सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi – Sikh Dharm

“इक ओंकार सतनाम करता पुरख निर्मोह निर्वैर अकाल मूरत अजूनी सभम।“

अर्थात ईश्वर एक है, उसका नाम ही सच है, वह सबको बनाने वाला है, निर्भय है, किसी का दुश्मन नहीं है व निराकार है। जन्म – मरण से दूर है।

सिख धर्म का इतिहास

सिख धर्म का इतिहास गुरु नानक देव जी के साथ शुरू हुआ था। इन्हे सिख धर्म का प्रवर्तक कहा जाता है। वह भारतीय उपमहाद्वीप (आधुनिक पंजाब, पाकिस्तान) के उत्तरी भाग में पंजाब क्षेत्र में पंद्रहवीं शताब्दी के पहले गुरु थे।

गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा 13 अप्रैल 1699 को धार्मिक प्रथाओं को औपचारिक रूप दिया गया था। यह धर्म खालसा का आदेश देता है, जो लगभग 300 वर्षों का इतिहास है। गुरु नानक देव जी ने अपने समय के भारतीय समाज में व्याप्त कुप्रथाओं, अंधविश्वासों, जर्जर रूढ़ियों और पाखण्डों को दूर किया था।

आदिग्रन्थ के पृष्ठ संख्या 617 में गुरु अर्जुन देव जी ने कहा है कि –

सगल वनस्पति महि बैसन्तरु सगल दूध महि घीआ। ऊँच-नीच महि जोति समाणी, घटि-घटि माथउ जीआ॥

अर्थात ईश्वर हर जगह व्याप्त है, जैसे वनस्पतियों में आग समयी हुई है, दूध में घी है उसी तरह ईश्वर सब जगह विद्यमान है। सिखों के दस प्रमुख गुरु हैं, जिन्होंने इस धर्म को और भी ज्यादा मजबूत बनाया। जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

गुरुनानक देव जी (1469-1539)

गुरु अंगद (1539-1552), गुरु अमरदास (1552-1574).

गुरू अमर दास जी सिख धर्म के प्रचारक थे। गुरु अंगद जी ने स्वयं इन्हे तृतीय गुरु के रूप में चुना था।

गुरु रामदास (1574-1581)

ये अत्यंत साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इन्होने ही अमृतसर में एक जलाशय का भू-भाग दान दिया था , वहीँ पर आगे चलकर विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर का निर्माण हुआ। इन्होने विवाह सम्बंधित रूढ़िवादी प्रणाली को दूर किया और सरल बनाया।

गुरु अर्जुन (1581-1606)

गुरु हरगोविन्द (1606-1645), गुरु हरराय (1645-1661), गुरु  हरकिशन (1661-1664).

इन्होने खालसा पंथ को और भी शक्तिशाली बनाया।  

गुरु तेग बहादुर (1664-1675)

गुरु गोविन्द सिंह (1675-1708).

पढ़ें : गुरु गोविन्द सिंह की जीवनी

ये सिखों के दंसवे गुरु थे। इन्होने शांतिप्रिय ढंग से सिख पंथ के सैनिक को मजबूत बनाया जिससे वे मुसलामानों का सामना कर सके। इन्होने ही अपने पंथ का नाम खालसा रखा और एकता का सन्देश दिया।

इन्होने सिख समुदाय को केश, कच्छ, कड़ा, कृपाण और कंघा इन पांच वस्तुओं को धारण करना आवश्यक कर दिया। इन्होने पाहुल प्रथा का आरम्भ किया, जिसका उद्देश्य जातिवाद को दूर करना था। इसमें सभी एक ही कटोरे में प्रसाद ग्रहण करते थे।

धार्मिक ग्रन्थ

सिख धर्म के अनुसार मनुष्य को अपने जीवन काल में इन चार पदार्थ को प्राप्त करना अनिवार्य है –

सिखों के प्रमुख त्योहार

इस धर्मं की स्थापना में न जाने कितने सिखों को शारीरिक यातनाएँ दी गयीं फिर भी इन अत्याचारों से खासला पंथ की सैनिक शक्ति को दबा नहीं पाए। सिख धर्म के अनुयायियों ने अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार अपने धर्म की रक्षा की। वास्तव में यह धर्म हमे एकता का सन्देश देता है और अन्य धर्मों के लोगों की भी मदद करने के लिए हर संभव तैयार रहता है।

sikh essay in hindi

Similar Posts

देशभक्ति पर निबंध essay on patriotism in hindi, भाई दूज पर निबंध (भैया दूज) essay on bhai dooj in hindi, नारी शिक्षा पर निबंध essay on women education in hindi (1000+ words), शुक्राचार्य का इतिहास guru shukracharya story, history, facts in hindi, जमात-उल-विदा पर निबंध essay on jamat-ul-vida in hindi, महाशिवरात्रि की कहानी व निबंध mahashivratri story essay in hindi, leave a reply cancel reply.

Drishti IAS

  • मासिक मैगज़ीन
  • इंटरव्यू गाइडेंस
  • ऑनलाइन कोर्स
  • कक्षा कार्यक्रम
  • दृष्टि वेब स्टोर
  • नोट्स की सूची
  • नोट्स बनाएँ
  • माय प्रोफाइल
  • माय बुकमार्क्स
  • माय प्रोग्रेस
  • पासवर्ड बदलें
  • संपादक की कलम से
  • नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
  • डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
  • बिगनर्स के लिये सुझाव

एचीवर्स कॉर्नर

  • टॉपर्स कॉपी
  • टॉपर्स इंटरव्यू

हमारे बारे में

  • सामान्य परिचय
  • 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
  • दृष्टि पब्लिकेशन
  • दृष्टि मीडिया
  • प्रबंध निदेशक
  • इंफ्रास्ट्रक्चर
  • प्रारंभिक परीक्षा
  • प्रिलिम्स विश्लेषण
  • 60 Steps To Prelims
  • प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
  • डेली एडिटोरियल टेस्ट
  • डेली करेंट टेस्ट
  • साप्ताहिक रिवीज़न
  • एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
  • आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
  • सीसैट टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन टेस्ट
  • योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
  • डाउन टू अर्थ टेस्ट
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
  • सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
  • मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
  • मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
  • 2018 प्रारंभिक परीक्षा
  • टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
  • फ्री मॉक टेस्ट
  • मुख्य परीक्षा
  • मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
  • निबंध उपयोगी उद्धरण
  • टॉपर्स के निबंध
  • साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
  • सामान्य अध्ययन
  • हिंदी साहित्य
  • दर्शनशास्त्र
  • हिंदी अनिवार्य
  • Be Mains Ready
  • 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
  • ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
  • मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश

टेस्ट सीरीज़

  • UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़

करेंट अफेयर्स

  • डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
  • डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
  • संसद टीवी संवाद
  • आर्थिक सर्वेक्षण

दृष्टि स्पेशल्स

  • चर्चित मुद्दे
  • महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
  • मैप के माध्यम से अध्ययन
  • महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
  • पीआरएस कैप्सूल्स
  • एनसीईआरटी बुक्स
  • एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
  • इग्नू स्टडी मैटिरियल
  • योजना और कुरुक्षेत्र
  • इन्फोग्राफिक्स
  • मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह

वीडियो सेक्शन

  • मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
  • मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
  • करेंट न्यूज़ बुलेटिन
  • मॉक इंटरव्यू
  • टॉपर्स व्यू
  • सरकारी योजनाएँ
  • ऑडियो आर्टिकल्स
  • उत्तर लेखन की रणनीति
  • कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
  • दृष्टि आईएएस के बारे में जानें

सिविल सेवा परीक्षा

  • परीक्षा का प्रारूप
  • सिविल सेवा ही क्यों?
  • सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
  • वैकल्पिक विषय
  • परीक्षा विज्ञप्ति

नीतिशास्त्र

Make Your Note

  • 19 Dec 2019
  • 13 min read
  • सामान्य अध्ययन-IV
  • महापुरुषों के नैतिक विचार व उनके जीवन आदर्श

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2019 सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का 550वाँ जयंती वर्ष है। इनका जन्म स्थल पाकिस्तान स्थित श्री ननकाना साहिब है।

  • इस अवसर पर करतारपुर साहिब गलियारे का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा किया गया जो भारत के पंजाब में अवस्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा को पाकिस्तान के नरोवाल ज़िले में अवस्थित दरबार साहिब से जोड़ता है।
  • पंजाबी भाषा में 'सिख' शब्द का अर्थ 'शिष्य' होता है। सिख ईश्वर के वे शिष्य हैं जो दस सिख गुरुओं के लेखन और शिक्षाओं का पालन करते हैं।
  • सिख एक ईश्वर में विश्वास करते हैं। उनका मानना ​​है कि उन्हें अपने प्रत्येक काम में ईश्वर को याद करना चाहिये। इसे सिमरन (सुमिरण) कहा जाता है।
  • विश्व भर में 25 मिलियन से अधिक सिख आबादी है जिनमें से अधिकांश भारतीय राज्य पंजाब में निवास करते हैं।
  • सिख अपने पंथ को गुरुमत (गुरु का मार्ग- The Way of the Guru) कहते हैं। सिख परंपरा के अनुसार, सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक (1469-1539) द्वारा की गई थी और बाद में नौ अन्य गुरुओं ने इसका नेतृत्व किया।
  • सिख मानते हैं कि सभी 10 मानव गुरुओं में एक ही आत्मा का वास था। 10वें गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) की मृत्यु के बाद अनंत गुरु की आत्मा ने स्वयं को सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (जिसे आदि ग्रंथ भी कहा जाता है) में स्थानांतरित कर लिया और इसके उपरांत गुरु ग्रंथ साहिब को ही एकमात्र गुरु माना गया।
  • पाँचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव के समय तक सिख धर्म स्थापित हो चुका था। गुरु अर्जुन देव ने अमृतसर को सिखों की राजधानी के रूप में स्थापित किया और सिख पवित्र लेखों की पहली प्रमाणिक पुस्तक के रूप में आदि ग्रंथ का संकलन किया।

दर्शन और मत:

  • एक ओंकार – अर्थात् ईश्वर एक है और सभी धर्मों के सभी लोगों के लिये वही एक ईश्वर है।
  • आत्मा मानव रूप को प्राप्त करने से पहले ज़रा और मरण के चक्र से गुज़रती है। हमारे जीवन का लक्ष्य एक अनुकरणीय अस्तित्व का निर्वहन करना है ताकि ईश्वर के साथ समागम हो सके।
  • सिखों को हर समय ईश्वर का सुमिरण करना चाहिये और अपने आध्यात्मिक एवं लौकिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए सदाचारी एवं सत्यनिष्ठ जीवन जीने का अभ्यास करना चाहिये।
  • मोक्ष प्राप्त करने और ईश्वर के साथ समागम करने का सच्चा मार्ग संसार से विरक्ति या ब्रह्मचर्य के पालन में नहीं है बल्कि एक गृहस्थ का जीवन जीने, ईमानदारी से आजीविका कमाने और सांसारिक प्रलोभनों एवं पापों से बचने में है।
  • सिख धर्म उपवास, तीर्थ यात्रा, अंधविश्वासों का पालन, मृतकों की पूजा, मूर्ति पूजा जैसे अनुष्ठानों की निंदा करता है।
  • सिख धर्म का उपदेश है कि विभिन्न नस्ल, धर्म या लिंग के लोग ईश्वर की दृष्टि में एक समान हैं। यह पुरुषों और महिलाओं में समानता की शिक्षा देता है।सिख महिलाएँ किसी भी धार्मिक समारोह में भाग ले सकती हैं या कोई भी अनुष्ठान कर सकती हैं या प्रार्थना में मंडली का नेतृत्व कर सकती हैं।

इतिहास और धार्मिक आचरण:

  • गुरु नानक जी ने प्रेम और ज्ञान का संदेश दिया तथा हिंदू एवं मुस्लिम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की निंदा की। इस नए धर्म का प्रबुद्ध नेतृत्व गुरु नानक से लेकर गुरु गोबिंद सिंह तक दस गुरुओं ने किया।
  • प्रभाव: सिख धर्म का उद्भव एवं प्रसार भक्ति आंदोलन और हिंदू धर्म के वैष्णव मत से प्रभावित था। हालाँकि सिख धर्म केवल भक्ति आंदोलन का ही विस्तार नहीं था। सिख धर्म का प्रसार तब हुआ जब इस क्षेत्र पर मुगल साम्राज्य का शासन था। दो सिख गुरुओं - गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर द्वारा इस्लामिक धर्मांतरण से मना करने पर मुगल शासकों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया। इस्लामिक युग में सिखों के उत्पीड़न ने खालसा की स्थापना को प्रेरित किया जो अंतरात्मा और धर्म की स्वतंत्रता का पंथ है।
  • अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा (जिसका अर्थ है 'शुद्ध' ) पंथ की स्थापना की जो सैनिक-संतों का विशिष्ट समूह था। खालसा प्रतिबद्धता, समर्पण और सामाजिक चेतना के सर्वोच्च सिख गुणों को उजागर करता है।
  • खालसा ऐसे पुरुष और महिलाएँ हैं जिन्होंने सिख बपतिस्मा समारोह में भाग लिया हो और जो सिख आचार संहिता एवं परंपराओं का सख्ती से पालन करते हैं तथा पंथ के पाँच निर्धारित भौतिक वस्तुओं – केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करते हैं।
  • सिख धर्म में पुजारी या पुरोहित वर्ग नहीं होता है, इस प्रथा को गुरु गोबिंद सिंह ने समाप्त कर दिया था। गुरु गोबिंद सिंह मानते थे कि पुरोहित वर्ग भ्रष्ट एवं अहंकारी होता है।
  • सिख धर्म में केवल गुरु ग्रंथ साहिब का एक संरक्षक होता है जिसे ‘ग्रंथी’ कहते हैं और कोई भी सिख गुरुद्वारा में या अपने घर में गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ के लिये स्वतंत्र है। सभी धर्मों के लोग गुरुद्वारा जा सकते हैं। प्रायः प्रत्येक गुरुद्वारे में एक निःशुल्क सामुदायिक रसोई होती है जहाँ सभी धर्मों के लोगों को भोजन परोसा जाता है। गुरु नानक ने पहली बार इस संस्था की शुरुआत की थी जो सिख धर्म के मूल सिद्धांतों सेवा, विनम्रता और समानता को रेखांकित करती है।
  • चार अनुष्ठान: सिखों के कर्त्तव्यों को निर्दिष्ट करने वाली पुस्तिका "सिख रहत मर्यादा" चार अनुष्ठानों का प्रावधान करती है जिन्हें संस्कार मार्ग कहा जाता है।
  • पहला अनुष्ठान जन्म और गुरुद्वारे में आयोजित नामकरण समारोह है।
  • दूसरा अनुष्ठान आनंद करज (आनंदमय मिलन) या विवाह समारोह है।
  • तीसरा अनुष्ठान जिसे सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है, अमृत संस्कार है जो खालसा में दीक्षा के लिये होने वाला समारोह है।
  • चौथा अनुष्ठान मृत्योपरांत होने वाला अंतिम संस्कार समारोह है।
  • तीन कर्त्तव्य जिनका पालन सिखों द्वारा किया जाना चाहिये - प्रार्थना, कृत्य या कार्य और दान।
  • नाम जपना: हमेशा ईश्वर का सुमिरन करना।
  • कीरत करना: ईमानदारी से आजीविका अर्जित करना। चूँकि ईश्वर सत्य है, एक सिख ईमानदारी से जीवन जीना चाहता है। इसका अर्थ केवल अपराध से दूर रहना नहीं है बल्कि जुए, भीख, शराब व तंबाकू उद्योग में काम करने से भी बचना है।
  • वंड छकना: शाब्दिक रूप से इसका अर्थ है दूसरों के साथ अपनी कमाई साझा करना अर्थात् दूसरों को दान देना और उनकी देखभाल करना।
  • पाँच दोष: सिख उन पाँच दोषों से बचने की कोशिश करते हैं जो लोगों को आत्म-केंद्रित बनाते हैं और उनके जीवन के ईश्वरीय मार्ग में बाधाएँ पैदा करते हैं। ये हैं: काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार।

