाहिए।

आज इस आर्टिकल के जरिए हमने आपको ऊर्जा संरक्षण पर निबंध Essay On Energy Conservation In Hindi तथा ऊर्जा संरक्षण पर भाषण Speech On Energy Conservation In Hindi के बारे में बताया इसके साथ ही हमने ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न उपायों पर भी चर्चा की।

उम्मीद करते हैं कि आप लोगों को ऊर्जा संरक्षण दिवस पर निबंध तथा भाषण Essay And Speech On Energy Conservation Day In Hindi का यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा।

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अक्षय ऊर्जा: संभावनाएँ, लाभ और चुनौतियाँ.

  • 27 Dec, 2023 | अंकित सिंह

energy conservation essay in hindi

संपूर्ण मानव समाज की बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में ऊर्जा एक इंजन का कार्य करती है। हम जानते हैं कि जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा की मांग भी बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2040 तक देश में बिजली की खपत 1280 टेरावाट प्रति घंटा हो जाएगी। ऐसे में सीमित जीवाश्म-ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोत हमारी भविष्य की इस मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। देश की बढ़ती ज़रूरतों की पूर्ति हेतु ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से तात्पर्य ऐसे स्रोतों से है जो उपयोग के साथ समाप्त नहीं होते हैं, ये प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं और जिनकी खपत की तुलना में पुनःभरण की उच्च दर होती है। आम नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में सौर, पवन, भूतापीय, पनबिजली, महासागर और जैव ऊर्जा शामिल हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता क्यों?

अगर देखा जाए तो पिछले 150 वर्षों से जीवाश्म ईंधन संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति प्रदान कर रहे हैं और यह वर्तमान में विश्व की लगभग 80 प्रतिशत ऊर्जा की आपूर्ति का प्रमुख स्रोत भी है। ऐसे में इसका जिस खतरनाक दर से उपभोग किया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि निकट भविष्य में वे अवश्य ही समाप्त हो जाएंगे और यह भी सच है कि इन्हें अल्पकाल में पुनः प्राप्त करना संभव नहीं है।

जीवाश्म ईंधन से ग्रीनहाउस गैस, जैसे- मिथेन और कॉर्बन डाइऑक्साइड आदि का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन व मानव जीवन के लिये भी हानिकारक है। WHO की मानें तो दुनियाँ में लगभग 99 प्रतिशत लोग जिस हवा में साँस लेते हैं, वह वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरती है तथा विश्व में प्रतिवर्ष 13 मिलियन से अधिक मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।

आँकड़ों के अनुसार, विश्व की लगभग 80 प्रतिशत आबादी उन देशों में है जो जीवाश्म ईंधन के शुद्ध आयातक हैं। इसकी वजह से वे भू-राजनीतिक जोखिमों का सामना करते हैं। इसे रूस-यूक्रेन युद्ध के समय मूल्य अस्थिरता, आपूर्ति की कमी, आर्थिक अनिश्चितता व सुरक्षा मुद्दों आदि रूपों में देखा व महसूस किया गया।

वर्तमान में जीवाश्म ईंधन का निष्कर्षण व परिवहन अत्यंत जोखिमपूर्ण हो गया है, जिससे तेल रिसाव, श्रमिकों के जीवन तथा तेल की कीमतों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गौरतलब है कि भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश है तथा भारत स्वयं के इस्तेमाल किये जाने वाले कच्चे तेल का 85 प्रतिशत और अपनी प्राकृतिक गैस की आवश्यकता का 54 प्रतिशत आयात करता है। इस कारण भारत की अर्थव्यवस्था जीवाश्म ईंधन की कीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से प्रभावित भी होती रहती है।

ऐसे में जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक प्रयोग ने न केवल भारत को बल्कि विश्व के कई देशों को कुछ विशेष देशों पर निर्भर भी बना दिया है। इसने विश्व में जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याओं को भी बढ़ाया है जिससे एक ही समय में देश के कुछ क्षेत्रों में भीषण बाढ़ तो कुछ इलाकों में अत्यधिक गर्मी की स्थिति देखी जाती है।

इस प्रकार भारत सहित विश्व भर में ऊर्जा संकट गहरा रहा है। साथ ही जीवाश्म ईंधन से पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है। पारंपरिक संसाधनों से प्राप्त होने वाली बिजली की कीमतें लगातार बढ़ने और विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा होने के परिणामस्वरूप अब अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) या हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) की मांग बढ़ती जा रही है।

नवीकरणीय ऊर्जा : संभावनाएँ-

भारत अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण नवीकरणीय ऊर्जा का उचित लाभ उठाने में सक्षम है।अगर देखा जाए तो भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय है तथा इसके पास विशाल समुद्र तट भी है, जिसके चलते भारत में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ज्वारीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के विविध स्वरूपों के विकास की अपार संभावनाएँ हैं।

1- सौर ऊर्जा-

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, भारत के भूमि क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5000 ट्रिलियन-घंटे ऊर्जा प्राप्त होती है और अधिकांश भाग प्रतिदिन 4-7 किलोवाट-घंटे प्रति वर्ग मीटर ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसे फोटोवोल्टिक सेल के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। पूरे देश की बिजली की आवश्यकता की पूर्ति के लिये कुल प्राप्त सौर ऊर्जा का एक छोटा सा हिस्सा ही पर्याप्त है। राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के अनुमान के अनुसार, 3 प्रतिशत बंजर भूमि क्षेत्र को सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल से कवर किये जाने से लगभग 748 गीगावाट बिजली उत्पन्न हो सकती है। जो भारत सरकार द्वारा लक्षित 100 गीगावट से कहीं अधिक है।

"सौर ऊर्जा न केवल वर्तमान में बल्कि 21वीं सदी में ऊर्जा ज़रूरतों का एक प्रमुख स्रोत बनने जा रही है क्योंकि सौर ऊर्जा निश्चित, शुद्ध और सुरक्षित है।" - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

2- पवन ऊर्जा-

राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE) द्वारा किये गए अध्ययन से ज्ञात होता है कि सात राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पवन से बिजली उत्पादन की महत्त्वपूर्ण क्षमता है। भूमि सतह से 100 मीटर ऊपर (AGL) इन सात राज्यों की पवन ऊर्जा क्षमता 293 गीगावाट है और 120 मीटर AGL पर क्षमता 652 गीगावाट है। जो भारत सरकार द्वारा लक्षित 60 गीगावाट से कहीं अधिक है। ऐसे में सरकार त्वरित मूल्यह्रास लाभ के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहित करके पवन ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है।

अगर देखा जाए तो 7500 किमी. लंबी तटरेखा का प्राकृतिक लाभ होने के कारण भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा का दोहन करने की अपार क्षमता है। इस अपार संभावना का लाभ उठाने हेतु भारत सरकार ने वर्ष 2015 में राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अधिसूचित किया, जिसका प्राथमिक उद्देश्य देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में अपतटीय पवन ऊर्जा अवसंरचना में निवेश को प्रोत्साहित करना है।

3- पनबिजली-

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) द्वारा किये गए आकलन के अनुसार, भारत में 1,48,700mw की आर्थिक रूप से दोहन योग्य पनबिजली क्षमता है। यदि 94,000mw के पंप स्टोरेज की संभावित क्षमता में छोटी, लघु और सूक्ष्म जल विद्युत परियोजनाओं से लगभग 6700mw की संभावित क्षमता को शामिल किया जाए तो भारत की जलविद्युत क्षमता लगभग 2,50,000mw होगी। ऐसे में देखा जाए तो लंबे समय तक टिके रहने, कम लागत और उच्च दक्षता के साथ-साथ कई अन्य लाभों के बावजूद वर्तमान में इसके 30 प्रतिशत से भी कम का दोहन किया गया है। ऐसे में इसका समुचित दोहन कर 5 गीगावाट से कहीं अधिक नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।

