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Creative Writing in Hindi – रचनात्मक लेखन क्या है और कोर्स

Tomy Jackson

आप सभी ने कभी न कभी व्यक्तिगत निबंध, कविताएं, कहानियां, लघु कथाएं आदि पढ़े होंगे । इन्हें लिखने के लिए तथ्यों नहीं बल्कि भावनाओं की आवश्यकता पड़ती है इसलिए इन्हें Creative Writing की श्रेणी में रखा जाता है । रचनात्मक लेखन का उद्देश्य मानवीय अनुभव और मनोरंजन दोनों को साझा करना है । इस आर्टिकल में इसी विषय पर मैं विस्तारपूर्वक आपको जानकारी दूंगा ।

आर्टिकल में आपको निम्नलिखित विषयों पर जानकारी दी जायेगी:

  • Creative Writing क्या है ?
  • रचनात्मक लेखन के प्रकार
  • क्रिएटिव राइटिंग कैसे करें ?
  • क्रिएटिव राइटिंग के विषय
  • रचनात्मक लेखन कोर्स

आर्टिकल के अंत में मैं आपको इसका एक मुफ्त कोर्स भी दूंगा जिसे आप आसानी से कर सकेंगे और इस फील्ड में अपना कैरियर भी बना सकेंगे । इसलिए आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ें और पसंद आए तो शेयर करें ।

Creative Writing क्या होता है ?

Creative Writing को हिंदी में रचनात्मक लेखन भी कहा जाता है, लेखन का एक प्रकार है । इसमें मजबूत लिखित दृश्यों के माध्यम से कहानी कहने के लिए कल्पना, रचनात्मकता और नवीनता का उपयोग किया जाता है । कथा, कहानी, गाने, व्यक्तिगत निबंध आदि क्रिएटिव राइटिंग के अंतर्गत ही आते हैं ।

क्रिएटिव राइटिंग content writing से पूरी तरह अलग होता है । जहां क्रिएटिव राइटिंग यानि रचनात्मक लेखन के मुख्य उद्देश्य भावनाओं को व्यक्त करने, विचारों को उत्तेजित करने और मनोरंजन प्रदान करने का होता है तो वहीं कंटेंट राइटिंग का उद्देश्य जानकारी प्रदान करने और संभावित ग्राहक को आकर्षित करने के लिए होता है ।

जब हम सामग्री लेखन की बात करते हैं तो इसकी प्रवृत्ति commercial होती है यानि कि किसी बिजनेस की बिक्री को बढ़ाने हेतु लेखन । लेकिन रचनात्मक लेखन का उद्देश्य मनोरंजन करना और लोगों के विचारों को उत्तेजित करने का है । इस तरह आप Difference Between Creative Writing And Content Writing समझ गए होंगे । ज्यादा जानकारी के लिए आर्टिकल पढ़ें:

  • Content Writing की पूरी जानकारी

Types of Creative Writing in Hindi

Types of Creative Writing की बात करें तो इसमें कविताएं, उपन्यास, कहानियां, गाने, व्यक्तिगत निबंध आदि आते हैं । मैं आपको एक एक करके सभी के उदाहरण विस्तार से समझाऊंगा ।

जब रचनात्मक लेखन के बात आती है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में कविताएं ही आती हैं । मानव भावनाओं को व्यक्त करने के साथ ही उत्तेजित करने के लिए कविताएं सर्वोत्तम होती हैं । कविताएं कल्पनाशील लेखन का भी सर्वोत्तम उदाहरण हैं । इन्हें लिखते समय कवि/कवियित्री भावनात्मक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ।

इसके कुछ उदाहरण हैं:

  • मधुशाला: हरिवंश राय बच्चन
  • कारवां गुजर गया: गोपालदास नीरज
  • सरोज स्मृति: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

Creative Writing के अंतर्गत उपन्यास भी आता है जिसमें एक कहानी की कई घटनाएं, पात्र होते हैं । एक उपन्यास में तरह तरह के भाव होते हैं जो पाठकों का मनोरंजन करने और उनके भावों को उत्तेजित करते हैं । गद्य रचनाओं की शुरुआत निबंध से हुई थी, इसके बाद कहानियां और फिर उपन्यास । ये सभी रचनात्मक लेखन के बेहतरीन उदाहरण हैं ।

इसके कुछ उदाहरण:

  • गुनाहों का देवता: धर्मवीर भारती
  • गोदान: मुंशी प्रेमचंद
  • राग दरबारी: श्रीलाल शुक्ल

आधुनिक लघुकथा यानि short story की शुरुआत 19वीं शताब्दी से हुआ । कई विद्वानों का यह मानना है कि टोकरी भर मिट्टी पहली हिंदी लघुकथा थी । जब रचनात्मक लेखन की बात आती है तो लघुकथा का नाम अवश्य आता है । बेहद ही कम शब्दों में बड़ी बातें कह जाने का दम खान लघुकथाओं में होता है ।

लघुकथा के कुछ उदाहरण हैं:

  • अंधे की लालटेन / लेव तोल्सतोय
  • अघोरी का मोह / जयशंकर प्रसाद
  • गलियां / चंद्रधर शर्मा गुलेरी

निबंध कई प्रकार के होते हैं इसलिए आप सभी निबंधों को क्रिएटिव राइटिंग के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं कर सकते हैं । लेकिन व्यक्तिगत निबंध, विवरणात्मक निबंध और प्रेरक निबन्ध को आप रचनात्मक लेखन के अंतर्गत रख सकते हैं । हालांकि ज्यादातर निबंध एक पैटर्न का अनुसरण करते हुए लिखे जाते हैं, तथ्यों और साक्ष्यों का तालमेल भी बिठाया जाता है ।

ऐसे निबंध बिल्कुल भी creative writing के अंतर्गत नहीं आयेंगे । इसके कुछ उदाहरण हैं:

  • मेरी जीवन यात्रा
  • रिश्तों पर मेरी राय
  • समन्वय और सामंजस्य का परस्पर संबंध

नाटक देखने और सुनने पर व्यक्ति को रसानुभूति यानि आनंद की प्राप्ति होती है । नाटक में रस और अभिनय के समन्वय से चमत्कार प्रकट किया जाता है जिसे सुनने और देखने, दोनों में आनंद की प्राप्ति होती है । भावनाओं को उत्तेजित करने और विचारों को जन्म देने के लिए नाटक लिखे जाते हैं और फिर उन्हें अभिनय के माध्यम से मूर्तरूप दिया जाता है । इससे जुड़ा आर्टिकल:

  • Listening Skills कैसे बेहतर करें ?

इस तरह नाटक भी creative writing के ही अंतर्गत आता है । नाटक के कुछ उदाहरण हैं:

  • अंदर नगरी: भारतेंदु हरिश्चंद्र
  • अंधा युग: धर्मवीर भारती
  • बकरी: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

इस तरह मुख्य रूप से रचनात्मक लेखन के 5 प्रकार होते हैं । आपने न सिर्फ क्रिएटिव राइटिंग के प्रकार के बारे में जाना बल्कि creative writing examples in Hindi की जानकारी भी मैंने दे दी है ।

Creative Writing कैसे करें ?

अब आप अच्छे से समझ चुके हैं कि creative writing kya hai ? अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं और इसमें अपना भविष्य देखते हैं तो नीचे दिए Tips जरूर फॉलो करें । अगर आप रचनात्मक लेखन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो सबसे पहले आपकी रुचि इस फील्ड में होनी चाहिए । यानि कि आपको कहानियों, कविताओं को पढ़ने से प्रेम होना चाहिए ।

1. ज्यादा से ज्यादा पढ़ें

क्रिएटिव राइटिंग के लिए जरूरी है कि आप खूब पढ़ें । आप जिस भी भाषा में रचनात्मक लेखन की शुरुआत करना चाहते हैं, उस भाषा के साहित्य को ज्यादा से ज्यादा पढ़ें । लगभग हर विषय पर आपको कहानियां, कविताएं, उपन्यास, निबंध, नाटक इत्यादि मिल जायेंगे । जब आप ज्यादा से ज्यादा पढ़ेंगे तो आपको यह पता चल पाएगा कि आपकी रुचि किस क्षेत्र में है ।

इसके साथ ही महान कवियों और लेखिकाओं को पढ़कर आपके मन में नए विचार उत्पन्न होंगे, लिखने के तरीके और शिल्प शैली आदि के बारे में पता चलेगा । आप किसी भी बड़े लेखक की आत्मकथा या इंटरव्यू उठा कर देख पढ़ लीजिए, उन्होंने हमेशा ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की सलाह दी है । जब तक आप एक अच्छे पाठक नहीं बन जाते, एक अच्छा लेखन बनना नामुमकिन है ।

2. अपने पाठकों को समझें

Creative Writing के लिए जरूरी है कि आप अपने पाठकों को भी समझें । आपके पाठक क्या चाहते हैं और आप क्या लिखने में सर्वश्रेष्ठ हैं, सबसे पहले यह समझना जरुरी है । आप बच्चों के लिए लिखना चाहते हैं या adults के लिए, आप महिलाओं के लिए लिखना चाहते हैं या सिर्फ दलित समाज पर यह सबकुछ आप पर और आपके पाठकों पर निर्भर करता है ।

One size fits all लेखन के क्षेत्र में सही ढंग से नहीं बैठता । शायद कुछेक ऐसी रचनाएं होंगी जिन्हें सब देखना या पढ़ना पसंद करते होंगे ।

3. लिखने का अभ्यास करें

कहते हैं कि करत करत अभ्यास के करत अभ्यास के जङमति होत सुजान यानि कि निरंतर अभ्यास से एक मूर्ख भी विद्वान बन सकता है । किसी भी क्षेत्र में अभ्यास बहुत ही ज्यादा जरूरी होती है । Creative writing के क्षेत्र में आप जितना लिखने का अभ्यास करते जायेंगे, आप उतना ही बेहतर बनते जायेंगे । एक ही बार में बेताज बादशाह बनने की उम्मीद अगर आप लेकर चलते हैं तो आप निराश ही होंगे ।

आपको रोज लिख लिखकर अभ्यास करना चाहिए और समय समय पर feedback भी लेते रहना चाहिए । आज के समय में आपके पास Facebook, Twitter, Instagram सब कुछ है । आप अपनी रचनाओं को ऑनलाइन पब्लिश करके लोगों से प्रतिक्रिया जरूर लें । इससे आप हर दिन improve होते जायेंगे । इससे संबंधित जानकारी:

  • Feedback क्या होता है ?
  • Proofreading क्या होता है ?
  • Copywriting क्या है ?
  • Technical Writing क्या है ?
  • Skill Development क्या है ?
  • Field of study क्या है ?

4. संवाद रोचक बनाना जरूरी है

उपन्यास और कहानी लेखन में संवाद जोड़ना महत्वपूर्ण होता है । किसी भी कहानी या उपन्यास में संवाद लेखन पूरी रचना को रोचक बना देता है । आपको बड़े ही ध्यान से संवादों को जोड़ना चाहिए और संवाद लेखन में कभी भी बहुत ही कठिन शब्दों का प्रयोग करने से बचें । संवाद को रोचक बनाने के लिए आसान शब्दों का उपयोग बहुत जरूरी है ।

संवादों में आप अलंकारों, मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं । हर वक्ता के संवाद के बाद आपको पैराग्राफ भी बदल देना चाहिए जिससे कि पाठकों को पढ़ने में आसानी रहे । सही संवाद चुनना और फिर लिखना आसान बात नहीं है लेकिन अभ्यास करते करते आप संवाद लेखन में बेहतर बन जायेंगे ।

5. लेखन समुदाय से जुड़े

Creative Writing में बेहतर बनने के लिए अपने जैसे लोगों से जुड़ना महत्वपूर्ण है । आपको फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर कई ऐसी online writing communities/workshop मिल जायेंगे जिनसे जुड़कर आप काफी कुछ सिख सकते हैं । आप उनसे जब interact करेंगे तो न सिर्फ आपको काफी कुछ सीखने को मिलेगा बल्कि आपके कंटेंट की सही फीडबैक भी मिलेगी ।

कुछ Facebook और Blogs की जानकारी मैं आपको नीचे दे रहा हूं जिनसे आप जुड़कर काफी कुछ सिख सकते हैं ।

  • Write & Beyond Group
  • Writing in India (WII)
  • The Write Life Community

Creative Writing in Hindi Topics

अगर आप रचनात्मक लेखन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं तो नीचे दिए creative writing in Hindi topics पर लिख सकते हैं । आपके पास हजारों लाखों ऐसे विषय हैं जिनपर आप लिख सकते हैं । किसी ने पहले ही किसी विषय पर लिख दिया है यह बिल्कुल जरूरी नहीं होता है । आप बस unique लिखें ।

1. कक्षा 1 से 5 तक के लिए

  • मेरे सपनों का घर
  • दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी
  • मेरा परिवार
  • मेरे प्रिय शिक्षक
  • मेरा सबसे बुरा अनुभव
  • मेरा सबसे अच्छा अनुभव
  • मेरा सबसे बड़ा डर

2. कक्षा 5 से 12 तक के लिए

  • भारतीय राजनीति
  • बनारस: एक सत्य
  • समाज और संस्कृति
  • जाति और धर्म
  • स्त्री विमर्श की कहानी
  • बेरोजगारी पर नाटक लेखन

Creative Writing in Hindi course

अगर आप क्रिएटिव राइटिंग में इच्छुक हैं तो इसका कोर्स जरूर करें । कोर्स के माध्यम से आप व्याहारिक रूप से इसके बारे में विस्तार से समझ सकेंगे । नीचे दिए गए Creative Writing in Hindi course में ऐप enroll कर सकते हैं:

  • Futurelearn
  • Coursera Creative Writing Specialization

अगर आप क्रिएटिव राइटिंग जानते हैं तो इसमें अपना कैरियर घर बैठे भी शुरू कर सकते हैं । आप अपनी खुद की एक वेबसाइट बनाकर क्रिएटिव राइटिंग सेवा ऑनलाइन दे सकते हैं । WordPress की मदद से आप आसानी से अपनी वेबसाइट बना सकते हैं और इसके लिए कोडिंग की जानकारी जरूरी नहीं है । आपको सबसे पहले Bluehost से होस्टिंग खरीदनी चाहिए जिसके साथ एक domain name मुफ्त में मिलता है ।

इसके बाद आप बिना किसी technical knowledge के वर्डप्रेस पर अपनी वेबसाइट बनाकर घर बैठे पैसे कमा सकते हैं । ब्लूहॉस्ट Limited Time Offer का अभी फायदा उठाएं और बेहद ही कम दाम में अपनी वेबसाइट की शुरुआत करें ।

Creative Writing in Hindi के इस आर्टिकल में आपने जाना कि रचनात्मक लेखन क्या है, इसके प्रकार, फायदे, उदाहरण सहित अन्य जरूरी जानकारियां भी मैने आपको दी हैं । अंत में आपको मैंने क्रिएटिव राइटिंग कोर्स भी दिया है जिसे आप करके इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं ।

अगर आपके मन में कोई प्रश्न है जिसका उत्तर आर्टिकल में न दिया गया हो तो कॉमेंट करके पूछ सकते हैं । आपको आर्टिकल कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताएं । आर्टिकल पसंद आया हो तो शेयर करना न भूलें ।

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I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

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Very excellent tips about creative writing in Hindi

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I want to join this work group what I do

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Search for them on various social media platforms like Facebook, Telegram, Instagram and Twitter. You’ll easily find them on these platforms and join.