सिख धर्म के दस गुरु:

पहले गुरु गुरु नानक 1469-1539
दूसरे गुरु गुरु अंगद 1539-1552
तीसरे गुरु गुरु अमर दास 1552-1574
चौथे गुरु गुरु राम दास 1574-1581
पाँचवें गुरु गुरु अर्जुन देव 1581-1606
छठे गुरु गुरु हरगोबिंद 1606-1644
सातवें गुरु गुरु हर राय 1644-1661
आठवें गुरु गुरु हरकिशन 1661-1664
नवें गुरु गुरु तेग बहादुर 1665-1675
दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह 1675-1708

सिख धर्म के महत्त्वपूर्ण गुरुद्वारे:

  • पंज तख्त: ये सिखों के पाँच तख्त हैं और ये तख्त पाँच गुरुद्वारे हैं जिनका सिख समुदाय के लिये बहुत महत्त्व है।
  • अकाल तख्त साहिब का अर्थ है अनंत सिंहासन (Eternal Throne)। यह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर का एक अंग है। इसकी नींव छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद जी ने रखी थी।
  • तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब, पंजाब में स्थित है। यह खालसा का जन्म स्थल है जिसे वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्थापित किया था।
  • तख्त श्री दमदमा साहिब भटिंडा के पास तलवंडी साबो ग्राम में स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह जी लगभग एक वर्ष तक यहाँ रहे और उन्होंने वर्ष 1705 में गुरु ग्रंथ साहिब के अंतिम संस्करण को संकलित किया था जिसे ‘दमदमा साहिब बीर’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • तख्त श्री पटना साहिब बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म वर्ष 1666 में यहीं हुआ था और आनंदपुर साहिब जाने से पहले अपना बचपन उन्होंने यहीं बिताया था।
  • तख्त श्री हज़ूर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है।
  • ननकाना साहिब (पाकिस्तान): गुरु नानक देव जी का जन्म स्थान।
  • गुरुद्वारा दरबार साहिब (करतारपुर, पाकिस्तान): गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहाँ बिताए थे।

सिख साहित्य: आदि ग्रंथ और दशम ग्रंथ

  • आदि ग्रंथ को सिखों द्वारा शाश्वत गुरु का दर्जा दिया गया है और इसी कारण इसे ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से जाना जाता है।
  • दशम ग्रंथ के साहित्यिक कार्य और रचनाओं को लेकर सिख धर्म के अंदर कुछ संदेह और विवाद है।

सिख अपने धर्म को पाँच महत्त्वपूर्ण घटनाक्रमों की परिणति मानते हैं।

  • पहला घटनाक्रम गुरु नानक देव जी का उपदेश था जहाँ उन्होंने सतनाम पर ध्यान से मुक्ति का संदेश दिया।
  • दूसरा घटनाक्रम गुरु हरगोबिंद जी द्वारा सिखों को शस्त्रों से सुसज्जित करना था।
  • तीसरा घटनाक्रम गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा की स्थापना जिसकी आचार सहिंता का दीक्षा प्राप्त लोगों द्वारा पालन किया जाना है।
  • चौथा घटनाक्रम गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु पर आत्मा-स्वरूपी रहस्यमयी गुरु का अपने 10 मानवीय रूपों से गुरु ग्रंथ साहिब में प्रवेश करना है।
  • अंतिम घटनाक्रम 20वीं शताब्दी के आरंभ में संपन्न हुआ जब सिख धर्म में ‘तत खालसा’ के नेतृत्व में गहन सुधार किया गया।

sikh essay in hindi

HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi

सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत हैं| आज हम नवीनतम धर्म सिख धर्म के बारे में आपकों इस निबंध में जानकारी दे रहे हैं.

सिख धर्म के निबंध में हम इसके संस्थापक, शिक्षाओं, सिद्धांतों तथा प्रतीक पर बात करेंगे.

सिख धर्म तुलनात्मक रूप से एक नया धर्म हैं. इसके संस्थापक गुरु नानक देव हैं. हिन्दू धर्म के कर्मकांडी स्वरूप के बढ़ जाने तथा उसके आडम्बरों, जादू टोना, मंत्र, तंत्र आदि क्रियाओं के विरोध में 15 वीं शताब्दी में अनेक समाज सुधार आंदोलनों ने जन्म लिया.

उनमें से एक आंदोलन सिख आंदोलन भी था. जिसके संस्थापक गुरु नानक देव थे. नानक ने अंधविश्वास व कर्मकांड से पीड़ित मानव जाति को मुक्ति का जो नया रास्ता दिखाया उसे ही सिख धर्म के नाम से जाना जाता हैं.

सिख धर्म के इतिहास पर निबंध (Essay on history of sikhism In Hindi)

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक थे. इन्हें सिख धर्म का प्रथम गुरु माना जाता हैं. वे सम्पूर्ण भारत, लंका, मक्का मदीना, बगदाद तथा बर्मा तक घूम घूम कर चालीस वर्षों तक धर्मोपदेश देते रहे और अंतिम समय में पंजाब के करतारपुर नामक स्थान पर उनकी मृत्यु हुई.

गुरु नानक ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने प्रिय शिष्य लहना जिन्हें बाद में गुरु अंगद के नाम से जाना गया, को अपना उतराधि कारी बनाया. गुरु अंगद ने करतारपुर में लंगर भोजन की व्यवस्था की.

गुरु अंगद के पश्चात सिख धर्म के आठ गुरु हुए. इनमें से पांचवे गुरु अर्जुन देव ने अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का निर्माण कराया जो कि सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल हैं.

इसके साथ ही गुरु अर्जुन देव ने विभिन्न धार्मिक पदों को एकत्र कर उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में संकलित किया. यह सिख धर्म का पवित्र प्रमाणिक और मौलिक धर्म ग्रंथ हैं.

इस पर सिख अगाध श्रद्धा व विश्वास करते हैं. सन 1606 में बादशाह जहाँगीर के उत्पीड़न का शिकार होने के कारण शहीद हो गये.

सिखों के अंतिम और दसवें गुरु थे गुरु गोविंद सिंह. अप्रैल 1699 में उन्होंने खालसा संघ की स्थापना की. खालसा का अर्थ हैं विशुद्ध. उन्होंने संतों सहित आम सिखों का सैन्यीकरण किया.

उन्होंने सर्वप्रथम अपने पांच अनुयायियों को खालसा पंथ की दीक्षा दी और इसमें उन्होंने उन्हें पांच चीजे धारण करने के आदेश दिए.

ये चीजे थे केश, कंघा, कच्छा और कृपाण. जाति एवं वंश भेद को समाप्त करते हुए उन्होंने उन सभी को सिंह का उपनाम दिया. उन्होंने उन्हें सच्चाई तथा अत्याचार के विरुद्ध लड़ने का उपदेश दिया.

धूम्रपान व नशीली वस्तुओं के सेवन का निषेध किया, उनके चार पुत्र थे जो धर्म रक्षार्थ युद्ध में शहीद हो गये तथा गुरु गोविंद सिंह की भी नांदेड हैदराबाद में एक धर्मांध व्यक्ति द्वारा 1708 में हत्या कर दी गई.

उन्होंने मृत्यु से पूर्व यह घोषणा की थी कि आगे से सिखों का कोई जीवित गुरु नहीं होगा. गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करेगा और खालसा ही दस गुरुओं का जीवित प्रतिनिधि होगा.

सिख धर्म का भारतीय समाज पर प्रभाव महत्व (Sikhism’s Impact on Indian Society)

भारतीय समाज पर सिख धर्म के प्रभाव को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत स्पष्ट किया गया हैं.

कर्मकांडवाद तथा अंधविश्वास में कमी – सिख धर्म के प्रभाव के कारण भारत में रूढ़ियों और अंधविश्वासों में कमी आई तथा कर्मकांडवाद घटा. हिन्दू धर्मावलम्बियों ने भी हिन्दू धर्म की इन विकृतियों को दूर करने का प्रयास किया.

एकेश्वरवाद की धारणा को बल – सिख धर्म ने भारत में एकेश्वरवाद की धारणा को बल प्रदान किया. जिससे भारत में अपने अपने देवताओं को लेकर जो संघर्ष चल रहे थे, उनमें कमी आई.

असमानता पर प्रहार – सिख धर्म ने हिन्दू धर्म में प्रचलित ऊँच नीच की असमानता पर समानता का प्रहार किया. जाति प्रथा की आलोचना की जिससे विचलित होकर हिन्दू धर्म में भी इस कुरीतियों को दूर करने के लिए सुधारवादी आंदोलन प्रारम्भ हुए और भारतीय में असमानता को दूर करने के गम्भीर प्रयास हुए.

व्यापकता – सिख धर्म एक व्यवहारवादी धर्म हैं. इसे आसानी से व्यवहार में अपनाया जा सकता हैं. इसलिए भारतीय समाज पर इसका व्यापक प्रभाव हुआ और इसे व्यापक रूप में लोगों ने अपनाया.

हिन्दू धर्म की इस्लाम से रक्षा – सिख धर्म हिन्दू धर्म का ही एक भाग हैं. हिन्दू धर्मावलम्बियों ने या सिख गुरुओं ने मुसलमानों से हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सिख धर्म ग्रहण किया और उसकी रक्षा कर हिंदुत्व को अमरता प्रदान की.

अन्य प्रभाव – सिख धर्म ने भारत में अन्य धर्मावलम्बियों विशेषकर हिन्दू धर्मावलम्बियों को त्याग और बलिदान का पाठ पठाया और धर्म की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने की प्रेरणा दी.

सिख धर्म की शिक्षाएं उपदेश (Teachings of sikhism)

सिख धर्म की प्रमुख शिक्षाएं उपदेश इस प्रकार हैं.

सिख आंदोलन कर्मकांडों का विरोधी – सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक ने हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों और कर्मकांडों का विरोध किया, उन्ही के शब्दों में मेरा दीप तो ईश्वर का नाम हैं जिसमें लोगों के दुखों का तेल डाला हुआ हैं.

इस दीप ने मेरे मृत्युभय रुपी अन्धकार को दूर भगा दिया हैं. मरे हुए को पिंड या पतल क्या देना. वास्तविक कर्मकांड तो ईश्वर का सत्य नाम हैं जो सर्वज्ञ मेरा उद्धारक हैं.

जब गुरु नानक देव ने लोगों को प्रातःकाल पितरों को जल द्वारा तर्पण करते देखा तब गुरु नानक भी पश्चिम में जल उछालने लगे.

इससे लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ और इस सम्बन्ध में नानक देव से प्रश्न किया जिसका उत्तर गुरु गुरु नानक देव ने यह दिया कि यदि आपके द्वारा उछाला गया जल पितरों तक पहुँच सकता है तो मेरे द्वारा उछाला गया यह जल खेतों में पहुंच सकता हैं. आगे लोग गुरुनानक से इतने प्रभावित हुए कि उनके उपदेश सुनकर लोग आश्चर्यचकित रह गये.

एक ही ईश्वर में आस्था – सिख धर्म के अनुसार संसार का एक ही ईश्वर है और वहीँ सर्वत्र व्याप्त हैं. वह काशी में भी है तो वही काबा में भी हैं. वे मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं करते थे.

गुरु नानक देव का यह दृढ विश्वास था कि प्रत्येक व्यक्ति अपने ही धर्म में रहता हुआ एक सर्वशक्तिमान व अलौकिक शक्ति में आस्था रखकर ब्रह्मा या सत्य की प्राप्ति कर सकता है.

समानता पर जोर – सिख धर्म में ऊँच नीच का कोई भेद नहीं हैं. जन्म से परमात्मा ने सभी को समान बनाया हैं. यदि कोई व्यक्ति समाज में छोटा या बड़ा बनता हैं तो वह अपने कर्मों से.

सिख गुरुओं ने तो स्त्री और पुरुष के अधिकारों तक में समानता की बात कहीं हैं. वे दोनों को एक ही श्रेणी का मानव समझते थे. इससे स्पष्ट है कि सिख धर्म में समानता पर विशेष जोर दिया गया हैं.

वैयक्तिक अहंकार को महत्व नहीं – सिख धर्म में वैयक्तिक अहंकार को कोई स्थान नहीं दिया गया हैं. गुरु नानक के ही शब्दों में जब तक मन को मारकर वश में न कर लिया जाए, तब तक कोई कार्य सिद्ध नहीं हो सकता.

इसमें अपने वश में कर लेना तभी सम्भव हैं जब इसे निर्गुण राम के गुणों की उलझन में डाल दिया जाए. तब कहीं जाकर मन उस एकाकार में ठहर सकेगा.

उनका मानना था कि हठ और निग्रह करने मात्र से शरीर नष्ट होता है और मन को केवल राम नाम की सहायता से ही वश में किया जा सकता हैं.