4- जैव ईंधन-

वर्तमान समय में इथेनॉल और बायोडीज़ल उपयोग में आने वाले सबसे प्रमुख जैव ईंधन में से हैं। इस दिशा में भारत सरकार जैव-ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018 के माध्यम से सकारात्मक प्रयास भी कर रही है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत और डीज़ल में 5 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य के साथ जैव ईंधन के प्रसार में गति लाना है। ऐसे में जैव-ईंधन तेल आयात पर निर्भरता और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के साथ ही किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक हो सकता है।

5- हरित हाइड्रोजन-

यह एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जो पवन, सौर और जलविद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जल के विद्युत-अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। इस दिशा में ऊर्जा की अपार संभावनाओं को देखते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2021 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ किया गया। इसका उद्देश्य भारत को एक 'हरित हाइड्रोजन हब' बनाना है जो वर्ष 2030 तक 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और संबंधित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के विकास के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा।

6- महासागर और भूतापीय ऊर्जा-

जैसा कि हम सब जानते हैं कि महासागर धरातल का 70 प्रतिशत भाग घेरे हुए हैं और ज्वार ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, थर्मल ऊर्जा आदि रूप ऊर्जा की एक विशाल राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे समुद्र और महासागरों की ऊर्जा क्षमता हमारी वर्तमान ऊर्जा आवश्यकताओं से कहीं अधिक है। आँकड़ों के अनुसार, ज्वारीय और तरंग ऊर्जा के लिये अनुमानित ऊर्जा क्षमता क्रमशः 12,455mw और 41,300mw है। ऐसे में इन ऊर्जा स्रोतों के इष्टतम दोहन हेतु विभिन्न तकनीकों का विकास किया जा रहा है।

जबकि भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के भू-पृष्ठ में संग्रहित ऊष्मा के स्रोत के रूप में होती है, जो सतह पर गर्म स्रोतों के रूप में निकलती है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने अनुमान लगाया है कि भू-तापीय ऊर्जा से संभावित 10 गीगावाट बिजली क्षमता का दोहन किया जा सकता है।

इस दिशा में भारत सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास-

भारत सरकार ने वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन तथा वर्ष 2030 तक भारत की अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता 500 GW तक विस्तारित करने का लक्ष्य रखा है। जिसे प्राप्त करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं, जैसे- राष्ट्रीय बायोगैस और खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम, सूर्यमित्र कार्यक्रम, सौर ऋण कार्यक्रम, PM-कुसुम योजना, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, सौर पार्क योजना, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (CPSU) योजना, हाइड्रोजन मिशन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन तथा बजट 2022-23 में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऊर्जा दक्षता, विद्युत गतिशीलता, भवन निर्माण दक्षता, ग्रिड से जुड़े ऊर्जा भंडारण और हरित बॉण्ड के लिये कई घोषणाएँ कीं जो नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने में अहम भूमिका निभाएंगी।

ऐसे में अक्षय ऊर्जा में आत्मनिर्भरता भारत की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भी अहम है। आज आवश्यकता है कि भारत दूसरे देशों के लिये अक्षय ऊर्जा उपकरणों की आपूर्ति का एक स्रोत बने। उपर्युक्त विवरणों के आधार पर यह कहना अतिशयक्ति नहीं होगा कि यह क्षमता भारत में सुनिश्चित की जा सकती है और इसका व्यापक लाभ हम कई आयामों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। जैसे-

*नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल होती है तथा इसमें न्यूनतम या लगभग शून्य कार्बन व ग्रीनहाउस उत्सर्जन होता है। जबकि इसके विपरीत जीवाश्म ईंधन ग्रीनहाउस गैस और कार्बन डाइऑक्साइड का काफी अधिक उत्सर्जन करते हैं।

*नवीकरणीय संसाधनों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा असीमित होती है। इसलिये इसे ऊर्जा का स्थायी स्रोत भी माना जाता है, जबकि जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के स्रोत सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं।

*नवीकरणीय ऊर्जा रोज़गार सृजन में भी सहायक है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 1,00,000mw सौर ऊर्जा और 60,000mw पवन ऊर्जा क्षमता विकसित करने के लक्ष्य से लगभग 13 लाख (1.3 मिलियन) प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे।

*नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी कम करेगा। इससे वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में काफी स्थिरता भी आएगी।

*WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खाना पकाने में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल की वजह से हर साल 5 लाख मौतें हो रही हैं। ऐसे में अक्षय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देकर मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

*WHO की रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने से महिला सशक्तीकरण व लैंगिक समानता (SDG-5) में भी वृद्धि देखने को मिली है।

*अक्षय ऊर्जा स्रोत ही भविष्य के ऊर्जा संसाधन हैं जो किसी भी राष्ट्र के धारणीय विकास ( SDG-7- स्वच्छ एवं वहनीय ऊर्जा) को सुनिश्चित करेंगे। ऐसे में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ निरंतर बढ़ती जा रही हैं। अगर देखा जाए तो भारत पवन ऊर्जा क्षमता व सौर ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है। देश में नवंबर 2022 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से कुल 42 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन की क्षमता हासिल की जा चुकी है और इस दिशा में सरकार निरंतर आवश्यक कदम भी उठा रही है। बावजूद इसके इस क्षेत्र में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जो अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति में बाधक बन रही हैं।

*नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में अभी भी नए अनुसंधान, आधुनिक विकास सुविधाओं तथा बुनियादी ढाँचे की कमी है।

*भारत, नवीकरणीय ऊर्जा के उपकरण अनिवार्य रूप से चीन, जर्मनी आदि देशों से आयात करता है। ऐसे में "प्रणाली लागत" में वृद्धि की समस्या इस दिशा में एक गंभीर चुनौती है।

*शुरुआत में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की स्थापना हेतु निवेश की आवश्यकता होती है। ऐसे में अत्यधिक निवेश की आवश्यकता संस्थाओं तथा आम जनमानस दोनों को हतोत्साहित करती है।

*हमारे देश में अधिकांशतः अच्छी योजनाएँ राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव में दम तोड़ देती हैं। ऐसे में इस दिशा में भी भूमि अधिग्रहण की समस्या, सरकारी अनुमोदन मिलने में देरी,सामग्री आपूर्ति सीमा आदि प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

*अक्षय ऊर्जा हेतु आज भी हमारे देश के बैंकों में सुविधाजनक ऋण सुविधा का अभाव है, जिसके कारण इसका लाभ आम जनमानस आसानी से नहीं प्राप्त कर पा रहा है।

*इस संदर्भ में आज भी आम जनमानस के बीच जागरूकता की कमी है, जिसके कारण अक्षय ऊर्जा को अपनाने की गति धीमी है।

ऐसे में उपर्युक्त चुनौतियों को दूर करने के साथ ही ग्रीन फाइनेंसिंग एक्सप्रेस, हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन तथा राज्यों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को कम करने और अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने हेतु लोगों, परिवारों, समुदायों, संगठनों, सरकार और अन्य हितधारकों को प्रासंगिक स्तरों पर शामिल किया जाना चाहिये ताकि इस दिशा में व्यापक परिवर्तन लाया जा सके।

इस प्रकार दुनिया की लगातार बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये अक्षय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग समय की मांग है और यह अनिवार्य भी है कि अधिकांश नई ऊर्जा की मांग को नवीकरणीय स्रोतों से पूरा किया जाए।

"अब समय आ गया है कि हम अपने ग्रह को जलाना बंद करें और अपने चारों ओर प्रचुर नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना शुरू करें।" (एंटोनियो गुटेरेस, UN महासचिव)

अंकित सिंह उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले से हैं। इन्होंने यूपीटीयू से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में स्नातक तथा हिंदी साहित्य व अर्थशास्त्र में परास्नातक किया है। वर्तमान में दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क (डीयू) से सोशल वर्क में परास्नातक कर रहे हैं तथा सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करने के साथ ही विभिन्न वेबसाइट्स के लिये ब्लॉग लिखते हैं।

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energy conservation essay in hindi

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Renewable Sources Of Energy Essay In Hindi

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Renewable Sources Of Energy Essay In Hindi

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – essay on renewable sources of energy in hindi.