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Creative Writing का अभ्यास करने के 5 तरीके

विषय - सूची

Creative Writing क्या है ?

शब्दकोश निम्नलिखित परिभाषा देता है: “creative writing – कविता, उपन्यास, नाटक, ब्लॉगिंग , संस्मरण, या जीवनी जैसे साहित्यिक कार्यों को लिखने की कला है।

अजीब लगता है, है ना? कविताएँ और उपन्यास लिखिए? ऐसा लगता है कि यह आपके लिए नहीं है?

लेकिन रुकें। creative writing को परिभाषित करने की कोशिश करने के बजाय, इसके बारे में क्यों नहीं सोचा कि रचनात्मक होने का क्या मतलब है? जब हम रचनात्मक होते हैं, तो हम केवल वर्तमान जानकारी से अधिक करते हैं। हम अपनी कल्पना का उपयोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए करते हैं, मूल चीजें बनाते हैं या नए तरीकों से मौजूदा विचारों का उपयोग करते हैं।

अब यह सिर्फ कविता और उपन्यासों की तुलना में बहुत अधिक कवर करता है, है ना? और आप सही हैं। यहां 8 कारण बताए गए हैं कि आपको creative writing में क्यों रुचि होनी चाहिए:

इससे आप अपने अनुभव को साझा कर सकते हैं।

हर लेखक इस तथ्य से शुरू नहीं हुआ कि वह लेखक बनना चाहता था। कई प्रसिद्ध लेखकों ने creative writing की ओर रुख किया जब उन्हें पता चला कि यह उनकी कहानियों को बताने का सबसे अच्छा तरीका है। दूसरों ने इसे अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने या अपने विचारों और / या ज्ञान को फैलाने के लिए एक तरीके के रूप में लिया।

क्लेयर डीआ पोलैंडा सिंड्रोम के साथ पैदा हुआ था, जिसका मतलब था कि उसके बाएं स्तन का विकास नहीं हुआ था। वह 28 साल तक किसी को इस बारे में बताने के लिए खुद को नहीं ला सकी। उनकी किताब, द गॉडेस ऑफ़ वन ब्रेस्ट, एक प्रक्रिया का हिस्सा थी जिसने उन्हें शर्म से उबरने और उनकी सुंदरता की सराहना करने में मदद की। अपनी कहानी साझा करके, उसने दूसरों को अपनी सच्ची इच्छा व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

जॉन ईकफ ने एक ब्लॉग लिखना शुरू किया, जिसमें उन्होंने विभिन्न अवसरों पर अपने विचारों को साझा किया, साथ ही साथ ईसाई चर्च के जीवन की कहानियाँ भी उन्होंने भाग लिया। कुछ समय बाद, ऑनलाइन संसाधन आत्म-विकास और व्यक्तिगत प्रभावशीलता के क्षेत्र में बेस्टसेलर का आधार बन गया।

ऐसी कई कहानियां हैं। लोगों ने सिर्फ अपने अनुभव और विचार साझा किए, और कुछ बिंदु पर यह कुछ और में बदल गया। अपने जीवन के इतिहास, अपनी रुचियों और ज्ञान के बारे में सोचें। क्या आप साझा करना चाहते हैं?

यह यादों और अनुभवों को रखने में मदद करता है।

Creative writing यह है कि आप इस दुनिया को कैसे समझते हैं और देखते हैं। यह शब्दों की मदद से क्या हो रहा है, यह फोटो खींचने का एक तरीका है। यह भविष्य के लिए अनुभवी भावनाओं को संरक्षित करने का एक तरीका है। और जितना अधिक समय तक उनका रखरखाव किया जाता है, उतना ही सुखद होता है कि वे उनके पास लौट आएं।

एक डायरी या ब्लॉग रखने का मतलब यह नहीं है कि आपको एक विस्तृत दैनिक रिपोर्ट लिखनी चाहिए। आप जैसे चाहें चुनिंदा हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अपने जीवन में एक नए अनुभव या नए परिचितों या सिर्फ कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन करें। यह एक नए तरीके से घटना पर पुनर्विचार करने का एक अच्छा तरीका है – अधिक आराम और संरचित। इसके अलावा, आप अपनी यादों को उन घटनाओं को रिकॉर्ड कर सकते हैं जिन्होंने आपका जीवन बदल दिया है, जैसे कि शादी करना, बच्चे पैदा करना या किसी नए शहर में जाना।

यह व्यक्तिगत विकास के लिए एक अच्छा tool है।

डायरी creative writing के सबसे पुराने और सबसे सामान्य रूपों में से एक है। यह हमें हमारे सबसे गहरे डर, सबसे बड़ी इच्छाओं और सबसे गहरी शर्म का पता लगाने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता और एकांत देता है। मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक अक्सर और विभिन्न रूपों में अपने काम में डायरी का उपयोग करते हैं। यह रोगियों को चोटों से बचने और कठिन क्षणों का सामना करने में मदद करता है।

Creative writing जीवन के अन्य क्षेत्रों में व्यक्तिगत विकास के लिए एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है। उदाहरण के लिए, यह आपकी ताकत और कमजोरियों को जानने का एक अच्छा तरीका है। प्रत्येक महत्वपूर्ण घटना के बाद, अपने पेशेवरों और विपक्षों को लिखें। यह एक प्रस्तुति, एक साक्षात्कार या एक परीक्षा हो सकती है। आपने क्या अच्छा किया है, इस पर और क्या काम करने की जरूरत है? और आगे आने वाले निष्कर्षों और विशिष्ट चरणों का वर्णन करना सुनिश्चित करें। लेखन में चिंतन आपके मस्तिष्क को हर चीज को छांटने का कारण बनता है, जिसके बारे में सोचकर सिर्फ हासिल करना हमेशा संभव नहीं होता है।

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यह आपकी भाषा में सुधार कर सकता है।

क्योंकि creative writing अन्य प्रकार के लेखन से बहुत अलग है, यह भाषा की हमारी समझ को बढ़ाता है और हमें इसे नए तरीकों से उपयोग करने के लिए मजबूर करता है। यह विदेशी भाषा सीखने पर भी लागू होता है।

कहानियां लिखना, चाहे वास्तविक हो या काल्पनिक, अपनी नई भाषा का अभ्यास करने का एक शानदार तरीका है। आप सक्रिय रूप से शब्दावली का उपयोग करते हैं, इसे विस्तारित करते हैं और वाक्य बनाने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। जब आप ऐसे लेख निबंध या व्यावसायिक पत्र के रूप में लिखते हैं, तो आप आमतौर पर अधिक कठोर संरचना में काम करते हैं। अक्सर केवल याद किए गए क्लिच का उपयोग करें।

Creative writing से तात्पर्य है आपकी वास्तविक भावनाओं, भावनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति। आप खुद को अभिव्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। आप गलतियों में भी स्वतंत्र हैं। यह बाधा को दूर करने और नई पटरियों पर मस्तिष्क के काम को निर्देशित करने में मदद करता है। यदि आप प्रतिक्रिया प्राप्त करते हैं तो प्रशिक्षण तेज और अधिक कुशल होगा। किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढें जो कामों को पढ़ेगा और रचनात्मक आलोचना प्रदान करेगा। वैकल्पिक रूप से, अपने ट्यूटर से संपर्क करें।

यह एक महान Intellectual Training है।

कुछ लोग क्रॉसवर्ड पहेली या सुडोकू को हल करते हैं। या शतरंज खेलते हैं। creative writing भी एक जटिल बौद्धिक गतिविधि है जिसमें सभी प्रकार की सोच की भागीदारी की आवश्यकता होती है: विश्लेषणात्मक और रचनात्मक दोनों। तार्किक विसंगतियों को साजिश, चरित्रों को ढूंढना और समाप्त करना – यह सब आपके मस्तिष्क के लिए एक उत्कृष्ट प्रशिक्षण है। जबकि बिल्कुल मुफ्त।

इसके लिए कहानियां होना जरूरी नहीं है। आप कविता, रचनात्मक गैर-कल्पना या स्टैंड-अप अधिक लिखना पसंद कर सकते हैं। मुख्य बात मज़े करना है।

Creative writing सभी के लिए उपयुक्त है। आप किसी भी शैली और जटिलता के किसी भी स्तर का चयन कर सकते हैं। यदि आप पाठ के साथ काम करते हैं, तो यह सूखी सूचना शैली को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। यदि आप भाषाओं का अध्ययन करते हैं, तो आपको अपने कौशल में सुधार करने के लिए एक उत्कृष्ट अभ्यास मिलेगा।

Creative writing आपको अनुभवों और छापों को साझा करने की अनुमति देता है, और कभी-कभी साहित्य की दुनिया में कूदने के लिए एक लॉन्चिंग पैड भी बन जाता है। यह न केवल यादों और छापों को संग्रहीत करने, बल्कि उन्हें पुनर्जीवित करने, हमारे विकास पर काम करने और जागरूकता की स्थिति बनाए रखने का एक तरीका है। अंत में, यह आपके मस्तिष्क को अच्छे आकार में रखने के लिए एक अच्छा बौद्धिक प्रशिक्षण है।

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3 thoughts on “Creative Writing का अभ्यास करने के 5 तरीके”

नमस्कार,मै आपसे जुड़ना चाहता हूं।आपने जो जानकारी दी वह अच्छी लगी मै भी ब्लागलिखने में रुचि रखता हू।आप मेरा मार्गदर्शन करे कि में क्या करू।

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m bhi likhne ki shokin hu likhna chahti hu mujhe jankari de m ye kam kaise start kr skti hu

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लेखन कौशल (Writing Skill) क्या है और इसका महत्व क्या है?

लेखन कौशल क्या है

आप भी अपनी Writing Skills को बेहतर करना चाहते है तो आज का लेख आपके बहुत काम आएगा। आज के लेख में हम आपको लेखन कौशल (Writing Skills) क्या होती है? लेखन कौशल में कैसे सुधार करें? लेखन कौशल का क्या महत्व है? के बारे में जानकारी देंगे।

Table of Contents

लेखन कौशल क्या है : What is Writing Skills in Hindi

एक लेखक अच्छी Writing Skills के जरिए अपनी बात को लोगो को आसानी से समझा सकते हैं। अच्छे लेखन के लिए अच्छे विचार होने चाहिए, जिस विषय पर लिख रहे है उसकी अच्छी जानकारी होनी चाहिए। आपके मन में एक सवाल और आ रहा होगा की आखिर Writing Skills का क्या फायदा है। Writing Skills के महत्व के बारे में आप नीचे लेख में पढ़िए।

लेखन कौशल का विकास कैसे करें : How to Develop Writing Skills in Hindi

लेखन कौशल क्या है

व्याकरण सीखिए :

अच्छे लेखन के लिए व्याकरण का सीखना जरूरी है। व्याकरण सीखने से आपको लेखन को समझने में आसानी होगी। व्याकरण में पूर्ण विराम चिन्ह, अल्प विराम चिन्ह, अर्द्ध, उप विराम चिन्ह, प्रश्नवाचक चिन्ह, विस्मयादिबोधक चिन्ह, उद्धरण चिन्ह, योजक चिन्ह आदि का कहां और किस प्रकार उपयोग करना है ये आप सिख जायेंगे।

  • व्याकरण सीखने के लिए आप ऑनलाइन फ्री कोर्स कर सकते हैं।
  • आप व्याकरण की किताब खरीद कर भी व्याकरण को सिख सकतें हैं।

विचार करें :

Writing Skills को विकसित करने के लिए आपको पहले विचार करना होगा। आप जिस विषय पर लिखने जा रहे हैं पहले उस विषय पर विचार करें कि आप अपने शब्दो से उसे किस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं।

विषयों पर अपने विचार प्रकट करें और उन्हे लिखें। फिर विचार करें फिर लिखें ऐसा करने से आपकी विचार क्षमता मजबूत होगी और कुछ समय बाद आप आसानी से किसी भी विषय पर विचार करके लेखन कर सकतें हैं।

लेखन कौशल में सुधार कैसे करें : How to Improve Writing Skills in Hindi 

लेखन कौशल क्या है

Writing Skills में सुधार करने के लिए आपको थोड़ा समय लग सकता है। रोजाना अभ्यास करके आप इसे आसानी से सुधार सकते हैं और एक प्रभावी लेखक बन सकते हैं।

लेखन कौशल को सुधारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स :

  • रूपरेखा बनाने से सरंचना को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। अनुभाग में क्या व्यक्त करना है रूपरेखा बनाने से आपको स्पष्ट होता है।
  • सरल और सुंदर भाषा का उपयोग करें ज्यादा जटिल शब्दों का इस्तेमाल ना करें। 

आपकी राइटिंग स्किल्स ना केवल आपके व्यतिगत विकास में मदद करेगा बल्कि आपके लेखों को ब्लॉग और सोशल मीडिया पर भी प्रभावी बनाने में आपकी सहायता करेगा। आपकी राइटिंग स्किल्स में सुधार आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी सहायता करेगा।

लेखन कौशल के तत्व : Elements of Writing Skills in Hindi 

लेखन कौशल के तत्व का ध्यान रखना Writing Skills के लिए बहुत जरूरी है। आपको तत्वों को ध्यान में रखकर ही लेखन करना होगा। नीचे लेखन कौशल के तत्वों के बारे में बताया गया है :

राइटिंग स्किल्स तत्वों में सबसे पहले शब्द भेद तत्व आता है हैं जिसमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और विकारी शब्द आते हैं। आपको इन सभी का सही ज्ञान होना जरूरी है तभी आप प्रभावी लेखन कर पाएंगे। 

जब आप संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और विकारी शब्दो का सही जगह उपयोग करना सिख जाते है तब आप एक अच्छा लेखन कर सकते हैं। चलिए जानते है इन चारो तत्वों के बारे में :

वाक्य सरंचना :

वाक्यों का सही रूप में सरंचना करना भी बहुत जरूरी है बिना सही वाक्य सरंचना के आप अच्छा लेखन नही कर सकते। वाक्यों को सरंचित करते वक्त आपको ध्यान रखना है की व्याकरण संबंधित गलतियां ना हो।

वाक्य गलतियां :

लेखन करते समय वाक्यों के गलतियां होना एक आम बात है लेकिन लेखन कौशल सीखते समय आपको अपने वाक्य संबंधित गलतियां पर ध्यान देना होगा और उन्हे सही करना होगा। 

वाक्यों में गलतियां कई तरीके से होती है जैसे सही जगह कर प्रशन चिन्ह, पूर्ण विराम और अल्प विराम आदि का उपयोग ना करना। 

अगर आप एक छात्र है तो आपको अपने लेखन पर ध्यान देना होगा रोजाना पढ़ना होगा और रोजाना लिखने का अभ्यास करना होगा। और अगर आप ऑनलाइन गूगल Docs पर लिख रहें है तो वहां पर आप अपनी गलतियों को जान सकतें है और सही कर सकते हैं।