गुरु के प्रति गहन निष्ठा – सिख धर्म में ईश्वर की प्राप्ति के लिए सच्चे गुरु के प्रति गहरी आस्था प्रकट की गई हैं. गुरु नानक ने कहा हैं कि हमें अपने आध्यात्मिक जीवन के अंत तथा प्रारम्भ का अनुभव गुरु के मिलने से ही होता हैं. गुरु के मिलने से गर्व दूर हो जाता हैं और मुक्तावस्था प्राप्त होती हैं.

जिससे प्रभु की शरण में हमें स्थान मिल जाता हैं. उनके अनुसार संसार में चाहे जितने ही मित्र व सखा क्यों न हो, परन्तु गुरु के बिना परमेश्वर के अस्तित्व का बोध नहीं हो सकता.

गुरु के शब्द हमें मानव के भीतर ही हीरे, रत्नों को पहचानने की शक्ति प्रदान करते हैं. दस सिख गुरुओं के उपदेशों को ही साक्षात गुरु की तरह वे मानते हैं गुरु ग्रंथ साहिब उनका सच्चा गुरु हैं. इस प्रकार स्पष्ट है कि सिख धर्म में ईश्वर की प्राप्ति के लिए सच्चे गुरु का होना आवश्यक माना गया हैं.

खालसा संघ गुरुओं का जीवित प्रतिनिधि – गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. इसकी दीक्षा में पांच चीजों को अपनाने पर महत्व दिया. केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण.

  • केश – इसलिए आवश्यक समझे गये ताकि एक सिख अपने साथ को आसानी से पहचान सके.
  • कंघा – बढ़े हुए बालों को व्यवस्थित रूप देने के लिए आवश्यक था.
  • कृपाण – विरोधी समूह से रक्षा के लिए आवश्यक समझा गया.
  • कछे का प्रयोग नग्नता से बचने के लिए आवश्यक समझा गया.
  • कड़े का प्रयोग मुसलमान सैनिकों द्वारा अपवित्र की गई वस्तुओं को शुद्ध करने के लिए किया गया.

खालसा पंथ में उन्होंने धूम्रपान और नशीली वस्तुओं के सेवन का निषेध किया.

कर्म को महत्व – गुरु नानक एक अच्छे सिख को जीवन में कभी भिक्षा या दूसरों की कमाई पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. उसे अपनी जीविका ईमानदारी तथा परिश्रम से निभानी चाहिए.

बिना तीर्थ किये एक साधारण गृहस्थ कुछ समय ईश्वर का स्मरण कर अच्छा सिख बन सकता हैं. लेकिन उसका मानना था कि परिश्रम और सच्चाई का रास्ता ही सच्चा रास्ता हैं.

वह इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि जैसा कर्म करेगा उसको वैसा ही फल मिलेगा. अच्छे कर्म ही उसे सत्य की ओर ले जाते हैं और बुरे कर्म उसे नरक का रास्ता दिखाते हैं.

गुरुग्रंथ साहिब की महत्ता- सिख धर्म में सभी को समानता का अधिकार हैं. सिखों में पुरोताही की कोई व्यवस्था नहीं हैं. सिखों के मन्दिर गुरुद्वारों के नाम से जाना जाता हैं यह सिख धर्म का पूजा स्थल हैं.

सामान्यतः प्रत्येक गुरूद्वारे में एक ग्रंथी की नियुक्ति की जाती हैं. ग्रंथी का कार्य होता हैं. गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ, गुरूद्वारे में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सम्पन्न करवाना और गुरूद्वारे की देख रेख करना.

सिख गुरु ग्रंथ साहिब का अत्यधिक आदर करते हैं. जब कभी आवश्यकता पड़ने पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना पड़े तो वे गुरु ग्रंथ साहिब को सिर पर रखकर ले जाते हैं.

गुरुद्वारों का महत्व – सिखों के धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में गुरूद्वारे की अत्यधिक भूमिका हैं. गुरूद्वारे में लंगर के समय सभी सिख बिना किसी भेदभाव के साथ साथ बैठकर खाना खाते हैं.

निष्कर्ष – उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट हैं कि सिख धर्म लगभग 500 वर्ष पुराना है और इसका उदय भारत की भूमि पर ही हुआ हैं. जैसा कि जैन और बौद्ध धर्म का उदय हुआ,

सिख धर्म भी हिन्दू धर्म की असमानतापरक तथा अंधविश्वासों और कर्मकांडी कुरीतियों के विरोध में पैदा हुआ तथा हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ का विकास हुआ. यह धर्म निर्गुणवादी विचारधारा को लेकर चला है और सगुणवादी विचारधारा का विरोधी हैं.

सिख धर्म के दस गुरु और उनका इतिहास

गुरु संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है शिक्षक, मार्गदर्शक अथवा विशेषज्ञ, गुरु ग्रन्थ साहिब के शब्दकोश में गुरु शब्द को दो वर्णों से मिलकर बताया है. गु जिसका अर्थ है अन्धकार तथा रु जिसका अर्थ है प्रकाश यानी गुरु वह है जो अन्धकार से उजाले की ओर लाता हैं.

1469 में गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी, वर्ष 1708 तक इनके नौ उत्तराधिकारी गुरु हुए, अतः इस तरह सिख धर्म में कुल दस गुरु हुए, अंतिम गुरु गोविंद सिंह ने गुरु ग्रन्थ साहिब को अंतिम जीवित गुरु मानकर गुरु परम्परा का समापन किया था.

गुरु नानक देव20 अगस्त 1507
गुरु अंगद देव7 सितम्बर 1539
गुरु अमर दास26 मार्च 1552
गुरु राम दास1 सितम्बर 1574
गुरु अर्जुन देव1 सितम्बर 1581
गुरु हरगोबिन्द25 मई 1606
गुरु हर राय3 मार्च 1644
गुरु हर किशन6 अक्टूबर 1661
गुरु तेग बहादुर20 मार्च 1665
गुरु गोबिंद सिंह7 अक्टूबर 1708

सिख धर्म को अंतिम रूप

भारतीय पंजाब से पन्द्रहवीं सदी में सिख धर्म की शुरुआत हुई. दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी ने 30 मार्च 1699 को इसे अंतिम रूप दिया था. विभिन्न जातियों के सिख जातियों के लोगों को गुरु दीक्षा करवाकर खालसा पंथ की नीव रखी. गुरु ने पांच प्यारों को अमृत देकर खालसे में सम्मिलित किया.

इस तरह 17 वीं सदी आते आते मुजलिमों की रक्षा के लिए सिख धर्म का उद्भव हुआ. भारत में मुगलों के इस्लामीकरण और गैर मुसलमान लोगों पर हो रहे अत्याचारों का सिख गुरुओं ने प्रतिकार किया.

गुरुओं ने मुगलों के हाथों अपना बलिदान देकर भारत में एक नयें मत को जन्म दिया, पुनः 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय सिखों और हिन्दुओं का पश्चिमी पंजाब में नरसंहार हुआ,

आज पंजाब जो कि सिखों की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि रही है उसका बड़ा भाग पाकिस्तान में है जहाँ सिखों को मारकर भगा दिया अथवा उनका धर्म परिवर्तित कर दिया.

One comment

Sir apne kyi chizen glt likhi hai please read the Sikh history

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

achhigyan.com

सिक्ख धर्म का इतिहास और जानकारी | About Sikhism History In Hindi

Sikh Dharm / सिक्ख धर्म का भारतीय धर्मों में अपना एक पवित्र एवं अनुपम स्थान है। सिक्खों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव सिक्ख धर्म के प्रवर्तक हैं। ‘सिक्ख धर्म’ की स्थापना 15वीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग के पंजाब में गुरु नानक देव द्वारा की गई थी। ‘सिक्ख’ शब्द ‘शिष्य’ से उत्पन्न हुआ है, जिसका तात्पर्य है- “गुरु नानक के शिष्य”, अर्थात् उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले। यह धर्म विश्व का नौवां बड़ा धर्म है।

सिक्ख धर्म का इतिहास – Sikhism History In Hindi

भारत के प्रमुख चार धर्मों में इसका स्थान भी है। सिक्ख धर्म में बहु-देवतावाद की मान्यता नहीं है। यह धर्म केवल एक ‘अकाल पुरुष’ को मानता है और उसमें विश्वास करता है। यह एक ईश्वर तथा गुरुद्वारों पर आधारित धर्म है। सिक्ख धर्म में गुरु की महिमा मुख्य रूप से पूज्यनीय व दर्शनीय मानी गई है। इसके अनुसार गुरु के माध्यम से ही ‘अकाल पुरुष’ तक पहुँचा जा सकता है। सिख धर्म की पहचान पगड़ी और अन्य पोशाकों से भी की जाती है लेकिन ऐसे भी कई सिख होते हैं जो पगड़ी धारण नहीं करते।

गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की नींव रखी थी। इनका जन्म 1469 ईस्वी में लाहौर के तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ। बचपन से ही उनका मन एकांत, चिंतन और सत्संग में लगता था। सांसारिक चीजों में उनका मन लगाने के लिए उनका विवाह कर दिया गया। परन्तु यह सब गुरु नानक जी को परमात्मा के नाम से दूर नहीं कर पाया। उन्होंने घर छोड़कर घूमना शुरू कर दिया। पंजाब, मक्का, मदीना, काबुल, सिंहल, कामरूप, पुरी, दिल्ली, कश्मीर, काशी, हरिद्वार जैसी जगहों पर जाकर उन्होंने लोगों को उपदेश दिए। उनका कहना था कि हिन्दू-मुस्लिम अलग नहीं हैं और सबको एक ही भगवान ने बनाया है।

उन्होंने कहा, एक ओंकार (ईश्वर एक है), सतनाम (उसका नाम ही सच है), करता पुरख (सबको बनाने वाला), अकाल मूरत (निराकार), निरभउ (निर्भय), निरवैर (किसी का दुश्मन नहीं), अजूनी सैभं (जन्म-मरण से दूर) और अपनी सत्ता कायम रखने वाला है। ऐसे परमात्मा को गुरु नानक जी ने अकाल पुरख कहा, जिसकी शरण गुरु के बिना संभव नहीं। उनके सहज ज्ञान के साथ लोग जुड़ते गए। उनके शिष्य बनते गए। गुरु नानक से चली सिख परम्परा में नौ और गुरु हुए। अंतिम और दसवें देहधारी गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी थे।

गुरु नानकदेव ने आम बोल-चाल की भाषा में रचे पदों तथा भजनों के माध्यम से अपने उपदेश दिये। उन्होंने कहा कि सबका निर्माता, कर्ता, पालनहारा ‘एक ओंकार’ एक ईश्वर है। उसे सिर्फ़ ‘गुरु प्रसाद’ अर्थात् गुरु की कृपा से ही जाना जा सकता है। उसके सामने सभी बराबर हैं, अत: छूआछूत, रूढ़िवादिता, ऊँच-नीच सब झूठ और आडंबर हैं। जन्म-मरण विहीन एक ईश्वर में आस्था, छुआछूत रहित समतामूलक समाज की स्थापना और मानव मात्र के कल्याण की कामना सिक्ख धर्म के प्रमुख सिद्धान्त हैं। कर्म करना, बांट कर खाना और प्रभु का नाम जाप करना इसके आधार हैं। इन्हीं मंतव्यों की प्राप्ति के लिए गुरु नानक देव ने इस धर्म की स्थापना की थी।

गुरु नानक देव जी के कथनों पर चलते हुए सिख धर्म एक संत समुदाय से शुरु हुआ। लेकिन समय के साथ सिख समुदाय ने अपनी वीरता के भी जलवे दिखाए। अंतिम गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के काल में सिखों की एक बेहतरीन और कुशल लड़ाके की सेना तैयार हो चुकी थी। सिख कौम ने संत और सैनिक दोनों के भावों को खुद में समाया। वक्त के साथ खुद को बदलते रखने की कला के कारण ही आज सिख धर्म विश्व के हर हिस्से में पाया जाता है।

सिख धर्म के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण फैसला गुरु गोबिन्द सिंह जी ने किया। उन्होंने सभी गुरुओं की वाणी को एक ग्रंथ में समेटा और उस ग्रंथ को गुरु की गद्दी सौंपी और सिखों से कहा- अब कोई देहधारी गुरु नहीं होगा। सभी सिखों को आदेश है कि वे गुरु ग्रंथ साहिब जी को ही गुरु मानेंगे। तब से सिख धर्म में पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु माना गया।

अत: सिक्ख इस पवित्र ग्रंथ को सजीव गुरु के समान ही सम्मान देते हैं। उसे सदैव ‘रुमाला’ में लपेटकर रखते हैं और मखमली चाँदनी के नीचे रखते हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने हेतु इस ग्रंथ को हमेशा सिर पर रखकर ले जाते हैं। इस पर हमेशा चंवर डुलाया जाता है। गुरुद्वारे में इसका पाठ करने वाले विशेष व्यक्ति को ‘ग्रंथी’ और विशिष्ट रूप से गायन में प्रवीण व्यक्ति को ‘रागी’ कहते हैं।

सिक्खों के 10वें और अंतिम गुरु गोविन्द सिंह ने पांच ककार- केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण को अनिवार्य बना दिया। गुरुद्वारे में प्रतिदिन या विशेष अवसरोंं पर स्वेच्छा से किया गया श्रम, जैसे- गुरुद्वारे की सीढ़ियों की सफाई, कड़ा प्रसाद बनाना, भक्तजनों के जूते संभालना व साफ़ करना आदि। कभी-कभी धर्म विरोधी कार्य करने पर सज़ा के रूप में व्यक्ति को ये कार्य करने का आदेश दिया जाता है।

सिक्ख धर्म में कृपाण धारण करने का आदेश आत्मरक्षा के लिए है। गुरु गोविन्द सिंह चाहते थे कि सिक्खों में संतों वाले गुण भी हों और सिपाहियों वाली भावना भी। इस कारण कृपाण सिक्खों का एक धार्मिक चिह्न बन गया है। अपने शिष्यों में धर्मरक्षा हेतु सदैव मर मिटने को तैयार रहने वाले पाँच शिष्यों को चुनकर उन्हें ‘पांच प्यारे’ की संज्ञा दी और उन्हें अमृत छका कर धर्म रक्षकों के रूप में विशिष्टता प्रदान की और नेतृत्व में खालसाओं ने मुस्लिम शासकों का बहादुरी पूर्वक सामना किया।