  • प्रस्तावना,
  • (क) सौर ऊर्जा,
  • (ख) पवन ऊर्जा,
  • (ग) जल ऊर्जा,
  • (घ) भू–तापीय ऊर्जा,
  • (ङ) बायोमास एवं जैव ईंधन,
  • (च) परमाणु ऊर्जा,
  • अक्षय ऊर्जा और हमारा राष्ट्र,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Akshay Oorja : Sambhaavanaen Aur Neetiyaan Nibandh

प्रस्तावना– पेट्रोल, डीजल, कोयला, गैस आदि की दिनोदिन घटती मात्रा ने हमें यह सोचने पर विवश कर दिया है कि हमें अपनी कल की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए ऐसे संसाधनों को खोजना होगा, जो कभी समाप्त न हों और हमारा जीवन सुचारु रूप से बिना किसी ऊर्जा संकट के चलता रहे। ऊर्जा के कभी न समाप्त होनेवाले संसाधनों को ही हम अक्षय ऊर्जा के स्रोत के रूप में जानते हैं।

अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत– मानव एक विकासशील प्राणी है। उसने ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की खोज की, जो आधुनिक जीवन शैली का अभिन्न अंग बन गए हैं। सबसे पहले मानव ने ऊर्जा के परम्परागत साधनों–कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि का प्रयोग किया, जो सीमित मात्रा में होने के साथ–साथ पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हैं।

अक्षय ऊर्जा के स्रोत न केवल ऊर्जा के संकट मिटाने में सक्षम हैं, पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। भारत में अक्षय ऊर्जा के अनेक स्रोत उपलब्ध हैं; जैसे–सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू–तापीय ऊर्जा, बायोमास एवं जैव ईंधन आदि। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

(क) सौर ऊर्जा–भारत में सौर ऊर्जा की काफी सम्भावनाएँ हैं; क्योंकि देश के अधिकतर भागों में वर्ष में 250–300 दिन सूर्य अपनी किरणें बिखेरता है। सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए फोटोवोल्टेइक सेल प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। फोटोवोल्टेइक सेल सूर्य से प्राप्त होनेवाली किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। हमारे देश में सौर ऊर्जा के रूप में प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार खरब यूनिट बिजली बनाने की सम्भावना मौजूद है, जिसके लिए पर्याप्त तीव्रगति से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। भारत में विगत 25–30 वर्षों से सौर ऊर्जा पर कार्य हो रहा है।

वर्ष 2010 ई० में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरूआत की थी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा के माध्यम से देश को ऊर्जा के संकट से मुक्ति दिलाना है। आज देश के टेलीकॉम टॉवर प्रतिवर्ष 5 हजार करोड़ लीटर डीजल का प्रयोग कर रहे हैं, सौर ऊर्जा के प्रयोग द्वारा इस डीजल को बचाया जा सकता है।

सौर ऊर्जा अभी महँगी है, इसलिए इसकी उपयोगिता का ज्ञान होते हुए भी लोग इसका प्रयोग करने से बचते हैं। अब सोलर कूकर, सोलर बैटरी चालित वाहन और मोबाइल फोन भी प्रयोग में लाए जा रहे हैं। लोग धीरे–धीरे इसकी महत्ता समझ रहे हैं। कर्नाटक के लगभग एक हजार गाँवों में सौर ऊर्जा के प्रयोग का अभियान चल रहा है। आनेवाले समय में सौर ऊर्जा निश्चित ही भारत को प्रगति के मार्ग पर ले जाने में सहायक होगी।

(ख) पवन ऊर्जा–पवन या वायु ऊर्जा अक्षय ऊर्जा का दूसरा महत्त्वपूर्ण स्रोत है। प्राचीन काल में पवन ऊर्जा का प्रयोग नाव चलाने में किया जाता था। लगभग 2 हजार वर्ष पूर्व सिंचाई और अनाज कूटने आदि में पवन ऊर्जा के प्रयोग का प्रणाम मिलता है। चीन, अफगानिस्तान, पर्शिया, डेनमार्क, कैलिफोर्निया में पवन ऊर्जा का उपयोग बिजली बनाने में किया जा रहा है।

भारत में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान आदि प्रदेशों में पवन ऊर्जा के विद्युत् उत्पादन का कार्य चल रहा है। भारत में पवन ऊर्जा की काफी सम्भावनाएँ हैं। इस समय भारत में पवन ऊर्जा का नवीन और ऊर्जा मन्त्रालय के अनुसार भारत में वायु द्वारा 48,500 मेगावॉट विद्युत् उत्पादन की क्षमता है, अभी तक 12,800 मेगावॉट की क्षमता ही प्राप्त की जा सकी है।

पिछले दो दशकों में विद्युत् उत्पादक पवनचक्कियों (टरबाइनों) की रूपरेखा, स्थल का चयन, स्थापना, कार्यकलाप और रख–रखाव में तकनीकी रूप से भारी प्रगति हुई है और विद्युत् उत्पादन की लागत कम हुई है। पवन ऊर्जा द्वारा पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता; क्योंकि इसमें अपशिष्ट का उत्पादन नहीं के बराबर होता है विकिरण की समस्या भी नहीं होती है। आनेवाले समय में पवन ऊर्जा के सशक्त माध्यम बनने की पूरी सम्भावनाएँ हैं।

(ग) जल ऊर्जा–जल अक्षय ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में से एक है। इसमें नदियों पर बाँध बनाकर उनके जल से टरबाइनों द्वारा विद्युत् उत्पादन किया जाता है। भारत में बाँध बनाकर जल विद्युत् का उत्पादन दीर्घकाल से हो रहा है। इसके अलावा समुद्र में उत्पन्न होनेवाले ज्वार–भाटा की लहरों से भी विद्युत् उत्पादन किया जा सकता . है। भारत की सीमाएँ तीन–तीन ओर से समुद्रों से घिरी हैं; अतः अक्षय ऊर्जा स्त्रोत का प्रयोग बड़े पैमाने पर कर सकता है।

(घ) भू–तापीय ऊर्जा–यह पृथ्वी से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा है। भू–तापीय ऊर्जा का जन्म पृथ्वी की गहराई में गर्म, पिघली चट्टानों से होता है। इस स्रोत से ऐसे स्थानों पर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के गर्म क्षेत्र तक एक सुरंग खोदी जाती है, जिनके द्वारा पानी को वहाँ पहुँचाकर उसकी भाप बनाकर टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है।

भारत में लगभग 113 संकेत मिले हैं, जिनसे लगभग 10 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन होने की सम्भावना है। भू–तापीय ऊर्जा से विद्युत् उत्पादन लागत जल ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत् जितनी ही है। भारत को भू–तापीय ऊर्जा को प्रयोग में लाने के लिए बड़ी मात्रा में आवश्यक संसाधन जुटाने पड़ेंगे, तभी इस ऊर्जा का लाभ उठाया जा सकेगा।

(ङ) बायोमास एवं जैव ईंधन–कृषि एवं वानिकी अवशेषों (बायोमास / जैव पदार्थों) का प्रयोग भी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। भारत की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या जैव पदार्थों का प्रयोग खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप में करती है। लकड़ी, गोबर और खरपतवार प्रमुख जैव–पदार्थ हैं, जिनसे बायोगैस उत्पन्न की जाती है। गन्ने, महुए, आलू, चावल, जौ, मकई और चुकन्दर जैसे शर्करायुक्त पदार्थों से एथेनॉल बनाया जाता है।