विषय क्रिया :

विषय क्रिया Writing Skills का आखरी तत्व है यह किसी भी वाक्य में विषय के अनुसार क्रिया का ऐसा प्रयोग जिस से वाक्य के विषय और क्रिया में सही तालमेल हो विषय क्रिया अनुबंध नियम कहलाता है। 

क्रियाओं के एकवचन रूपों को जानकर फिर उन्हें आवश्यकता अनुसार वाक्यों से मिलकर आप वाक्यों को सरल बना सकतें हैं। वाक्य सरंचना के समय विषय क्रिया अनुबंध नियम को ध्यान में रखना जरूरी है।

लेखन कौशल क्या है

Writing Skills Books

हमने नीचे कुछ अच्छी किताबों के बारे में बताया है जिन्हे पढ़कर आप अपनी राइटिंग स्किल्स में सुधार कर सकतें है। इन किताबों में अच्छे लेखन के बारे में और भी जानकारी दी हुई है किताब देखने के लिए उसके नाम पर क्लिक करें।

Writing Skills कहां से सीखें 

नॉर्मल Writing Skills को सीखने के लिए आप ऊपर बताए गए उपायों को अपना सकते हैं और निरंतर अभ्यास करके सीख सकते हैं। अगर आप कही राइटर की जॉब करना चाहते है या प्रोफेशनल राइटर बनना चाहते है तब आपको राइटिंग स्किल्स कोर्स करने की आवश्यकता होगी। 

हमनें नीचे कुछ अच्छे प्लेटफार्म की जानकारी दी है जहां से आप घर बैठे ऑनलाइन Writing Skills Course कर सकते हैं और सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर सकतें हैं। 

आज के लेख में हमनें लेखन कौशल क्या है, लेखन कौशल का महत्व क्या है, लेखन कौशल में विकास और सुधार कैसे करें, लेखन कौशल के तत्व और Best Writing Skills Books के बारे में जाना। उम्मीद करता हूं आज के लेख से आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा।

कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से अपनी राय आवश्य दें और अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करें जिससे उनकी भी मदद हो सके। लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।

यह स्किल्स   भी पढ़े   : Speaking Skills क्या होती है। इसे कैसे इंप्रूव करें?

meaning of creative writing in hindi

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What is Creativity in Hindi | रचनात्मकता क्या है?

Table of Contents

What is Creativity in Hindi 

 रचनात्मकता क्या है .

Creativity  (credit – aetea)

What is Creativity in Hindi

रचनात्मक कैसे बना जा सकता हैं  (how to be a creative creator).

जैसे जब किसी ने पहिये वाले बैग का निर्माण किया होगा तो वह सबसे पहले अपने माइंड में सोचा होगा की कुछ ऐसा कैसे किया जाये जिससे ज्यादा वजन बैग को सर पर ना लेकर जाना पड़ें। 

BAG

रचनात्मकता के फायदें  (Benefits of Creativity) 

  • रचनात्मक बनने से बहुत से फायदें होते हैं। 
  • जब आप एक रचनात्मक व्यक्ति होते हैं तो आप एक प्रॉब्ल्र्म सॉल्वर भी होते है।  
  • रचनात्मकता हमारे अंदर ख़ुशी का माहौल पैदा करता है।  
  • हम हर दिन कुछ नया बनाते हैं और जिससे हमारा और दुसरो का जीवन आसान होता हैं। 
  • रचनात्मक होने से हमारे माइंड में गंदे थॉट्स और चिंता के विचार नहीं आते हैं। 
  • हम अपने रचनात्मक माइंड से प्रॉब्लम को साल्व्ड करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं और ऐसे ही बहुत से फायदें हैं और रचनात्मक बनना बहुत मुश्किल काम नहीं हैं। 
Creativity is all about Questioning Mindset.

हेलो दोस्तों मुझे आशा है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया होगा की रचनात्मकता क्या होती है और हम कैसे रचनात्मक बन सकते हैं और रचनात्मकता के क्या फायदे होते हैं। तो अगर आपको यह पोस्ट अच्छा और इन्फोर्मटिव लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। और अगर इस पोस्ट से रिलेटेड आपका कोई सुझाव या सलाह है तो आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।

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Usha Chhabra

Creative Writing in Hindi

meaning of creative writing in hindi

Creative expression through writing requires one to organise their thoughts and present them in a way that is clear, precise, and exciting to read. Due to a lack of exposure to good Hindi literature, most people in India struggle with creative writing in Hindi. If you are a parent who wants to help improve your child’s writing capabilities or an adult trying to hone your writing skills, this course is for you. The Hindi language expands one’s horizons and has a wide reach in India and beyond. 

This course uses prompts, which can be situations, newspaper articles, images, films, poems, and stories in Hindi. Students are trained in story structure and are encouraged to use better vocabulary.  Through this course, students are given a boost after which they can continue discovering their own journey of creative writing.

Age Group:   8 yrs. and above

Group Size:   Individual

My son has been taking Hindi classes from Usha ma’am since a year. There has been a significant improvement in his overall Hindi expression and grammatical accuracy. Her interactive and innovative ways of teaching make her classes very engaging and enjoyable. Thank you ma’am for all your efforts.

-Gunjan Kapadia Chatterjee

My experience with Usha ma’am has been absolutely great. She understood the problem that my child was facing,  and started working on it. Within days, my child’s confidence in Hindi speaking went up.  She makes learning fun and enjoyable. She uses pictures and small stories to encourage vocabulary of the child.  She is encouraging towards the child and doesn’t criticize. I am extra happy with her style of teaching.

-Dr. Anisha Seth Gupta

Usha ma’am is an exceptional teacher. The creative writing course helped me learn about the proper approach towards writing stories, how we can bring the essence of our five senses into our writing, and, very importantly, building empathy with the subject. Ma’am also helped me understand the value of research before we move into writing. I highly recommend Usha ma’am’s creative writing course to anyone who wishes to learn the art of writing beautiful stories and poems.

-Lohit Malik, author, Bachchon Ki Safari

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  • Creative Meaning in Hindi: क्यों जरुरी है Creativity जिंदगी में
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Creativity Meaning in Hindi for Creative People

Creativity Meaning in Hindi for Creative People

Meaning of Creative in Hindi क्रिएटिविटी का अर्थ

Creative एक Adjective भी है और Noun भी। Adjective के रूप में Creative के हिंदी में अर्थ (Meaning) इस प्रकार हैं – रचनात्मक, मौलिक (Original), काल्पनिक (Imaginative), प्रेरित (Inspired), सृजनशील (Artistic), सृजनात्मक (Inventive), साधनपूर्ण (Resourceful), प्रवीण (Ingenious), नवाचार में कुशल (Innovative), सृजन करने की शक्ति वाला या उत्पादक (Productive)।

Noun के रूप में Creative का अर्थ है – एक रचनात्मक व्यक्ति, विचार या वस्तु।

Creative इंसान किसे कहते हैं, इसकी एक सरल परिभाषा यहाँ दी जा रही है –

“A Creative Person is one who uses his skills, ability and imagination to produce something new or a work of art. Creative People thinks about problems and ideas in a new way.”

“एक रचनात्मक इन्सान वह है जो अपने कौशल, योग्यता और कल्पना का उपयोग किसी नयी चीज का सृजन करने या कला के काम में करता है। रचनात्मक लोग समस्याओं और विचारों के बारे में बिल्कुल नये तरीके से सोचते हैं।”

Definition of Creativity in Hindi परिभाषा

Creativity का वास्तविक अर्थ क्या है इस पर लगभग 100 से भी ज्यादा परिभाषाएं दी गयी हैं, पर उनमे से जो सर्वश्रेष्ठ हैं उन्हें चुनकर हम यहाँ दे रहे हैं –

“Creativity is the process which makes a person capable to think freely and enables him to form something new and somehow valuable. In other words, Creativity is the act of turning new and imaginative ideas into reality. The created item may be intangible (such as an idea, a scientific theory, a musical composition or a joke) or an original physical object (such as an invention, a literary work or a painting).”

“रचनात्मकता व्यक्ति को स्वतंत्र चिंतन कर सकने में समर्थ बनाने वाली और उसे किसी नई और उपयोगी वस्तु का सृजन करने में सक्षम बनाने वाली प्रक्रिया है। दूसरे शब्दों में कहें तो Creativity नये और कल्पनाशील विचारों (युक्तियों) को वास्तविकता में बदलने का प्रक्रम है। निर्मित वस्तु या तो अमूर्त हो सकती है, जैसे कोई विचार, वैज्ञानिक सिद्धांत आदि या फिर यह एक मौलिक भौतिक वस्तु हो सकती है, जैसे – कोई आविष्कार या फिर कला का कोई कार्य।”

Robert E. Franken, Human Motivation में Creativity की परिभाषा इस प्रकार से देते हैं –

“Creativity is defined as the tendency to generate or recognize ideas, alternatives, or possibilities that may be useful in solving problems, communicating with others, and entertaining ourselves and others.”

“रचनात्मकता विचारों, विकल्पों या संभावनाओं को उत्पन्न करने और पहचानने, की उस प्रवृत्ति के रूप में परिभाषित की जाती है जो समस्याओं के समाधान, दूसरों के साथ वार्तालाप करने, और स्वयं के तथा दूसरों के मन को बहलाने में उपयोगी हो सकती है।”

वास्तव में रचनात्मकता विचारशैली का ही एक असाधारण स्वरुप है और यह प्रतिभाशाली लोगों का एक अत्यावश्यक सदगुण है। नार्मन पोधोरेत्ज़ के शब्दों में Creativity कुछ इस तरह है –

“Creativity represents a miraculous coming together of the uninhibited energy of the child with its apparent opposite and enemy, the sense of order imposed on the disciplined adult intelligence.”

“रचनात्मकता बच्चे की स्वतंत्र उर्जा और इसके बिल्कुल विपरीत और शत्रु, अनुशासित व्यस्क बुद्धिमत्ता पर थोपी गयी समझदारी के आश्चर्यजनक रूप से साथ-साथ होने को प्रदर्शित करती है।”

What is Creativity in Hindi रचनात्मकता क्या है

रचनात्मकता में दो प्रक्रियाएँ शामिल हैं – पहला एक विशिष्ट ढंग से सोचना और फिर उस विचार को सत्य के अधिकाधिक समीप ले जाने में पूरे उत्साह के साथ जुट पड़ना। यदि आपके पास विचार हैं, पर न तो वह मौलिक हैं और न ही आप उन विचारों पर कार्य करते हैं, तो आप कल्पनाशील तो हो सकते हैं, लेकिन रचनात्मक नहीं। रचनात्मकता संसार को नये तरीकों से अनुभव कर सकने की क्षमता से आंकी जाती है।

उस सामर्थ्य से पहचानी जाती है जो प्रकृति में छुपे रहस्यों को खोज सकने में समर्थ है। Creativity बिल्कुल अलग दिखने वाली घटनाओं में सम्बन्ध बनाने और समाधान उत्पन्न करने की दक्षता है। केवल सोचना या करना ही रचनात्मकता की पहचान नहीं है। यह व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का एक विशिष्ट स्वरुप है।

सामान्य बुद्धि केवल कुछ सुनिश्चित नियमों के दायरे में रहकर ही विचार प्रक्रिया में संलग्न होती है। साधारण लोगों का चिंतन, निर्णय प्रक्रिया, विचारशैली, सब कुछ व्यक्तिगत जानकारी और अनुभव के सीमित क्षेत्र में ही होता है जो किसी भी प्रकार की मौलिकता से रहित और दूसरों के अनुभव और विचारों की छाप लिये होते है।

इसके उलट रचनात्मक बुद्धि किसी भी कार्य को करने का नया रास्ता खोजती है, उसमे तय और ज्ञात प्रक्रिया से हटकर चलने का साहस होता है। किसी परिस्थिति को नई दृष्टि से देखने का और उससे कुछ अलग परिणाम पैदा करने का कौशल होता है। कई लोगों को लगता होगा कि Creativity और Innovation दोनों एक ही चीज है, क्योंकि दोनों ही का संबंध मौलिकता और कल्पना से है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।

थियोडोर लेविट ने इसे बेहद सरलता से इस प्रकार से स्पष्ट किया है –

“Creativity is thinking up new things. Innovation is doing new things.”

“रचनात्मकता नई चीज़ों के बारे में सोचना है। नवीनता नई चीज़ों को करना है।”

How to Be Creative in Hindi रचनात्मक कैसे बनें

कई लोग महसूस करते हैं कि उनके अन्दर Creative Ability (रचनात्मक क्षमता) या तो ना के बराबर है या फिर बहुत कम। यहाँ तक कि वह लोग जो Creative Field में काम करते हैं, भी कभी-कभी ऐसा मान बैठते हैं। लेकिन Creativity कोई दैवीय उपहार (Divine Gift) नहीं है, बल्कि यह ज्ञान का एक नये और रोचक ढंग से दक्षतापूर्वक प्रयोग है।

सच तो यह है कि Creativity किसी भी उम्र में और अनुभव के किसी भी स्तर पर अर्जित की जा सकती है और निखारी जा सकती है। जब कभी आप कोई नयी जानकारी हासिल करते हैं या फिर कोई नया काम करते हैं तो फुर्सत के पलों में, या संसार के कोलाहल से दूर होने पर आपका अवचेतन मन (Unconscious Mind) उस सूचना को एक मौलिक और आश्चर्यजनक तरीके से विश्लेषित करना शुरू कर देता है।

संसार में आज तक जितने भी आविष्कार हुए हैं वह सब Creative लोगों की Creativity की बदौलत ही हो पाये हैं। यहाँ तक कि हमारा खान-पान भी Creative Approach से अछूता नहीं रह सका है। उदाहरण के लिये अधिकतर मिठाइयाँ दूध से ही बनती हैं जो पशुओं से प्राप्त होने वाला एक सामान्य भोज्य पदार्थ है। लेकिन Creative Mindset के बल पर इसे न जाने किस-किस तरह से प्रयोग करते हुए तरह-तरह की मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं।

एक शोध के अनुसार हम नैसर्गिक रूप से रचनात्मक होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं अपनी इस क्षमता को खो देते हैं। लेकिन Creativity ऐसी Quality है जिसे विकसित किया जा सकता है और वह प्रक्रिया है जिसका प्रबंध किया जा सकता है। Threshold Theory के अनुसार Creativity के लिये बुद्धिमानी (Intelligence) अनिवार्य है।

लेकिन यह रचनात्मक होने की एकमात्र शर्त नहीं है, अगर आप सामान्य बुद्धि वाले हैं तब भी रचनात्मक हो सकते हैं। Interference Theory तो बहुत ज्यादा बुद्धिमानी (Extremely High Intelligence) को रचनात्मक क्षमता (Creative Ability) की बाधा मानती है।

Personality of Creative People in Hindi रचनात्मक लोगों का व्यक्तित्व

मिहली सिक्सजेंटमिहली (Mihaly Csikszentmihalyi) अपनी पुस्तक क्रिएटिविटी (Creativity – Flow and the Psychology of Discovery and Invention) में Creative लोगों के व्यक्तित्व की विशेषताओं के बारे में लिखते हैं जो इस प्रकार हैं –