लंगर – Langar Pratha in H-indi

गुरुद्वारों में प्रतिदिन, विशेष अवसरों पर भक्तजनों के लिए भोज की व्यवस्था होती है, जिसमें हलवा, छोले तथा पानी, चीनी, पिंजरी, मक्खन से बना तथा कृपाण से हिलाया हुआ कड़ा प्रसाद दिया जाता है। तीसरे गुरु अमरदास ने सिक्खों तथा अन्य धर्मावलम्बियों में समानता व एकता स्थापित करने के उद्देश्य से लंगर की शुरुआत की थी।

वाहे गुरु – यह ईश्वर का प्रशंसात्मक नाम है।

सत श्री अकाल, बोले सो निहाल – ईश्वर सत्य, कल्याणकारी और कालातीत है, जिसके नाम के स्मरण से मुक्ति मिलती है।

वाहे गुरु द खालसा, वाहे गुरु दी फ़तह – खालसा पंथ वाहे गुरु (ईश्वर) का पंथ और और अंतत: उसी की विजय होती है।

अकाल पुरुष – 

गुरु नानक देव ने ‘अकाल पुरुष’ का जैसा स्वरूप प्रस्तुत किया है, उसके अनुसार अकाल पुरुष एक है। उस जैसा कोई नहीं है। वह सबमें एक समान रूप से बसा हुआ है। उस अकाल पुरुष का नाम अटल है। सृष्टि निर्माता वह अकाल पुरुष ही संसार की हर छोटी-बड़ी वस्तु को बनाने वाला है। वह अकाल पुरुष ही सब कुछ बनाता है तथा बनाई हुई हर एक चीज़ में उसका वास भी रहता है। अर्थात् वह कण-कण में अदृश्य रूप से निवास करता है। वह सर्वशक्तिमान है तथा उसे किसी का डर नहीं है। उसका किसी के साथ विरोध, मनमुटाव एवं शत्रुता नहीं है। अकाल पुरुष का अस्तित्व समय के बंधन से मुक्त है। भूतकाल, वर्तमान काल एवं भविष्य काल जैसा काल विभाजन उसके लिए कोई मायने नहीं रखता। बचपन, यौवन, बुढ़ापा और मृत्यु का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उस अकाल पुरुष को विभिन्न योनियों में भटकने की आवश्यकता नहीं है, अर्थात् वह अजन्मा है। उसे किसी ने नहीं बनाया और न ही उसे किसी ने जन्म दिया है। वह स्वयं प्रकाशित है।

सिक्खों के दस गुरु – List of Sikh Gurus in Hindi

सिक्ख धर्म में गुरु परम्परा का विशेष महत्त्व रहा है। इसमें दस गुरु माने गये हैं, जिनके नाम, जन्म व गुरु बनने की तिथि तथा निर्वाण प्राप्ति की तिथि इस प्रकार है –

  • गुरु नानक देव जी
  • गुरु अंगद देव जी
  • गुरु अमर दास जी
  • गुरु रामदास जी
  • गुरु अर्जन देव जी
  • गुरु हरगोबिन्द सिंह जी
  • गुरु हर राय जी
  • गुरु हरकिशन साहिब जी
  • गुरु तेग बहादुर सिंह जी
  • गुरु गोबिन्द सिंह जी

सिक्ख धर्म के पाँच प्रमुख धर्मकेन्द्र (तख़्त) हैं। धर्म सम्बन्धी किसी भी विवाद पर इन तख्तों के पीठासीन अधिकारियों का निर्णय अंतिम माना जाता है।

  • हरमंदिर साहब
  • आनन्दपुर साहिब
  • हुज़ूर साहब।

और अधिक लेख – 

  • भगवान गौतम बुद्ध व बौध धर्म का इतिहास
  • जैन धर्म का इतिहास
  • इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी

Please Note :   – Sikhism History & Story In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा  फ़ेसबुक   (Facebook)   पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे  Comment Box मे करे। Sikhism Essay & Facts In Hindi व नयी पोस्ट डाइरेक्ट ईमेल मे पाने के लिए  Free Email Subscribe  करे, धन्यवाद।

Related Posts

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास, जानकारी | Baidyanath Temple

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास, जानकारी | Baidyanath Temple in Hindi

सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों मंदिर का इतिहास, जानकारी | Somnath Temple

सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों मंदिर का इतिहास, जानकारी | Somnath Temple

Leave a comment cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

hindileaf.com-logo

सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi

  • Post author: HariOm
  • Post published: June 10, 2022
  • Post category: Hindi Interesting History

नमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi के बारे में इस लेख को बहुत अधिक जटिल न बनाते हुए सरलतम रूप में चर्चा करने जा रहे हैं जोकि यह धर्म दुनिया का सबसे निराला एवं सेवारूपी धर्म है। इसके अलावा इस धर्म ग्रंथों में स्त्री-पुरुष एवं दुनिया में मौजूद सभी लोगों को समानरूप से आदर किया जाता है।

इस धर्म (Sikhism) की महत्वता को समझते हुए हम उम्मीद करते हैं कि आप सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi को पढ़कर इस धर्म (Sikhism in hindi) के सभी 10 गुरुओं से जुड़े अहम तथ्यों की जानकारी को जरूर जानेंगे।

सिख धर्म क्या है – What is Sikh religion in hindi

सिख धर्म दुनिया का सबसे निराला एवं सेवारूपी धर्म है जोकि केवल एक रब (ईश्वर, भगवान, अलाह आदि) में विस्वास रखता है। इस धर्म में पुरुष एवं औरत को समानरुपी सम्मान कर बराबरी का दर्जा दिया जाता है। यह दुनिया का सबसे नवीनतम धर्मों में से एक है जिसकी स्थापना आज से 500 वर्ष से भी पहले गुरु नानक जी के द्वारा हुई थी।

सिख धर्म (Sikhism) की दुनिया में मौजूद सभी धर्मों से अलग एवं खास पहचान होती है – जिसमे वह सिर और दाढ़ी के बाल नहीं कटवाते और सिर पर पग (पगड़ी) बांधने के अलावा हाथ में कड़ा, कछेदा पहनते एवं कृपार आदि साथ में रखते हैं।

इस धर्म (Sikh religion) के मौलिक ग्रंथों के आधार पर दुनिया में मौजूद सभी लोगों को समान (एक रुपी) माना जाता है जोकि किसी भी प्रकार के भेदभाव, जाति-प्रथा एवं कर्म-कांड आदि के खिलाफ एवं समाज की हर्दयपूर्वक सेवा करने का संकल्प रखते हैं। सिख धर्म का गुरुद्वारा (सिखों का मंदिर) दुनिया में मौजूद सभी लोगों के लिए हमेशा खुले रहते हैं। जिससे कि सभी लोग गुरु ग्रन्थ साहिब के आगे अपना माथा टेक सकते हैं और लंगर में प्रसाद हेतु भोजन खा सकते हैं।

सिख धर्म का इतिहास – History of Sikh religion in hindi

सिख धर्म के इतिहास एवं इसके बनने की बात करें तो इस धर्म (Sikhism in hindi) की नींव गुरु नानक देव जी ने सामाज में बहुत अधिक बुराईयों, भेद-भाव एवं जाति-वाद की नीति को देखकर की थी। सिख धर्म के इतिहास (Sikhism history in hindi) को समझने से पहले हमें इस धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के बारे में समझते हुए इतिहास की ओर आगे बढ़ना चाहिए।

गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन वर्ष 1469 में तलवंडी ननकाना साहिब, पाकिस्तान में हुआ था। नानक जी का जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उस समय के मध्य नानक जी के आस-पास हिन्दू और मुस्लिम धर्मों की शिक्षाओं का बहुत अधिक प्रभाव था। इसी कारण नानक जी ने अपनी सुध सँभालते हुए इस्लाम और हिन्दू दोनों धर्म का अध्ययन शुरू कर दिया था। जिस कारण नानक जी में बचपन में ही कवि और दर्शन की अदभुत क्षमता आ गई थी। जिसके चलते उन्होंने बचपन से ही लोगों को प्रेरित कर कहा कि आपको अपने व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा देना चाहिए। जिसके बाद नानक ने स्थानीय साधुओं एवं मौलवियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आपको आंतरिक-ध्यान पर ध्यान देना चाहिए न कि बाहरी दिखावा कर लोगों को प्रेरित करना चाहिए।

सिख परमपराओं में बाताया जाता है कि गुरु नानक देव जी के जन्म के शुरूआती वर्ष खास रहे और ईश्वर ने उन्हें कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया था।

गुरु नानक देव की वर्ष 1496 में शादी हुई और उनका परिवार भी था और कुछ समय तक उन्होंने एक मुंशी के तौर पर भी काम किया। जहाँ नानक ने जाति-वाद, ऊँच-नीच एवं भ्रष्टाचार को करीब से देखा और वह काम छोड़ अध्यात्म का मार्ग चुनने का फैसला कर लिया। क्योंकि नानक ने कम उम्र में ही अध्यात्मिक विषयों के ज्ञान हो चुका था इसी कारण वह प्रकृति में ईश्वर की तलाश करने के लिए निकल गए।

जिसके बाद गुरु नानक देव जी ने 30 वर्ष की आयु में भारत, तिब्बत और अरब होते हुए अध्यात्मिक यात्रा प्रारम्भ कर दी और यह यात्रा नानक के द्वारा काफी अध्ययन एवं तर्क-वितर्क करते हुए 20-25 वर्षों तक अपनी शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने में जारी रखी।

गुरू नानक देव जी ने इसी क्रम में आगे चलकर सिख धर्म (Sikhism) को आकार दिया और एक खुशहाल जीवन जीने एवं दूसरों के प्रति सद्भावना रखने के लिए अध्यात्म स्थापित किया। नानक जी ने अपने जीवन का आखिरी हिस्सा पंजाब (पाकिस्तान) के करतारपुर में गुजारा जहाँ उनके अनैकों अनुयाईयों ने उनके उपदेश सुन इस धर्म की ओर कदम रखा था।

नानक जी (Guru Nanak Ji) का सबसे अहम सन्देश था कि ईश्वर एक है और हर व्यक्ति ईश्वर तक सीधे पहुँच सकता है। जिसके लिए व्यक्ति विशेष को किसी भी प्रकार के कर्मकांडों का पालन करने के लिए पुजारियों एवं मौलवियों की आवश्यता बिलकुल भी नहीं है। इसके अलावा उन्होंने जाति-व्यवस्था छुआ-छूत को ख़त्म करने पर पूर्ण-रूप से जोर दिया। साथ ही गुरूद्वारे के अन्दर लंगर की शुरुआत की गई जिसमे सभी लोग ऊँच-नीच छोड़ एक साथ ज़मीन पर बैठकर भोजन ग्रहण कर सकें।

गुरु नानक के बाद सिख धर्म (Sikhism in hindi) निर्गुण-भक्ति को आगे ले जाने के लिए 9 गुरु और (Nine more masters) हुए मतलब आज तक इस धर्म में वर्ष 1469 से 1708 के बीच 10 गुरुओं ने सिख धर्म की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया है।

सिख के 10 गुरुओं के नाम – All 10 Sikh masters name in hindi

पहले गुरुगुरु नानक देव1469-1539
दूसरे गुरुगुरु अंगद देव1504-1552
तीसरे गुरुगुरु अमर दास1479-1574
चौथे गुरुगुरु राम दास1534-1581
पाँचवें गुरुगुरु अर्जन देव1563-1606
छटवें गुरुगुरु हरगोविन्द1595-1644
सातवें गुरुगुरु हर राई1630-1661
आठवें गुरुगुरु हरकृष्ण1656-1664
नौवें गुरुगुरु तेज बहादुर1621-1675
दशवें गुरुगुरु गोबिंद सिंह1666-1708

गुरु गोविन्द सिंह इस धर्म के 10वें और आखिरी गुरु थे जिन्होंने गुरु ग्रन्थ साहिब को पूरा करके अंतिम रूप दिया और यही ग्रन्थ आज तक आखिरी जीवित गुरु के रूप में जाना जाता है। इस ग्रन्थ के प्रारंभिक दो शब्द एक ओंक्कर हैं जिनका मतलब ईश्वर एक है और यही सबसे बड़ी एवं सच्ची वास्तविकता है।

इस धर्म की शिक्षा को आगे ले जाने के लिए इस धर्म के चौथे गुरु राम दास जी के सहयोग एवं पांचवें गुरु अर्जन देव जी ने हरमंदिर साहिब का निर्माण करवाया जोकि अमृतसर शहर के बीचों बीच आज स्वर्णमंदिर (गोल्डन टेम्पल) के नाम से जाना जाता है। हरमंदिर साहिब या स्वर्णमंदिर सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है जोकि सभी धर्मों के लोगों का समान रूप से सम्मान करता है।

हरमंदिर साहिब के निर्माण के बाद से ही भारत में सिख धर्म (Sikh religion in hindi) तेजी से विस्तार हुआ था। बता दें कि सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जन देव जी और नोवें गुरु तेज बहादुर जी मुगलों द्वारा अपने धर्म की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे।

जिसके बाद 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी (तेज बहादुर जी के पुत्र) ने खालसा पंथ की स्थपाना की जोकि यह खालसा आर्मी जरूरत मंदों की रक्षा करने के लिए विशेष रूप से प्रतिबद्ध थी।

सिख धर्म के बुनियादी सिद्धांत – Basic principal of Sikhism in hindi

  • सिख धर्म संस्थापक एवं पहले गुरु नानक देव जी का मानना था कि चिंतन के जरिए आध्यात्म की ओर बढ़ा जा सकता है और अपनी इस जीवन शैली के जरिए इन्सान अपने भीतर ही ईश्वर के दर्शन कर सकता है। मतलब ईश्वर का न कोई रूप, न कोई आकार, न स्त्री और न ही पुरुष है यह हर चीज में मौजूद है।
  • सिख निर्गुण-भक्ति में विश्वास करते हैं और मूर्ती-पूजा एवं कर्मकांडों से दूर रहते हैं। यह अपने गुरु को बाहेगुरु बुलाते है जिसका मतलब गुरु महान है।
  • इस धर्म में ग्रहस्त जीवन जीना एवं समाज में अधिकता में भोजन दान करना महान है।  इसके अलावा जाति-वाद के खिलाफ एवं समानता को श्रेष्ठ माना जाता है।