इसे पेट्रोल में मिलाकर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत सरकार इसका 10 प्रतिशत तक पेट्रोल में मिश्रण करना चाहती है, जिसके लिए प्रतिवर्ष 266 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी, किन्तु एथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों ने अभी 140 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की पेशकश ही सरकार से की है।

इसके अतिरिक्त कृषि से निकलनेवाले व्यर्थ पदार्थों; जैसे खाली भुट्टे, फसलों के डंठल, भूसी आदि और शहरों एवं उद्योगों के ठोस कचरे से भी बिजली बनाई जा सकती है। भारतवर्ष में उनसे लगभग 23,700 मेगावॉट बिजली प्रतिवर्ष बन सकती है, परन्तु अभी इनसे 2,500 मेगावॉट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है।

(च) परमाणु ऊर्जा–भारत के डॉ. होमी भाभा को भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास का जनक माना जाता है। भारत में पाँच परमाणु ऊर्जा केन्द्रों पर 10 परमाणु रिएक्टर हैं, जो देश की कुल दो प्रतिशत बिजली का उत्पादन करते हैं। यद्यपि परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिए घातक नहीं है, लेकिन इससे सम्बन्धित कोई भी दुर्घटना अवश्य ही मानव–जीवन के लिए घातक सिद्ध होती है।

इसका सबसे अधिक खतरा उत्पादन के पश्चात् निकलनेवाला रेडियोधर्मी अपशिष्ट कचरा है, जिसे समाप्त करना दुष्कर होता जा रहा है; अत: यह अक्षय ऊर्जा का स्रोत होते हुए भी इसका प्रयोग दीर्घकाल तक नहीं किया जा सकता है। अक्षय ऊर्जा और हमारा राष्ट्र–अक्षय ऊर्जा वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए श्रेष्ठ साधन है; क्योंकि इससे हमारा पर्यावरण स्वच्छता के साथ बड़ी मात्रा में ऊर्जा भी प्राप्त होती है।

इसी कारण विभिन्न देशों में अपने–अपने अक्षय ऊर्जा स्रोत बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा दिखाई देने लगी है। वैश्विक रुझानों को देखते हुए भारत अक्षय की प्रतिस्पर्धा का सक्रिय भागीदार है। वह निरन्तर अक्षय ऊर्जा स्रोतों की अपनी श्रेणियाँ विस्तृत करने के प्रयास में जुटा है। भारत ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता 74 गीगावॉट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 2020 तक सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 20 GW करने और बिजली की कुल खपत का 15 प्रतिशत हिस्सा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

वर्तमान में भारत की संस्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता लगभग 30 गीगावॉट है और भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है। भारत की अक्षय ऊर्जा विकास योजना में घरेलू ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करना भी शामिल है। इस योजना से जहाँ क्षेत्रीय विकास होगा, वहीं रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। पर्यावरण सुरक्षा भी इसके माध्यम से हो सकेगा और ग्लोबल वार्मिंग के अन्तर्गत अधिक कार्बन डाइ–ऑक्साइड उत्सर्जन के अन्तरराष्ट्रीय दबाव से भी हम मुक्त हो सकेंगे।

उपसंहार– अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा जो योजनाएँ चलाई जा रही हैं; उनसे यह आशा बँधती है कि हम निकट भविष्य में अपनी ऊर्जा–प्राप्ति और पर्यावरण–सुरक्षा की समस्या का समाधान खोजने में अवश्य ही सफल होंगे। हम इस क्षेत्र में अन्य विकासशील देशों को सहयोग करके न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकेंगे, वरन् विश्व–समुदाय के मध्य स्वयं को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी सफल होंगे।

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

Hindi Jaankaari

National Energy Conservation Day Essay in Hindi & English Pdf Download | राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस निबंध 2022-23

World Energy Conservation Day Essay in Hindi

विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है | इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को ऊर्जा के महत्व और उसके उपयोग के बारे में बताना व जागरूक करना है | ऊर्जा चाहे प्राकृतिक हो या विद्धुतीय हमे उसका उपयोग करना चाहिए न की दुरूपयोग |

आज के समय में यह आम बात हो गयी है लोग विद्धुत ऊर्जा का बहुत दुरूपयोग करते हैं जैसे की मोबाइल फ़ोन चार्जिंग पर लगा कर भूल जाते हैं, पानी का उपयोग करते समय पानी बहुत फैलाते हैं |

यही सब कारण हमारे ऊर्जा के स्रोतों को एक दिन अंत की कगार पर ले आएँगे | इसलिए हमे सबसे पहले खुद जागरूक होना होगा फिर लोगों को भी ऊर्जा के महत्व के बारे में बताकर व समझा कर जागरूक करना पड़ेगा |

इस दिन पर बहुत से स्कूल एवं विश्विद्यालय में essay और speech compatition होता है|

इस दिन quotes or slogans अपने व्हाट्सप्प स्टेटस पर लगा सकते है| या व्हाट्सप्प पर wishes सेंड कर सकते है|