1. Creative लोगों में बहुत उर्जा होती है, लेकिन फिर भी वह अक्सर शांत और स्थिरचित्त ही रहते हैं।

2. Creative लोग आमतौर पर स्मार्ट दिखते हैं, पर उसी समय वे सरल भी होते हैं।

3. Creative लोगों में अनुशासन और चपलता, या जिम्मेदारी और लापरवाही का अनोखा संगम होता है।

4. Creative लोग एक ओर तो कल्पना और व्यर्थ की झक के बीच में झूलते रहते हैं, तो दूसरी ओर उनमे वास्तविकता की समझ भी गहराई तक समाहित रहती है।

5. Creative लोग एक ही समय में असाधारण रूप से विनम्र और गर्वीले होते हैं।

6. Creative लोग आम तौर पर स्वतंत्र और विद्रोही स्वभाव के समझे जाते हैं।

7. ज्यादातर Creative लोग अपने काम के बारे में बहुत जुनूनी होते हैं, पर इसके साथ-साथ वे इसके बारे में बहुत उदासीन भी हो सकते हैं।

8. Creative लोगों की स्पष्टता और संवेदनशीलता अक्सर उन्हें कष्ट सहने पर मजबूर कर देती हैं पर वह बहुत आनंदित भी महसूस कर सकते हैं।

Creativity is Indispensable Part of Great People’s Life

जरा कुछ समय के लिये इन महान लोगों पर ध्यान केन्द्रित कीजिये और सोचिये इनमे अन्य लोगों की अपेक्षा क्या विशेषताएँ अधिक थी जो ये आज भी हमारी यादों में जीवित हैं और लाखों-करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं –

1. स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, मदन मोहन मालवीय, अरविन्द घोष, जॉर्ज वाशिंगटन, लेनिन और विनोबा भावे जैसे समाज सुधारक और राष्ट्र निर्माता।

2. पिकासो, मोजार्ट, माइकल एंजेलो, रविंद्रनाथ टैगोर और जगदीश चन्द्र बोस जैसे कलाकार और अन्वेषक।

3. हेनरी फोर्ड, एंड्रू कार्नेगी , थॉमस एडीसन, जमशेत जी टाटा, सुजुकी और घनश्यामदास बिडला जैसे धनकुबेर।

ये सभी लोग अन्य व्यक्तियों की ही तरह शिक्षित, बुद्धिमान और परिश्रमी थे। समय और संसाधन भी इनके पास उतने ही थे जितने दूसरे किसी अन्य को मिल सकते थे। फिर भी ये इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। अपने चुने गये क्षेत्र में इन्होने जो कार्य किये हैं, श्रेष्ठता के जो मापदंड स्थापित किये हैं, उन्हें मील का पत्थर कहा जा सकता है। इन व्यक्तियों ने अपनी मौलिक विशेषताओं के बल पर लीक से हटकर काम किया।

जिसके कारण न केवल वे अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहे, बल्कि उनके इन प्रयासों की संपूर्ण विश्व ने सराहना भी की। वे आगे बढे, एक जहाज की तरह अनेकों लोगों को साथ लेकर चले, और एक प्रकाश-स्तम्भ की तरह आज भी न जाने कितनों को राह दिखा रहे हैं। वे ऐसा कर पाये, क्योंकि इन लोगों ने ढर्रे की जिंदगी जीना कभी स्वीकार नहीं किया।

अपने समवयस्क दूसरे शिक्षितों और बुद्धिमान व्यक्तियों की भेडचाल का अनुसरण करने के बजाय उन्होंने एक स्वतंत्र, चुनौतीपूर्ण और खतरों से भरे अनिश्चित मार्ग पर चलना ज्यादा श्रेयस्कर समझा, क्योंकि उनका उद्देश्य व्यक्तिगत उत्थान की अपेक्षा सामाजिक परिवर्तन अधिक था। इनमे प्रचंड इच्छाशक्ति की उर्जा थी, ध्येय के प्रति अटूट निष्ठा और समर्पण की भावना थी, और इसके साथ-साथ उनमे प्रगाढ़ आत्मीयता और अदभुत रचनात्मकता भी थी।

इस प्रेरक कहानी में पढिये कैसे उदारता ने दो इंसानों का ही नहीं, बल्कि दो देशों का भविष्य बदल दिया – A Real Life Inspirational Story in Hindi

Importance of Creativity in Hindi रचनात्मकता का महत्व

निच्केरसन (R. S. Nickerson) ने Enhancing Creativity में Creativity की कई Techniques का सार दिया है जिनके लाभ इस प्रकार है –

1. यह Basic Skills का निर्माण करती है।

2. नियंत्रण और स्वयं से प्रतिस्पर्धा करना सिखाती है।

3. चुनाव और खोज के लिये अवसर मुहैया कराती है।

4. प्रोत्साहित होने में मदद करती है, विशेषकर आन्तरिक प्रोत्साहन।

5. विश्वास बढाती है और खतरा उठाने की इच्छा जागती है।

6. स्व-प्रबंधन (Metacognitive Skills) को विकसित करती हैं।

7. विशिष्ट-विषय संबंधी ज्ञान की प्राप्ति के लिये उत्साह बढाती है।

8. उद्देश्य और अभिप्राय को स्थापित करती है।

9. संतुलन प्रदान करती है।

इस विस्तृत लेख में जानिये आखिर क्या अर्थ है Personality का – Personality Meaning in Hindi

महान लोगों के जीवन का अनिवार्य अंग है रचनात्मकता

जीवन में आगे बढ़ने के लिये, एक संतोषप्रद सफलता पाने के लिये कई गुणों की आवश्यकता होती है। पर यदि कोई विशिष्ट कार्य करना हो और अपने क्षेत्र में शिखर तक पहुंचना हो, तो एक गुण की जरुरत दूसरों की तुलना में कुछ ज्यादा ही पड़ती है और वह गुण है – रचनात्मकता यानि Creativity.

अगर आप भी जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं और अपने अपूर्व विचारों, सोच और कल्पना से संसार में परिवर्तन लाना चाहते हैं तो एक Creative इन्सान बनिये। Creativity के महत्व को देखते हुए बस यही कहा जा सकता है कि –

“Creativity and originality are more important than technical skills.”

“रचनात्मकता और मौलिकता तकनीकी योग्यताओं से कहीं ज्यादा बढ़कर हैं।”

ध्यान रखिये, रचनात्मकता सफलता की चाबी है और बच्चों में रचनात्मकता की एक चिंगारी पैदा करना शिक्षा के मूलभूत उद्देश्यों में से एक है। यह न केवल उन्हें सामान्य लोगों की भीड़ से अलग करती है, बल्कि उन्हें उनके क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनने में सक्षम बनाती है। IBM की 2010 की Global CEO Study रिपोर्ट में भी यही तथ्य सामने आया है कि Creativity भविष्य में कामयाबी के लिये सबसे महत्वपूर्ण कारक बनने जा रही है।

Creative Approach की जिंदगी में इतनी अहमियत को देखते हुए ही शायद महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है – “दिवास्वप्न का उपहार मेरे लिये सकारात्मक ज्ञान को आत्मसात करने की प्रतिभा की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण रहा है।”

जानिये क्या हैं Soft Skills और क्यों दिन-प्रतिदिन Corporate World में इनकी Demand बढती जा रही है – Soft Skills in Hindi क्या है सॉफ्ट स्किल्स

Comments: आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव देकर हमें यह बताने का कष्ट करें कि जीवनसूत्र को और भी ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जा सकता है? आपके सुझाव इस वेबसाईट को और भी अधिक उद्देश्यपूर्ण और सफल बनाने में सहायक होंगे। एक उज्जवल भविष्य और सुखमय जीवन की शुभकामनाओं के साथ!

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  • The University of North Carolina has a full chart of all the Devanagari letters available at https://taj.oasis.unc.edu/Hindi.Less.25/wrtingsys.htm . Another chart with the letters divided into pronunciation groups is available at https://www.omniglot.com/writing/devanagari.htm .
  • Practice a small group of 5 or 6 letters for a few minutes each day. When you can write those letters automatically, move on to the next group of letters. Remember to go back and review the letters periodically so you don't forget what you've learned.

Step 2 Start with short vowels.

  • The strokes that you make are important. Doing them correctly and in order will make it easier when you start connecting letters together to write words. Your letter chart may outline the strokes to be made, or you can search online for other sources that give you the correct ordering of the strokes for each letter.
  • The horizontal line at the top of each letter is always the last stroke to finish the letter. When you practice, try to keep the letters close to the same size, so this line is always at roughly the same height.

Step 3 Extend short vowel letters to make long vowels.

  • For example, अ is a short a , which has a sound similar to the a in the English word "about." Add another vertical line after the first to make a long a , आ. This vowel has a sound similar to the a in the English word "father."

Step 4 Practice dependent and independent forms of vowels.

  • All consonants are attached to a short a , unless specified otherwise. Therefore, the short a , or अ, does not have a matra , or dependent form.
  • Each vowel's matra is 1 or 2 strokes appended to the consonant the vowel is attached to. For example, the matra for a long a is ा (with the circle showing where the consonant should go). A long a attached to the letter sa would look like this: सा.

Step 5 Learn consonants after you've mastered vowels.

  • You might also practice the consonant with the different vowel matras, so you know how to write these syllables. Since Hindi is a phonetic language, this will help you when you start reading and writing words.

Step 6 Use a script tutor to improve your writing.

  • The script tutor available at https://www.hindibhasha.com/ is recommended by many university language departments for learning Devanagari script.

Creating Short Words

Step 1 Form your letters along a

  • For some letters, such as the short a , the line isn't over the entire letter. Keep this in mind when you're connecting multiple letters together. [9] X Research source

Step 2 Start with some of the most common words in Hindi.

  • For example, a Hindi word most people are familiar with is "namaste." This greeting, written in the Devanagari script, is नमस्ते.
  • Writing polite words and phrases is also important. For example, if you wanted to say "thank you" in a letter, you would write धन्यवाद.

Step 3 Use a children's song to learn parts of the body.

  • You can find the words and script on many language learning websites. For example, many of the words for parts of the body included in the song are available at https://blogs.transparent.com/hindi/hindi-vocabulary-for-body-parts/ . You can also use a Hindi-English dictionary to find translations for the words you need.

Step 4 Label items around your home to increase your vocabulary.

  • Start with a handful of large objects. Once you've committed them to memory, you can add a few more. You might also go from a large object to a small object. For example, you could label your bed (बिस्तर), then later add words for "pillow" or "blanket."
  • The University of North Carolina has an extensive introductory program on Hindi and the Devanagari script available online for free at https://taj.oasis.unc.edu/ . This program includes lessons on Hindi grammar and vocabulary, as well as listening exercises and quizzes to test your knowledge. Many of the vocabulary words can be used to label items around your home.

Writing Full Sentences

Step 1 Use subject-object-verb word order.

  • For example, in English, you might say "these tomatoes are cheap." However, the Hindi sentence would read "ये टमाटर सस्ते हैं।" The literal translation would be "these tomatoes cheap are."

Step 2 Punctuate sentences as you would in English.

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  • Hindi does not have a separate mark to indicate a space between words. Simply type a space as you would in a language, such as English, that uses the Latin alphabet.

Step 3 Practice writing some basic questions.

  • For example, to write "What is your name?" you would write: "आपका नाम क्या है?" This literally translates to "Your name what is?"

Step 4 Read in Hindi to become more familiar with script.

  • Colorado State University has an extensive list of Hindi resources on the internet available at https://www.cs.colostate.edu/~malaiya/hindilinks.html .
  • Reading children's books is also a good way to become more familiar with the language and learn simple words and phrases. Check the Learning Hindi website for links to digital files of children's books that you can download for free.

Step 5 Connect with native speakers to practice.

  • You can also read and write in various forums and social networks for native speakers and students learning the Hindi language. For example, Reddit has a Hindi language forum available at https://www.reddit.com/r/Hindi/ .

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  • ↑ https://www.omniglot.com/writing/hindi.htm
  • ↑ https://www.omniglot.com/writing/devanagari.htm
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  • ↑ https://www.ashtangayoga.info/sanskrit/devanagari/long-vowels/
  • ↑ https://www.ashtangayoga.info/sanskrit/devanagari/
  • ↑ https://www.omniglot.com/language/phrases/hindi.php
  • ↑ https://mylanguages.org/multimedia/hindi_audio_body.php
  • ↑ https://mylanguages.org/multimedia/hindi_audio_objects.php
  • ↑ https://taj.oasis.unc.edu/Hindi.Less.01/grammar.html
  • ↑ https://www.omniglot.com/language/articles/devanagari.htm
  • ↑ https://taj.oasis.unc.edu/Hindi.Less.01/grammar02.html
  • ↑ https://www.cs.colostate.edu/~malaiya/hindilinks.html

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meaning of creative writing in hindi

creative - Meaning in Hindi

  • English to Hindi

Meaning of creative in Hindi

Creative definition.

  • relating to or involving the imagination or original ideas, especially in the production of an artistic work.
  • a person who is creative, typically in a professional context.

creative Example

  • creative writing ( रचनात्मक लेखन )
  • Homer, the creative genius of Greek epic ( होमर, ग्रीक महाकाव्य की रचनात्मक प्रतिभा )
  • The South African years were his most creative period. ( दक्षिण अफ्रीकी वर्ष उनकी सबसे रचनात्मक अवधि थी। )
  • You can sense the creative buzz  in the city. ( आप शहर में रचनात्मक चर्चा को महसूस कर सकते हैं। )
  • I don't always feel creative. ( मैं हमेशा रचनात्मक महसूस नहीं करता। )

More Sentence

  • Happiness lies not in the mere possession of money ; it lies in the joy of achievement, in the thrill of creative effort.  
  • She was misplaced in that job; she ought to be doing something more creative.
  • Much of the apparent growth in profits that occurred in the 1980s was the result of creative accounting.
  • He was not a great original thinker; he lacked the creative faculty and the creative impulse.
  • Polycarp had no creative genius.
  • If he was half as creative at torturing people and planning his battles as he was in bed, he was more than capable of doing it.
  • We find here the consciousness of creative thought focused in a new principle which is to revolutionize speculative science.
  • " In miracle no new powers, instituted or stimulated by God's creative action, are at work, but merely the general order of nature "; but " the manifold physical and spiritual powers in actual existence so blend together as to produce a startling result " (Dorner's System of Christian Doctrine, ii.
  • The creative thought of the middle ages is clerical thought.
  • Because she is the creative genius behind the series, Anna is getting paid as much as the actors.  
  • The creative florist can design beautiful floral arrangements from scratch.  
  • Karen is taking a creative writing class to help her come up with new ideas.  
  • Though he is usually creative when designing new games, the toy maker can’t seem to come up with any new ideas.  
  • Rothe regards the natural man as the consummation of the development of physical nature, and obtains spirit as the personal attainment, with divine help, of those beings in whom the further creative process of moral development is carried on.
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creative - Meaning in Hindi

Adjective .