सिख धर्म की विशेषता– Specialty of Sikhism in hindi

  • सिख धर्म में आज तक 10 गुरु हुए हैं और यह धर्म इन्ही 10 गुरुओं की शिक्षाओं पर आधारित है। सभी गुरुओं का अपना अलग महत्व है लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इस धर्म के संस्थापक एवं पहले गुरु ‘गुरु नानक देव जी’ को दिया जाता है।
  • सिख धर्म का अपना एक ग्रन्थ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ है जोकि सिखों के सभी गुरुओं ने मिलकर बनाया है। सिख धर्म में गुरु ग्रन्थ साहिब एवं सभी गुरुओं को पूरी श्रद्दा दी जाती है लेकिन पूजा-अर्चना नहीं की जाती है। इस धर्म में पुरुष अपने नाम के आगे सिंह तो वहीं महिलाएं कौर लगाती हैं।
  • दुनिया का पहला गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी के करतारपुर में बनाया गया था जोकि वर्तमान में पाकिस्तान की सीमा के अन्दर मौजूद है। गुरुद्वारे में आमतौर पर हॉलनुमा बड़े-बड़े दो कमरे होते हैं जिसमे एक कमरे में गुरु ग्रन्थ साहिब को रखा जाता है वहीं दूसरे में लंगर की व्यवस्था की जाती है।
  • वर्तमान समय में पूरी दुनिया में सिखों की संख्या लगभग 3 करोड़ है जिसमे 80 प्रतिशत से भी ज्यादा सिख केवल भारत में रहते हैं। इसके अलावा सिखों की एक बड़ी आबादी कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स ऑस्ट्रेलिया एवं मलेशिया आदि में रहती है।
  • बता दें कि भारत के पंजाब राज्य में सिखों के संख्या केवल लगभग 60 प्रतिशत वहीं लगभग 40 प्रतिशत अन्य धर्म के लोग पंजाब में रहते हैं।

FAQs – अधिकांश पूछे जाने वाले प्रश्न

Ans. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी थे।

Ans. गुरुद्वारा एक प्रकार का सिख धर्म का मंदिर होता है जहाँ गुरु ग्रन्थ साहिब को स्थापित किया जाता है और साथ में लंगर कर श्रद्धुलुओं का सेवा भाव किया जाता है।

Ans. सिख धर्म की स्थापना सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी ने की थी वहीं बाद में इस धर्म को बाकी के 9 गुरुओं ने पूरी दुनिया में विस्तार किया।

Ans. सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक देव जी हिन्दू परिवार में पैदा हुए थे।

Ans. सिख धर्म के ग्रन्थ का नाम गुरु ग्रन्थ साहिब है।  

Ans. सिख किसी की पूजा नहीं करते हैं वल्कि वह अपने ग्रन्थ ‘ गुरु ग्रन्थ साहिब’ के आगे माथा टेकते हैं।

Ans. सरकार मुख्य रूप से सिख धर्म में आते हैं।

Ans. एक सच्चा सिख गुरु ग्रन्थ साहिब के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करता है वहीं पंजाबी केवल पंजाब में रहने वाली एक नागरिक होता है।

Ans. जनसख्याँ के आधार पर इसाई धर्म दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है।

निष्कर्ष – The Conclusion

इस लेख में दी गई सिख धर्म से जुडी पूरी जानकारी को हमने एक कहानी के रूप में समझाने का प्रयास किया है जोकि कड़ी मेहनत एवं बहुत खोजबीन करके इस रूप में विस्तार पूर्वक लिखी गई है। इसके बाबजूद भी आपको लगे कि इस लेख में कुछ और जुड़ना चाहिए या कुछ खामियाँ हैं तो हमें कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दें। हम आपके द्वारा करी करी गई प्रतिक्रिया का जल्द ही जबाव देने का पूरा प्रयास करेंगे।

इस लेख में इतना ही जिसमे हमने सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है | Sikh Religion in hindi के अलावा सिख धर्म क्या है? (Sikh dharm kya hai), सिख धर्म का इतिहास (Sikh dharm ka itihas), सिख धर्म के 10 गुरु के नाम (sikh dharm ke 10 guru ke naam), सिख धर्म के सिद्धांत (sikh dharm ke siddhant) और सिख धर्म की विशेषता (sikh dharm ki visheshta) को भी समझाया है।

इस लेख में दी गई जानकारी से यदि आपको कुछ नया जानने को मिला हो तो इस लेख को नीचे दिए गए सोशल शेयर बटन्स पर क्लिक करके अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

अन्य पढ़ें –

  • स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) कहाँ है?
  • दुनिया में कुल कितने धर्म हैं?
  • गंगा नदी कहाँ है और इसका उद्गम स्थल क्या है?
  • दुनिया में कुल कितने सागर एवं महासगर हैं?

Please Share This Share this content

  • Opens in a new window

You Might Also Like

Read more about the article भारतीय क्रिकेट का इतिहास | Cricket history in hindi

भारतीय क्रिकेट का इतिहास | Cricket history in hindi

Read more about the article कुतुब मीनार कहाँ है और इसे किसने बनवाया | कुतुबमीनार का इतिहास

कुतुब मीनार कहाँ है और इसे किसने बनवाया | कुतुबमीनार का इतिहास

Read more about the article जैन धर्म क्या है | जैन धर्म का इतिहास

जैन धर्म क्या है | जैन धर्म का इतिहास

Leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

सिख धर्म (Sikhism)

सिख धर्म (Sikhism) के संस्थापक गुरु नानक देव थे। उन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग के पंजाब में इस धर्म की स्थापना की थी। सिख’ शब्द ‘शिष्य’ का तद्भव रूप है, जिसका अर्थ है गुरु नानक के शिष्य-अर्थात् उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले।

Sikhism

भारतीय धर्मों में सिक्ख धर्म का अपना एक पवित्र एवं अनुपम स्थान है।
15 वीं शताब्दी
सिक्ख पंथ के प्रतीक चिह्न में दो ओर वक्राकार तलवारों के बीच एक वृत्त तथा वृत्त के बीच एक सीधा खांडा होता है। तलवारें धर्मरक्षा के लिए समर्पण का, वृत्ता ‘एक ओंकार’ का तथा खांडा पवित्रता का प्रतीक है।
गुरु ग्रंथ साहिब
,  ,  ,  ,  ,  ,  ,   
शब्द का तद्भव रूप है, जिसका अर्थ है

सिक्ख धर्म में बहु-देवतावाद की मान्यता नहीं है। यह धर्म केवल एक ‘अकाल पुरुष’ को मानता है और उसमें विश्वास करता है।

सिख धर्म के 10 गुरु (Sikhism 10 Guru Hindi)

सिख पंथ (Sikhism) में गुरु-परंपरा का विशेष महत्त्व रहा है। इसमें दस गुरु माने गए हैं, जो निम्न है-

क्रमांकनामजन्मगुरु बनेमृत्युआयु
15 अप्रैल 146920 अगस्त 150722 सितम्बर 153969
31 मार्च 15047 सितम्बर 153929 मार्च 155248
5 मई 147926 मार्च 15521 सितम्बर 157495
24 सितम्बर 15341 सितम्बर 15741 सितम्बर 158146
15 अप्रैल 15631 सितम्बर 158130 मई 160643
19 जून 159525 मई 160628 फरवरी 164448
16 जनवरी 16303 मार्च 16446 अक्टूबर 166131
7 जुलाई 16566 अक्टूबर 166130 मार्च 16647
1 अप्रैल 162120 मार्च 166511 नवंबर 167554
22 दिसम्बर 166611 नवंबर 16757 अक्टूबर 170841

सिख धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (Sikhism Interesting Facts)

सिख धर्म (Sikhism) के संस्थापक गुरु नानक देव थे। उन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग के पंजाब में इस धर्म की स्थापना की थी। तीसरे गुरु अमरदास ने जाति प्रथा तथा छुआछूत दूर करने के उद्देश्य से लंगर परंपरा की नींव डाली।

चौथे गुरु रामदास ने अमृत सरोवर ( अमृतसर ) नामक नए नगर की नींव डाली। अमृतसर में ही पाँचवें गुरु अर्जनदेव ने ‘ हरमंदिर ‘ साहिब ‘ (स्वर्ण मंदिर) की स्थापना की। उन्होंने ही अपने पिछले गुरुओं तथा उनके समकालीन हिंदू-मुसलिम संतों के पदों एवं भजनों का संग्रह कर आदि ग्रंथ बनाया।

दसवें गुरु गोविंद सिंह ने सिख पंथ को नया रूप, नई शक्ति तथा नई ओजस्विता प्रदान की। उन्होंने ‘खालसा’ परंपरा की स्थापना की खालसाओं के पाँच अनिवार्य लक्षण निर्धारित किए गए, जिन्हें ‘पाँच कक्के’ कहते हैं। वे हैं-केश, कंघा, कड़ा, कच्छा तथा कृपाण।

ये पाँचों लक्षण एक सिख को विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं। गुरु गोविंद सिंह ने पुरुष खालसाओं को ‘सिंह ‘ तथा महिलाओं को ‘कौर’ की उपाधि दी। उन्होंने कहा कि उनके बाद कोई अन्य गुरु नहीं होगा बल्कि ‘आदि ‘ग्रंथ’ ही गुरु माना जाएगा। तब से ‘आदि ग्रंथ’ को ‘ गुरु ग्रंथ साहिब’ कहा जाने लगा।

गुरु ग्रंथ साहिब को सदैव रूमाल में लपेटकर तथा मखमली चाँदनी के नीचे रखते हैं। यदि इसे कही ले जाना पड़े तो सिर पर रखकर ले जाते हैं। इस पर सदैव चँवर डुलाया जाता है। गुरुद्वारे में इसका पाठ करनेवाले को ‘ग्रंथी’ कहा जाता है और विशिष्ट गायन में प्रवीण व्यक्ति ‘रागी’ कहलाता है।

सिखों का पवित्र निशान ‘सिख निशान साहब’ कहलाता है। ‘वाहे गुरु’ संबोधन ईश्वर का प्रशंसात्मक नाम है।

सिख धर्म (Sikhism) के पाँच प्रमुख में केंद्र (तख्त) है:- अकाल, हरमंदिर साहिब, पटना साहिब, आनंदपुर साहिब तथा हुजूर साहिब । गुरुद्वारे में स्वेच्छा से की गई सेवा का विशेष महत्व है।

You Just Read: – सिख धर्म (Sikhism)

प्रस्तुत लेख में सिख धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बताई गई है। आशा करते है, आपको लेख पसंद आया होगा। 🙏

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 4.8 / 5. Vote count: 96

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Related Posts

सिख धर्म प्रश्नोत्तरी (Sikhism FAQs)

गुरु हर राय (Guru Har Rai)

गुरु राम दास (Guru Ram Das)

गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh)

गुरु अंगद देव (Guru Angad Dev)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • IAS Preparation
  • UPSC Preparation Strategy

The word Sikh is derived from the Sanskrit word Shishya , meaning disciple or learner . The Sikh religion originated with the advent of Guru Nanak , the founder of the Sikh Religion. It was developed through the successive Gurus who appeared in the form of the same divine light and reached its climax with the creation of Khalsa by the tenth Guru, Guru Gobind Singh.

This article will give information about Sikhism – one of the important religions of India, in the context of the IAS Exam. 

This topic will be useful for the GS Paper 1 and GS Paper 4 section of the UPSC Syllabus. 

The candidates can go through the relevant topics useful for their upcoming exams from the links provided below:

History of Sikhism

  • Sikhism was born at a time when there was a growing conflict amongst the two dominating religious traditions of Hinduism and Islam in India. 
  • Guru Nanak, the founder of the Sikh faith, is generally depicted as a reconciler of the two conflicting traditions.
  • Guru Nanak got his enlightenment in Sultanpur in 1496 . 
  • After enlightenment, he travelled extensively to spread the message of love and brotherhood.
  • The number of Guru Nanak’s followers increased through the sixteenth century under his successors. 
  • They belonged to a number of castes, but traders, agriculturists, artisans and craftsmen predominated. They were also expected to contribute to the general funds of the community of followers. 
  • By the beginning of the seventeenth century, the town of Ramdaspur (Amritsar) had developed around the central Gurdwara called Harmandar Sahib (Golden Temple). It was virtually self-governing, and modern historians refer to the early seventeenth-century Sikh community as ‘a state within the state’.

About Guru Nanak

  • Guru Nanak, the founder of the Sikh faith, was born in Talwandi (near Lahore in Pakistan), now known as Nankana Sahib in Pakistan and belonged to Bedi gotra in 1469.
  • Guru Nanak received his early education in Sanskrit and Persian .
  • He was one of the greatest saints of the Bhakti movement.
  • Guru Nanak (1469–1539) was the first Guru. 
  • He travelled widely before establishing a centre at Kartarpur (Dera Baba Nanak on the river Ravi). 
  • Regular worship that consisted of the singing of his own hymns was established there for his followers. 
  • Irrespective of their former creed, caste or gender, his followers ate together in the common kitchen ( langar ). 
  • The sacred space thus created by Guru Nanak, known as dharmsal . It is now known as Gurdwara . 
  • Contemplation of One God (nam- japna); 
  • Earning one’s livelihood (kirat karna) and 
  • Sharing one’s earnings with others (vand chhakna). 
  • To practise his teachings of equality, Guru Nanak started the twin institutions of Sangat and Pangat , emphasizing that all sit in a congregation and while partaking food from the community kitchen should sit in one line without distinction of high and low or rich and poor. 
  • Guru Nanak preached through kirtans, bhajans and ragas. 
  • Before his death in 1539, Guru Nanak appointed one of his followers as his successor.
  • His name was Lehna, but he came to be known as Guru Angad, signifying that he was a part of Guru Nanak himself.

Teachings of Sikh Religion

The teachings of Sikh Religion are as follows:

  • God – Sikhism believes in the monotheistic concept of One God, who is Transcendent and Immanent; Impersonal and Personal; Nirguna and Sarguna.
  • Soul – There is an identical relation between God and soul, which is mentioned as ‘the Lord abides in the soul and the soul in the Lord.’ The aim of man’s life is to rediscover the real nature of the self which is in no way different from God, but indulgence in mundane aspirations reinforce his ego and strengthens this false notion of separateness.
  • Divine Will – In the Sikh religion, the concept of Divine Will (hukam) as an imperative has a specific metaphysical significance. Divine Will is all-pervasive and immanent and manifests itself in different ways which are incomprehensible to the human mind. Not only the creation but also the sustenance of the universe is in accordance with the Divine Will. 
  • Divine Grace – It is often referred to in the scripture as kirpa, karam, Prasad, mehar, daya or bakhsis. One cannot understand God through cleverness, but He can be realized through Grace. 
  • Salvation – The immortality of the soul is also conceived in the sense of realization of the eternity of values in the temporal world.  Karma and rebirth are closely related to the moral life of man.

Daily News

The Ten Sikh Gurus

There were a total of ten Sikh Gurus. Guru Nanak was followed by nine successive Gurus who not only continued his precepts and ideals but made significant contributions in evolving different institutions for the Sikh community. 