कोई भी ऊर्जा की बचत इसकी गंभीरता से देखभाल करके कर सकता है, दैनिक उपयोग के बहुत से विद्युत उपकरणों को जैसे: बिना उपयोग के चलते हुये पंखों, बल्बों, समरसेविलों, हीटर को बंद करके आदि। यह अतिरिक्त उपयोग की ऊर्जा की बचत करने का सबसे कुशल तरीका है जो ऊर्जा संरक्षण अभियान में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि दैनिक जीवन में उपयोग के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करते हैं लेकिन दिनों-दिन इनकी बढ़ती मांग प्राकृतिक संसाधनों के कम होने का भय पैदा करता है। ऊर्जा संरक्षण ही केवल एक ऐसा रास्ता है जो ऊर्जा के गैर- नवीनीकृत साधनों के स्थान पर नवीनीकृत साधनों को प्रतिस्थापित करता है। ऊर्जा उपयोगकर्ताओं को ऊर्जा की कम खपत करने के साथ ही कुशल ऊर्जा संरक्षण के लिये जागरुक करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों की सरकारों ने ऊर्जा और कार्बन के उपयोग पर कर लगा रखा है। उच्च ऊर्जा उपभोग पर कर ऊर्जा के प्रयोग को कम करने के साथ ही उपभोक्ताओं को एक सीमा के अन्दर ही ऊर्जा का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करता है। लोगों को इस विषय पर अधिक जागरुक होना चाहिये कि, कार्यस्थलों पर तेज रोशनी विभिन्न परेशानियों (बीमारियों) को लाती है जैसे: तनाव, सिर दर्द, रक्तचाप, थकान और कार्यक्षमता को कम करता है। जबकि, प्राकृतिक प्रकाश कार्यकर्ताओं के उत्पादकता के स्तर को बढ़ाता है और ऊर्जा की खपत को कम करता है। भारत में पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान एसोसिएशन वर्ष 1977 में भारत सरकार द्वारा भारतीय लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। ये ऊर्जा का संरक्षण महान स्तर पर करने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाया गया बहुत बड़ा कदम है। बेहतर ऊर्जा कुशलता और संरक्षण के लिए भारत सरकार ने एक अन्य संगठन ऊर्जा दक्षता ब्यूरों को भी 2001 में स्थापित किया गया। ऊर्जा संरक्षण के क्या उपाय हैं? थर्मल पर्दें, स्मार्ट खिड़कियों के अलावा खिड़कियाँ ऊर्जा का संरक्षण करने में सबसे बड़ा कारक है। ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा को प्राकृतिक रोशनी और कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप या सीएफएल से (15W और अन्य साधनों के द्वारा ऊर्जा खपत का केवल 1/4वां भाग की खपत), फ्लोरोसेंट बल्ब, रैखिक फ्लोरोसेंट, सौर स्मार्ट टॉर्च, स्काई लाइट, खिड़कियों से प्रकाश व्यवस्था और सौर लाइट का प्रयोग करके बचाया जा सकता है। जल संरक्षण भी बेहतर ऊर्जा संरक्षण का नेतृत्व करता है। लोगों के द्वारा हर साल लगभग हजारों गैलन पानी बर्बाद किया जाता है जिसकी विभिन्न संरक्षण के साधनों जैसे: 6 जीपीएम या कम से कम प्रवाह वाले फव्वारों, बहुत कम फ्लश वाले शौचालय, नल जलवाहक, खाद शौचालयों का प्रयोग करके बचत की जा सकती है। पृथक्करण सर्दी के मौसम में थर्मल को कम करने के साथ ही गर्मियों में थर्मल प्राप्त करके भी ऊर्जा के संरक्षण में बहुत अहम भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिये, प्राकृतिक ऊन पृथक्करण, घर पृथक्करण, कपास पृथक्करण, रेशा पृथक्करण, थर्मल पृथक्करण आदि। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस कैसे मनाया जाता है पूरे भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण के अभियान को और प्रभावशाली और विशेष बनाने के लिये सरकार द्वारा और अन्य संगठनों द्वारा लोगों के बीच में बहुत सी ऊर्जा संरक्षण प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जाता है क्योंकि वो ही इस अभियान का मुख्य लक्ष्य है। कई जगहों पर संगठनों के छात्रों या सदस्यों द्वारा ऊर्जा संरक्षण दिवस पर स्कूल, राज्य, क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न चित्रकला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण अभियान भारत में ऊर्जा संरक्षण की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए विद्युत मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय जागरूकता अभियान है। छात्रों के लिये कई स्तरों पर चित्रकारी प्रतियोगिताओं का आयोजन इस अभियान की मुख्य गतिविधियों में से एक है जो इस अभियान में भाग लेने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों के लिये ऊर्जा संरक्षण के महत्व के साथ साथ शिक्षित करने में मदद करता है। ये प्रतियोगिता घरेलू क्षेत्रों के लोगों को भी जागरूक करने में मदद करती है। हर एक प्रतिभागी को एक विषय दिया जाता है जैसे: “अधिक सितारें, अधिक बचत”, “वर्तमान में ऊर्जा का अपव्यय, भविष्य में ऊर्जा की कमी” और “ऊर्जा का बचाव भविष्य का बचाव” आदि। प्रतियोगी अपने चित्रों को पेंसिल के रंगों, मोम के रंगों और पानी के रंगों आदि का प्रयोग करके अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने और जीतने वाले छात्रों को भागीदारी प्रमाण पत्र, योग्यता प्रमाण-पत्र और या नकद पुरस्कार 33,000 रुपये प्रति राज्य दिया जाता है। 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के समारोह कार्यक्रम में विद्युत मंत्रालय द्वारा सम्मानित राज्य के विजेताओं के बीच यह राशि बाँट दी जाती है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल एक विशेष विषय के साथ कुछ लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लोगों के बीच अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये मनाया जाता है। यह लोगों के बीच जीवन के हर क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण के महत्व का संदेश भेजने के लिए मनाया जाता है। ऊर्जा संरक्षण की प्रक्रिया को बढावा देने के लिये पूरे देश में बहुत से कार्यक्रमों जैसे: विचार विमर्श, सम्मेलनों, वाद-विवाद, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं का आयोजन करना। अत्यधिक और फालतू ऊर्जा के उपयोग के स्थान पर कम ऊर्जा के प्रयोग के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना। ऊर्जा की खपत में कमी और कुशलता पूर्वक उपयोग करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना। ऊर्जा सुरक्षा में भारतीय नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक कुशलतापूर्वक ऊर्जा के उपयोग और भविष्य के लिये ऊर्जा की बचत के बहुत से तरीकों के बारे में जानते हैं। वो सभी नियमों, विनियमों और ऊर्जा दक्षता का समर्थन करने के लिये भारत सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों का पालन करते हैं। भारत के नागरिक 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान ऊर्जा के उपयोग को कम करने के अभियान में प्रत्यक्ष अंशदान का भुगतान कर रहे हैं। देश में सकारात्मक बदलाव लाने और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये बच्चे बहुत बड़ी उम्मीद हैं।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2020 में शुक्रवार, 14 दिसम्बर को मनाया जायेगा। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा के महत्व के साथ ही साथ बचत, और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना है। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए इसे बचाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की योजना की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इंसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए। आधुनिक युग विज्ञान का युग है । मनुष्य विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर है उसने समय के साथ स्वयं के लिए सुख के सभी साधन एकत्र कर लिए हैं । इतना होने के बाद और अधिक पा लेने की अभिलाषा में कोई कमी नहीं आई है बल्कि पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है । समय के साथ उसकी असंतोष की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कल-कारखाने, मोटर-गाड़ियाँ, रेलगाड़ी, हवाई जहाज आदि सभी उसकी इसी प्रवृत्ति की देन हैं । उसके इस विस्तार से संसाधनों के समाप्त होने का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है । प्रकृति में संसाधन सीमित हैं । दूसरे शब्दों में, प्रकृति में उपलब्ध ऊर्जा भी सीमित है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ आवश्यकताएँ भी बढ़ती ही जा रही हैं । दिन-प्रतिदिन सड़कों पर मोटर-गाड़ियों की संख्या में अतुलनीय बुदधि हो रही है । रेलगाड़ी हो या हवाई जहाज सभी की संख्या में वृद्‌धि हो रही है । मनुष्य की मशीनों पर निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है । इन सभी मशीनों के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । परंतु जिस गति से ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है उसे देखते हुए ऊर्जा के समस्त संसाधनों के नष्ट होने की आशंका बढ़ने लगी है । विशेषकर ऊर्जा के उन सभी साधनों की जिन्हें पुन: निर्मित नहीं किया जा सकता है । उदाहरण के लिए पेट्रोल, डीजल, कोयला तथा भोजन पकाने की गैस आदि । पेट्रोल अथवा डीजल जैसे संसाधनों रहित विश्व की परिकल्पना भी दुष्कर प्रतीत होती है । परंतु वास्तविकता यही है कि जिस तेजी से हम इन संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब धरती से ऊर्जा के हमारे ये संसाधन विलुप्त हो जाएँगे । अत: यह आवश्यक है कि हम ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दें अथवा इसके प्रतिस्थापन हेतु अन्य संसाधनों को विकसित करें क्योंकि यदि समय रहते हम अपने प्रयासों में सफल नहीं होते तो संपूर्ण मानव सभ्यता ही खतरे में पड़ सकती है। हमारे देश में भी ऊर्जा की आवश्यकता दिन पर दिन विकास व जनसंख्या वृद्‌धि के साथ बढ़ती चली जा रही है । ऊर्जा की बढ़ती माँग आने वाले वर्षो में आज से तीन या चार गुणा अधिक होगी । इन परिस्थितियों में भारत सरकार की ओर से ठोस कदम उठाने की अवश्यकता है । इस दिशा में अनेक रूपों में कई प्रयास किए गए हैं जिनस कुछ हद तक सफलता भी अर्जित हुई है । ‘बायो-गैस’ तथा अधिक वृक्ष उत्पादन आदि इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं । पृथ्वी पर ऐसे ऊर्जा संसाधनों की कमी नहीं है जो प्रदूषण रहित हैं । विश्व भर में ऊर्जा संरक्षण व ऊर्जा के नवीन श्रोतों को विकसित करने के महत्व को समझा जा रहा है । सभी देश सौर-ऊर्जा को अधिक महत्व दे रहे हैं तथा इसे और अधिक उपयोगी बनाने व इसके विकास हेतु विश्व भर के वैज्ञानिकों द्‌वारा अनुसंधान जारी हैं । जहाँ तक भारत की स्थिति है, हमारे देश में पेट्रोलियम ऊर्जा का एक बड़ा भाग खाड़ी के तेल उत्पादक देशों में आयात किया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कभी-कभी कच्चा तेल इतना महँगा हो जाता है कि इसे खरीद पाना भारतीय तेल कंपनियों के वश में नहीं होता । तब सरकार या तो तेल मूल्यों में वृद्‌धि कर इस घाटे की भरपाई करती है अथवा तेल कंपनियों को सीमा-शुल्क आदि में छूट देकर स्वयं घाटा उठाती है । दोनों ही स्थितियों में बोझ देश के उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है । हमें आशा है कि वैज्ञानिक ऊर्जा के नए संसाधनों की खोज व इसके विकास में समय रहते सक्षम होंगे । इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि सभी नागरिक ऊर्जा के महत्व को समझें और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक बनें । यह निरंतर प्रयास करें कि ऊर्जा चाहे जिस रूप में हो उसे व्यर्थ न जाने दें ।