  • सृजनात्मक निर्माण करने की शक्ति वाला

Definitions and Meaning of creative in English

Creative adjective.

रचनात्मक , सर्जनात्मक , सृजनात्मक

  • "creative work"
  • originative

रचनात्मक, ... Subscribe

  • "a creative imagination"

Synonyms of creative

Antonyms of creative, more matches for creative.

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What is creative meaning in hindi.

The word or phrase creative refers to promoting construction or creation, or having the ability or power to create. See creative meaning in Hindi , creative definition, translation and meaning of creative in Hindi. Find creative similar words, creative synonyms. Also learn creative opposite words, creative antonyms. Learn and practice the pronunciation of creative. Find the answer of what is the meaning of creative in Hindi. देखें creative का हिन्दी मतलब, creative का मीनिंग, creative का हिन्दी अर्थ, creative का हिन्दी अनुवाद।

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What is creative meaning in Hindi, creative translation in Hindi, creative definition, pronunciations and examples of creative in Hindi. creative का हिन्दी मीनिंग, creative का हिन्दी अर्थ, creative का हिन्दी अनुवाद

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creative meaning in Hindi | creative का हिन्दी अर्थ

meaning of creative writing in hindi

creative  रचनात्मक

meaning of creative writing in hindi

creative =  रचनात्मक

Pronunciation  =  🔊 bb1.onclick = function(){ if(responsivevoice.isplaying()){ responsivevoice.cancel(); }else{ responsivevoice.speak("creative", "uk english female"); } }; creative, pronunciation in hindi  =  क्रिएटिव, creative  in hindi : रचनात्मक, part of speech :  adjective  , definition in english : having the ability or power to create , definition in  hindi : कुछ बनाने की क्षमता या शक्ति होना, examples in english :.

  • She is a very creative person

Examples in Hindi :

  • वह एक बहुत रचनात्मक व्यक्ति है

Synonyms of creative

Synonyms in Hindi कल्पनाशील मूल निर्माणकारी
Synonyms in English imaginative original constructive

Antonyms of creative

Antonyms in Hindi
अनैतिक अनौपचारिक विनाशकारी
Antonyms in English uncreative unoriginal destructive

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English is one of the most widely spoken languages across the globe and a common language of choice for people from different backgrounds trying to communicate with each other. This is the reason why English is the second language learned by most of the people.

About the Hindi Language

Hindi is among the oldest languages to be discovered by mankind, which has its roots laid back in around the 10th Century AD. It is a descendant of Sanskrit, which was the earliest speech of the Aryans in India. Hindi- also known as Hindustani or Khari-Boli, is written in the Devanagari script, which is the most scientific writing system in the world and is widely spoken by over ten million people across the globe as their first or second language, which makes it 3rd most widely spoken language in the world.

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Definition of creative.

  • having the ability or power to create; "a creative imagination"
  • promoting construction or creation; " creative work"

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Synonym/Similar Words : originative

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  • Companies need to be run in ways that encourage creativity.
  • We don't want to stifle creativity, innovation , and forward thinking .
  • Creativity comes out of your head , not out of a computer .

(Translation of creativity from the Cambridge English–Hindi Dictionary © Cambridge University Press)

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सृजनात्मकता (Creativity) – अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, विकास, पहचान एवं मापन

Srijanatmakta

सृजनात्मकता/रचनात्मकता

सृजनात्मकता (Creativity)  सामान्य रूप से जब हम किसी वस्तु या घटना के बारे में विचार करते हैं तो हमारे मन-मस्तिष्क में अनेक प्रकार के विचारों का प्रादुर्भाव होता है। उत्पन्न विचारों को जब हम व्यावहारिक रूप प्रदान करते हैं तो उसके पक्ष एवं विपक्ष, लाभ एवं हानियाँ हमारे समक्ष आती हैं। इस स्थिति में हम अपने विचारों की सार्थकता एवं निरर्थकता को पहचानते हैं। सार्थक विचारों को व्यवहार में प्रयोग करते हैं। इस प्रकार की स्थिति सृजनात्मक चिन्तन कहलाती है।

इसे एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। जेम्स वाट एक वैज्ञानिक था। उसने रसोईघर से आने वाली एक आवाज को सुना तथा जाकर देखा कि चाय की केतली का ढक्कन बार-बार उठ रहा है तथा गिर रहा है। एक सामान्य व्यक्ति के लिये सामान्य घटना थी परन्तु सृजनात्मक व्यक्ति के लिये सजनात्मक चिन्तन का विषय थी।

यहाँ से सृजनात्मक चिन्तन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है। जेम्सवाट ने सोचा कि भाप में शक्ति होती है इसके लिये उसने केतली के ढक्कन पर पत्थर रखकर उसकी शक्ति का परीक्षण किया। इसके बाद उसने उसका उपयोग दैनिक जीवन में करने पर विचार किया तथा भाप के इन्जन का निर्माण करने में सफलता प्राप्त की।

इस प्रकार की स्थितियों से सृजनात्मक चिन्तन का मार्ग प्रशस्त होता है। सृजनात्मक चिन्तन की विभिन्न विद्वानों द्वारा निम्न परिभाषाएँ दी गयी हैं-

सृजनात्मक चिन्तन की परिभाषाएँ

  • प्रो. एस. के. दुबे के शब्दों में, “ सृजनात्मक चिन्तन का आशय उन कार्यों से है जिनके माध्यम से नवीन विचारों, वस्तुओं एवं व्यवस्थाओं का सृजन सम्भव होता है। “
  • श्रीमती आर. के. शर्मा के अनुसार, “ सृजनात्मक चिन्तन का आशय मस्तिष्क उद्वेलन की उस प्रक्रिया से है जिसमें किसी एक विषय पर अनेक प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं। उन विचारों के आधार पर नवीन एवं उपयोगी वस्तुओं एवं विचारों का सृजन होता है। “

उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि सृजनात्मक चिन्तन का आधार नवीन विचारों एवं उपयोगी वस्तुओं का सृजन करना है। इसका सम्बन्ध भौतिक जगत् से होता है। इसमें विचारक किसी विचार का उपयोग भौतिक जगत् की सुख एवं सुविधाओं के लिये करता है। इस प्रकार सृजनात्मक चिन्तन मानसिक प्रक्रिया के साथ-साथ कौशलात्मक प्रक्रिया से भी सम्बन्धित होता है।

सृजनात्मक व्यक्ति की विशेषताएँ

छात्रों में सृजनात्मक क्षमता का विकास, सृजनात्मक बालकों की विशेषताएँ, सृजनात्मक बालक के पहचान की आवश्यकता, सृजनात्मकता की विशेषताएँ, सृजनात्मकता और बुद्धि में सम्बन्ध, सृजनात्मकता की पहचान एवं मापन, characteristics of creative person.

सृजनात्मक व्यक्ति को उसके गुण, कार्य एवं व्यवहार के आधार पर पहचाना जा सकता है क्योंकि सृजनात्मक बालक विभिन्न प्रकारों में सामान्य बालकों से भिन्न होता है। इसी प्रकार के अनेक कार्य ऐसे होते हैं जो कि सामान्य बालकों एवं सजनात्मक बालकों में अन्तर स्थापित करते हैं।

Srijanatmak Vyakti Ki Visheshtayen

सृजनात्मक बालकों या व्यक्तियों की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-

1. सृजनात्मक व्यक्ति जिज्ञासु होता है (creative person become curious).

सृजनात्मक व्यक्ति पूर्णत: जिज्ञासा से सम्पन्न माना जाता है। वह प्रत्येक विचार या घटना के बारे में विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछता है तथा जब तक उसकी जिज्ञासा शान्त नहीं होती ज्ञान प्राप्त के लिये व्याकुल रहता है। प्रत्येक घटना के सन्दर्भ में वह सकारात्मक एवं विश्लेषणात्मक रूप से अध्ययन करने का प्रयास करता है जिससे वह घटना के मूल तथ्य एवं कारण तक पहुंच सके।

2. सृजनात्मक व्यक्ति चुनौतियाँ पसन्द करते हैं (Creative person like challenges)

सृजनात्मक व्यक्ति कभी भी चुनौतियों से नहीं डरता। वह प्रत्येक चुनौती का साहस से सामना करता है तथा परिस्थितियों को अपने अनकल बनाने का प्रयास करता है। वह प्रत्येक समस्या का समाधान अपनी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर करता है। इसलिये वह आत्म-विश्वास से परिपूर्ण होता है।

3. सृजनात्मक व्यक्ति प्रयोगों से भयभीत नहीं होते (Creative persons do not afraid to experiments)

सृजनात्मक व्यक्ति को किसी भी सार्थक निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये अनेक प्रकार के प्रयोग करने पड़ते हैं। ये प्रयोग प्रयोगशाला के अतिरिक्त समाज में भी करने पड़ते हैं। अनेक स्थितियों में प्रयोगों के नकारात्मक परिणाम भी निकलते हैं परन्तु सृजनात्मक व्यक्ति उन नकारात्मक परिणामों से भयभीत नहीं होता तथा निरन्तर रूप से यह कार्य करना प्रारम्भ करता रहता है। उसके प्रयोगों की निरन्तरता उस समय तक बनी रहती है जब तक कि वह किसी निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुँचता।

4. सृजनात्मक व्यक्ति उच्च मानसिक स्तर के होते हैं (Creative people become high mental level)

सृजनात्मक व्यक्तियों की मानसिकता उच्च स्तरीय होती है। वह किसी सामान्य व्यवस्था को स्वीकार करने में विश्वास नहीं रखते वरन उसके सर्वोत्तम स्वरूपको विकसित करने तथा उसको अधिक उपयोगी बनाने में विश्वास रखते हैं। इस प्रकार की मानसिकता एक ओर उनकी सृजनात्मकता में वृद्धि करती है वहीं दूसरी ओर विकास मार्ग को प्रशस्त करती है।

5. आलोचनात्मक चिन्तन एवं सृजन में विश्वास (Belief in critical thinking and creation)

सृजनात्मक व्यक्ति में आलोचनात्मक चिन्तन एवं सृजन के प्रति उत्सुकता पायी जाती है। ऐसे व्यक्ति प्रत्येक घटना को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं करते वरन् उस पर विचार करके उसे सर्वोत्तम बनाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार के व्यक्तियों को सृजनात्मक परिस्थितियों के निर्माण में कुशलता प्राप्त होती है क्योंकि वे प्रत्येक परिस्थिति को अपने अनुरूप बनाने में सफल होते हैं। प्रस्तुतीकरण की योग्यता भी इनका श्रेष्ठ एवं उपयोगी गुण होता है।

6. विश्लेषण एवं संश्लेषण की योग्यता (Ability of analysis and synthesis)

सृजनात्मक व्यक्तियों में किसी भी तथ्य एवं घटना के विश्लेषण करने की योग्यता होती है जिसके आधार पर वह घटना के मूल तथ्य या मूल कारण तक पहुँच पाते हैं। इसके साथ-साथ वे विभिन्न सिद्धान्तों, नियमों एवं सृजन में संश्लेषण पद्धति का प्रयोग करते हैं तथा विभिन्न बिखरे हुए विचारों एवं तों का संश्लेषण करके नवीन विचारों का सृजन करते हैं। इस प्रकार सृजनात्मक व्यक्ति संश्लेषण एवं विश्लेषण की योग्यता से युक्त होते हैं।

7. मस्तिष्क उद्वेलन की स्थिति (Situation of brain storming)

सृजनात्मक व्यक्तियों में मस्तिष्क उद्वेलन की स्थिति देखी जाती है। ये व्यक्ति किसी भी घटना या समस्या समाधान के लिये एक पक्षीय विचार नहीं करते वरन् विविध विचारों का सृजन करते हैं तथा सर्वोत्तम विचार या उपाय को समस्या समाधान के लिये प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार ये व्यक्ति प्रत्येक समस्या का सर्वोत्तम समाधान खोज सकते हैं।

8. अनुसन्धान की प्रवृत्ति (Tendency of research)

सृजनात्मक व्यक्तियों में अनुसन्धान की प्रवृत्ति पायी जाती है जिसके आधार पर ये प्रत्येक अवस्था को उसके सामान्य स्वरूप में स्वीकार नहीं करते उसमें नया परिवर्तन करने का विचार रखते हैं। इसके लिये ये विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं। इस प्रकार के कार्य ये सिद्ध करते हैं कि एक सृजनात्मक व्यक्ति अनुसन्धान एवं प्रयोगों के प्रति सकारात्मक भाव रखता है।

9. प्रामाणिक तथ्यों का संकलन (Collection of standard factors)

सृजनात्मक व्यक्ति किसी भावना या विचारों में बहकर कार्य योजना का निर्माण नहीं करते वरन् प्रामाणिक तथ्यों के आधार पर अपनी योजना बनाते हैं जिससे कि उस योजना के व्यावहारिक एवं सार्थक परिणाम निकलें; जैसे-एक व्यक्ति समाज में व्याप्त कुरीतियों के बारे में अपना चिन्तन प्रारम्भ करने पर स्वस्थ परम्पराओं का विकास करना चाहता है तो वह कुरीतियों से सम्बन्धित सत्य घटनाओं को अपने चिन्तन का आधार बनायेगा।

10. वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific view)

सृजनात्मक व्यक्तियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रभाव देखा जाता है। इस प्रकार के व्यक्ति सामाजिक व्यवस्था में भी उन विचारों एवं परम्पराओं को स्थान देते हैं जिनका प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से विज्ञान से सम्बन्ध होता है। इनके कार्य एवं व्यवहार में तथ्यों का क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण देखा जाता है। यह प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित एवं संगठित रूप में सम्पन्न करते हैं। तर्क एवं चिन्तन के आधार पर वैज्ञानिक एवं समाजोपयोगी विचारों का सृजन करते हैं।

उपरोक्त विवेचन के आधार पर समाज में सृजनात्मक व्यक्तियों तथा विद्यालय में शिक्षक द्वारा सृजनात्मक बालकों को पहचाना जा सकता है। इस आधार पर सृजनात्मक बालकों के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया जा सकता है।

Development of Creative Ability in Pupils

वर्तमान समय में सर्वांगीण विकास के लिये छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन के विकास की प्रमुख रूप से आवश्यकता अनुभव की जाती है। सृजनात्मक चिन्तन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिये प्रमुख रूप से  आवश्यक है। छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन को विकसित करने के लिये सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक संशोधन करना आवश्यक है।

Chhatro Me Srijanatmak Kshamata Ka Vikas

छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन के विकास हेतु निम्न उपाय करने चाहिये –

1. पाठ्यक्रम सम्बन्धी उपाय (curriculum related measures).

छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास करने के लिये पाठ्यक्रम का स्वरूप सृजनात्मक गतिविधियों एवं विचारों से परिपूर्ण होना चाहिये जिससे छात्र उस पाठ्यक्रम के आधार पर प्रत्येक विषय एवं तथ्यों पर सोचने के लिये प्रेरणा प्राप्त कर सकें। प्रत्येक पाठ के अन्त में छात्रों को शिक्षा प्राप्त होनी चाहिये तथा यह शिक्षा चिन्तन एवं मनन से सम्बन्धित होनी चाहिये। पाठ्यक्रम द्वारा छात्रों को इस प्रकार की गतिविधियों को करने की प्रेरणा देनी चाहिये जो कि तर्क एवं चिन्तनसे सम्बन्धित हों तथा छात्रों को विविध प्रकार से सोचने के अवसर उपलब्ध करायें। इसमें विचारकों, वैज्ञानिकों एवं चिन्तकों से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण घटनाओं एवं प्रसंगों को सम्मिलित करना चाहिये।

2. सृजनात्मक शिक्षकों की व्यवस्था (Arrangement of creative teachers)

शिक्षकों को अपनी शिक्षण तकनीक में परिवर्तन करना चाहिये तथा छात्रों को सृजनात्मक कार्यों में सहयोग देना चाहिये। छात्रों के समक्ष छोटी-छोटी समस्याओं का प्रस्तुतीकरण करना चाहिये जिससे छात्र उनके समाधान के लिये सृजनात्मक तथ्यों की व्यवस्था कर सकें।

जैसे- शिक्षक द्वारा छात्रों के समक्ष भाप के इन्जन का चित्र रख दिया जाता है। इसके बाद छात्रों के समक्ष दो या तीन प्रश्न प्रस्तुत किये जाते हैं। भाप का इन्जन किसने बनाया? इसकी प्रेरणा उस व्यक्ति को किस प्रकार मिली? छात्र इस पर अपने विचार-विमर्श करते हैं तथा पाठ्य-पुस्तक में उस पाठ को खोजते हैं। इस प्रकार छात्रों को शिक्षा मिलती है कि जिस प्रकार जेम्सवाट प्रत्येक घटना को तार्किक रूप से सोचता था ठीक उसी प्रकार उनको भी प्रत्येक घटना को तार्किक रूप से सोचना चाहिये।

इस प्रकार की शिक्षण प्रक्रिया के लिये शिक्षकों को सेवारत एवं सेवापूर्व प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिये जिससे वे छात्रों के सृजनात्मक चिन्तन के विकास में योगदान दे सकें।

3. खेल सम्बन्धी गतिविधियाँ (Game related activities)

छात्रों को खेल खेलना बहुत अच्छा लगता है। यदि छात्रों से विविध खेलों के बारे में बातचीत की जाय तो उनके विचारों एवं कार्यों में तीव्रता आ जाती है, उनका शरीर एवं मस्तिष्क दोनों ही तेजी से चलने लगते हैं;  जैसे-शिक्षक द्वारा छात्रों के समक्ष गोल शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद छात्रों के समक्ष तीन प्रश्न रख दिये जाते हैं। गोल शब्द किन-किन खेलों से सम्बन्धित है? गोल करने की प्रक्रिया किस प्रकार सम्पन्न होती है? गोल अधिक होने पर क्या परिणाम होता है?

इस प्रकार के प्रश्नों के आधार पर छात्रों को हॉकी एवं फुटबॉल आदि के खेलों पर विचार करने का अवसर मिलेगा तथा दूसरे खेलों के बारे में छात्र सामान्य एवं रुचिपूर्ण ढंग से ज्ञान प्राप्त करेगा।

4. रहस्यपूर्णगतिविधियाँ (Mysterious activities)

छात्रों को कक्षा-कक्ष में विविध गतिविधियों को सम्पन्न करने की प्रेरणा देनी चाहिये। कक्षा में शिक्षक द्वारा एक सन्दूक में बहुत सी वस्तुओं को भर दिया जाय। इसके बाद प्रत्येक छात्र को एक वस्तु लेने के लिये कहा जाय। कौन-से छात्र को कौन-सी वस्तु मिलेगी यह पता नहीं होना चाहिये ?

इसके बाद छात्रों को चित्र, खिलौना एवं मॉडल देखने को मिलते हैं। प्रत्येक छात्र से उस चित्र, खिलौने या मॉडलों से सन्दर्भ में अनेक प्रश्न पूछे जा सकते हैं; जैसे-आप इसमें क्या जोड़ना चाहते हैं? आप इस चित्र या मॉडल में किस भाग को हटाना चाहते हैं? आप इस चित्र या मॉडल में क्या परिवर्तन कर सकते हैं? यह चित्र आपको क्यों अच्छा लग रहा है? यह चित्र आपको क्यों अच्छा नहीं लग रहा? इस प्रकार के प्रश्नों के माध्यम से छात्र विभिन्न वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे तथा सृजनात्मक चिन्तन के आधार पर इसके वर्णन का प्रयास कर सकेंगे। इससे छात्रों की सृजनात्मक क्षमता में तीव्र गति से वृद्धि हो सकेगी।

5. सामूहिक कार्य (Group work)

कक्षा-कक्ष में सामूहिक कार्य करने से सृजनात्मक चिन्तन में वृद्धि होती है क्योंकि किसी भी कार्य को छात्र सामूहिक विचार-विमर्श के बाद ही उचित रूप में सम्पन्न कर सकता है। प्रोजेक्ट कार्य छात्रों को सम्मिलित रूप में दिया जाता है। इस कार्य में छात्र पृथक्-पृथक् रूप से सूचनाओं एवं तथ्यों का संकलन करते हैं तथा सारभूत रूप में एक निश्चित विचार पर पहुँचते हैं। इस कार्य से छात्रों में कार्य करने के कौशल तथा तार्किक चिन्तन का विकास होता है। इसमें छात्रों के ज्ञान का विस्तार सम्भव होता है।

6. कला सम्बन्धी खेल (Drawing related games)

छात्रों को विविध प्रकार की कला बनाने या चित्र बनाने में बहुत रुचि होती है। इस आधार पर छात्रों के मानसिक विचार, कौशल एवं सृजनात्मक चिन्तन के स्तर को जाना जा सकता है तथा उसमें अपेक्षित सुधार किया जा सकता है। इसके लिये निम्न गतिविधियाँ शिक्षक को सम्पन्न करनी चाहिये-

  • छात्रों के समक्ष छोटी-सी वक्रीय या सीधी रेखा खींच दी जाय तथा छात्रों से इसे पूर्ण चित्र बनाने के लिये या इसमें कुछ जोड़ने के लिये कहा जाय। इसमें छात्रों से यह पछा जाय कि आपने इसमें क्या जोड़ा? क्यों जोड़ा तथा इससे कौन-सी आकृति का निर्माण हुआ? गणित का ज्ञान इससे सरलता से छात्रों को दिया जा सकता है। 
  • छात्रों के समक्ष श्यामपट्ट पर एक आकृति का निर्माण कर दिया जाय तथा इस आकृति के सन्दर्भ में छात्रों से पाँच लाइन लिखने के लिये कहा जाय। इसके बाद छात्रों से इस आकृति में कुछ जोड़ने के लिये कहा जाय तथा कुछ घटाने के लिये कहा जाय। वे ऐसा क्यों कर रहे हैं इसके बारे में भी पूछा जाय, जिससे उनके विचार एवं चिन्तन के स्तर का ज्ञान हो सके।
  • छात्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार के वृत्त बना दिये जायें तथा उनसे पूछा जाय कि गोल आकृति की किन-किन वस्तुओं को जानते हैं। उनके बारे में पाँच लाइन लिखिये। गोलों की सहायता से एक आकृति का निर्माण कीजिये। इससे छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास होगा।

7. सृजनात्मक चिन्तन के विकास हेतु शिक्षण व्यूह रचनाएँ (Teaching strategies for development of creative thinking)

सृजनात्मक चिन्तन का विकास करने के लिये शिक्षण व्यूह रचनाओं का प्रयोग करना अति आवश्यक है। इसके आधार पर ही छात्र विविध विषयों पर सृजनात्मक चिन्तन करने के लिये प्रेरणा प्राप्त करता है। सृजनात्मक चिन्तन के विकास हेतु शिक्षक को निम्न व्यूह रचनाओं का प्रयोग करना चाहिये-

कल्पनाओंका उपयोग (Use of imagination)

छात्रों के समक्ष विविध प्रकार के कल्पना सम्बन्धी प्रयोग करने चाहिये। छात्रों के समक्ष अनेक प्रकार के काल्पनिक प्रकरण रखे जायें तथा उन पर उनके विचार जानने के प्रयास किये जायें; जैसे- आप कल्पना कीजिये कि आप पर्यावरण मन्त्री होते एवं कल्पना कीजिये कि आप गाँव के प्रधान होते। इस प्रकार के अनेक प्रकरणों के माध्यम से छात्रों के सृजनात्मक चिन्तन में वृद्धि की जा सकती है। विद्यालय भवन का स्वरूप कैसा हो चित्र बनाइये। विद्यालय उद्यान में कौन-कौन से वृक्ष एवं पुष्प होने चाहिये और क्यों ? इस प्रकार की अनेक कल्पनाओं का प्रयोग एक कुशल शिक्षक को करना चाहिये।

अधिक विचार उत्पन्न करना (Generate more ideas)

छात्रों के समक्ष ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न की जायें जिससे छात्र अधिक से अधिक सृजनात्मक चिन्तन करने के लिये प्रेरित हो सकें; जैसे- भारतीय परिस्थितियों के उपयुक्त खेल कौन-कौन से होने चाहिये और क्यों? भारत के विद्यालय में कौन-कौन सी आधारभूत सुविधाएँ होनी चाहिये और क्यों? इस प्रकार के अनेक प्रश्न हमारे मन में अनेक विचार उत्पन्न करते हैं। छात्रों के समक्ष ऐसे प्रश्न एवं परिस्थितियाँ सृजनात्मक चिन्तन करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

वैकल्पिक प्रयोग (Alternative experiments)

छात्रों द्वारा किसी कार्य को करने की एक विधि के अतिरिक्त अन्य विधियों को भी सिखाना चाहिये जिससे उनमें अधिकतम विचारों का सृजन हो सके; जैसे-मिट्टी के खिलौने बनाने के लिये क्या-क्या सामग्री आवश्यक होती है तथा इसे कैसे तैयार करते हैं? किसी गणित के प्रश्न को आप कितनी विधियों से कर सकते है ? पौधे लगाने की कौन-कौन सी विधियाँ हो सकती हैं? परीक्षा में सफलता के पाँच उपाय बताइये। अपने लिखित प्रस्तुतीकरण को प्रभावी बनाने के चार उपाय लिखिये। इस प्रकार के अनेक कार्य छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास तीव्रता से करते हैं।

ज्ञान एवं क्रियाओं के मध्य समन्वय (Co-ordination between knowledge and activities)

ज्ञान एवं क्रियाओं के मध्य समन्वयन की स्थिति भी नवीन विचारों को जन्म देती है। इसलिये शिक्षक को छात्रों को विभिन्न कार्यों में संलग्न करके उनके ज्ञान एवं विचारों का उपयोग करना चाहिये तथा सृजनात्मक चिन्तन का विकास करना चाहिये; जैसे- छात्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार के वाक्य, मुहावरे, लोकोक्ति,कहानी एवं चित्र प्रस्तुत किये जायें तथा उनमें कुछ न कुछ जोड़ने के लिये कहा जाय जो कि सार्थक हों। छात्रों से प्रस्तुत सामग्री में कुछ पारेवर्तन करने के लिये कहा जाय जिसे सामग्री को रोचक एवं भिन्न बनाया जा सके। विभिन्न समस्याओं के समाधान में एक से अधिक विधियाँ खोजने के लिये छात्रों से कहा जाय।

निर्णयों का मूल्यांकन (Evaluation of judgement)

शिक्षक को यह प्रयास करना चाहिये कि छात्र द्वारा जो भी प्रयास करके किसी विषय के सन्दर्भ में निर्णय किये गये हैं वह पूर्णतः प्रासंगिक हैं या नहीं क्योंकि छात्र की सृजनात्मकता की स्थिति उसके द्वारा निर्धारित एवं प्रस्तुत नियमों एवं सिद्धान्तों में ही प्रकट होती है। इसके अन्तर्गत प्रमुख रूप से शिक्षक को तीन तो का मूल्यांकन करना चाहिये। इसके साथ-साथ छात्रों को भी इस तथ्य को सिखाना चाहिये कि वह निर्णय प्रस्तुत करने से पूर्व उस पर एक बार पुनर्विचार अवश्य करें। सर्वप्रथम निर्णय के लिये प्रयुक्त विचारों, नियमों एवं विधियों पर विचार करना चाहिये। द्वितीय इन विधियों, नियमों एवंतों में किस सीमा तक सुधार की सम्भावना है ? तृतीय इसकी वर्तमान परिस्थितियों में प्रासंगिकता है या नहीं। इस प्रकार निर्णय का मूल्यांकन करने से सृजनात्मक चिन्तन का विकास होता है।

8. समाजोपयोगी कार्य (Social useful work)

समाजोपयोगी कार्यों को छात्रों द्वारा सम्पत्र करने की प्रेरणा प्रदान करने से भी सृजनात्मक चिन्तन में वृद्धि होती है; जैसे-समाज में स्वच्छता सम्बन्धी कार्यों का उत्तरदायित्व छात्रों को समूह बनाकर सौंप दिये जायें तो छात्र अपने दायित्व के प्रभावी निर्वहन के लिये ग्रामीणों को स्वच्छता की नवीन विधियों को समझाने का प्रयास करेंगे तथा जीवन में स्वच्छता के महत्त्व को समझायेंगे। इससे छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास सम्भव होगा क्योंकि प्रत्येक स्वच्छता सम्बन्धी योजना विचार एवं क्रिया के माध्यम से ही सफल हो सकेगी।

9. वाद-विवाद प्रतियोगिता (Discussion competition)

छात्रों को विविध प्रकार के विषयों पर चर्चा करने के लिये प्रेरित करना चाहिये। ये चर्चा बाल सभा या किसी प्रतियोगिता के माध्यम से सम्पन्न की जा सकती है। इसमें छात्रों को पर्यावरणीय एवं ज्वलन्त शैक्षिक चुनौतियों से सम्बन्धित विषय प्रदान करने चाहिये जिससे छात्रों को इस पर विचार-विमर्श करने में रुचि उत्पन्न हो। इस प्रकार की परिचर्चाओं से छात्रों की वैचारिक क्षमता में वृद्धि होगी तथा छात्र ज्ञान वृद्धि के लिये नवीन विषयों से सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन कर सकेंगे।

10. प्रदर्शनी (Exhibition)

विद्यालय में समय-समय पर विज्ञान, पर्यावरण एवं इतिहास विषय से सम्बन्धित प्रदर्शनी का आयोजन करना चाहिये जिससे छात्र अपनी रुचि एवं योग्यता के आधार पर विषय से सम्बन्धित चित्र एवं उनके बारे में सामान्य जानकारी लिखकर प्रदर्शनी की शोभा बढ़ा सकें। इससे छात्रों में एक ओर चित्रों के निर्माण करने में विविध हस्त कौशलों का विकास होगा वहीं दूसरी ओर छात्रों की वैचारिक शक्ति का विकास होगा।

उपरोक्त गतिविधियों एवं प्रयासों से छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास सम्भव होगा जिसका प्रयोग वे अपने जीवन में प्रत्येक परिस्थिति एवं घटना में कर सकेंगे। छात्र किसी भी घटना या सिद्धान्त को मूक बनकर स्वीकार नहीं करेंगे वरन् उस पर तर्कपूर्ण विचार करके ही स्वीकार करेंगे। इससे एक ओर समाज की कुरीतियों एवं रूढ़िवादिता का समापन होगा वहीं दूसरी ओर स्वस्थ परम्परा का विकास सम्भव होगा।

Characteristics of Creative Children

Srijanatmak Balkon Ki Visheshtayen

सृजनात्मक बालक में निम्न विशेषताएँ पायी जाती हैं-

1. प्रखर बुद्धि.

सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों की बुद्धि प्रखर होती है। वह किसी भी चीज को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से सीख लेते हैं, जबकि अन्य बालक उसी चीज को अधिक समय में सीख पाते हैं। कक्षा-कक्ष में भी सृजनात्मक बालक अपनी पठन-सामग्री को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से अंगीकृत कर लेते हैं।

2. विचारों की स्वतन्त्रता

सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों में विचारों की स्वतन्त्रता पायी जाती है। वे अपने किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये स्वयं ही निर्णय लेना पसन्द करते हैं। उन्हें अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप पसन्द नहीं आता।

3. कार्यों में स्वतन्त्रता

सृजनात्मक योग्यता वाले बालक किसी भी कार्यको स्वतन्त्रतापूर्वक पूरा करना चाहते हैं। वे नियन्त्रित परिस्थितियों में कार्य करना पसन्द नहीं करते हैं।

4. आत्म-प्रकाशन

सृजनात्मक बालकों में आत्म-प्रकाशन की भावना पायी जाती है। वे अपने कार्यों द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं।

5. सैद्धान्तिक आदर्श

सृजनात्मक बालक सैद्धान्तिक रूप से आदर्शवादी होते हैं। वे अपनी परिस्थितियों को भली प्रकार समझते हैं तथा सूझ के द्वारा किसी भी परिस्थिति में निर्णय ले सकते हैं। वे सैद्धान्तिक रूप से आदर्शवादी स्वभाव के होते हैं।

6. सौन्दर्यात्मक आदर्श

सृजनात्मक योग्यता वाले व्यक्तियों में सौन्दर्यात्मक आदर्श पाया जाता है। उनमें प्राकृतिक रूप से सौन्दर्यानुभूति की भावना होती है।

7. वास्तविक ज्ञान तक पहुँचने की योग्यता

सृजनात्मक बालकों में अपने कार्य के प्रति असीम लगन पायी जाती है, वे त्रुटियाँ करते हुए एवं उनसे कुछ न कुछ सीखते हुए वास्तविक ज्ञान तक पहुँच जाते हैं।

8. कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन

सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों के कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन होता है।

Needs of Identification of Creative Children

सृजनात्मक बालक राष्ट्र की धरोहर है। राष्ट्र के विकास के लिये इन बालकों की प्रतिभा की खोज प्रारम्भ से ही करना आवश्यक है। अतः सृजनात्मक बालक की पहचान कर उसकी विशेषताओं को खोजा जाय, उनकी पहचान के लिये निम्न विधियाँ प्रयोग में लेते हैं-

  • बालकों के सही मूल्यांकन के लिये इनका पता लगाना आवश्यक है।
  • उनके व्यवहार, कार्यशैली तथा मानसिक क्षमता की जानकारी लेकर इनके बारे में उपचार कार्य करें।
  • इनका पता लगाने के पश्चात् ही उनकी वांछित दिशा में उत्पन्न सृजनात्मक शक्ति का विकास किया जाये।
  • इनका व्यक्तिगत, शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन आपेक्षित मात्रा में सम्भव है।
  • सृजनशील बालकों का पता लगाकर हम कक्षागत समस्याओं (सृजनात्मकता) का निराकरण उनकी शैक्षिक एवं मानसिक क्षमताओं के परिप्रेक्ष्य में कर सकते हैं।

Characteristics of Creativity

सृजनात्मकता जन्मजात न होकर अर्जित की जाती है। सृजनात्मकता प्राचीन अनुभवों पर आधारित नवीन सम्बन्धों की रूपरेखा तथा नूतन साहचर्यों का सम्बोध कही जा सकती है।

Srijanatmakta Ki Visheshtayen

निम्न बिन्दु सृजनात्मकता के स्वरूप या विशेषताओं को स्पष्ट करते हैं-

  • सभी व्यक्तियों में विभिन्न प्रकार की तथा विभिन्न श्रेणी की सजनात्मकता पायी जाती है। सृजनात्मकता केवल कुछ चुने हुए व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि यह सभी व्यक्तियों का सामान्य गुण है।
  • सृजनात्मकता एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे समय, स्थान तथा व्यक्ति से बाँधा नहीं जा सकता। इसका प्रादुर्भाव कहीं भी किसी भी समय पर हो सकता है। बालकों, बड़ों, पुरुषों तथा स्त्रियों सभी में सृजनात्मकता पायी जा सकती है।
  • सृजनात्मकता में विभिन्न शील-गुण पाये जाते हैं। इसकी सर्वाधिक मान्य प्रमुख विशेषताएँ होती हैं-निरन्तरता, नमनीयता, विस्तारता, मौलिकता,समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता एवं निर्णय लेने की शैली आदि।
  • बुद्धि में निहित योग्यताओं से सृजनात्मक चिन्तन में निहित योग्यताएँ भिन्न होती हैं। सृजनात्मकता अपसारी चिन्तन पर आधारित है, जबकि बुद्धि में अभिसारी चिन्तन का अधिक प्रयोग होता है। यह आवश्यक नहीं है कि सभी बुद्धिमान व्यक्ति सृजनात्मक भी हों। 
  • सृजनात्मकता का प्रादुर्भाव अचानक नहीं होता, यद्यपि सृजनात्मक विचार अचानक ही बिजली की भाँति प्रकट होते दिखायी देते हैं। सृजनात्मकता का उदय उसी भाँति क्रमिक होता है; जैसे-दिन का निकलना।
  • जीवन के आरम्भ से ही सृजनात्मकता का प्रादुर्भाव होता है और इसका विकास सामाजिक पर्यावरण पर बहुत कुछ निर्भर करता है।
  • सृजनात्मकता सम्बन्धी योग्यताओं का विकास अन्य योग्यताओं के विकास से भिन्न होता है। इसके विकास की गति एक-सी नहीं रहती।
  • सृजनात्मकता को मापा जा सकता है किन्तु एक ही परीक्षा के द्वारा सभी प्रकार की सृजनात्मकता को मापना सम्भव नहीं है।
  • सृजनात्मकता का विकास जीवन के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित है। इसके लिये किसी विशेष व्यक्ति या विषध का होना आवश्यक नहीं है।
  • सृजनशील व्यक्तियों में प्रवाहता (Fluency) होती है। वे अपने विचारों को प्रवाहता के साथ प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • सजनात्मकता एक प्रक्रिया या योग्यता है, यह उत्पादन (Product) नहीं है।
  • सृजनात्मकता की प्रक्रिया लक्ष्य निर्देशित (Goal directed) होती है। यह या तो व्यक्ति के लियेलाभदायक होती है अथवा समूह या समाज के लिये लाभदायक होती है।
  • सृजनात्मकता चाहे मौखिक हो या लिखित, चाहे मूर्त हो या अमूर्त। प्रत्येक अवस्था में व्यक्ति के लिये यह अभूतपूर्व (Unique) होती है। यह किसी नये और भिन्न उत्पादन का मार्ग-निर्देशन करती है।
  • सृजनात्मकता एक प्रकार की नियन्त्रित कल्पना है, जिससे किसी न किसी उपलब्धि को निर्देशन प्राप्त होता है।

Relationship between Intelligence and Creativity

गिलफोर्ड  का प्रज्ञा-गणन एवं सृजनशीलता – प्रज्ञा के गणन परसन (1950 तथा 1956) में किये गिलफोर्ड और उनके साथियों के शोधकार्य दो पृथक चिन्तन धाराओं के अस्तित्त्व को स्पष्ट करते हैं। ये हैं- अभिसारी (Convergent) चिन्तन तथा अपसारी (Divergent) चिन्तन ।

पहली चिन्तन धारा में केवल एक पूर्व निर्धारित सही उत्तर निहित होता है, दूसरी चिन्तन धारा के फलस्वरूप विविध उत्तरों का जन्म होता है, जिनमें प्रवाह, नमनीयता, मौलिकता तथा विस्तरण क्रियाशीलता होती है।  अभिसारी चिन्तन को बुद्धि के साथ जोड़ा जाता है तथा अपसारी चिन्तन सामान्यतया समझे जाने वाले शब्द सृजनाशीलता की ओर संकेत करता है।

अधिकतर मनोवैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि सृजनशीलता और बुद्धि के बीच एक महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। सृजनशील व्यक्ति बुद्धिमान प्रतीत होता है। बुद्धि और सृजनशीलता के सम्बन्ध के बारे में सामान्य निष्कर्ष यह है कि सृजनात्मक होने के कारण बुद्धि का निश्चित स्तर अनिवार्य है। निश्चित स्तर से अधिक या कम बुद्धिमान होने से व्यक्ति की सृजनशीलता के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

यही नहीं सृजनशीलता के लिये अपेक्षित बुद्धिमानी का स्तर जो प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग होता है, कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से बहुत कम होता है। बुद्धि परीक्षण द्वारा मापे गये बुद्धि स्तर से भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सृजनात्मक व्यक्ति जितनी भी उसकी बुद्धि है, उसका कितने प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करता है।

प्राय: देखा गया है कि कुछ व्यक्तियों में उच्च सृजनात्मकता होती है परन्तु उनका बौद्धिक स्तर निम्न होता है। इसी प्रकार से यह भी आवश्यक नहीं है कि जिनका बौद्धिक स्तर उच्च हो, उनमें सृजनात्मकता भी उच्च स्तर की हो। उच्च बौद्धिक स्तर और उच्च सृजनात्मकता का साथ-साथ चलना बाह्य कारकों पर निर्भर करता है। सृजनात्मकता शून्य में क्रियाशील नहीं हो सकती। इसमें पूर्व अर्जित ज्ञान का उपयोग होता है। इस ज्ञान का उपयोग बौद्धिक क्षमताओं से सम्बन्धित है। अतःसृजनात्मकता और बुद्धि का समन्वय स्वाभाविक है।

क्या सृजनात्मक व्यक्ति (Creative person) के लिये तीव्र बुद्धि आवश्यक है? क्या तीव्र बुद्धि वाले सभी व्यक्ति सृजनात्मक होते हैं?

इन प्रश्नों का उत्तर ढूँढ़ने के लिये आज लोग बड़े पैमाने पर शोध (Research) में लगे हुए हैं। भारत तथा भारत के बाहर बड़ी शीघ्रता से इस दिशा में शोधकार्य हो रहे हैं किन्तु अब तक कोई निश्चित परिणाम नहीं मिल सका है। कुछ शोधकार्यों से बुद्धि तथा सृजनात्मकता के बीच उच्च धनात्मक सहसम्बन्ध (High positive correlation)और कुछ अध्ययनों से शून्य सहसम्बन्ध (Zero correlation) का पता चलता है। अत: यह आवश्यक नहीं कि जो छात्र अधिक बुद्धि-लब्धि रखता है उसमें अधिक सृजनात्मकता भी होगी।

सृजनात्मकता का तात्पर्य नयी वस्तु की रचना करने की योग्यता से है। इसका अर्थ नये उपागम द्वारा समस्या को हल करने की योग्यता है। यदि कोई व्यक्ति नयी वस्तु का निर्माण करता है, नयी खोज करता है, समस्या समाधान का नया तरीका निकालता है तो कहा जायेगा कि वह आदमी सृजनात्मक (Creative) है।

चैपलिन (Chaplin) के अनुसार- “ सृजनात्मकता का तात्पर्य कला या यन्त्र-विज्ञान में नयी आकृतियों को उत्पन्न करने अथवा नवीन उपागमयों द्वारा समस्याओं को हल करने योग्यता से है। ” (Creativity is the ability to produce new forms in art or mechanics of solve problems by new methods.)

सृजनात्मक व्यक्ति की एक बड़ी विशेषता बुद्धि है। इसमे कोई सन्देह नहीं कि सृजनात्मकता या रचनात्मक कार्य करने के लिये बुद्धि आवश्यक है परन्तु सृजनात्मकता के लिये उच्च बुद्धि की आवश्यकता नहीं है।

गेटजेल्स तथा जैकसन (Getzels and Jackson 1972) ने प्रचलित बुद्धि परीक्षाओं तथा सजनात्मकता की परीक्षाओं के बीच सम्बन्ध जानने का प्रयास किया। शिकागो स्थित एक विद्यालय के कुछ छात्रों को दो समूहों में बाँटा गया। एक समूह में छात्र उच्च सृजनात्मकता किन्तु निम्न बुद्धि-लब्धि के  तथा दूसरे समूह में उच्च बुद्धि-लब्धि तथा निम्न सृजनात्मकता वाले छात्र रखे गये। इन दोनों समूहों के छात्रों की विद्यालयी उपलब्धि तथा व्यक्तित्व गुणशील के क्षेत्र में परीक्षा ली गयी।

निष्कर्ष यह निकला कि उच्च बुद्धि-लब्धि वाले छात्रों का समूह जिसकी सामान्य बुद्धि-लब्धि 132 थी विद्यालय उपलब्धि की परीक्षा लेने पर दूसरे समूह से अधिक अच्छे नहीं पाये गये। इन छात्रों की बौद्धिक योग्यता तथा रचनात्मक योग्यता के बीच 0.11 से 0.49 का सहसम्बन्ध पाया गया। इससे यह भी पता चला कि लगभग 120 बुद्धि-लब्धि से अधिक बौद्धिक योग्यता होने पर उसका कोई प्रभाव सृजनात्मक क्रिया पर नहीं पड़ता।

Identification and Measurement of Creativity

सृजनात्मकता का मापन एवं उसकी पहचान निम्न उपागमों से की जा सकती है-

  • विशेषताओं द्वारा पहचान एवं मापन (Identification and measurement by characteristics)
  • सृजनात्मक क्रिया द्वारा पहचान एवं मापन (Identification and measurement by creativity activity)
  • सृजनात्मक परीक्षणों द्वारा पहचान एवं मापन (Identification and measurement by tests of creativity)