Guru Nanak (1469 – 1539)
Guru Angad Dev (1504 – 1552)
Guru Amar Dass (1479 – 1574)
Guru Ram Dass (1534 – 1581)
Guru Arjun Dev (1563 – 1606)
Guru Hargobind (1595 – 1644)
Guru Har Rai (1630 – 1661)
Guru Har Kishan (1656 – 1664)
Guru Teg Bahadur (1621 – 1675)
Guru Govind Singh (1666 – 1708) (comb),  (long hair),  (iron bracelet),  (underwear) and  (sword or dagger).

11th Sikh Guru

  • Nine gurus followed Guru Nanak and there is no living human successor, but the Guru Granth Sahib, the Sikh holy book, is considered the 11th Sikh Guru and eternal. 
  • Apart from the hymns of the Sikh Gurus, the Guru Granth Sahib also contains the composition of the Muslim and Hindu saints, some of them belonging to the so-called lower caste of the Hindu society. 
  • Therefore, the Sikh Holy Book can be considered as a unique example of the ecumenical spirit of the Sikh faith. 

Sikh Institutions

The disciples of Sikhism come to the sacred places to take the blessings of Guru Granth Sahib, the holy book and eternal Guru of Sikhs.

The most sacred Sikh Shrines and Heritage are listed and briefed below:

  • The worship places of Sikhs are known as the Takhts which literally means ‘the seat of the divine power’. 
  • There are only five Takhts. 
  • It is said that ‘Takhts’ are places where various social and political settlements were done by the Gurus.
Akal Takht Sahib It is founded by Guru Hargobind Singh. 
Takht Sri Keshgarh Sahib It is a place where Khalsa Panth originated. 
Takht Sri Damdama Sahib It is a place where the complete version of Guru Granth Sahib was written by Guru Gobind Singh. 
Takht Sri Hazur Sahib It is a place where Guru Gobind Singh last breathed. It is located on the bank of River Godavari in the ‘Sanctified City’ of Nanded in Maharashtra.
Takht Sri Patna Sahib It is situated on the banks of the River Ganga. 
  • Gurudwara stands for ‘the doorway to the master’. 
  • In India, there are several Gurudwaras but only five Takhts. 
  • Lakhs of people, particularly the Sikhs, visit the Gurudwaras to commemorate the Gurus. Therefore, Gurudwaras hold significance from a pilgrimage point of view. 
  • It is called the Golden Temple owing to the gilded dome that adorns the crown of the Gurudwara.
  • It is the most sacred for the Sikhs. 
  • The town was founded by Guru Ram Dass, the fourth Sikhs Guru in 1577 on the land gifted by Akbar. 
  • The fifth Guru Arjun Dev completed the temple. 
  • When Maharaja Ranjit Singh covered the upper half of the temple, first with copper and then with pure gold leaf, it came to be known as the Swarna Mandir.
  • It is one of the most impressive and fascinating edifices in India and is intricately linked with the history of Sikhism. 
  • Gurudwara Paonta Sahib, Himachal Pradesh
  • Gurudwara Rakab Ganj Sahib, New Delhi
  • Gurudwara Sis Ganj Sahib, Delhi
  • Hemkund Sahib, Uttarakhand

Sikhism – UPSC Notes:- Download PDF Here

FAQ-about-Sikhism

FAQ about Sikhism

What are the 5k’s that sikh men are required to possess.

The 5K’s that Sikh men are required to possess are Kangha (comb), Kesh (long hair), Kada (iron bracelet), Kachcha (underwear) and Kirpan (sword or dagger).

Who is a Guru in Sikhism?

What is langar and its significance.

Other relevant links:

IAS General Studies Notes Links

Leave a Comment Cancel reply

Your Mobile number and Email id will not be published. Required fields are marked *

Request OTP on Voice Call

Post My Comment

sikh essay in hindi

IAS 2024 - Your dream can come true!

Download the ultimate guide to upsc cse preparation, register with byju's & download free pdfs, register with byju's & watch live videos.

सिख गुरु की बलिदानी परंपरा पर निबंध (Sikh Guru Ki Balidani Parampara Essay In Hindi)

सिख गुरु की बलिदानी परंपरा पर निबंध (Sikh Guru Ki Balidani Parampara Essay In Hindi)

हमारे देश में सिख गुरुओं ने शान्ति, अच्छी विचारधारा और एकता का प्रचार प्रसार किया। सिख गुरुओं की लोकप्रियता के बारे में सभी वाकिफ है। सिख गुरुओं के त्याग अर्थात बलिदान को हम कभी भुला नहीं सकते है। सिख गुरुओं का सम्मान सभी धर्म के अनुयायी करते है।

सिख धर्म के गुरु मुग़ल वंश के समक्ष कभी नहीं झुके और उनका निडर होकर सामना किया। इसके संग ही गुरू जी ने शहादतों की उस महान परंपरा का आरम्भ किया था, जिसमें आगे चलकर सिखों ने भी अपना भरपूर योगदान दिया था।

सिख धर्म और देश के प्रगति में उनकी भूमिका

Related Posts

इंद्रधनुष पर निबंध (rainbow essay in hindi), ओणम त्यौहार पर निबंध (onam festival essay in hindi), ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (noise pollution essay in hindi).

Encyclopedia Britannica

  • History & Society
  • Science & Tech
  • Biographies
  • Animals & Nature
  • Geography & Travel
  • Arts & Culture
  • Games & Quizzes
  • On This Day
  • One Good Fact
  • New Articles
  • Lifestyles & Social Issues
  • Philosophy & Religion
  • Politics, Law & Government
  • World History
  • Health & Medicine
  • Browse Biographies
  • Birds, Reptiles & Other Vertebrates
  • Bugs, Mollusks & Other Invertebrates
  • Environment
  • Fossils & Geologic Time
  • Entertainment & Pop Culture
  • Sports & Recreation
  • Visual Arts
  • Demystified
  • Image Galleries
  • Infographics
  • Top Questions
  • Britannica Kids
  • Saving Earth
  • Space Next 50
  • Student Center
  • Introduction
  • Guru Amar Das
  • Guru Ram Das
  • Guru Hargobind: A new direction for the Panth
  • Guru Har Rai
  • Guru Hari Krishen
  • Guru Tegh Bahadur
  • Guru Gobind Singh and the founding of the Khalsa
  • The 18th and 19th centuries
  • The Punjabi suba
  • The Sikh diaspora
  • The worship service
  • The rejection of caste
  • Rites and festivals
  • The Adi Granth and the Dasam Granth
  • Devotional and other works
  • Other groups

The Golden Temple, or Harmandir Sahib

Our editors will review what you’ve submitted and determine whether to revise the article.

  • IndiaNetzone - Sikhism, Indian Religion
  • Learn Religions - Sikhism
  • Cultural India - Indian Religions - Sikhism
  • Humanities LibreTexts - Sikhism
  • Brigham Young University - Religious Studies Center - Sikhism
  • World Religious and Spirituality Project - Sikhism
  • MapsofIndia.com - Sikhism: Spreading the message of Humanity and Equality
  • The Canadian Encyclopedia - Sikhism in Canada
  • Khan Academy - Sikhism introduction
  • Sikhism - Children's Encyclopedia (Ages 8-11)
  • Sikhism - Student Encyclopedia (Ages 11 and up)
  • Table Of Contents

The Golden Temple, or Harmandir Sahib

Recent News

Sikhism , religion and philosophy founded in the Punjab region of the Indian subcontinent in the late 15th century. Its members are known as Sikhs. The Sikhs call their faith Gurmat (Punjabi: “the Way of the Guru”). According to Sikh tradition, Sikhism was established by Guru Nanak (1469–1539) and subsequently led by a succession of nine other Gurus. All 10 human Gurus , Sikhs believe, were inhabited by a single spirit. Upon the death of the 10th, Guru Gobind Singh (1666–1708), the spirit of the eternal Guru transferred itself to the sacred scripture of Sikhism, Guru Granth Sahib (“The Granth as the Guru”), also known as the Adi Granth (“First Volume”), which thereafter was regarded as the sole Guru. In the early 21st century there were nearly 25 million Sikhs worldwide, the great majority of them living in the Indian state of Punjab .

The following discussion of the lives of the 10 Gurus relies on the traditional Sikh account, most elements of which are derived from hagiographic legend and lore and cannot be verified historically. This point should be borne in mind throughout, especially in the sections on the early Gurus.

History and doctrine

Sikh in Punjabi means “learner,” and those who joined the Sikh community , or Panth (“Path”), were people who sought spiritual guidance. Sikhs claim that their tradition has always been separate from Hinduism . Nevertheless, many Western scholars argue that in its earliest stage Sikhism was a movement within the Hindu tradition; Nanak, they point out, was raised a Hindu and eventually belonged to the Sant tradition of northern India , a movement associated with the great poet and mystic Kabir (1440–1518). The Sants, most of whom were poor, dispossessed, and illiterate, composed hymns of great beauty expressing their experience of the divine , which they saw in all things. Their tradition drew heavily on the Vaishnava bhakti (the devotional movement within the Hindu tradition that worships the god Vishnu ), though there were important differences between the two. Like the followers of bhakti, the Sants believed that devotion to God is essential to liberation from the cycle of rebirth in which all human beings are trapped; unlike the followers of bhakti, however, the Sants maintained that God is nirgun (“without form”) and not sagun (“with form”). For the Sants, God can be neither incarnated nor represented in concrete terms.

Certain lesser influences also operated on the Sant movement. Chief among them was the Nath tradition, which comprised a cluster of sects, all claiming descent from the semilegendary teacher Gorakhnath and all promoting Hatha Yoga as the means of spiritual liberation. Although the Sants rejected the physical aspects of Hatha Yoga in favor of meditation techniques, they accepted the Naths’ concept of spiritual ascent to ultimate bliss. Some scholars have argued that the Sants were influenced by Islam through their contact with the Mughal rulers of India from the early 16th century, but there is in fact little indication of this, though Sufism (Islamic mysticism) may have had a marginal effect.

The 10 Gurus

10 Ways That Sikhism Differs From Hinduism

A Comparison of Beliefs, Faith, and Practices

Amit Somvanshi / Getty Images

  • Sacred Scriptures
  • Life and Culture

Sikhs are not Hindus. Sikhism rejects many aspects of Hinduism. Sikhism is a distinct religion with a unique scripture, principles, code of conduct, guidelines, initiation ceremony , and appearance developed over three centuries by ten gurus , or spiritual masters.

Many Sikh immigrants are from North India, where the national language is Hindi, the native name for the country is Hindustan, and the national religion is Hinduism. Attempts by radical Hindu groups to consign Sikhs to their caste system have made devout Sikhs a potential political target in India, sometimes resulting in violence.

Although Sikhs with turbans and beards have a distinct appearance, people in Western countries who come in contact with Sikhs may assume that they are Hindus. Compare these 10 fundamental differences between Sikhism and Hinduism beliefs, faith, practices, social status, and worship.

  • Sikhism originated in Punjab, in what is now Pakistan, circa 1469 with the  birth of Guru Nanak , and is based on the guru's writings and teachings.
  • Hinduism can be traced as far back as 10,000 B.C. and is considered to be one of the earliest religions practiced by civilized man. Aryan invaders introduced the religion to the Sindhu River of the modern day Indus region of India about 2,000 B.C. The river later became known as the Hindu and the people Hindus.
  • Sikhism rejects idolatry and has no clergy system. Guru Nanak introduced the concept of one god, Ik Onkar , one creator present in all of creation. Sikhs refer to the divine as Waheguru , the Wondrous Enlightener.
  • Hinduism believes in a hierarchy of deities with Brahman as the foremost all-encompassing, followed by the trinity Brahma (creator) Vishnu (sustainer) and Shiv a (destroyer). Other important gods are Krishna , Rama , Ganesha , and Hanuman , along with goddesses Lakhsmi , Kali , Durga , and Saraswati . There are many lesser demi-gods and demi-goddesses with some 33 million deities in all, which include plant, animal, and mineral spirits, all of whom are worshiped by means of idolatry, relying on intervention of pandits , or priests.

3. Scripture

  • Sikhs believe the scripture of Siri Guru Granth Sahib to be the living word of their Guru or Enlighter. The Guru Granth Sahib offers guidance and instruction on how to be free of egoism and achieve humility, as a means to illuminate the spiritual darkness and liberate the soul from the cycle of transmigration.
  • Sutri (conceptualized) - Vedas and Upanishads.
  • Smriti (poetic epics) - Bhagavad Gita, Ramayana, and Mahabharata.

4. Basic Tenets

  • One creative source.
  • Ten gurus of history.
  • Authority of Guru Granth.
  • Teachings of the ten gurus.
  • Initiation rites established by Tenth Guru Gobind Singh .
  • Kes and Keski - Uncut hair beard and turban .
  • Kanga - Wooden comb worn in the hair.
  • Kara - Steel bracelet worn on the wrist.
  • Kirpan - Ceremonial short sword worn at the side.
  • Kachhera - Unique undergarment worn for modesty and chastity.
  • Rites and rituals performed by priests
  • Puja - Worship
  • Dharma - Ethics
  • Karma - Actions
  • Yoga - Discipline
  • Bhakti - Devotion
  • Moksha - Liberation
  • Samsara - Transmigration
  • Kirtan - Devotional hymns.
  • Ardas - Offering of Prayer.
  • Hukam - Verse read from Guru Granth Sahib.
  • Prashad - Sacred pudding distributed to worshipers.
  • Langar free food from the guru's kitchen.
  • Hindus worship in a mandir , or temple, where idolatry rituals and Puja rites and ceremonies are performed by high caste priests. Hindu males don a ritual sacred thread at about the age of puberty, which is ceremoniously changed each year.

6. Conversion and Caste

  • Sikhism does not actively seek converts, but accepts anyone, regardless of social background, who wishes to be initiated.
  • Hinduism is based on a rigid caste system which one can only be born into, but can neither marry to become, nor convert to. Devotees are welcome to worship deities, but must wait until a future lifetime to be reborn into the hierarchy of the Hindu caste system. Strict adherence to principle and righteous deeds gives hope, that upon rebirth, they may reincarnate into an upper caste.