energy conservation essay in hindi

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस प्रति वर्ष 14 दिसंबर को भारत में मनाया जाता है. भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा लागू किया गया था. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) भारत सरकार का एक कानूनी संगठन है जोकि भारत सरकार के अधीन कार्य करता है और ऊर्जा दक्षता और उसके इस्तेमाल के संदर्भ में भारत सरकार का सहयोग करता है ताकि ऊर्जा के उपयोग को न केवल बेहतर बनाया जा सके बल्कि उसकी दक्षता में भी सुधार किया जा सके. ऊर्जा संरक्षण अधिनियम ऊर्जा क्षमता की परियोजनाओं बेहतर संचालन, ऊर्जा, परियोजनाओं, नीति एवं अध्ययन, एवं वित्त पर चल रहे विविध कार्यों में प्रगति के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञ, विशिष्ट और आशावादी प्रबंधकों और लेखा परीक्षकों का उपयोग करना चाहता है ताकि भारत में ऊर्जा के बेहतर भविष्य को सुरक्षित किया जा सके | भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस को ऊर्जा के बचत एवं संरक्षण के महत्व के बारे में जनता को सचेत करने के लिए आयोजित किया जाता है. साथ ही उसके बेहतर इस्तेमाल के माध्यम से उसे भविष्य हेतु सुरक्षित करने के तरीके बनाये जाते है. इसेक अलावा ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ समझाने और ऊर्जा के अपव्यय को कम से कम करने के लिए सचेत किये जाते हैं. ऊर्जा के प्रभावी उपयोग को बनाये रखने के लिए किये जाने वाले उपाय अत्यंत प्रासंगिक है | हमारे देश के सभी व्यक्तियों को प्रभावी ऊर्जा के उपयोग के बारे में पता होना चाहिए. इस सन्दर्भ में भारत के प्रत्येक व्यक्ति के लिए ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल के संदर्भ में जानकारी होनी चाहिए. साथ ही विधि के माध्यम से अपने स्वयं के भविष्य की भलाई के लिए और विभिन्न अन्य तरीकों से ऊर्जा की रक्षा के लिए तरीके अपनाये जाने पर बल दिए जाते हैं. भारत के सभी लोग प्रत्यक्ष तौर पर 11 वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में ऊर्जा अपव्यय को कम से कम करने के लिए आंदोलन कर सकते हैं. वर्त्तमान में युवा लोगों को सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए और राष्ट्र की आर्थिक स्थिति में वृद्धि करने के लिए आगे आना होगा क्योंकि वे ही इस देश के भविष्य हैं | राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस कैसे मनाया जाता है? राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण आंदोलन को और अधिक कुशल और देश भर में असाधारण बनाने के क्रम में बहुत से कार्यक्रमो का आयोजन विविध संगठनो के माध्यम से आयोजित किया जाता है. इस सन्दर्भ में कई महत्वपूर्ण ऊर्जा संरक्षण प्रतियोगिता का आयोजन भारत सरकार के द्वारा और आम व्यक्तियों के द्वारा भी बस्तियों के आसपास आयोजित की जाती है. इनके अंतर्गत शामिल हैं: • चित्रकारी प्रतियोगिता • पोस्टर मेकिंग • नारे लेखन, आदि राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष देश भर में ऊर्जा की आवश्यक के सन्दर्भ में संदेश को फैलाने के लिए महत्वपूर्ण उद्देश्यों और लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशिष्ट विषय की मदद से हर साल मनाया जाता है. प्रासंगिक उद्देश्यों में से कुछ हैं: • यह जीवन के हर चरण में ऊर्जा संरक्षण के महत्व के प्रसार करने के लिए मनाया जाता है. • देश भर में चर्चा, सम्मेलनों, वाद-विवाद, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं और आदि जैसे विभिन्न घटनाओं के संचालन से ऊर्जा संरक्षण प्रक्रिया की विधि की पुष्टि की जाति है. • अपव्यय और अनावश्यक उपयोग करने से बचने के लिए कम ऊर्जा का उपयोग के लिए व्यक्तियों का समर्थन प्राप्त करना. • ऊर्जा की खपत को कम करने और ऊर्जा नुकसान की जांच करने के लिए बेहतर माध्यमों का इस्तेमाल करना और प्रभावी ऊर्जा के उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करना है |