विशेषताओं द्वारा पहचान एवं मापन

सृजनशील बालकों में निम्न विशेषताएँ पायी जाती हैं-

  • सृजनशील बालक में मौलिकता अनेक रूपों में पायी जाती है। साधारण विचारों से उसे अधिक संवेदनशीलता अनुभव होती है। वह प्रेरणात्मक होता है और तथ्यों से परे देखता है। वह सदैव विशेष बालक के रूप में जाना जाता है।
  • सृजनशील बालक में किसी समस्या पर स्वत: निर्णय लेने की क्षमता होती है। वह वस्तुओं को अपने ढंग से प्रस्तुत करता है। वह दूसरों के सुझावों को स्वीकार नहीं करता।
  • सृजनशील बालकों में परिहास प्रियता पायी जाती है। वे खेल, आनन्द एवं परिहास के रूप में सृजन करते रहते हैं।
  • सृजनशील बालकों में उत्सुकता एवं जिज्ञासा पायी जाती है। वे जिज्ञासा के कारण एक कार्य को करने के अनेक ढंग सोचते रहते हैं। वे नवीन प्रणालियों द्वारा अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते हैं।
  • सजनशील बालक अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। वे प्रत्येक कार्य को गम्भीरता से लेते हैं।
  • सुजनशील बालकों में अपनी प्रभुसत्ता के प्रति अधिक लगाव होता है। वे अपने कार्य को उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से करते हैं तथा कार्य को अपना समझकर करते हैं। उनमें लक्ष्यपूर्ण होने तक बेचैनी बनी रहती है।
  • सृजनात्मक बालकों के विचारों में लचीलापन पाया जाता है। इन बालकों का बौद्धिक स्तर बहुत विस्तृत होता है। इनमें एक प्रकार की नियन्त्रित कल्पना पायी जाती है, जिससे किसी न किसी उपलब्धि को निर्देशन प्राप्त होता है। इन बालकों का अनुसन्धान क्षेत्र भी उच्च स्तर का होता है।
  • सृजनात्मक बालक किसी परीक्षण में अपने समूह के अन्य लोगों से अधिक अंक प्राप्त करते हैं। सृजनात्मक बालक अपनी बौद्धिक और सांस्कृतिक रुचियों को प्रत्यक्ष रूप में विकसित करते हैं। इन बालकों में विभिन्न क्षेत्रों में भाग लेने की क्षमता होती है और उन क्षेत्रों में वह अपने भावों को व्यक्त करते हैं।
  • सृजनशील बालों में त्रुटियों को सहन करने की क्षमता होती है। उन्हें त्रुटियों से भय नहीं लगता। इनके द्वारा समाधान के लिये जो उपागम प्रयोग की जाती है, वह बहुत अधिक विस्तृत होती है, जिसके कारण कभी-कभी इन्हें गम्भीर समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • सृजनात्मक बालकों में बुद्धि की सृजनात्मक योग्यता पायी जाती है। साथ ही बौद्धिक योग्यता में लचीलापन एवं अस्पष्टता को सहन करने की योग्यता भी पायी जाती है परन्तु यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि एक सृजनशील बालक बुद्धि परीक्षण पर भी उच्च अंक प्राप्त करेगा।
  • सृजनशील बालक अधिक सामाजिक नहीं होते हैं। ये न तो अधिक सामाजिक होते हैं और न ही समाज विरोधी। ये बालक सामाजिक परिवेश में बहुत अधिक संवेदनशील होते है। सृजनशील बालक बाह्य भावनाओं की अपेक्षा आन्तरिक भावनाओं से अधिक निर्देशित होते हैं।
  • सृजनात्मक बालकों का मस्तिष्क स्वस्थ होता है। इनकी चिन्ता का स्तर कम होता है। सृजनात्मक बालकों की चिन्ता में व्यक्तिगत भिन्नता पायी जाती है। उच्च सृजनशील बालको की चिन्ता अर्थपूर्ण होती है अर्थात् वह वास्तव में चिन्ता करने योग्य तथ्यों पर ही चिन्ता करते हैं।
  • सृजनशील व्यक्ति अपनी आयु से अधिक परिपक्व होते हैं। ऐसे व्यक्ति वातावरण में सदैव वास्तविकता एवं सत्यता की खोज करते रहते हैं। ये व्यक्ति अन्य लोगोंकी तुलना में अधिक उत्तरदायित्व की भावना वाले, ईमानदार तथा विश्वसनीय होते हैं। साथ ही इनमें अन्य लोगों से बात करने के गुण भी होते हैं।
  • सृजनशील व्यक्तियों का शारीरिक स्वास्थ्य औसत श्रेणी का होता है। ये कल्पनाशील होते हैं तथा उनमें समस्या समाधान एवं सामाजिक संवेदनशीलता अधिक पायी जाती है।

सृजनात्मक क्रियाओं द्वारा पहचान एवं मापन

बालकों में सृजनात्मकता की पहचान उनके द्वारा की गयी सृजनात्मक क्रियाओं द्वारा भी की जा सकती है। जब कोई बालक अच्छी कविता/कहानी लिखता है, चित्र बनाता है, आविष्कार करता है तब इससे उसकी सृजनात्मकता की पहचान की जा सकती है। बालकों द्वारा की जाने वाली प्रमुख सुजनात्मक क्रियाएँ निम्न हैं-

1. विश्वास की भूमिका (Role of believe)

बालक का जीवन ऐसी घटनाओं से परिपूर्ण रहता है कि मानसिक जीवन में उसे विश्वास की भूमिका अनिवार्य रूप से निभानी पड़ती है। वह यथार्थ से मुक्त होकर खेलता है। वह इन्हीं परिस्थितियों का सुजन तथा पुनर्सजन करता रहता है। ऐसे बालक घर में अनेक प्रकार का अभिनय करते हैं। पापा की ऐनक लगाकर पापा बनते हैं, आदि।

2. मनतरंग की भूमिका (Role of fantasy)

मनतरंग भी विश्वास की भूमिका जैसी क्रिया है। नर्सरी कक्षाओं में याद की गयी कहानियाँ तथा गीत कालान्तर में बालक की कल्पना की वस्तु बन जाते हैं। इनसे संवेगों का विकास होता है। पढ़े जाने वाले साहित्य का प्रभाव उन पर पड़ता है और वे साधारणीकरण की प्रक्रिया में प्रवाहित होते रहते हैं।

3. सृजनात्मक अभिव्यक्ति (Expression of creativity)

बालक की कल्पना तभी साकार होती है, जबकि उसे सृजनात्मक रूप में अभिव्यक्त किया जाय। बालकों में वैयक्तिक भिन्नताएँ पायी जाती हैं। उनमें सृजनात्मक अभिव्यक्ति की क्षमता भी भिन्न होती है। बालक निम्न क्रियाओं द्वारा अपनी सृजनात्मकता को व्यक्त करते हैं-

नाटकीय खेल (Dramatic play)

इस प्रकार के खेलों से बालक की उस संस्कृति की अभिव्यक्ति होती है, जिसमें वह रहता है। इन खेलों के द्वारा बालक बहुधा अपने दैनिक जीवन की घटनाओं का नाटकीकरण करता है। जैसे-डॉक्टर-रोगी के खेल, गुड्डे-गुड़ियों के खेल, मिट्टी के घर बनाने के खेल तथा चोर-सिपाही के खेल आदि।

इस प्रकार के खेल में उनकी सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति होती है। जब वह इन खेलों में कोई सृजन करते हैं, तो उनका संवेगात्मक तनाव निकल जाता है। इस प्रकार के खेलों से बालकों का व्यक्तिगत और सामाजिक  समायोजन अच्छा हो जाता है।

रचनात्मक खेल (Constructive play)

पाँच-छह वर्ष की अवस्था पार करने पर बालक की रुचि नाटकीय खेलों से हटकर रचनात्मक खेलों में केन्द्रित होने लगती है। इन खेलों में सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति होती है और उसके विकास को भी अधिक बल मिलता है। मिट्टी, बालू, लकड़ी के गुटकों एवं पेपर आदि से बालक अनेक प्रकार के खेल जैसे घर बनाने के खेल तथा चित्र बनाने के खेल आदि अकेले या साथियों के साथ खेलते हैं।

इन खेलों में कुछ सीमा तक लिंग भेद भी देखने को मिलता है। इन खेलों में बालकों द्वारा अपनी सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति होती है। वे किसी की नकल नहीं करते।

काल्पनिकसाथी (Imaginary companions)

जब कल्पना में कोई बालक किसी अन्य बालक, व्यक्ति, जानवर या वस्तु को अपना साथी बनाता है तो उसे काल्पनिक साथी कहते हैं। बालक अपने काल्पनिक साथियों के सम्बन्ध में बताना कम पसन्द करते हैं।

बालक को यदि अकेले खेलते समय यदि कुछ दिनों तक सुना जाय तो निश्चय ही वह अपने काल्पनिक साथी से बातचीत करता सुनायी दे सकता है। काल्पनिक साथी बनाने में सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति करने से एक तो बालकों का संवेगात्मक तनाव निकल जाता है, दूसरे समायोजन में सहायता भी मिलती है।

हास्य-भाव (Humor)

बालक अनेक प्रकार के हास्य भावों द्वारा अपनी सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति करते हैं। उदाहरण के लिये, कभी ये शब्दों का गलत उच्चारण करके या तोड़-मरोड़ करके ऐसे बोलते हैं कि सुनने वाले हँसने लगते हैं। इस प्रकार के हास्य के लिये यह आवश्यक नहीं है कि वे मौलिक हों तभी सृजनात्मक होंगे बल्कि आवश्यक यह है कि जिस व्यक्ति को सुनाया या दिखाया जा रहा हो उसके लिये मौलिक एवं नया होना चाहिये।

उपलब्धि के लिये आकांक्षा (Aspiration for achievement)

आकांक्षा का अर्थ है-सम्मान, शक्ति या उपलब्धि के लिये आकांक्षा। बालकों की आकांक्षाएँ धनात्मक और ऋणात्मक दोनों प्रकार की हो सकती हैं। बालकों में उपलब्धि की आकांक्षाएँ तुरन्त, आज या कल के लिये भी होती हैं और कुछ ऐसी भी होती हैं जिनमें बालक सोचता है कि जब बड़ा होऊँगा तो मैं ऐसा करूँगा। उपलब्धि के लिये आकांक्षा पर वातावरण सम्बन्धी कारकों का अधिक प्रभाव पड़ता है तथा व्यक्तिगत कारकों का कम। आकांक्षाएँ यदि धनात्मक होती हैं तो बालक का व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन अच्छा रहता है परन्तु यदि आकांक्षाएँ ऋणात्मक होती हैं तो बालक का व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन बिगड़ जाता है।

  • सृजनात्मकता

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Creative meaning in Hindi

Creative meaning in hindi (हिंदी में मतलब), creative = सृजनात्मक निर्माण करने की शक्ति वाला.

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    हिंदी कंटेंट राइटर बनने के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड. Hindi content writer बनने के लिए यहां नीचे स्टेप बाय स्टेप गाइड दिया गया हैं जो कुछ इस प्रकार ...

  6. लेखन कौशल (Writing Skill) क्या है? हिंदी में

    लेखन कौशल क्या है : What is Writing Skills in Hindi. एक लेखक अच्छी Writing Skills के जरिए अपनी बात को लोगो को आसानी से समझा सकते हैं। अच्छे लेखन के लिए अच्छे विचार ...

  7. creative writing in Hindi

    creative writing meaning in Hindi with examples: सृजनात्मक-लेख सर्जनात्मक लेखन ... click for more detailed meaning of creative writing in Hindi with examples, definition, pronunciation and example sentences.

  8. What is Creativity in Hindi

    रचनात्मकता के फायदें (Benefits of Creativity) What is Creativity in Hindi. Creativity is all about Questioning Mindset. हेलो दोस्तों मुझे आशा है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया ...

  9. Creative Writing in Hindi

    Creative Writing in Hindi. Creative expression through writing requires one to organise their thoughts and present them in a way that is clear, precise, and exciting to read. Due to a lack of exposure to good Hindi literature, most people in India struggle with creative writing in Hindi. If you are a parent who wants to help improve your child ...

  10. creative writing

    What is creative writing meaning in Hindi? The word or phrase creative writing refers to . See creative writing meaning in Hindi, creative writing definition, translation and meaning of creative writing in Hindi. Learn and practice the pronunciation of creative writing. Find the answer of what is the meaning of creative writing in Hindi.

  11. Creative Meaning in Hindi: क्यों जरुरी है Creativity जिंदगी में

    Personality of Creative People in Hindi रचनात्मक लोगों का व्यक्तित्व. 1. Creative लोगों में बहुत उर्जा होती है, लेकिन फिर भी वह अक्सर शांत और स्थिरचित्त ही रहते हैं ...

  12. How to Write in Hindi: 15 Steps (with Pictures)

    Practice a small group of 5 or 6 letters for a few minutes each day. When you can write those letters automatically, move on to the next group of letters. Remember to go back and review the letters periodically so you don't forget what you've learned. 2. Start with short vowels. There are 5 short vowels in Hindi.

  13. Creative Writing

    Creating writing is a means of using written language to tell an interesting or enjoyable story that will engage, inspire, excite, or surprise a reader, evoking emotions and provoking thought. Its ...

  14. creativity

    विवरण. Creativity is the ability to form novel and valuable ideas or works using the imagination. Products of creativity may be intangible or a physical object. Creativity may also describe the ability to find new solutions to problems, or new methods of performing a task or reaching a goal. Creativity therefore enables people to ...

  15. CREATIVE

    CREATIVE translate: रचनात्मक या सृजनात्मक. Learn more in the Cambridge English-Hindi Dictionary.

  16. creative meaning in Hindi

    The creative thought of the middle ages is clerical thought. Because she is the creative genius behind the series, Anna is getting paid as much as the actors. The creative florist can design beautiful floral arrangements from scratch. Karen is taking a creative writing class to help her come up with new ideas.

  17. creative meaning in Hindi

    What is creative meaning in Hindi? The word or phrase creative refers to promoting construction or creation, or having the ability or power to create. See creative meaning in Hindi, creative definition, translation and meaning of creative in Hindi. Find creative similar words, creative synonyms. Also learn creative opposite words, creative ...

  18. creative meaning in Hindi

    Get the meaning of creative in Hindi with Usage, Synonyms, Antonyms & Pronunciation. Sentence usage examples & English to Hindi translation (word meaning). ... which is the most scientific writing system in the world and is widely spoken by over ten million people across the globe as their first or second language, which makes it 3rd most ...

  19. CREATIVE MEANING IN HINDI

    Creative meaning in Hindi (हिन्दी मे मीनिंग ) is सृजनशील.English definition of Creative : having the ability or power to create; a creative imagination. Creative meaning in Hindi : Get meaning and translation of Creative in Hindi language with grammar,antonyms,synonyms and sentence usages by ShabdKhoj ...

  20. CREATIVITY in Hindi

    CREATIVITY translate: रचनात्मकता. Learn more in the Cambridge English-Hindi Dictionary.

  21. सृजनात्मकता (Creativity)

    बाल विकास का अर्थ (Meaning of Child Development) विकासात्मक प्रक्रिया के स्तर एवं आयाम; बुद्धि - बुद्धि की परिभाषा, बुद्धि के प्रकार - Intelligence in Hindi

  22. How to say creative writing in Hindi

    creative writing. Hindi Translation. रचनात्मक लेखन. Racanātmaka lēkhana. Find more words!

  23. Creative meaning in Hindi

    Creative Meaning in Detail. creative (adj) = having the ability or power to create. Synonyms: creative, originative. Usage: a creative imagination. creative (adj) = promoting construction or creation. Synonyms: creative. Usage: creative work. Other words to learn. propagandise meaning in Hindi.