7. Marriage and Status of Females

  • Sikh women are considered to be equal in status to men in every aspect of worship and life. Sikh women are encouraged to be educated, have careers, become community leaders, and are welcome to take part in every ceremony.
  • Sikhism teaches that bride and groom are fused by the four rounds of the Anand Karaj ceremony with the divine sharing one light in two bodies. Dowry is discouraged. Caste is not supposed to be a consideration when choosing a spouse. Widows are permitted to remarry.
  • Hinduism teaches that a woman is to be always dependent either on father, or husband, for the duration of her life to ensure spiritual advancement.
  • Hindu marriage is performed according to conditions of the Hindu Marriage Act between any two Hindus generally of the same caste. Dowry is also a consideration when arranging marriage. The marriage is performed by the bride and groom taking seven steps around a sacred fire. Hindu widows have little, or no status in India.

8. Dietary Law & Fasting

  • Sikhism scripture counsels against consuming intoxicants and flesh specifically chicken and fish if one wishes to advance spiritually. No kind of meat is ever served in any gurdwara, however, a Sikh who decides to indulge in meat eating is restricted only against eat an animal slaughtered ritually according to Muslim law halal . Sikhism does not believe in ritual fasting as a means to spiritual enlightenment.
  • Hindu dietary law forbids eating meat from a cow. Fasting is done on auspicious occasions for a variety of reasons, and to purify body and soul.

9. Appearance

  • Sikhism Armitdhari initiates and Keshdhari devotees do not cut or remove hair from the scalp, face, or body. Devout Sikh men and some women wear religiously mandated turbans in a variety of styles to cover and protect unshorn hair . Sikhs are not permitted to wear caps or hats. Sikhs traditionally wear warrior style attire . Both men and women wear chollas . Men wear kurta pajama and women salvar kamees .
  • Hindu men may go bare-headed, wear a cap, or a festive turban over cut hair. Aesthetics may shave heads, or grow hair and a beard, but generally do not wear turbans, although some may. Hindu religious headgear is seldom worn outside of India. Hindu women never wear turbans. Hindu men traditionally wear dhotis , and women saris .
  • Sikhism scripture and code of conduct consider ritualistic yoga to be an entrapment which may present an obstacle to spiritual growth.
  • Hinduism outlines a very detailed description of 8 limbs and 4 types of yoga designed to perfect the body and soul.
  • Joti Jot and the Guru Nanak Dev
  • What Do Sikhs Believe?
  • Mata Gujri (1624 - 1705)
  • All About the Life of Guru Nanak
  • Guru Gobind Singh (1666 - 1708)
  • 10 Ways Sikhism Differs From Islam
  • What You Need To Know Before You Read a Hukam
  • TSA Turban Regulations
  • All About the Challenges of Sikh Americans
  • Sikh Hymns Offering Encouragement in Hard Times Dookh Santaap Na Lagee
  • The 40 Liberated Ones and Mai Bhago
  • Why Do Sikhs Wear Turbans?
  • Introduction to the Traditional Dress of Sikhs
  • Sikhism Scriptures and Prayers
  • 7 Offshoot Sects of Sikhs
  • The Ten Principle Beliefs of the Sikh Religion

SILENT COURSE

Essay Writing, Letter Writing, Notice Writing, Report Writing, Speech, Interview Questions and answers, government exam, school speeches, 10 lines essay, 10 lines speech

  • Hindi Essay
  • Eng. Speech
  • Hindi Speech
  • Notice Writing
  • Report Writing

Thursday, June 8, 2023

सिख धर्म पर निबंध - essay on sikhism in hindi | sikhism history | sikhism essay in hindi, निबंध - सिख धर्म.

sikh essay in hindi

No comments:

Post a comment, 28 फरवरी ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस - national science day.

  • ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध
  • ➤ सी.वी रमन जी पर निबंध
  • ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर 10 वाक्य
  • ➤ Essay on National Science Day In English
  • ➤ Essay on C.V. Raman In English
  • ➤ 10 Lines on National Science Day
  • ➤ 10 Lines on National Science Day In English

एक देश, एक चुनाव / One Nation One Election

  • - एक देश एक चुनाव पर निबंध
  • - एक देश, एक चुनाव पर 10 वाक्य
  • - Essay on One Nation, One Election In English
  • - 10 Lines on One Nation, One Election In English

आदित्य एल1 मिशन / Aditya-L1 Mission

  • - आदित्य एल1 मिशन पर निबंध
  • - आदित्य एल1 मिशन पर 10 पंक्ति
  • - Essay on Aditya-L1 Mission In English
  • - 10 Lines on Aditya-L1 Mission In English

चंद्रयान 3 / Chandrayaan-3

  • - चंद्रयान 3 पर निबंध
  • - चंद्रयान 3 पर 10 पंक्ति
  • - Essay on Chandrayaan 3
  • - 10 Lines on Chandryaan-3

Popular Posts

  • Write A Letter To Your Friend Congratulating Him On His Success In The Examination Q. Write A Letter To Your Friend Congratulating Him On His Success In The Examination. Ans : RZH-333, Street-9  Bangalore Road  Mysore - 570...
  • Write An Application To The Principal For Fee Concession Q. Write An Application To The Principal For Fee Concession. Ans :  Letter Writing To  The Principal  Adarsh School  Dwarka Sec - 7  Delhi :...
  • Write A Letter To Your Friend Inviting Him To Spend Summer Vacation With You Q. Write A Letter To Your Friend Inviting Him To Spend Summer Vacation With You. Examination Hall Palika Road, Delhi 17th May...
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध - Essay on International Yoga Day In Hindi - 21st June Essay on International Yoga Day In Hindi (300 Words) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को पुरे विश्व मे...
  • Essay on Dr. APJ Abdul Kalam In 300 Words Essay on Dr. APJ Abdul Kalam In English | 300 Words Father of India Missile Programmed Dr. A.P.J Abdul Kalam is the 11 th president of...
  • How To Write An Application to The Principal For Sick Leave  (How To Write An Application To The Principal For Sick Leave) To  The Principal  Delhi Convent School  Subject : Application...
  • दो दिन की छुट्टी / अवकाश के लिए प्रधानाचार्य जी को आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र - Write An Application To The Principal For Leave Two Days Question :  Write An Application To The Principal For Leave Two Days दो दिन की छुट्टी / अवकाश के लिए प्रधानाचार्य जी को आवेदन पत्र या ...
  • स्कूल छोड़ने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थनापत्र - Write An Application To The Principal For School Leaving Certificate In Hindi Question :   Write An Application To The Principal For School Leaving Certificate प्रश्न :   स्कूल छोड़ने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थ...
  • Fee Installment के लिए आवेदन - Application For Fee Installment In School In Hindi Fee Installment के लिए आवेदन |  Application For Fee Installment In School In Hindi दिनांक :- सेवा में प्रधानाचार्य / प्रधानाचा...
  • Write An Application To The Principal For A School Picnic Q. Write An Application To The Principal For A Picnic Q. Application to the principal to arrange for school picnic Q. Application for Per...
  • - Road Accident Report Writing
  • - Fire Accident Report Writing
  • - Kerala Flood Report Writing
  • - Pulwama Attack Report Writing
  • - Blood Donation Camp Report Writing
  • - Lost Wrist Watch Notice Writing
  • - Lost Water Bottle Notice Writing
  • - Lost Pencil Box Notice Writing
  • - Fancy Dress Competition Notice Writing
  • - Sick Leave Application
  • - School Leaving Certificate
  • - For Scholarship
  • - Fee Concession
  • - Congratulation Letter (Exam)
  • - Application for Picnic
  • English-Essay (120)
  • Hindi-Essay (120)
  • 10-Lines-English (31)
  • 10-Lines-Hindi (31)
  • English-Festival-Essay (25)
  • Hindi-Festival-Essay (25)
  • Hindi-Speech (19)
  • Hindi-Letter (18)
  • 10-Lines-Speech (15)
  • English-Speech (14)
  • English-Letter (13)
  • Freedom-Fighter-Hindi-Essay (13)
  • Freedom-Fighter-Essay (12)
  • 10-Lines-Hindi-Speech (8)
  • 10-lines-hindi-essay (8)
  • 10-Lines-Essay (5)
  • English-Notice (5)
  • English-Report (5)
  • 10-Lines-Domestic-Animal (4)
  • 10-Lines-Historical-Monuments (2)
  • 10-Lines-Wild-Animal (2)
  • Freshers-Interview (2)
  • Experienced-Interview (1)

Site Information

  • Privacy Policy

Contact Form

Total pageviews.

भारत में आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम |_0.1

भारत में आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम

Featured Image

भारत में, आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह एक ऐसा कानून है जो विशेष रूप से सिख विवाहों से संबंधित विवाह समारोहों और कानूनी पहलुओं को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम सिख विवाहों को कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था, जिससे सिख जोड़ों को अपने धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार अपने विवाह को संपन्न करने की अनुमति मिलती है, जबकि यह सुनिश्चित होता है कि विवाह कानूनी रूप से वैध हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

Sikhs to have own law for registering marriages – Anand Karaj Act – Sikh Sangat News

  • आनंद विवाह अधिनियम 1909 में भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान लागू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य मौजूदा हिंदू विवाह कानूनों के तहत अपने विवाह की वैधता के बारे में सिख समुदाय द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित करना था।

कानूनी मान्यता:

  • यह अधिनियम सिख विवाहों को कानूनी मान्यता प्रदान करता है, उन्हें कानून के तहत मान्य करता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि कानूनी विवाह के ढांचे के भीतर सिख जोड़ों के अधिकार और जिम्मेदारियां सुरक्षित हैं।

औपचारिक पहलू:

  • अधिनियम आनंद कारज समारोह को पारंपरिक सिख विवाह अनुष्ठान के रूप में मान्यता देता है।
  • यह आनंद कारज में शामिल धार्मिक रीति-रिवाजों, प्रार्थनाओं और भजनों को विवाह के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार करता है।
  • अधिनियम समारोह के बाद एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर सिख विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य करता है।
  • पंजीकरण विवाह का कानूनी प्रमाण प्रदान करता है और विवाह प्रमाण पत्र जैसे कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  • यह अधिनियम सिख कानून के तहत शादी करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए पात्रता मानदंड की रूपरेखा तैयार करता है।
  • यह निर्दिष्ट करता है कि सिख धार्मिक परिभाषाओं के अनुसार दोनों पक्षों को सिख होना चाहिए।

सहमति और आयु आवश्यकताएँ:

  • अधिनियम वैध विवाह के लिए दोनों पक्षों की सहमति के महत्व पर जोर देता है।
  • यह भारतीय कानूनों के अनुरूप, विवाह के लिए न्यूनतम आयु आवश्यकताओं को निर्धारित करता है।

विवाह अधिकारी:

  • अधिनियम सिख धार्मिक नेताओं (ग्रंथी) को सिख विवाह संपन्न कराने के लिए अधिकृत विवाह अधिकारी के रूप में नामित करता है।
  • यह सिविल अधिकारियों को सिख विवाहों के लिए विवाह रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करने की भी अनुमति देता है।

कानूनी निहितार्थ:

  • यह अधिनियम विरासत, तलाक, गुजारा भत्ता और सिख विवाह के अन्य कानूनी पहलुओं से संबंधित मुद्दों को नियंत्रित करता है।
  • यह सिख जोड़ों को कानूनी सुरक्षा उपाय और अधिकार प्रदान करता है जो अन्य व्यक्तिगत कानूनों के तहत शादी करने वाले व्यक्तियों को प्राप्त होते हैं।

संशोधन और विवाद:

  • वर्षों से, उभरते सामाजिक मानदंडों और चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संभावित संशोधनों के बारे में चर्चा होती रही है।
  • अंतरधार्मिक विवाह और अधिनियम के तहत पात्रता मानदंड के संबंध में कुछ विवाद सामने आए हैं।

सांस्कृतिक महत्व:

  • यह अधिनियम सिख समुदाय के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह उनकी विशिष्ट विवाह परंपराओं और प्रथाओं को कायम रखता है।
  • यह देश के कानूनी ढांचे के भीतर सिख पहचान और मूल्यों को संरक्षित करने के प्रयासों को दर्शाता है।

Find More Miscellaneous News Here

Granting of Geographical Indication (GI) Tag to Matti Banana Variety of Kanniyakumari District_110.1

क्या है आनंद विवाह एक्ट?

सिख धर्म में शादी करने के लिए मान्यता के अनुसार ‘आनंद’ की रस्म निभाई जाती है. इस रस्म को सिख धर्म के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी ने शुरू किया गया था. गुरु अमरदास जी ने ही 40 छंद लंबी बानी आनंदु की रचना की थी. इसे धार्मिक महत्व के सभी अवसरों और विवाह समारोहों के दौरान गाया जाता है. आनंद मैरिज एक्ट को सरकार ने भी अलग कानून बनाकर मान्यता दी है.

  • Anand Marriage Act in India
  • Sikh Marriage Act in India

Recent Posts

Important exams, our other websites.