#4 National Energy Conservation Day 14th December 

National energy conservation day is celebrated every year by the people all over the India on 14th of December. The Energy Conservation Act in India was executed by the Bureau of Energy Efficiency (BEE) in the year 2001. The Bureau of Energy Efficiency is a constitutional body which comes under Government of India and helps in the development of policies and strategies in order to reduce the energy use. National energy conservation day in India is celebrated to aware people about the importance of energy as well as saving or conserving the more energy by using less energy. The exact means of energy conservation is using less energy by avoiding the unnecessary uses of energy. Using energy efficiently is very necessary to save it for the future usage. Energy conservation should be rooted in the behavior of every human being to get more effect towards the plan of energy conservation. One can save the energy by deeply taking care of it such as turning off the unnecessarily running fans, lights, submersible, heater, combining car trips or other electric things of daily usage. These are the more easier and efficient way to save extra uses of energy thus playing the great role towards the campaign of national energy conservation. Fossil fuels, Crude oil, Coal, natural gas and etc generate sufficient energy for the use in daily life but increasing the demands of it day by day creates the fear of reducing or diminishing the natural resources. Energy conservation is the only way which helps in replacing the non-renewable resources of energy with the renewable energy. In order to aware the energy users for less energy consumption as well as to make efficient energy conservation, energy or carbon taxes has been employed by the government in different countries. Tax on high energy consumption reduces the energy use by the users as well as promotes limited energy use among users. People must aware that bright lighting at their work places leads to the variety of problems like stress, headache, blood pressure, fatigue and reduces work efficiency of workers. Whereas, natural day lighting enhances the productivity level of workers and reduces the energy consumption. Petroleum Conservation Research Association was established by the Indian government in India in the year 1977 to promote energy efficiency and conservation among Indian people in their every walk of life. This is a big step taken by the government of India for energy conservation to a great level. Another government organization in India, Bureau of Energy Efficiency, has also been set up in 2001 for better energy efficiency and conservation. What are the Energy Conservation Measures Windows are the big energy conservation contributing factors other than thermal curtains, Smart windows or films. A big amount of energy can be saved by the natural lightings and compact fluorescent lamp or CFL (15W and consumes only 1/4th of the energy consumed by other means), Fluorescent bulbs, Linear fluorescent retrofit, Solar charged flashlight, Sky lights, Smart windows, LED lighting and Solar lights. Water conservation also leads to the better energy conservation. There is wastage of around thousands of gallons water per year by the people which can be prevented through various means of water saving solutions like 1.6 GPM or less low flow showerheads, Ultra low flush toilet, Faucet aerator, Composting toilets and etc. Insulation also plays big role in energy conservation by decreasing the thermal losses in winter seasons as well as thermal gains in summer seasons. For example; natural wool insulation, house insulation, cotton insulation, VOCs in fiberglass insulation, thermal insulation, cellulose insulation and etc. HOW NATIONAL ENERGY CONSERVATION DAY IS CELEBRATED To make the campaign of national energy conservation more effective and special all over the India, variety of energy conservation competitions are organized by the government or other organizations around the living areas of normal people as they are the main target of the campaign. At many places the various painting competitions on energy conservation day is held by the student or member of the organizations at school, state, regional or national level. The campaign of the national energy conservation is the national awareness campaign launched by the Ministry of Power to facilitate the process of energy conservation in India. Painting competitions organized for the students at many levels is one of the main activities of this campaign which helps in increasing the awareness of children about the importance of conserving energy as well as educating and involving their parents in the campaign. This competition helps the people of domestic sectors to be aware. Every participant is provided a theme Topic such as the “More stars, more savings”, “Today’s energy wastage is tomorrow’s energy shortage”, “Energy saved is future save” and many more. Participants can make their painting more effective by using the Pencil Color, Crayons, Water Color and etc. Students, who take part in the competition and win, get participation certificate, merit certificate or cash prizes which worth Rs 33,000 per State. This amount is distributed among all the winners of a state and awarded by the Ministry of Power at 14th of December at the celebration event of National Energy Conservation day. OBJECTIVES OF NATIONAL ENERGY CONSERVATION DAY National energy conservation day is celebrated every year using particular theme of the year by keeping in mind some goals and objectives to make more effective all over the country among people. Some of the important goals are: It is celebrated to send the message of importance of conserving energy in the every walk of life among people. Promoting the way of process of energy conservation by organizing a lot of events such as discussions, conferences, debates, workshops, competitions and etc all through the country. Promote people for less energy usage by neglecting the excessive and wasteful uses. Encourage people for efficient energy use in order to decrease the energy consumption and prevent the energy loss. SIGNIFICANT ROLES OF INDIAN CITIZENS IN ENERGY SECURITY Each and every citizens of the India must aware about how to use efficient energy, how to save the energy for their own future safety and many more ways. They should follow all the rules, regulations and policies implemented by the Government of India in order to support the energy efficiency. Citizens of India can pay their direct contribution to the campaign of reduce energy use throughout the 11th Five Year Plan period. Children are the big expectation and hope for the country to bring positive changes as well as to enhance the economic condition of the country.

World Energy Conservation Day 2020 theme :  इस बार विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस 14 दिसंबर शुक्रवार को पड़ रहा है |आइये अब हम आपको विश्व /राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस निबंध हिंदी में, World Energy Conservation Day essay, World Energy Conservation Day is celebrated on, विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है, वर्ल्ड एनर्जी कन्ज़र्वेशन डे आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font , 100 words, 150 words, 200 words, 400 words में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

2020 update

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ऊर्जा संरक्षण क्या है और कब मनाया जाता है?9 Best Tips For Energy Conservation In Hindi

ऊर्जा संरक्षण क्या है (Energy Conservation In Hindi) और यह कब मनाया जाता है और ऊर्जा संरक्षण कैसे किया जाए?

दुनिया में Energy (ऊर्जा) का एक महत्वपूर्ण स्थान है। एनर्जी के बिना व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है।इस दुनिया में रहने वाले हर व्यक्ति को किसी ना किसी रूप में कम या ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है तो जाहिर सी बात है ऊर्जा किसी न किसी स्रोत से प्राप्त होती है जिसकी उपयोग की एक निश्चित सीमा होती है।

अतः Energy को save करने की जरूरत है तो आज हम इसी बारे में “ उर्जा संरक्षण क्या है और कब मनाया जाता है और ऊर्जा संरक्षण कैसे किया जाए? ” ( Energy Conservation In Hindi ) के बारे में बात करना जा रहे हैं।

ऊर्जा संरक्षण क्या है? (What is Energy Conservation in Hindi?)

एनर्जी कंजर्वेशन को हिंदी में ऊर्जा संरक्षण कहा जाता है।ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य है हमारे पास जो ऊर्जा(एनर्जी) उपलब्ध है,उसका उपयोग इस तरीके से किया जाए कि उसकी बचत ज्यादा से ज्यादा हो और Energy को Save(ऊर्जा बचत) किया जा सके।

ऊर्जा जितनी कि हमें जरूरत है,उससे भी कम एनर्जी में हमारा काम पूरा हो तो आने वाली पीढ़ियां उस ऊर्जा का भरपूर उपयोग कर सकेगी क्योंकि ऊर्जा की एक सीमा होती है और इसका उसे अधिकतम उपयोग होने के बाद समाप्त हो जाती है तो जाहिर सी बात है ऊर्जा के अन्य विकल्प भी तलाशने होंगे और ऊर्जा संरक्षण भी करना होगा ताकि ऊर्जा की बचत हमेशा होती रहे और यह हम सभी की हमारी जिम्मेदारी है।

World Energy Conservation Day (विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस)

विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस साल 1991 से प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को मनाया मनाया जाता है।यह पूरी दुनिया में एक साथ 14 दिसंबर को मनाया जाता है।इसका उद्देश्य पूरी दुनिया में होने वाली ऊर्जा खपत को कम से कम करना है व ऊर्जा संरक्षण करना है और इसका काम उर्जा के नए नए विकल्प तलाशना भी है और इस बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए यह विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।

How To Do Energy Conservation In Normel Life ( सामान्य जीवन मे ऊर्जा संरक्षण कैसे किया जाए?)

ऊर्जा संरक्षण ( Energy Management ) हमारी जिम्मेदारी है तो जाहिर सी बात है और ऊर्जा को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे और लोगों को जागरूक करना होगा।

हम ऐसे कई कदम है जो आपने सामान्य जीवन में उठाकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं तो यहां पर हम कुछ बातें बताने जा रहे हैं जिन पर आप अमल कर सकते सकते है और आप लोगों को ऊर्जा संरक्षण (एनर्जी कंजर्वेशन) पर पोस्टर, इमेजेस, निबंध लिख कर लोगों को जागरूक कर सकते हैं।

  • जरूरत ना होने पर लाइट,पंखे,कूलर आदि को बंद करके रखें।
  • सामान्य बल्ब की जगह सीएफएल का प्रयोग करें।
  • आजकल एलईडी लाइटों का भी प्रचलन है तो आप उनका भी उपयोग कर सकते हैं क्योंकी CFL,LED थोड़ी महंगी होती है लेकिन यह लाइट की बहुत बचत करती है और लंबे समय तक काम में आती है।
  • सबसे से ज्यादा बिजली की खपत रेफ्रिजरेटर(फ्रीज़)करता है तो आप इसके कूलिंग सिस्टम को हमेशा धूल मिट्टी आदि को साफ करते रहे क्योंकि इसको साफ ना करने पर बिजली की खपत भी ज्यादा होती है।
  • ISI (आईएसआई) द्वारा चिन्हित विद्युत उपकरणों का ही उपयोग करें।
  • फ्रिज का दरवाजा बार-बार खोलने और बंद करने से बचें।इससे बिजली खपत होती है।
  • दिन के समय लाइट्स को बंद रखें।
  • घरों में पानी की टंकी को भरते समय उनके व्यर्थ में बहने वाले पानी को बचाकर बिजली की बचत की जा सकती है।
  • खाना बनाने में अच्छी ऊर्जा क्षमता वाले बर्तनों का उपयोग करें।
  • ऑनलाइन पैसे कैसे कमाए?
  • ऑनलाइन काम आने वाली खास TIPS & TRICKS
  • Personality Development Series-खुद को बनाये बेहतर
  • Amazing Scientific Facts-रोचक तथ्य लिस्ट जो आप नही जानते।

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में अपने शौक व लोगो की हेल्प करने के लिए Part Time ब्लॉग लिखने का काम करता हूँ और साथ मे अपनी पढ़ाई में Bed Student हूँ।मेरा नाम कविश जैन है और में सवाई माधोपुर (राजस्थान) के छोटे से कस्बे CKB में रहता हूँ।

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध भाषण Essay on Energy Conservation in Hindi : ऊर्जा मानव जीवन की सभी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति का महत्वपूर्ण साधन हैं.