  • Teachers Adda
  • Bankers Adda
  • Adda Punjab
  • Current Affairs
  • Engineers Adda
  • Adda School
  • Defence Adda

भारत में आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम |_6.1

Download Adda247 App

google store

Follow us on

youtube

  • Responsible Disclosure Program
  • Cancellation & Refunds
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy

"Advertisement"

सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Essay On Sikkim In Hindi | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary

सिक्किम पर निबंध हिंदी में

Essay On Sikkim In Hindi | सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary

नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में “ Essay On Sikkim In Hindi | सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary “, हम एक निबंध के रूप में सिक्किम के बारे में सब कुछ विस्तार से पढ़ेंगे। तो चलिए…

शुरू करते हैं

Introduction of Sikkim | सिक्किम का परिचय

सिक्किम उत्तर-पूर्वी भारत में स्थित एक पहाड़ी राज्य है। और सिक्किम भारत का दूसरा सबसे कम आबादी वाला राज्य भी है।

अंग्रेजी, गोरखा खास भाषा, लेप्चा, भूटिया, लिंबू और हिंदी सिक्किम की आधिकारिक भाषा है।

हिंदू और वज्रयान बौद्ध धर्म सिक्किम के प्रमुख धर्म हैं। गंगटोक सिक्किम की राजधानी होने के साथ-साथ सबसे बड़ा शहर भी है।

विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत श्रंखला कंचनजंगा भी सिक्किम में ही स्थित है।

सिक्किम भारत का 22वां राज्य है। आजकल सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग हैं। और सिक्किम की जनसंख्या 610,577 है। सिक्किम का क्षेत्रफल 7096 किलोमीटर वर्ग है।

History of Sikkim | सिक्किम का इतिहास

सिक्किम 1642 में अस्तित्व में आया, जब फुंटसॉन्ग नामग्याल को सिक्किम का पहला चोग्याल (राजा) घोषित किया गया। नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षुओं ने राजा घोषित किया था।

इस तरह सिक्किम में राजशाही शुरू हुई। जिसके बाद नामग्याल वंश ने 333 वर्षों तक सिक्किम पर शासन किया। और भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

इसके बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में विभिन्न रियासतों को भारत में मिला दिया गया।

इसी कड़ी में, 1975 में सिक्किम में एक जनमत संग्रह भी हुआ था। जनमत संग्रह में 97.5% लोगों ने भारत के पक्ष में थे।

जिसके बाद सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने के लिए संविधान संशोधन विधेयक 23 अप्रैल 1975 को लोकसभा में पेश किया गया।

इसे उसी दिन 299-11 मतों से पारित कर दिया गया। और राज्यसभा में 26 अप्रैल को बिल पास हो गया और 15 मई 1975 को जैसे ही राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए, नामग्याल वंश का शासन समाप्त हो गया।

Essay on Art, Culture, Festival, and Rituals of Partnering State

Essay On Sikkim In English | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary

Essay On Varanasi In English | Banaras Essay In English {Step by Step}

Geography Of Sikkim | सिक्किम का भूगोल | (सिक्किम पर निबंध हिंदी में)

सिक्किम भारत के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित एक पहाड़ी राज्य है। यह भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है।

सिक्किम की सीमा उत्तर और पूर्वोत्तर में तिब्बत से, दक्षिण-पूर्व में भूटान से, दक्षिण में भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल और पश्चिम में नेपाल से लगती है। राज्य के दक्षिणपूर्वी भाग में राजधानी गंगटोक है।

सिक्किम की रक्षा देवी मानी जाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता का परिचय देती है, सिक्किम विश्व के 18 प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जहां पूर्ण जैव विविधता है।

Culture Of Sikkim |  सिक्किम की संस्कृति

सिक्किम मुख्य रूप से भूटिया, लेप्चा और नेपाली समुदायों द्वारा बसा हुआ है।

माघी संक्रांति, दुर्गापूजा, लक्ष्मी पूजा, और चैत्र दसाई / राम नवमी, दसाई, सोनम लोसुंग, नामसोंग, तेंडोंग हेलो रम फाट (तेंदोंग पर्वत की पूजा), लोसार (तिब्बती नव वर्ष) राज्य के प्रमुख त्योहार हैं। अन्य त्योहारों में साकेवा (राय), सोनम लोचर (गुरुंग), बरहीमज़ोंग (मगर), आदि शामिल हैं।

Costumes Of Sikkim | सिक्किम की वेशभूषा

सिक्किम की वेशभूषा लेप्चा, भूटिया और नेपाली जैसे प्रमुख समुदायों की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन शैली को दर्शाती है।

लेपचा, भूटिया और नेपाल के तीन समुदाय अलग-अलग वेशभूषा पहनते हैं जो राज्य में पाई जाने वाली विविधता को और बढ़ाते हैं।

सिक्किम की प्रमुख वेशभूषा में बाखू/खो, चुबा और घो हैं।

Folk Dance Of Sikkim | सिक्किम का लोक नृत्य

सिक्किम के प्रमुख नृत्यों में छू फट नृत्य, सिंघई चाम या स्नो लायन नृत्य, याक चाम, डेन्जोंग नेन्हा, ताशी यांगकू नृत्य, खुखुरी नृत्य, छुटकी नृत्य, मारुनी नृत्य आदि शामिल हैं।

Essay On Aatma Nirbhar Bharat Swatantra Bharat In 1000+ Words

हिंदी दिवस पर निबंध | Hindi Diwas par Nibandh | राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस पर निबंध

Food Of Sikkim | सिक्किम का भोजन | (सिक्किम पर निबंध हिंदी में)

चावल एक मुख्य भोजन है, और सिक्किम में किण्वित भोजन पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण है, जिसमें विभिन्न प्रकार के नेपाली व्यंजन परोसे जाते हैं, जैसे कि नेवा और ठकली व्यंजन। तिब्बती भोजन ने सिक्किम के व्यंजनों को भी प्रभावित किया है।

Source Of Livelihood Of Sikkim People’s | सिक्किम के लोगों की आजीविका का स्रोत

सिक्किम में, 64% से अधिक आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। सिक्किम में कृषि योग्य भूमि लगभग 1,09,000 हेक्टेयर है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 15.36 प्रतिशत है।

मक्का, चावल, गेहूं, आलू, बड़ी इलायची, अदरक और संतरा यहां की प्रमुख फसलें हैं। सिक्किम देश में बड़ी इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक है। अदरक, आलू, संतरा और गैर-मौसमी सब्जियां अन्य नकदी फसलें हैं।

यद्यपि औद्योगिक रूप से सिक्किम को एक पिछड़ा राज्य घोषित किया गया है, कई सदियों पहले यहां कारीगर आधारित पारंपरिक सिक्किम कुटीर उद्योग रहे हैं।

Transportation Of Sikkim | सिक्किम का परिवहन

Roads of sikkim | सिक्किम की सड़कें.

सिक्किम की राजधानी गंगटोक सड़क मार्ग से दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी और सिक्किम के सभी जिला मुख्यालयों से जुड़ी हुई है।

राष्ट्रीय राजमार्गों सहित राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 41000 किमी 2,933.49 किमी है। इसमें से 873.43 किमी सड़कों का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया गया है।

Railways And Aviation Of Sikkim | सिक्किम का रेलवे और उड्डयन

राज्य के निकटतम रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी (113 किमी) और न्यू जलपाईगुड़ी (125 किमी) जहां से कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी, लखनऊ और देश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों की यात्रा की जा सकती है। सिक्किम में कोई हवाई अड्डा नहीं है। गंगटोक और बागडोगरा के बीच हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान की जाती है।

Famous Tourist place of Sikkim | सिक्किम का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

सिक्किम भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जहां चोटियों, पवित्र झीलों, प्राचीन मठों, आर्किड नर्सरी, और आश्चर्यजनक ट्रेकिंग मार्ग सिक्किम को एक आदर्श छुट्टी स्थान बनाते हैं।

सिक्किम के प्रमुख दर्शनीय स्थल गंगटोक , मंगन, युमथांग घाटी, लाचेन गांव, गुरुडोंगमार लाके आदि हैं।

Best Time To Visit In Sikkim | सिक्किम में घूमने का सबसे अच्छा समय

अप्रैल और मई के महीनों में सिक्किम राज्य की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है। सिक्किम राज्यों में सर्दियों में चार महीने बर्फ पड़ती है और मानसून के दौरान भूस्खलन की संभावना होती है। इसलिए गर्मियों का मौसम बहुत ही सुहावना और घूमने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

Conclusion | निष्कर्ष |(सिक्किम पर निबंध हिंदी में)

सिक्किम राज्य देश के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। सिक्किम अपनी प्राकृतिक सुंदरता से सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है। सिक्किम के बर्फ से ढके पहाड़ और प्राकृतिक रूप से बहते झरने बेहद खूबसूरत नजारे देखने लायक हैं।

Thanks For Reading “ Essay On Sikkim In Hindi | सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary “.

If any doubts related to “ Essay On Sikkim In Hindi | सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary”, so please comment.

Essay On A Picture Is Worth A Thousand Words {Step by Step Guide}

Essay On Life Story Of Guru Tegh Bahadur Ji In 500+ Words

1 thought on “सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Essay On Sikkim In Hindi | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary”

It was really too nice You have exited us to go there again

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

IMAGES

  1. Essay on Sikhism In Hindi

    sikh essay in hindi

  2. सिख गुरु की बलिदानी परंपरा पर निबंध (Sikh Guru Ki Balidani Parampara

    sikh essay in hindi

  3. सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi

    sikh essay in hindi

  4. Guru Gobind Singh History In Hindi

    sikh essay in hindi

  5. Diwali Sikh History In Hindi

    sikh essay in hindi

  6. Ardas in Hindi Text

    sikh essay in hindi

VIDEO

  1. Guru Gobind Singh Jayanti 2024 Quiz in English

  2. essay likhna tu bhi Sikh lo guys kaam aayega

  3. नदी किनारे एक शाम वर्णनात्मक निबंध हिंदी में

  4. Essay writing sikh raha hu dosto#instagram #reels #cars #gearify #explore #funnyimages

  5. शिक्षा निबंध • education essay writing in hindi • how to write essay

  6. Shyam Ki Maa

COMMENTS

  1. सिख धर्म का इतिहास

    सिख धर्म का कालक्रम. 15 अप्रैल 1469 को ननकाना साहिब में गुरु नानक का जन्म । परम्परा के अनुसार, गुर नानक को सिख धर्म का संस्थापक माना जाता ...

  2. सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi

    सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi - Sikh Dharm. "इक ओंकार सतनाम करता पुरख. निर्मोह निर्वैर अकाल मूरत. अजूनी सभम।". अर्थात ईश्वर एक है, उसका नाम ही ...

  3. सिख धर्म

    सिख अपने पंथ को गुरुमत (गुरु का मार्ग- The Way of the Guru) कहते हैं। सिख परंपरा के अनुसार, सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक (1469-1539) द्वारा की गई थी और बाद ...

  4. सिख धर्म पर निबंध Essay on Sikhism in Hindi

    सिख धर्म के इतिहास पर निबंध (Essay on history of sikhism In Hindi) सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक थे. इन्हें सिख धर्म का प्रथम गुरु माना जाता हैं.

  5. सिख धर्म

    सिख धर्म. सिख धर्म ( खालसा या सिखमत; पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) 15वीं सदी में जिसकी शुरुआत गुरु नानक देव जी ने की थी। सिखों के धार्मिक ग्रन्थ श्री आदि ...

  6. सिक्ख धर्म का इतिहास और जानकारी

    Please Note : - Sikhism History & Story In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे Comment Box मे करे। Sikhism Essay & Facts ...

  7. सिख धर्म का सम्पूर्ण इतिहास और व्यापक जानकारी

    सिख धर्म का संक्षिप्त इतिहास और व्यापक जानकारी - History of Sikhism in Hindi. सिख धर्म के लोग गुरुनानक देव के अनुयायी हैं. गुरुनानक देव का कालखंड 1469-1539 ...

  8. सिख धर्म एवं इसका पूरा इतिहास क्या है

    सिख धर्म क्या है - What is Sikh religion in hindi. सिख धर्म दुनिया का सबसे निराला एवं सेवारूपी धर्म है जोकि केवल एक रब (ईश्वर, भगवान, अलाह आदि) में विस्वास ...

  9. सिख

    सिख धर्म दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा धर्म है। यह दुनिया के सबसे युवा धर्मों में से एक है क्योंकि इसकी स्थापना 1500 सीई के आसपास उत्तरी ...

  10. Sikho Ke 10 Guru

    सिख धर्म के दसवें व अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी (Guru Govind Singh Ji In Hindi) का जन्म 5 जनवरी 1666 ईसवीं में बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। इनके पिता ...

  11. सिख धर्म (Sikhism)

    By vashi Topic. सिख धर्म (Sikhism) के संस्थापक गुरु नानक देव थे। उन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग के पंजाब में इस धर्म की ...

  12. Essay on Sikhism In Hindi

    👉 Website & PDF: https://www.silentcourse.com/2023/06/essay-on-sikhism-in-hindi.html👇 Playlist: Religion Essay (Hindi) https://www.youtube.com/playlist...

  13. सिक्ख धर्म पर निबंध

    सिक्ख धर्म पर निबंध | sikh dharm par nibandh in hindi | Essay on sikh dharm in hindi | sikh dharm par nibandh | 10 lines essay on sikh dharm | निबंध ...

  14. Sikhism & History of Sikh Gurus [UPSC Notes]

    Guru Nanak (1469 - 1539) He is the first Sikh Guru. He is the founder of Sikhism. Guru Angad Dev (1504 - 1552) He is the second Sikh Guru. Guru Angad compiled the compositions of Guru Nanak, to which he added his own in a new script known as Gurmukhi. Gurmukhi became the sole medium for the sacred writings of the Sikhs.

  15. सिख गुरु की बलिदानी परंपरा पर निबंध (Sikh Guru Ki Balidani Parampara

    आज हम सिख गुरु की बलिदानी परंपरा पर निबंध (Sikh Guru Ki Balidani Parampara Essay In Hindi) लिखेंगे। यह निबंध kids और class 1, 2, 3,

  16. Sikhism

    Sikhism is a religion and philosophy founded in the Punjab region of the Indian subcontinent in the late 15th century. Its members are known as Sikhs. According to Sikh tradition, Sikhism was established by Guru Nanak (1469-1539) and subsequently led by a succession of nine other Gurus.

  17. गुरु गोबिन्द सिंह

    गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म: पौषशुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 22 दिसम्बर 1666- 7 अक्टूबर 1708 ) सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। श्री गुरू तेग बहादुर जी के ...

  18. 10 Ways That Sikhism Differs From Hinduism

    10 Ways That Sikhism Differs From Hinduism 1. Origin . Sikhism originated in Punjab, in what is now Pakistan, circa 1469 with the birth of Guru Nanak, and is based on the guru's writings and teachings.; Hinduism can be traced as far back as 10,000 B.C. and is considered to be one of the earliest religions practiced by civilized man. Aryan invaders introduced the religion to the Sindhu River of ...

  19. सिक्ख गुरुओं के नाम 10 Sikh Gurus Names In Hindi And English

    10 Sikh Gurus Names In Hindi And English. सिख समाज में अब तक 10 गुरु हुए है। सिख समाज के प्रथम गुरु गुरु नानक ने सिख समाज की स्थापना की थी।

  20. Essay on Sikhism In Hindi

    write Essay on Sikhism In Hindi | Sikhism History | Sikhism Essay In Hindi (400 Words) सिख धर्म पर निबंध। सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव ने की थी।

  21. गुरु नानक

    लंगर · खंडे बाटे की पाहुल. नानक ( पंजाबी :ਨਾਨਕ) (कार्तिक पूर्णिमा 1469 - 22 सितंबर 1539) सिखों के प्रथम (आदि ) गुरु हैं [ 1] इनके अनुयायी इन्हें नानक ...

  22. भारत में आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम

    भारत में, आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह एक ऐसा कानून है जो विशेष रूप से सिख विवाहों से संबंधित विवाह ...

  23. सिक्किम पर निबंध हिंदी में

    If any doubts related to "Essay On Sikkim In Hindi | सिक्किम पर निबंध हिंदी में | Art & Culture | Tourism | Religion | Summary", so please comment. Also Read: Essay On A Picture Is Worth A Thousand Words {Step by Step Guide} Essay On Life Story Of Guru Tegh Bahadur Ji In 500+ Words