जीवन में गति का कारण ऊर्जा ही हैं चाहे वह हमारे चलने के लिए हो या यंत्रों के परिचालन के लिए, जीवन के हर क्षेत्र में एनर्जी की जरूरत हैं.

ऊर्जा के सिमित भंडार हैं इसलिए हमे ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) की तरफ जाना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढियां ऊर्जा संकट का सामना न करें. आज का निबंध (Essay) भाषण (Speech) अनुच्छेद (Paragraph) इसी विषय पर दिया गया हैं.

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग कहा जाता हैं, जिसमें विभिन्न तरह के यंत्रों के माध्यम से मानव ने विकास की राह को बहुत तीव्र कर दिया हैं. अपने लौकिक सुख के लिए उसने तमाम साधन जुटा लिए हैं.

सब कुछ पा लेने के बावजूद भी अधिक सुखी जीवन बिताने की यह लालचा कही खत्म होती नजर नहीं आती, बल्कि दिनोंदिन इसमें वृद्धि ही नजर आ रही हैं.

वर्तमान के सुख से कमी के भाव ने असंतोष को जन्म दिया हैं, उसका यही असंतोष और कुछ और अर्जित करने की जिद्द ने मोटर गाड़ी, हवाई, रेल, मोबाइल, इन्टरनेट, रोबोट, परमाणु सब कुछ पाया हैं.

प्रकृति प्रदत्त संसाधनों से निर्मित होने के कारण दिनोदिन प्राकृतिक संसाधनों की कमी गहराती जा रही हैं. तथा इसके विपुल भंडार खत्म होते जा रहे हैं.

हमारी पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन के सिमित भंडार ही उपलब्ध हैं, ऊर्जा भी उन्ही में से एक हैं. जिस तीव्र गति से विश्व की आबादी बढ़ रही हैं उनकी आवश्यकताएं भी दिनोंदिन बढ़ रही हैं.

आए दिन यातायात के साधनों में ताबड़तोड़ वृद्धि हो रही हैं. हमारा जीवन पूरी तरह से मशीनों पर आश्रित सा हो चूका हैं.

इन मशीनों को चलाने के लिए विविध प्रकार के ईधन यानी ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती हैं. जिस गति से आज हम ऊर्जा को डीजल, पेंट्रोल, विद्युत् आदि रूपों में व्यय करते हैं एक दिन इनके भंडार समाप्त हो जाएगा और हम एक भयानक ऊर्जा संकट से गुजर रहे होंगे.

हमारे घरों में खाना पकाने के लिए एलपीजी वाहनों में प्रयुक्त CNG व अन्य पेट्रोलियम यदि समाप्त हो गये तो इनका पुनः निर्माण नहीं किया जा सकता. अतः हमें सिमित मात्रा में उपलब्ध इन संसाधनों का कम से कम दोहन करना चाहिए.

एक दिन के लिए कल्पना करे यदि पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस न हो तो हमारा जीवन कैसा होगा. जैसा कि पूर्व में कहा गया ऊर्जा का प्रथम उद्देश्य गति हैं इसके अभाव में संसार रूक जाएगा.

यदि हम इसी गति से प्रकृति के साधनों का उपयोग करते चले तो यह परिकल्पना या भय एक दिन यथार्थ बनकर हमारे समक्ष होगा, जब हमारी धरती से ये प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह समाप्त हो जाएगे.

अभी भी हमें सम्भलने का वक्त है ऊर्जा संरक्षण के उपायों को अपनाएं तथा ऊर्जा के ऐसे विकल्पों को अपनाएं जो नवीकरण योग्य हो ऊर्जा के साधन जैसे सूर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा बायोगैस का अधिकतम उपयोग करें.

यदि हमने समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए तो निश्चय ही एक दिन समूची मानव जाति के समक्ष ऊर्जा का एक भयानक संकट उपस्थित हो जाएगा.

जिस गति से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही हैं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तीव्र विकास की जरूरत पड़ती हैं यह ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देती हैं. आगामी दशक में ऊर्जा की कुल खपत कई गुणा अधिक हो जाएगी.

इसलिए अभी केंद्र और राज्य सरकारों को इस बारे में सोचकर कठोर कानून बनाने होंगे. हालांकि इस दिशा में कुछ सराहनीय कार्य भी हुए हैं जिनमें आंशिक सफलता भी मिली हैं वे है बायोगैस, LED लाइट्स के उपयोग, सौर संयंत्र को बढ़ावा तथा वृक्षारोपण.

हमारी धरती पर ऐसे संसाधनों के विपुल भंडार या उनकी सम्भावनाएं हैं जो पर्यावरण का प्रदूषण नहीं बढाते हैं. आज पूरी दुनिया में ऊर्जा संरक्षण के महत्व को समझा जाने लगा हैं तथा ऊर्जा के नवीन विकल्पों पर काम किया जा रहा हैं.

सौर तथा पवन ऊर्जा को अपनाने पर बल दिया जा रहा हैं. साथ ही इस तरह के नवीकरणीय साधनों को अधिक से अधिक विकसित करने की दिशा में भी रिसर्च हो रही हैं.

भारत दुनिया के बड़े ऊर्जा आयातक देशों में से एक हैं. हमारा अधिकतर पेट्रोलियम खाड़ी देशों से आयात होता हैं. हमारा देश ऊर्जा के इन साधनों को पाने के लिए न केवल बड़ी मात्रा में धन खर्च करता हैं.

बल्कि अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार के दामों में कई बार आने वाले उफान के कारण यह भारतीय व्यापारियों के लिए खरीद पाना भी मुश्किल हो जाता हैं.

ऐसे में सरकारे कर कम करके अथवा उनके घाटे की भरपाई करके आपूर्ति को नियमित बनाने का प्रयत्न करती हैं. किसी भी तरह से ये समस्त बोझ देश की आम जनता पर ही हैं.

हमें आश्वस्त रहना चाहिए, जिस तेजी से हम विज्ञान के नये नये आविष्कार कर रहे हैं उसी दिशा में हम ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देनी वाली तकनीक या ऊर्जा के नये विकल्पों की खोज कर लेगे जो हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक न हो तथा कभी खत्म न हो.

प्रत्येक नागरिक को ऊर्जा के प्रति जागरुक बनने की आवश्यकता हैं. इसके व्यर्थ अपव्यय से बचते हुए संरक्षण की ओर कदम उठाने की आवश्यकता हैं.

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10 Lines on Energy Conservation in Hindi – 10 Lines Essay

10 lines on energy conservation in hindi language :.

Hello Student, Here in this post We have discussed about Energy Conservation in Hindi. Students who want to know a detailed knowledge about Energy Conservation, then Here we posted a detailed view about 10 Lines Essay Energy Conservation in Hindi. This essay is very simple.

Energy Conservation

3) सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करके, बिजली  की बचत करके ऊर्जा संरक्षण कर सकते हैं।

5) नवीनीकरण ऊर्जा का प्रयोग कर हम उर्जा का संरक्षण कर सकते हैं।

9) ऊर्जा की खपत कम करने के लिए हम प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाते हैं।

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